ये मेरी पहली सेक्सी कहानी है, आज आपको भी अपनी कहानी शेयर करने जा रहा हूँ। मेरा नाम कौशल है और मेरी बहन का नाम काव्या। काव्या दीदी मेरे से दो साल बड़ी है, यानी वो 22 साल की है और मैं 20 का। एक दिन की बात है पापा मम्मी दोनों ही दो दिन के लिए बाहर गए थे तभी ये हम दोनों के बीच सेक्स सम्बन्ध बन गया। पूरी कहानी आपको बता रहा हूँ।
जब मम्मी पापा घर से बाहर होते हैं, ज़िंदगी बिंदास हो जाती है। और हम दोनों की भी ज़िंदगी बिंदास हो गयी थी। हुआ ये कि परसों ही अचानक उन दोनों को मेरे मामा के यहाँ जाना पड़ गया तो घर में हम दोनों भाई-बहन ही थे।
शाम को बाहर से खाना मंगवा कर खा लिया और फिर हम दोनों नेटफ्लिक्स पर मोबाइल पर ही एक सेक्सी मूवी देखने लगे। हम दोनों एक ही बेड पर थे, रजाई भी ऊपर से डाले हुए थे क्योंकि सर्दी भी बहुत थी। हम दोनों के मन में ऐसा कोई भी इरादा या बात नहीं थी।
हम दोनों बस फिल्म को एन्जॉय कर रहे थे। पर मैं कब सो गया, पता ही नहीं चला। मैं गहरी नींद में चला गया था और मेरी बहन मूवी देखती रही जब तक खत्म नहीं हुआ। मेरी नींद अचानक खुल गयी और नींद खुलने का कारण भी था कि मेरी बहन मेरे साथ ही सो रही थी और वो मेरा लंड पकड़ कर हिला रही थी और सिसकारियाँ ले रही थी, “उम्म… आह्ह…”
उसने मेरे लंड को मेरे पेंट से बाहर निकाल लिया था और आराम से हिला रही थी। जैसे ही मुझे महसूस हुआ कि कोमल-कोमल हाथों से मेरे लंड को सहलाया जा रहा था और सेक्सी सिसकारियाँ ली जा रही थीं, जैसे मानो मिर्ची खा ली हो, “हाय… कितना मोटा है तेरा…”
ये सब होते देख मेरा लंड बड़ा होने लगा, मोटा और सख्त हो गया। मैंने अपने पेंट को और थोड़ा नीचे कर दिया ताकि मेरी बहन लंड को अच्छे से हाथ में लेकर मुठ मार सके। अब तो उधर भी आग लगी थी और इधर भी आग लग गयी थी, पर हम दोनों एक-दूसरे से कुछ भी नहीं बोल रहे थे।
सिर्फ दोनों की साँसें गरम-गरम चलने लगी थीं और साँसें तेज-तेज हो गयी थीं। मेरे से रहा नहीं गया तो मैंने अपनी बहन की चूचियों को पकड़ लिया और सहलाते हुए मैंने अपना होठ उसके होठ पर रख दिया। पहले तो वो अपने चेहरे को हटा ली और बोली, “नहीं कौशल… ये गलत है… हम भाई-बहन हैं…”
पर उसने फिर से अपने चेहरे को मेरे करीब लाया और मेरे होठ पर अपना होठ रख दिया। धीरे-धीरे हम दोनों एक-दूसरे के होठों को चूसने लगे। वो मेरे लंड को सहला रही थी, पकड़ रखी थी और मैं उसकी चूचियों को दबा रहा था और किस कर रहा था।
“उम्म… आह्ह… कितना मज़ा आ रहा है…” वो सिसकारी ले रही थी। दोनों की गरम-गरम साँसें एक-दूसरे से टकरा रही थीं और जब वो सिसकारियाँ लेती थी, मेरे रोम-रोम खड़े हो रहे थे। अजीब सी खुशबू और रूह थी उस समय हम दोनों में। अजब सा नशा हो रहा था, पहली बार ये सब हो रहा था।
ऐसा लग रहा था मेरे शरीर का एक-एक बाल, एक-एक अंग उस पल का आनंद ले रहा था। मैंने अपना हाथ उसके पेंट में डाल दिया और चूत को सहलाने लगा। मेरी बहन की चूत काफी गरम और गीली थी। मैंने उसमें उंगली डालनी शुरू की तो मेरी बहन और भी ज़्यादा सिसकारियाँ लेने लगी, “आह्ह… हाय… और डाल ना… कितना मज़ा आ रहा है…”
मैं एक हाथ से उसकी चूचियों को, एक से चूत को और होठों से उसके होठों को चूस रहा था। “ओह्ह… काव्या… तू इतनी गरम क्यों है…” मैंने कहा। वो बोली, “बस… तेरा लंड देखकर पागल हो रही हूँ…” क्या बताऊँ दोस्तों, अपनी ज़िंदगी में पहली बार ये सब महसूस और एक्सपीरियंस कर रहा था। मुझे अपनी जवानी का और एक लड़की की जवानी का एहसास हो रहा था।
पहले मैं समझता था कि आखिर लोग चूत के पीछे और लड़कियों की चूचियों के पीछे क्यों भागते हैं। सेक्स एक नशा होता है, जब एक बार लग जाए तभी आप दिन-रात किसी के बारे में सोचते हैं या चुदाई का मौका ढूंढते रहते हैं। अब दोनों तरफ तेज की आग लग रही थी और ये जिस्म की आग तभी बुझती जब एक-दूसरे को सेक्स का आनंद मिलता।
मैं सोच ही रहा था कि अब उसके ऊपर चढ़ जाऊंगा। तभी वो मेरा हाथ अपने पेंट से निकाल दी और रजाई से बाहर हो गयी। मुझे लगा कि सब कुछ गड़बड़ हो गया, सब कुछ बर्बाद हो गया। मैं कुछ भी नहीं कहा, अंधेरे में चुपचाप ये समझने की कोशिश कर रहा था कि आखिर हुआ क्या है।
तभी वो अपने सारे कपड़े खोल दी और बेड पर चढ़ गयी। रजाई हटा दी, मेरा पेंट जो कि घुटनों तक था, उसको पैरों से बाहर कर दी। मोबाइल का फ्लैश लाइट जलाकर दूसरी साइड कर दी ताकि थोड़ी-थोड़ी रोशनी हो। अब हम दोनों एक-दूसरे को हल्की रोशनी में देख पा रहे थे।
वो मेरे ऊपर चढ़ गयी और मुझे चूमने लगी, मेरे जिस्म को सहलाने लगी। इतनी सर्दी में भी हम दोनों को गर्मी लगने लगी थी। पहली चुदाई की गर्मी। मैंने पहली बार किसी नंगी लड़की को देखा तो पहले अच्छे से निहार रहा था। बड़ी-बड़ी सॉलिड गोल-गोल चूचियाँ, गदराया बदन, “ओह्ह… काव्या, तू तो जन्नत की हूर लग रही है…” मैंने कहा।
वो हंसकर बोली, “बस कर पागल… अब चोद भी दे… और कितना तड़पाएगा…” मैं मन ही मन सोच रहा था कि काश मुझे अपनी बहन की तरह ही बीवी मिले ताकि मैं ऐसे ही ज़िंदगी भर इतनी खूबसूरत लड़की की चुदाई करते रहूं। तभी मेरी बहन ने लंड को अपने हाथों से पकड़ा और थोड़ा उचक कर अपनी चूत पर सेट की। पहले रगड़ी चूत पर, “उम्म… कितना सख्त है तेरा लंड…” फिर सेट की और फिर हौले-हौले से दबाब देती गयी और पूरा का पूरा लंड अपनी चूत में अंदर ले लिया।
“आह्ह… हाय… कितना बड़ा है…” वो सिसकारी। अब हम दोनों के शरीर में एक अजीब सी सिहरन होने लगी। मैंने तुरंत ही उसकी दोनों चूचियों को दबोच लिया और निप्पल को अपनी हाथों की दोनों उंगलियों से मसलने लगा। “हाय… दबा ना… और जोर से…” वो चिल्लाई। अब तो वो झटके पर झटके देने लगी, गांड को घुमा-घुमा कर।
हम दोनों आपस में कुछ भी नहीं बोल रहे थे, बस हम दोनों का जिस्म एक-दूसरे का हो चुका था और चुदाई जारी थी। वो ऊपर से धक्के देती, मैं नीचे से धक्के देता। “फच… फच… चट… चट…” कमरे में हल्की रोशनी और चुदाई की आवाज़ गूंज रही थी। मेरी बहन कभी-कभी “हाय… हाय… चोद ना…” करती और जोर-जोर से धक्के देती। मैंने इशारे से उसको नीचे आने को कहा। अब वो नीचे हो गई और मैं ऊपर चढ़ गया।
दोनों टांगों को अलग-अलग किया, फिर उसकी चूत के रस को चाटा। “उम्म… कितना टेस्टी है…” मैंने कहा। फिर अपना लंड उसकी चूत पर लगाया और जोर-जोर से धक्के देना शुरू कर दिया। “आह्ह… हाय… और जोर से… फाड़ दे मेरी चूत…” वो चिल्ला रही थी। करीब आधे घंटे में ही हम दोनों झड़ गए। “उम्म… आह्ह… कितना माल निकला तेरा…” वो बोली। फिर एक-दूसरे को पकड़ कर सो गए।
सुबह उठे तो देखा वो मुझे पकड़ कर सोयी हुई थी। “ओह्ह… काव्या…” मैंने उसके होठों को फिर बूब्स को चूसना शुरू कर दिया। वो जागी और बोली, “पागल… सुबह-सुबह फिर चुदाई चाहिए…” और फिर सुबह एक बार फिर चुदाई की। फिर क्या दोस्तों, आज दो दिन से चुदाई ही चुदाई।
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