सपनों की बारात

कोई चार साल के बाद मैं निक्की, अपने मायके दिल्ली आई थी और अपने छोटे भाई के यहाँ ठहरी थी। जो बाहर काम करता था और मेरे आने का सुन कर वो मुझ से मिलने आया हुआ था। रोज़ ही किसी ना किसी के यहाँ दावत होती थी।

उस रोज़ मेरे बड़े भईया ने खाने पर बुलाया था, तो मैं सुबह ही अपने छोटे भाई के साथ उनके घर चली गई। हम सब लोग बातें कर रहे थे कि मेरे छोटे भाई ने भाभी से कहा – भाभी, आप निक्की को भईया से साथ घर भिजवा देना, क्योंकि मैं आज दोपहर की गाड़ी से वापस जा रहा हूँ।

हम लोगों ने उसे रोकने की कोशिश की तो उसने बताया कि उसे और छुट्टी नहीं मिल सकती।

शाम के 7 बजे होंगे, सर्दियों की रात थी हम सब बातें कर रहे थे कि उसी समय डोर बेल बजी, तो भईया ने जा कर देखा और उनकी आवाज़ आई – आहा आईये ! यार अचानक ही, इस समय कौन सी गाड़ी आती है कब आये?

मैंने और भाभी ने देखा, तो श्याम भाई थे जो मेरे चचेरे भाई थे।

वो अन्दर आये और मुझे देखते ही हैरत से बोले – अरे वाह निक्की तुम ! कब आई?

और मुझे गले लगा कर मेरी पेशानी चूमते हुए शिकायत से बोले – यार, फोन ही कर देते निक्की के आने के बारे में !

तो भईया शरमिन्दा होकर बोले – हां मैं सोच ही रहा था।

हम सब बैठे तो भाभी ने श्याम भाई से पूछा – आपका सामान?

तो मुस्कुरा दिये – सामान होटल में है, मैं यहाँ एक कॉनफ़ेरेन्स में आया हूँ। सोचा आज तुम लोगों से मिल लूं और निक्की को देख कर तो मज़ा आ गया।

तो मैं शरमा कर हंस दी।

सबने उनसे शिकायत कि यहाँ ही आ जाओ, पर वो ना माने। थोड़ी देर बाद भाभी ने खाना लगाया और इस बीच वो मुझ से बातें करते रहे। उनको देख कर मेरी अजीब सी हालत हो रही थी, श्याम भाई बिल्कुल नहीं बदले थे इन चार सालों में। वही मुस्कुराता चेहरा, वही प्यारी प्यारी दिल मोह लेने वाली बातें।

सारी पुरानी बातें याद आ रही थी, मैं पता नहीं कब उनको दिल दे बैठी थी और दिल ही दिल में उनको अपना मान लिया था। लेकिन कभी अपने दिल की बात उनसे कहने की हिम्मत ही ना हुई, लड़की जो थी। बहुत रातें खराब की थी उन्होंने मेरी, रात-रात भर करवटें बदलती थी। आंखें बन्द करती तो उनका चेहरा सामने आ जाता। फिर तो मन ही मन उनके प्यार मैं इतना पागल हुई कि उन्हें अपने पति के रूप में देखने लगी।

एक बार तो मेरी बुरी हालत हो गई, उस रोज़ एक शादी से हो कर आये और मैं सोने के लिये लेटी तो फिर श्याम का चेहरा मेरी आंखो में था। वो दुल्हा बने खड़े हैं और मैं दुलहन के रूप में हूँ, सब घर वालों ने हमें अपने कमरे मैं भेज दिया और श्याम भाई ने दरवाजा बन्द कर लिया और फिर वो मेरे पास आकर बैठे और मेरा शर्म से लाल चेहरा उठा कर बोले – आज रात भी शर्म आ रही है?

मैंने नज़र उठा कर उन्हें देखा, तो उन्होने अपनी बाहें फैला दी और मैं उनकी बाहों मैं जा कर सिमट गई। मेरा चेहरा अपने हाथों में लेकर उन्होने, अपने तपते हुए होंठ एक एक करके मेरी पेशानी, आंखें और फिर मेरे सुलगते हुए होठों पर रख दिये, तो जैसे मेरी जान ही निकल गई और मैं उनसे लिपट गई।

फिर तो जैसे तूफ़ान आ गया, पता ही ना चला के हमारे कपड़े कब हमारे जिस्मों से अलग हो गये और वो मेरे जिस्म से खेलने लगे थे। कभी वो मेरे गुलाबी गालों पर प्यार करते तो कभी होंठ चूमते, तो कभी उनकी गरम ज़बान मेरे होठों पर मचल जाती, कभी वो मेरे दूध दबाते तो कभी उन पर प्यार करते। फिर उनकी जबान मेरे होंठो से होती हुई मुंह के अन्दर चली गई थी।

हम दोनो लिपट गये और मेरी हल्की सी चीख निकल गई, उन्होंने मेरे दोनों दूध थाम लिये थे और ज़ोर ज़ोर से दबाने लगे।

मैं सिसक उठी – आह प्लीज, धीरे धीरे करिये ना…।

‘उफ़ उफ़ आह! आह निक्की, मेरी जान कब से तड़प रहा हूँ इस गरम गरम रेशमी जिस्म के लिये। कितनी प्यारी हो तुम आह’

तो मैं भी सिसक उठी – ‘सच्ची बहुत तड़पाया है आपने, ऊउइ आह!’

‘क्या हुआ जान।‘ वो मुस्कुराते हुए बोले, तो मेरी शरम से बुरी हालत हो गई।

‘कुछ नहीं’ मैं धीरे से बोली; उनका गरम गरम सख्त सा वो … लण्ड मेरी चिकनी रानो मैं मचल रहा था मेरी रानों में जैसे चींटियां दौड़ रही थी।

‘बताओ ना जान अब क्योंकि शरमा रही हो?’ उन्होने मेरा होंठ धीरे से काट लिया।

‘ऐ ए ऊ न ह नहीं ना क्या कर रहे हैं आप?’ मैं कसमसाई तो वो होंठ चूस कर धीरे से बोले – ‘कैसा लग रहा है जान?’

तो मैंने शरमा करा उनका चेहरा अपने दूधों पर रख लिया तो वो फिर सटने लगे और मेरी एक चूंची मुह मे लेकर चूसी तो मैं बिलख उठी

‘आह शाम ! उफ़ ! आह ! यह कैसा मज़ा है आह सच्ची मर जाऊंगी मैं।’ निक्की मेरी जान मेरी गुड़िया पैर खोलो ना अब।

‘उफ़ आह श्याम मेरे प्यार, मुझे बहुत डर लग रहा है मैं क्या करूं, अई मा धीरे ना उफ़ उफ़ आह।’

वो मेरे दूध ज़ोर ज़ोर से दबा रहे थे।

‘पगली डरने की क्या बात है?’ और मेरे ऊपर से उतर कर मेरी बगल मैं लेट कर फिर मेरे होंठ चूम कर मुस्कुराये।

‘लाओ मैं तुम्हारा परिचय इन मस्त चीजों से करा दूँ, फिर डर नहीं लगेगा।’

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और मेरा हाथ थाम कर एकदम से अपने गरम गरम लण्ड पर रखा, तो मैं तड़प गई और वो मेरे दोनों दूध में मुंह घुसा कर मचले ‘आह आहम निक्को मेरी जान। उफ़, आह श्याम आह आह’

उनका गरम लण्ड अब मेरे हाथ में था, मेरा हाथ पसीने से भीग गया और तभी मैंने बड़ी मुश्किल से अपनी चीख रोकी, उनका हाथ अब मेरी रानों के बीच मेरी चूत सहला रहा था जो पूरी तरह से गीली हो चुकी थी।

‘ऊ औ उइ, ऊओफ, आअनह ना ना नहीं’ और मेरे पैर खुद बा खुद फ़ैलते चले गये और उनके लण्ड को अब मैं ज़ोर ज़ोर से हिला रही थी।

‘आह मेरी निको मेरी जान मेरे प्यार, उफ़ कितनी प्यारी है इतनी चिकनी अह कितनी नरम और गरम है ये।‘

मैंने उनके होंठ चूम लिये और अपनी गरम जबान उनके होठों पर फ़ेरते हुए सिसकी।

‘क्या श्याम’

‘यह मेरी जान ये…’ वो मेरी चूत दबा कर और मेरे होंठ चूम कर सिसक उठे तो मैं ठुमकी।

‘बताओ ना क्या?’ तो मेरे होंठ चूस कर मेरी आंखों में देख कर मुस्कुराये।

‘तुम्हें नहीं मालूम इसका नाम?’

तो मैं शरमा कर ना में मुसकुराई, ‘ऊन हूँह।‘

‘अच्छा तो इसका नाम तो मालूम होगा जो आपके हाथ में है?’ तो मैं शरमा कर धीरे से लण्ड दबा कर हंस दी,”हट गन्दे।’

मेरे दूध चूसते हुए एकदम से काट लिया तो मैं मचल उठी, ‘ऊउइ नहीं ना।’

और उनका चेहरा उपर किया तो बोले, ‘पहले नाम बताओ, नहीं तो और सताऊंगा।‘

‘मुझे नहीं मालूम, बहुत गन्दे हैं आप।’

‘अच्छा एक बात बताओ, ये क्या, कैसा है?’

मैं अनजान बन कर मुसकुराई, ‘क्या?’

तो मेरे होंठो पर ज़ोर से प्यार करके बोले, ‘वो जिससे आप इतने मज़े से खेल रही हैं।‘

तो मेरी नजरें शरम से झुक गई और धीरे से उनका लण्ड दबा कर बोली, ‘ये?’

‘हाँ, मेरी भोली सी गुड़िया इसी का तो पूछ रहा हूँ।’

तो मैं हंस दी, और शरमा कर बोली, ‘बहुत प्यारा सा है।’

‘बिना देखे ही कह दिया प्यारा है।’ तो उनके सीने मैं मुंह छुपा कर मैं धीरे से बोली ‘आपने दिखाया ही नहीं तो फिर।’

‘देखोगी जान।’ तो मैं उनसे लिपट गई और अपने आप को ना रोक सकी।

‘कब से तरस रही हूँ सच्ची’। और वो एकदम से मुझसे लिपट गये, उनकी पूरी जबान मेरे मुंह के अन्दर थी, इतनी जोशीली इतनी गरम कि मैं पागल हो उठी। मेरे दोनो दूध दबा कर लाल कर दिये और मेरी चीख उनके मुंह मैं ही घुट गई, मैं बुरी तरह तड़प उठी क्योंकि कि उनकी अंगुली एकदम से मेरी चूत मैं घुस पड़ी। मेरी पूरी चूत भीग गई। मेरे चूतड़ और गहराई से लेने के लिये उछलने लगे।

उनके गरम लण्ड के उपर रज की बूंदे आ गई। खूब चिकना हो गया उनका प्यारा सा लण्ड। मैं बेचैन हो कर सिसकी।

‘बस, ऊफ… बस ना प्लीज, दिखा ही दो ना अब, मेरी जान कब से तड़प रही हूँ।‘

मैंने उनसे अलग होने कि कोशिश कि तो मुझे फिर से लिपटा कर सिसके…

‘क्या मेरी जान बताओ ना मुझे।’

‘मेरा, मेरा, उफ़ कैसे नाम लूं! मैं मुझे शरम आती हैं श्याम।’

‘मेरी जान मेरा ये प्यारा तुम्हे पसंद है ना’

‘हां हां मेरी जान है यह तो, कितना प्यारा है’ मैं लण्ड दबा कर सिसक उठी। ‘तो बताओ ना अपनी जान का नाम।’

‘मत सताओ ना प्लीज उफ़ आह आह, मत करो ना मर जाऊंगी मैं सच्ची, ऊउइ नहीं इतनी ज़ोर से नही, दुखती है ना’

‘क्या दुखती है मेरी जान।’

‘हाय रे मां, मैं क्या करूं प्लीज, दिखा दो ना, अब ना तरसओ अपनी निक्को को।’

वो मेरे होंठ चूस कर सिसके – ‘बस एक बार नाम ले दो मेरी जान।’

मेरी शरम से बुरी हालत थी, मैं उनके सीने मैं मुंह छुपा कर सिसक उठी, ‘मेरा आह मेरा वाला लण्ड …  ऊउइ ऊनह ऊनह आह’

और वो मेरे होठों से झुम गये। और फिर हम दोनो अलग हुए तो वो उठे और मुझे अपने सीने से लगा कर बैठ गये और अब जो मेरी नज़र पड़ी तो मैं देखती रह गई। सावँला, सलोना, तना हुआ लण्ड!

मेरी हथेली पर रखा हुआ था। मैं उसे देख रही थी और वो मेरे गोल, भरे भरे और तने हुए दूधों से खेल रहे थे और उनकी अंगुली धीरे धीरे मेरी चूत की दरार मैं उपर नीचे चल रही थी।

बहुत मस्ती छाने लगी थी। खूब तना हुआ उनका 7 इंच लम्बा और खूब, मोटा गरम लण्ड बहुत हसीन लग रहा था। जिसका सुपारा उनकी चिकनी रज से गीला हो रहा था। मेरे होंठो पर होंठ रख मेरी चूत दबा कर वो सिसके…

‘जान कैसा लगा मेरा।’ तो मैं मस्त हो गई, ‘बहुत प्यारा है सच्ची, उफ़ कितना बड़ा और मोटा है ये।’

‘खेलो ना इस से’ तो मैं धीरे लण्ड सहलाने लगी और उन्होने चूंची पर होंठ रगड़ कर, उस पर जैसे ही जबान फैरी तो उन्होने मेरा चेहरा अपने सीने पर दबा लिया ।

‘आह आअह मेरी जान मेरी निको मेरी उफ़ उफ़ आह कितनी गरम अह चिकनी जबान है अह मज़ा आ गया’

‘उफ़ मेरी प्यारी सी चूत। ऊम ऊम मेरी जान मेरे श्याम खूब ले लो मेरी आह पूरी ले लो आह ऊउइ। किस से खेलूं मेरी जान; मेरी मेरी अहा मेरी च च चूत से ऊफ’और मेरे मुंह में उनकी जबान घुस गई।

हम दोनों मज़े से अब एक दूसरे की जबान और होंठ चूस रहे थे। वो एक हाथ से मेरी चिकनी चूत को और दूसरे हाथ से मेरे दूध दबा रहे थे और मैं उनके तने हुए गरम लण्ड से खेल रही थी। जो पूरा उनकी रज से चमक रहा था और यही हाल मेरी चूत का था। मेरी दोनों जांघे पूरी फ़ैली हुई थी और मेरी चूत का रस मेरी चिकनी सुडौल रानों पर मल रहे थे।

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काफ़ी देर बाद हम दोनो अलग हुए तो दोनो की बुरी हालत थी। दोनो के चेहरे एक दूसरे के थूक से गीले हो रहे थे। मेरे दूध उनके दबाने से लाल हो रहे थे। फिर उन्होने मुझे लेटा दिया और मेरे उपर आकर मेरी आंखो मैं देख कर बोले, ‘दिल बहुत चाह रहा है जान।’

तो मैं उनके कंधे थाम कर होंठ चबा कर मचली, ‘बहुत हो गया, आ जाओ ना अब।‘

वो जैसे ही मेरे उपर लेटे तो उनका गरम चिकना लण्ड मेरी छोटी सी चिकनी चूत पर लेट गया और मैं सिसक गई, ‘सुनिये’

‘हां जान’ वो मेरे होंठ चूस कर बोले, तो मैं होंठ चबा कर शरमा कर सिसकी, ‘आपको कैसी लगी मेरी वो’

तो मेरे दूध सहला कर मुसकुराये, ‘अब भी शरम आ रही है मेरी गुड़िया को’

तो मैं शरमीली नज़रों से उन्हें देख कर मुसकुराई, ‘हूँ।’

मेरी आंखो को चूमते हुए सिसके, ‘बहुत प्यारी है मेरी जान ।

तो मैं मस्ती में सिसकी, ‘क्या श्याम, नाम लो ना प्लीज मेरी वो का’

‘मेरी गुड़िया की चूत … आह बहुत प्यारी है. सच मेरी जान इतनी चिकनी, नरम, गरम, छोटी सी चूत, जी चाहता है खूब प्यार करूं इसे।’

‘आह, आह, आह, श्याम मेरी जान, तो करो ना उसे प्यार और … और। हां बोलो ना जान, श्याम, आह मैं प्यार कर लूं, इस प्यारे से अह अह लण्ड को’

मेरे होंठ पर फिर से उसने होंठ रख दिये, ‘उफ़ मेरी निक्को पागल कर दोगी, आज तो सच में’

और मेरी जबान चूसने लगे और फिर मुझे करवट से लेटा कर एक दम से घूमे और मेरे चेहरे की तरफ़ पैर करके मेरी चिकनी रानों पर चेहरा रख मेरी चूत पर प्यार कर लिया, ‘आह मेरी निक्को, सच कितनी हसीन चूत है मेरी रानी की’

‘आह श्याम उफ़ अह आराम आराम से, उफ़ ओह अह’ उनका तना हुआ गरम लण्ड मेरे गालों पर मचल रहा था और मैं उनके चिकने लण्ड के आस पास प्यार कर रही थी और अपनी गरम गरम जबान फैर रही थी। उनके लण्ड के आस पास बिलकुल बाल ना थे मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। मेरी गरम जबान की चिकनाहट से वो सिसके

“आह आह निक्को मेरी जान खेलो ना मेरे लण्ड से, मेरी जान, उफ़ मेरी नन्हीं सी चूत वाली गुड़िया’

‘ओह आह मज़ा उफ़ आ गया श्याम मेरी जान, चाटो ना मेरी गरम चूत।’ मैं ने उनका लण्ड थाम कर उस पर प्यार किया तो मेरे होंठ रज से भीग गये मैं अपने होठों पर चिकनाई मलने लगी और तभी मैं तड़प कर चीख पड़ी, ‘ऊउइ ऊउइ ऊऊम अहा उफ़ शहाआआआम मेरी मेरी आइ माअ उफ़ मेरी चूऊऊत’

उनकी जबान मेरी चूत मैं चल रही थी। वो बुरी तरह से मेरी चूत चूस रहे थे, मेरी राने पूरी फैली हुई थी और मेरी चूत से चप चप की आवाज आ रही थी…

‘आआहम हम प्लीज, आह उफ़ धीरे, मर जाऊंगी मैं, हाय मेरी आह आह चूत उफ़’ और मुझ से ना रहा गया तो मैं ने एकदम से गरम लण्ड अपने मुंह में ले लिया।

श्याम मेरी चूत में चिल्ला पड़े, ‘आअह आआह निक्को निक्कक्को उफ़ आअह उफ़्फ़फ़्फ़ पूरा का पूरा, आह पूरा ले लो मुंह में, ऊम आअह आह मेरी जान मेरी गुलाबी चूत वाली जान उफ़ उफ़ आह।’

गरम लण्ड मेरे मुंह मैं मचल रहा था और उनकी जबान मेरी चूत मैं घुसी जा रही थी। मेरी पूरी चूत और जांघे उनके थूक से भीग रही थी और मेरी चूत लाल हो चुकी थी और रस टपका रही थी। कभी सोचा भी ना था कि लण्ड चूसने और चूत चुसवाने में इतना मज़ा आयेगा।

उनका पूरा लण्ड मेरे थूक से भीग रहा था और उनका लण्ड मेरे गले के अन्दर तक जा रहा था कि वो तड़प उठे, ‘रुक आह रुक रुक जाओ निक्को, रुक रुक जाओ बस’ अब तो मैं ने लण्ड मुंह से निकाला तो वो उठ कर बैठे।

‘क्या हुआ’ मैं ने उन्हें देखा तो अपने लण्ड का सुपारा दबा कर बोले, ‘आह मेरी जान मैं निकल पड़ता’

मुझे देख कर मेरे होंठ और गाल को चूसने लगे जो थूक से भीग रहे थे, ‘मेरी जान, मेरी निक्को, दे दो ना अब यह प्यारी सी चूत मेरी गुड़िया।’

मैं उन से लिपट गई, ‘श्याम’

‘आह मेरी जान’ और उन्होने मुझे लेटा दिया और मेरे ऊपर आ गये।

मैंने हाथ फैला कर बांहो मैं ले लिया और उनके होंठ चूस कर सिसकी ली, ‘सुनिये। हां मेरी जान धीरे कीजियेगा, बहुत बड़ा है आपका तो’

वो मुसकुराये, ‘क्या बड़ा है मेरी जान।‘

तो मैं शरमा कर हंस दी।

‘आपका प्यारा सा लण्ड और क्या जान’

‘हूँ, रखो ना उसे अपनी रेशमी चूत पर’

‘मुझे शरम आती है।’

‘प्लीज जान, देखो अभी तो मज़े से खेल रही थी’

तो मैं उनके दोनो हाथ थाम कर अपने दूधों पर रख दिये और सिसकी’

‘दबाईये ना इन्हें’ और हाथ नीचे ले जाकर लण्ड थाम कर अपनी चिकनी मस्त चूत के छेद पर रखा तो जैसे मेरे जिस्म में करण्ट दौड़ गया हो। आह श्याम और मैं उसे अपनी चूत की चिकनी और गरम फ़ांक से सटा कर ऊपर नीचे करने लगी, मेरी बुरी हालत थी।

वो मचले, ‘बस बस अब रख लो छेद पर’ और जैसे ही मैं ने छेद पर रखा, उनके होंठ मेरे होठों पर आ गये और सिसके, ‘लो मेरी जान तैयार हो ना।‘

‘आह हां हां मेरी जान आराम से’ और उनकी कमर हिलने लगी तो मैं तड़प उठी…

‘ऊऊउइ मा नहीई ऊऊफ ऊऊनह आआअघ उफ़्फ़फ़्फ़फ़ आआह ओह्हह प्लीज ऊओफ श्याम्मम नहीइ, हाय नहीं ओह मां उफ़्फ़फ़’

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चिकनाई के कारण उनका लण्ड 3 इन्च मेरी चूत मैं घुस पड़ा और मुझे लगा जैसे मेरी चूत मैं गरम गरम लोहा घुस पड़ा हो। मेरी चूत गरमी और चिकनाई से नहा गई और वो भी चिल्ला पड़े…

‘आआअह निक्की मेरी गरम चूत वाली आअह आअह गुड़िया आह बहुत तंग और अहा अहा गरम चूत है मेरी निक्को जान की’

मैं उनसे लिपट पड़ी, ‘हाये रे श्याम, बहुत गरम हो रहा है ये अह आराम से धीरे करो ना, अपनी निक्को का मत रुलाओ प्लीज’

‘आह मेरी जान’ और उनके चूतड़ फिर हिले तो मेरी जैसे जान निकल गई।

‘अम्मम्मा नहीईइ ऊऊउइ ऊऊमफ मैं सर झटकने लगी। मेरी नज़ुक सी चूत का मुंह फैल गया और गरम लण्ड अन्दर जाने के लिये मचलने लगा।‘

‘आह निको निक्को मेरी जान बहुत हसीन, उफ़्फ़ कोरी चूत है मेरी रानी की, उफ़ मज़ा आ गया’

वो मेरे गाल और होंठ चूम और चूस रहे थे। इस धक्के ने मेरी बुरी हालत कर दी। दर्द के कारण मेरी आंखो से आंसू बहने लगे और मेरे आंखो को चूम कर वो सिसके, ‘ना रो मेरी जान बस थोड़ी देर की बात है।’

‘नहीं नहीं प्लीज अब नहीं श्याम बहुत दर्द हो रहा है, मैं मर जाऊंगी’

मेरा पूरा चेहरा लाल हो रहा था, मैं ने उनकी कमर ज़ोर से पकड़ ली तो मेरे होंठ चूस कर सिसके ‘बस थोड़ा सा रह गया है मेरी निको, बस एक बार और।’

‘नहीं श्याम नहीं’ मैं ने उनका चेहरा दोनो हाथों मैं लेकर होंठ चूम लिये, ‘मत रुलाओ अपनी निक्को को, तरस खाओ, सच मैं बहुत दर्द है उफ़्फ़ ।’

‘बस मेरी गुड़िया देख, बस दो इंच लण्ड बचा है’

मैंने हाथ अपनी चूत पर लेजा कर लण्ड पकड़ा।

‘आहाह हां देखो मेरी जान बस इतना सा बचा है’

‘नहीं श्याम सच मैं, तुम्हारा लण्ड तो बिलकुल सूखा रखा है’

तो मेरे होंठ चूम कर सिसके, ‘एक मिनट जान’ और उपर होकर ढेर सा थूक मेरी चूत पर डाला और मेरे होंठ चूम कर बोले, ‘देखो खूब चिकनी हो गई मेरी गुड़िया की नन्ही सी चूत।‘

‘हाय मैं क्या करूं। बस जल्दी से घुसा डालो दो अब’

और फिर मेरे होठों पर होंठ रख कर ज़ोर का धक्का लगया, तो फच से पूरा लण्ड मेरी चूत के अन्दर था। मैं लिपट गई उनसे। उफ़्फ़्फ़ इतना मज़ा; उफ़ इस मज़े मैं श्याम से झूम गई और मेरे गोल बड़े बड़े चूतड़ उनका लण्ड लेने को उछलने लगे और उन्होने मेरे होंठ से होंठ अलग किये और मेरा दूध मुंह मैं ले लिया और दोनो बुरी तरह तड़प रहे थे।

‘हाय रे मज़ा आ गया मेरे श्याम और तेज़ करो, अह मुझे क्या हो रहा है उफ़ अह ऐयया आह ऐई मां मेरी च च चूत, बोहोत गरमा गरम लण्ड है और तेज़ करो ना जल्दी जल्दी।’

‘हाय मेरी निक्को उफ़ आह आह तेरी गरम चूत, उफ़ह बहुत तंग आह और गहरी चूत है मेरी चुद्दो की अह अह्ह्ह्ह निक्को चूतड़ उछालो, अह अह हां ले लो मेरा लण्ड आह उफ़ अपनी आह गरम छोटी सी चूत में, मेरी आअह मेरी जान।‘

‘ऊउइ श्याम हाय रे मज़ा आ गया खूब तेज़ करो ना अन्दर… बाहर, उफ़ मेरा प्यारा सा गरम मोटा लण्ड ऐ मां मज़ा आ गया।’

और फिर वो एकदम से चिल्ला पड़े, ‘निक्को निक्को उफ़ आअह आऐई मैं अह मैं आने वाला हूँ, ले लो मेरा लण्ड उफ़’

‘आह लण्ड मेरी जान मेरी चूत मार दी। ‘

कमरे में फस्सह फस्सह और हम दोनो की सिसकियों की आवाजें गूंज रही थी।

‘आ जाओ मेरी जान, मेरे राजा उफ़ आह हाय रे मज़ा आ गया, झाड़ दे राजा लण्ड को’

और हम दोनो के धक्के तूफ़ानी हो गये और फिर मुझे लगा के मेरी पूरी चूत फैल गई हो उनकी लण्ड से। श्याम की गरम मनी की पिचकारी जो निकली मेरी चूत के आखिरी छोर तक चली गई और मेरी चूत का झरना भी फ़ूट पड़ा।

वो मेरे दूधों पर निढाल हो कर लेट गये और मैं उनको अपने चिकने मुलायम और गरम जिस्म से लिपटा लिया। हम दोनो पसीने से नहा रहे थे।

इतना प्यारा सपना था, जब मैं सुबह सो कर उठी, तो मेरी शलवार पूरी गीली थी। ऐसा लगा जैसे वो रात वो मेरे पास रहे हो, और चुदाई कर रहे हो। लेकिन वो तो सिर्फ़ एक सपना था। कुछ समय के बाद मेरी शादी दूसरी जगह हो गई। शादी के 4 साल बाद आज फिर श्याम वही मेरे सामने थे।

‘अरे भाई निक्की कहां खो गई, मैं कुछ पूछ रहा हूँ।’

मैं एकदम से चौंक गई और उनको देखा और शरम के मारे उनसे आंख ना मिला सकी और भाग कर भाभी के पास किचन मैं घुस गई।

उनकी ज़ोर से हंसने की आवाज़ आई, ‘पता नहीं क्या हुआ इस लड़की को, ना जाने कहां खो गई थी।‘

भाभी ने मुझ से पूछा, ‘क्या हुआ ‘ तो मैं अपने आप को कन्ट्रोल करके हंस दी।

‘नीन्द आ गई थी एकदम से।’ पर उन्हे क्या पता था कि मेरी नीचे से पूरी गीली हो गई थी।

वो भी हंस दी, मै भी अपने पैर समेटे हुये हंसने लगी।

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