मामा ने मुझे अपने मूत से नहला दिया

हाय दोस्तों, मैं दीपशिखा, एक बार फिर अपनी चुदाई की कहानी के तीसरे हिस्से के साथ हाज़िर हूँ। पिछले हिस्से में तुमने पढ़ा कि कैसे मेरे मामा रितेश ने किचन में मेरी चूत की ज़ोरदार चुदाई की। सुबह की चुदाई इतनी गर्म थी कि मैं उनकी दीवानी हो गई थी। मामा ने मुझे शाम से रात तक सू-सू रोकने को कहा, क्योंकि वो कुछ अलग तरह की चुदाई करना चाहते थे। मुझे नहीं पता था कि उनका ये “अलग” प्लान मेरे लिए कितना चौंकाने वाला होगा। अब आगे की कहानी सुनो, कि कैसे मामा ने मेरी चूत और गांड की धुनाई की और मुझे एकदम नया और गंदा मज़ा दिया।

कहानी का पिछला भाग: मामा ने प्रजनन का पाठ पढ़ा कर पेला मुझे 2

मामा के फ्रेश होने के बाद मैंने चाय और नाश्ता बनाया। हम डाइनिंग टेबल पर बैठे, और मैं उनकी आँखों में नहीं देख पा रही थी। मेरी चूत में सुबह की चुदाई की गर्मी अभी भी थी, और उनके शब्द मेरे दिमाग में घूम रहे थे। उनकी शरारती मुस्कान देखकर मैं समझ गई कि वो रात की चुदाई के लिए बेताब हैं। नाश्ते के बाद मामा बोले, “दीपशिखा, आज मैं कोचिंग जल्दी खत्म करके आऊँगा। तू तैयार रहना, आज रात तुझे ऐसा मज़ा दूँगा जो तूने पहले कभी नहीं लिया।”

मैंने शरारत से पूछा, “कैसा मज़ा, रितेश?”

उन्होंने मेरे गाल को चूमा और बोले, “बस इंतज़ार कर, और हाँ, सू-सू रोककर रखना, जैसा मैंने कहा।”

मामा के जाने के बाद मैं घर के कामों में लग गई। मेरा दिमाग उनकी चुदाई और लंड की बातों में खोया था। मेरी चूत में गुदगुदी होने लगी, और सू-सू रोकने की वजह से पेट में हल्का सा दबाव भी महसूस हो रहा था। मैंने सोचा, दिन में उनके वीडियो देखकर चुदास और बढ़ा लूँ। एक वीडियो में एक लड़की अपनी गांड मरवा रही थी, और दूसरा वीडियो देखकर मैं हैरान रह गई—एक लड़का लड़की के मुँह पर सू-सू कर रहा था, और वो मज़े ले रही थी। मैं सोच में पड़ गई कि क्या मामा ऐसा कुछ करेंगे? डर के साथ-साथ कुछ अजीब सी उत्सुकता भी थी।

दोपहर में मैंने खाना बनाया और नहाने चली गई। बाथरूम में मैंने अपनी चूत और गांड को अच्छे से साफ़ किया। चूत की झाँटें तो मैंने पहले ही साफ़ कर दी थीं, लेकिन आज मैंने पापा की शेविंग किट से गांड के आसपास के बाल भी हटा दिए। मेरी चिकनी चूत और गांड चमक रही थीं, और मैं जानती थी कि मामा को ये देखकर पागलपन चढ़ेगा। नहाने के बाद मैंने टाइट शॉर्ट्स और पतला टॉप पहना, जिसमें मेरी चूचियाँ और निप्पल्स साफ़ दिख रहे थे। पैंटी नहीं पहनी, ताकि मामा को सीधा मज़ा मिले। सू-सू रोकने की वजह से मुझे हल्का सा बेचैन महसूस हो रहा था, लेकिन मैंने मामा का कहा माना।

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शाम 6 बजे मामा वापस आए। उनकी आँखों में वही शरारती चमक थी, और हाफ पैंट में उनका लंड पहले से ही तना दिख रहा था। दरवाज़ा बंद करते ही मामा ने मुझे बाँहों में भर लिया और मेरे होंठ चूसने लगे। उनका हाथ मेरे शॉर्ट्स में गया, और मेरी गीली चूत को छूकर वो बोले, “दीपशिखा, तू तो पहले से गीली है! सू-सू रोका कि नहीं?”

मैंने शर्माते हुए कहा, “हाँ, रितेश, रोका है। अब बताओ ना, क्या सरप्राइज़ है?”

मामा ने हँसकर कहा, “सब्र कर, दीपशिखा। पहले खाना खा लेते हैं, फिर तेरा रसीला जिस्म खाऊँगा।”

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हम डाइनिंग टेबल पर बैठे, लेकिन मामा का ध्यान खाने पर कम, मेरी चूचियों पर ज़्यादा था। मेरे निप्पल्स टॉप के ऊपर से उभर रहे थे, और वो बार-बार उन्हें घूर रहे थे। खाना जल्दी-जल्दी खाकर हम बेडरूम में आ गए। मामा ने मुझे बेड पर धकेल दिया और मेरे टॉप के ऊपर से मेरी चूचियाँ मसलने लगे। मैं सिसकारियाँ लेने लगी, “आह… रितेश, और ज़ोर से दबाओ!” उनका लंड उनकी पैंट में तनकर चुभ रहा था। मैंने उनके लोअर को नीचे खींचा, और उनका काला, मोटा लंड बाहर आ गया। उसका गुलाबी सुपारा चमक रहा था, और उसमें से हल्की सी मादक ख़ुशबू आ रही थी। मैं उसे देखकर पागल सी हो गई।

मामा ने मेरा टॉप फाड़कर उतार दिया। मेरी चूचियाँ अब सिर्फ़ स्पोर्ट्स ब्रा में थीं। वो ब्रा के ऊपर से मेरे निप्पल्स को दाँतों से काटने लगे, और मैं तड़प उठी। फिर उन्होंने ब्रा को नीचे खींचकर मेरी चूचियाँ बाहर निकालीं। मेरे निप्पल्स बेर जैसे काले और सख्त थे। मामा उन्हें मुँह में लेकर चूसने लगे, कभी-कभी दाँतों से हल्का सा काटते। मेरी चूत गीली हो गई थी, और सू-सू का दबाव मुझे और बेचैन कर रहा था। मैं बोली, “रितेश, अब चूत चाट लो, प्लीज़!”

मामा ने मेरे शॉर्ट्स उतारे और देखा कि मैंने पैंटी नहीं पहनी थी। मेरी चिकनी, सांवली चूत को देखकर उनकी आँखें चमक उठीं। वो बोले, “दीपशिखा, तूने तो आज पूरा सरप्राइज़ दे दिया!” उन्होंने मेरी चूत को सूँघा, और उसकी मादक ख़ुशबू से वो बेकाबू हो गए। मामा ने अपने होंठ मेरी चूत पर रखे और ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगे। उनकी जीभ मेरे चूत के दाने को खींच रही थी, और मैं चिल्ला रही थी, “आह… और चाटो, मेरी चूत फाड़ दो!” मामा ने मेरी चूत का सारा पानी चाट लिया और अपनी खुरदरी जीभ अंदर तक घुसेड़ दी। मैं चरम पर थी, और मेरी सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं।

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अचानक मामा रुके और बोले, “दीपशिखा, अब वो सरप्राइज़ दिखाता हूँ।” उन्होंने मुझे बेड से उठाया और बाथरूम की ओर ले गए। मैं हैरान थी, लेकिन उनके जोश को देखकर चुप रही। बाथरूम में मामा ने मुझे टाइल्स पर बिठाया और बोले, “अब तू सू-सू कर।” मैं शर्मा गई और बोली, “रितेश, ये क्या बोल रहे हो? मैं तुम्हारे सामने कैसे करूँ?”

मामा ने हँसकर कहा, “यही तो सरप्राइज़ है। तूने वीडियो में नहीं देखा? आज तुझे गंदा मज़ा दूँगा।” वो मेरे सामने बैठ गए और मेरी चूत को सहलाने लगे। उनकी उंगलियाँ मेरी चूत के दाने पर रगड़ रही थीं, और सू-सू का दबाव इतना था कि मैं बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी। अचानक मेरी चूत से एक धारा निकल गई। मैं हैरान थी, लेकिन मामा की बातों और उनके स्पर्श से मेरी चूत और गीली हो गई। मामा ने कहा, “दीपशिखा, डर मत, ये मज़ा तुझे पसंद आएगा।” मैंने हिचकते हुए सू-सू की धार छोड़ी, और मामा ने अपने हाथ उस पर रख दिए। वो मेरी चूत से निकलते गर्म सू-सू को अपनी उंगलियों से छू रहे थे, और उनकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी। मुझे शर्मिंदगी के साथ-साथ एक अनोखा मज़ा आ रहा था। मामा ने मेरे सू-सू को अपनी उंगलियों पर लिया और मेरी चूचियों पर मल दिया। मेरे निप्पल्स गीले हो गए, और मामा उन्हें चूसने लगे। मैं सिसकारियाँ ले रही थी, “रितेश, ये क्या कर रहे हो?”

मामा बोले, “दीपशिखा, ये गंदा मज़ा है। तुझे और चाहिए?” मैंने शर्माते हुए हाँ कहा, क्योंकि उनका जोश और ये नया अनुभव मुझे पागल कर रहा था। मामा ने मुझे बाथरूम की टाइल्स पर लिटाया और मेरी चूत को फिर से चाटने लगे। मेरी चूत उनके सू-सू और मेरे रस से गीली थी, और मामा उसे और ज़ोर से चूस रहे थे। मैं चिल्ला रही थी, “आह… रितेश, और चाटो!”

फिर मामा खड़े हुए और बोले, “अब तेरी गांड की बारी है।” उन्होंने अपनी पैंट की जेब से वैसलीन निकाली और मेरी गांड और अपने लंड पर ढेर सारी वैसलीन लगा दी। मैं डर गई, लेकिन मामा ने कहा, “दीपशिखा, धीरे करूँगा।” उन्होंने मुझे घोड़ी बनाया और अपने लंड को मेरी गांड के छेद पर सटाया। धीरे-धीरे लंड अंदर डाला, और दर्द से मेरी चीख निकल गई। मामा ने मेरी चूचियाँ सहलाईं, और दर्द धीरे-धीरे मज़े में बदल गया। मैं सिसकारियाँ ले रही थी, “आह… रितेश, और करो!” मामा ने रफ़्तार बढ़ाई, और कुछ मिनट बाद मेरी गांड में उनका गर्म माल निकल गया।

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लेकिन मामा का सरप्राइज़ यहीं खत्म नहीं हुआ। उन्होंने मुझे उठाकर बाथरूम की दीवार के सहारे खड़ा किया और बोले, “दीपशिखा, अब मेरा माल तुझ पर डालता हूँ।” इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाती, मामा ने अपने लंड से मेरी चूचियों और पेट पर सू-सू की धार छोड़ दी। उनका गर्म सू-सू मेरे जिस्म पर बह रहा था, और मैं हैरान थी। मुझे गंदा लग रहा था, पर मामा की आँखों में वो जोश देखकर मैं चुप रही। उन्होंने मेरी चूत पर भी सू-सू किया और फिर उसे चाटने लगे। मैं सिसकारियाँ ले रही थी, “रितेश, ये सब क्या है?”

मामा ने हँसकर कहा, “ये वो गंदा मज़ा है, जो तुझे और चुदास चढ़ाएगा।” वो मुझे बेडरूम में ले गए और मेरी चूत में लंड पेल दिया। उनकी रफ़्तार इतनी तेज़ थी कि कमरा मेरी सिसकारियों और पच-पच की आवाज़ों से गूँज रहा था। मैंने अपनी टाँगें ऊपर उठाईं, और मामा का लंड मेरी चूत में गहराई तक जा रहा था। मैं झड़ गई, और मेरी चूत से रस बहने लगा। मामा ने और तेज़ धक्के मारे, और उनकी चूत में उनका माल फिर से भर गया। हम दोनों थककर बेड पर गिर गए।

मामा ने कहा, “दीपशिखा, ये तो बस शुरुआत है। कल रात और गंदा मज़ा करेंगे।”

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मैंने मुस्कुराकर कहा, “रितेश, मैं तैयार हूँ।”

दोस्तों, आज के लिए इतना ही। आगे की कहानी में बताऊँगी कि मामा ने मुझे और कैसे गंदे और मज़ेदार तरीकों से चोदा।

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