हरामी अध्यापक। Desi Xxx Bur Ki Kahani

Desi Xxx Bur Ki Kahani एक गांव के रईस, एक शिक्षक और उसकी बेटी की कहानी है। तीनों ही कामक्रीड़ा का आनंद लेने वाले बहुत आकर्षक चरित्र हैं।

प्रिय पाठकों, मैं घंटू हूँ..।

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यह नई Desi Xxx Bur Ki Kahani आज से करीब 33 साल पहले (1990) में कानपुर से लगभग 50 किलोमीटर दूर एक छोटे से गांव नाथूपुर में हुई थी।

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इस कहानी में ज्ञानचंद, ज्योति और ज्योति के पिता रामेश्वर हैं।

मेरा उद्देश्य किसी एक व्यक्ति को बदनाम करना नहीं है, बल्कि दो बालिगों के बीच आपसी सहमति से बने शारीरिक संबंधों का आपकी शुद्ध हिंदी भाषा में विस्तृत शब्दों से वर्णन करके लोगों को शुद्ध आनंद देना है।

इसलिए, घटनास्थल और पात्रों के मूल नाम बदले गए हैं।

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सेक्स कहानी के प्रमुख पात्रों का परिचय निम्नलिखित है:

ज्ञान चंद—वह ४५ से ४६ साल का है और एक सरल व्यक्तित्व है। रौबीला चेहरा, गहरा रंग, बलिष्ठ शरीर, लम्बा और ऊंचा कद, गहरी और तीव्र आवाज़ और चेहरे पर जंचती मूछें उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद लगभग बीस साल से कानपुर में एक बड़े सरकारी स्कूल में गणित और अंग्रेजी के योग्य वरिष्ठ शिक्षक है।

ज्ञान अपनी मर्दाना खूबियों के कारण कुछ लड़कियों और औरतों में बहुत लोकप्रिय है। ज्ञान चंद शादीशुदा है। 23 साल पहले, कॉलेज में पढ़ते हुए, उसका प्रेम विवाह शहर के एक अमीर आदमी की बेटी के साथ हुआ था।

उसके दो पुत्र हैं। 21 वर्षीय बेटा और 19 वर्षीय बेटी हैं। ज्ञानचंद का एक नियम था कि वह सिर्फ सुंदर और जवान लड़कियों और औरतों की चुदाई करता था। उसके जीवन में शायद ही कभी किसी लड़की या औरत ने उसका प्रणय निवेदन ठुकराया हो।

उसने लगभग हर उम्र में ढीली-ढाली चूतों से लेकर अक्षत कुंवारी चूतों की चुदाई का भरपूर आनन्द लिया था।

यहां विशेष रूप से ध्यान देने योग्य बात यह है कि उसकी शिकार किसी भी लड़की या महिला ने कभी किसी से शिकायत नहीं की, बल्कि ज्ञान चंद की काम कला से प्रभावित होकर लगभग हर महिला बार-बार उसके विशाल तगड़े और बमपिलाट लंड से चुदने की इच्छा से वापस लौटी थी।

कुंवारी लड़कियां, खासतौर पर पहली बार चुदने वाली, उसकी इतनी दीवानी हो जाती थीं कि वे शादी के बाद भी अपने पति से संतुष्ट नहीं हो पाती थीं और बार-बार ज्ञान चंद के अनुभवी औरतखोर लंड से रतिसुख लेने वापस आती थीं।

ज्ञान चंद की बीवी को उसकी कई प्रेम कहानियों का पता था, लेकिन उसे उनसे कोई ऐतराज़ नहीं था क्योंकि वह खुले विचारों की थी।

ज्ञान चंद भी अपनी निजी जीवन पर अपनी अय्याशियों का असर नहीं पड़ने देता था।

कुछ दिन पहले स्कूल में भौतिकी की एक नई 26 वर्षीया शिक्षिका पूजा ने पदभार ग्रहण किया था।

इससे पहले वह काम नहीं करती थी।

वह कुछ ही दिन पहले अपनी पढ़ाई पूरी कर चुकी थी।

कुछ ही दिनों में ज्ञान चंद ने अपने व्यक्तित्व और मीठी बातों से बेचारी पूजा को फंसाकर चोदना शुरू कर दिया।

बाद में पूजा ने फैसला किया कि वह अपने पति से तलाक़ लेकर उससे शादी करेगी।

ज्ञानचंद को मना करने पर पूजा भड़क गई।

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सह-अध्यापकों ने बचाव किया, जिससे मामला पुलिस तक नहीं पहुंचा। प्रधानाध्यापक ने ज्ञान चंद को समझा-बुझाकर नाथूपुर गांव में स्थानांतरित कर दिया, ताकि मामला आगे न बढ़े।

ज्ञान चंद ने भी वक्त की नजाकत को देखते हुए इसे स्वीकार कर लिया।

अब सूर्य का परिचय- ज्योति, जीवन के उन्नीस वसंत देख चुकी, अपनी मां की हूबहू परछाई है; वह बला की सुंदर, अल्हड़, कमसिन और कुंवारी युवती है। हाथ लगाने पर इसका रंग मैला हो जाता है। मक्खन में चुटकी भर सिन्दूर मिलाकर देखो। सुतवां सही अनुपात में उभारों और लंबी काया रखते हैं।

ज्योति रइस बाप की इकलौती औलाद, दसवीं कक्षा में पढ़ती है। पिछले तीन वर्षों से वह दसवीं पास करने की कोशिश कर रही है, लेकिन उसे गणित और अंग्रेजी के विषय बहुत कठिन लगते हैं। इसलिए पिछले तीन वर्षों से वह इन विषयों में फेल होने के कारण दसवीं की परीक्षा नहीं पास कर पाई थी।

पिता के रौब और डर से गांव का कोई मनचला उसकी ओर नहीं देखता था, लेकिन इसका मतलब यह नहीं था कि उसे कुछ भी नहीं मालूम था। उसकी कई शादीशुदा सहेलियों की सुहागरात और उनके पतियों के साथ होने वाली चुदाइयों की विस्तृत कहानियों से उसे मर्द-औरत की कामक्रीड़ा का ज्ञान हुआ।

इन कहानियों को सुनकर उसकी देसी बुर में चींटियां सी रेंगने लगीं और उसे अजीब सी खुमारी छा गई। वह भी किसी से मिलने को उत्सुक थी। लेकिन उसके पिता की कठोर निगाहें उसकी हर हरकत पर थीं, जो उसे मजबूर करती थी।

श्रीरामेश्वर का परिचय— 44 वर्षीय रामेश्वर तिवारी गांव का एक रसूखदार और रईस व्यक्ति हैं। ज्योति की मां, उनकी बीवी, लगभग पांच साल पहले एक घातक बीमारी से मर गईं। बीवी के समाप्त होने के बाद, रामेश्वर ने अपने खेतों में काम करने वाली कई युवा लड़कियों और औरतों को फंसा रखा था; वे उन्हें हर दिन गेहूं, गन्ने के खेतों में या ट्यूबवेल वाले कमरे में चोदा करते थे।

उनका रंडवा जीवन सुखद था। इस सबके बावजूद, रामेश्वर तिवारी को इस बात का दुःख था कि उनकी बेटी दसवीं की परीक्षा पास नहीं कर पाई थी। क्योंकि गांव के स्कूल में पढ़ाने वाले सभी शिक्षक सिफारिशों से निक्कमे थे और पूरे वर्ष बच्चों की पढ़ाई भगवान पर निर्भर रहती थी।

परीक्षा नजदीक आने पर, अधिकांश पास होने वाले लड़के और लड़कियां कानपुर (पचास किलोमीटर दूर) जाते थे, जहां वे कुछ दिन पीजी में रहते थे, ट्यूशन लेते थे और परीक्षा की तैयारी करते थे। लेकिन गांव की लगभग हर लड़की जब भी शहर में तैयारी करने जाती थी, तो उसे बुरा लगता था। उन्हें शहर के हरामी लड़के अपनी चिकनी चुपड़ी चीजों में फंसाकर चोद चोदकर बिगाड़ देते थे।

अधिकांश लड़कियां या तो स्थानीय पुरुषों से शादी कर लेती थीं या गर्भवती होकर वापस आती थीं। यही कारण है कि कुछ लोग, जो अपनी लड़कियों को आगे पढ़ाना चाहते थे, या तो भगवान को भरोसे लेते थे, या खुद शहर में जाकर रहते थे। रामेश्वर खुद एक बड़े चोदू थे, इसलिए उन्हें ज्योति को लेकर किसी भी आदमी पर भरोसा नहीं था, जो उसे शहर में रहने के लिए भेज सकता था।

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गांव में खुद का खेती करना जैसे बहुत सारे काम होने के कारण वे शहर में रहने नहीं जा सकते थे।

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साथ ही, उन्हें लगता था कि अगर ज्योति एक बार पढ़ लिख जाए तो वह शहर में कोई पढ़ा लिखा नौकरीपेशा लड़का देखकर उसकी शादी कर लेगी और खुल्लम खुल्ला अपनी कामवासना का खेल घर पर भी खेलेगी।

मैं अब इस मदमस्त सेक्स कहानी की शुरूआत कर रहा हूँ, उम्मीद करते हुए कि हर पाठक और पाठिकाअपना लंड चूत टपकने पर मजबूर हो जाएगा।

गांव में तबादला होने पर ज्ञानचंद अनमने भाव से वहां पहुंच गया। गांव के बाहर बस अड्डे पर पूछताछ करने पर पता चला कि गांव छोटा और गरीब है और इधर रहने लायक एकमात्र जगह रामेश्वर की हवेली है।

ज्ञान चंद ने रामेश्वर से मिलने का प्रयास किया और उनकी हवेली पर पहुंच गया।

उसने सिर्फ दरवाजे से पूछा कि क्या कोई घर पर था।

नौकरानी ने कहा कि जमींदार साहब खेतों पर गए थे और बिटिया अभी स्कूल से नहीं लौटी थी, आप थोड़ी देर में आना।

ज्ञान चंद जी, मैं गणित और अंग्रेजी का शिक्षक हूँ और आज शहर के बड़े स्कूल से गांव के स्कूल में स्थानांतरित हुआ हूँ। मैं रामेश्वर जी से कोई सुंदर जगह मिलने की उम्मीद से आया हूँ।

नौकरानी इसे सुनकर दरवाजे के पास आकर ज्ञानचंद को देखने लगी।

रौबदार व्यक्तित्व से प्रभावित होकर उसने ज्ञानचंद को अंदर आकर बैठक में बैठने को कहा।

नौकरानी: साहब, आप यहां बैठिए; जमींदार साहब जल्द ही आ जाएंगे। मैं आपके लिए पानी लाती हूँ।

ज्ञान चंद ने पूरी तरह से हवेली को देखा। रामेश्वर तिवारी के दादा ने पुरानी पुश्तैनी हवेली बनाई थी। रामेश्वर तिवारी जी खानदानी रईस व्यक्ति लग रहे थे, जो हवेली की परम्परागत साज-सज्जा से दिखाई देता था।

दीवारों पर प्राचीन काल में शिकार किए गए जानवरों के सर और खालें टंगे हुए थे।

रामेश्वर के बाप दादाओं की शायद कुछ रौबीले लोगों की पुरानी ब्लैक एंड व्हाइट फोटो थीं।

पुराने समय की एक बड़ी तस्वीर में एक रौबीला आदमी अपनी अप्सराओं की सुंदर बीवी के साथ एक पांच छह साल की सुंदर बच्ची को गोद में लेकर खड़ा था, और उसी औरत की बड़ी तस्वीर के बगल में हार टंगा था।

ज्ञान चंद ने देखा कि ये सब रामेश्वर के परिवार की तस्वीरें हैं और रामेश्वर की पत्नी का स्वर्गवास हो गया है। ज्ञान चंद को बहुत दुःख हुआ कि इतनी सुंदर औरत अब नहीं है।

वह उस बच्ची या रामेश्वर के लिए दुःखी नहीं था, बल्कि अपने लिए था क्योंकि उसे अपनी काम कला पर इतना विश्वास था कि वह सोच रहा था कि अगर ये औरत जीवित रहती और मैं इस हवेली में कुछ दिन भी रहता, तो उसे पटा कर उसे अपने लंड का स्वाद चखा देता।

जितने दिन भी वह यहाँ रहता, उसके लंड को इस अच्छी औरत की चूत से प्यास लगती रहती।

प्रिय, मैंने आपको अपने परिचय में बताया था कि ज्ञान चंद कभी भी ऐसी ही किसी लड़की या औरत को नहीं चोदता था, बल्कि अपनी पसंद की किसी विशिष्ट लड़की या औरत को ही चोदता था।

दीवार पर पड़ी तस्वीर से उसे पता नहीं चला कि यह कितनी पुरानी है, इसलिए उसे रामेश्वर और उसकी बेटी की उम्र नहीं मालूम हुई।

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वहीं सोफे पर बैठकर पानी और रामेश्वर की प्रतीक्षा करने लगा।

पानी और दूध पीकर ज्ञान चंद वहां पड़े एक पुराने अखबार के पन्ने पलटने में व्यस्त था कि तभी मुख्यद्वार पर कुछ शोर हुआ, जिसे सुनकर नौकरानी बाहर भागी।

ज्ञान चंद ने सोचा कि शायद रामेश्वर या जमींदार आया होगा।

ज्ञान चंद ने बगल में एक अखबार रखकर कुछ संभलकर बैठ गया।

उसने सुनने की कोशिश की और सोचा कि शायद दो महिलाएं आपस में बातें कर रही हैं।

नौकरानी से बात कर रही महिला शायद बाहर से आई थी।

थोड़ी देर बाद ज्ञान चंद ने देखा कि हार टंगी तस्वीर वाली महिला की तरह हूबहू शक्ल वाली एक कड़ियल जवान लड़की उसके सामने खड़ी मुस्करा रही थी, स्कूल के कपड़े पहनकर।

वह अचम्भे से मुँह खोले उस सुंदर बला को देख रहा था।

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ज्ञान चंद की चुप्पी नौकरानी की आवाज़ से भंग हुई: साहब, ये हमार जमींदार साहब की बिटिया ज्योति हैं।

ज्योति बिटिया मैं तुम्हें बता रही थी कि आपके नए अंग्रेजी और गणित शिक्षक हैं। इनका स्थानांतरण कानपुर से आपके विद्यालय में हुआ है और अब वे हमारे साथ हवेली में रहेंगे।

ज्योति ने इसे सुनकर अपनी मुस्कराहट को खुशी में बदल दिया। ज्ञान चंद ने इस खुशी का अर्थ नहीं समझा।

नौकरानी: बिटिया, अंदर जाओ और कपड़े बदलो। जमींदार साहब अवश्य पहुंचेंगे। खाना तैयार है; साहब आते ही तीनों खाना खाना चाहिए।

ज्ञान चंद को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि यह नौकरानी अकेले ही इसी हवेली में रहने का निर्णय ले सकती है। जमींदार साहब अभी कुछ भी नहीं जानता। ज्योति ने नौकरानी की बातें सुनकर अंदर चली गई।

ज्योति की खूबसूरती की झलक से अभी तक बाहर नहीं आया था, इसलिए ज्ञान चंद सोच में पड़ गया।

वह खुश भी था कि अभी कुछ ही देर पहले उसने जिस सुंदरता को नहीं पाया था, उसे उसी सुंदरता की और भी कमसिन जवानी दिखाई दी।

गोद में बैठी सुंदर बच्ची ने बला की युवावस्था में प्रवेश कर लिया।

उसकी खूबसूरती अपनी मां से भी दो कदम आगे थी।

ज्ञान चंद के अनुभवी औरतखोर लंड को उस बला की कमसिन कली की खूबसूरती की खुशबू जगा रही थी, और उसका औरतचोद हथियार उसकी पैंट के अंदर अंगड़ाइयां लेने लगा था।

दोस्तो, इस Desi Xxx Bur Ki Kahani के अगले भाग में आपको चुदाई का सुंदर वर्णन लिखने का प्रयास करूँगा।

आपका पत्र मुझे चुदाई की कहानी लिखने की हिम्मत देगा।

यही कारण है कि कहानी पर आपका हर विचार मुझे और बेहतर बनाने के लिए प्रेरित करेगा।

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