रक्षाबंधन के दिन बहन को चोद दिया

मेरा नाम संजीव है, और मैं आसनसोल, वेस्ट बंगाल में रहता हूँ। मेरी उम्र अब 26 साल है, लेकिन ये कहानी उस वक्त की है जब मैं 19 साल का था। मेरी एक बहन है, रीमा, जो तब 18 साल की थी। रीमा को देखो तो कोई भी पागल हो जाए। उसका बदन एकदम गोरा, चिकना, और जब से वो जवान हुई थी, उसकी कमर और बूब्स दोनों इतने सेक्सी हो गए थे कि दिल करता था बस उसे देखता ही रहूँ। उसका फिगर एकदम परफेक्ट था – पतली कमर, गोल-गोल बूब्स, और वो टाइट गांड जो हर लड़के को दीवाना बना दे। जब से वो जवानी में कदम रखी थी, मैं अपने दिल के जज्बात को छुपा नहीं पा रहा था। हर बार जब वो घर में छोटी सी फ्रॉक या टाइट कुर्ती पहन कर घूमती, मेरा लंड खड़ा हो जाता था।

उस दिन रक्षाबंधन का त्योहार था। घर में कोई नहीं था – माँ राँची गई थी मामा को राखी बाँधने, और पापा भी बुआ के यहाँ चले गए थे। बस मैं और रीमा अकेले थे घर में। सुबह मैं नहा कर आया, और रीमा ने राखी का थाल सजाया। उसने मुझे राखी बाँधी, और मैंने उसे एक गिफ्ट दिया – एक सिल्वर ब्रेसलेट। जब वो राखी बाँध रही थी, उसकी चुन्नी थोड़ी सरक गई, और मेरी नजर उसके गोरे-गोरे बूब्स की गहरी गलियारी पर चली गई। उसकी टाइट कुर्ती में उसके बूब्स ऐसे उभरे हुए थे जैसे दो रसीले आम। मेरा लंड तुरंत टाइट हो गया, और मैंने सोचा, “आज मौका है, घर में कोई नहीं है।” मैंने उससे कहा, “रीमा, आज रात का खाना शाम को ही बना लेना।”

वो बोली, “ठीक है, भैया।” उसकी आवाज में वो मासूमियत थी, जो मुझे और उकसा रही थी। मैं दिनभर बाहर रहा, लेकिन मेरा दिमाग बस रीमा के बदन पर अटका हुआ था। शाम को जब मैं घर लौटा, मैंने कहा, “चलो रीमा, हम लोग खाना खा लेते हैं।” वो बोली, “भैया, आज इतनी जल्दी क्यों?” मैंने हँसते हुए कहा, “कुछ नहीं, बस आज जल्दी सोने का दिल कर रहा है।” मेरे दिमाग में तो कुछ और ही चल रहा था। खाना खाने के बाद हम दोनों अपने-अपने कमरे में चले गए।

थोड़ी देर बाद रीमा मेरे कमरे का दरवाजा खटखटाने लगी। मैंने दरवाजा खोला तो देखा वो एक पतली सी मैक्सी पहने खड़ी थी। उसकी मैक्सी इतनी टाइट थी कि उसके बूब्स और गांड का शेप साफ दिख रहा था। उसका गोरा बदन उस मैक्सी में और भी सेक्सी लग रहा था। मैंने पूछा, “क्या हुआ, रीमा?” वो थोड़ा घबराते हुए बोली, “भैया, मुझे अकेले सोने में डर लग रहा है। माँ आज नहीं है, और मैं आज तक कभी अकेली नहीं सोई।” उसकी आवाज में डर था, लेकिन उसकी आँखों में कुछ और था – शायद मासूमियत, शायद कुछ और। मैंने कहा, “कोई बात नहीं, आज मेरे पास सो जा।” वो हिचकिचाई, “एक बेड पर?” मैंने हँस कर कहा, “हाँ तो? चल, अब सो जा।”

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हम दोनों एक ही बेड पर लेट गए। रीमा मेरे बगल में लेटी थी, और उसकी साँसें इतनी करीब थीं कि मैं अपने दिल की धड़कन को कंट्रोल नहीं कर पा रहा था। थोड़ी देर बाद वो सो गई। उसका चेहरा इतना सुकून भरा लग रहा था, लेकिन मेरा दिमाग तो आग में जल रहा था। घर में कोई नहीं था, और जिस रीमा को मैं कब से चोदना चाहता था, वो आज मेरे बगल में लेटी थी। मैंने धीरे-धीरे उसकी मैक्सी को नीचे से ऊपर उठाना शुरू किया। उसकी गोरी-गोरी जांघें देख कर मेरा लंड और सख्त हो गया। मैंने आहिस्ता-आहिस्ता उसकी मैक्सी को पूरा ऊपर उठा दिया। अब बस उसकी पैंटी उतारनी थी। उसकी पैंटी इतनी टाइट थी कि उसकी बुर का शेप साफ दिख रहा था। मेरा दिल जोर-जोर से धड़क रहा था।

जैसे ही मैंने उसके बूब्स पर हाथ रखा, वो अचानक जाग गई। उसकी आँखें गुस्से और डर से भरी थीं। वो चिल्लाई, “भैया, ये क्या कर रहे हो? मैं तुम्हारी बहन हूँ! तुमने अभी मेरे हाथ में राखी बाँधी है, और अब ये गंदा काम? मुझे नंगा क्यों किया?” उसकी आवाज में गुस्सा था, लेकिन साथ में एक अजीब सी घबराहट भी। मैंने उसका हाथ पकड़ा और कहा, “रीमा, सुन, तुझे पता है ये सब करने में कितना मजा आता है? तू बस मेरे साथ दे, तुझे भी मजा आएगा।” वो गुस्से में बोली, “नहीं, भैया! तुम बहुत गंदे हो। मैं तुम्हारे पास नहीं सोऊँगी। मैं अपने कमरे में जाऊँगी, चाहे कितना भी डर लगे, लेकिन मैं अपने भाई से चुदवाऊँगी नहीं!”

उसका गुस्सा देख कर मेरा जोश और बढ़ गया। मैंने उसका हाथ कस कर पकड़ा और उसे बेड पर पटक दिया। मैंने अपने घुटनों से उसकी टाँगें दबा दीं और उसके दोनों हाथों को अपने हाथों से कस कर पकड़ लिया। वो छटपटाने लगी, “भैया, छोड़ो मुझे! ये गलत है!” मैंने गुस्से में कहा, “साली, इतने दिन तू मेरे बाप का खाई, और अब दोस्तों से चुदवाएगी? रुक, आज तुझे मैं चोदूँगा!” मैंने उसकी मैक्सी को फाड़ दिया। उसकी गोरी चमकती बुर मेरे सामने थी, सिर्फ एक पतली सी पैंटी से ढकी हुई। वो अपनी पैंटी को कस कर पकड़े हुए थी, लेकिन मैंने उसका हाथ हटाया और अपने 9 इंच के लंड को उसकी बुर में घुसाने की कोशिश की।

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जैसे ही मेरा लंड उसकी टाइट बुर में गया, वो जोर से चिल्लाई, “नहीं भैया! आआहहह! बहुत दर्द हो रहा है!” उसकी बुर से खून निकलने लगा। मैं थोड़ा डर गया, लेकिन उसकी गोरी बुर पर वो लाल खून मुझे अनार के जूस जैसा लग रहा था। मैंने अपनी जीभ से उसकी बुर को चाटना शुरू किया। उसका स्वाद इतना नशीला था कि मैं पागल हो गया। मैंने जोर-जोर से धक्के मारने शुरू किए। रीमा रो रही थी, “भैया, प्लीज रुको! बहुत दर्द हो रहा है!” लेकिन मेरे अंदर का जानवर जाग चुका था। मैंने उसके बूब्स को जोर से दबाया, उनके निप्पल्स को चूसा, और धक्के मारता रहा। उसकी सिसकियाँ धीरे-धीरे कम होने लगीं।

थोड़ी देर बाद रीमा चुप हो गई। अब उसे भी मजा आने लगा था। उसने धीरे से मेरी तरफ देखा और अपने गुलाबी होंठों से मुझे चूम लिया। मैंने भी उसे फ्रेंच किस करना शुरू किया। उसकी जीभ मेरे मुँह में थी, और मैं उसकी बुर में धक्के मार रहा था। फिर मैंने अपना लंड निकाला और कहा, “रीमा, इसे मुँह में ले।” वो हिचकिचाई, “भैया, इसमें खून लगा है। पहले इसे अच्छे से पोंछ लो।” मैंने कहा, “ये तेरा ही खून है, साली। जल्दी मुँह में डाल!” उसने मेरा लंड अपने मुँह में लिया, लेकिन मेरा 9 इंच का लंड पूरा अंदर नहीं जा रहा था। मैंने एक जोर का झटका मारा, और मेरा लंड उसकी गले की नली में अटक गया। वो छटपटाने लगी, “उम्म्म… भैया… निकालो!” मैंने लंड निकाला और उसे उल्टा घूमने को कहा।

वो डरते हुए बोली, “अब क्या करोगे, भैया?” मैंने कहा, “चुपचाप उल्टा घूम, साली!” मैंने उसकी गांड में लंड घुसाने की कोशिश की, लेकिन उसका छेद इतना टाइट था कि लंड अंदर नहीं गया। कई बार कोशिश करने के बाद भी नाकामयाबी मिली। रीमा बोली, “भैया, मेरी बुर में डालो ना, उसमें बहुत मजा आता है।” मैंने कहा, “नहीं, अगर मेरा क्रीम तेरी बुर में गया तो तू प्रेगनेंट हो जाएगी।” वो बोली, “थोड़ा डालो, जब निकलने वाला हो तो बाहर निकाल लेना।” मैंने उसकी दोनों जाँघें अपने कंधों पर रखीं और फिर से उसकी बुर में लंड घुसा दिया। मैंने उसके बूब्स को चूसना शुरू किया, और वो सिसकियाँ लेने लगी, “आहह… भैया… और जोर से चूसो… उह्ह!”

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कुछ देर बाद मैंने लंड निकाला और उसके मुँह में डाल दिया। दो मिनट बाद मेरा क्रीम उसके मुँह में भर गया। मैंने कहा, “इसे पी ले, रीमा।” उसने धीरे-धीरे मेरा क्रीम पिया और बोली, “भैया, ये तो टेस्टी है। और निकालो ना!” मैंने हँसते हुए कहा, “अभी तो टाइम लगेगा, कम से कम एक घंटा।” वो बोली, “तो फिर मेरी बुर में डालो, मैं प्रेगनेंट नहीं हूँगी, प्लीज!” मैंने कहा, “ठीक है, एक घंटे बाद देखता हूँ।”

उस रात हमने पाँच बार चुदाई की। हर बार रीमा और मैं एक-दूसरे में खो गए। हम दोनों नंगे ही बेड पर लेटे रहे, एक-दूसरे को बाहों में लिए। रात भर जागने की वजह से सुबह 10 बज गए, और हम अभी भी एक-दूसरे को पकड़ कर सो रहे थे। तभी अचानक माँ और मामा जी घर आ गए। रात को हमने बाहर का दरवाजा बंद नहीं किया था, और वो सीधे अंदर आ गए। हमें इस हालत में देख कर माँ गुस्से से चिल्लाई, “ये क्या कर रहे हो तुम दोनों? संजीव, तूने अपनी बहन के साथ ये गंदा काम किया?” मामा जी ने भी गालियाँ दीं, “हरामी, तूने राखी का रिश्ता तोड़ दिया!” उस दिन हमें घर से निकाल दिया गया।

अब मैं एक कंपनी में नौकरी करता हूँ। लेकिन जब भी रीमा की याद आती है, मैं मुठ मारने से खुद को रोक नहीं पाता। उस रात का हर पल मेरे दिमाग में बसा हुआ है।

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