यह कहानी मेरी और मेरी चाची प्रियंका की है, जो इतनी हॉट और सेक्सी है कि बस देखते ही लंड खड़ा हो जाए। मैं आपको पहले थोड़ा अपने बारे में बता दूँ। मेरा नाम कैलाश है, मेरी हाइट 5.11 है, और मेरा लंड 7.5 इंच लंबा और इतना मोटा है कि किसी भी चूत को फाड़ दे। मेरी चाची प्रियंका की उम्र 33 साल है। वो गोरी-चटक, मक्खन सी चमक वाली औरत है। उनका फिगर 38-29-35 का है, मतलब बूब्स इतने बड़े और रसीले कि मुँह में पानी आ जाए, कमर पतली, और गांड इतनी मुलायम और भारी कि बस छूँते ही लंड तन जाए।
यह बात आज से चार साल पहले की है, जब मैं गाँव गया था। उस वक्त सर्दियों का मौसम था, और चाची भी चाचा के साथ छुट्टियों में गाँव आई। थीं।। चाची मुझसे बहुत फ्रेंक थीं।, और शायद मुझे पसंद भी करती थीं।, क्योंकि चाचा और चाची की उम्र में बहुत फर्क। था।। चाचा। 47 साल के थे।, और चायद शायद वो चाची को बिस्तर पर वो मजा नहीं दे पाते थे, जो एक जवान औरत को चाहिए। मैंने कभी चाची को बुरी नजर से नहीं देखा था, लेकिन एक दिन कुछ ऐसा हुआ कि मेरा दिल और दिमाग दोनों बदल गए।
हमारे गाँव के घर में बाथरूम में दरवाजा नहीं था।, सिर्फ एक परदा लटका रहता था।, जिसके पीछे सब नहाते थे।। उस दिन चाचा और घर के बाकी लोग किसी काम से बाहर गए थे।, और घर पर सिर्फ मैं और चाची अकेले थे।। मैं अपने कमरे में लेटा हुआ था, और चाची घर के काम निपटा रही थीं।।
कुछ देर बाद चाची मेरे पास आईं। और बोलीं।, “कैलाश, मैं नहाने जा रही हूँ।, तू तब तक खाना खा ले।।” मैंने कहा, “ठीक है, चाची।।” और वो चली गईं।। वैसे तो हम दोपहर का खाना साथ खाते थे।, लेकिन चाची को नहाने और कपड़े धोने में टाइम लगने वाला था, तो उन्होंने मुझे पहले खाने को कहा।।
खाना खाकर मैं पानी लेने नल पर गया।। बाथरूम के बाहर थोड़ा पानी गिरा था, और मेरा ध्यान नहीं गया।। पैर रखते ही मैं फिसल गया और गिरने लगा।। गिरते वक्त मेरे हाथ में बाथरूम का परदा आ गया, और वो फटकर नीचे गिर गया।। और फिर… मैंने जो देखा, वो मेरी जिंदगी का सबसे हसीन मंजर था।। चाची पूरी नंगी खड़ी थीं।। उनका गोरा-चटक बदन, 38 साइज के बड़े-बड़े बूब्स, भूरे निप्पल्स, और नीचे उनकी चूत पर झाग लगा था।। उनके हाथ में रेजर था, शायद वो अपनी झांटें साफ कर रही थीं।। मैं तो बस उन्हें देखता रह गया, मेरा लंड पैंट में तन गया।।
चाची ने मुझे देखा और चिल्लाईं।, “ये क्या देख रहा है, कैलाश? तुझे जरा भी शर्म नहीं आती?” मैं घबरा गया और हड़बड़ाते हुए बोला, “सॉरी, चाची, गलती से…” और भागकर अपने कमरे में चला गया।। दिल जोर-जोर से धड़क रहा था, डर लग रहा था कि चाची क्या सोचेंगी।।
थोड़ी देर बाद चाची नहाकर बाहर आईं।। मैंने फिर सॉरी कहा।। वो बोलीं।, “कोई बात नहीं, इसमें तेरी गलती नहीं।। तेरा पैर फिसल गया था।।” उस दिन बाकी वक्त नॉर्मल गुजरा, लेकिन मेरे दिमाग में चाची का वो नंगा बदन बार-बार घूम रहा था।। रात को मैं, चाची, और उनका छोटा बेटा एक ही कमरे में सोए।।
मुझे नींद नहीं आ रही थी।। चाची का गोरा बदन, उनकी चूत, उनके बूब्स—सब मेरे सामने था।। मैंने ठान लिया कि चाहे जो हो, मैं चाची को चोदकर रहूँगा।। यही सोचते-सोचते मैं सो गया।।
अगली रात को सब सोने गए।। चाची ने अपने बेटे को साइड में सुलाया और खुद बीच में लेट गईं।। कमरे में 0 वॉट का बल्ब जल रहा था, जिसकी हल्की रोशनी में सब दिख रहा था।। चाची ने जालीदार सलवार-सूट पहना था, और वो मेरी तरफ कमर करके लेटी थीं।। उनकी गांड का उभार साफ दिख रहा था।। मेरा लंड तन गया।।
मैंने हिम्मत जुटाई और धीरे से उनका सूट ऊपर उठाया।। अंदर चाची ने पैंटी नहीं पहनी थी।। उनकी नंगी, मुलायम गांड मेरे सामने थी।। गांड की लकीर देखकर मेरा लंड और सख्त हो गया।। मैंने धीरे से अपना हाथ उनकी गांड पर रखा और सहलाने लगा।। उनकी चमड़ी इतनी चिकनी थी कि मेरा लंड फटने को हो गया।।
अचानक चाची हिलीं।। मैंने झट से हाथ हटा लिया और सोने का नाटक करने लगा।। चाची जाग गई थीं।। उन्होंने मेरी तरफ करवट ली और मेरे गाल पर हाथ फेरते हुए बोलीं।। मैं डर के मारे काँप रहा था।। फिर मैंने आँखें खोलीं। और बोला।,
- मैं: क्या हुआ, चाची?
- चाची: अब नाटक मत कर, तुझे सब पता है।। अभी क्या कर रहा था?
- मैं: (अंजान बनते हुए) क्या मतलब, चाची?
- चाची: अभी जो तू मेरी गांड से खेल रहा था, उसी की बात कर रही हूँ।।
उनके मुँह से ये सुनकर मैं पसीने-पसीना हो गया। मैंने हकलाते हुए कहा, “चाची, वो… शायद नींद में मेरा हाथ…”
चाची हँसीं और बोलीं।, “अबे, ज्यादा डर मत।। अगर मुझे बुरा लगता, तो अभी तेर गाल पर चाँटा पड़ता।। मुझे तो मजा आया।। सिर्फ गांड ही क्यों, मेरे पूरे जिस्म से खेल।। मैं तुझे कुछ नहीं कहूँगी।।”
ये सुनकर मेरे होश उड़ गए।। मुझे यकीन नहीं हुआ कि चाची खुद मुझे ग्रीन सिग्नल दे रही हैं।। मैंने कहा, “चाची, सच में आपको अच्छा लगा?”
- चाची: “हाँ, आज पहली बार किसी जवान ने मेरे जिस्म को छुआ।। तेरा चाचा तो बूड़ा हो गया, ना उसके लंड में दम, ना हाथ में।। वो दो मिनट में झड़कर सो जाता है, और मैं अपनी गीली चूत लेकर तड़पती रहूँ।।”
मैं समझ गया कि अब मौका है। मैंने कहा, “चाची, अगर आप कहें तो मैं आपकी तड़प मिटा दूँ?”
चाची ने हँसते हुए कहा, “अबे, साले, इसलिए तो तुझे जगाया।। अब मुँह क्या देखेगा, कुछ कर ना।।”
बस, फिर क्या था।। मैंने झट से चाची के कपड़े उतारने शुरू कर दिए।। उनका जालीदार सूट, सलवार—सब उतार दिया।। फिर मैंने अपने कपड़े भी फेंक दिए।। अब हम दोनों पूरी तरह नंगे थे।। चाची का गोरा बदन मेरे सामने था।। मैंने सबसे पहले उनके बड़े-बड़े बूब्स पकड़े और धीरे-धीरे मसलने लगा।। उनके निप्पल्स सख्त हो गए थे।। मैं एक बूब को मुँह में लेकर चूसने लगा, और दूसरे को दबाने लगा।।
चाची गरम हो रही थीं।। वो सिस्कारियाँ ले रही थीं।, “आह्ह… कैलाश… और चूस…।” मैंने अपना एक हाथ उनकी चूत पर रखा।। उनकी चूत पहले से गीली थी।। मैंने धीरे-धीरे उनकी चूत को सहलाया, उनकी क्लिकट को रगड़ा।। चाची पागल हो रही थीं। वो अपनी गांड हिलाकर बोलीं।, “हाँ, कैलाश… और कर… मेरी चूत को मारा दे।।।”
मैंने चाची को 69 की पोजीशन में लिया।।। चाची ने मेरा 7.5 इंच का लंड मुँह में लिया और ऐसे चूसने लगीं।, जैसे कोई पॉर्न स्टार।।। वो मेरे लंड को गले तक ले जा रही थीं.।, और मेरे टट्टों को सहला रही थीं।।। मैं उनकी चूत चाट रहा था।।, जीभ को अंदर-बाहर कर रहा था।। उनकी चूत का स्वाद नमकीन और मादक था।।
चाची सिस्कारियाँ ले रही थीं।, “आह्ह… कैलाश, तू तो मेरी चूत को खा जाएगा… और चाट…!”” मैंने उनकी क्लिक को होंठों से चूसा, और वो तड़प उठीं।।। कुछ देर बाद चाची झड़ गईं।। उनकी चूत से गर्म रस निकला, जो मैंने चट लिया।।। मैं भी झड़ने वाला था।।। चाची ने मेरा लंड इतना चूसा कि मेरा माल उनके मुँह में निकल गया।।। वो सारा माल पी गईं।।
थोड़ी देर हम ऐसे ही लेटे रहे, एक-दूसरे को सहलाते हुए।। चाची बोलीं।, “कैलाश, तेरा लंड तो बहुत दमदार है।। अब मेरी चूत की प्यास बुझा।।।” मेरा लंड फिर से सख्त हो गया।।। मैंने चाची को बेड पर लेटाया और। अपना लंड उनकी चूत पर रगड़ने लगा।।।
चाची तड़प रही थीं।।। बोलीं., “अबे, साले, और मत तड़, डाल दे अंदर… मेरी चूत फट रही है।।।” मैंने एक जोरदार धक्का मारा, और मेरा आधा लंड उनकी चूत में घुस गया।।। चाची दर्द से चिल्लाईं।, “मादरचोद, आराम से…!” लेकिन फिर बोलीं., “और जोर से, साले, फाड़ दे मेरी चूत…!”
मैंने जोर-जोर के धक्के मारने शुरू किए।।। चाची भी अपनी गांड उठा-उठाकर मेरा साथ दे रही थीं।। कमरे में सिर्फ “पच्छ… पच्छ…” की आवाजें गूँज रही थीं।। चाची सिस्कारियाँ ले रही थीं।, “आह्ह… और जोर से… चोद मुझे, कैलाश… मेरी चूत को रगड़ दे…!” मैं उनके बूब्स को मसल रहा था, उनके निप्पल्स को चूस रहा था।।
25 मिनट तक मैंने चाची को अलग-अलग पोजीशन में चोदा—मिशनरी, डॉगी, कविता।।। चाची बार-बार झड़ रही थीं।।। उनकी चूत हर बार टाइट हो रही थी।।। वो चिल्ला रही थीं।, “कैलाश, तू तो कमाल है… और जोर से… मेरी चूत को फाड़ दे…!” मैंने आखिर में एक तेज धक्का मारा, और मेरा सारा माल उनकी चूत में निकाल दिया।।। चाची भी उसी वक्त झड़ गईं।।
हम दोनों हाँफते हुए लेट गए।।। चाची ने मुझे गले लगाया और बोलीं।, “कैलाश, तूने तो आज मेरी सारी प्यास बुझा दी।।।” मैंने उन्हें किस किया, और वो भी मुझे चूमने लगीं।।
अगली रात मैंने चाची को फिर चोदा।।। इस बार मैंने उनकी गांड भी मारी।।। चाची शुरू में थोड़ा डरीं।, लेकिन बोलीं।, “ठीक है, लेकिन आराम से करना।।।” मैंने उनकी गांड में तेल लगाया और धीरे-धीरे लंड डाला।।। चाची दर्द से सिस्कारीं।, “आह्ह… साले, तेरा लंड तो मेरी गांड फाड़ देगा…!”” लेकिन फिर मजे लेने लगीं।।। मैंने उनकी गांड और चूत दोनों को रात भर चोदा।।।
मेरी छुट्टियाँ खत्म हो गईं।, और मैं उदास होकर शहर वापस आ गया।।। लेकिन जब तक मैं गाँव में था।, मैंने चाची की चूत, गांड, और बूब्स के खूब मजे लिए।।। कुछ महीनों बाद चाची ने फोन किया और बताया कि वो प्रेग्नेंट हैं, और बच्चा मेरा है।।। मैं खुश भी हुआ और डर भी गया।। लेकिन चाची ने कहा, “चिंता मत कर, तूने मुझे वो सुख दिया, जो मेरे चाचा कभी नहीं दे पाया।।।”
अब चाची चाचा से कम, मुझसे ज्यादा चटवायती हैं।।। हम जब भी मिलते हैं, रातें रंगीन हो जाती हैं।।। मैंने ना सिर्फ चाची के जिस्म के मजे लिए, बल्कि उनकी दूसरी औलाद भी दी।।।
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