पापा ने माँ और विधवा मौसी को चोदा | Papa Mousi Ki Chudai Kahani

Papa Mousi Ki Chudai Kahani पढ़े मेरी मौसी बहुत छोटी थी जब वह विधवा हो गई। उन्हें कोई नहीं था, इसलिए मेरे माता-पिता ने हमारे घर में ही रखा था। एक रात मैंने पापा के कमरे में मौसी को देखा..।

राजू मेरा नाम है। मैं उत्तर प्रदेश के एक शहर में पैदा हुआ हूँ। मैं, मेरी सौतेली बहन और मेरे माता-पिता मेरे परिवार में हैं। आज मेरी उम्र लगभग ३० वर्ष होगी। आज मैं शादीशुदा हूँ और मेरे बीवी से अच्छे संबंध हैं. हम दोनों की एक बेटी है।

दस साल से मैं अन्तर्वासना का पाठक हूँ। मैं अब जाकर अपनी Papa Mousi Ki Chudai Kahani आपको बता सकता हूँ।

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मैं आज भी दस साल पहले यौन उत्तेजना को याद करता हूँ। छुट्टी खत्म हो चुकी थी। मैं हर शाम दोस्तों के साथ घूमने के बहाने लड़कियों को ताड़ने के लिए शहर में घूमता था। आज भी शाम को चाय और सिगरेट पीना मुझे पुराने दिनों की याद दिलाता है।

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आज से लगभग आठ वर्ष पहले यह वाकिया हुआ था। मैं कॉलेज में पढ़ाई कर रहा था और परीक्षा खत्म होने पर घर आ गया था।

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यह जानकर घर परिवार का हर सदस्य खुश था। घर पर मेरे आने की खुशी में खाना बना रहे थे। उस दिन मुझे बहुत प्यार से स्वागत किया गया। कॉलेज के विद्यार्थियों को मेरी बात समझ में आती होगी।

जब मैं शाम को घर पहुंचा, तो मैंने देखा कि घर में मेहमान आए हुए थे। मैं और मेरी मौसी जी आए। घर का वातावरण कुछ अलग था। हर कोई अपना काम कर रहा था।

मेरी मौसी ने मुझे अपने पास बुलाकर कहा: “बेटा, कैसे हो?” आज बहुत दिनों के बाद मैंने आपको देखा है..। तुम बड़ा हो गया है।

कुछ देर बाद मौसा जी का फोन बजा, और उसने जल्दी से कहा, “अर्जेंट कॉल है..।” वे अपने कार्यालय से रवाना हो गए। कुछ देर बाद, उनकी कंपनी से फोन आया कि एक दुर्घटना हुई है।

हम सभी हॉस्पिटल की ओर भागे..। और हम वहाँ पहुंचने से पहले ही उनका निधन हो चुका था। यह क्या हुआ, हम सब अवाक थे। सभी बहुत दुखी थे। मैं भी माता-पिता को रोते हुए देखकर दुखी हो गया।

उन दोनों को हौसला देकर मेरे पिताजी चुप करने की कोशिश कर रहे थे। मैं घर पर रुक गया और अपनी छुट्टियां बढ़ा दीं।

अब मौसी हमारे घर पर थीं। मौसी के पास कोई औलाद नहीं था। उनके लिए कोई नहीं था।

यही कारण था कि मौसाजी की मृत्यु के बाद वह हमारे साथ रहने लगी थीं और हमने भी उनको अपने यहां ही रखने का निर्णय लिया था।

दिनों काटकर छुट्टियां खत्म हो गईं और मैं कॉलेज में आ गया।

मैं छह महीने बाद घर आया। घर में हर कोई नॉर्मल था। सभी लोग एक नई शुरूआत में लग गए।

दिन निरंतर बीत रहे थे। मेरे वापस जाने का दिन कुछ दिन बाद आ गया। मैं अपने पिता द्वारा मुझे दिए गए मोबाइल फोन से बहुत खुश था, जिसमें मैं एक अन्तर्वासना ऐप डाउनलोड करके एक सेक्स कहानी पढ़ रहा था।

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खाना खाने के बाद मैं अपने कमरे में जाकर सोने के लिए तैयार होने लगा। मेरे माता-पिता का कमरा अगल बगल में था, इसलिए मैं आसानी से उनके कमरे की कुछ आवाजें सुन सकता था।

देर रात मैंने कुछ आहट सुनकर सोचा कि क्या हो रहा है। आज उनके कमरे से कुछ अजीब आवाजें आ रही थीं। मैं बाहर निकलकर सुनने की कोशिश की।

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खिड़की की एक झिरी में से कमरे में घुसकर देखा कि एक छोटा सा बल्ब जल रहा था और कमरे के अंदर से चाटने की आवाजें आ रही थीं। इधर से कुछ दिखाई नहीं दिया। इसलिए मुझे अपने कमरे के कॉमन दरवाजे से अंदर देखना अच्छा लगा। जब मैं अपने और पापा के कमरे के बीच के दरवाजे में जगह देखने लगा, तो मुझे उधर एक बड़ी झिरी दिखाई दी। मैं उस झिरी में से झांककर देखकर हैरान रह गया।

मेरी माँ और मौसी जी लगभग नंगी होकर एक दूसरे को चूमने की कोशिश करते हुए एक दूसरे के ब्लाउज खोल रहे थे।

मेरे होश ही उड़ गए जब मैंने इसके आगे का सीन देखा। मैंने देखा कि पिता बिस्तर पर नग्न होकर लेटे हुए थे। वे अपने लिंग पर उत्तेजक तेल लगा रहे थे।

मुझे इसे देखकर कुछ समझ में नहीं आया और मैं अपनी सांसें नियंत्रित करने लगा। जैसे ही मैं खेल समझ गया, मेरा मन का शैतान भी जाग उठा। मैं चुपचाप उस झिरी में झांककर वीडियो रिकार्डिंग करने लगा।

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पिताजी ने अपने लिंग को सहलाते हुए कहा, “लोहा गर्म है”, जब मैं वीडियो बनाना ही शुरू किया था। दोनों मेरी पटरानियों, जल्दी आओ..। इसे मनोरंजन करो।

मेरी मां और मौसी तभी मेरे पिता की ओर लपकीं।
मेरे पिता ने मौसी को कहा कि वह उनके मुँह पर आकर बैठ जाए और मेरी मां उनके लिंग की ओर जाए।

यह सब देखकर मेरा लिंग भी उत्तेजित हो गया।

जब मैंने अपने आप को नियंत्रित किया, तो मैंने देखा कि मेरी मां पिता का लिंग अपने मुँह से चूमना और चूसना शुरू कर दी। मेरे पिता के मुँह पर अपनी योनि रखकर मौसी बैठ गई। मेरे पिता मौसी की योनि को चूस रहे थे और वह अपने वक्षस्थल को मसल रही थी, एक पेशेवर जिगोलो की तरह।

मेरे पिता ने मौसी की योनि में उंगली डालकर चूसना शुरू किया, और मौसी भी उनका पूरा साथ दे रही थीं।

मैं अपनी आंखों पर विश्वास नहीं कर पा रहा था कि ये सब मेरे सामने हो रहा था। लेकिन मैं इस खेल में अजीब सा मज़ा लेता था।

कुछ देर बाद मां और मौसी ने अपने स्थान बदल लिए। अब मेरी मां पिता के मुँह पर जाकर बैठ गई और उनकी जीभ से अपनी योनि चुदवाने लगी। मेरी मौसी दूसरी ओर मेरे पिता का लिंग हाथ में लेकर हस्तमैथुन करने लगी। मेरे पिता भी उस समय करीब 45 साल के होंगे। वो भी बहुत मजबूत थे।

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अब तक मेरी मां और मौसी भी गर्म हो गईं और पिता भी उत्तेजित हो गए थे। पिता ने मौसी से कहा कि वह लिंग को अपनी चूत पर सैट करे।
वह पिता के लिंग को अपनी योनि में डालकर बैठ गई। पिता ने अपना लिंग मौसी की योनि में डाल दिया।

अब मौसी बैठकर उनके हथौड़ेनुमा लिंग को उछल रही थीं। फुचफुच की आवाज पूरे कमरे में गूंज रही थी। उधर मेरी मां ने मोर्चा संभाला। वह अपने पिता के जोश को अपनी योनि से बांटने की कोशिश कर रही थीं, लेकिन मेरे पिता अपने समय में मशहूर लड़कीबाज थे, वह अलग कहानी है। जो फिर कभी बताऊंगा।

यह सब देखकर मेरा लिंग गर्म हो गया। मां और मौसी ने पिता के साथ 30 मिनट तक सेक्स किया। फिर पिता ने उन दोनों के वक्ष स्थानों पर अपना वीर्य डाला।

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तब मेरी मां और मौसी एक दूसरे को चाट चाटकर साफ करने लगीं। पिताजी ने फिर दोनों को चुंबन दिया और उनके कानों में कुछ कहने लगा।

मेरी मां भी थक चुकी थी। बिस्तर पर लेट गई थी। किंतु मेरे पिता का बड़ा लिंग दृढ़ रहता था। फिर से मेरी मौसी ने उसे सहलाना शुरू किया। लिंग करने के लिए पूरी तरह खड़े होने के बाद मौसी कंडोम का पैकट निकालकर फाड़ने लगीं।

मेरी मां ने कंडोम लेकर कहा, “तुम्हारे जीजा से कैसा परहेज है?” राजू के पिता के लिंग से अपनी योनि को संभोग करवाने के लिए कंडोम रहने दो।

मेरी मौसी ने पूछा: दीदी, अगर मैं गर्भवती हो जाऊँ तो क्या होगा?
मेरे पिता ने कहा कि तुम भी मेरी आधी घरवाली हो..। लेकिन आज से तुम पूरी हो।

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ये कहते हुए पिता ने मौसी का मुँह देखा और हंसने लगे। तब पिता ने मौसी को पलंग के सहारे से कुतिया की तरह जमीन पर टांगें रखवाकर कुतिया की तरह काम करने लगे।

मौसी नीचे से अपनी योनि को सहलाकर पिताजी को पूरा साथ दे रही थीं।

पिता जी का लिंग अंदर घुसते ही कमरा फिर से फुचफुच की आवाज़ से गूंज उठा। पिता ने मौसी की योनि में 15 मिनट तक पूरी तरह से सेक्स किया और अपना वीर्य उसमें ही प्रवाहित किया।

तब तीनों ने एक पलंग पर नंगे ही सोया। मैं भी जानता था कि खेल समाप्त हो गया था। अगले दिन मुझे भी हॉस्टल जाना था। मैं भी अपने लिंग को सहलाता हुआ अपने बिस्तर पर चला गया।
पूरी घटना मेरे मोबाइल फोन पर कैद की गई थी।

अगले दिन सब कुछ बिल्कुल सामान्य था, और मां मौसी सहित सभी लोग मुझसे सामान्य व्यवहार करने लगे। मैं अभी भी उस रात की घटना से स्तब्ध था।

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मेरे पिता ने कहा, “चलो बेटा, तुम्हारी ट्रेन का समय हो रहा है।”

मैं भी अपना बैग उठाकर घर से निकल गया। मैं बाल्कनी से माता जी और मौसी से गुजर रहा था।

मैं निकल गया।

अगले वर्ष छुट्टियां आने वाली थीं, और मैं बहुत उत्साहित था। नौ महीने तक मैंने हॉस्टल में रहते हुए हर दिन उस वीडियो रिकॉर्डिंग को देखा और हस्तमैथुन किया।

हालाँकि, इस बार घर वापस आते समय मुझे एक सुखद खबर नहीं पता थी।

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मौसी वहां पर नहीं थी जब मैं घर पहुंचा। मैंने माँ से पूछा कि मौसी कहां गई?
जवाब में मां ने कहा कि वे हॉस्पिटल में भर्ती हैं।

मैंने सोचा कि मौसी शायद कुछ बीमार होगी। फिर मैंने पाया कि मेरे पिता ही मौसी को ले गए हैं।

अब भी हमें अस्पताल जाना होगा। मेरी मां और मैं हॉस्पिटल चले गए। उधर, मालूम हुआ कि मौसी प्रसूता वार्ड में हैं। तब मुझे पता चला कि मौसी अब मेरी सौतेली मां बन गई हैं और एक बच्ची को जन्म दिया है।

मैंने अपनी मां से पूछा: क्या मैं जान सकता हूँ कि मौसी अब मेरी कौन लगती है?
धीरे-धीरे मां ने कहा कि अब भी तुम्हारी मां हैं। इस बच्ची को उनके पिता ने ही जन्म दिया है।

मैं चुपचाप मौसी के पास गया और उनसे मां कहकर बोलने लगा। मेरी बात से मेरी मौसी भी खुश थीं।

मैं जानता था कि बिना पति के मौसी की जिन्दगी जीना मुश्किल था, हालांकि ये क्षण मेरे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण थे। वह शायद किसी अन्य व्यक्ति से यौन संबंध बना लेतीं, जो शायद हम सभी के लिए बहुत गलत होता। इसलिए मैंने मौसी को अपनी माँ समझा।

अब मेरे पिताजी को किसी बात का मलाल नहीं था क्योंकि वे जानते थे कि मैं सब जानता हूँ।

प्रिय, मुझे आशा है कि आपको मेरी Papa Mousi Ki Chudai Kahani पसंद आई होगी क्योंकि ये मेरे जीवन के कुछ अनमोल क्षण थे

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