पति को धोखा दे मेरा बिस्तर गर्म करती

मेरा नाम विजय है। मेरी उम्र 22 साल है, हाइट 5 फीट 8 इंच, रंग गोरा, और शरीर फिट है क्योंकि मैं रोज जिम जाता हूँ। मेरा चेहरा ठीक-ठाक है, लेकिन मेरी हँसी और बात करने का तरीका लोगों को पसंद आता है। ये कहानी मेरी और मेरी पुरानी गर्लफ्रेंड दीक्षा की है। दीक्षा 21 साल की है, उसकी हाइट 5 फीट, रंग हल्का साँवला, और उसका फिगर 34-28-36 है। उसके लंबे काले बाल, गहरी भूरी आँखें, और मुस्कान ऐसी है कि कोई भी उसकी ओर खिंचा चला जाए। वो हमेशा सलवार-सूट या जींस-टॉप में रहती थी, जो उसकी खूबसूरती को और बढ़ाता था।

ये कहानी तब शुरू होती है जब मैं 19 साल का था और 12वीं क्लास में था, क्योंकि मैंने 11वीं में एक साल फेल होकर दोबारा पढ़ा था। मैं अपनी क्लास का कैप्टन था, और मेरी जिम्मेदारी थी कि क्लास में अनुशासन बना रहे। स्कूल का माहौल सख्त था, और फ्री पीरियड में मैडम हमें शांत रहकर पढ़ने या चुप रहने को कहती थीं, क्योंकि पास की क्लास में पढ़ाई चल रही होती थी। अगर कोई हल्ला करता, तो मैं उसका नाम एक कागज पर लिखकर मैडम को दे देता था। मैडम उन बच्चों की पिटाई करती थीं, और सबसे आगे वाली बेंच पर बैठने वाली तीन लड़कियों—दीक्षा, प्रिया, और रीना—का नाम हमेशा उस लिस्ट में होता था।

दीक्षा उनमें सबसे अलग थी। वो हँसती तो पूरी क्लास उसकी आवाज की तरफ देखती। उसका स्वभाव चुलबुला था, लेकिन वो सीधी-सादी भी थी। एक दिन फ्री पीरियड में जब मैंने फिर से उसका नाम लिखा, उसने मुझे गुस्से से देखा और बोली, “विजय, मुझे तुमसे अकेले में बात करनी है।” उसकी आवाज में गुस्सा कम, कुछ और ज्यादा था—शायद नाराजगी या कुछ छुपा हुआ। मैं समझ नहीं पाया कि वो क्या चाहती है। मैंने सोचा, शायद वो मुझसे नाम लिखने की वजह से गुस्सा है।

अगले दिन उसने मुझे कॉरिडोर में रोका और बोली, “अकेले में बात करना मुमकिन नहीं है। ये लो मेरी कॉपी, इसके बीच वाले पेज पर मैंने सब लिख दिया है। प्लीज पढ़ना।” उसने मुझे एक नीली कॉपी थमाई और तेजी से चली गई। उसकी आँखों में एक अजीब सी बेचैनी थी, जैसे वो डर रही हो, लेकिन कुछ कहना भी चाहती हो। मैंने कॉपी को अपने बैग में डाला और घर पहुँचकर उसे खोला।

जैसे ही मैंने वो पेज पढ़ा, मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई। उसमें लिखा था, “विजय, मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ। तुम मुझे बहुत अच्छे लगते हो। तुम्हारी हँसी, तुम्हारा क्लास में सबको चुप कराने का तरीका, सब कुछ मुझे अच्छा लगता है। प्लीज बताओ, क्या तुम भी मुझे पसंद करते हो?” उसने अपनी हर बात खुलकर लिखी थी, और आखिरी लाइन थी, “अगर तुम्हें ये सब ठीक न लगे, तो प्लीज किसी को मत बताना।” मेरे दिल में एक अजीब सी गुदगुदी हुई। मैं रात भर उस कॉपी को बार-बार पढ़ता रहा।

अगले दिन क्लास में जब मैं दीक्षा से मिला, उसने मुझे शर्माते हुए देखा और मुस्कुराई। मैंने भी हल्का सा स्माइल दिया और उससे बात शुरू की। उस दिन के बाद हमारी बातें बढ़ने लगीं। वो मुझसे अपनी हर छोटी-बड़ी बात शेयर करने लगी। हम लंच ब्रेक में, स्कूल के बाद, और फोन पर घंटों बातें करते। धीरे-धीरे हमारा प्यार गहरा हो गया। वो मेरे साथ इतना खुल गई थी कि अपनी हर बात—यहाँ तक कि अपनी छोटी-मोटी शरारतें भी—मुझसे बताती।

एक दिन मैंने उसे अपने दोस्त राहुल के घर बुलाया। राहुल मेरे बचपन का दोस्त था, और उसके मम्मी-पापा उस दिन अपने गाँव गए थे। राहुल ने मुझे अपनी चाबी दी थी और कहा, “बस घर को सँभालना, मैं शाम को लौटूँगा।” दीक्षा ठीक 4 बजे आई। उसने लाल रंग का सलवार-सूट पहना था, जिसमें वो और भी खूबसूरत लग रही थी। मैंने उसे अंदर बुलाया और सोफे पर बैठने को कहा। वो मेरे पास बैठ गई, और उसकी खुशबू से मेरा दिल धड़कने लगा।

हमने थोड़ी देर इधर-उधर की बातें कीं—स्कूल, दोस्त, और पुरानी बातें। फिर मैंने उसका हाथ पकड़ा और धीरे-धीरे सहलाने लगा। उसकी उंगलियाँ नरम थीं, और उसने मुझे रोकने की कोशिश नहीं की। लेकिन तभी वो अचानक रोने लगी। मैं घबरा गया और बोला, “दीक्षा, क्या हुआ? मैंने कुछ गलत किया?” उसने अपनी आँखें पोंछीं और बोली, “विजय, क्या तुम मुझे उतना ही चाहते हो, जितना मैं तुम्हें चाहती हूँ? क्या तुम मुझसे शादी करोगे?”

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उसके सवाल ने मुझे चौंका दिया, लेकिन मैंने तुरंत कहा, “हाँ, दीक्षा, मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ।” उसने मेरी तरफ देखा और मेरे गले लग गई। उसकी गर्म साँसें मेरी गर्दन पर लग रही थीं। हम थोड़ी देर ऐसे ही बैठे रहे, फिर वो उठकर चली गई। मैं उसके ख्यालों में खो गया, सोचता रहा कि हमारा रिश्ता अब कहाँ जाएगा।

उसके बाद हम कई बार अकेले मिले। मैंने उसे कई बार चूमा, लेकिन उसने मुझे कभी आगे बढ़ने नहीं दिया। वो कहती, “विजय, अभी ये सब ठीक नहीं।” हमारा प्यार कुछ महीनों तक ऐसे ही चला। लेकिन एक दिन मेरे बड़े भैया को हमारे रिश्ते का पता चल गया। उन्होंने मुझे बहुत समझाया कि अभी पढ़ाई पर ध्यान दो, रिश्ते बाद में बनाना। उनकी बातों का असर हुआ, और धीरे-धीरे हमारा ब्रेकअप हो गया। फिर भी हम अच्छे दोस्त बने रहे।

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हमने बाहर मिलना बंद कर दिया, लेकिन क्लास में बातें करते थे। स्कूल खत्म होने के बाद हम दोनों अलग-अलग कॉलेज में चले गए। अब हमारी बातें सिर्फ फोन तक सीमित थीं। फिर एक दिन मुझे पता चला कि दीक्षा की शादी हो गई और वो अपने पति के साथ भोपाल चली गई। उसका पति, रवि, एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करता था। उसकी उम्र 28 साल थी, हाइट 5 फीट 10 इंच, और वो देखने में साधारण था। उसकी जनरल शिफ्ट थी, यानी सुबह 9 से शाम 6 बजे तक।

मैं उस समय रायपुर में अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा था। ये मेरा आखिरी साल था। दो महीने पहले की बात है, मैंने दीक्षा को फोन किया, बस पुरानी यादों के लिए। उसने कहा, “विजय, भोपाल आ जाओ, मुझसे मिलने।” उसकी आवाज में एक अजीब सी बेचैनी थी। मैंने हाँ कह दी और अगले दिन भोपाल के लिए निकल गया।

दीक्षा एक किराए के मकान में रहती थी। मैंने दोपहर 1 बजे उसके घर की घंटी बजाई। उसने दरवाजा खोला। उसने नीले रंग का सलवार-सूट पहना था, और उसके बाल खुले थे। वो पहले से भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी। उसने मुझे अंदर बुलाया, पानी दिया, और फिर किचन में जाकर मेरे लिए नाश्ता बनाने लगी। मैं ड्रॉइंग रूम में बैठा उसकी हरकतें देख रहा था। उसकी चाल, उसकी मुस्कान, सब कुछ वैसा ही था, जैसे स्कूल में था।

नाश्ता बनाकर वो मेरे पास सोफे पर बैठ गई। हमने पुरानी बातें शुरू कीं—स्कूल के दिन, हमारी शरारतें, और वो कॉपी वाला किस्सा। हँसते-हँसते मैंने पूछ लिया, “दीक्षा, क्या तुम मुझे अब भी प्यार करती हो?” उसने मेरी आँखों में देखा और बोली, “हाँ, विजय, तुम मेरे पहले प्यार हो। मैं तुम्हें कभी नहीं भूल सकती।”

मैंने कहा, “लेकिन अब तुम शादीशुदा हो। ये सब भूल जाओ।” बात करते-करते मैंने उसका हाथ पकड़ लिया। उसकी उंगलियाँ अब भी वैसी ही नरम थीं। वो मेरे और करीब आ गई। मैंने उसे अपनी बाहों में ले लिया। उसने मेरे सीने पर सिर रखा, और उसकी साँसें मेरी शर्ट के ऊपर से महसूस हो रही थीं।

अचानक उसने मुझे जोर से पकड़ लिया और अपने होंठ मेरे होंठों के करीब लाकर चूमने लगी। मेरे शरीर में जैसे बिजली दौड़ गई। उसका चेहरा लाल था, और उसकी साँसें तेज। हम करीब 10 मिनट तक एक-दूसरे के होंठ चूसते रहे। उसकी जीभ मेरे मुँह में थी, और मैं उसकी जीभ को चाट रहा था। हम दोनों के शरीर गर्म हो रहे थे।

हम बेडरूम में चले गए। मैंने उसे बेड पर लिटाया और फिर से चूमना शुरू किया। मेरा 7 इंच का लंड उसकी चूत के बारे में सोचकर कड़क हो गया था। उसने मेरी शर्ट के बटन खोलने शुरू किए, और मैंने उसका दुपट्टा हटाया। वो अब भी नीले सलवार-सूट में थी। मैंने उसके बूब्स को सूट के ऊपर से दबाना शुरू किया। उसके बूब्स 34 इंच के थे, और पहले से ज्यादा भरे हुए लग रहे थे।

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वो सिसकियाँ ले रही थी, “आआह्ह, विजय, धीरे!” लेकिन उसने मुझे रोका नहीं। मैंने एक हाथ से उसका बूब दबाया और दूसरे से उसकी कमर सहलाने लगा। उसकी साँसें और तेज हो गईं। मैंने उसका सूट ऊपर उठाया और उसके पेट को चूमने लगा। उसकी त्वचा इतनी नरम थी कि मैं रुक नहीं पा रहा था।

मैंने उसका सूट उतारने की कोशिश की, लेकिन उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली, “विजय, ये गलत है। मैं शादीशुदा हूँ।” उसकी आवाज में हिचकिचाहट थी, लेकिन उसकी आँखों में वही पुराना प्यार था। मैंने कहा, “दीक्षा, ये सिर्फ हमारा प्यार है। इसमें कुछ गलत नहीं।” मैंने उसे समझाया, और वो धीरे-धीरे मान गई।

वो उठी और दरवाजा बंद करने चली गई। वापस आकर वो मेरे ऊपर लेट गई। मैंने उसका सूट पूरी तरह उतार दिया। अब वो काली ब्रा और सलवार में थी। उसकी ब्रा में उसके बूब्स उभरे हुए थे, और मैंने ब्रा के ऊपर से ही उन्हें दबाना शुरू किया। वो सिसक रही थी, “आआह्ह, विजय, और जोर से!” मैंने उसकी ब्रा का हुक खोला और उसे उतार दिया।

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उसके 34 इंच के बूब्स मेरे सामने थे, गोल और भरे हुए। मैंने एक बूब को मुँह में लिया और जोर-जोर से चूसने लगा। दूसरा बूब मैं अपने हाथ से दबा रहा था। उसका निप्पल सख्त हो गया था, और वो सिसकियाँ ले रही थी, “उउउह्ह, विजय, आआह्ह, ऐसे ही!” मैंने उसके दोनों बूब्स को बारी-बारी से चूसा और दबाया। उसकी साँसें इतनी तेज थीं कि कमरा गर्म हो गया था।

मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खोला और उसे नीचे सरकाया। अब वो सिर्फ काली पैंटी में थी। मैंने उसकी जाँघों को सहलाया, और वो काँप रही थी। मैंने उसकी पैंटी के ऊपर से उसकी चूत को छुआ, और वो पूरी तरह गीली थी। मैंने पैंटी के अंदर हाथ डाला और उसकी चूत को रगड़ना शुरू किया। वो जोर से सिसकी, “आआह्ह, विजय, ये क्या कर रहे हो!”

मैंने उसकी पैंटी उतार दी। उसकी चूत गीली और गर्म थी। मैंने अपनी दो उंगलियाँ उसकी चूत में डालीं और अंदर-बाहर करने लगा। वो चीख रही थी, “आआह्ह, उउउह्ह, और तेज!” मैंने उसकी चूत को उंगलियों से रगड़ा, और उसका रस मेरी उंगलियों पर लग रहा था। फिर मैं नीचे झुका और उसकी चूत पर अपनी जीभ रखी।

वो जोर से चीखी, “आआआह्ह! विजय, नहीं, ये गंदी जगह है!” लेकिन मैं रुका नहीं। मैंने उसकी चूत की पंखुड़ियों को उंगलियों से खोला और अपनी जीभ अंदर डाल दी। उसकी चूत का स्वाद नमकीन और गर्म था। मैं उसे चाटता रहा, और वो मेरे सिर को अपनी जाँघों के बीच दबा रही थी। वो चीख रही थी, “आआह्ह, विजय, और चाटो! उउउह्ह, खा जाओ मेरी चूत को!”

मैंने उसकी चूत को 10 मिनट तक चूसा। उसका शरीर काँप रहा था, और वो बार-बार सिसक रही थी, “आआह्ह, उउउह्ह, हाँ!” उसने कहा, “रवि ने कभी मेरी चूत ऐसे नहीं चूसी। तुम बहुत अच्छे से चूसते हो!” उसकी आवाज में जोश था, और कमरे में उसकी सिसकियाँ गूंज रही थीं।

फिर मैंने कहा, “दीक्षा, मेरा लंड चूसो।” पहले तो उसने मना किया, बोली, “नहीं, मैंने कभी ऐसा नहीं किया।” लेकिन मेरे बार-बार कहने पर वो मान गई। मैंने अपनी जींस और अंडरवियर उतारा। मेरा 7 इंच का लंड पूरा कड़क था। उसने उसे अपने नरम हाथों में लिया और धीरे-धीरे मुँह में डाला। उसकी जीभ मेरे लंड के टोपे पर घूम रही थी, और मैं सिसक रहा था, “आआह्ह, दीक्षा, और चूसो!”

वो मेरे लंड को धीरे-धीरे चूस रही थी। उसकी गर्म साँसें मेरे लंड पर लग रही थीं। वो कभी टोपे को चूसती, तो कभी पूरा लंड मुँह में लेती। मैं 15 मिनट तक उसका मुँह चोदता रहा। फिर उसने कहा, “विजय, अब और नहीं। प्लीज, अंदर डाल दो। मैं तड़प रही हूँ।”

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मैंने उसकी चूत पर अपना लंड रगड़ना शुरू किया। उसकी चूत इतनी गीली थी कि “फच-फच” की आवाज आ रही थी। मैंने धीरे से लंड का टोपा उसकी चूत में डाला। वो सिसकी, “आआह्ह, धीरे, तुम्हारा लंड बहुत मोटा है!” उसने कहा कि रवि का लंड 5 इंच का था और मेरे लंड से पतला। मैंने कहा, “चिंता मत करो, मैं धीरे करूँगा।”

मैंने धीरे-धीरे लंड अंदर डाला। वो सिसक रही थी, “उउउह्ह, आआह्ह, धीरे!” जब आधा लंड अंदर गया, मैंने एक जोरदार धक्का मारा और पूरा 7 इंच का लंड उसकी चूत में डाल दिया। वो जोर से चीखी, “आआआह्ह!” उसने मुझे कसकर पकड़ लिया और अपने नाखून मेरी पीठ में गड़ा दिए। मैं रुक गया और उसके बूब्स को सहलाने लगा।

जब वो थोड़ा शांत हुई, मैंने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए। उसकी चूत इतनी टाइट थी कि मेरा लंड हर धक्के में रगड़ खा रहा था। वो सिसक रही थी, “आआह्ह, विजय, और जोर से! उउउह्ह, चोदो मुझे!” मैंने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी। “फच-फच-फच” की आवाज कमरे में गूंज रही थी। उसने अपनी टाँगें मेरी कमर पर लपेट लीं और अपनी चूत को मेरे लंड पर दबाने लगी।

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वो चीख रही थी, “आआह्ह, हाँ, और जोर से! उउउह्ह, मेरी चूत फाड़ दो!” मैंने उसे और तेज चोदा। उसकी चूत का रस मेरे लंड पर लग रहा था, और वो बार-बार काँप रही थी। करीब 15 मिनट की चुदाई के बाद वो झड़ गई। उसकी चूत ने मेरे लंड को और कस लिया, और वो चीखी, “आआआह्ह, मैं गई!”

मैंने धक्के जारी रखे। उसकी चूत अब और गीली हो गई थी। मैंने उसे पलटा और उसे घोड़ी बनाया। उसकी गोल गाँड मेरे सामने थी। मैंने उसकी गाँड पर एक चपत मारी, और वो सिसकी, “आआह्ह, विजय!” मैंने फिर से अपना लंड उसकी चूत में डाला और पीछे से चोदने लगा। वो चीख रही थी, “उउउह्ह, हाँ, और गहरा!”

मैंने उसके बाल पकड़े और तेज-तेज धक्के मारे। “फच-फच-फच” की आवाज के साथ उसकी सिसकियाँ कमरे में गूंज रही थीं। करीब 10 मिनट बाद मैं भी झड़ने वाला था। मैंने पूछा, “कहाँ डालूँ?” उसने कहा, “अंदर ही डाल दो!” मैंने एक जोरदार धक्का मारा और अपना वीर्य उसकी चूत में डाल दिया। हम दोनों हाँफ रहे थे।

हम नंगे ही बेड पर लेट गए। मैंने उसके बूब्स को सहलाया, और वो मेरे सीने पर सिर रखकर लेट गई। उसने कहा, “विजय, रवि ने मुझे कभी ऐसा सुख नहीं दिया। उसका लंड छोटा है, और वो जल्दी झड़ जाता है। तुमने मेरी चूत को आज ठंडा कर दिया।” हमने थोड़ी देर बाद फिर से चुदाई की। उस दिन हमने तीन बार सेक्स किया, हर बार अलग-अलग पोजीशन में।

अब जब भी उसका मन करता है, वो मुझे फोन करती है। मैं उसकी चूत को जमकर चोदता हूँ और उसे संतुष्ट करके लौट आता हूँ। उसकी प्यासी चूत मेरे लंड से हमेशा खुश रहती है।

दोस्तों, आपको मेरी और दीक्षा की चुदाई की कहानी कैसी लगी? क्या आपने भी कभी अपनी पुरानी गर्लफ्रेंड के साथ ऐसा गर्म अनुभव किया? अपनी राय कमेंट में जरूर बताएँ।

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