Haryanvi Sexy Teen XXX मैं एक मामूली परचून की दुकान चलाने वाला 56 साल का व्यक्ति हूँ। मेरी एक बीवी है और एक 25 साल की छोरी है। किस्मत की बेरहमी की वजह से मेरा कोई लड़का पैदा नहीं हुआ। छोरी की शादी नहीं हो रही क्यों की दहेज के पैसे नहीं है। बेटी बड़े बड़े सपने देखती है पर करती कुछ नहीं। पढाई लिखाई छोड़ कर 20 साल की उम्र में घर बैठ गई। Haryanvi Sexy Teen XXX
अपनी बेटी से मैं काफी नफरत करने लगा था और उसे बोझ भी समझने लगा था। मेरी ये सोच तब बदली जब मैने अपनी भूमिका के साथ संभोग किया। मुझे याद है जब मैने 500 ₹ में बुलाई सुंदर लड़की और चारपाई तोड़ दी थी। उस वक्त औजार भी कड़क था और जोश भी पूरा था।
अपनी जवानी में मेने कई सारी रंडी और वेश्याओं के साथ संभोग किया था। बिलकुल वैसा मजा और कामुक आनंद मुझे तब गया जब मैने अपनी 25 साल की जवान बेटी भूमिका के साथ देहाती चुदाई की थी। बेटी निचे बैठ कर थापी से कपड़े धो रही थी।
मस्त हिंदी सेक्स स्टोरी :
उनके खुद के कपडे आधे गीले हो चुके थे और सूट से उनकी दोनों मोटी चूची दिखने लगी। जब वो जोर से थापी कपड़ो पर मारती तो उसका मोटा सुडौल शरीर हिलता। बेटी का शरीर देख मेरा सोया हुआ लिंग सालो बाद जग उठा और मेरी धोती को ऊपर उठाने लगा।
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बेटी का शरीर देख मैं कामुक हो गया और मुझे इस वजह से खुद से नफरत होने लगी। भला अपनी फुल सी बच्ची को देख कौन सा बाप कामुक हो जाता है। पर बेटी भी इस तरह बैठी थी की मुझे उसकी नरम छाती का पूरा नजारा दिख रहा था। वो अपने पैरो पर बैठी ही और उसके दोनों घुटनो ने उसके स्तनों को ऊपर उठा रखा था।
बेटी को देख मैं कामुक हो गया और सालो की दबी वासना जग उठी। मैं बेटी के पास कुर्सी लगा कर बैठ गया और अख़बार पढ़ने का नाटक करने लगा। अख़बार के पीछे से मैं अपना लिंग मसलते हुए बेटी को देखने लगा और आनंद लेने लगा। पर जिस इंसान ने अपनी जवानी में काफी चुदाई की हो वो भला सरका कूटकर (हस्तमैथुन) कैसे खुश रह सकता है।
चुदाई की गरम देसी कहानी :
मेरी सेक्स की भूख की वजह से मैं वह से उठा और बेटी को ऊपर उठा कर उसे चूमने लगा। मैंने भूमिका को कस कर गले लगाया और उसके स्तनों को अपनी छाती से रगड़ने लगा। भूमिका बुरी था डर गई और अम्मा अम्मा चिलाने लगी। मेने उसके छुप रहने को बोला और उसके शरीर को गन्दी गन्दी जगह छूने लगा।
भूमिका – बापू क्या कर रहा है यो ?
मैंने कहा – बिटिया तेरी जवानी का इस्तेमाल कर रहा हूँ।
बेटी – पागल हो क्या है क्या बुलाऊ अम्मा ने !!
मैंने बिटिया का मुँह बंद किया और उसका एक हाथ लेकर अपनी धोती में घुसा दिया। भूमिका मेरा लिंग हिलाने लगी। कुछ देर की चुम्मा चाटी के बाद मैंने अपनी पूरी धोती खोल दी। बेटी मेरा लिंग देख मुँह शर्मा गई। मैं उसकी आँखों में देखता हुआ उसका हाथ पकड़ा और अपने लंड पर रख कर बेटी का हाथ हिलाने लगा।
दो पल के बाद बेटी तिरछी नजरो से मेरी लिंग को देखने लगी और खुद मजे लेते लेते लिंग को हर जगह से छूने लगी। मैं भी उसके स्तनों को हाथ में लेकर चुस्त रहा। बाथरूम में भूमिका की अम्मा न आ जाये मेने वहा कुण्डी लगा दी। इसके बाद बेटी को मैं चूमने लगा। मैं भूमिका का कामुक और चर्बी वाले शरीर से रस निचोड़ने लगा। मेने उसकी सलवार कच्छी में हाथ डाला और उसकी चुत में ऊँगली करने लगा।
मस्तराम की गन्दी चुदाई की कहानी :
भूमिका – अहह बापू क्यों कर रहा है ऐसा अम्मा ने देख लिया तो।
मेने कहा – भूमिका आज तेरी जांघो के बीच से सारा रसीला पानी निकालूगा।
मैंने बेटी का नाड़ा खोला और उसका सूट उतार दिया। कपड़े उतरने के बाद मैं उसे बाथरूम में चोदने लगा।
तभी भूमिका की अम्मा बोली – भूमिका बिटिया मैं मंडी जा रही हूँ !!
उसके बाद अम्मा चली गई और हम दोनों अकेले थे। मेरी आँखों मैं हवस थी और भूमिका की आँखों में डर। मैं बेटी तो खींच कर बाहर ले गया और उसे खाट पर लेटा दिया। मैंने उसके दोनों जांघों को खोला और उसमे लंड दे दिया।
बेटी – अह्ह्ह नहीं बापू दर्द होवे है। कुछ और कर ले पर ये न कर।
बेटी का मुंह कुछ और कह रहा था और उसकी गीली चूत कुछ और। मैंने एक पल उसकी आँखों में देखा और झटके के अपना लिंग उनकी चुत में घुसा दिया। लंड घुसाने के बाद मैं उसे धडले से चोदने लगा और बेटी मजे से चिलाने लगी।
मैं खाट पर अपनी छोटी सी लड़की की चुदाई करने लगा। बेटी की चुत के रस से मेरा पूरा लिंग गिला हो गया। मैं बेटी के ऊपर चढ़ा और उसकी जांघो के बीच अपनी कमर जोर से मारने लगा। चुदाई करते करते तेज झापडो की आवाज आने लगी और बेटी की चुत लंड की मार से फूलने लगी।
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मैं बिटिया के स्तनों को चूसता चूसता उसकी चुत चोदने लगा। लिंग ढीला था तो बेटी को पहली चुदाई में कंद दर्द हुआ। उसके बाद मेने बेटी को खाट पर घोडा बनाया और उसके पीछे से चुदाई करने लगा। बेटी की बड़ी गांड देख मैं बोखला गया और उसकी गांड को हर जगह से चूमने लगा।
फिर मैं उसकी गांड को मसलता मसलता बेटी की चुदाई करने लगा। बेटी की मोटी गांड पर इतनी चर्बी थी की एक झापड़ में पूरी गांड हिलने लगती। मैं बेटी की जोरो शोरो से पिलाई करने लगा और कामवासना का आनंद लेने लगा। करीब 20 धको से मेरे लंड का माल छूट गया और बेटी की चुत में चला गया। चुत में माल छोड़ना मेरी सबसे बड़ी गलती थी। बेटी की चुदाई करने के बाद मेने जी भर कर उसकी जवान चुत चाटी और उसके स्तन दबाये।
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