मेरा नाम अनीता है। मैं 21 साल की हूँ, और मेरी शादी 9 दिसंबर को हुई थी। मैं उत्तरप्रदेश के एक छोटे से गाँव की रहने वाली हूँ, जहाँ लोग आज भी रूढ़ियों में बँधे हैं, पर मेरे दिल में आग थी, ख्वाहिशों की आग। आज मैं आपको अपनी एक सच्ची कहानी सुनाने जा रही हूँ, जो मेरे साथ हुई और मेरी ज़िंदगी को हमेशा के लिए बदल दिया। मैं हॉट हूँ, सुंदर हूँ, मेरी कसी हुई कमर और भरे हुए जिस्म को देखकर गाँव के मर्दों की आँखें फिसल जाती थीं। मेरे घर में मैं, मेरा पति, और मेरे ससुर जी हैं।
मेरी सास तो आज से दस साल पहले ही किसी और मर्द के साथ भाग गई थी। सुनने में आया कि उसने दूसरी शादी कर ली। ससुर जी फौज में हैं, तगड़े बदन वाले, गोरे-चिट्टे, और जवानी अभी भी उनके चेहरे पर चमकती है। मेरे पति का गाँव में ही कपड़े का दूकान है, वो दिन-रात उसी में जुटे रहते हैं। आज मैं आपको बताऊँगी कि ऐसा क्या हुआ कि मेरी शादी के दूसरे दिन ही ससुर जी ने मुझे रात भर चोदा, और मैं मना भी नहीं कर पाई, क्योंकि गलती मेरी ही थी। मेरी चूत की प्यास ने मुझे ऐसा रास्ता दिखाया, जो शायद मैंने कभी सोचा भी नहीं था।
दोस्तों, शादी की रात मेरे पति ने मुझे कोई कसर नहीं छोड़ी। वो मुझे बिस्तर पर ले गए और जमकर चोदा। मैं भी पूरी चुदक्कड़ बन गई, हर धक्के का जवाब अपनी गांड हिलाकर दे रही थी। “आह्ह… जान… और जोर से… मेरी चूत फाड़ दो,” मैं चिल्ला रही थी। पति ने एक कामसूत्र की किताब खरीदी थी, और उसमें लिखे हर तरीके को आजमाया। मिशनरी से लेकर डॉगी स्टाइल तक, हमने सारी रात चुदाई की। मेरी चूत पानी-पानी हो गई थी, और मैं थककर चूर हो गई थी, पर मन में एक अजीब सी तृप्ति थी।
लेकिन दोस्तों, शादी को अभी चार दिन ही हुए थे कि मुझे चुदाई का ऐसा चस्का लग गया, जैसे कोई नशा हो। मुझे लंड से प्यार हो गया था, पति से नहीं। पति तो दिन में एक-दो बार ही चोद पाते थे, पर मेरी चूत को तो हर वक्त लंड चाहिए था। दिन में तीन-चार बार चुदाई के बिना मेरा मन नहीं मानता था। मैं सोचती, ये क्या हो गया मुझे? शादी से पहले तो मैं ऐसी नहीं थी। पर अब जब भी पति घर आते, मैं उनके लंड पर टूट पड़ती। उनकी शर्ट के बटन खोलती, पेंट नीचे सरकाती, और लौड़ा मुँह में ले लेती। “आह्ह… जान… तुम्हारा लंड कितना मस्त है… इसे चूसने का मजा ही अलग है,” मैं कहती।
पर पति का लौड़ा हर बार खड़ा नहीं होता था। वो थके हुए होते, या दूकान की टेंशन होती। रात को वो टाल देते, “जान, आज थक गया हूँ, रात को देखते हैं।” लेकिन मेरी चूत की आग बुझती नहीं थी। मैं रात का इंतज़ार करती, बिस्तर पर करवटें बदलती, अपनी चूत को सहलाती, और सोचती कि कब वो आएँ और मुझे चोदें। दोस्तों, कल की ही बात है। पति बोले, “जानू, आज रात अपने दोस्त की बारात में जा रहा हूँ। शायद रात को ना लौटूँ। तुम खाना खाकर सो जाना।”
मेरा दिल टूट गया। मैं घंटों से रात का इंतज़ार करती थी कि आज जमकर चुदवाऊँगी, और वो कह रहे हैं कि नहीं आएँगे। मेरी चूत में आग लगी थी, पर मैंने चुपके से कहा, “ठीक है… जल्दी आना, अगर हो सके तो।” रात को खाना खाकर मैं बिस्तर पर लेटी थी, पर नींद कहाँ आने वाली थी? मेरी चूत गीली थी, और मैं अपनी उंगलियों से उसे सहला रही थी। “उह्ह… कोई तो चोद दे मुझे,” मैं बुदबुदा रही थी। तभी घर का दरवाजा खटखटाया।
मैं दौड़कर गई और दरवाजा खोला। बाहर अंधेरा था, और मुझे लगा पति देव आ गए। मैं खुशी से चिल्लाई, “आप आ गए! मुझे तो लगा आज नहीं आओगे!” और उनसे लिपट गई। उन्होंने भी मुझे कसकर पकड़ लिया, पर कुछ बोले नहीं। मुझे लगा शायद वो ड्रिंक करके आए हैं, इसलिए चुप हैं। घर में लाइट चली गई थी, सिर्फ़ बाहर के खंभे की हल्की रौशनी आ रही थी। मेरा दिल धक-धक कर रहा था, और चूत में खुजली बढ़ गई थी।
मैं उन्हें बेडरूम में ले गई। मेरे हाथ काँप रहे थे, इतनी उतावली थी चुदने की। मैंने झट से उनकी पेंट खोली और उनका लौड़ा मुँह में ले लिया। “आह्ह… जान… तुम्हारा लंड तो आज… उह्ह… कितना मोटा और लंबा हो गया है,” मैंने कहा, जीभ से चाटते हुए। “इसे तो मैं पूरा चूस लूँगी… उम्म्म… कितना टेस्टी है,” मैं लौड़े को चूस रही थी, जैसे कोई भूखी शेरनी। वो चुप थे, बिस्तर पर सीधे लेट गए। मेरे जिस्म में आग लगी थी। मैंने अपनी पेंटी उतारी, एक टांग में वो फँसी रही। साड़ी अभी भी कमर तक चढ़ी थी।
मैं उनके ऊपर चढ़ गई और लौड़ा पकड़कर अपनी चूत में सेट किया। “आह्ह्ह… ओह्ह… माँ… कितना मोटा है… आह्ह… मेरी चूत तो फट जाएगी,” मैं सिसकारी। मैं धीरे-धीरे बैठी, और पूरा लंड मेरी चूत में समा गया। “पच… चप…” चुदाई की आवाज़ शुरू हुई। मैं उछलने लगी, “आह्ह… चोदो मुझे… जान… उह्ह… मेरी चूत को रगड़ दो… आह्ह।” मैं पागल हो रही थी। लंड इतना बड़ा था कि मेरी चूत में हर धक्के पर आग सी लग रही थी। मैं सोच रही थी, “पति देव ने आज इतना शराब पिया कि लंड इतना तगड़ा हो गया?”
करीब पाँच मिनट तक मैं जमकर उछली। “आह्ह… उह्ह… और जोर से… मेरी चूत फाड़ दो… आह्ह,” मैं चिल्ला रही थी। तभी लाइट आ गई। मैंने चेहरा देखा और मेरे होश उड़ गए। वो मेरे पति नहीं, ससुर जी थे! मेरी आँखें फटी रह गईं, चेहरा शर्म से लाल हो गया। ससुर जी और पति का बदन, हाइट, और चेहरा इतना मिलता-जुलता था कि अंधेरे में मैं भूल गई। दोनों के मसल्स फौज की ट्रेनिंग की वजह से एक जैसे थे।
मैं डर गई। “ससुर जी… ये… ये क्या… मैं… मैंने सोचा…” मैं हकलाने लगी, मुँह आँचल से ढक लिया। उनका लंड अभी भी मेरी चूत में था, और मैं शर्म से मर रही थी। पर ससुर जी शांत थे। उन्होंने कहा, “बेटी, चिंता मत करो। तुम्हारी प्यास मैं बुझा दूँगा। अपनी भूख मिटा लो।” उनकी आवाज़ में एक अजीब सी गर्मी थी। मेरे दिल में शर्म थी, डर था, पर चूत में आग थी। मैं क्या करती? मैं चुपके से उनके लंड पर बैठी रही, मुँह ढके हुए।
तभी ससुर जी ने नीचे से धक्के देने शुरू किए। “पच-पच… चप-चप…” लंड मेरी चूत में अंदर-बाहर होने लगा। “आह्ह… ससुर जी… नहीं… ये गलत है… आह्ह,” मैंने शर्माते हुए कहा, पर मेरी चूत गीली थी। चार-पाँच धक्कों के बाद मेरा डर कम हुआ, और जोश फिर से जाग गया। मैंने सोचा, “जो हो गया, सो हो गया। अब सती सावित्री बनने का क्या फायदा?” मैंने आँचल हटाया और फिर से उछलने लगी। “आह्ह… ससुर जी… आपका लंड… उह्ह… मेरे पति से कहीं मोटा है… चोदो मुझे… मेरी चूत की प्यास बुझा दो,” मैंने कहा, शर्म को भूलकर।
वो नीचे से धक्के दे रहे थे, और मैं ऊपर से गांड हिलाकर चुदवा रही थी। “बेटी, तेरी चूत तो जन्नत है… इतनी टाइट… आह्ह… इसे तो रोज चोदना पड़ेगा,” ससुर जी बोले। मैं शरमा गई, पर मजे ले रही थी। उन्होंने मेरी साड़ी खींचकर फेंक दी, ब्लाउज के बटन तोड़ दिए, और ब्रा उतार फेंकी। मेरी चूचियाँ, जो टाइट और भारी थीं, हर धक्के पर उछल रही थीं। “उह्ह… कितनी मस्त चूचियाँ हैं… इन्हें तो चूस-चूसकर लाल कर दूँगा,” ससुर जी ने कहा और मेरी चूचियों को मसलने लगे।
मैं उनकी बाँहों में समा गई, अपनी गांड हिलाकर चुदवाने लगी। “आह्ह… ससुर जी… और जोर से… मेरी चूत को फाड़ दो… उह्ह… चोदो मुझे,” मैं चिल्ला रही थी। तभी उन्होंने मुझे नीचे लिटाया, मेरे पैर फैलाए, और अपना मोटा लंड मेरी चूत में एक झटके में डाल दिया। “पच-पच… चप-चप…” चुदाई की आवाज़ तेज हो गई। “आह्ह… ओह्ह… ससुर जी… आपका लंड… उह्ह… मेरी चूत को रगड़ रहा है… आह्ह,” मैं सिसकारियाँ ले रही थी। ससुर जी का लंड इतना मोटा था कि मेरी चूत में हर धक्के पर दर्द और मजा दोनों हो रहे थे।
वो बोले, “बेटी, तू तो ऐसी चुदक्कड़ है… तेरे पति को तो तुझे चोदना नहीं आता… आज मैं तेरी सारी प्यास बुझा दूँगा।” मैं शरमाकर बोली, “आह्ह… ससुर जी… बस चोदते रहो… मेरी चूत को मत छोड़ना… उह्ह।” मेरी चूत पानी छोड़ रही थी, मेरे बाल बिखर गए थे, लिपस्टिक और काजल चेहरे पर फैल गए थे। मेरे कपड़े पूरे कमरे में बिखरे पड़े थे। ससुर जी ने मुझे अलग-अलग पोज़ में चोदा। कभी डॉगी स्टाइल में मेरी गांड पकड़कर धक्के मारे, कभी मेरे पैर कंधों पर रखकर चोदा। “आह्ह… उह्ह… ससुर जी… आप तो… मेरी जान ले लोगे… आह्ह,” मैं चिल्ला रही थी।
पूरी रात चुदाई चलती रही। सुबह तक मेरी चूत, कमर, और पैर दर्द से चीख रहे थे। सुहागरात में भी इतना दर्द नहीं हुआ था। सच कहूँ, तो मेरी असली चुदाई ससुर जी ने ही की। मैं थककर बिस्तर पर पड़ी थी, और ससुर जी मेरे पास लेटे थे। वो बोले, “बेटी, अब जब भी प्यास लगे, मेरे पास आ जाना।” मैं शरमाकर चुप रही, पर मन में सोच रही थी कि शायद अब मेरी चूत की प्यास बुझती रहेगी।
दोस्तों, आपको मेरी ये कहानी(Sasur bahu chudai, Sasur bahu Sex, Kamsutra kahani, Family taboo tale, Hot wife chudai) कैसी लगी? क्या आपने कभी ऐसी चुदाई का मजा लिया है, जो आपके जिस्म को झकझोर दे? अपने अनुभव नीचे कमेंट में जरूर बताएँ!