मेरा नाम इशवी है। मैं 32 साल की हूँ, पुणे में रहती हूँ। मेरा रंग गोरा है, लंबाई 5 फीट 4 इंच, और बदन भरा हुआ, जिसे देखकर मोहल्ले के मर्द आहें भरते हैं। मेरे मम्मे 36C के हैं, और मेरी गोल-मटोल गाँड हर किसी का ध्यान खींच लेती है। मेरे पति मधुर, 35 साल के हैं, सॉफ्टवेयर इंजिनियर, रंग सांवला, कद 5 फीट 10 इंच, और बदन तगड़ा। वो मुझे हर रात तरह-तरह से चोदते थे, जिससे मेरी चूत हमेशा तृप्त रहती थी। हमारे दो बच्चे हैं, 8 और 10 साल के, जो स्कूल में अच्छा कर रहे हैं। धीरज, हमारा नौकर, 18 साल का जाट छोरा है, बिजनौर का रहने वाला। उसका कद 5 फीट 8 इंच, रंग गेहुंआ, और बदन मजबूत, गाँव की मेहनत से तराशा हुआ। उसकी आँखों में भोलापन है, लेकिन उसका जवान लंड मेरी वासना को भड़काने के लिए काफी था।
मैं आपको अपनी सेक्सी कहानी सुना रही हूँ, जो मेरे नाजायज़ रिश्ते की है। कई दिनों से सोच रही थी कि ये बात आपसे बाँटूँ। मेरे पति मधुर एक प्राइवेट कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजिनियर थे। हम पुणे में मजे से रह रहे थे। बच्चों की पढ़ाई अच्छे स्कूलों में चल रही थी, सोसाइटी में मेरी सहेलियाँ थीं, और जिंदगी सेट थी। लेकिन पाँच साल बाद मधुर का ट्रांसफर हैदराबाद हो गया। मैं बहुत नाखुश थी। पुणे में मेरा सब कुछ था। मधुर ने अपने बॉस से ना-नुकुर की, लेकिन बॉस ने कहा, “दो लाख महीना सैलरी मिलती है, कंपनी के हिसाब से चलना पड़ेगा।” मधुर बेमन से चले गए।
घर के काम के लिए मधुर ने धीरज को रखा। धीरज जवान, मेहनती, और भोला था। पति के जाने के बाद मैं उदास रहने लगी। कई हफ्ते रोती रही। मधुर मुझे बहुत प्यार करते थे, और हर रात मुझे चोदकर तृप्त करते थे। उनका 7 इंच का मोटा लंड मेरी चूत को हर बार जन्नत की सैर कराता था। लेकिन अब वो दूर थे। पैसा कमाना जरूरी था, तो मैंने खुद को संभाला।
मैं मोहल्ले की सहेलियों के साथ किटी पार्टी में जाने लगी। धीरज बहुत मददगार था। सुबह 6 बजे आता, बच्चों का नाश्ता बनाता, उन्हें स्कूल छोड़ता, और घर का सारा काम करता। वो “जी बीबीजी!” कहकर हर काम चटपट कर देता। धीरे-धीरे हमारी बातें बढ़ने लगीं।
एक दिन हँसी-मजाक में मैंने पूछा, “धीरज, तू इतना जवान है, शादी क्यों नहीं करता?”
उसने उदास होकर कहा, “बीबीजी, हमारे सिर पर 5 लाख का कर्ज है। बापू की दवा में सब चला गया। उधार लिया, फिर भी वो नहीं बचे।” उसकी आँखें भीग गईं।
“मैं समझ सकती हूँ,” कहकर मैंने उसके मजबूत कंधे पर हाथ रखा।
“तो क्या, तेरी कोई गर्लफ्रेंड भी नहीं?” मैंने मूड हल्का करने को पूछा।
“नहीं बीबीजी, हमको लड़कियों से शरम आवत है,” उसने गाँव की बोली में कहा। मैं हँस पड़ी।
पति के जाने के बाद धीरज मेरा हमदर्द बन गया। बच्चों को हँसाता, उनके साथ खेलता, उनके हाथ से खाना खिलाता। मैं मधुर को फोन पर बताती कि धीरज कितनी अच्छी तरह बच्चों को संभाल रहा है। वो भी खुश थे। लेकिन मेरे अंदर कुछ बदल रहा था।
हर रात, जहाँ मैं मधुर के साथ तरह-तरह की चुदाई करती थी, अब मैं अकेले बेडरूम में धीरज की कल्पनाएँ करने लगी। मैं नाइटी उतारकर नंगी हो जाती, डिल्डो अपनी चूत में डालती, और धीरज को याद करती। “आह्ह… धीरज… तेरा लंड कितना मोटा होगा…” मैं सोचती और डिल्डो से खुद को चोदती। मेरी चूत गीली हो जाती, और मैं सिसकारियाँ भरती, “उह्ह… हाँ… पेल मुझे…” हर रात यही करती। धीरज को सोचकर उंगली करने से मुझे सुख मिलता, लेकिन मेरी वासना और भड़क रही थी।
उसके 18 साल के जवान लंड का स्वाद कैसा होगा, ये सोचकर मैं पागल हो रही थी। कई बार उंगली करते-करते मेरा बदन जलने लगता, और मैं ठंडे पानी से नहाने चली जाती। मेरी चुदास शांत होने का नाम नहीं ले रही थी। मधुर पैसे भेजते थे, लेकिन मेरी चूत को लंड की जरूरत थी। मैं धीरज के लिए जुनूनी हो गई। मैं उसका जवान शरीर भोगना चाहती थी। मैंने ठान लिया कि मुझे उसका लंड चाहिए, चाहे कुछ भी हो जाए।
अगली रात, खाना खाने के बाद धीरज बच्चों को सुलाने गया। वो अपने घर जाने लगा तो मैंने आवाज लगाई, “धीरज!”
“जी बीबीजी, हुकुम?” वो बोला।
“मेरे पैरों में दर्द है, जरा दबा दे,” मैंने कहा।
“जी बीबीजी!” वो मेरे बेडरूम में आ गया। मैंने लाल रंग की पारदर्शी नाइटी पहनी थी, जिसके नीचे मेरी काली ब्रा और पैंटी साफ दिख रही थी। धीरज मेरे पैर दबाने लगा। उसका स्पर्श मेरी चूत में सनसनी पैदा कर रहा था। “आह्ह…” मैं धीरे से सिसकारी। लेकिन मुझे पैर नहीं दबवाने थे। मुझे उसका लंड चाहिए था।
“धीरज, जरा ऊपर दबा,” मैंने कहा। वो मेरी जाँघों पर हाथ ले गया। मैंने जान-बूझकर नाइटी और ऊपर खींच ली। मेरी गोरी, मोटी जाँघें नंगी हो गईं। धीरज मेरे बदन को देख रहा था, लेकिन कुछ करता नहीं था। मैं चाहती थी कि वो मुझे पकड़ ले और चोद दे। लेकिन वो भोला था। आखिरकार, मैंने उसे अपनी बाहों में खींच लिया।
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“धीरज, मेरी प्यास बुझा दे! मैं कबसे तुम्हारे लिए तड़प रही हूँ!” मैंने कहा।
वो हड़बड़ा गया। “नहीं बीबीजी! आप मेरी मालकिन हैं, मैं ये कैसे कर सकता हूँ?” उसका चेहरा पसीने से भीग गया।
“धीरज, तुम मुझे मना नहीं कर सकते! मुझे तुम्हारा लंड चाहिए!” मैं गुस्से में चिल्लाई।
“नहीं बीबीजी!” वो डरकर कमरे से भाग गया। मैं पीछे गई, लेकिन वो अपने घर चला गया। मैं गुस्से से आगबबूला हो गई। मैं उसकी मालकिन थी, और वो मेरी बात टालकर चला गया!
अगले दिन जब वो आया, मैंने उसका हिसाब कर दिया। “धीरज, तू अब यहाँ काम नहीं करेगा!”
“नहीं बीबीजी, मुझे मत निकालो! मुझे पैसों की जरूरत है!” वो मिन्नतें करने लगा।
“मैं तुझे काम पर रखूँगी, लेकिन जो काम तूने कल अधूरा छोड़ा, वो पूरा करना होगा। जब मैं बुलाऊँ, तुझे मेरे कमरे में आना होगा!” मैंने साफ कहा। वो चुप हो गया। उसे पैसों की जरूरत थी, और मैंने उसे पकड़ लिया था।
रात को मैंने धीरज को इशारा किया, “बच्चों को सुला दे और मेरे कमरे में आ।” रात 10 बजे वो मेरे बेडरूम में आया। मैंने वही लाल पारदर्शी नाइटी पहनी थी। मेरे मम्मे ब्रा में उभरे हुए थे, और मेरी चूत पैंटी में गीली थी। मैं बेड पर बैठी थी। धीरज मेरे पास आया। मैंने उसकी शर्ट के बटन खोलने शुरू किए। उसका नंगा सीना मेरे सामने था। उसका 18 साल का जवान बदन चमक रहा था।
“मेरे मम्मे चूस, धीरज!” मैंने आदेश दिया।
“जी बीबीजी!” वो बोला और मेरी नाइटी के ऊपर से मेरे मम्मों को दबाने लगा। मैंने ब्रा उतारी, और मेरे 36C के मम्मे आजाद हो गए। धीरज ने मेरे गुलाबी निप्पल मुँह में लिए और चूसने लगा। “आह्ह… हाँ… चूस… और जोर से…” मैं सिसकारियाँ भर रही थी। तीन महीने से मेरी चूत ने कोई लंड नहीं देखा था। धीरज के होंठ मेरे निप्पलों पर रगड़ रहे थे। वो मेरे मम्मों को दबाता और चूसता।
“धीरज, घबराओ मत। मुझे अपनी बीवी समझ और चोद मुझे!” मैंने कहा। वो पहले शरमा रहा था, लेकिन अब वो मेरे मम्मे मजे से पी रहा था। मैंने नाइटी पूरी उतार दी और सिर्फ पैंटी में थी। मेरी चूत गीली होकर पैंटी को भिगो रही थी। धीरज मेरे ऊपर लेट गया। मैंने उसकी पैंट खोली। उसका 8 इंच का मोटा लंड बाहर निकला, जो बिल्कुल तना हुआ था। मैंने उसे हाथ में लिया और सहलाने लगी। “उह्ह… बीबीजी…” धीरज सिसकारा।
मैंने उसकी पैंट और चड्डी पूरी उतार दी। अब वो बिल्कुल नंगा था। मैंने अपनी पैंटी भी उतार दी और पूरी नंगी हो गई। “धीरज, मेरी चूत चाट!” मैंने कहा। वो मेरी जाँघों के बीच आ गया। उसने मेरी चूत को चाटना शुरू किया। “आह्ह… ओह्ह… हाँ… चाट… मेरी चूत को चूस ले…” मैं सिसकार रही थी। उसकी जीभ मेरी चूत के दाने पर रगड़ रही थी। वो एक उंगली मेरी चूत में डालकर अंदर-बाहर करने लगा। “उह्ह… और तेज… धीरज…” मेरी सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं।
“बीबीजी, अब पेलूँ?” उसने भोलेपन से पूछा।
“हाँ, बुद्धू! आज मैं तेरी बीवी हूँ, चोद मुझे!” मैंने कहा। वो मेरी चूत पर आया और अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ने लगा। “आह्ह… डाल दे… जल्दी…” मैं तड़प रही थी। उसने धीरे से अपना लंड मेरी चूत में डाला। मेरी चूत पहले से फटी थी, तो उसका मोटा लंड आसानी से अंदर चला गया। “फच… फच…” की आवाज कमरे में गूँजने लगी।
“आह्ह… धीरज… चोद… और जोर से…” मैं चिल्ला रही थी। वो मेरे मम्मों को मसल रहा था और धक्के मार रहा था। “शाबाश धीरज! मैं तेरी तनख्वाह 1000 बढ़ा दूँगी!” मैंने कहा। वो और जोश में आ गया। “रे रंडी, ले मेरा लंड!” वो बोला और जोर-जोर से पेलने लगा। बेड चरमराने लगा, “चट्ट… चट्ट…” की आवाज कमरे में गूँज रही थी। “उह्ह… हाँ… चोद… मेरी चीखें निकाल दे…” मैं सिसकार रही थी।
उसने रफ्तार बढ़ाई। “फच… फच… फच…” उसका लंड मेरी चूत को रगड़ रहा था। “आह्ह… धीरज… और तेज… मेरी चूत फाड़ दे…” मैं चिल्लाई। वो मेरे मम्मों को कसकर दबा रहा था। उसने मेरे गाल पर दो तमाचे मारे। “ले रंडी, अपने पति के बिना मेरा लंड ले!” वो गुस्से में बोला। मुझे गालियाँ सुनकर और मजा आ रहा था। “हाँ… चोद मुझे… तुझे तेरे बाप की कसम!” मैंने कहा।
वो और जोर से पेलने लगा। मेरी चूत गीली थी, और उसका लंड हर धक्के में अंदर-बाहर हो रहा था। “आह्ह… उह्ह… ओह्ह…” मेरी सिसकारियाँ तेज हो रही थीं। बेड की चरमराहट और मेरी चीखें मिलकर कमरे को चुदाई के माहौल से भर रही थीं। “धीरज, मेरी गाँड भी मार!” मैंने कहा।
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उसने अपना लंड मेरी चूत से निकाला और मुझे पलट दिया। मैं घुटनों के बल हो गई। उसने मेरी गाँड पर थूक लगाया और अपना लंड मेरी गाँड में डालने की कोशिश की। “आह्ह… धीरे… उह्ह…” मैं सिसकारी। उसका लंड मेरी टाइट गाँड में धीरे-धीरे घुसा। “फच… फच…” की आवाज शुरू हो गई। “उह्ह… धीरज… मार मेरी गाँड…” मैं चिल्ला रही थी। वो मेरी कमर पकड़कर जोर-जोर से धक्के मार रहा था।
“ले रंडी, तेरी गाँड भी फाड़ दूँगा!” वो बोला। मेरी गाँड में उसका लंड अंदर-बाहर हो रहा था। “आह्ह… हाँ… और जोर से…” मैं सिसकार रही थी। उसने मेरे बाल पकड़े और और तेज धक्के मारे। करीब 15 मिनट तक वो मेरी चूत और गाँड को बारी-बारी से पेलता रहा। “उह्ह… ओह्ह… चोद… मेरी चीखें निकाल दे…” मेरी आवाज काँप रही थी।
अब वो माल छोड़ने वाला था। उसने लंड निकाला और मेरे मुँह की तरफ किया। मैंने मुँह खोल दिया। “फुच… फुच्च…” उसका गर्म माल मेरे मुँह में गिरा। मैंने उसका सारा माल पी लिया। “आह्ह… धीरज… तेरा माल कितना गर्म है…” मैंने कहा। वो हाँफ रहा था।
हम दोनों बेड पर लेट गए। मेरी नाइटी और उसकी पैंट फर्श पर पड़ी थी। मेरी चूत और गाँड दोनों तृप्त थीं। “धीरज, अब तू जब भी बुलाऊँ, मेरी चुदाई करना,” मैंने कहा। वो मुस्कुराया और बोला, “जी बीबीजी।”
दोस्तों, ये थी मेरी नाजायज़ रिश्ते की कहानी। आपको कैसी लगी, कमेंट में जरूर बताएँ।
Kya aap roleplay karna janti hai?
Jis hisab se aap story likhti ho, us hisab se aapke sath roleplay karne me bhi bada maza aayega agar aap karna chahti hai to mujhe mail ya msg kare
gmail par
Shadishuda rand ki chut ki aag ke aage sab feeka hai .. randi jaise treat karo, unke jism se khelo .. lund chuswao unse aur fuddi chaato ..poori der ani bann jati hai