लाडो रानी का उदघाटन समारोह

जबसे मेरी दीदी गीता मेहरा के ज़रिये मुझे इस वेबसाइट का पता चला, मैंने उनकी बताई साईट खोली। जब कहानियाँ पढ़ी तो लोगों की बिस्तर की बातें इसमें देख मेरी तो चूत गीली हो गई थी। मैं भी अपनी जिन्दगी का पहला सेक्स आपके सामने लाकर शुरुआत करने जा रही हूँ, उम्मीद से दुनिया कायम है, मुझे आशा है कि मेरी यह चुदाई जल्द ही आप सबके सामने अन्तर्वासना के ज़रिये आपकी कंप्यूटर स्क्रीन पर होगी।

मेरा नाम वैशाली, ५ फुट ५ इंच कद, गुन्दाज़ बदन, गोरे-चिट्टे मखमल जैसे वक्ष ! मै बारहवीं जमात की छात्रा हूँ। पहले हम एक संयुक्त परिवार में रहते थे, चाचू-चाची, बुआजी, ताया-ताई, घर इतना बड़ा नहीं था, इसलिए मैं चुदाई के लाइव सीन देख देख बड़ी हुई।

एक दिन चाचू-चाची अकेले थे। मैं तबीयत ठीक न होने की वजह से पहले घर आ गई। चाचू के कमरे से सिसकी की आवाज़ सुन मैं पिछली खिड़की की ओर बढ़ी। मैं जब मॉम-डैड के बीच सोती थी तो कई बार डैड को मॉम पर सवार होते देखा था, लेकिन अच्छी तरह से नहीं देख पाई। आज मौका था, अन्दर चाचू बेड के किनारे बैठे थे नंगे, चाची फर्श पर घुटनों के बल बैठी चाचू के लौड़े को मजे ले ले कर चूस रहीं थी। फिर चाची बिस्तर पर आई। नंगी चाची को चाचू ने लिटा अपना लौड़ा चाची की चूत में घुसा दिया। यह देख मेरी पैंटी भी गीली हो गई।

फिर डैड ने शहर में आकर अपना बढ़िया मकान बनाया और हम शहर आकर बस गए। गाँव में पंजाबी मीडियम से सातवीं जमात तक पढ़ी, वो एक कन्या-विद्यालय था। यहाँ आकर मैंने एक प्राइवेट और अंग्रेजी मीडियम लड़के-लड़कियों के स्कूल में मैंने आठवीं में दाखला लिया और मेरी सहेलियां भी बन गई। हमारा चार लड़कियों का ग्रुप बन गया। श्वेता, मरियम, नूरी और मैं !

उनका अभी से लड़कों में ध्यान था, नूरी का तो अफेअर भी चल निकला था। हमारे ग्रुप की चर्चा चालू लड़कियों में होती थी। अब मेरी जवानी भी अंगड़ाई लेने लगी। सबमें से मेरी जवानी की बातें लड़कों में ज्यादा होने लगी। सब जब घर से निकलती तो लड़कों की निगाहें मेरी छातियों पर रहने लगी। देख देख मुझे मजा आने लगा। तभी मुझे मेरे ही स्कूल में पढ़ने वाले अमृत नाम के एक लड़के ने मुझे परपोज़ किया। उसको मैंने कोई जवाब नहीं दिया।

जब मैं स्कूल से घर जाती तो मेरे पीछे होंडा सिटी कार में एक दूसरा लड़का आने लगा हर रोज़ सुबह और स्कूल के बाद ! बहुत हैण्डसम था, बड़े घर का लड़का था। उसने मुझे एक दो बार कार पास लाकर अपना मोबाइल नंबर दिया, मेरे साथ नूरी भी रहती थी, उसने नंबर पकड़ के रख लिया और मुझे कहने लगी- पटा ले मेरी जान ! और क्या चाहिए !

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मैंने कहा- जो अमृत ने परपोज़ किया उसका क्या?

उसको स्कूल तक सीमित रख !

मैंने नूरी से नंबर लिया, दोनों पास की एस.टी.डी पर गई और कॉल की। उसने अपना नाम करण बताया और मुझे कहा- मैं आप पर फ़िदा हूँ प्लीज़ !

मैंने उसको हाँ कर दी।

वो बोला- मैं इसी मार्केट में ही हूँ ! चलिए मैं आपको घर छोड़ देता हूँ, प्लीज़ मना मत करना ! मुड़ कर देखो !

मैंने केबिन से देखा, उसने हाथ हिलाया। नूरी का घर पास था, वो पैदल चली गई। मैं उसकी कार में बैठ गई। कुछ देर ऐसे ही घूमते रहे। उसने मेरा हाथ पकड़ा- आप बहुत सेक्सी हो, बहुत सुन्दर हो !

उसने हाथ पर किस किया- आई लव यू सो मच !

मैंने कहा- आई लव यू टू !

उसने पास खींचते हुए मेरे होंठों पे किस कर दी, मुझे करंट सा लगा। उसने कार साइड पर कर मेरे होंठ चूसने शुरु किये।

मैंने कहा- प्लीज़ छोड़ो न !

वो बोला- कितने दिन से आपके इन होंठों का रसपान करने का दिल था ! आप कहती हैं छोड़ो !

मुझे भी कुछ होने सा लगा- मैं भी लिप-किस में उसका साथ देने लगी। पता ही नहीं चला कब उसका हाथ मेरी शर्ट में घुसता हुआ मेरे मम्मों तक पहुँच गया। उसने सीट पीछे कर दी और मेरे ऊपर बैठ गया। एक हाथ उसने मेरी स्कर्ट में डाल मेरी जांघें सहलाने लगा। मैं इतनी गरम हो गई कि सब भूल गई। बस दोनों जवानी के जोश में एक दूसरे में खोने लगे।उसने बटन खोल मेरा मम्मा ब्रा से निकाल लिया और उसको मसलने लगा। मुझे तब होश आया जब मैंने उसका हाथ अपनी पैंटी पर महसूस किया। एकदम से अलग होकर हांफने लगी। वो बोला- क्या हुआ?

प्लीज़ ! हम सड़क पर हैं, कोई पकड़ लेगा तो आफत आ जायेगी !

बोला- इसको तो छोड़ो !

एकदम से मैं चौंक गई, मेरा हाथ उसके लौड़े पर था। मैं शरमा सी गई। उसने कहा- कोई नहीं आयेगा ! इतनी कड़ी गर्मी में कौन आएगा !

फिर भी उसने मुझे घर छोड़ दिया। बाथरूम में जाकर अपनी पैंटी देखी जो गीली हो गई थी। अपने मम्मे पर जब उसके दांत का निशान देखा तो मुझे अजीब सी हलचल हुई। उसके बाद कुछ दिन ऐसे ही कार में मिलते रहे। घूमने के बहाने चूमा-चाटी चलती रही।

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एक रोज़ जब मैंने शाम को उसको कॉल किया। उसने कहा- आज ट्यूशन मिस कर दो, एअरपोर्ट रोड की तरफ घूमने जायेंगे। वहां सुनसान सी एक सड़क है।

मैंने कहा- ठीक है ! मुझे पिक कर लो ! ए एन टी ए आर वी ए एस एन ए .सी ओ एम

हम निकल पड़े। वहां एक रेस्तराँ था, बिलकुल एअरपोर्ट के कार्नर पर था, वहां कई लोग अपनी अपनी कार में ही बैठे थे। आज वो अपनी बड़ी कार लाया था। उसने पार्किंग की बजाये वो साथ वाली खाली सड़क पर कार मोड़ ली और रेस्तराँ के पीछे ले गया। वहीं वेटर आया। उसने अपने लिए चिल्ड बियर ली, मैंने कोल्ड काफी आर्डर की।

उसने मुझे बाँहों में लिया। अब तो हम दोनों घुल मिल चुके थे, उसने फोर्ड एंडवर की सीट फ्लैट की। लग्ज़री कार किसी फाइव स्टार होटल से कम नहीं थी। मैंने उसका साथ देते हुए खुद ही उसके होंठ चूसने शुरु किये। वो मेरे मम्मों को बेरहमी से मगर मजा आने वाले अंदाज़ में मसल रहा था। मैं गरम होने लगी और उसने मेरा टॉप उतार दिया। मैंने अपनी ब्रा की स्ट्रिप खोल दी जिससे मेरे दोनों कबूतर आज़ाद हो गए। उसने उड़ते कबूतर पकड़ने में वक्त न लगाया और टूट पड़ा मुझे पर। मैं भी पूरी गर्म हो चुकी थी, मैं लगातार उसके लौड़े को मसल रही थी। उसने मेरी जींस खोल कर घुटनों तक सरका दी और आज खुल कर मेरी जांघें सहलाने लगा।

उसने स्पोर्ट्स ड्रेस डाली थी, मैंने भी लोअर खींच के नीचे करके उसके लौड़े को हाथ में पकड़ लिया, पहली बार इतना खुलकर पकड़ा था। मेरे हाथ लगते ही फनफ़ना उठा उसका लौड़ा ! इतने में वेटर आया। उसने कहा- खुद पी ले और बिल ले जाना ! वेटर बोला- जी साहिब !

स्टार्ट कार, ए.सी ओन किया हुआ था, फिल्मिंग वाले शीशे थे, उसने सीट पूरी फ्लैट कर दी, बिस्तर सा बन गया। खींच कर मेरी जींस उतार दी और अपना लौड़ा मेरे होंठों पर रगड़ने लगा। मैंने झट से उसके लौरे को मुँह में डाल लिया और अच्छी तरह चूसने लगी। मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। उसने थोड़ा चुसवाने के बाद मुझे पीछे लिटाते हुए बीच में बैठ अपना लौड़ा मेरी सील बंद चूत पे रखा। एक बार सोचा कि पता नहीं कैसे यह घुसेगा?

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कार के आस पास दूर तक कोई न दिख रहा था। उसने मुझे पूरी नंगी कर दिया था खुद नीचे घुटनों तक ! मैंने सोचा- चल वैशाली ! आज तेरी लाडो रानी का उदघाटन समारोह कैसा रहेगा ? !

उसने झटका दिया और लौड़े का सर मेरी चूत में फंस गया। उसको भी तकलीफ हो रही थी। मैंने कस के सीट के कपड़े को पकड़ रखा था। उसने दूसरे झटके में आधा लौड़ा अन्दर डाल दिया। मेरी जान निकल गई- निकाल लो प्लीज़ ! यहाँ अच्छे से नहीं होगा ! जगह कम है, बहुत तकलीफ होगी ! दोनों का ही पहली बार है। लेकिन उसने तीसरा ऐसा झटका मारा कि लौड़ा पूरा घुस गया। मेरी चीख निकल गई। खून टपकने लगा ! आँखों में आंसू आ गए !

उसने मेरे होंठ अपने होंठो में ले रखे थे ताकि चीख न निकले। उसने फिर सारा निकाल के डाला ऐसे तीन चार बार जब किया तो दर्द की जगह मजे ने ले ली। आंखें खुद ब खुद बंद होने लगीं। उसके एक एक झटके का मुझे इतना मजा आया कि सिसकारी ले ले कर मैं चुदवाने लगी- हाय और करो ! और करो !

अचानक मुझे अपने अन्दर से कुछ गरम गरम सा पानी महसूस हुआ, मैं झड़ गई और मेरी चूत की गर्मी में तीन चार मिनट बाद ही करण भी झड़ गया। दोनों हांफने लगे। उसने कार में पड़ा एक कपड़ा मुझे दिया, जिससे मैंने अपनी चूत को साफ़ कर लिया, खून साफ़ किया !

दोनों ने कपड़े पहन लिए और सामान्य होकर एक दूसरे की बाँहों में लिपट गए। उसने मेरे होंठ चूमते हुए कहा- कैसा लगा?

बहुत अच्छा लगा !

सुबह उठने पर चूत पर सूजन सी थी, चलने में थोड़ी सी अजीब लग रही थी। नूरी इन कामों में से कई बार निकली थी, उसने मुझसे सब कुछ बकवा लिया। अन्तर्वासना पर इसके छपते ही मैं अपनी करण के अलावा किसी से चुदवाई लेकर सबके लौड़ों पर बैठने आऊँगी।

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