कार में भाभी ने खड़े लंड पर हाथ रख दिया

मेरा नाम नवीन है, और मैं सिवान का रहने वाला हूँ। मेरी उम्र 23 साल है, रंग साफ है, और दिखने में ठीक-ठाक हूँ। मेरा लंड 7.5 इंच का है, और आज मैं तुम्हें अपनी ताजा चुदाई की कहानी सुनाने जा रहा हूँ। ये बात कोई 15 दिन पुरानी है, जब मैं अपने अंकल के घर रांची गया था। वहाँ मुझे किसी काम से दो दिन रुकना पड़ा। तीसरे दिन, जब मुझे सिवान वापस लौटना था, मेरे अंकल के पड़ोस में रहने वाली एक भाभी को भी सिवान जाना था। उनकी शक्ल-सूरत ऐसी थी कि कोई भी देखे, तो लंड तन जाए। नाम था सुनीता, और वो थी एकदम माल।

आंटी ने मुझसे कहा, “नवीन, सुनीता को सिवान छोड़ देगा ना? वैसे भी तू अकेला जा रहा है, कार में बोरियत हो जाएगी।” मैंने तुरंत हामी भर दी, “हाँ, आंटी, कोई दिक्कत नहीं। भाभी जी, आप तैयार हो जाइए, मैं छोड़ दूँगा।” सुनीता ने मुस्कुराते हुए कहा, “मैं तो बिल्कुल तैयार हूँ, चलो।” बस, फिर क्या था, हम दोनों कार में बैठे और रांची से सिवान की ओर निकल पड़े।

सुनीता को देखकर मेरी आँखें फटी की फटी रह गईं। उम्र 34-35 की थी, लेकिन लगती थी 27-28 की। पतली कमर, गोल-मटोल गांड, और बूब्स तो ऐसे कि साड़ी के ऊपर से ही लंड खड़ा कर दें। उसका फिगर शायद 36-30-38 होगा। काली साड़ी में वो और भी कयामत ढा रही थी। ब्लाउज बिना बाजू का, पीछे से गहरा गला, और सामने से बूब्स की क्लीवेज साफ दिख रही थी। उसका गोरा बदन, गदराया हुआ जिस्म, और चेहरा ऐसा कि किसी का भी दिल धड़क जाए।

रास्ते में हमारी बातचीत शुरू हो गई। पहले तो इधर-उधर की बातें हुईं, लेकिन मेरी नजरें बार-बार उसके बूब्स पर अटक रही थीं। मन में लड्डू फूट रहे थे, और मैं सोच रहा था, “काश, इसे छूने का मौका मिल जाए।” धीरे-धीरे मैं मौका देखकर उसकी जांघों को हल्का-हल्का टच करने लगा। तभी सुनीता ने अचानक पूछा, “नवीन, तेरी कितनी गर्लफ्रेंड हैं?”

मैं थोड़ा हड़बड़ा गया, लेकिन हँसते हुए बोला, “सुनीता जी, मैं तो बिल्कुल सिंगल हूँ।” वो हँसी, “झूठा! मुझसे क्यों झूठ बोल रहा है?” मैंने कहा, “सच बोल रहा हूँ, भाभी। मुझे ऐसी लड़की चाहिए जो प्यार करे, मेरी हर बात माने, और जो मैं कहूँ, वो करे। ऐसी अब तक मिली नहीं।” सुनीता ने शरारती अंदाज में कहा, “अच्छा जी, इतनी डिमांड?”

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थोड़ी देर बाद मैंने एक दुकान पर कार रोकी। कोल्ड ड्रिंक, स्नैक्स, और कुछ खाने का सामान लिया। सुनीता को दिया, और हम फिर से निकल पड़े। मैंने कैप्री और टी-शर्ट पहनी थी, और सुनीता की काली साड़ी तो बस जान ले रही थी। अचानक उसकी कोल्ड ड्रिंक की बोतल मेरी साइड नीचे गिर गई। वो उसे उठाने झुकी, और उसकी गर्म साँसें मेरी जांघों पर लगीं। मेरा लंड तुरंत खड़ा हो गया। मन में आया, “बस, अब तो इसे चोद ही डालूँ।”

मैंने बातों-बातों में उसे फंसाना शुरू किया। तभी सुनीता ने अचानक पूछा, “नवीन, एक बात सच-सच बता। तू इसे काम में लेता है ना?” मैं चौंक गया, “क्या, भाभी?” उसने बिना हिचके मेरे तने हुए लंड पर हाथ रख दिया और धीरे-धीरे सहलाने लगी। मेरी साँसें तेज हो गईं। मैंने कार की स्पीड 100 से 60 कर दी। सुनीता मेरी तरफ झुकी, मेरी गर्दन पर किस किया, और फिर चूमते-चूमते मेरे लंड को और जोर से दबाने लगी। मेरा लंड अब लोहे की तरह सख्त हो चुका था।

उसने मेरी कैप्री नीचे सरकाई और अंडरवियर के ऊपर से मेरे लंड को चूमा। मैंने एक हाथ उसके बूब्स पर रखा और दबाने लगा। सुनीता ने बिना टाइम वेस्ट किए मेरा अंडरवियर भी उतार दिया। मेरे लंड को देखकर उसका मुँह खुला रह गया। वो बोली, “हाय राम, नवीन! इतना लंबा, मोटा लंड! इसे तो मैं आज लॉलीपॉप की तरह चूसूँगी।” मैं कुछ बोल पाता, उससे पहले उसने मेरा लंड मुँह में ले लिया और जोर-जोर से चूसने लगी। “उम्म्म… हम्म्म…” उसकी सिसकियाँ और चूसने की आवाज से मेरा दिमाग खराब हो रहा था। मैं उसके बूब्स को जोर-जोर से मसल रहा था।

पाँच मिनट बाद मैंने एक सुनसान जगह देखी। एक बड़ा सा पेड़ था, वहाँ कार रोक दी। एसी को तीसरे नंबर से दूसरे पर किया। सुनीता की सीट को पीछे खिसकाया, ताकि हम आराम से पीछे जाएँ। हम दोनों एक-दूसरे पर टूट पड़े। फ्रेंच किस शुरू हो गया। उसकी जीभ मेरी जीभ से खेल रही थी। मैंने उसकी साड़ी का पल्लू हटाया। उसके बूब्स देखकर मेरा लंड और तन गया। गोरे, रसीले बूब्स, और काले निप्पल। मैंने उसका ब्लाउज फाड़कर उतार दिया, ब्रा भी निकाल फेंकी।

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15 मिनट तक मैं उसके बूब्स को चूसा, निचोड़ा, और काटा। सुनीता सिसक रही थी, “आह्ह… नवीन… और जोर से… उफ्फ…” फिर मैं नीचे गया, उसकी नाभि को चूमा, और साड़ी को ऊपर उठाया। उसकी जांघें इतनी मुलायम थीं कि मेरा लंड फटने को हो गया। मैंने उसकी पैंटी उतारी। उसकी चूत एकदम साफ, गुलाबी, और गीली थी। मैंने बिना कुछ सोचे उसकी चूत पर मुँह रख दिया। मेरी जीभ उसकी चूत की गहराई में जा रही थी। सुनीता चिल्ला उठी, “आह्ह… नवीन… ये क्या कर रहा है… उफ्फ… मेरे पति ने तो कभी ऐसा नहीं किया… आह्ह… चूस इसे… खा जा… हम्म्म…”

वो मेरे बाल पकड़कर मेरे मुँह को अपनी चूत पर दबा रही थी। मैं उसकी चूत को चाटता रहा। 10 मिनट बाद उसकी चूत ने नमकीन रस छोड़ा। मैंने सारा रस पी लिया। सुनीता कराह रही थी, “आह्ह… उफ्फ… नवीन… तूने मुझे स्वर्ग दिखा दिया…” मैंने फिर भी उसकी चूत चाटी। फिर सुनीता उठी, मुझे लेटाया, और मेरे ऊपर आ गई। उसने मेरे होंठ चूमे, मेरी गर्दन, फिर मेरी टी-शर्ट ऊपर की और मेरी छाती को चूमने लगी। नीचे जाकर उसने मेरा लंड फिर से मुँह में लिया। 15 मिनट तक वो लंड को चूसे।

मैंने कहा, “सुनीता, मेरा निकलने वाला है।” वो बोली, “नवीन, मैंने आज पहली बार लंड चूसा है। मुझे तेरा वीर्य पीना है।” वो और जोर से चूसने लगी। दो मिनट में मेरा लंड उसके मुँह में झड़ गया। उसने सारा वीर्य पी लिया और लंड को चूस-चूसकर साफ कर दिया। फिर हम 69 की पोज़िशन में आए। मैं उसकी चूत चाट रहा था, और वो मेरा लंड। मैंने उसकी चूत में एक उंगली डाली, फिर दो। सुनीता चिल्लाई, “आह्ह… नवीन… बस, अब चोद दे… मेरी चूत फाड़ दे… उफ्फ…”

मैंने उसकी चूत पर लंड टिकाया और रगड़ने लगा। उसने अपने पैर मेरे कंधों पर रखे। मैंने। मैंने एक हल्का सा धक्का मारा। उसकी गीली चूत में आधा लंड घुस गया। सुनीता चीखी, “आय… धीरे… उफ्फ…” मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रखे और फ्रेंच किस शुरू किया। थोड़ी देर बाद एक और ज़ोर का झटका मारा। मेरा पूरा लंड उसकी चूत में समा गया। सुनीता की आँखें बंद थीं, और वो सिसक रही थी। मैंने धीरे-धीरे चुदाई शुरू की।

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कुछ देर बाद सुनीता भी मेरा साथ देने लगी। वो अपनी गांड उछाल-उछालकर चुद्वा रही थी। मैंने उसके पैर नीचे किए और जोर-जोर से चुदाई शुरू की। फिर उसे डॉगी स्टाइल में किया। सुनीता चिल्ला रही थी, “आह्ह… नवीन… और ज़ोर से… मेरी चूत फाड़ दे… उफ्फ…” कार में म्यूज़िक चल रहा था, और मेरी जांघें उसकी गांड से टकराने की “पच-पच” की आवाज़ आ रही थी।

फिर मैंने सुनीता को मेरे ऊपर लिया। वो मेरे लंड पर सवार हो। बाई। अपने बूब्स दबाते हुए ऊपर-नीचे हो रही थी।। 10 मिनट बाद वो झड़ गई। उसका रस मेरे लंड को भिगो रहा था। मैंने उसे लेटाया, उसके पैर घुमाए, और धीरे-धीरे चुदाई जारी रखी। पाँच मिनट बाद मैंने कहा, “सुनीता, मेरा भी।” वो बोली, “मेरे मुँह में दे दे।” मैंने लंड निकालकर उसके हाथ में दिया। वो मुठ मारते हुए चूसने लगी। मैं उसके मुँह में झड़ गया। उसने सारा वीर्य पी लिया।

हम 20 मिनट तक एक-दूसरे की बाहों में लेटे रहे। फिर कपड़े ठीक किए और आगे की सीट पर आए। सुनीता रास्ते भर मेरे लंड से खेलती रही। सिवान पहुँचने से पहले उसने फिर मेरा लंड चूसा, और मेरा वीर्य पी लिया। उसने मेरा नंबर लिया और बोला, “नवीन, जब भी मैं बुलाऊँ, तुझे मेरे पास आना है।” मैंने वादा किया।

सिवान पहुँचकर मैंने उसे उसके घर के पास उतारा। वो मुस्कुराते हुए बाई बोली, और मैं अपने घर चला गया। अब सुनीता जब भी मौका मिलता है, मुझे कॉल करती है। हम बातें करते हैं, और अगली चुदाई के मौके का इंतज़ार करते हैं।

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