Mature indian mom sex story – Aunty ki birthday chudai sex story: हैलो दोस्तों, मेरा नाम विक्रम है। आज मैं आपको अपनी एक और सच्ची कहानी सुना रहा हूँ, जिसमें मेरी चुदक्कड़ माँ मेरे दोस्त आशीष से पूरी तरह चुद गईं और दोनों ने खूब मज़े किए। आपको लग रहा होगा कि मुझे ये सब इतनी बारीकी से कैसे पता? क्योंकि मैंने खुद सब कुछ छुपकर देखा था। बाहर जाने का बहाना बनाकर मैं घर के बाहर ही छुपा रहा, कभी खिड़की से, कभी चाबी के छेद से झाँकता रहा। माँ को चुदते देखकर मेरा लंड बार-बार खड़ा हो जाता था और मैंने वहाँ छुपकर कई बार मुठ मारी, यहाँ तक कि आखिर में झड़ भी गया।
मेरा दोस्त आशीष दिल्ली का रहने वाला है, कद 5 फुट 11 इंच, गोरा रंग, अच्छा जिम बॉडी और लंड का साइज़ 6.5 इंच का मोटा। मेरी माँ का नाम सपना है, हम फरीदाबाद में रहते हैं, मध्यमवर्गीय परिवार। पापा अपने काम में व्यस्त रहते हैं, इसलिए घर पर अक्सर माँ अकेली ही रहती हैं।
आशीष से मेरी अच्छी दोस्ती हो गई थी। एक दिन मैं उसे घर ले आया। जैसे ही उसने माँ को देखा, उसकी नीयत खराब हो गई। वो मन ही मन सोच रहा था कि इस रसीली चूत को किसी दिन फाड़कर ही दम लेगा। मैंने उसे माँ से मिलवाया, हाय-हैलो हुआ, माँ ने चाय बनाई, हमने पी। फिर मैं बहाना बनाकर बाहर निकल गया ताकि दोनों अकेले बात कर सकें, लेकिन असल में मैं छुपकर देखने की प्लानिंग कर रहा था।
उसके बाद आशीष अक्सर मेरे साथ घर आने लगा। माँ और उसकी बातें बढ़ने लगीं, हंसी-मज़ाक होने लगा। 6 जून को माँ का जन्मदिन था। पापा उस समय बाहर गए हुए थे। मैंने आशीष को बताया कि ये परफेक्ट मौका है। उसने तुरंत हाँ कह दिया।
जन्मदिन के दिन मैंने माँ से झूठ बोला कि मुझे बाहर जाना है और चला गया। लेकिन मैं घर के बाहर ही छुप गया, खिड़की से झाँकने की पोज़िशन में। थोड़ी देर बाद आशीष घर पहुँचा, हाथ में केक और गिफ्ट लिए। उसने घंटी बजाई।
माँ ने दरवाज़ा खोला, “अरे आशीष बेटा, तुम? कैसे हो?”
“आंटी, मैं बिल्कुल ठीक हूँ, और आपको जन्मदिन की बहुत-बहुत मुबारकबाद,” आशीष ने मुस्कुराते हुए कहा।
माँ चौंकीं, “धन्यवाद बेटा, लेकिन तुम्हें कैसे पता चला? और विक्रम तो घर पर नहीं है।”
“आंटी, अंदर बुलाकर पूछ लो ना,” आशीष ने शरारत भरी नज़रों से कहा।
माँ हंस पड़ीं और उसे अंदर ले आईं। आशीष ने बताया कि मैंने बातों-बातों में बता दिया था। माँ थोड़ा उदास हो गईं, “उसे तो याद है, पर तुम्हारे अंकल ने तो फोन तक नहीं किया।”
आशीष ने केक और गिफ्ट आगे बढ़ाया, “आंटी, केक काटो, फिर ये गिफ्ट खोलना।”
माँ की आँखें नम हो गईं, “बेटा, आज तक किसी ने मेरा जन्मदिन नहीं मनाया।”
आशीष ने धीरे से कहा, “कोई बात नहीं आंटी, आज मैं हूँ ना आपके साथ, आपको खुश करने के लिए।”
ये सुनकर माँ भावुक हो गईं और आशीष को ज़ोर से गले लगा लिया। आशीष ने भी मौका देखकर माँ की कमर पर हाथ फेरते हुए उन्हें कसकर हग किया। माँ की साँसें थोड़ी तेज़ हो गईं, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं कहा। मैं बाहर से ये सब देख रहा था, मेरा लंड तनने लगा और मैंने धीरे से पैंट के ऊपर से सहलाना शुरू कर दिया।
फिर दोनों ने मिलकर केक काटा। माँ ने आशीष को खिलाया, आशीष ने माँ को। अचानक आशीष ने बचा हुआ केक माँ के गाल पर लगा दिया। माँ हंस पड़ीं और बदला लेने के लिए आशीष के चेहरे पर केक मलने लगीं।
दोनों खेलते-खेलते एक-दूसरे पर खूब केक मलने लगे। माँ की साड़ी, ब्लाउज़, बाल, चेहरा सब केक से भर गए। आशीष की शर्ट भी गंदी हो गई। हंसते-हंसते दोनों की साँसें फूल रही थीं, बॉडी आपस में टकरा रही थी। आशीष बार-बार माँ के बूब्स को हल्का टच कर रहा था, माँ की कमर पकड़ रहा था। माँ की आँखों में शरारत और कुछ और भी था। मैं छुपकर ये सब देखकर और गरम हो गया, पैंट खोलकर लंड बाहर निकाल लिया और धीरे-धीरे हिलाने लगा।
आशीष ने गिफ्ट खोलने को कहा। अंदर एक सेक्सी लाल ड्रेस थी। माँ ने देखकर कहा, “वाह बेटा, बहुत सुंदर है।”
“आंटी, पहनकर दिखाओ ना,” आशीष ने कहा।
“अभी? कपड़े तो केक से पूरी तरह गंदे हो गए हैं,” माँ बोलीं।
“तो आंटी, नहा लो और ये पहन लो। मैं यहीं बैठा हूँ,” आशीष ने मुस्कुराते हुए कहा।
माँ शरमाते हुए बोलीं, “ठीक है, तुम बैठो, मैं अभी आती हूँ।”
माँ बेडरूम में गईं और बाथरूम का दरवाज़ा हल्का सा बंद किया। मैं चुपके से घर के अंदर घुस गया और बेडरूम की खिड़की से झाँकने लगा। आशीष भी बेडरूम में आ गया और बाथरूम के पास पहुँचा। उसने दरवाज़ा धीरे से खोला – माँ सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में शावर के नीचे खड़ी थीं। पानी उनकी गोरी बॉडी पर बह रहा था, बूब्स गीले होकर चमक रहे थे, पैंटी चूत के ऊपर चिपक गई थी।
आशीष ने तुरंत अपने कपड़े उतारे और नंगा होकर बाथरूम में घुस गया। माँ ने अचानक उसे देखा और नकली चौंकते हुए बोलीं, “अरे आशीष! तुम यहाँ क्या कर रहे हो? मैं नहा रही हूँ!”
आशीष ने शरारती अंदाज़ में कहा, “आंटी, मुझे भी तो केक लगा है ना, सोचा आपके साथ ही नहा लूँ। प्लीज़, आप मुझे भी साफ़ कर दो ना।”
माँ की नज़र आशीष के तने हुए लंड पर गई। वो मुस्कुराईं और बोलीं, “अच्छा बेटा, लाओ मैं साफ़ कर देती हूँ।”
माँ ने साबुन लिया और आशीष की छाती पर मलने लगीं। उनके हाथ नीचे सरकते गए। आशीष का लंड पूरी तरह खड़ा हो गया, नसें उभर आईं। माँ ने उसे हाथ में पकड़ लिया और धीरे-धीरे हिलाने लगीं। मैं खिड़की से देखते हुए अपना लंड तेज़ी से हिला रहा था, साँसें रोककर।
“आंटी, ये क्या छुपाया है तुमने? मेरे लिए कोई स्पेशल गिफ्ट?” माँ ने साँसें भरते हुए पूछा।
“हाँ आंटी, ये आपका सबसे हॉट बर्थडे गिफ्ट है,” आशीष ने कहा और माँ की ब्रा खोल दी।
माँ के भारी भारी बूब्स बाहर आ गए। आशीष ने उन्हें मसलना शुरू किया, निप्पल्स को चुटकियों में लिया। माँ की साँसें तेज़ हो गईं, “उफ्फ्फ आशीष… बेटा… आह्ह…”
आशीष ने माँ की पैंटी उतार दी। माँ की चूत पूरी तरह गीली थी, पानी और रस मिलकर बह रहे थे। आशीष ने उंगली डाली, माँ सिहर उठीं, “ओह्ह्ह… आशीष… कितना गंदा है तू…”
दोनों किस करने लगे, जीभें आपस में लिपट गईं। आशीष ने माँ को दीवार से सटाकर उनके बूब्स चूसने शुरू किए। माँ की स्टैम्प्स की आवाज़ें आने लगीं, “आह्ह… स्स्स… चूस बेटा… ज़ोर से…” मैं ये देखकर और तेज़ हिला रहा था।
फिर दोनों नहाकर बाहर आए, अभी भी नंगे। मैं खिड़की से सब देख रहा था, लंड हाथ में पकड़े। आशीष ने माँ को बेड पर लिटाया और ऊपर चढ़ गया। उसने माँ की चूत में जीभ डाल दी, दाना चूसने लगा। माँ तड़प उठीं, “आआह्ह्ह… आशीष… ओह्ह्ह्ह गॉड… चाट ना… उइइईई… मर गई मैं…”
माँ की कमर ऊपर उठने लगी, रस बह रहा था। आशीष ने अपना लंड माँ के मुँह के पास किया। माँ ने उसे मुँह में लेकर चूसने लगीं, ग्ग्ग्ग… गों गों… गी गी… की आवाज़ें आने लगीं।
दोनों 69 पोज़िशन में आ गए। माँ लंड को गले तक ले रही थीं, आशीष चूत को चाट रहा था। दोनों एक साथ झड़ गए, एक-दूसरे का रस पी गए। मैं ये देखते हुए ज़ोर-ज़ोर से मुठ मार रहा था और इसी समय मेरा माल निकल गया, गर्म-गर्म वीर्य मेरे हाथ और ज़मीन पर गिर गया।
थोड़ी देर आराम के बाद आशीष फिर खड़ा हो गया। माँ ने खुद कंडोम लगाया और बोलीं, “अब डाल बेटा… मेरी चूत तरस रही है।”
आशीष ने लंड चूत पर रगड़ा, माँ बिलबिला उठीं, “प्लीज़ आशीष… अब मत तड़पाओ… डाल दो अंदर…”
आशीष ने एक जोरदार झटका मारा। पूरा लंड अंदर चला गया। माँ चीखीं, “आआईईईई… धीरे बेटा… उफ्फ्फ कितना मोटा है तेरा…”
आशीष ने स्पीड पकड़ी, “आंटी, आज तो ज़ोरों की चुदाई होगी… ले साली… ले मेरा लंड…”
माँ की चीखें और मज़े की आवाज़ें मिल गईं, “आह्ह ह्ह्ह आह्ह… चोद बेटा… फाड़ दे मेरी चूत… ओह्ह्ह्ह येस्स्स…”
20 मिनट तक तेज़ धक्कों के बाद आशीष झड़ गया। दोनों पसीने से तर थे।
आराम के बाद आशीष ने फिर कपड़े उतारे और माँ को घोड़ी बनने को कहा। माँ शरमाते हुए मान गईं। आशीष ने फिर चोदा, इस बार गांड में भी डाला। माँ पहले दर्द से चीखीं, “नहीं बेटा… वहाँ नहीं…” लेकिन फिर मज़े लेने लगीं, “आह्ह… मार बेटा… दोनों छेद भर दे…”
पूरे दिन आशीष ने माँ को चारों खाने चोदकर उनका जन्मदिन यादगार बना दिया। मैंने सब छुपकर देखा, मुठ मारी और आखिर में झड़ भी गया। बाद में आशीष से भी सब कन्फर्म किया।