मैं गिरीशा हूँ, 21 साल की। ये बात मैं आज किसी को पहली बार बता रही हूँ, और लिखते वक्त हाथ काँप रहे हैं, लेकिन मन में इतना बोझ है कि चुप नहीं रह सकती। ये मेरी अपनी सच्ची कहानी है, जो मेरे और मेरे पापा के बीच हुई। अगर तुम इसे पढ़ रहे हो तो जज मत करना, बस सुन लो।
हम दिल्ली के रोहिणी सेक्टर-13 में रहते हैं, एक पुराने डीडीए फ्लैट में। दीवारों पर सीलन के हल्के भूरे दाग हैं, जो बरसात में और गहरे हो जाते हैं। बालकनी में वो पुराने प्लास्टिक के गमले पड़े हैं जो मम्मी ने लगाए थे, कभी उनमें तुलसी और गुलाब थे, अब सिर्फ़ मिट्टी बची है जो सूख कर फट गई है। पापा का नाम अजय शर्मा है, उम्र 46 साल। वो एक प्राइवेट कंपनी में अकाउंटेंट हैं। रोज सुबह 8 बजे की लोकल EMU ट्रेन पकड़ते हैं, बैग में लंचबॉक्स और वो पुराना काला वॉलेट जो मम्मी ने गिफ्ट किया था। शाम को 7-8 बजे लौटते हैं, थके हुए कदमों से दरवाज़ा खोलते हैं, लेकिन मेरे लिए हमेशा मुस्कुराते हैं, जैसे सारी थकान छुपा लेते हों। मम्मी की मौत 2018 में हुई थी। वो शाम को सब्जी लेकर स्कूटी पर लौट रही थीं, एनएच-8 पर एक ट्रक ने टक्कर मार दी। मैं तब 14 की थी, स्कूल से आई ही थी, दरवाज़ा खोला तो फोन बजा और सब खत्म हो गया। उस दिन के बाद घर में सिर्फ़ हम दोनों बचे, और वो खालीपन जो रातों में इतना भारी हो जाता है कि कभी-कभी पापा की गहरी साँसें या आहें सुनाई देती हैं जब वो सोचते हैं कि मैं सो गई हूँ।
मैंने बी.कॉम किया है, अब घर से ही एक छोटी ई-कॉमर्स कंपनी में डेटा एंट्री का काम करती हूँ। महीने में 18-20 हजार आ जाते हैं, जो किराया और बाकी छोटे-मोटे खर्चों में मदद करते हैं। फ्लैट छोटा सा है – दो कमरे, एक हॉल जिसमें पुराना सोफा और टीवी है, किचन में गैस चूल्हा और फ्रिज जो कभी-कभी खटखट की आवाज करता है, और बालकनी जहाँ शाम को पापा चाय की चुस्कियाँ लेते हुए बाहर की दुनिया देखते हैं। रात में एसी नहीं है, सिर्फ़ छत का पंखा चलता है जो गर्म हवा को घुमाता रहता है लेकिन ठंडक नहीं देता, पसीना चिपचिपा सा लगता है स्किन पर।
ये सब फीलिंग्स कब शुरू हुईं, ठीक से याद नहीं आता, लेकिन शायद 2021 के उस लॉकडाउन के दिनों में जब हम दोनों घर में बंद थे और दिन-रात एक-दूसरे के साथ गुज़ारते थे। सुबह साथ चाय बनाते, उसकी खुशबू पूरे फ्लैट में फैल जाती, दोपहर में साथ खाना खाते, शाम को नेटफ्लिक्स पर पुरानी हिंदी फिल्में देखते। पापा हमेशा मेरी प्लेट में पहले रोटी या सब्जी डालते और कहते “बेटू, तू पहले खा,” उनकी वो छोटी-छोटी केयरिंग आदतें मुझे बहुत अच्छी लगती थीं, लेकिन धीरे-धीरे वो कुछ और महसूस होने लगीं। शाम को जब वो ऑफिस से लौटकर शर्ट उतारते और सिर्फ़ बनियान में कुर्सी पर बैठते, उनकी छाती पर पसीने की बूँदें चमकतीं, हल्की मर्दानगी की खुशबू आती, मुझे अजीब सा लगता, पेट में हल्की सी हलचल होती लेकिन आँखें हटती नहीं थीं, मन में सोचती कि ये क्या हो रहा है मेरे साथ।
पोर्न देखना मैंने कॉलेज के दिनों से शुरू किया था, छुप-छुपकर मोबाइल पर इयरफोन लगाकर। पहले नॉर्मल वीडियोज़, बॉयफ्रेंड-गर्लफ्रेंड वाली, लेकिन सर्च करते-करते इंसेस्ट कैटेगरी में पहुँच गई। डैडी-डॉटर वाली क्लिप्स देखकर साँसें तेज़ हो जातीं, चूत में हल्का सा गीलापन महसूस होता, निप्पल्स सख्त हो जाते। मैं सोचती कि ये कैसे हो सकता है, लेकिन देखना बंद नहीं कर पाती। रात में बेड पर लेटकर उंगली करती तो पापा का चेहरा मन में आ जाता, उनकी मजबूत बाजुएँ, छाती की गर्माहट याद आती, शर्म आती लेकिन वो शर्म ही मजा को दोगुना कर देती।
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फिर शैफाली का वो दिन आया। शैफाली मेरी स्कूल टाइम की सबसे क्लोज़ फ्रेंड है, अब पितामपुरा में रहती है और एक छोटी जॉब करती है। वो हमेशा से ही खुली सोच वाली रही है, स्कूल में भी वो लड़कों के बारे में खुलकर बात करती थी, लेकिन कभी नहीं सोचा था कि उसके घर में इतना बड़ा राज छुपा है। उसके पापा एक छोटी दुकान चलाते हैं, मम्मी हाउसवाइफ हैं, और शैफाली की एक छोटी बहन है। शैफाली बताती थी कि उसके पापा हमेशा सख्त लगते हैं लेकिन घर में बहुत केयरिंग हैं, बचपन से वो उसके साथ खेलते थे, लेकिन लॉकडाउन में सब बदल गया। वो कहती है कि पापा की मम्मी से नहीं बनती थी, वो अलग सोते थे, और लॉकडाउन में घर में बंद होने से पापा का गुस्सा बढ़ गया था। एक रात शैफाली की मम्मी से झगड़ा हुआ, और शैफाली पापा को सांत्वना देने गई। बातों-बातों में पापा ने उसे गले लगाया, और फिर कुछ ऐसा हुआ जो नहीं होना चाहिए था। शैफाली कहती है कि पहले तो डर लगा, लेकिन फिर मजा आने लगा क्योंकि पापा बहुत जेंटल थे। उसके बाद ये उनका सीक्रेट बन गया, कभी-कभी रात में, जब मम्मी सो जाती। शैफाली ने बताया कि उसके पापा ने उसे वीडियोज़ बनाना सिखाया, ताकि वो यादें संभाल सके, लेकिन वो नहीं जानती थी कि एक दिन वो वीडियो मेरे सामने खुल जाएगा। हम वीडियो कॉल पर बात कर रहे थे, मैं अपने कमरे में थी और पापा हॉल में टीवी देख रहे थे, अचानक शैफाली का फोन गिरा और स्क्रीन शेयर हो गई। वीडियो चल रहा था – शैफाली पूरी नंगी थी, डॉगी पोज़ में, उसकी गोरी गांड ऊपर उठी हुई और उसके पापा पीछे से लंड घुसा रहे थे, बैकग्राउंड उनका घर का था, वही पुराना लकड़ी का सोफा और दीवार पर कैलेंडर। शैफाली की आवाज़ आ रही थी “पापा… हाँ… और गहरा घुसाओ… मेरी चूत फाड़ दो,” मैं स्टन हो गई और कॉल कट नहीं किया। शैफाली रो पड़ी और बोली “गिरीशा, प्लीज किसी को मत बताना,” मैंने पूछा “यार, ये क्या है और कब से चल रहा है,” वो चुप हो गई लेकिन फिर सब बता दिया कि कैसे लॉकडाउन में ये शुरू हुआ और अब दोनों चुपके से करते हैं। उसने दो-तीन और क्लिप दिखाईं – एक में वो उसके पापा का लंड गले तक चूस रही थी, लार टपक रही थी, दूसरे में गांड में ले रही थी चिल्लाते हुए “पापा, आज गांड मारो,” तीसरे में ऊपर चढ़कर उछल रही थी उसके छोटे बूब्स हिल रहे थे। वो बोली “ये बाहर गलत लगता है लेकिन घर में हम दोनों के लिए सही है, वो प्यार अलग है जैसे कोई और नहीं समझ सकता।” उसके बाद मेरा दिमाग पूरी तरह बदल गया और मैं पापा को नए नजरिए से देखने लगी लेकिन हिम्मत नहीं जुटा पाती थी।
पापा का लंड देखने में ही मुझे महीनों लग गए क्योंकि हमारा बाथरूम पुराना है और दरवाज़े में नीचे छोटा सा गैप है जहाँ से झाँक सकती थी। कई बार ट्राई किया जब पापा नहाते वक्त साबुन लगाते, गर्म पानी की भाप और साबुन की खुशबू आती लेकिन साफ नहीं दिखता। आखिर एक सुबह वो सो रहे थे और गर्मी में चादर सरक गई थी, तब मैंने देखा – उनका लंड सोते हुए भी थोड़ा उभरा हुआ, गहरा भूरा रंग का, मोटा सुपारा गुलाबी-सा और नीचे बालों से घिरे भारी तत्ते। बस देखकर मेरी पैंटी गीली हो गई, चूत में सिहरन दौड़ गई, मैं कमरे में भागकर दरवाज़ा बंद किया और उंगली करने लगी, मन में वही इमेज घूम रही थी, सोचती कि ये वही लंड है जो मुझे बनाया और अब इसे देखकर मेरी चूत क्यों इतनी गीली हो रही है, रस टपक रहा है।

शैफाली से मैं रोज बात करती और बताती कि देख लिया लेकिन अब क्या करूँ, वो कहती कि जल्दी मत कर, पहले घर में थोड़ा खुलकर रह, शॉर्ट कपड़े पहन, बॉडी दिखा, फिर टच बढ़ा क्योंकि मैंने भी ऐसे ही शुरू किया था। मैंने वैसा ही किया और गर्मी के दिनों में घर में नीली डेनिम शॉर्ट्स पहनने लगी जो जाँघों तक आती थी और ऊपर सफेद टाइट टॉप जिसमें मेरे 34B साइज के बूब्स उभरकर दिखते थे। किचन में रोटी बनाते वक्त जानबूझकर झुकती ताकि पापा हॉल से देखें तो मेरी गांड का शेप दिखे, रोटी की गर्माहट और तवे की आवाज के बीच मैं महसूस करती कि पापा की नजर मेरी तरफ आती है फिर जल्दी हट जाती। एक शाम मैंने ब्रा के बिना वो ही सफेद टॉप पहना, मेरे गुलाबी निप्पल्स हल्के से प्रिंट हो रहे थे, पापा ने कहा “बेटू, बाहर जा रही है क्या कपड़े ठीक से पहन,” लेकिन उनकी आँखें मेरे चेस्ट पर रुकीं और मैंने महसूस किया कि उनकी साँसें थोड़ी तेज हो गईं, मन में सोचती कि पापा अगर पता चल जाए कि आपकी ये नजर मुझे कितनी गर्म कर रही है, मेरी चूत में हल्का सा रस बहने लगा।
फिर मसाज का सिलसिला शुरू किया, शाम को पापा लौटते तो मैं सोफे पर उनके पास बैठती और कहती पापा आज कंधा बहुत दुख रहा है जरा दबा दो ना, वो दबाते उनकी मजबूत उँगलियाँ मेरी स्किन पर दबाव डालतीं, गर्माहट महसूस होती और मैं महसूस करती कि मेरी चूत में हल्की सी सिहरन हो रही है, निप्पल्स सख्त हो जाते। मैं उनके पैर दबाने लगती, मेरे हाथ उनकी जाँघों पर सरकते, पैंट के नीचे उनका मसल्स महसूस होता गर्म सख्त, पापा की साँसें थोड़ी तेज हो जातीं लेकिन वो हँसकर कहते बस कर बेटू अब सो जा, मन में सोचती पापा अगर पता चल जाए कि आपकी ये जाँघें मुझे कितनी गीली कर रही हैं, मेरी पैंटी में रस का दाग बन रहा है।
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शैफाली को बताया तो वो बोली अच्छा प्रोग्रेस है अब रात का प्लान बना रात में पास सो बॉडी सटा उसे खुद चाहने दे, रात का खेल सबसे लंबा चला लगभग दो महीने तक, पहले हफ्तों में मैं पापा आज डर लग रहा है बिजली चली गई कहकर उनके कमरे में जाती, उनका कमरा छोटा है डबल बेड साइड टेबल पर पानी की बोतल और खिड़की से बाहर की स्ट्रीट लाइट की हल्की रोशनी आती है, मैं दूर लेटती लेकिन रात में करीब सरकती अपना पैर उनकी टांग से सटाती, उनकी स्किन की गर्माहट महसूस होती। पापा जाग जाते लेकिन कुछ कहते नहीं, गर्मी की रातों में मैं पतला गुलाबी नाइट गाउन पहनती नीचे सिर्फ काली पैंटी, एक रात चादर सरक गई मेरा गाउन ऊपर चढ़ गया मेरी गोरी जाँघें दिख रही थीं, मैंने महसूस किया पापा की नजर है उनका हाथ मेरी कमर पर आया हल्के से फेरा फिर हटा लिया, उनका टच इतना गर्म था कि मेरी स्किन पर सिहरन दौड़ गई, मैं चुप रही लेकिन अंदर से गर्म हो गई सोचती पापा का टच कितना इलेक्ट्रिक है जैसे मेरी क्लिट पर सीधा लग रहा हो। अगली रात मैंने अपना हाथ उनकी छाती पर रखा धीरे नीचे सरकाया, पापा की साँसें तेज हो गईं लेकिन वो सोने का नाटक करते रहे, उनकी छाती की गर्मी और दिल की धड़कन मेरे हाथ तले महसूस हो रही थी। ये सब ऐसे ही चलता रहा, कभी मैं रात में पापा गर्मी लग रही है कहकर गाउन ऊपर उठाती मेरी पैंटी दिखती, पापा की तरफ से कोई रिएक्शन नहीं लेकिन मैं देखती कि सुबह उनकी पैंट में उभार होता। एक बार तो रात में मैंने अपना हाथ उनकी पैंट पर रखा हल्के से दबाया, पापा ने मेरा हाथ पकड़ा लेकिन छोड़ा नहीं मैंने धीरे से सहलाया उनका लंड सख्त हो गया, वो बोले गिरीशा सो जा लेकिन आवाज में कमजोरी थी जैसे वो खुद लड़ रहे हों, मैं रुक गई लेकिन अगली रात फिर ट्राई किया इस बार अपना बदन उनके से सटाया मेरे बूब्स उनकी पीठ से छुए, पापा ने करवट बदली लेकिन मैं महसूस कर रही थी कि उनका लंड मेरी जाँघ से टकरा रहा है, शैफाली कहती उसे खुद चाहने दे जल्दी मत कर।
आखिरकार वो रात आई जुलाई की बाहर तेज बारिश बिजली कड़क रही थी, मैं सच में डर गई बिजली गई घर अँधेरा हो गया मैं पापा के कमरे में भागी पापा डर लग रहा है, वो जाग गए मुझे बाहों में लिया। मैं लिपट गई मेरा चेहरा उनकी गर्दन पर उनका बदन गर्म था पसीने की हल्की खुशबू वो पुरानी ब्रूट की मिक्स्ड मर्दानगी, मैंने अपना पैर उनकी टांग पर चढ़ाया मेरी जाँघ उनकी जाँघ से सट गई, पापा चुप रहे लेकिन उनका हाथ मेरी पीठ पर फिसला। मैंने हाथ नीचे सरकाया उनके ग्रे पाजामा में उभार महसूस हुआ, मैंने नाड़ा खोला हाथ अंदर डाला उनका लंड गर्म सख्त मोटा सुपारा चिकना प्रीकम से, मैंने ऊपर-नीचे हाथ फेरा धीरे-धीरे हिलाया। पापा ने सिसकारी ली गिरीशा क्या कर रही है बेटू लेकिन रोक नहीं रहे थे उनकी उँगलियाँ मेरी कमर में धंस रही थीं, मैं नीचे सरकी पाजामा नीचे खींचा उनका लंड बाहर आया गर्म फड़कता हुआ सुपारा चिकना प्रीकम से। मैंने पहले सुपारे को जीभ से चाटा नमकीन स्वाद जैसे नमक मिक्स्ड शहद, पापा की सिसकारी निकली आह बेटू मैंने पूरा मुँह में लिया जीभ से घुमाया चूसा लार टपक रही थी मेरी साँसें उसकी मस्कुलिन स्मेल से भरीं पसीने और मर्दानगी की, मन में सोचती ये वही लंड है जो मुझे बनाया और अब मैं इसे चूस रही हूँ कितना गंदा कितना हॉट जैसे घर लौट आई हूँ।
पापा ने मेरे बाल पकड़े साँस फूलते हुए बोले चूस मेरी लाड़ली पापा के तत्ते भी, मैंने तत्तों को मुँह में लिया भारी गर्म बालों से ढके जीभ से चाटा जैसे आइसक्रीम, उनकी बॉडी काँप रही थी कमरे में सिर्फ मेरी चूसने की गीली आवाज और बाहर बारिश का शोर, पापा बोले आह गिरीशा यहीं से वो स्पर्म बना था बेटू जिससे मेरी प्यारी बिटिया तू बनी इन तत्तों में वो वीर्य था जो तेरी मम्मी की चूत में जाकर तुझे बनाया अब तू इन्हें चूस रही है कितना अच्छा लग रहा है लेकिन ये गलत है। ये सुनकर मेरी चूत में आग लग गई लेकिन साथ में वो गिल्ट की चुभन जो लस्ट को और तेज कर देती, मैंने और जोर से चूसा तत्तों को मसलते हुए लंड को हाथ से हिलाया, पापा कराह रहे थे बेटू रुक मैं झड़ जाऊँगा लेकिन मैं नहीं रुकी। फिर पापा ने मुझे ऊपर खींचा मैंने अपना गुलाबी गाउन उतारा नीचे काली लेस वाली पैंटी और मैचिंग ब्रा, पापा की आँखें मेरे बदन पर मेरे गोरे बूब्स गुलाबी निप्पल्स जो सख्त हो चुके थे पतली कमर और चूत पर हल्के बाल। मैंने ब्रा खोली बूब्स बाहर आए गोल निप्पल्स छोटे और पॉइंटेड, पापा ने उन्हें पकड़ा दबाया एक निप्पल मुँह में लिया चूसा आह पापा चूसो अपनी बेटी के बूब्स जैसे मैं छोटी थी तब चूसते थे मैं सिसकारी, पापा ने जीभ से घुमाया हल्के से काटा उनकी साँसें मेरी स्किन पर गर्म हवा की तरह लग रही थीं, उनके दांतों की चुभन से मेरे बूब्स में सिहरन दौड़ गई और चूत से रस और बहने लगा। फिर उन्होंने मेरी कमर को सहलाया उँगलियाँ नीचे सरकाईं पैंटी के ऊपर से चूत को छुआ मैं काँप गई पापा मेरी क्लिट को रगड़ो ना, वो बोले बेटू तेरी चूत कितनी गीली है पापा अब इसे चाटेगा, उन्होंने पैंटी नीचे सरकाई और जीभ से चूत के होंठ चाटे क्लिट पर जीभ फेरी मैं चिल्लाई आह पापा और चाटो अपनी बेटी की चूत को, उनकी जीभ गर्म और गीली थी जैसे रसदार आम चाट रहे हों, मेरी चूत के अंदर तक जीभ घुसाकर चूसने लगे और मैं उनकी सर पर हाथ रखकर दबाने लगी आह पापा चूसो मेरी चूत का रस पी लो।

फिर मैंने पैंटी पूरी उतारी मेरी चूत गीली गुलाबी होंठ फूले क्लिट छोटी सी उभरी हुई और रस टपक रहा था, मैं पापा के ऊपर चढ़ी लंड को चूत पर रगड़ा सुपारा मेरी क्लिट से टकराया बिजली जैसी सनसनी बाहर बारिश की बूँदें खिड़की पर टपक रही थीं जैसे मेरी चूत से रस टपक रहा, पापा ये कितना गर्म है मेरी चूत में डालो धीरे से सुपारा अंदर धकेला लेकिन मैं वर्जिन थी तो असली दर्द की लहर उठी जैसे चूत फट रही हो खून की कुछ बूँदें निकलीं मैं चीखी आह पापा दर्द हो रहा है रुको, पापा रुक गए मेरी आँखों में देखा और बोले बेटू धीरे-धीरे करो पापा संभाल लेगा अपनी लाड़ली को दर्द मत सहना, उन्होंने मुझे कसकर बाहों में लिया मेरी क्लिट को उँगली से सहलाया धीरे से चूत के होंठों को फैलाया और बोले अब ट्राई करो मैंने फिर धकेला लेकिन इस बार पापा ने बहुत केयर से कमर पकड़कर गाइड किया धीरे-धीरे लंड अंदर गया दर्द अभी भी था लेकिन पापा की केयर से सहन हो रहा था, आधा लंड अंदर होने पर मैं रुकी साँस ली और पापा बोले बेटू अब तू तैयार है असली औरत बनने को। फिर अचानक पापा ने जोर से धक्का मारा पूरा लंड अंदर गया दर्द की तेज चीख निकली लेकिन अब वो दर्द प्लेजर में बदल रहा था, पापा बोले बेटू मैं भी कितने सालों से चूत के लिए भूखा था मम्मी के जाने के बाद कभी किसी को नहीं छुआ लेकिन कभी नहीं सोचा था कि अपनी ही घर में अपनी बेटी लंड की भूखी है वरना इतना टाइम नहीं लगाता मैंने, अब मैं तुझे ऐसी चोदूँगा कि तू असली औरत महसूस करे।
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उन्होंने स्पीड बढ़ाई रफ और हार्ड धक्के मारने लगे हर थ्रस्ट में लंड मेरी चूत की गहराई को छूता गच-गच की आवाज कमरे में गूँज रही थी मेरी चूत से रस की फच-फच आवाज आ रही थी, मैं चिल्लाई पापा और जोर से फाड़ दो अपनी बेटी की चूत हाँ ऐसे आह, पापा मेरे निप्पल्स चूसते हुए पेल रहे थे फिर मुझे घुमाया डॉगी में मैं घुटनों पर गांड ऊपर पापा ने पीछे से घुसाया कमर पकड़ी ठोकने लगे उनके तत्ते मेरी गांड से टकरा रहे थे बेटू तेरी गांड कितनी मुलायम है पापा एक दिन ये भी मारेगा मैं चिल्लाई हाँ पापा सब तुम्हारा है चोदो मुझे अपनी रंडी बेटी को। फिर साइड में पापा पीछे से एक टांग ऊपर उठाकर लंड गहरा घुस रहा था मेरी क्लिट को छू रहा मैं झड़ने लगी बॉडी काँपी चूत सिकुड़ी रस निकला पापा मैं आ रही हूँ आह झड़ रही हूँ मेरी चूत से रस की बौछार हुई पापा नहीं रुके और तेज पेला। आखिर में बोले बेटू पापा का वीर्य ले उसी जगह जहां से तू बनी उन्होंने जोर से धक्का मारा लंड अंदर फड़का गर्म वीर्य की धारें मेरी चूत में भरीं गाढ़ा चिपचिपा बहता हुआ हम हाँफते लेट गए पापा ने मुझे बाहों में लिया बोले बेटू हमें ये नहीं करना चाहिए था लेकिन फिर मेरे होंठों पर किस किया जैसे वो गिल्ट ही हमें और करीब ला रही हो।
उस रात के बाद हमारा रिश्ता बदल गया, दिन में पापा वही हैं केयरिंग खाना पूछते, रात में चुपके से कभी किचन में कभी बालकनी पर, शैफाली से बात होती हम शेयर करतीं, जिंदगी चल रही है बाहर सब नॉर्मल अंदर हमारा। 😘