मेरा नाम काजोल है। मैं 28 साल की हूँ, इंफाल के एक छोटे से गाँव में रहती हूँ। मेरा रंग गोरा है, लंबे काले बाल, भारी-भारी चूचियाँ, पतली कमर, और गोल गांड, जो मेरी टाइट नाइटी में और उभरती है। गाँव के लोग मुझे घूरते हैं, लेकिन मैं अपनी खूबसूरती का मज़ा लेती हूँ। मेरे पति, अजय, 35 साल के, सांवले, मझोले कद के, बिजनेस करते हैं और अक्सर बाहर रहते हैं। मेरी सास, 60 की, गाँव की सीधी-सादी औरत, हमेशा घर के काम में डूबी रहती हैं। ससुर, 65 के, रिटायर्ड, दिनभर खेतों में समय बिताते हैं। मेरा देवर, रोहन, 22 का, कॉलेज स्टूडेंट, गोरा, लंबा, दुबला-पतला लेकिन ताकतवर। उसकी आँखों में शरारत और थोड़ा शर्मीलापन दोनों हैं। हम पाँच लोग एक पुराने, मिट्टी के मकान में रहते हैं, जिसकी छत बारिश में सुकून देती है।
कल रात की बात है। मानसून शुरू हो चुका था, और गाँव में बारिश की फुहारें हवा को ठंडा कर रही थीं। अजय दिल्ली गए थे, बिजनेस के लिए। घर में सन्नाटा था। सास-ससुर ने जल्दी खाना खाया और 9 बजे तक सो गए। रोहन छत पर अपनी कॉलेज की किताबें लेकर पढ़ रहा था। मैं नीचे बोर हो रही थी। टीवी पर कुछ खास नहीं था, और गर्मी से बेचैनी हो रही थी। सोचा, छत पर जाकर थोड़ा हवा खा लूँ।
मैंने एक पतली सी लाल नाइटी पहनी, नीचे ब्रा-पैंटी नहीं, क्यूंकि गर्मी में वो और परेशान करते हैं। छत पर पहुँची तो रोहन एक कोने में लालटेन की रौशनी में नोट्स बना रहा था। मुझे देखकर वो मुस्कुराया, “क्या भाभी, नींद नहीं आ रही?” मैंने हँसकर कहा, “नहीं यार, नीचे गर्मी से हालत खराब है। तू क्या पढ़ रहा है?” वो बोला, “बस, एग्जाम का रिवीजन। अगले हफ्ते पेपर हैं।” हम इधर-उधर की बातें करने लगे। तभी लाइट चली गई। गाँव में ये कोई नई बात नहीं, लेकिन रात के 11 बज चुके थे, और लाइट आने की उम्मीद नहीं थी।
मैंने कहा, “अब नीचे जाकर क्या करूँ? यहीं सो जाती हूँ।” रोहन ने सहमति में सिर हिलाया, “हाँ भाभी, यहीं ठीक है। हवा अच्छी चल रही है। मैं भी यहीं सो जाऊँगा।” मैं नीचे गई, दो गद्दे और चादरें लाई। एक उसके लिए बिछाया, एक अपने लिए, बीच में थोड़ा गैप रखा, ताकि बात ना बने। बारिश अब हल्की-हल्की शुरू हो चुकी थी। हम लेट गए, लेकिन नींद कहाँ थी? गर्मी थी, और मेरे मन में कुछ और ही चल रहा था। अजय के बिना कई दिन हो गए थे, और मेरी चूत में एक अजीब सी आग थी।
बातों-बातों में रोहन ने अचानक पूछा, “भाभी, तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड था कॉलेज में?” मैं चौंकी, लेकिन हँसकर बोली, “अरे, ये क्या सवाल है, देवर जी?” सच तो ये था कि कॉलेज में मेरे दो-तीन बॉयफ्रेंड थे, लेकिन उसे कैसे बताऊँ? मैंने उल्टा पूछ लिया, “तू बता, तेरी कोई गर्लफ्रेंड है?” वो थोड़ा शरमाया, फिर बोला, “हाँ, एक है। नाम रीना।” मैंने मजे लेते हुए कहा, “अच्छा? तो रीना के साथ क्या-क्या मस्ती की?” वो हँसा, “बस, वही जो होता है। किस किया, गले लगाया, थोड़ा बहुत…” वो रुक गया।
मैंने छेड़ते हुए कहा, “थोड़ा बहुत? सीधे बोल ना, चुदाई की कि नहीं?” वो चुप हो गया, फिर धीरे से बोला, “हाँ, दो बार। इंफाल में एक होटल में।” मैंने उत्सुकता से पूछा, “फिर? अब क्यूँ नहीं करती वो तेरे साथ?” वो थोड़ा झिझका, फिर बोला, “भाभी, मेरा… मतलब मेरा लंड… थोड़ा मोटा और लंबा है। उसकी चूत में दर्द हो जाता है, तो वो डरती है।” मैं हँस पड़ी, “क्या? इतना मोटा है कि सहन नहीं कर पाई? अरे, मेरे साथ तो ऐसा नहीं। तेरा भैया भी रोज चोदता है, उनका लंड भी मोटा है, लेकिन मुझे तो बस मज़ा आता है।”
मेरी बात सुनकर वो चुप रहा। मैंने देखा, उसकी साँसें तेज थीं। बारिश अब तेज हो रही थी, और मेरे मन में एक तूफान सा उठ रहा था। अजय के बिना मेरी चूत प्यासी थी। मैंने सोचा, क्यूँ ना आज थोड़ा मज़ा लिया जाए? लेकिन डर भी था। सास-ससुर नीचे थे, अगर कुछ गलत हुआ तो? फिर सोचा, रात को गाँव में कौन छत पर आएगा? बारिश में तो और भी नहीं।
मेरी नाइटी बारिश में भीगकर मेरे बदन से चिपक गई थी। लालटेन की हल्की रौशनी में मेरी चूचियाँ और गांड का उभार साफ दिख रहा था। मेरे निप्पल्स नाइटी के ऊपर से उभरे हुए थे। रोहन की नजरें बार-बार मेरे बदन पर जा रही थीं। मैं समझ गई, वो भी गर्म हो रहा है। मैंने धीरे से कहा, “रोहन, एक बात पूछूँ? अगर मैं आज रात तेरी बीवी बन जाऊँ, तो तुझे कैसा लगेगा?” वो चौंक गया, उसका मुँह खुला रह गया। वो कुछ बोला नहीं, बस मुझे देखता रहा। मैंने हिम्मत जुटाई, “देख, अजय तो हैं नहीं। ऐसा मौका फिर नहीं मिलेगा। थोड़ा मज़ा कर लें?”
वो अभी भी चुप था, लेकिन उसकी आँखें सब बता रही थीं। मैंने उसका हाथ पकड़ा और अपने करीब खींचा। मेरी साँसें तेज थीं, और दिल धड़क रहा था। वो मेरे करीब आया और मुझे अपनी बाहों में भर लिया। उसने मेरी गांड को जोर से दबाया, और मेरे होंठों को चूसने लगा। उसका मोटा लंड मेरी जाँघों से टकरा रहा था। मैंने कहा, “बस, धीरे। कोई निशान मत छोड़ना, वरना मुसीबत हो जाएगी।” वो मेरे गालों को चूमने लगा, मेरी गर्दन पर जीभ फेरी। मैं खुद को रोक नहीं पाई। मैंने उसकी कमर पकड़कर उसे और सटाया।
बारिश की बूंदें हमारे बदन को भिगो रही थीं। रोहन ने मुझे छत पर लिटा दिया, जहाँ बारिश का पानी जमा था। मेरी नाइटी पूरी गीली थी। उसने नाइटी को ऊपर उठाया, और मैंने उसे पूरा उतार फेंका। मैं नीचे पूरी नंगी थी। मेरी चूचियाँ बारिश में चमक रही थीं, और मेरी चूत गीली थी—बारिश से भी, और मेरी गर्मी से भी। रोहन ने अपना बरमूडा उतारा। उसका मोटा, लंबा लंड मेरे सामने था। मैंने उसे छुआ, वो इतना मोटा था कि मेरे हाथ में मुश्किल से आया। मैंने कहा, “सच में, ये तो गजब का है।”
उसने मेरी टाँगें फैलाईं और मेरी चूत को चाटना शुरू किया। उसकी गर्म जीभ मेरी चूत के हर कोने को छू रही थी। मैं सिसकने लगी, “आह… रोहन… और चाट… उफ्फ!” मैंने उसका सिर पकड़कर अपनी चूत पर दबाया। वो मेरी चूत को ऐसे चाट रहा था जैसे कोई भूखा शेर। मैंने चिल्लाया, “बस कर… अब डाल दे… मेरी चूत में आग लगी है!” वो थोड़ा झिझका, “भाभी, अगर दर्द हुआ तो?” मैंने कहा, “अरे, डाल ना… मैं संभाल लूँगी।”
उसने अपना लंड मेरी चूत के मुँह पर सेट किया और धीरे से धक्का मारा। मैं चीखी, “आह… धीरे… कितना मोटा है!” उसका लंड मेरी चूत को चीरता हुआ अंदर गया। दर्द हुआ, लेकिन मज़ा उससे कहीं ज्यादा था। वो धीरे-धीरे धक्के मारने लगा। पानी की छप-छप, बारिश की आवाज़, और मेरी सिस्कियाँ मिलकर एक जंगली माहौल बना रही थीं। मैं चिल्लाई, “रोहन… और जोर से… मेरी चूत फाड़ दे… चोद मुझे!” वो मेरी चूचियाँ दबाते हुए, मेरे निप्पल्स चूसते हुए, जोर-जोर से धक्के मार रहा था। मैं अपनी गांड उठा-उठाकर उसका साथ दे रही थी। उसका लंड मेरी चूत की गहराई तक जा रहा था, और मैं पागल हो रही थी।
थोड़ी देर बाद उसने मुझे घोड़ी बनाया। मेरी गांड ऊपर थी, और वो मेरी चूत और गांड को चाटने लगा। उसकी जीभ मेरी गांड के छेद तक गई, और मैं सिहर उठी, “उफ्फ… रोहन… गांड मत चाट… पागल कर देगा!” फिर उसने अपना लंड मेरी चूत पर सेट किया और एक जोरदार धक्का मारा। मैं चीखी, “आह… मर गई… और जोर से!” वो मेरी कमर पकड़कर पीछे से धक्के मार रहा था। मेरी चूचियाँ हवा में लटककर हिल रही थीं। मैं गंदी बातें करती रही, “चोद मुझे… मेरी चूत को रगड़ दे… तेरा लंड गजब का है!”
फिर वो लेट गया, और मैं उसके ऊपर चढ़ गई। मैंने उसका लंड पकड़ा और अपनी चूत पर सेट किया। मैं ऊपर-नीचे होने लगी। उसका लंड मेरी बच्चेदानी तक जा रहा था। मैं चिल्लाई, “आह… रोहन… ये मेरे पेट में घुस रहा है!” मैं उसकी छाती सहलाते हुए, उसके निप्पल्स चूसते हुए, जोर-जोर से उछल रही थी। बारिश तेज थी, हम दोनों पूरी तरह भीग चुके थे। मैंने कहा, “तेरी गर्लफ्रेंड डरती है, लेकिन मुझे तो तेरा लंड बहुत भा गया। और जोर से चोद!”
अचानक बादल गरजा, और रोहन ने चिल्लाया, “भाभी… मैं झड़ने वाला हूँ!” मैं भी उसी पल झड़ गई। उसका गर्म माल मेरी चूत में गिरा, और मैं उसके ऊपर ढेर हो गई। हम दोनों हाँफते हुए वैसे ही लेटे रहे, बारिश की बूंदें हमारे बदन को ठंडा कर रही थीं।
पाँच मिनट बाद रोहन बोला, “भाभी, कपड़े पहन लो, सर्दी लग जाएगी।” मैं हँसी और नीचे गई। कपड़े बदले, और वो भी नीचे आ गया। उसने अपने कपड़े बदले। रात को उसने 5 बजे का अलार्म लगाया ताकि वो अपने कमरे में चला जाए। लेकिन नीचे आकर भी उसने मुझे फिर से चोदा। मैंने उससे कहा, “रोहन, ये गलत है… लेकिन इतना मज़ा आया कि अब क्या करूँ?” वो हँसा, “भाभी, जब भैया नहीं हों, मैं हूँ ना।” सुबह तक मैं पूरी तरह संतुष्ट थी।
अब मैं रोहन की दीवानी हो गई हूँ। अजय अच्छे हैं, लेकिन रोहन का लंड कुछ और ही बात है। मुझे लगता है, जब अजय बाहर जाएँ, मैं रोहन से अपनी चूत चुदवाऊँगी। उस रात की बारिश ने मेरी प्यास बुझाई, लेकिन अब मेरी भूख और बढ़ गई है।
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Hi bhabhi