मेरा नाम निखिल है और मैं बंगलौर में कुछ सालों से रह रहा हूँ। मेरी उम्र 27 साल है, हाइट 6 फीट, और दोस्तों, बचपन से ही मुझे सेक्स में बहुत दिलचस्पी रही है। सेक्सी कहानियाँ पढ़ना मुझे हमेशा से पसंद रहा है। आज मैं तुम सबको अपनी जिंदगी की एक सच्ची और मसालेदार कहानी सुनाने जा रहा हूँ। ये मेरी पहली कहानी है, तो अगर कोई गलती हो जाए तो प्लीज माफ कर देना। अब ज्यादा वक्त बर्बाद न करते हुए सीधे अपनी कहानी पर आता हूँ।
मैं बंगलौर में एक अपार्टमेंट में रहता हूँ। मेरी फ्लैट पहली मंजिल पर है, और दूसरी मंजिल पर एक छोटी-सी फैमिली रहती है। उस फैमिली में तीन लोग हैं – अंकुर, उसकी बीवी कंचन, और उनका छोटा-सा बच्चा। अंकुर से मेरी अच्छी दोस्ती थी, लेकिन ज्यादा गहरी नहीं। हम वीकेंड पर अक्सर साथ में ड्रिंक करते थे। कंचन से भी मेरी अच्छी जान-पहचान थी, और वो कभी-कभी हमारे साथ बैठकर गपशप कर लिया करती थी।
कंचन थी तो दुबली-पतली, लेकिन उसकी खूबसूरती और सेक्सी फिगर देखकर किसी का भी दिल फिसल जाए। उसका लंबा कद, 34 साइज के गोल-गोल बूब्स, मटकते हुए कूल्हे, और वो कातिल मुस्कान – सब कुछ परफेक्ट था। उसे देखकर कई बार मेरा मन डोल गया, लेकिन मैं जानता था कि वो मेरे दोस्त की बीवी है, तो मैंने कभी ज्यादा सोचा नहीं। हाँ, हमारे बीच कभी-कभी देवर-भाभी वाली मजाक-मस्ती चलती रहती थी। वो अपना बहुत ख्याल रखती थी। एक बच्चा होने के बाद भी उसका फिगर बिल्कुल टाइट था। उसके जिस्म का हर हिस्सा इतना सेक्सी था कि बस देखते ही बनता था।
एक दिन मैं किसी काम से अंकुर को बुलाने उसके घर गया। दरवाजा खुला था। मैंने बेल बजाई तो कंचन की आवाज आई, “दरवाजा खुला है, अंदर आ जाओ।” मैं अंदर गया तो देखा कि कंचन अपने बच्चे को दूध पिला रही थी। मेरे अंदर आते ही उसने जल्दी से दुपट्टे से अपने बूब्स ढक लिए, लेकिन उस जालीदार दुपट्टे में से उसका आधा बूब्स साफ-साफ दिख रहा था। मैं अपनी नजरें कंट्रोल नहीं कर पा रहा था। उसकी गोरी चमकती त्वचा, वो गोलाई, और वो निप्पल की हल्की-सी झलक – सब कुछ मेरे दिमाग में घूमने लगा।
उसने बताया कि अंकुर कुछ जरूरी काम से अपने गाँव गया है और अभी घर पर नहीं है। मैंने कहा, “ठीक है,” और वापस अपने फ्लैट पर आ गया। लेकिन मेरा दिमाग कंचन के बूब्स पर अटक गया था। मैं सीधे बाथरूम में घुसा और मुठ मारने लगा। अभी मैं अपने ख्यालों में खोया हुआ था कि तभी कंचन मेरे फ्लैट पर आ गई और मुझे बुलाने लगी। मैंने बाथरूम से आवाज दी, “भाभी, आप बैठो, मैं अभी आता हूँ।”
जल्दी-जल्दी नहाकर मैं बाहर आया तो देखा कि कंचन मेरे बेड पर बड़े आराम से बैठी थी और टीवी देख रही थी। उसने हल्का-सा सलवार-सूट पहना था, जिसमें से उसके बूब्स की शेप साफ दिख रही थी। मैंने पूछा, “क्या हुआ, भाभी? कोई काम था?” उसने कहा, “बस यार, बच्चा सो गया है। मेरा बीयर पीने का मन हो रहा है।” मैंने उसे टोका, “भाभी, अभी तो आपका बच्चा छोटा है। वो आपका दूध पीता है। बीयर पीना ठीक नहीं होगा ना?” वो हँसते हुए बोली, “अरे, छोड़ ना यार। एक बीयर से क्या फर्क पड़ता है?”
मैंने फ्रिज से दो बीयर निकालीं और हम दोनों ने एक-एक कैन पी ली। कंचन उस दिन थोड़ी थकी-थकी लग रही थी। बीयर पीते ही उसे सुकून मिला और कुछ ही देर में उसकी आँखें भारी होने लगीं। वो मेरे बेड पर ही लेट गई और सो गई। अब बेड पर एक तरफ कंचन, बीच में उसका बच्चा, और दूसरी तरफ मैं लेटा था। लेकिन मुझे नींद कहाँ आ रही थी? कंचन का सलवार-सूट उसके जिस्म से चिपका हुआ था। उसके बूब्स की उभरी हुई शेप देखकर मेरा लंड फिर से तन गया।
कंचन गहरी नींद में थी। मैंने मौका देखकर धीरे से, डरते-डरते, उसके सूट के ऊपर से उसके बूब्स को छुआ। उसकी मुलायम गोलाई को महसूस करके मेरा लंड और सख्त हो गया। फिर मैंने हिम्मत करके उसकी कमर पर हाथ फेरा, उसके गोल-गोल कूल्हों पर उंगलियाँ घुमाईं। उसका जिस्म इतना गर्म और नरम था कि मैं पागल हो रहा था। लेकिन मैंने ज्यादा कुछ करने की हिम्मत नहीं की और वापस अपनी साइड पर आ गया।
फिर मैंने अपनी निक्कर में हाथ डाला और कंचन को देखते हुए मुठ मारने लगा। उसकी सोती हुई शक्ल, उसके होंठ, उसकी कमर, और वो बूब्स – सब कुछ मेरे दिमाग में घूम रहा था। मैं आँखें बंद करके अपने ख्यालों में खोया हुआ था कि तभी मुझे लगा कि किसी ने मेरी निक्कर के ऊपर से मेरा हांथा लिया। मैंने डरम से आँखें खोलीं तो कंचन जाग चुकी थी। उसका हात मेरी निक्कार पर था, और वो मुझे देखकर मुस्कुरा रही थी।
मैं घबरा गया और तुरंत बोला, “सॉरी, भाभी! गलती हो गई।” वो हँसते हुए बोली, “अरे, ठीक है। लेकिन बता, किसे सोचकर ये सब कर रहा था?” मैंने इंकार किया, “नहीं, भाभी कोई तो, बस यूँ ही मूड बन गया।” लेकिन वो जिद करने लगी। आखिर में मैंने हिम्मत करके बता दिया, “भाभी, आपके बूब्स देखकर मैं गरम हो गया था।”
वो जोर-जोर से हँसने लगी और बोली, “अच्छा? तो मैं अभी भी किसी को गरम कर सकती हूँ?” उसकी बात सुनकर मेरी हिम्मत और बढ़ गई। मैंने कहा, “कंचन, तुम तो इतनी सेक्सी हो कि किसी का भी मन डोल जाए।” नशे में वो भी खुलने लगी। उसने पूछा, “बता, मेरे जिस्म में और क्या-क्या सेक्सी लगता है?” मैंने कहा, “तुम्हारे होंठ, तुम्हारी पतली-सी कमर, वो नाभि जो साड़ी में दिखती है, और वो गोल कूल्हे। सब कुछ तो कमाल का है।”
मेरी बात सुनकर वो शरमाते हुए अपना सूट ऊपर उठाकर अपनी नाभि देखने लगी। उसकी गोरी कमर और गहरी नाभि देखकर मेरा लंड एकदम खड़ा हो गया। कंचन ने मेरी निक्कर की तरफ देखा और बोली, “अरे, कंट्रोल कर, निखिल। तेरा तो खड़ा हो रहा है।” मैं जोशे में आ गया और बोला, “कंट्रोल कैसे करूँ, भाभी? तुम हो ही इतनी हॉट।” इतना कहकर मैंने अपनी निक्कर नीचे सरकाई और उसके सामने मुठ मारने लगा।
कंचन ये सब देखकर हैरान थी, लेकिन उसकी आँखों में भी वासना साफ दिख रही थी। वो बोली, “पागल है तू। आ, मैं तुझे ठंडा कर देती हूँ।” मैं तुरंत उसके पास गया। उसने मेरी निक्कर पूरी तरह उतार दी और मेरे लंड को अपने मुलायम हात में लिया। वो उसे धीरे-धीरे हिलाने लगी। मैंने कहा, “भाभी, प्लीज, इसे थोड़ा मुँह में लो ना।” वो एक पल्का रुकी, कुछ सोचने लगी, फिर बोली, “ठीक है।”
उसने मेरे लंड को अपने होंठों से छुआ और फिर धीरे-धीरे उसे चूसने लगी। उसकी गर्म साँसें और नरम होंठ मेरे लंड पर लग रहे थे। मैं सातवें आसमान पर था। मैंने उसके बूब्स को सूट के ऊपर से दबाना शुरू किया। धीरे-धीरे मैंने उसका सूट ऊपर उठाया और उसकी ब्रा खोल दी। उसके गोरे, गोल बूब्स मेरे सामने थे। मैंने एक निप्पल को मुँह में लिया और जोर-जोर से चूसने लगा।
कंचन के मुँह से हल्की-सी सिसकारियाँ निकल रही थीं। मैंने उसकी सलवार की डोरी खींची, लेकिन उसने मेरा हात रोक लिया। वो बोली, “नहीं, निखिल। बस इतना ही। इससे ज्यादा नहीं।” मैंने कहा, “प्लीज, भाभी। अब मुझसे रुका नहीं जा रहा।।।” वो थोड़ा हिचकिचाई, लेकिन नशे में उसका भी मन डोल रहा था। आखिर में उसने अपना हात हटा लिया।
मैंने उसकी सलवार उतारी। उसने काली जाली वाली पेंटी पहनी थी, जो पूरी तरह गीली हो चुकी थी। मैंने पेंटी उतारी तो उसकी चूत की खुशबू पूरे कमरे में फैल गई। मैंने अपना लंड उसके मुँह से निकाला और उसकी चूत चाटने लगा। उसकी चूत इतनी रसीली थी कि मैं पागल हो गया। कंचन भी गरम हो चुकी थी। वो बोली, “बहरनचोद, और जोर से चाट।” उसकी गालियाँ सुनकर मेरा जोश और बढ़ गया। मैंने उसके कूल्हों पर थप्पड़ मारे, जिससे वो लाल हो गए।
वो और गरम होकर गालियाँ देने लगी, “साले, कुत्ते, कितना चूसेगा? अब तो डाल दे न! मेरी चूत फट रही है।” मैंने उसके कूल्हों को और जोर से थप्पड़ा मारा और उसकी चूत को चाटता रहा। वो चिल्लाई, “बस कर, साले! अब डाल दे। मुझसे बरदा। नहीं हो रहा।”
मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रखा और एक जोर का झट्टका दिया। उसकी चूत इतनी टाइट थी कि मेरा लंड एक बार में पूरा अंदर चला गया। कंचन उछल पड़ी और लंड बाहर निकल गया। वो बोली, “आह्ह, धीरे कर, निखिल। तेरा लंड बहुत मोटा है। दर्द हो रहा है।” मैंने उसे कसकर पकड़ा और फिर धीरे-धीरे लंड अंदर डाला। अब मैं धीमे-धीमे झटके दे रहा था।
कंचन सिसकियाँ ले रही थी, “आह्ह, साले, धीरे कर। मैं तेरी भाभी हूँ, कोई रंडी नहीं।।। उह्ह, माँ मरी, थोड़ा धीरे।।” लेकिन उसकी गालियाँ मुझे और उकसा रही थीं। मैंने उसकी कमर पकड़ी और रफ्तार बढ़ा दी। बीच-बीच में उसके कूल्हों पर थप्पड़ मारता तो वो चिल्लाती, “साले, मत मार! मेरे कूल्हे लाल हो गए। अंकुर को पता चल जाएगा।।। आह्ह, धीरे, प्लीज।।।”
वो मोन कर रही थी, “उह्ह, साले, और जोर से।।।। मेरी चूत को फाड़ दे।।। आह्ह, बहनचोद, कितना मोटा है तेरा लंड।।।” मैं और तेज हो गया। वो चिल्लाई, “आह्ह, मैं झड़ने वाली हूँ।।। निखिल, और जोर से।।।।। आईई!” वो झड़ गई और ढीली पड़ गई।
दो मिनट बाद मैं भी झड़ने वाला था। मैंने पूछा, “कहाँ छो डूँ?” वो बोली, “कहीं भी, बस जल्दी कर। मेरी चूत दुख रही है।।” मैंने रफ्तार बढ़ाई और आखिरी वक्त पर लंड उसकी चूत से निकालकर उसके मुँह में डाल दिया। मैं उसके मुँह में ही झड़ गया, और उसने मेरा सारा माल पी लिया।
हम दोनों थककर बेड पर लेट गए। दो घंटे बाद कंचन ने मुझे जगाया। वो किचन में चाय बना रही थी, सिर्फ वही काली पेंटी पहने हुए। हमने नंगे ही बैठकर चाय पी। अंकुर दो दिन बाद आने वाला था। उन दो दिनों में हमने जमकर मस्ती की। कभी किचन में, कभी बाथरूम में, तो कभी बेड पर। कंचन की चूत और उसके बूब्स ने मुझे दीवाना बना दिया।
तो दोस्तों, ये थी मेरी और कंचन की मसालेदार कहानी। आपको ये कहानी कैसी लगी? कमेंट में जरूर बताएँ और ऐसी ही मस्ती भरी कहानियाँ पढ़ने के लिए बने रहें!