नमस्कार दोस्तों, मैं आज अपनी ही दूध वाली की बेटी की चुदाई की खानी सुनाने जा रहा हूँ जोकि कुछ महीने पहेली ही खिलकर फूल बनी होगी | दोस्तों मैं अक्सर ही अपनी दूध वाली अम्मा से तंग रहता था क्यूंकि वो हमेशा से अपने दुष् में किसी ना किसी बहाने मुझे पानी मिलाकर दिया करती थी | मैं भी फैसला किया की अब मैं उसके इस जुर्म का बदला पक्का लूँगा | मैं अक्सर ही दूध लेने अम्मा के पास सबसे पहले पहुँच जाया करता था और अम्मा को दूद निकालते हुए उस पर निगरानी रखा करता था | इसी बहाने मेरी नज़र एक दिन दूद वाली अम्मा की सबसे बड़ी अमानत पर पड़ी जोकि कोई और अनहि बल्कि उसकी की बेटी थी | मैंने अब अपना ध्यान सारा का सार अम की बेटी के उप्पर साधते हुए उससे पढाई के बारे में बातें करने लगता जिसपर आमा मुझसे देखती तो अपने जस्बातों को ब्यान ना कर पति | मेरे दिमाक मैं चल रहे बिगडेल इरादों को मेरे अलावा कोई और नहीं जानता था |
मैं अबसे जब भी दूध लेने आया करता तो उसकी बेटी को अपने पास ही बुला लिया आर्ट और उसी के सामने उसकी पति से चिपक – चिपक का बातें किया करता | अब धीरे – धेरे अम्मा की बेटी से मैं खूब अच्छी तरह घुल – मिल चूका था और यूँ समझ लो उसकी चुदाई करने के लिए भी अपने लंड को अच्छी तरह से तैयार कर चूका था | मैं एक समय शाम को नीचे अम्मा के घर के पास से ही गुज़र रहा था तो मैंने उसकी बेटी को देखा और ज़ल्दी से किसी बहाने उसे अपने साथ आगे को ले आया | मैंने जान – बुझ कर पहले उसे कुछ महगी सी चीज़ खिला दि ताकि वो मेरे काबू में पूरी तरह से आ जाये | मैंने अब फटाफट उसी वहीँ की पास वाले कबाड़खाने के पीछे ले गया और कुछ जादू दिखाने के बहाने उसकी टॉप को उतारने लगा जिसपर उसने पहले मुझे टोक दिया |
मैंने अब हार ना मानते हुए उसके हाथ को पकड़ा और धीमे – धीमे अपनी प्यारी उँगलियों से शेलाने शुरू कर दिया जिससे अब व मुझे रोक नहीं पा रही थी | अब मैंने उसके होठों को साफ़ करने के बहाने पहले अपने होठों से लगा लिया और अचनक से अपने मुंह को फाड़ते हुए उसके होठों को चूसने लगा | अब दूद वाली अम्मा की बेटी को मज़ा आ रहा था इसीलिए उसने मुझे रोकना मुनासिफ नहीं समझा | मैं अब उसकी बेटी के होठों को चूसते हुए उसके चुचों के उभार पर उंगलियां फिराते हुए चुचों को दबाने लगा जिसपर उसकी ग्राम सासें छूट पड़ी | मैंने अब कुछ पल में उसे नागी हो जाने को कहा और वो हो भी गयी क्यूंकि उसे सिर्फ मज़ा आ रहा था और आगे होने वाले कांड के बारे में कुछ नहीं पता था |
मैंने अब उसकी चुचों को अपने हाथों में पकड खून निचोड़ा और फिर मुंह में भरकर पीने भी लगा | मैंने उसके एक टांग को उप्पर के पत्थर पर रख दी और फ़ौरन से अपनी उँगलियों की सहारे उसकी चुत पर थूक लगते हुए उसकी चुत में अपने लंड को टिका दिया | मैं फ़ौरन ही अपना लंड का धक्का उसकी चुत में उछालते हुए मारा जिसपर उसे पहले दर्द हुआ पर बाद में मेरे लंड के धक्कों को चिपककर लेने लगी | मैं उस परम आनंद में चूर हो चूका था और उस पूरे समय अम्मा की बेटी के चुचों को निचोड़ते हुए उसकी चुत मारता चला गया |
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