Wife Friend Hindi Vasna Sex Story में मेरी पड़ोसन चुदाई हुई। वह मेरी प्रेमिका की सहेली है। जब उनकी बिजली खराब हो गई तो मेरी बीवी ने मुझे उनकी मदद करने के लिए भेजा।
साथियो, इस हिंदी सेक्सी चूत कहानी की शुरुआत एक छुट्टी की शाम को हुई थी।
अंधेरा हो गया था।
मेरी श्रीमती ने अचानक मुझसे कहा कि पड़ोस में रहने वाले वर्मा जी के यहां बिजली नहीं है। वर्मा जी टूर से बाहर हैं।
उनकी श्रीमती ने बिजली मरम्मत करने वाले को फोन किया, लेकिन वह नहीं उठा रहा था।
श्रीमती वर्मा ने मेरी श्रीमती, अपनी सहेली, को फोन करके बिजली की खराबी को देखने को कहा।
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मैं जाकर श्रीमती जी को उनकी सहेली की सहायता करने का आदेश मिला क्योंकि वे ऐसे संकट के समय अकेले नहीं छोड़ सकती थीं।
इसमें कुछ भी नहीं करना था।
मेरे हाथ में टेस्टर और प्लास थे, और मैं वर्मा जी के घर की ओर चला गया।
घर में अंधेरा छा गया।
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जैसे ही मैंने दरवाजा खोला, थोड़ी देर में मिसेज वर्मा ने आकर पूछा: कौन है?
मैंने अपना नाम लिया, लेकिन वह पहचान नहीं पाई।
फिर मैंने उनको अपनी पत्नी का नाम लेकर परिचय दिया, और फिर वे बाहर निकल गए।
मैं जल्दीबाजी में अपना मोबाइल लाना भूल गया।
मैंने पूछा कि बिजली का स्विच कहां पर है।
टार्च की रोशनी में उन्होंने मुझे अपना मोबाइल दिखाया।
एमसीबी की गिरावट मुझे दिखाई दी।
मैंने ऐसा ही किया।
वह फिर भड़ाक से चली गई।
मैंने अपने पीछे खड़ी श्रीमती वर्मा से पूछा, “क्या आपके पास कोई मोमबत्ती है?”
हां, मैं देखकर लाती हूँ, उसने कहा।
वह अंदर चली गई, और मैं अंधेरे में घुप-घुप खड़ा रहा।
वह आ रही थी, जब थोड़ी देर बाद पैरों की धक्का सुनाई दी।
पर वहाँ कोई नहीं था।
मैं वहां बहुत देर बेकार खड़ा रह गया। मैंने सोचा कि मैं अंदर जाकर समझूँ कि देर क्यों हो रही है।
मैं अंदर जाने के लिए चल ही रहा था कि सामने से कोई आकर मेरी छाती से टकरा गया।
दो कठोर पत्थरों के नुकीले सिरे मेरी छाती से टकरा रहे थे।
कोई पूरी ताकत से मुझसे चिपक गया, जब मैं अचकचा गया।
उसकी गर्म सांसें मेरे चेहरे पर पड़ती थीं।
मुझे दो नरम हाथों ने घेर लिया।
अंधेरे की वजह से मेरा चेहरा नहीं दिख रहा था, इसलिए मेरी हालत खराब हो गई। केवल शरीर की गर्म सांसें थीं।
मैंने पूछा कि क्या मोमबत्ती मिल गई?
इसलिए उत्तर था: नहीं।
तब पता चला कि मोबाइल की बैटरी भी खत्म हो गई है।
“माचिस होगी?“है..। लेकिन वह नहीं मिलती!मैं आपके साथ चलता हूँ।मैंने कहा और उनके पीछे चल दिया।
अंधेरा था, इसलिए मैं उनका हाथ पकड़कर चल रहा था।
मैं भी उनके साथ गिर गया जब हम कमरे में पहुंचे और वह किसी से टकरा गई।
मैं डबल बेड पर गिर गया।
मैं उठने की कोशिश करते ही उनके दोनों हाथों ने मुझे पकड़ लिया।
क्या आपको डर लग रहा है?नहीं तो।”तब कहां जा रहे हो?”आप मेरे वजन से दम निकल जाएगा।मैं ऐसा नहीं समझता।मैं शायद आपको खा जाऊँ!कोशिश करके देखो।”कहां से शुरू करूँ?”जहां से भी आप चाहें।’
मेरी सही शर्म अब जाती रही; मैंने उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिए।
मानो वे इसी का इंतजार कर रहे थे।
हम बुरी तरह से एक दूसरे के होंठ चूसने लगे।
इससे पहले मैंने इतने मीठे होंठ नहीं चूमे थे।
कुछ समय बाद, उन्होंने मेरे होंठों में अपनी जीभ डाल दी।
उनकी जीभ चूसने लगा।
मैंने भी उनके मुँह में जीभ डाली।
वह भी लालीपॉप की तरह उसे चूसती थीं।
हमारे होंठ अलग हो गए जब हमारी सांसें उखड़ने लगीं।
इस सबसे मेरी उत्तेजना बढ़ी।
लंड, जो छह इंच लम्बा और तीन इंच मोटा था, में सारा खून जम गया।
लंबे समय बाद मुझे ऐसी उत्तेजना नसीब हुई।
तब मैंने अपने होंठों को उनकी गर्दन की तरफ करके किस करने लगा।
तब मैं उनके वक्ष स्थल के बीच में मेरे होंठों से चुम्बन करने लगा।
वह भी किस कर रही थी; मैं ही नहीं।
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उनकी साड़ी उतर चुकी थी। उनकी गोलाइयों को मेरे होंठ ब्लाउज के ऊपर से चूम रहे थे।
मैं उनके एक स्तन को एक हाथ से मसल रहा था और दूसरा हाथ उनके ब्लाउज को खोलने की कोशिश कर रहा था।
मैं उन्हें ब्लाउज से बाहर नहीं निकाल पा रहा था क्योंकि उनके स्तन इतने कठोर थे।
उन्होंने मेरी परेशानी को समझते हुए ब्लाउज को खोल दिया।
अब मेरे होंठों और हाथों को मजा आ गया।
दोनों हाथ उनके ठोस कपोतों को मसलने लगे, और होंठ उनका रस चूसने लगे।
उनके निप्पल फूल गए और आधा इंच के लंबे हो गए।
उन्हें चूसने में मुझे बहुत मज़ा आया।
उरोजों की कठोरता इतनी थी कि मुझे लगता था कि मैं एक पत्थर को पकड़ रहा हूँ।
मैं अपने होंठों से उनके निप्पल को छू रहा था।
उनके मुँह से मादक सिसकारियाँ निकल रही थीं।
अब मैंने उनके पेट पर हाथ रखा। पेट पूरी तरह से गोल था।
उनके पेटीकोट से मेरा हाथ टकरा गया।
मैंने उनकी साड़ी पेटीकोट से हाथ निकाल दिया। अपने हाथ को पेटीकोट के ऊपर से ही जांघों के मध्य ले गया।
उनके शरीर में कंपन आने लगा। मैं भी अपने शरीर में एक सिहरन महसूस किया।
मैंने अपनी उंगलियों से पेटीकोट का नाड़ा खोला।
जब मैंने पेटीकोट में हाथ डाला, तो मैंने पाया कि उन्होंने पैंटी नहीं पहनी थी। चूत पर झांटे तक नहीं थे। पूरा क्षेत्र सपाट और चिकना था।
मेरा हाथ उनकी चूत के ऊपरी हिस्से से टकरा गया।
उंगलियों ने नीचे तक चला गया।
वहाँ एक नमी थी।
चूत फूली हुई थी।
उसकी चूत के होंठ खुले थे।
अब मेरे होंठ उनकी नाभि को चूस रहे थे।
मेरे होंठ सरकते-सरकते चूत के ऊपरी भाग तक पहुंच गए और उसको चूसने लगे।
चूत से एक आरामदायक सुगंध आ रहा था।
जीभ में एक नमकीन स्वाद था।
मैं इस माल का दीवाना हूँ, मैं जीभ लपलपाकर चूत की मलाई का स्वाद लेने लगा।
मैंने दोनों हाथों की सहायता से अपनी चूत को चौड़ा किया ताकि मेरी जीभ अंदर जा सके।
उन्हें मादक सिसकारियां निकल रही थीं।
वह उत्तेजना से अपने नितम्बों को हिला रही थीं। शरीर को अकड़ा रहा था।
मैं अपनी जीभ को और भी गहरा करने की कोशिश कर रहा था।
चूत का नमकीन स्वाद बहुत अच्छा था।
मेरे पांव उनके सिर की ओर थे। 69वां स्थान था।
बाद में उन्होंने मेरी जींस के बटन, जिप और ब्रीफ को नीचे कर दिया।
अब वो मेरे लंड को दोनों हाथों से सहलाने लगीं।
मैं अपने लंड के ऊपरी हिस्से पर गर्म सांसों को महसूस कर रहा था।
थोड़ी देर में, वे लॉलीपॉप की तरह लंड चूसने लगीं।
सारा शरीर कंपकंपाने लगा। झनझनाहट सी हुई।
अब पूरा लंड उनके मुँह में था।
प्रयोग के कारण उनके दोनों पैर मेरी गर्दन पर कस गए।
“आह ओहह हहह….”
हम एक दूसरे को कसकर पकड़ लिया।
हम दोनों बहुत देर तक ऐसा ही मनोरंजन करते रहे।
फिर मैंने उनकी चिकनी टांगों को चूमते हुए उनके पैरों के अंतिम छोर तक अपने होंठों को जांघों पर नीचे की तरफ किया।
मैंने उनकी सभी उंगलियों को होंठों से अच्छी तरह से चूमा।
मैं उनके मुँह में स्खलित हो गया और अचानक कंरट लगा।
वह सारा वीर्य पी चुकी थीं।
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अब मुझे पता चला कि सम्भोग के लिए तैयार होने में दस से पंद्रह मिनट और लगेंगे।
लेकिन मेरे लिंग का दर्द कम नहीं हुआ।
उनके होंठों के बीच मेरा लिंग अभी भी फंसा हुआ था।
यह देखकर मैंने मिसेज वर्मा को पेट के बल लिटा दिया और गर्दन से पैरों तक उसके पूरे शरीर पर चुम्बन करने लगा।
यह न केवल मेरी उत्तेजना को बढ़ाता था, बल्कि उनके क्रोध को भी बढ़ाता था।
फिर मैंने उनकी जगह बदल दी।
अब वास्तविक काम की बारी आई।
मुझे डर था कि आज ऐसा ना हो जाए, क्योंकि मैं अक्सर अपनी पत्नी के साथ कम समय तक रहता हूँ।
यदि ऐसा हुआ, तो बहुत गलत होगा।
मैं उनकी दोनों टांगों को फैलाकर बीच में आ गया और अपना लंड डालने की कोशिश करने लगा।
लंड मिसेज वर्मा की चूत में नहीं घुस पाया क्योंकि वह टाईट थी।
तब मिसेज वर्मा ने उसे अपने हाथ से चूत में डालने का तरीका बताया।
लंड का सुपारा अपनी मंजिल की ओर चल पड़ा।
नदी अंदर बह रही थी, हालांकि मैंने सोचा था कि टाईट होने के कारण अंदर जाना मुश्किल होगा।
चूत से इतना अधिक पानी बह रहा था कि लंड सरकता ही गया।
मैंने आह की आवाज सुनकर पूछा कि रुकूँ क्या?
उनका विरोध हुआ।
अब लंड पूरी तरह से अंदर था।
दोनों शरीरों में जगह नहीं बची।
मैं कुछ देर रुका, लेकिन फिर उन्होंने मुझे नीचे से धक्का दे दिया।
अब मुकाबला शुरू हो गया था।
कोई भी किसी से पीछे रहना नहीं चाहता था।
फच-फच की मधुर आवाज आने लगी।
साथ ही, मिसेज वर्मा की आवाज, “आहह हह… ओहह…”, लंड को मजे देती थी।
तभी उनके मुँह से आह की इतनी तेज आवाज आई कि मुझे उनके होंठों को कसकर बंद करना पड़ा।
थोड़ी देर बाद मैंने उन्हें वापस रखा।
अब वह पीठ पर लेटी हुई थीं। मैंने उनके नितम्बों को ऊपर उठाकर अपने लंड को उनकी चूत में रखा।
मिसेज वर्मा सिसकने लगी।
मैं धक्का लगा रहा था।
बाद में वे भी खुश होने लगे।
मैं जोर से धक्का मारने में व्यस्त था।
थोड़ी देर में मैंने सोचा कि वे डिस्चार्ज हो गए हैं।
मेरे लंड पर गर्म पानी की बूंदें गिर रही थीं।
मैं बहुत खुश था।
मुझे भी डिस्चार्ज होने का डर था, इसलिए मैं इस आसन को बहुत देर तक नहीं कर सकता था।
अब तक छह से आठ मिनट हो गए थे।
मैंने उनके पीठ के बल फिर से लंड निकाला।
इस बार मैंने उनकी दोनों टांगें उठाकर अपने कंधों पर रखी।
अब चूत खुली हुई थी। लंड को इस बार प्रवेश कराने में कोई समस्या नहीं आई।
लंड अब अधिक गहराई तक जा रहा था।
मिसेज वर्मा दर्द से सिर को इधर उधर कर रही थीं।
मैं अभी तक स्खलित नहीं होने का कारण नहीं समझ पाया। मैं अपनी पत्नी से दो या तीन मिनट में टें बोल सकता था।
हम दोनों पसीने से भरे हुए थे, लेकिन कोई नहीं रुकता था।
मिस वर्मा ने कहा कि मेरी टांगों में दर्द है।
उनकी टांगों को मैंने नीचे कर दिया।
अब मैं भी डिस्चार्ज होना चाहता था।
इसलिए मैं जोर से धक्के लगाने लगा।
साथ ही, उन्होंने मेरे कूल्हों पर अपनी दोनों टांगों को जकड़ लिया।
ये संकेत था कि वे फिर से रिहा हो गए हैं।
मैदान छोड़ने के लिए मेरा लंड अभी भी तैयार नहीं था।
मैंने सोचा कि अधिक देर होने के कारण शायद पत्नी नहीं आएगी।
लेकिन ऐसा अब नहीं हो सकता था।
मैंने अपने शरीर को पूरी तरह से तानकर धक्के लगाना शुरू कर दिया।
नीचे पड़ी मिसेज वर्मा ने भी मुझे अपनी बांहों और टांगों से पकड़ा।
अब मैं और वो धकापेल में लगे रहे।
‘अहा, आह, हहह…’
मैंने सोचा कि मेरे लिंग में एक सरसराहट सी हुई है। उसकी आंखों में तारे झिलमिलाने लगे।
मैं भी उनकी चूत में गर्म वीर्य छोड़ दिया।
मैं भी उस गर्मी को महसूस किया।
पूरा तूफान चला गया। मिसेज वर्मा की टांगें और बांहें झुका हुआ था।
लंड भी अपने आप चूत से बाहर निकल गया।
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उनके बगल में मैं भी लेट गया।
चूत के रस और वीर्य से भी लंड सना हुआ था।
वह भी पानी निकाल रही थी जब मैंने उसकी हिंदी सेक्सी चूत पर हाथ लगाया।
मैंने उठकर उनसे पूछा कि मोमबत्ती कहां पर है?
उनका दावा था कि यह इसी कमरे में है।
मैंने उन्हें उनके कपड़े पहनने के लिए जल्दी से जींस और टी-शर्ट पहना दी।
अब मैं उनके साथ रसोई में गया और गैस जलाने के लिए एक लाईटर खोजा।
इससे कुछ प्रकाश आया।
वह मोमबत्ती ले आईं।
मैं मोमबत्ती जलाकर फिर से स्विच बोर्ड पर गया और बस मेन को आन किया।
एमसीबी इस बार गिरा नहीं। फिर मैंने एक-एक करके एमसीबी को आन किया, लेकिन मेन फिर से गिर गया, तो मैंने उसको डाउन किया।
घर में बिजली आ गई।
उनके साथ जाकर मैंने हर कमरे की लाईटों को देखा कि किसमें नहीं जल रहा था।
एक कमरे में प्रेस था। इस बार, स्विच से बाहर निकालकर बची हुई एमसीबी को आन किया, तो लाईट नहीं गया।
मैंने उन्हें बताया कि प्रेस बुरा है।
हाँ, उसने हंसते हुए कहा। लेकिन प्रेसिंग ठीक हुआ।
मैं हंसकर वहां से चला गया।
घर आते ही मुझे डर लगा कि बीवी को क्या उत्तर दूँगा।
मैं निश्चित था क्योंकि पत्नी ने बताया कि मिसेज वर्मा ने उसे फोन करके बताया था कि बिजली सही होने में समय लगेगा।
क्या बिजली वास्तव में खराब थी? मेरे मन में कई प्रश्न उठ रहे थे।
मोबाइल की बैटरी पूरी तरह से खत्म हो गई या नहीं?
बीवी के साथ सोने के बाद मैं जल्दी से नहाने चला गया।
नहाने के बाद सारे कपड़े खुद धोने के लिए रखा।
खुद ही साबुन से रगड़ रगड़ कर धोने के बाद चड्डी को उसी कपड़े में डाल दिया।
खाना खाते समय मैंने अपनी पत्नी से पूछा कि मिसेज वर्मा से दोस्ती कैसे हुई?
उसने कहा कि उसे याद नहीं है, लेकिन वे बहुत अच्छी महिला हैं।
रात को बीवी बिस्तर पर आने पर मुझे फिर से चिंता हुई कि अब क्या होगा क्योंकि मेरे पास दम नहीं था।
मैं थक गया था। मिसेज वर्मा ने सब कुछ निकाल दिया था।
पास आते ही बीवी ने मेरे होंठों पर हाथ फेरा।
मैंने सोचा कि आज बहुत देर फोरप्ले करना होगा अगर मैं बीवी को सन्तुष्ट करना चाहता हूँ।
तभी मुझे याद आया कि मैं सिर्फ एक दवा लेकर आया था। आज उसका उपयोग करके देखता हूँ।
मैं वियाग्रा खाने के लिए समय नहीं पाया। चुदाई नहीं करके बहाना भी नहीं था।
उस स्प्रे को मैंने बाथरूम में छिपा दिया।
इन सब चीजों से पत्नी घृणा करती है। फोरप्ले के बाद मैंने सोचा कि जाकर छिड़क दूंगा।
चूमा ने बीवी के स्तनों में दर्द की शिकायत की जब मैंने उसे चाटी।
अब मैंने उंगली उसके चूत में डालकर सहलाना शुरू किया, जिससे वह बहुत खुश हुई। थोड़ी देर बाद बीवी ने मुझे प्यार करना शुरू कर दिया।
उसने मेरे वीर्य को मुँह में लेकर चूमने लगा।
यही मेरी इच्छा थी।
वह अब मेरे हाथ में थी।
मैंने अपने नरम हाथों से उसके पूरे शरीर पर मालिश की।
उसका दर्द चला गया।
ओरल करने के बाद मैं बहाने से उठा और बाथरूम में जाकर स्प्रे को लंड पर छिड़ककर आ गया।
इसे इस्तेमाल करने में दस मिनट लगते हैं।
मैं आकर बीवी के निप्पलों को फिर से चूमने लगा।
उंगली को चूत में डालकर देर तक रगड़ी।
अब स्प्रे काम करना शुरू कर दिया। अब मेरा लंड पूरे शवाब पर था।
मैं बीवी के ऊपर लेट गया और लंड को उसकी चूत में डाला।
धीरे-धीरे झटके।
मेरी बीवी ने कहा कि मैं तुम्हारे ऊपर आऊंगा।
उसने धीरे-धीरे मेरे लंड को अपनी चूत में डाल लिया।
मैं उसके स्तनों को सहलाकर होंठों से निप्पलों को पीने लगा।
लंड पर कुछ समय चलने के बाद बीवी ने कहा, “मैं थक गया हूँ।”
मैंने उसे पीठ के बल लिटाकर चूतड़ों के नीचे तकिया रखा।
उसकी चूत इससे ऊंची हो गई।
अब मैंने अपना लंड चूत में डाला। बीवी सिसकारियां करने लगी जब पूरा लंड अंदर गया।
मैंने धक्का लगाना शुरू कर दिया।
बीवी और मैं यह पोजीशन पसंद करते थे।
मैंने तकिया निकालकर बीवी की टांगों को कन्धे पर रखा और लंड को चूत में डाल दिया जब मुझे लगा कि अब डिस्चार्ज हो जाएगा।
सम्भोग करते हुए हमें १५ मिनट से अधिक समय लग गया था; दोनों पसीने से भर गए।
तब बीवी ने अपने पैर मेरे चूतड़ों पर रख दिए।
यह सीन उसे डिस्चार्ज करता है।
मैंने अब अधिक जोर से प्रहार करना शुरू किया।
जब बीवी कसमसाने लगी, मैंने उसके सर को अपने हाथों से पकड़ लिया।
मैं भी कुछ समय बाद डिस्चार्ज हो गया।
लंड अपनी चूत से सिकुड़ कर बाहर आ गया।
मैंने सोचा कि आज बीवी खुश हो गई क्योंकि वह मुझे कसकर चूमा।
वह मुझसे लिपटकर सो गई जैसे ही मैंने अपनी जगह बदली।
आज का दिन समझने में असमर्थ मैं भी निन्द्रा की शरण में गया।
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