बुआ प्यासी थी, मैंने प्यास बुझा दिया

मेरा नाम प्रतीक है। मैं 27 साल का हूँ, 6 फीट लंबा, गोरा, और जिम में पसीना बहाकर बॉडी को फिट रखता हूँ। चेहरा ठीक-ठाक है, लोग कहते हैं कि मैं स्मार्ट लगता हूँ। मुझे सेक्सी कहानियाँ पढ़ना और फिर अपने 6 इंच के लंड को मुठ मारकर शांत करना बहुत भाता है। ये कहानी मेरी और मेरी बुआ की है, जिनका नाम रीता है। रीता बुआ 36 साल की हैं, 5 फीट 7 इंच की हाइट, गोरी-चिट्टी, फिगर 34-28-34, और एकदम टाइट बॉडी। उनके काले, लंबे बाल, भूरी आँखें, और होंठों पर हमेशा हल्की-सी मुस्कान रहती है। वो देखने में इतनी सेक्सी हैं कि कोई भी उन्हें देखकर पागल हो जाए। मेरा कज़िन, राहुल, 25 साल का है, 5 फीट 10 इंच, दुबला-पतला, और थोड़ा शर्मीला। वो रीता बुआ का भांजा है और मेरा बेस्ट फ्रेंड।

ये बात कुछ साल पुरानी है, जब मैं नागपुर से कानपुर अपनी बुआ के बेटे, यानी राहुल की शादी में गया था। मैं शादी से 20 दिन पहले ही पहुँच गया, क्योंकि राहुल ने मुझे अपनी शॉपिंग के लिए बुलाया था। हमने खूब मस्ती की—बाज़ार घूमे, कपड़े खरीदे, और रात को देर तक गप्पे मारीं। एक दिन मेरी बड़ी बुआ ने मुझे और राहुल को शादी के कार्ड बाँटने के लिए रीता बुआ के घर भेजा। मैं रीता बुआ से पहली बार मिलने वाला था, और मुझे नहीं पता था कि ये मुलाकात मेरी ज़िंदगी बदल देगी।

उनके घर पहुँचते ही मेरी आँखें फटी रह गईं। रीता बुआ ने टाइट कुर्ती और लेगिंग्स पहनी थी, जिसमें उनका फिगर एकदम उभर रहा था। उनके बूब्स, उनकी कमर, उनकी गांड—सब कुछ परफेक्ट। वो मुझे ड्राइंग रूम में ले गईं, चाय पिलाई, और बातें शुरू हुईं। उनकी आवाज़ में एक अजीब-सी गर्मी थी। वो बार-बार मेरी तरफ देख रही थीं, और उनकी नज़रें मेरे चेहरे से नीचे मेरे सीने तक जा रही थीं। मैं थोड़ा नर्वस हो गया, लेकिन मन ही मन मज़ा भी ले रहा था। राहुल ने भी ये नोटिस किया और मुझे बाद में चिढ़ाया, “क्या बात है, प्रतीक? बुआ तुझ पर लाइन मार रही थीं!”

मैंने हँसकर टाल दिया, “अरे, तू भी ना, कुछ भी बोलता है!” लेकिन सच कहूँ, मेरे दिमाग में रीता बुआ की वो मुस्कान और उनकी नज़रें घूम रही थीं। घर लौटते वक्त मैं बस उसी के बारे में सोचता रहा। कुछ दिन बाद रीता बुआ हमारे घर आईं। उस दिन वो साड़ी में थीं, और उनकी नाभि हल्की-सी दिख रही थी। मैं तो बस उन्हें घूरता रहा। वो फिर से मुझे ज़्यादा ध्यान दे रही थीं—मेरे लिए चाय लाईं, मेरे बगल में बैठीं, और बातों-बातों में मेरे कंधे पर हाथ रख दिया। मेरे बदन में करंट-सा दौड़ गया।

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राहुल ने मुझे बाद में बताया कि रीता बुआ की शादी नहीं हुई थी। उनकी बड़ी बहन की मौत के बाद वो अपने जीजा के साथ रहती थीं। ये सुनकर मेरे मन में कुछ और ही ख्याल आने लगे। मैंने उनसे खुलकर बात शुरू की, और एक दिन मौका देखकर उनका नंबर ले लिया। वो भी मेरे नंबर पर मिस्ड कॉल दे गईं।

शादी की तैयारियों में हम इतने बिजी हो गए कि उनकी और मेरी बात नहीं हो पाई। शादी में भी बस थोड़ी-सी मुलाकात हुई। वो मुझे देखकर मुस्कुराईं, और मैंने भी आँख मारी। शादी के दो दिन बाद वो अपने घर चली गईं, और मैं अपने ऑफिस के काम में उलझ गया। लेकिन एक दिन उनका कॉल आया। उनकी आवाज़ में नाराज़गी थी, “प्रतीक, तूने मुझे बिल्कुल भूल गया? एक कॉल तक नहीं किया!” मैंने माफ़ी माँगी, “सॉरी बुआ, ऑफिस में फँस गया था। अब रोज कॉल करूँगा।”

बस, फिर हमारी रोज बात होने लगी। शुरू में तो नॉर्मल बातें होती थीं—काम, परिवार, मौसम। लेकिन धीरे-धीरे बातें पर्सनल होने लगीं। एक दिन उन्होंने बताया कि उनकी छाती में कभी-कभी दर्द होता है। वो इतने खुले अंदाज़ में बोलीं कि मैं चकरा गया। मैंने मज़ाक में कहा, “बुआ, मुझे दिखाओ, मैं चेक कर दूँ?” वो हँस पड़ीं, “बदमाश, तू तो बड़ा तेज निकला!” बस, फिर हमारी बातें हॉट होने लगीं। वो मुझसे अपनी बॉडी की बातें करतीं, और मैं भी खुलकर जवाब देता।

एक दिन वो किसी रिश्तेदार के यहाँ नागपुर आईं। उन्होंने मुझे कॉल किया, और मैं उनसे मिलने चला गया। वो एक कॉफ़ी शॉप में अकेली बैठी थीं, और यार, क्या लग रही थीं! टाइट जीन्स और टॉप में उनकी गांड और बूब्स एकदम उभर रहे थे। मैं उन्हें देखता ही रह गया। वो मेरी नज़रें भाँप गईं और बोलीं, “क्या देख रहा है, प्रतीक? कुछ चाहिए?” मैंने शरमाते हुए कहा, “बस, आप को देख रहा हूँ।” वो ज़ोर से हँसीं।

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मैं उन्हें अपने घर ले आया। रात को हम देर तक बातें करते रहे। मैं मज़ाक-मज़ाक में उनके हाथ, कंधे, और कमर को छू रहा था। वो कुछ नहीं बोलीं, बस मेरी तरफ देखकर मुस्कुराईं। मेरी हिम्मत बढ़ गई। रात के 1 बजे, जब सब सो गए, मैंने उन्हें अपने कमरे में बुलाया। वो आईं, और मैंने दरवाज़ा बंद कर लिया। मैंने उन्हें बाहों में भरा और उनके होंठों पर किस कर दिया। उनके होंठ गर्म और नरम थे। वो भी मेरा साथ देने लगीं। मैंने उनके बूब्स दबाए, और उनकी सिसकारी निकली, “आह… प्रतीक… धीरे…”

लेकिन तभी बाहर से राहुल की आवाज़ आई। हम जल्दी से अलग हुए। मेरे दिल की धड़कन तेज़ थी, और मेरा लंड पैंट में तन गया था। रीता बुआ ने मुझे आँख मारी और चली गईं। खाने की टेबल पर उन्होंने बताया कि उनकी अगली शाम की फ्लाइट है। मैं उदास हो गया। खाना खाने के बाद। “प्रतीक, तू उदास है ना?” मैंने कहा, “हाँ, आप चली तो मज़ा खत्म हो जाएगा।” वो मेरे करीब आईं, और मेरे कान में बोलीं, “क्या मैं अपनी टिकट कैंसिल कर दूँ?”

मैं तो उछल पड़ा। मैंने कहा, “हाँ, प्लीज़!” वो अपने कमरे में चली गईं। रात को 3 बजे वो चुपके से मेरे रूम में आईं। उन्होंने बताया कि वो सुबह अपने रिश्तेदार के यहाँ और फिर मैं मार्केट में उनसे मिलूँ। अगले दिन मैंने वैसा ही किया। हमने उनकी टिकट एक दिन बाद की की, और फिर एक अच्छे होटल में रूम बुक किया।

रूम में घुसते ही मैंने उन्हें दीवार से सटा लिया। उनकी साँसें तेज़ थीं। मैंने उनके होंठ चूसे, उनकी जीभ को अपनी जीभ से चाटा। वो मेरे बालों में उंगलियाँ फँरा रही थीं। मैंने उनकी टी-शर्ट उतारी, उनकी ब्रा खोली, और उनके गोरे, गोल बूब्स मेरे सामने थे। मैंने उनके निपल्स को मुँह में लिया, चूसा, हल्के से काटा। वो सिसक रही थीं, “आहँ… प्रतीक… और ज़ोर से… उह्म…”

मैंने 20 मिनट तक उनके बूब्स को चूसा, उनके निपल्स को जीभ से चाटा। वो पागल-सी हो रही थीं। फिर मैंने उनकी जीन्स उतारी, उनकी पैंटी नीचे खींची। उनकी चूत गीली थी, गुलाबी और साफ। मैंने उनकी जाँघों को चूमा, हल्के से काटा। वो तड़प रही थीं, “प्रतीक, अब और मत तड़का… कुछ कर!”

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मैंने थोड़ा हिचकते हुए अपनी जीभ उनकी चूत पर रखी। वो चिल्लाईं, “आह्ह… हाय… प्रतीक…” मैंने उनकी चूत चाटनी शुरू की, उनकी क्लिट को जीभ से सहलाया। वो अपनी गांड उठाकर मेरे मुँह में चूत रगड़ रही थीं। 40 मिनट तक मैंने उनकी चाटी, और वो दो बार झड़ गईं।

फिर मैंने उनकी कमर के नीचे तकिया रखा, और अपना लंड उनकी चूत पर सेट किया। मैंने एक ज़ोरदार धक्का मारा, और मेरा लंड उनकी चूत में घुस गया। वो दर्द से चीखीं, “आह… प्रतीक… धीरे… मेरी चूत फट जाएगी!” मैं रुक गया, उनके बूब्स चूसने लगा। जब वो शांत हुईं, मैंने धीरे-धीरे धक्के शुरू किए। वो अब मज़े ले रही थीं, “हाँ… प्रतीक… और ज़ोर से… चोद मुझे…”

मैंने स्पीड बढ़ाई, उनकी चूत को ज़ोर-ज़ोर से चोदा। वो गंदी बातें कर रही थीं, “तेरा लंड… हाय… मेरी चूत को मज़ा दे रहा है… और ज़ोर से चोद…” 35 मिनट की चुदाई के बाद वो झड़ गईं। मैंने पूछा, “मेरा माल कहाँ निकालूँ?” वो बोलीं, “अंदर ही छोड़ दे… मैं तेरे लंड का माल महसूस करना चाहती हूँ…” मैंने 5-7 धक्के मारे, और उनकी चूत में झड़ गया।

हम रात भर रुके, और दो बार और चुदाई की। हर बार वो और खुलीं, और हमने एक-दूसरे को पूरी तरह से महसूस किया। सुबह वो। “प्रतीक, ये रात मेरी ज़िंदगी की सबसे मस्त रात थी।” मैंने कहा, “हाँ, मेरी भी।”

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