पापा ने चोद कर पेशाब भी पिलाया

मेरी मम्मी की डेथ तीन साल पहले एक ट्रैफिक एक्सीडेंट में हो गई थी। उस वक्त मैं बारह साल की थी, अपने पापा की इकलौती बेटी। हम लोग कई साल पहले बलूच से लाहौर शिफ्ट हो गए थे। यहाँ लाहौर में, हमारे कुछ फैमिली फ्रेंड्स के अलावा कोई रिश्तेदार नहीं था। पहले हम तीन लोग थे—मम्मी, पापा, और मैं। मम्मी के जाने के बाद सिर्फ मैं और पापा रह गए। घर के बाहर वाली कमर्शियल स्ट्रीट की तरफ पापा ने एक जनरल स्टोर खोला था, जो अच्छा चलता था। उससे हमारी इनकम काफी अच्छी थी। मम्मी के जाने के बाद भी मुझे तन्हाई का एहसास कम ही होता था। सुबह मैं स्कूल चली जाती, और कामवाली बाई घर की सफाई और खाना बनाकर चली जाती। स्कूल से लौटने के बाद मैं और पापा साथ में खाना खाते। मम्मी की कमी तो बहुत खलती थी, लेकिन पापा के साथ वक्त बिताने से दिल को थोड़ा सुकून मिलता था।

पापा मेरे लिए सब कुछ थे—मेरे दोस्त, मेरे गाइड, मेरे प्रोटेक्टर। लेकिन मैंने कभी नहीं सोचा था कि मम्मी की कमी सिर्फ मुझे ही नहीं, पापा को भी कितना सता रही होगी। खासकर वो शारीरिक और भावनात्मक जरूरतें, जो एक मर्द को अपनी बीवी से मिलती हैं। मैं उस वक्त जवानी की दहलीज पर कदम रख रही थी। मेरा जिस्म बदल रहा था—मेरी छातियाँ अब भरी-भरी और गोल हो गई थीं। मेरी चूत में कभी-कभी मीठी-मीठी खुजली होने लगती थी, जो मुझे रातों को बेचैन कर देती थी। लेकिन मैं इन सबका मतलब नहीं समझती थी। ना ही मुझे अंदाजा था कि पापा, जो इतने सालों से मम्मी के बिना थे, कितना सेक्स को तरस रहे होंगे।

फिर एक रात, वो रात आई जिसने हमारी बाप-बेटी की जिंदगी को हमेशा के लिए बदल दिया। जुलाई की गर्म, उमस भरी रात थी। बाहर तेज बारिश हो रही थी, बादल जोर-जोर से गरज रहे थे। मैं अपने कमरे में बेड पर लेटी थी, लेकिन डर के मारे नींद नहीं आ रही थी। हर बार जब बादल गरजता, मेरा दिल धक-धक करने लगता। अचानक एक तेज कड़कड़ाहट हुई, और मेरी चीख निकल गई। मैं बेड से उछल पड़ी और पापा के बेडरूम की तरफ भागी।

जल्दी-जल्दी में मैंने पापा के बेडरूम का दरवाजा खोला और उनके बेड के सामने जा खड़ी हुई। सब कुछ इतनी तेजी से हुआ कि मैं ये भी नहीं देख पाई कि पापा उस वक्त क्या कर रहे थे। मेरी आँखें फटी की फटी रह गईं जब मैंने देखा—पापा बेड पर पूरी तरह नंगे लेटे थे, उनका सख्त, तना हुआ लंड उनकी मुट्ठी में था, और वो उसे ऊपर-नीचे कर रहे थे। मैंने जिंदगी में पहली बार इतना बड़ा, मोटा लंड देखा। उसका गुलाबी सुपारा चमक रहा था, जैसे कोई चिकना पत्थर हो। पापा भी एकदम घबरा गए। उनके पास इतना वक्त भी नहीं था कि वो शीट से खुद को ढक लें। उनका मुँह खुला रह गया, और मेरे मुँह से सिर्फ इतना निकला, “सॉरी पापा, मैं डर गई थी, इसलिए जल्दी में नॉक नहीं कर पाई।”

पापा ने जल्दी से शीट खींचकर अपने ऊपर डाल ली और बेड पर बैठ गए। उनकी आवाज में घबराहट थी, “सॉरी बेटा, तुमने मुझे ऐसे देख लिया। आ जाओ, मेरे पास बैठ जाओ। जब बारिश रुक जाए, तो अपने कमरे में चली जाना।”

मैंने शरमाते हुए कहा, “मगर पापा… आप डिस्टर्ब होंगे। आप कुछ कर रहे थे ना अभी?”

पापा ने जवाब देने की बजाय मेरे हाथ को पकड़कर मुझे अपने पास बेड पर बिठा लिया। मैंने फिर कहा, “पापा, आपने कुछ नहीं पहना… मुझे शरम आ रही है।”

उन शब्दों को कहते हुए मुझे अपने बारे में ख्याल आया। गर्मी की वजह से मैंने सिर्फ एक पतली, सी-थ्रू टी-शर्ट और छोटी सी शॉर्ट्स पहनी थी। ब्रा भी नहीं पहनी थी, जिससे मेरी छातियाँ और मेरा पेट साफ नजर आ रहा था। मेरी टी-शर्ट भागते वक्त ऊपर हो गई थी, जिससे मेरे गोल-मटोल बूब्स और पेट पूरी तरह उजागर थे। एक तरफ मैंने पापा को नंगा, उनका लंड पकड़े देखा था, और अब वो शीट ओढ़े बैठे थे, लेकिन पीछे से उनकी कमर पूरी तरह नंगी थी। दूसरी तरफ मैं भी लगभग नंगी उनके बगल में बैठी थी। मेरी साँसें तेज चल रही थीं। उस रात पापा के बगल में बैठकर मुझे पहली बार एहसास हुआ कि मेरा जिस्म कितना सेक्सी है। मेरे बूब्स मेरी उम्र की लड़कियों से बड़े और गोल थे, मेरे हिप्स राउंड और सख्त थे, और मेरा जिस्म भरा-भरा लगता था।

अचानक बारिश का शोर और तेज हो गया, और एक जोरदार कड़कड़ाहट के साथ मैं डर के मारे पापा से लिपट गई। इस लिपटने से पापा की शीट हट गई, और वो फिर से पूरी तरह नंगे हो गए। मैं करीब दस सेकंड तक यूं ही लिपटी रही, फिर मुझे एहसास हुआ कि मैं अपने पापा के नंगे जिस्म से चिपकी हुई हूँ। मैंने घबराकर अलग होने की कोशिश की, लेकिन पापा ने मेरी कमर में हाथ डालकर मुझे अपने नंगे जिस्म के साथ जोर से जकड़ लिया।

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“जानू, ऐसे ही बैठी रहो,” पापा ने कहा, उनकी आवाज में एक अजीब सी गर्मी थी।

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मैं कुछ जवाब नहीं दे पाई। मैं पापा के बायीं तरफ से लिपटी थी, मेरा सिर उनके सीने पर था। शीट हटने की वजह से पापा का खड़ा लंड मेरे चेहरे से बस एक फुट की दूरी पर था। पापा ने फिर से अपने लंड को दाहिने हाथ की मुट्ठी में पकड़ा और धीरे-धीरे उसे ऊपर-नीचे करने लगे।

“पापा, ये आप क्या कर रहे हैं?” मैंने हैरानी और शरम के साथ पूछा।

“आज तुम्हारी मम्मी की बहुत याद आ रही है, हीना,” पापा ने जवाब दिया, उनकी आवाज में एक उदासी थी।

“छी पापा, जब मम्मी की याद आती है तो आप ऐसा करते हैं?” मैंने थोड़ा हैरान होकर कहा।

“बेटा, वो तुम्हारी मम्मी थी, लेकिन मेरी बीवी भी थी। मियाँ-बीवी का रिश्ता कुछ और होता है,” पापा ने समझाने की कोशिश की।

“मैं समझी नहीं, पापा,” मैंने मासूमियत से कहा।

“बेटी, क्या तुम्हें नहीं पता कि मियाँ-बीवी का जिन्सी रिश्ता क्या होता है?” पापा ने पूछा।

“नहीं पापा, आप बताइए,” मैंने उत्सुकता से कहा।

पापा की साँसें अब तेज हो रही थीं। उनकी आवाज में एक कंपन था। “अब मैं जो तुम्हें बताऊँगा, उसके लिए तुम्हें मेरी तरह कपड़े उतारकर नंगी होना पड़ेगा। क्या तुम तैयार हो?”

मैं उनकी बात सुनकर बुरी तरह शरमा गई और उनकी पकड़ से निकलने की कोशिश करने लगी। लेकिन पापा ने मेरी शॉर्ट्स और टी-शर्ट उतार दी। अब हम दोनों बाप-बेटी पूरी तरह नंगे थे। पापा ने मेरा दाहिना हाथ पकड़कर अपना लंड मेरे हाथ में थमा दिया। फिर मेरी चिकनी, बिना बालों वाली चूत पर अपनी उंगली फेरते हुए बोले, “ये तुमने मेरा लंड पकड़ा हुआ है, और मैं तुम्हारी चूत पर उंगली फेर रहा हूँ। अगर मैं प्यार करते हुए इस लंड को अपनी बेटी की चूत में डालकर अंदर-बाहर करूँगा, तो इसका मतलब होगा कि मैं तुम्हें चोद रहा हूँ।”

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पापा की उंगली मेरी चूत पर लगते ही मेरे जिस्म में करंट सा दौड़ गया। जब उन्होंने मेरी चूत के दाने को छेड़ा, तो मैं मचल पड़ी और उनकी उंगली को अपनी रानों के बीच जोर से भींच लिया। उसी वक्त मैंने पापा के लंड को अपनी मुट्ठी में जोर से दबा लिया। पापा का लंड मेरे हाथ में किसी जिंदा चीज की तरह फड़फड़ा रहा था। मुझे अब समझ आ रहा था कि सेक्स क्या होता है।

“पापा, अपना लंड मेरी चूत में डालकर मुझे चोद के दिखाइए,” मैंने उत्तेजना में कहा।

“जानू, तुम अभी कुंवारी हो, और मेरी सगी बेटी हो। हमें ऐसा नहीं करना चाहिए। लेकिन एक साल से मेरा लंड किसी चूत को चोदने के लिए तड़प रहा है। बाहर जाकर मैं रंडी को नहीं चोदना चाहता। अगर तुम्हारी मर्जी हो, तो मैं अपनी बेटी को चोद सकता हूँ,” पापा ने कहा।

“पापा, मैं अभी सिर्फ तेरह साल की हूँ, लेकिन आपकी उंगली से मेरी चूत में जो आग लगी है, उससे मैं आपकी हालत समझ सकती हूँ। पापा, मुझे चोद के दिखाइए, ताकि मुझे पता चले कि आप मम्मी को कैसे चोदते थे। और पापा, मेरी शक्ल-सूरत मम्मी से बहुत मिलती है, तो आपको लगेगा कि आप अपनी बीवी को चोद रहे हैं,” मैंने शरमाते हुए कहा।

“उफ्फ, जानू, मेरी प्यारी बेटी, तूने तो मेरी मुश्किल आसान कर दी,” पापा ने कहा और मुझे अपनी गोद में बिठा लिया। उनका लंड मेरी रानों के बीच से निकलकर मेरे पेट से टच हो रहा था। लंड के सुपारे से चिकना-चिकना पानी निकलकर मेरे पेट पर लग रहा था।

पापा ने मुझे अपने से चिपकाकर मेरे होंठों, गालों और छातियों पर चूमना शुरू कर दिया। मेरे पूरे जिस्म में आग सी लग गई। मैं भी बेकाबू होकर पापा को चूमने-चाटने लगी। मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थीं। पापा ने मुझे बेड पर लिटा दिया और अपना लंड मेरे मुँह के पास लाकर बोले, “हीना, मेरी प्यारी बेटी, अपने पापा का लंड मुँह में लेकर चूसो। पापा के लंड से सीमेन निकलने वाला है, फिर मैं तुम्हें चोदूँगा।”

“पापा, ये सीमेन क्या होता है?” मैंने पूछा।

“जब तुम्हारे मुँह में निकलेगा, तो देख लेना। ये सफेद, क्रीम जैसी चीज होती है, बहुत गर्म और मजेदार। लो, अब चूसो पापा का लंड,” पापा ने कहा।

मैंने मुँह पूरा खोल दिया, और पापा ने अपना सख्त लंड मेरे मुँह में डाल दिया। मैंने अपने होंठों से लंड को दबाया और चूसने लगी। पापा धीरे-धीरे मेरे मुँह को चोदने लगे। “उफ्फ, हीना… जानू… मजा आ रहा है… चोद रहा हूँ अपनी बेटी के मुँह को… सीमेन निकलने वाली है…”

कुछ ही पलों में पापा के लंड से तेज पिचकारी मेरे मुँह में निकली। मेरा मुँह उनकी गर्म सीमेन से भर गया। मैंने ज्यादा से ज्यादा सीमेन पी ली, ताकि बाहर न निकले। पापा गहरी साँसें ले रहे थे, और उनका लंड मेरे मुँह में ढीला पड़ने लगा। जब उन्होंने लंड बाहर निकाला, तो बची हुई सीमेन मेरी छातियों पर बहने लगी। वो गाढ़ी, सफेद, चिकनी क्रीम जैसी थी, जिससे खट्टी-मीठी खुशबू आ रही थी।

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“देखी पापा की सीमेन? ऐसी होती है। जब ये चूत में निकलती है, तो बच्चा ठहर जाता है,” पापा ने कहा।

मैं इतनी गर्म हो चुकी थी कि मैंने पापा की सीमेन अपनी छातियों पर मलना शुरू कर दिया। पापा ने कहा, “अब मैं तुम्हारी चूत को चाटूँगा, ताकि वो मेरे मोटे लंड को लेने के लिए तैयार हो जाए।”

पापा सीधे लेट गए और मुझे अपने ऊपर आने को कहा। मैं इस तरह लेटी कि मेरी चूत उनके मुँह पर थी, और उनका लंड मेरे होंठों के सामने। पापा ने मेरी रानों को खोलकर मेरी चूत को अपनी जीभ से चाटना शुरू किया। उनकी जीभ मेरी चूत पर लगते ही मेरे जिस्म में बिजली सी दौड़ गई। जब वो मेरे दाने को चाटते, मैं मचल उठती। कभी वो मेरी चूत के छेद में जीभ डालते, तो मैं सिहर उठती।

“पापा, मेरी चूत में बहुत खुजली हो रही है… उफ्फ, मर जाऊँगी…” मैंने सिसकारते हुए कहा।

पापा ने मुझे बेड पर चित लिटाया और मेरी टाँगों के बीच घुटनों के बल बैठ गए। “जानू, अब पापा अपनी बेटी के साथ वो करेंगे, जो तुम्हारी मम्मी के साथ करते थे। तैयार हो, हीना?”

“पापा, क्या अब आप मुझे चोदेंगे? आपका लंड बहुत मोटा और लंबा है। मेरी छोटी सी चूत में कैसे जाएगा?” मैंने डरते हुए पूछा।

“मैंने तुम्हारी चूत को चाट-चाटकर इतना चिकना कर दिया है कि अब इसमें कुछ भी चला जाएगा। डरो मत, हीना। पहले मैं सिर्फ लंड का सुपारा डालूँगा, फिर धीरे-धीरे पूरा,” पापा ने कहा।

पापा ने मेरी टाँगें उठाकर अपने कंधों पर रखीं और मेरी गोल-गोल गांड के नीचे तकिया रख दिया, जिससे मेरी चूत पूरी तरह ऊपर उठ गई। वो मेरे ऊपर आए और मेरी छातियों को पकड़ते हुए बोले, “हीना, पहली बार तुम मुझसे चुदवा रही हो। अच्छा होगा अगर तुम मेरे लंड को अपनी चूत के छेद पर खुद लगाओ।”

मैंने उनके लंड को पकड़ा, जो मेरे चूसने से चिकना हो चुका था, और उसका सुपारा अपनी चूत के मुँह पर लगाया। पापा ने धीरे से धक्का दिया, और लंड का सुपारा मेरी चूत में फंस गया। “मजा आया, हीना?” पापा ने पूछा।

मैं शरम से उनकी आँखों में नहीं देख पाई और आँखें बंद कर लीं। पापा ने मेरे गालों, होंठों और छातियों को चूमना शुरू कर दिया। अब उनका लंड मेरी चूत में था, और मुझे शरम के साथ-साथ उत्तेजना भी हो रही थी। “जानू, और लंड डालूँ अंदर?” पापा ने पूछा।

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मैं कुछ न बोली, बस “हूँ” निकला। पापा ने एक जोरदार झटके में अपना पूरा लंड मेरी चूत में डाल दिया। दर्द से मेरी चीख निकल गई, “मर गई पापा… मेरी चूत फट गई… उफ्फ, बहुत दर्द हो रहा है…”

पापा ने मुझे अपने जिस्म से चिपकाया और प्यार करते हुए कहा, “जानू, पहली बार दर्द होता है। दो मिनट में ठीक हो जाएगा। तुम्हारी चूत इतनी टाइट है कि मेरे लंड को रबर बैंड की तरह जकड़ लिया है।”

हम कुछ देर यूं ही चिपके रहे। पापा मुझे चूमते रहे, और धीरे-धीरे दर्द कम होने लगा। मैंने भी उनके होंठों को चूमना शुरू किया। उनकी जीभ मेरे मुँह में थी, और मुझे अपनी चूत का स्वाद उनकी जीभ से मिल रहा था। मैं इतनी गर्म हो चुकी थी कि मुझसे रहा नहीं गया। “पापा, कुछ करो ना… मेरी चूत में आग लगी है…”

पापा ने मुझे अपनी गोद में उठाया और ड्रेसिंग रूम के बड़े शीशे के सामने ले गए। “जानू, देखो, हम बाप-बेटी कैसे लग रहे हैं?”

मैंने शीशे में देखा और शरम से पानी-पानी हो गई। मैं पापा की गोद में बंदरिया की तरह लिपटी थी। मेरी गांड पूरी तरह खुली थी, और पापा का मोटा लंड मेरी चूत में जड़ तक फंसा था। “पापा, मैं कितनी बुरी लग रही हूँ…”

“नहीं जानू, तुम बहुत हसीन लग रही हो। बिल्कुल वैसी, जैसी एक लड़की चुदवाते वक्त लगती है। देखो, तेरी टाइट चूत में मेरा लंड कैसे फंसा है,” पापा ने कहा और मेरी गांड को ऊपर उठाया। उनका लंड सुपारे तक बाहर आया, फिर उन्होंने दोबारा जोर से धक्का दिया।

“उफ्फ, जानू, तेरी चूत इतनी टाइट है कि चार धक्कों में ही मेरी सीमेन निकल जाएगी,” पापा ने कहा और तेजी से मेरी चूत में लंड अंदर-बाहर करने लगे। उनकी आवाज में जोश था, और मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थीं। “चोद रहा हूँ अपनी जानू को… ले मेरे लंड से… चुद मेरी बेटी…”

“पापा, चोदो मुझे… जोर से चोदो… मेरी चूत फाड़ दो… उफ्फ, मर गई… मम्मी, पापा ने मुझे चोद दिया…” मैं चिल्ला रही थी।

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मेरा जिस्म अकड़ने लगा, मेरी चूत ने पापा के लंड को और जोर से जकड़ लिया। “उफ्फ, जानू, मेरी सीमेन निकल रही है…” पापा ने चीखते हुए कहा, और उनकी गर्म सीमेन मेरी चूत की गहराइयों में भर गई। उसी वक्त मैं भी झड़ गई। हम दोनों बाप-बेटी पसीने से तरबतर थे। पापा का लंड ढीला पड़ने लगा, और वो मुझे गोद में लिए सोफे पर बैठ गए।

मैंने पापा की सीमेन को अपनी चूत और रानों पर मलना शुरू कर दिया। हम दोनों थककर बेड पर लेट गए, एक-दूसरे की बाहों में। “कैसा लगा, जानू?” पापा ने मेरे कान में पूछा।

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“पापा, आपकी बेटी को जन्नत मिल गई। और आपको?” मैंने शरमाते हुए कहा।

“जानू, तुम्हारी मम्मी के बाद आज तुमने वो मजा दिया जो मैंने कभी नहीं लिया। तेरी चूत इतनी टाइट है कि जी चाहता है बस चोदता रहूँ,” पापा ने कहा और मेरी गांड पर हाथ फेरने लगे।

मैंने अपनी टाँग उनके ऊपर डाल दी, और उनका लंड मेरी चूत से रगड़ने लगा। “पापा, फिर से चोदो ना…” मैंने शरमाते हुए कहा।

पापा ने मुझे घोड़ी बनाया और पीछे से मेरी चूत चाटना शुरू कर दिया। मैं मचल उठी, “पापा, चोदो मुझे… लंड डालो मेरी चूत में…”

पापा ने मेरी गांड पकड़ी और एक झटके में लंड मेरी चूत में डाल दिया। वो तेजी से मुझे चोदने लगे। मेरी सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं। “चोद रहा हूँ अपनी बेटी को… ले मेरे लंड से…”

“पापा, जोर से चोदो… मेरी चूत फाड़ दो…” मैं चिल्ला रही थी।

पापा की सीमेन फिर से मेरी चूत में निकली, और मैं भी झड़ गई। हम दोनों थककर एक-दूसरे की बाहों में सो गए।

सुबह जब आँख खुली, तो मैंने देखा कि मैं पापा का लंड पकड़े हुए हूँ। वो फिर से तन गया था। पापा ने मुझे चिपकाकर चूमना शुरू कर दिया। “पापा, मुझे पेशाब आ रहा है,” मैंने कहा।

“मुझे भी, जानू। चलो बाथरूम में,” पापा ने कहा।

मुझे शरम आ रही थी, लेकिन पापा ने मुझे बाथरूम में ले जाकर अपने से चिपका लिया। उनकी उंगलियाँ मेरी चूत पर फिरने लगीं, और मुझसे पेशाब रोकना मुश्किल हो गया। “पापा, निकल जाएगा…”

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“तो कर दे मेरे मुँह में, जानू,” पापा ने कहा और मेरी चूत को अपने मुँह से चिपका लिया। मेरी पेशाब की धार उनके मुँह में गई, और वो उसे पीने लगे। फिर मैं खड़ी हो गई और उनकी बॉडी पर पेशाब करने लगी। पापा का लंड भी मेरे पेशाब से गीला हो गया।

“अब मेरी बारी,” पापा ने कहा और मुझे बाथटब में लिटाया। उनकी गर्म पेशाब की धार मेरे जिस्म पर गिरी—मेरे चेहरे, छातियों, चूत पर। मैं उनके पेशाब को अपने जिस्म पर मल रही थी।

“पापा, अब चोदो मुझे…” मैंने कहा।

पापा ने मुझे बाथटब में ही घोड़ी बनाया और अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया। “उफ्फ, जानू, तेरी चूत इतनी टाइट है…” वो जोर-जोर से मुझे चोदने लगे।

“पापा, चोदो… मेरी चूत फाड़ दो…” मैं चिल्ला रही थी।

पापा की सीमेन फिर से मेरी चूत में निकली, और मैं भी झड़ गई। हम दोनों थककर बाथटब में ही लेट गए। शावर के नीचे नहाते वक्त पापा ने मेरे जिस्म पर साबुन लगाया, मेरी चूत और गांड को सहलाया। मैं फिर से गर्म हो गई।

“पापा, आपका लंड फिर से तन गया,” मैंने हँसते हुए कहा।

“जानू, तेरा जिस्म ही ऐसा है। अब चूस इसे,” पापा ने कहा।

मैंने उनका लंड मुँह में लिया और चूसने लगी। कुछ ही पलों में उनकी गर्म सीमेन मेरे मुँह में निकली, और मैंने उसे पूरा पी लिया।

“पापा, मैं आपसे बहुत प्यार करती हूँ। आप जब चाहो, मुझे चोदना। मैं आपकी बेटी भी हूँ और आपकी औरत भी,” मैंने कहा।

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“जानू, तू मेरी जिंदगी है। मैं तुझसे बेटी और औरत, दोनों तरह से प्यार करता हूँ,” पापा ने कहा।

उस रात के बाद, जब भी हमारा मन करता, हम बाप-बेटी जी भरकर चुदाई करते। ये हमारा राज़ है, जो हमेशा हमारे बीच रहेगा।

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