दोस्तों, मैं आज आपको अपनी रंगीन सुबह के बारे में बताता हूँ। मेरी कहानी जानकर सभी जवान लड़कों के लंड खड़े हो जाएँगे और उनमें से रस निकलने लगेगा। तो कहानी शुरू करते हैं। उस रात को मैं और मेरी बहन बहुत देर में सोए थे। हमारे स्कूल का १५ दिन का विंटर वेकेशन हो गया था। कोहरा बहुत पड़ रहा था इसलिए हमारे जिले के डीएम ने १५ दिन की छुट्टी कर दी थी।
अब हम भाई बहन बेफिक्रे की जिंदगी जीते थे। देर रात तक हम साथ टीवी देखते थे फिर सोते थे, सुबह हम दोनों देर से उठते थे। ऐसा ही एक रात हुआ। हम दोनों रात में २ बजे टीवी देखकर सोए थे। वो इंग्लिश की होरर पिक्चर थी जो बहुत डरावनी थी। फिल्म का बैकग्राउंड साउंड तो बहुत ही डरावना था।
इसलिए मेरी बहन संगीता मुझसे चिपककर ही सोई थी। सुबह मेरी आँख कोई ११ बजे खुली। सूरज अब निकल आया था। कांच की खिड़कियों से सुबह के सूरज की पीली पीली रोशनी छन कर मेरे कमरे में आ रही थी। बड़ी रोमांटिक सुबह थी। मन में बड़े अच्छे अच्छे ख्याल आ रहे थे।
बड़े सुंदर सुंदर ख्याल आ रहे थे। दिल शायराना हो रहा था। गाने सुनने का मन कर रहा था। मैंने देखा मेरी बहन संगीता अभी भी सो रही है। मैं उठा और बाथरूम करने गया तो देखा मम्मी ने फ्रिज पर एक नोट चिपका दिया था। ‘नाश्ता तैयार है। पर मंजन करके ही खाना। मैं और पापा ऑफिस जा रहे हैं’ मैंने मम्मी का नोट पढ़ लिया।
बाथरूम कर लिया, आँखें मींजता हुआ आया और फिर अपनी बहन के पास रजाई हटाकर लेटने लगा। संगीता दूसरी तरफ करवट करके घोड़े बेच कर सो रही थी। संगीता अब बच्ची नहीं रह गई थी, अब वो जवान थी, १८ साल की हो चुकी थी। पर उसकी भीनी भीनी चूत की खुशबू मुझको आने लगी थी।
वो १८ साल की थी, इसलिए वो मेरी तरह लोवर और टी शर्ट पहन कर सोती थी। मैं भी यही पहन के सोता था। मेरी मम्मी अभी उसके लिए नाइटी नहीं लाई थी। जैसे ही दोबारा लेटने के लिए मैंने मखमली रजाई हटाई, संगीता का मस्त गदराया हुआ पिछवाड़ा मुझे दिख गया।
रात में उसका ढीला लोवर नीचे सरक गया था। संगीता की चटक आसमानी रंग की तिकोनी पैंटी देखकर तो मेरा ईमान ही डोल गया। मन हुआ तो अभी इसी वक्त सब कुछ भूल कर अपनी जवान बहन को चोद लूँ, पर मैंने खुद को कंट्रोल कर लिया। मैंने अपना हाथ संगीता के मुलायम बड़े गोरे गोरे मक्खन से चिकने पिछवाड़े पर रख दिए।
लगा जैसे जन्नत मिल गई। मैंने खूब देर तक उसका पिछवाड़ा हल्का हल्का आराम से सहलाया। ‘मेरी बहन की चूत कितनी गुलाबी और कितनी मीठी होगी, ये तो खुदा ही जानता होगा। काश मुझे संगीता की चूत भोगने को मिल जाती, मैं तो गंगा नहा लेता’ मैंने धीरे धीरे कहा।
संगीता सोती रही। मैंने झुककर उसके पिछवाड़े और गोल गोल चूतड़ों पर चुम्मी दे दी। फिर उससे सटकर लेट गया और सो गया। सपने में देखा कि संगीता से प्यार कर रहा हूँ। संगीता मेरी बाहों में आ गई है। दोस्तों, बड़ा मीठा सपना था वो। कोई १२ बजे मेरी आँख खुली।
जब देखा तो मेरे आश्चर्य का कोई ठिकाना ना था। संगीता मेरा लंड चूस रही थी। हाँ दोस्तों, आपको यकीन नहीं होगा पर यही सच है। पूरे घर में सन्नाटा था। हम दोनों अकेले थे और मेरी जवान बहन मेरा मोटा सा लंड चूस रही थी। मैंने ये देखा तो तुरंत आँखें मूंद ली। मैं नहीं चाहता था कि संगीता चूसना बंद कर दे।
अगर मैं जग जाता तो शायद वो शर्म के कारण लंड चूसना बंद कर देती और दूर हट जाती। मैंने आँखें सब कुछ जानते हुए भी बंद रखीं। संगीता, मेरी मस्त जवानी चुदासी बहन, जोर जोर से अपना पूरा सिर हिलाकर जल्दी जल्दी मेरा मोटा लंड चूस रही थी। मेरी चड्ढी को उसने नीचे सरक दिया था।
दोस्तों, मुझे अपनी किस्मत पर गर्व हो रहा था। ऊपर वाले से मैंने जो चीज मांगी वो उसने मुझको दे दी थी। संगीता के लंबे लंबे बाल खुलकर उनके गोरे गोरे कंधों पर झूल रहे थे। वो कामुकता और काम की साक्षात देवी लग रही थी। उसकी ढीली ढीली टी शर्ट में उसके नए नए तिकोने मम्मे देखकर मेरा दिल हुआ कि अभी पटक कर अपनी बहन को अपने इसी बिस्तर पर चोद लूँ। बाद में जो होगा देखा जाएगा।
कुछ देर बाद मुझे अपनी आँख खोलनी ही पड़ी दोस्तों। क्योंकि मेरा माल निकलने वाला था। संगीता ने कोई आधे घंटे मेरा मोटा मोमबत्ती सा लंड चूसा था। वो रुक ही नहीं रही थी। मैं जान गया था वो फुल चुदाई के मूड में है। ना चाहते हुए मुझे अपनी आँखें खोलनी पड़ीं। संगीता पीछे एकदम से हट गई। शायद वो डर गई थी।
‘भैया भैया! वो मैं?? मैं??’ वो हकलाने लगी।
मैंने संगीता को पकड़ लिया और अपने मुलायम बिस्तर पर पटक दिया। ‘कोई बात नहीं बहन!! कोई बात नहीं। ऐसा अक्सर हो जाता है’ मैंने कहा और सीधा संगीता के ऊपर मैं लेट गया। उसके मुलायम मुलायम कुँवारे होठ मैं पीने लगा। उसकी लाली चुराने लगा।
संगीता तो पहले से ही चुदवाने के फुल मूड में थी। दोस्तों, जब आज मैंने अपनी जवान कच्ची कली जैसे मस्त माल बहन के होंठ पिए तो लगा कि वाकई में जिंदगी कितनी खूबसूरत है। संगीता ने अपने हाथ मेरे गले में गोल गोल लपेट दिए। हम दोनों में अब कोई बात नहीं हो रही थी।
क्योंकि बातों की अब कोई गुंजाइश नहीं थी। नरम लचीली बहन वाली दुबली माल अपनी बहन संगीता को चोदने में आज कितना मजा आएगा, ये सोच कर ही मेरा दिल बल्लियों उछलने लगा। मेरा सिर और चेहरा संगीता के सिर से काफी बड़ा था। उसका सिर और चेहरा मुझसे काफी छोटा था।
मैंने उसके दोनों गालों पर अपने हाथ रख दिए और अपनी सगी लेकिन चुदासी बहन के मुलायम होंठ पीने लगा। कुछ मिनट में ही वो गरम हो गई। मैंने आव देखा ना ताव। उसकी टी शर्ट उतारने लगा तो उसने हाथ खुद ही ऊपर कर दिए, जिससे उसकी ढीली टी शर्ट आराम से निकल जाए।
मैंने टी शर्ट निकाल दी। फिर संगीता की सफेद ब्रा दिखी तो मैंने वो भी निकाल दी। उफ्फ्फ्फ़!! हाय!! मेरी बहन इतनी सुंदर और बला की खूबसूरत माल है, आज मुझे ज्ञात हुआ। बाप रे बाप!! ये तो बिजली ही गिरा रही है। मैंने अपनी जवान चुदासी बहन की खूबसूरती कुछ देर तक निहारी।
उसकी सुंदरता को मैंने अपनी आँखों में कैद किया कुछ देर। संगीता के कबूतर मुझे ढीली ढीली शर्ट और टी शर्ट में बड़े छोटे दिखते, वो असलियत में खूब बड़े बड़े थे। दोस्तों, मेरी तो आज लॉटरी ही निकल गई थी। मेरी जवान और चुदाई और लंड की प्यासी बहन के मम्मे तो सोने से भी ज्यादा सुंदर और कीमती निकले।
मैं तो पगला गया था। मैंने उसके मम्मे पर हाथ रख दिया। मेरी छुअन से उसे कुछ कुछ होने लगा। मैंने अपना हाथ उसके मलाई के गोले पर रख दिया। वो सिहर गई। मेरा हाथ उसके बड़े बड़े ३६ साइज के मम्मों पर इधर उधर डोलने लगा, संगीता मस्त हो गई।
मेरे हाथ से उसके साइज का जायजा मम्मों को हाथ में भरकर लिया। लगा कि मंदिर का प्रसाद सीधा मेरे हाथ में आ गया हो। मेरा तो लंड ही रिसने लगा दोस्तों। मेरा लंड चूने लगा, उसका पानी बहने लगा। आखिर मेरा लंड उसके मम्मे के जायजा लेते लेते उसके ऊपरी भाग कर उसके चूचकों पर आ गए।
बड़े बड़े काले घेरे को देखकर मन मोह लिया और फिर मेरी उंगलियाँ मम्मे की नुकीली भुंडियों को सहलाने लगी। संगीता को कुछ कुछ होने लगा। मैं उसके मम्मों पर झुक गया और पीने लगा। संगीता ने अपने मुलायम पतले पतले हाथ मेरे गले में डाल दिए। मैं उसके दूध पीने लगा।
फिर दूसरे मम्मे को मुंह में भर लिया मैंने। खूब पिया दोस्तों, अपनी जवान चुदासी और लंड की प्यासी बहन के दूध को मैंने खूब पिया। फिर उसके मुलायम पेट को चूमने लगा। धीरे धीरे मैं उसकी नाभि पर आ गया और मैंने उसकी नाभि चूम ली। अब तो मुझे अपनी बहन की चूत किसी भी कीमत पर चाहिए थी।
मैंने उसका लोवर निकाल दिया। उसकी चटक आसमानी पैंटी देख के मन ललचा गया। आखिर मैंने वो भी निकाल दी। संगीता को मैंने मुलायम रजाई पर ही पटक लिया था इसलिए बड़ा मुलायम मुलायम लग रहा था। संगीता की चूत पर एक भी बाल नहीं था। मैं बहुत खुश हुआ। मेरी चुदासी बहन अभी पूरी तरह से खिली थी, पर उसकी चूत बिल्कुल साफ थी।
पर मैं आज उसको चोद चोद कर उसकी चूत को कमल की तरह खिला दूँगा। मैंने मन ही मन सोच लिया। संगीता की चूत बड़ी प्यारी, बड़ी मनमोहक थी। दिल खुश हो गया दोस्तों। मैं झुककर उसकी चूत पीने लगा। जिंदगी का मजा आ गया था दोस्तों। कितनी मासूम कितनी प्यारी चूत थी।
पर आज मैं इस चूत पर खूब मेहनत करूँगा। मैंने सोच लिया। दोस्तों, मैंने ज्यादा वक्त बर्बाद करना सही नहीं समझा। कुछ देर मैंने संगीता की चूत पी। फिर अपने हाथ में थोड़ा सा थूक लिया और लंड के सुपाड़े पर मल लिया। फिर अपने हाथ से लंड को साधते हुए संगीता के चूत पर रख दिया। उसकी चूत के दोनों मुलायम मखमली होंठ किनारे किनारे सरक गए।
मैंने पुश किया और मेरा लंड १ इंच उसकी चूत में धस गया। मुझे बड़ी खुशी हुई। जरा खून उसकी चूत से बहने लगा। मैंने एक धक्का और दिया। मेरा ७-८ इंच लंबा लंड मेरी बहन की गुलाबी गुलाबी चूत में धंस गया। संगीता के दोनों पतले पतले नाजुक हाथ मैंने कसके पकड़ लिए। उसे दर्द होने लगा। मैंने कोई परवाह नहीं की। मैं उसको चोदने लगा। संगीता आह ऊईईई माँ माँ मम्मी मम्मी चिल्लाने लगी।
“चुप बहनचोद!! चुप!!” मैंने उसको जोर से डपट लगाई।
वो डर गई। मैं उसको चोदने लगा। कुछ देर बाद उसका दर्द समाप्त हो गया। वो मजे से टांग फैला फैला कर चुदवाने लगी। उसके बाल उसके चेहरे पर बिखर गए। उसकी आँखें बंद थीं। मैंने उसके हाथ अब छोड़ दिए। अब वो बिना कोई नाटक किए चुदवाने लगी। उसके काले काले लंबे लंबे बालों का सौंदर्य मेरे मन में बस गया।
अपनी चुदती हुई सगी बहन का सौंदर्य मेरे दिल में बस गया दोस्तों। मैंने सोच लिया कि आज अपनी जवान चुदासी बहन की चूत पर खूब मेहनत मैं करूँगा। उसको इतना चोदूंगा कि वो हर सुबह मेरे लंड मांगे और कहे कि भैया प्लीज मुझको अपना लंड खिला दो।
ये सोचकर मैं अपनी बहन की चूत पर खूब मेहनत करने लगा। धकाधक उसको चोदने लगा। पट पट के शोर से पूरा कमरा गूंजने लगा। ये पट पट की आवाज मेरी मेहनत की ही आवाज थी। मेरा मोटा गन्ने जैसा मोटा लौड़ा जोर जोर से बहन की चूत को कूट रहा था। मेरा मोटा लंड और मेरी गोलियाँ जोर जोर से संगीता के भोसड़े से टकरा रही थी। ये वही आवाज थी दोस्तों। मैंने मन में ठान लिया था कि कम से कम २ घंटे तो बहन को चोदूंगा। कम से कम २ घंटे तो मुझे बहन की चूत पर मेहनत करनी ही है।
संगीता के दोनों मस्त गोल गोल मम्मों को हाथ से ऐंठते और दबाते हुए मैं उसकी चूत कूटने लगा। संगीता मस्ती में उछलने लगी। मेरी रजाई बहुत ही मुलायम और मखमली थी। इसी पर मैंने संगीता को लिटा रखा था। मुलायम रजाई में संगीता को चोदने का मजा ही कुछ और था। दोगुना मजा मुझको मिल रहा था। अभी अभी कुँवारेपन को खो चुकी मेरी बहन की चूत बड़ी कसी कसी थी। मेरा मोटा लंड पूरा उसकी बुर में कसा हुआ था, पर मेरी मेहनत से ही ये संभव हो पाया था कि मैं पट पट करके उसको पेल रहा था। २० मिनट बीते तो लगा कि माल निकल जाएगा।
मैंने तुरंत लंड बाहर निकाल दिया। लंड थोड़ा ठंडा पड़ गया। फिर कोई ५-७ मिनट बाद मैंने फिर से लंड उसकी बुर में डाल दिया और अपनी सगी जवान चुदासी बहन को चोदने लगा। इसी विधि से मैंने संगीता को पूरे २ घंटे चोदा दोस्तों। अब मेरी बहन हर रोज सुबह सुबह मुझसे लंड मांगती है। वो साफ साफ अब कहती है कि ‘प्लीज भैया मुझे एक बार चोद दो, प्लीज भैया मुझको एक बार अपना लंड खिला दो!! प्लीज प्लीज भैया!!
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