नशे में बेटी के जवान जिस्म को भोगा बाप ने

नमस्कार दोस्तों, घर मे मै, मेरी बीबी और मेरी लड़की जो कि 18 साल की है, रहते थे मेरा घर गांव से करीब २ फर्लांग दूर खेत में था, मै लगभग रोज ही शराब पीकर घर लौटता था कभी मैं घर पर खाना खाने से पहले पीता था, मैं ड्राइंग रूम में बैठ कर पीता था, मेरी लडकी मुझे बहुत प्यार करती थी. Daughter Incest

मैं अपनी बीबी की गैर मौजूदगी में उसकी कच्छी खिसका कर ऊसका गुप्तांग देखता था, जो बेहद चिकना और गोऱा था। तब उसकी झाँटे भी नहीं आयी थीं, पर अब वो बडी हो गयी थी, मेरी आदत थी कि मैं टाइम निकाल कर उसका गुप्तांग देख़ा करता था.

उसकी गोरी चिकनी चूत पर रेशे उगने शूरू हो गये थे, फ़िर कुछ महीने बाद उसके बाल मोटे और काळे होने लग गये. मेरी बीबी मेरे शेविंग रेज़र से अपनी झाँटे बनाती थी, एक दिन मैने देखा कि दामिनी मेरा शेविंग किट टटोल रहीँ है, मै समझ गया कि दामिनी अपनी झाँटें साफ करेगी.

मेंने उसमेँ 4 ब्लेड रखे हुए थे, उसमे से एक गायब हो गया. बस उस रात मैने फ़िर से उसकी सोते हुए कच्छी साइड की और मेरा शक सही निकला, उसनेँ झाँटें साफ़ कर ली थी. उसकी चूत देख कर मेरा लौड़ा खड़ा हो गया, वो हर 20 -25 दिन बाद झाँटें साफ़ करने लगी थी.

बस मेरा मानना था कि जब लड़की झाँटें साफ़ करने लग जाये तो वो चुदने लायक हो जाती है. वो घर में ही मासिक स्राव वाले दिनो में पुरानी चादर के टुकड़े लगा लिया करती थी, उन दिनो वो मुरझाई सी रहतीं थीं. मैं काफी शराब पीने लगा था.

वो मुझे रोज मना करती थी, पापा आप शराब छोड़ दो. पर मै अपनी बीबी से बहुत परेशान था, मेरी बेटी 18 साल में चल रही थी. सुन्दर तो वो थी ही, उसके जिस्म के अंगों कि तरफ़ जब जब मेरी नजर पड़ती थी, मैं बेचैन हो जाता था था.

घर में अक्सर स्कर्ट और टॉप मे रहती थी पर कॉलेज जीन्स मे जाया करती थी, वो बी एस सी में आ गयी थी. जब इण्टर में उसकी फेयरवेल हुई उसनेँ साङी पहनी, उस वक़्त मै उसकी कद काठी देख कर बहुत कामुक हो गया था, मै उसकी साड़ी ठीक करने के बहाने नीचे बैठा और उसकी साडी के चुन्नट सेट किये.

मै उसकी साडी और पेटीकोट हल्के से उठा कर देखा उसकी नाजुक चिकनी गोरी पिंडलियाँ बहुत सुन्दर थी, वो साड़ी मे बेहद सेक्सी लग रही थी, उसके पीछे के उभार मुझे सम्भोग के लिये बैचैन कर रहे थे। खैर वो कॉलेज चली गयी. बस तभी से मैं दामिनी को भोगने की ताक मे रहने लगा, मेरे पास सिर्फ़ 2 महीने थे,

सावन का महीना शुरू हो गया था। जीन्स में और टॉप में उसके बदन के उभार मुझे घायल करने लगे, कभी कभी जब वो मेरी बगल में खड़े होकर मुझे रात का खाना परोसती, तो मुझे उसके गोरे बदन से उसकी जवानी की खुश्बू आने लगती.

मैं बाथरूम में जाकर उसकी कच्छियाँ सूंघता, जो वो नहाने से पहले निकाल कर खूंटी पर टाँग दिया करती थी, मेरा मन उसे पाने के लिए तड़पने लगा. कई बार जब मै दारू पीकर बाहर से घर आता था तो तब तक वो सो जाती थी, और मेरा खाना टेबल टेबल पर रखा रहता था.

मैं खाने के बाद उसके कमरे के अंदर जाता था तो वो अपनी माँ के डबल बेड पर टॉप और स्कर्ट पहन कर बेसुध लेटी रहती थी. मै ऊसके सुन्दर मुख को देखता था और साथ ही उसकी छोटी छोटी पर पैनी ऊठी हईं निप्पल देख कर आहेँ भरता था.

उसकी स्कर्ट सोते समय उठ जाया करती थी तब मैं गौर से उसके सुगढ़ नितम्ब देखता था,  यानि कि उसकी मस्त गोरी गान्ड. उस समय मै अपना लण्ड हाथ मे लेकर उसकी खाल आगे पीछे करने लगता था, मेरा मन होता था कि मैं दामिनी को उल्टा छाती के बल लिटा कर इसकी मस्त गाँड मारूँ, या फ़िर दामिनी को अपनी गोद में खड़े होकर चोद दूँ.

दामिनी का बदन भरने लगा था, जब वो मुँह फेर कर करवट ले कर सोयीं हुई रहतीं तब मै उसकी कच्छी का उभरा हुआ हिस्सा देखता था जिसमें घुसने के लिये मेरा लण्ड कड़क हो कर हिलने लगता था, ऊसकी कच्छी की बींच की स्ट्रिप उसकी फांको के बीच में घुसी हुई होती थी.

एक रात मैं रह नहीँ सका और मैँ टोर्च लेकर ऊसकी फ़ुद्दी को देखने के लिये बैठ गया. मैने धीरे से उसकी स्ट्रिप एक किनारे कि और देखा कि दामिनी क़ी चूत पर घणे काले बाल हैं उस वक़्त मेरा मन हुआ कि मै उसकी खुबसूरत जवान चूत को अपनी मुट्ठी में बन्द करके भाग जाओं. ये कहानी आप Free Sex Kahani पर पढ़ रहे है.

पर मै ऐसा न कर सका, मै उसकी लंम्बी झिरी को देखता रहा जो मेरी मन्जिल बन चुकि थी. मै सोच रहा था कि दामिनी को ऐसा रगडूंगा कि किसी को भी न बतां सके कि पापां का लॅंड बहुत मोटा है, मुझे अपने लण्ड पर घमंड था।

मुझे पक्का यकीन था जब दामिनी एक बार मेरा तना हुआ 7 इंच लम्बा और दो इंच मोटा लण्ड देख लेगी तो उसे छुए बिना नहीँ रह सकेगी। भले ही वो मेरी बेटी थी, लेकिन उस वक़्त मै अपना मन मार कर वपिस आ गया, रात भर मै दामिनी की मस्तायी हुई गान्ड के बारे मे सोंचता रहा.

 कुछ दिन बाद मेरी बीबी अपने भाई के घर 2 महीने के लिए अपने मायके रहने चली गयी.  अगले दिन मै इंगलिश वाइन का हाफ घर लेकर आ गया। उसी वक़्त दामिनी अपनी सहेली के घर जाने के लिये तैयार थी, उसने जीन्स पहन रखी थीं, और पीला टॉप.

उसनेँ मेरे लिये चाय बनायी और मेरे गले मे प्यार से अपने दोनो हाथ डाल कर कहा पापा, मुझे 1000 रुपए दे दो, और उसे रुपए दे दिये मैने उसके बदन पर एक निगाह डाली. उसने पूछा पापा आप ऐसे क्यों देख रहे हो? मैने तुरन्त कहा दामिनी आज तूं बहुत सुन्दर लग रही है.

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वो शरमाई और मेरे गाल पर किस कर के चलीं गयीं, मैने इस बीच सोच लिया कि आज दामिनी की ज़ी भर कर चूदाई करुँगा चाहे दामिनी कितना ही चिल्लाएं? वैसे भी लड़कियां ऐसी बनी होती हैं कि वो कई मर्दों को संतुष्ट कर सकती हैं.

बस मै उसके आने का इंतज़ार करने लगा, उसने मुझे फोन किया कि पापा देर हो जायेगी, आप ख़ाने की चिंता मत करना.  वो करीब रात 9 बजे वापिस आई, वो अपने साथ होटल से खाना पैक करा ले आयीं थीं, उसकी कसी हुईं गाण्ड देख कर मेरा मन बेचैन था।

आज मेरा प्यासा लौड़ा उसकी कुंवारी चूत को चोदने को बेताब हो रहा था. मैने उसे कहा दामिनी बात सुन, तू ख़ाना खा ले, मेंने उसे कहा मै पहले ड्रिन्क करूँगा उसने कहा ठीक है पापा. उसने जीन्स मे ही मेरे लिये सलाद काटा, तब तक मै एक पटियाला पेग ले चूका था.

ऊसने कहा पापा आप ड्रिंक के साथ हि खा लो न, उसने आपना ख़ाना खाया और जब जब वो किचन मे जा रही थी मैँ कल्पना कर रहा था कि आज दामिनी के भारी चुत्तड़ मेरी गोद में होंगें। मै कुर्सी पर बैठा अपना लंड़ मसल रहा था, वो जब तक मेरे पास आई मै 3 बड़े पेग ले चुका था.

वो मेरे काफी करीब आई और सब्ज़ी ड़ाल कर जाने लगी मेने उसके चुत्तड़ पर हल्के से हाथ लगाया, उसने पता नही क्या समझा? लेकिन उसने कुछ नहीं कहा मैने ख़ाना खा लिया था, फ़िर मै ड्राइंग रूम की तरफ़ चला गया, वो बर्तन धोने लग गयी.

मै सोफे पर बैठ गया, मैने लुंगी, और सैंडो कट बनियान पहन रखी थी. मैंने उसे पानी लेकर बुलाया, उसने मेरी तरफ़ देखा, उस वक़्त उसने चैक वॉली बटन वालीं छोटी शर्ट और स्कर्ट पहन रखी थी, जैसे ही वो पानी रख कर जाने को हुई, मैने उसे कहा, दामिनी तेरा काम निपट गया न?

उसने कहा कि हां पापा बस किचन मे साफ़ करना है, मेंने उसे कहा कि मुझे तुझसे कुछ खास बात करनी है. दामिनी ने कहा पापा सुबह कर लेना, आपको काफी नशा भी हो गया है. मेंने कहा अरे पगली, इतनी तो मै रोज ही पीता हुँ, उसने कहा पापा ठीक है, आ जाउँगी, मेंने 3 पैग ले लिए थे.

जुलाई का महीना था, बाहर बारिश शूरु हो गयी थी, करीब ६-७ मिनट बाद वो आ गयी. उसने कहा पापा मैने गेट पर ताला लगा दिया है, जब वो आयी तो मेरी बगल में बायीं तरफ़ बैठ गयी. मैने पहले उससे पढाई के बारे में २-४ बात की, मैने उसके कंधे पर बायाँ हाथ रख दिया पहले भी मै रखता था.

मैने उसका हाथ अपने हाथ में ले लिया, मैं बातोँ ही बातोँ में उसका हाथ दबाने लगा, फ़िर मैं उसके बाल सहलाने लगा. मैने उसे कहा दामिनी, आई लव यू, उसने भी मुझे थैंक यू कहा। उसने कहा पापा आई लव यू टू। बस तभी मैने उसे अपनी तरफ़ खींचा और उसके होंठों पर चुम्बन ले लिया.

मैने उसे कहा दामिनी तू बहुत सुन्दर है, उसने मुझे फ़िर से थैंक यू कहा और ऊठ कर जानें लगीं. बाहर तेज बारिश शुरू हो गयी थी, मैने उसे खींच कर अपनी गोद में बैठा लिया, उसने कहा पापा नहीं, मुझे पता था कि इस समय क्या करना है?

मैने अपनी दायीं हथेली से उसकी दुददी धीरे से दबाई, उसने मेरा हाथ पकड़ लिया, और बाएं हाथ को मैने दामिनी की चिकनी जाँघ पर रख दिया. वो मेरी जाँघों पर बैठी हुई थी, मैने उसे कामवासना का अह्सास करा दिया था, मै उसके गालों को चूमने लगा।

मैने उसकी दोनो टाँगें अपनी जांघों में भींच ली, दामिनी मेरी गोद में पसर सी गयीं, मैनें ऊसकी कच्छी में हथेली सरका दी, उसनें कहां पापां, नही. मैं उसकी करकरी झाँटों से खेलने लग गया, जो कि ६-७ दिन पुरानी थी, फ़िर मेंने उसकी शर्ट के उपर के दो बट्टन खोल दिये, दामिनी ने धीरे से कहा पापा नहीं, क़ोई देख लेगा.

मैने उसे दिलासा दी कि नहीं यहॉँ क़ोई नही आने वाला है, रात के 11 बजे है बस तू और मैं हैँ, मै उसकी दुदियां मसल्ने लग गया, उसने कहा पापा आप बहुत नशे मे हैं. लेकिन मै नहीँ माना, मैने दामिनी का गुप्तांग अपनी हथेली में हल्के से दबा दिया, साथ ही मै उसके होँठ चूस रहा था.

वो मेरा हाथ पकड़ने की कोशिश कर रही थी, तभी मैने धीरे से दामिनी की दोनों टांगें दायें हाथ से उपर उठायी और बाएं हाथ से दामिनी को सोफे पर लिटा दिया, मैने पहले उसकी स्कर्ट और फ़िर उसकी कच्छी उतार दी, और बिना समय गंवाए उसकी चूत पर 3 -4 चुम्बन ले लिए।

उसकी छाती धड़कने लगी थी, साथ हि मैनें अपनीं लुंगी उतार कर फेंक दी, कमरे मे बल्ब जल रहा था, मैने देरी करना उचित नहीं समझा, दामिनी गरम हो चूकीं थी, मैने नीचे झुक कर उसे अपनी दोनो बाँहों में उठा लिया, दामिनी ने दबे हुए स्वर में पूछा, पापा, मुझे कहां ले जा रहे हो?

मैने उसे सिर्फ़ इतना हि कहा, दामिनी आज मै तेरी सुंदरता देखूंगा, और तेरी सवारी करुँगा, मै उसे बेड रूम में ले गया, और नाईट बल्ब जला दीया. मैनें दामिनी को धीरे से नरम बिस्तर पर धकेल दिया, और मैं उसके उपर सवार हो गया, मै उसे बेतहाशा चूमने लगा, साथ ही मैनें उसकि शर्ट के सारे बटन खोल दिये.

दामिनी मेरे नीचे पड़ी हुईं थी, मै बेहद कामुक हो गया था, मैने उसकी शर्ट उतार कर नीचे डॉल दी, मेंने फ़िर से ऊसके होंठ अपने होंठों मे दबाये, उसकी सॉंसों की महक मेरी कामवासना को भड़का चुकी थी, मैनें इसके बाद उसके कानों के नीचे चुम्मियाँ लीं।

फिर मेने उसकी बाँहों के नीचे की पसीनें क़ी गँध सुँघी, फ़िर मेंने जैसे हि उसके निप्पल अपने मुँह में लिये और चूसें, उसने मुझे अपनी बाँहों में मजबूती से जकड़ लिया, मैं उसकी काम उत्तेजना भड़का रहा था। तभी दामिनी ने कहा पापा, आई लव यू, उसने ये भी कहा पापा प्लीज लाइट बन्द कर दो न.

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मैने उसे कहा दामिनी मुझे तेरा बदन देखना है, उसने कहा पापा प्लीज बन्द करो न, फ़िर मैने हाथ बढ़ा कर लाइट बन्द कर दी, मै उसके गोरे बदन को चूमता हुआ नीचे आने लगा, उसकी नाभि में मैने जीभ चलाइ। नीचे नंगी तो वो थी ही, मैनें अब उसकी झाँटोँ कि खूश्बू लेनी शुरु कर दी.

मै अँधेरे मे ही बिस्तर पर उकडू बैठ गया, और मैने उसके पुटठों के नीचे हाथ डाल कर उसके चुत्तड़ अपनी हथेलियों में टिका लिये मै इतना कामान्ध हो चुका था कि अपनी ही जवान पुत्री के जिस्म से खेल रहा था, मैने उसका कुंवारा गुप्तांग अपने मुह मे ले लिया और चाटने लग गया.

दामिनी की कुँवारी चूत चाटने का मुझे बेहतरीन मौक़ा हाथ आ गया था। दामिनी आनंद के मारे अपनी करकरी चुत मेरे होंठों पर घिसने लगी थी, ऐसा तब होता है जब उसके बदन को लण्ड की चाहत होने लग जाये, मैने नशे की हालत में उसे कहा दामिनी तेरी चूत बहुत मस्त है.

मैने अपनी ऊँगली पर थूक लगाया और उसे और कामुक बनाने के लिये उसके भगांकुर को तेज -तेज सहलाना शुरू कर दिया, उसकी कामुक सी सी.…… की आवाज़ें मेरे कानो में एक सँगीत सा घोल रही थी तभी मैने दामिनी की टाँगें बिस्तर से नीचे लटकायी और फिर से नाईट बल्ब ऑन कर दिया.

इस बार उसने कुछ नहीं कहा, मैं नीचे फर्श पर उकड़ू बैठ गया, मैने दामिनी की उभरी हुई चूत को दोनों अंगूठों से फैलाया, और देखा कि दामिनी का छेद सिर्फ़ एक पेंसिल की मोटाई के बराबर है यह देख कर मेरा लण्ड झटके मारने लगा। मैने फिर से उसके भगांकुर को तेजी से 1 मिनट तक हिलाया.

 तभी मेरी छाती पर तेज गरम धार पड़ी, दामिनी ने काम आनन्द में आकर पेशाब करनी शूरू कर दी। पेशाब, बनियान से बहती हुई मेरे अंडरवियर तक आ गयी, जब तक उसकी पेशाब रुकी मेरा अंडरवियर भी गिला हो चुका था, उसकी फुद्दी थरथरा रही थी.

मैने उसकी गीली फ़ुद्दी को चाटना शूरु कर दिया उसने मेरे सिर को कस कर पकड़ लिया, मैने फिर लाइट बन्द कर दी और खड़ा होकर अपना कच्छा और बनियान निकाल दिया, मेरे खुद के पैर नशे में कहीं के कहीँ पड रहे थे और दूसरे उसकी चूत में लण्ड घुसेड़ने की इच्छा.

मैने फ़िर से उसकी टाँगें उठायी और बिस्तर पर पलट दिया, मैने दामिनी को उसके मुह के बल लिटा दिया और उसकी कमर पर लेट गया। मैने अपना मोटा और कड़क लण्ड दामिनी के चुत्तडों के बीच में लम्बाई के दाँव रख दीया और आगे पीछे हिलने लगा. ये कहानी आप Free Sex Kahani पर पढ़ रहे है.

मैने अँधेरे में ही उसके कान में कहा दामिनी,  तेरी गाण्ड बहुत गरम है, मेरा लेगी क्या? उसने सिर्फ हूँ कहा। पता नहीं वो समझी या नहीं कि मै क्या कह रहा हुँ, पर शायद वो भी मेरे मोटे स्थूल लण्ड क़ी गर्मी और सख्त पण महसूस कर रही थी.

मेने उसके चुत्तड़ मले और फ़िर दामिनी को सीधा कर दिया, बाहर तेज बरिश हो रहीं थी। मै फिर से उसके ऊपर लेट गया और फ़िर मैने अपने लण्ड को उसकी चूत के उपर रख दिया, वो लिपट गयी मैने उसकी मांसल झिर्री में लैंड फंसाया और नीचे से उपर क़ी तरफ़ घिसने लगा।

करीब 6 -7 बार घिसने के बाद मैने उसके छेद पर हल्का सा दबाव बढाया, दामिनी ने कहा पापा दर्द हो रहा है, मै फ़िर घिसने लगा, उसका निचला हिस्सा बीच बीच में उपर उठने लगा था, बस यही टाइम था जब दामिनी का बदन लण्ड मांग रहा था तभी मैने सुपाड़ा उसके छेद पर टिकाया और लगातार भरी दबाव बनाये रखा, दामिनी चिल्लायी नहीं पापा नहीं… …।

मेरा आधा सुपाड़ा उसके टाइट गुप्तांग को खोल चुका था, पापा मैं मर गईइइइइइइइइइइइइइइइइइइइ… … दामिनी अँधेरे में चिल्लाई बस इसके बाद मैने अपने मोटे चुत्तडों से कस कर धक्का मारा, और सुपाड़ा अंदर हो गया, दामिनी ने गहरी सांस लेकर कहा, आआआः

इसके बाद मैं दामिनी के बदन के उपर सवारि करने लगा, मै धीर धीरें ऊसकी कसी हुईं चुत के सलवट खोलनें लगा, दामिनी कि आवाज़ें आह आह मेरे कानो में सेक्स सुख का रस घोल रही थी, मै पूरीं ताकत से दामिनी के निचले हिस्से को रौंद रहा था, कमरे मे घना अंधकार था.

मेरे अनुमान के हिसाब दामिनी के अन्दर मेरा लौड़ा 5 इंच तक घुस चुका था, मुझे चुदाई करते हुए करीब 10-12 मिनट हो गए थे मैं दामिनी के बदन कि ताब न सह सका और मेंने अपने दोनों चुत्तड़ ऊठा कर दामिनी के अन्दर अपनी गरम फुहारें छोड़नी शूरु कर दी।

मै उसके बदन के ऊपर अधमरा सा लेट गया मुझे ये पता नही चला कि कब मुझे नींद आ गयी, सुबह जब मेरी आँख खुली तो मेरे उपर चादर थी और मै बिल्कुल नंगा पड़ा था। मैं उठा और मैने फर्श पर अपना गिला कच्छा और बनियान पडी देखी.

मैं अपराध बोध से ग्रसित था, मैने आलमारी से दूसरा कच्छा लिया और पहना, मेरे अन्दर अपनी बेटी दामिनी से आँख मिलाने कि हिम्मत नहीं थीं, फ़िर भी मै उसे देखता हुआ रसोई, बाथरूम और फ़िर ड्राइंगरूम में गया, वहाँ फर्श पर दामिनी क़ी कच्छी और ब्लू स्कर्ट पड़ी थी.

मैं फ़िर वापिस बैडरुम में आया और क्रीम कलर की चादर को ध्यान से देखा, उस पर खून के धब्बे पड़े हुए थे, मैनें अपने कच्छे को नीचे सरका कर देखा मेरे मुरझाये हूए लंण्ड पर भी खून के धब्बे थे जो हल्के पड गये थे, अब मुझे यकीन हो गया कि मैने अपनी बेटी दामिनी के साथ रात नशे में शारीरिक सम्बन्ध बना लिये थे, अब सवाल था कि दामिनी आखिर गयी कहाँ?

मुझे बहुत डर लगने लगा कि कहीं दामिनी कोई गलत कदम ना उठा ले, मै अपनीं बेटी को खोने मात्र के ङर से ही परेशान हो गया. मै फ़िर से ड्राइंग रूम मे गया जैसे हि मैने उसकी स्कर्ट उठायी तो ऊसके नीचे मुझे एक लैटर मिला,  मैने जल्दी से उसे खोला, और सोफे पर बैठ कर पढ़ने लगा, उसमें जो कुछ भी लिखा था मैँ वैसा हि यहाँ लिख रहा हूँ.

(मेरे प्रिय पापा, मुझे नहीं पता कि मुझे घर में ना पाकर आप कैसा महसूस कर रहे होंगे? मैं आपकी सिर्फ़ एक और एक ही बेटी हूँ, इसलिये मैं आपको बहुत प्यार करती हूँ, पर कल रात आपने नशे में मेरे साथ शारीरिक सम्बन्ध बना लिये.

ये ऐसा सम्बन्ध है जिसे समाज एक पिता और बेटी के बीच में कभी भी स्वीकार नहीं करेगा, मैं आपको बहुत प्यार करती हूँ इसलिये चाह कर भी आपको रोक नहीँ पायीं, मुझे पता है कि जब मै आपके सामने अपनी बात रखूंगी आप यही कहेँगे कि मुझे कुछ भी याद नहीं.

इसलिए मैने अपनी स्कर्ट, कच्छी और शर्ट जो जहाँ आपने उतारीं थी वहीं छोड़ दी है, अब मैं बड़ी हो गयी हूँ, पर ऐसा मेरे साथ पहले कभी भी क़िसी ने भी नहीं किया। आपकी ये पहली गलती है, लेकिन इसमें मेरी भी बराबर कि गलती है, मैँ यह बात कभी भी किसी को नही बताऊँगी, और ना ही आप बताएँगे, चाहे नशे में भी हों। मैं समाज में कभी भी आपका कद छोटा नहीँ होने दूँगी.

रात को आप मेरे शरीर से खेल रहे थे, और जब आपका मन भर गया तो आप मेरे उपर ही सो गये, इसके बाद मुझे भी थकान के कारण नींद आ गयी, सुबह जब मेरी आँख खुली तो मैने अपने आपंको आपकी बाँहों में पाया, कहने की जरुरत नहीं कि हम दोनों किस हालत में थे?

मैने अपने आपको आपकी बाँहों से मुक्त किया और हाथ बढा कर बल्ब जला दीया। मैं तो नंगी थी ही, आपको भी इस हालत में देख कर मेरे बदन में अजीब सा होने लगा, बाहर रुक रुक कर बारिश हो रही थी, आपका पुष्ट लिंग और उस पर लगे खून के धब्बे देख कर मुझे रात का सीन मेरी आँखोँ मे घूमने लगा, चादर भी ख़राब हो गयी थी।

आप गहरी नींद में सोये हुए थे, मैँ आपके पुष्ट लिंग को बहुत करीब से देखती रही, जो सामान्य दशा में आ गया था, और जिसने मुझे कली से फूल बना दिया था. पापा मैं जल्दी से लाइट ऑफ करके बाथरूम में गयी और शीशे में मेंने अपने शरीर पर आपकेँ दाँतोँ और ऊंगलियों के निशान देखे.

खैर पापां मैँ वो दर्द ज़िन्दगी भर नहीं भूलूंगी जो आपने कल रात मुझे दिया है साथ हि वो आनन्द भी नहीँ भूलूंगी जो आपने उस दर्द के बाद दिया है, साथ ही सोने से पहले आपने मेरे अन्दर जो प्यार उंडेला था, उसे आपकी दामिनी ने स्वीकार कर लिया है.

मेरी वो गलती आप माफ़ कर देना, जब मैने अन्जाने में आपको भिगो दिया था, इसके बाद भी आपने मुझे प्यार किया, साथ ही मेरी चीखों ने आपकेँ प्यार में खलल डाला हो तो मुझे माफ़ कर देना। ये मेरे बस में नहीँ था,  क्योंकि आप पूरे मर्द हो। इसके लिए आपकी मर्दानगी जिम्मदार है.

और हाँ एक बात और, न जाने आपके हाथों और होंठों मे वो कौन सा जादू था कि आपका प्यार पाकर मेरा अंग अंग मचलता गया? मैं आपको इस काम के लिये 100 में से 100 मार्क्स और आपकी मर्दानगी के लिये 100 में से 200 मार्क्स दे रही हूँ, ये मार्क्स आप किसी को नहीं बताएँगे, मेरे सिवा वक़्त आने पर.

मेरी चिंता मत करना, और ना ही ड्रिन्क करना, साथ ही कल रात वाले मेरे और अपने कपड़े चादर सहित भिगो देना, मैँ आकर धो दूँगी, जब मेरा मन थोङा शांत हो जायेगा मै खुद ही आ जाउँगी। अगर आपको लगता है कि आपकी दामिनी ने आपकों थोडी सी भी संतुष्टि दी है तो जब आप मुझे पहली बार देखें तो मुझे आपके किस का इंतजार रहेगा, आपकी अपनी दामिनी।)

जब मैने उसका ये मार्मिक लैटर पढा तो मेंरी ऑंखों में आसूँ गये, उसने मुझे माफ़ कर दिया था। साथ ही उसने मुझे मर्दानगी से नवाज दीया था, मुझे नही पता कि आखिर मैने उसे ऐसा क्या दिया था, जो वो इतनी भावुक हो गयी थी?

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पर उसका लैटर पढ़ कर इतना मुझे अंदाजा हो गया था कि दामिनी मेरे बड़े और मजबूत कड़क लण्ड की दीवानी हो गयी है, आखिर होती भी क्यो नहीँ ? उसे मेरा लौड़ा पसन्द आ गया था यह हाल तो उसका तब था जब मै कई कोशिशों के बाद भी सिर्फ़ 5 इंच अंदर घुसेड़ पाया था और सुबह जो उसने मेरा मुरझाया हुआ मगर मोटा लण्ड़ देख़ा होगा तो ऊसकी तमन्ना फ़िर से जाग गयीं होगी। मै दो दिन तक उसका इंतजार करता रहा पर वो नहीँ आयी, मै किसी को नहीं बता सकता था कि क्या हो गया है?

तीसरे दिन शाम को मेरे से नही रहा गया और मैं ड्रिंक करके रात को 9 बजे घर आया, देखा तो दामिनी बैडरूम में रानी कलर की साङी पहन कर सो रही है, उसने बाल खुले कर रखे थे, ब्लाउज़ में वो बहुत सुन्दर रही थी, कमरे में नाईट बल्ब जल रहा था. मैने अपना बैग रखा और मुह हाथ धोये और कपडे बद्ले, गेट पर ताला मारा और फ़िर सीधा उसके पास गया। मैने उसके होंठों के ३-४ चुम्बनं ले लिए वो जाग गयी, मैने उसकी वो शर्त पूरी कर दी थी. आगे की कहानी गले भाग में…

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