दादा जी के दोस्त के साथ पहली चुदाई

नमस्ते दोस्तो, मैं तान्या, उम्र 20 साल, एकदम जवान और सेक्सी लड़की। मेरा रंग इतना गोरा है कि लोग मुझे दूध की मलाई कहते हैं। मेरा फिगर 32-28-34 का है, चूचियाँ गोल और टाइट, कमर पतली, और गांड इतनी भारी कि जब मैं जींस पहनकर चलती हूँ, तो हर मर्द की नजर वहीं अटक जाती है। मेरी आँखें भूरी और बाल लंबे, काले, रेशमी हैं। मैं थोड़ी शर्मीली हूँ, लेकिन मन में चुदाई की आग हमेशा जलती रहती है। लखनऊ के एक पॉश इलाके में रहती हूँ, जहाँ हमारा परिवार धनाढ्य है। मेरे परिवार में दादा जी, पापा, मम्मी और दो बड़े भाई हैं। पापा और भाई फैक्ट्री संभालते हैं, और दादा जी अब भी पहलवानी करते हैं, जिससे उनका शरीर 60 की उम्र में भी तगड़ा है।

मेरी सहेलियाँ अपनी चुदाई की कहानियाँ सुनाती थीं, जिससे मेरी चूत में आग लग जाती थी। मैं रात को सेक्स कहानियाँ पढ़कर उंगली करती, लेकिन लंड का असली मजा लेने की चाहत मन में पल रही थी। कोई ऐसा लड़का नहीं मिल रहा था जो मेरी इस प्यास को बुझा सके। फिर एक दिन मेरे दादा जी का दोस्त, रमेश अंकल, हमारे घर आए। रमेश अंकल, उम्र 55 साल, पहलवान, कद 6 फीट, चौड़ा सीना, और मूंछों वाला चेहरा, जो मर्दानगी की मिसाल था। उनका शरीर तगड़ा, बांहें मोटी, और आवाज भारी थी। वो दादा जी के साथ पुराने दोस्त थे और अक्सर दारू पीने आते थे। उनकी पत्नी का देहांत हो चुका था, और वो अकेले रहते थे।

उस दिन दादा जी और रमेश अंकल गार्डन में दारू पी रहे थे। दादा जी ने मुझे पानी लाने को कहा। मैंने टाइट टी-शर्ट और शॉर्ट्स पहने थे, जिसमें मेरी चूचियाँ और गांड का उभार साफ दिख रहा था। पानी देते वक्त रमेश अंकल मुझे घूर रहे थे, उनकी आँखों में हवस साफ दिख रही थी। मैं शरमा गई और वापस आ गई। थोड़ी देर बाद मैं बालकनी में बैठी थी, तभी रमेश अंकल गार्डन के कोने में आए। उन्होंने जानबूझकर अपनी पैंट से लंड निकाला और मेरी तरफ करके मूतने लगे। उनका लंड मोटा, लंबा, और तगड़ा था, जैसे कोई हथियार। मेरी चूत में सनसनी दौड़ गई। उनकी नजर मुझसे मिली, मैं घबरा कर कमरे में भाग गई।

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रात के 12 बजे नींद नहीं आ रही थी। खिड़की से देखा तो दादा जी गार्डन में दारू के नशे में बेहोश पड़े थे। मम्मी नींद की गोली खाकर सो चुकी थीं, और पापा-भाई फैक्ट्री के काम से बाहर थे। तभी मेरे कमरे के दरवाजे पर दस्तक हुई। मैंने खोला तो रमेश अंकल सामने खड़े थे। वो नशे में थे, लेकिन उनकी आँखों में वासना चमक रही थी। वो अंदर आए और दरवाजा बंद कर दिया। मैंने पूछा- अंकल, आपको क्या चाहिए? वो बोले- मुझे तू चाहिए, तान्या।

मैंने कहा- मैं समझी नहीं। वो हँसे- अब तू छोटी नहीं, सब समझती है। तेरे दादा ने बताया कि तेरा परिवार रात को घर पर नहीं है, और तुझे जवानी का मजा चाहिए। मैं डर गई, लेकिन मेरी चूत गीली होने लगी। मैंने मना किया- अंकल, मैं ऐसी लड़की नहीं। लेकिन मन ही मन उस मोटे लंड की सैर करना चाह रही थी।

अंकल ने दरवाजा लॉक किया और मेरी तरफ बढ़े। मैं पीछे हटी, लेकिन पलंग से टकराकर गिर गई। वो मेरे ऊपर झुक गए, मुझे अपनी मजबूत बांहों में जकड़ लिया, और मेरे होंठों को चूमने लगे। उनकी मूंछें मेरे चेहरे पर गुदगुदी कर रही थीं। मैं उनके सीने तक थी, उनका गठीला शरीर मुझे दबा रहा था। उन्होंने मेरी टी-शर्ट के अंदर हाथ डाला और ब्रा के ऊपर से चूचियाँ मसलने लगे। उनका लंड मेरी चूत पर चुभ रहा था, और मेरी पैंटी गीली हो चुकी थी। मैं सिसकारियाँ निकाल रही थी- आह… उह…

उन्होंने मेरी शॉर्ट्स खींचकर उतारी। मैंने पैंटी नहीं पहनी थी, मेरी चूत उनके सामने नंगी थी। मुझे शर्मिंदगी हुई, लेकिन उनकी उंगलियाँ मेरी चूत पर फिसलने लगीं। मैं पागल हो रही थी। उन्होंने मेरी टी-शर्ट उतारी, ब्रा की पट्टी तोड़ दी, और मेरी गोरी चूचियों को देखकर पागल हो गए। वो मेरे निप्पलों को चूसने लगे, एक चूची दबाते, दूसरी को मुँह में लेकर चूसते। मेरी सिसकारियाँ कमरे में गूंज रही थीं- आह… अंकल… और चूसो…

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वो अपनी शर्ट और पैंट उतारने लगे। उनका सीना चिकना और तगड़ा था, और लंड… हाय, वो तो सात इंच का मोटा हथियार था, बिना बालों वाला, जैसे पहलवान का लंड हो। उन्होंने मेरे कंधों पर दबाव डाला और मुझे नीचे बिठाकर लंड मुँह में दे दिया। मुझे गंदा लगा, लेकिन नशे में वो रुके नहीं। मैंने पहली बार लंड चूसा, नमकीन स्वाद था, जैसे कोई मोटा गन्ना। कुछ देर बाद उन्होंने लंड निकाला, मैं हाँफ रही थी।

फिर उन्होंने मुझे पलंग पर लिटाया, मेरी टाँगें फैलाईं, और अपना लंड मेरी चूत पर रखकर एक जोरदार धक्का मारा। मेरी चीख निकल गई- हाय… मर गई! मेरी चूत की सील टूट गई, खून निकलने लगा। मैंने कहा- अंकल, बाहर निकालो, दर्द हो रहा है! लेकिन वो नहीं रुके, बस धकाधक पेलते रहे। कमरे में धप-धप की आवाजें गूंज रही थीं। उनके हर धक्के से मेरी चूचियाँ उछल रही थीं। दर्द धीरे-धीरे मजे में बदल गया। मैं अपनी गांड उठाकर उनका साथ देने लगी। मेरी चूत कसी थी, लेकिन उनका लंड उसे चीर रहा था।

15 मिनट तक वो मुझे चोदते रहे। फिर वो पलट गए, और मैं उनके लंड पर बैठ गई। मैं ऊपर-नीचे होने लगी, उनका लंड मेरी चूत की जड़ तक जा रहा था। मुझे मीठा दर्द और मजा दोनों मिल रहे थे। मेरी सिसकारियाँ तेज हो गईं- आह… अंकल… और जोर से! पाँच मिनट बाद मेरी टाँगें दुखने लगीं। मैंने कहा- अब आप करो। उन्होंने मुझे गोद में बिठाया और ताबड़तोड़ चोदने लगे। मेरी चूत से रस बह रहा था, मैंने उन्हें जकड़ लिया और झड़ गई।

वो अभी नहीं झड़े थे। उनकी स्पीड और तेज हो गई। वो बोले- कहाँ निकालूँ? मैंने कहा- बाहर, अंदर नहीं! उन्होंने लंड निकाला और सारा पानी मेरी चूत के ऊपर डाल दिया। फिर वो मेरी चूचियों को चूसने लगे, निप्पलों को मसलने लगे। मैं दर्द से कराह रही थी। थोड़ी देर बाद वो मेरे पीछे लेट गए, उनका लंड मेरी गांड को छू रहा था। कुछ देर में उनका लंड फिर तन गया। मैंने मना किया, लेकिन वो नहीं माने।

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उन्होंने मुझे घोड़ी बनाया और पीछे से लंड मेरी चूत में पेल दिया। उनकी कमर मेरी गांड से टकरा रही थी, धप-धप की आवाजें गूंज रही थीं। वो मेरी पीठ चाट रहे थे, मेरी चूचियाँ खींच रहे थे। मैं थक चुकी थी, लेकिन वो अलग-अलग पोज में मेरी चूत का भोसड़ा बनाते रहे। कभी दीवार के सहारे, कभी गोद में बिठाकर, कभी घोड़ी बनाकर। पूरी रात उन्होंने मुझे पाँच बार चोदा। सुबह 4 बजे तक मेरी चूत सूज गई थी।

उन्होंने कपड़े पहने और बोले- तान्या, तेरी जवानी ने मुझे पागल कर दिया। तेरे दादा को नशे में चूर करके मैंने ये मौका बनाया। मैं खुश थी, लेकिन मेरा शरीर टूट रहा था। वो चले गए। मैं बाथरूम गई, पेशाब के साथ उनका वीर्य निकला। आइने में देखा तो मेरी चूत पाव रोटी की तरह फूल गई थी, चूचियों पर काटने के निशान थे। मेरी कमर टूट रही थी, लेकिन पहली चुदाई का मजा अविस्मरणीय था।

उसके बाद रमेश अंकल दादा जी के साथ दारू पीने नहीं आए। मैंने उनका नंबर लिया और उनके घर जाकर फिर चुदाई की। बाद में उन्होंने अपने दो दोस्तों के साथ भी मुझे चोदा, जो मेरे दादा जी के दोस्त थे। वो कहानी अगले हिस्से में बताऊँगी।

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