सेक्सी भाभी ने बस का सफ़र यादगार बनाया

मेरा नाम दिलशाद है। मैं 28 साल का हूँ, दिल्ली में रहता हूँ, और मेरी एक छोटी-सी इलेक्ट्रॉनिक्स की दुकान है। मैं ज्यादा स्मार्ट नहीं हूँ, माने चेहरा-मोहरा ठीक-ठाक है, लेकिन मेरी बातों में एक अजीब-सा जादू है। लड़कियाँ मेरे साथ बात करते-करते खींची चली आती हैं। मेरी हाइट 5 फुट 10 इंच है, रंग सांवला, और शरीर फिट, क्योंकि मैं रोज सुबह थोड़ी-बहुत कसरत करता हूँ। मेरा लंड सात इंच का है, और चुदाई में मैं कभी किसी को निराश नहीं करता। ये कहानी मेरे एक बस सफ़र की है, जहाँ एक भाभी ने मेरे इस सफ़र को ऐसा बनाया कि मैं इसे जिंदगी भर नहीं भूल सकता।

कहानी में दूसरा किरदार है निशा, एक 32 साल की शादीशुदा औरत, जो उस रात बस में मेरे बगल में थी। निशा दिखने में गजब की थी – गोरी, स्लिम, और फिगर 36-28-36। उसने काली साड़ी पहनी थी, जो उसकी नाभि के नीचे बंधी थी, और उसकी कमर इतनी सेक्सी थी कि बस देखते ही मन डोल जाए। उसके बूब्स भरे-भरे, और गांड ऐसी कि साड़ी में भी उसका उभार साफ दिखता था। उसकी आँखें बड़ी-बड़ी थीं, और होंठ गुलाबी, जिन्हें देखकर बस चूमने का मन करता था। उसका पति, राजेश, 35-36 साल का होगा, मोटा-सा, चश्मा लगाए, और थका-हारा सा दिखता था। वो प्रॉपर्टी डीलर था, और शायद काम के बोझ से हमेशा चिड़चिड़ा रहता था। उनके दो बच्चे थे – एक चार साल का लड़का, राहुल, जो बहुत प्यारा और शरारती था, और एक तीन साल की लड़की, रिया, जो गुड़िया जैसी थी और थोड़ी जिद्दी।

बात जून 2021 की है। मुझे अपने मामा के प्रॉपर्टी बिजनेस के लिए दिल्ली से उज्जैन जाना था। मामा ने मेरी टिकट एक लग्जरी बस में बुक कर दी, क्योंकि मैं ट्रेन से नहीं जाना चाहता था। बस दोपहर दो बजे कश्मीरी गेट से चली। बस में ज्यादा लोग नहीं थे – आगे कुछ कपल्स थे, उनके माता-पिता साथ थे, बीच में मैं, और आखिरी सीट पर एक छोटी-सी फैमिली। मैं खिड़की वाली सीट पर बैठा था, बाहर का नजारा देखते हुए मोबाइल में गाने सुन रहा था।

रात को जब बस सूरत पहुँची, तब निशा का परिवार चढ़ा। राजेश तो सीधे अपनी सीट पर जाकर बैठ गया, जैसे उसे कोई फर्क ही नहीं पड़ता। राहुल और रिया पीछे वाली सीट पर चले गए, और निशा अपना बैग सीट के नीचे रखने लगी। वो जब झुकी, उसका पल्लू नीचे गिर गया, और उसके बूब्स का उभार साफ दिखा। मैं तो बस देखता रह गया। उसकी साड़ी इतनी टाइट थी कि उसके बूब्स ब्लाउज में कैद होने को तड़प रहे थे। मैंने नजर नहीं हटाई, और उसने मुझे देख लिया। वो थोड़ा शरमाई, पल्लू ठीक किया, और बैठ गई। मेरे दिमाग में बस यही चल रहा था कि ये औरत कितनी हॉट है।

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बस चली, और धीरे-धीरे रात गहराने लगी। मैं अपने मोबाइल में गाने सुन रहा था, और निशा अपने बच्चों को देख रही थी। राजेश तो पहले ही खर्राटे मारने लगा था। रात के करीब दस बजे बस एक ढाबे पर रुकी। मैं उतरा, वॉशरूम गया, और कुछ चिप्स, कोल्ड ड्रिंक ले लिया। निशा भी अपने बच्चों को वॉशरूम ले गई, पर उसने कुछ लिया नहीं। शायद राजेश के सोने की वजह से वो अकेले थी। मैंने देखा कि वो थोड़ी उदास-सी थी, जैसे उसे कोई कंपनी चाहिए थी।

बस जब दोबारा चली, तो सब अपनी सीटों पर वापस आ गए। अचानक रिया रोने लगी कि उसे खिड़की वाली सीट चाहिए। राहुल माना नहीं, और राजेश तो गहरी नींद में था। मैंने निशा से कहा, “भाभी, रिया को मेरी सीट पर बिता दो।” उसने मना किया, “नहीं, आप क्यों अपनी सीट छोड़ रहे हो?” मैंने कहा, “बच्चों का मन रखना चाहिए।” वो मुस्कुराई, और मैं बगल वाली सीट पर शिफ्ट हो गया। रिया को खिड़की वाली सीट दे दी।

मैंने रिया को चिप्स दिए, अपने मोबाइल में कार्टून दिखाया, और वो खुश हो गई। निशा भी मेरी इस हरकत से इम्प्रेस हुई। उसने मुझसे बात शुरू की, “आप कहाँ जा रहे हो?” मैंने कहा, “उज्जैन, मामा के कुछ काम के लिए।” उसने बताया कि वो लोग भी उज्जैन जा रहे हैं। मैंने सोचा, यही मौका है बात को आगे बढ़ाने का। मैंने उसका नाम पूछा, तो उसने बताया – निशा।

निशा: “उज्जैन में क्या काम है?” मैं: “मामा का प्रॉपर्टी का कुछ काम अटक गया है, उसी के लिए जा रहा हूँ।” निशा: “अच्छा। और आप करते क्या हो?” मैं: (हँसते हुए) “बस, लोगों को खुश करने का काम।” निशा: (शरारती अंदाज में) “कैसे खुश करते हो?” मैं: “अरे, मजाक कर रहा था। दिल्ली में मेरी दुकान है, इलेक्ट्रॉनिक्स की।” निशा: “अच्छा हुआ आप मिल गए। मैं तो अकेले बोर हो रही थी। मेरा पति तो सो गया।” मैं: “हाँ, बेचारा इतना काम करता होगा, थक जाता होगा।”

उसने एक हल्की-सी स्माइल दी, और मुझे लगा कि वो मेरी बातों में इंटरेस्ट ले रही है। थोड़ी देर बाद रिया सो गई। मैंने कहा, “देखो, तुम्हारी बेटी सो गई।” उसने देखा और बोली, “हाँ, मैं इसे पीछे सुला देती हूँ।” जब वो रिया को लेने के लिए झुकी, मेरा हाथ गलती से उसके बूब्स से टकरा गया। हाय, क्या गर्मी थी उनमें! उसने मुझे देखा, पर कुछ बोली नहीं, बस रिया को पीछे सुलाकर वापस आ गई।

रात अब काफी हो चुकी थी। बस की लाइट्स बंद थीं, और सब सो रहे थे। मैं मोबाइल में गाने सुन रहा था। निशा ने कहा, “मुझे भी गाना सुनना है, नींद नहीं आ रही।” मैंने उसे एक इयरफोन दिया। हम थोड़ा दूर-दूर बैठे थे, तो इयरफोन बार-बार उसके कान से निकल रहा था। मैंने कहा, “भाभी, मेरे बगल में आ जाओ, नहीं तो इयरफोन बार-बार निकलेगा।” उसने पहले राजेश को देखा, पक्का किया कि वो सो रहा है, और फिर मेरे बगल में आकर बैठ गई। मैंने कुछ रोमांटिक गाने चला दिए, और वो धीरे-धीरे मूड में आने लगी।

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मैंने हिम्मत करके उसका हाथ छुआ। उसने कुछ नहीं कहा, बस चुप रही। मेरी हिम्मत बढ़ी, और मैंने उसकी जांघ पर हाथ रख दिया। वो थोड़ा शरमाई, बोली, “ये क्या कर रहे हो?” पर उसकी आवाज में ना नहीं थी। मैंने हँसकर कहा, “कुछ नहीं, बस थोड़ा मजा ले रहा हूँ।” उसने मुस्कुराकर नजरें झुका लीं। थोड़ी देर बाद वो अपनी साड़ी ठीक करने लगी, और मैंने मौका देखकर उसका हाथ पकड़ लिया। मैंने धीरे से उसके बूब्स पर हाथ रखा। वो चौंकी, “दिलशाद, ये गलत है। कोई देख लेगा।”

मैंने कहा, “अरे, यहाँ अंधेरा है, सब सो रहे हैं। तुम फिकर मत करो।” वो थोड़ा हिचकिचाई, पर रुकी नहीं। मैंने उसका पल्लू हटाया और ब्लाउज के ऊपर से उसके बूब्स दबाने लगा। वो धीरे से सिसकारी, “उफ्फ… दिलशाद… ये मत करो…” पर उसकी आवाज में एक अजीब-सी मस्ती थी। मैंने उसके होंठों पर चूम लिया, और वो भी मेरा साथ देने लगी। उसने फुसफुसाकर कहा, “जल्दी करो, राजेश उठ गया तो मुसीबत हो जाएगी।”

मैं: “जल्दी क्या, भाभी? तुम इतनी गर्म हो, थोड़ा तो मजा लेने दे।” निशा: (शरमाते हुए) “हाय, तू भी ना… कितना बदमाश है। पर सच में, जल्दी कर, नहीं तो मेरी गांड फट जाएगी।” मैं: “हाहा, तेरी गांड तो मैं बाद में देख लूंगा। अभी तो बस तेरी चूत का सोच रहा हूँ।”

वो हँस पड़ी, और मैंने उसकी साड़ी ऊपर की। उसकी पैंटी नीचे खींची, और देखा कि उसकी चूत पूरी गीली थी। थोड़ी-सी झांटें थीं, जो उसकी चूत को और सेक्सी बना रही थीं। मैंने अपना मुँह उसकी चूत पर रखा और चूसना शुरू किया। वो पागल-सी हो गई, “हाय… दिलशाद… ये क्या कर रहा है… मेरी चूत खा जाएगा क्या?” उसने मेरे बाल पकड़े और मेरा मुँह अपनी चूत में दबाने लगी। वो एक बार झड़ गई, और मैंने उसका सारा पानी चाट लिया।

मैंने कहा, “अब मेरा लंड चूसो ना, भाभी।” उसने मना किया, “नहीं, मुझे उल्टी आ जाएगी।” मैंने जोर नहीं दिया, बोला, “कोई बात नहीं, पर मेरी जान, अब तेरी चुदाई तो बनती है।” उसने शरमाते हुए हाँ में सिर हिलाया। मैंने उसे सीट पर लिटाया, उसकी साड़ी और पेटीकोट ऊपर किए, और अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ने लगा। वो तड़प उठी, “दिलशाद… बस कर… अब डाल दे… मेरी चूत को चोद ना… अब बर्दाश्त नहीं होता।”

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मैंने उसकी चूत के मुँह पर लंड रखा और एक जोरदार झटका मारा। आधा लंड एक बार में अंदर चला गया। वो सिसकारी, “आह्ह… कितना बड़ा है तेरा लंड… मेरी चूत फाड़ देगा…” मैं धीरे-धीरे धक्के मारने लगा, और वो हर धक्के के साथ सिसक रही थी, “हाँ… और जोर से… मेरी चूत का भोसड़ा बना दे…” उसकी ऐसी गंदी बातें सुनकर मैं और जोश में आ गया। मैंने उसके ब्लाउज में से एक बूब निकाला, उसके निप्पल को चूसा, और कभी हल्के से काटा। वो पागल-सी हो रही थी, “हाय… दिल… तू तो मेरी जान ले लेगा… ऐसे ही चोद… रुकना मत…”

मैं बिना रुके उसे चोदता रहा। वो दो बार झड़ चुकी थी, और मेरा भी निकलने वाला था। मैंने कहा, “भाभी, मैं झड़ने वाला हूँ… कहाँ निकालूँ?” उसने कहा, “अंदर ही छोड़ दे… मुझे तेरा गरम-गरम माल चाहिए मेरी चूत में…” मैंने चार-पाँच और धक्के मारे और सारा माल उसकी चूत में छोड़ दिया। वो भी तीसरी बार झड़ी, और हम दोनों हाँफते हुए एक-दूसरे को देखने लगे।

उसने मुझे एक गहरी चुम्मी दी, अपने कपड़े ठीक किए, और अपनी सीट पर चली गई। मैंने भी अपने कपड़े ठीक किए और सामान्य होकर बैठ गया। थोड़ी देर बाद हमने नंबर एक्सचेंज किए। निशा ने कहा, “दिलशाद, ये सफ़र मैं कभी नहीं भूलूँगी। तूने मेरी चूत को ऐसा मजा दिया कि मैं पागल हो गई।” मैंने कहा, “भाभी, जब मन करे, फोन कर देना। मैं फिर से तेरी चुदाई का इंतजाम कर दूंगा।”

अब भी मैं उससे फोन पर बात करता हूँ। कभी-कभी फोन सेक्स भी हो जाता है। उसने वादा किया है कि हम फिर मिलेंगे, और अगली बार और ज्यादा मजा आएगा। तो दोस्तों, ये थी मेरे बस सफ़र की कहानी, जहाँ एक सेक्सी भाभी ने मेरे सफ़र को यादगार बना दिया।

आपको मेरी ये कहानी कैसी लगी?

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