मेरी उम्र अभी 21 साल है, और मेरा नाम दीपशिखा है। मैं दिखने में काफ़ी हॉट और आकर्षक हूँ। भले ही मैं सांवली और दुबली-पतली हूँ, लेकिन मेरा चेहरा ऐसा है कि लोग बार-बार देखते हैं। मेरी कमर पतली सी है, पर चूतड़ भारी और चौड़े हैं, और मेरी चूचियाँ, वो तो बिल्कुल नुकीले आमों जैसी हैं, जो किसी का भी ध्यान खींच लेती हैं। ये कहानी 2019 की है, जब मैं स्कूल में पढ़ती थी, और मेरी ज़िंदगी में कुछ ऐसा हुआ कि सब कुछ बदल गया।
मुझे सेक्स और चुदाई की बातें मेरी एक सहेली से पता चली थीं। उसने अपने भाई के मोबाइल में कुछ हॉट वेबसाइट्स देखी थीं, और फिर वो मुझे भी बताने लगी। बस, तभी से मेरे दिमाग में चुदाई का भूत सवार हो गया था। मैं स्कूल की बड़ी क्लास में थी, और उसी वक़्त मेरे एक दूर के रिश्ते के मामा, जिनका नाम रितेश है, मुझे ट्यूशन पढ़ाने आने लगे। वो हमारे घर के पास ही रहते थे और खुद भी कॉम्पिटिशन की तैयारी कर रहे थे। साथ में ट्यूशन भी पढ़ाते थे। रितेश मामा सांवले थे, लेकिन लंबे, चौड़े सीने वाले और इतने हैंडसम कि मैं उन्हें देखकर पिघल जाती थी। उनका स्टाइल, उनका बोलने का तरीका, सब कुछ मुझे उनमें अच्छा लगता था।
मामा रात को 8 बजे मुझे पढ़ाने आते थे, क्योंकि वो सबसे आखिरी में मेरे घर आते थे। वो लोअर और टी-शर्ट में आते, और मैं भी जानबूझकर ढीले कपड़े पहनती थी। ऐसी टी-शर्ट चुनती थी, जिसमें मेरी नींबू जैसी चूचियाँ थोड़ी सी झलक दें, क्योंकि मैं मामा को दिल से चाहती थी। वो मुझे स्टडी रूम में पढ़ाते थे, जहाँ घर का कोई और शायद ही आता था। मेरे घर में बस चार लोग थे—मम्मी, पापा, मेरा छोटा भाई और मैं, दीपशिखा।
एक दिन मैं किताब में झुकी हुई पढ़ रही थी, और अचानक नज़र उठाई तो देखा कि मामा मेरी चूचियों को घूर रहे हैं। मेरी ढीली टी-शर्ट से शायद सब कुछ दिख रहा था। हमारी नज़रें मिलीं, और मामा थोड़ा घबरा गए। मैं भी शर्मा गई, लेकिन मन ही मन मुस्कुरा दी। मामा ने भी हल्की सी स्माइल दी, और बस, उस पल में हम दोनों ने एक-दूसरे की चाहत को समझ लिया। उस दिन के बाद ये सिलसिला चल पड़ा। मैं मामा को छेड़ने लगी, और वो भी खुलकर मज़े लेने लगे। कभी-कभी वो मेरी चूचियों को अपनी बाजू से हल्का सा टच कर देते। मुझे ये सब अच्छा लगता था, और मैं चाहती थी कि वो और आगे बढ़ें।
बोर्ड एग्ज़ाम की वजह से मुझे कहीं बाहर जाने की मनाही थी। मेरे मम्मी-पापा मामा पर बहुत भरोसा करते थे, भले ही वो दूर के रिश्ते के थे। वो उन्हें सब कुछ बताते थे। कुछ दिन बाद मेरी मौसी की बेटी की शादी थी, तो मम्मी, पापा और भाई को दो दिन के लिए वहाँ जाना था। पापा ने मामा को मेरी देखभाल की ज़िम्मेदारी दी और कहा, “रितेश, तुम इन दो दिनों में हमारे घर के बाहर वाले कमरे में सो जाना।” ये सुनकर मेरे मन में गुदगुदी सी होने लगी। मैं सोचने लगी कि अब कुछ तो मज़ेदार होने वाला है।
घरवालों के जाने से कुछ दिन पहले मामा ने मुझे साइंस का प्रजनन वाला चैप्टर पढ़ाना शुरू किया। मुझे पहले कुछ समझ नहीं आया, लेकिन धीरे-धीरे मज़ा आने लगा। मैं जानबूझकर अनजान बनती और मामा से बार-बार पूछती, “ये क्या होता है, मामा? मुझे समझ नहीं आ रहा।” मामा भी मेरे नाटक को समझ रहे थे, लेकिन वो भी मज़े ले रहे थे। दो दिन पहले मामा अपने मोबाइल में कुछ वीडियो लेकर आए और बोले, “दीपशिखा, इन वीडियो को देख लो, इससे तुम्हें प्रजनन का चैप्टर अच्छे से समझ आ जाएगा।” उन्होंने सारे वीडियो मेरे फोन में भेज दिए और एक वीडियो चलाकर दिखाने लगे।
पहले वीडियो में दो जानवर सेक्स कर रहे थे। मैंने आँखें बंद कर लीं और चेहरा हाथों से ढक लिया। मामा ने हँसते हुए मेरे हाथ हटाए और बोले, “अरे, देखो ना, इसमें डरने की क्या बात है?” फिर अगला वीडियो चला, जिसमें एक जवान लड़की एक बड़े आदमी के साथ चुदाई कर रही थी। पहले वो लड़की उसका लंड चूस रही थी, फिर मामा ने वीडियो को आगे बढ़ाया। मैंने देखा कि वो लड़की 12-15 सेंटीमीटर लंबे लंड को अपनी चूत में आसानी से ले रही थी। मैं तो हैरान थी कि इतना बड़ा लंड उसकी छोटी सी चूत में कैसे घुस गया। मामा ने वीडियो बंद किया, और मेरी नज़र उनके लोअर पर चली गई। मैंने देखा कि उनका लंड तनकर बाहर निकलने को बेताब था। लोअर में एक बड़ा सा उभार दिख रहा था, और मेरा दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़कने लगा।
मामा बोले, “बस, दीपशिखा, आज की पढ़ाई खत्म। मैं जा रहा हूँ, कल फिर पढ़ाएँगे।” मैंने मज़ाक में बोल दिया, “मामा, आप बाहर कैसे जाएँगे? आपका तो कुछ खड़ा है!” मामा शर्मा गए, लेकिन मेरी बात सुनकर समझ गए कि मैं भी कुछ चाहती हूँ। उस रात मैं स्टडी रूम में ही सो गई, लेकिन नींद नहीं आई। मैंने मामा के भेजे सारे वीडियो देखे। चुदाई के सीन देखते-देखते मेरी चूत गीली हो गई। मैं मामा के तने हुए लंड को याद करके सारी रात तड़पती रही। मेरी चूत में आग सी लगी थी, और मैं बस उस पल का इंतज़ार करने लगी जब मामा मेरे साथ कुछ करेंगे।
वो दिन आ गया जब मम्मी, पापा और भाई मौसी की बेटी की शादी में चले गए। मैं घर में अकेली थी। दिनभर मुझे यही लग रहा था कि आज रात कुछ खास होने वाला है। मैंने जल्दी से खाना बनाया और 8 बजे का इंतज़ार करने लगी। तभी डोरबेल बजी। मैंने दरवाज़ा खोला तो मामा सामने खड़े थे, आधी जाँघ तक की हाफ पैंट और टी-शर्ट में। उनका लुक देखकर मेरी चूत में फिर से गुदगुदी होने लगी। मैंने भी छोटा सा शॉर्ट्स और ढीला टॉप पहना था, ताकि मामा को मेरी चूचियाँ और चूतड़ की शेप दिखे।
मामा ने मुझे पढ़ाना शुरू किया, लेकिन मेरा ध्यान पढ़ाई में नहीं था। पढ़ाई खत्म होने के बाद हमने साथ में खाना खाया। फिर मैंने कपड़े चेंज किए और और भी छोटा शॉर्ट्स और टाइट टॉप पहन लिया, जिसमें मेरी चूचियाँ और निप्पल्स साफ़ दिख रहे थे। हम दोनों बेड पर बैठकर टीवी देखने लगे। मामा को टीवी देखना पसंद नहीं था, तो वो मेरे पैरों की तरफ़ सिर करके लेट गए और अपने मोबाइल में हेडफोन लगाकर कुछ देखने लगे। मैं उनके पैरों की तरफ़ सिर करके लेटी थी। मैंने सोने का नाटक शुरू किया, लेकिन आँखें हल्की सी खुली रखीं ताकि मामा की हरकतें देख सकूँ।
मामा को लगा कि मैं सो गई हूँ। वो जानते थे कि मैं गहरी नींद में सोती हूँ और मुझे कुछ पता नहीं चलता। अचानक मैंने देखा कि मामा अपने लंड को हल्के-हल्के दबा रहे हैं। थोड़ी देर बाद वो उसे मसलने लगे। फिर उन्होंने अपनी हाफ पैंट नीचे खींची और लंड का आधा हिस्सा बाहर निकाल लिया। मैं चुपके से सब देख रही थी। मामा का लंड काला, लंबा और मोटा था, जैसे कोई लोहे की रॉड हो। वो बार-बार मुझे देखकर अपने लंड को सहला रहे थे और उस पर थूक लगाकर चिकना कर रहे थे। मैं अंदर ही अंदर तड़प रही थी। मेरी चूत में मानो आग लग गई थी, लेकिन मैं चुप रही।
फिर मामा ने धीरे से अपने पैर मेरी चूचियों पर रख दिए। मैं सिहर उठी, लेकिन सोने का नाटक जारी रखा। मामा ने हल्के-हल्के मेरी चूचियों को पैरों से मसलना शुरू किया। मैंने हिम्मत करके करवट बदली, तो मामा थोड़ा सहम गए। उन्हें लगा कि मुझे सब पता चल गया। मैंने अपनी गांड उनकी तरफ़ कर दी और पैर मोड़कर गांड को थोड़ा बाहर निकाला। मामा को फिर से लगा कि मैं सो गई हूँ। थोड़ी देर बाद उन्होंने मेरे शॉर्ट्स को धीरे से नीचे खींचा। मैंने जानबूझकर ढीला शॉर्ट्स पहना था, जो आसानी से उतर गया। अब मैं सिर्फ़ पैंटी में थी।
मामा ने अपनी पैंट भी उतार दी और मेरे पीछे लेट गए। अचानक मुझे लगा कि उनका लंड मेरी गांड पर पैंटी के ऊपर से रगड़ रहा है। मेरी चूत गीली हो चुकी थी, और मैं बस इंतज़ार कर रही थी कि कब मामा मेरी पैंटी उतारकर लंड अंदर डालें। थोड़ी देर बाद मामा ने मेरी पैंटी थोड़ा नीचे खींची और अपने लंड को मेरी गांड के छेद पर सटा दिया। उनका लंड इतना गर्म था कि मुझे लगा जैसे कोई गरम रॉड मेरी गांड पर रख दी हो। मैं बेचैन थी, लेकिन कुछ बोल नहीं पा रही थी।
मामा ने धीरे से मेरी पैंटी और नीचे की और अपने लंड से मेरी चूत को पीछे से सहलाने लगे। मेरी चूत का पानी उनके लंड पर लग गया, और उन्हें पता चल गया कि मैं जाग रही हूँ। फिर मामा ने मेरे टॉप में हाथ डाला और मेरी चूचियाँ दबाने लगे। मैं बर्दाश्त नहीं कर पाई और ज़ोर-ज़ोर से साँसें लेने लगी। मामा ने पूछा, “दीपशिखा, तू जाग रही है?” मैंने शर्माते हुए हाँ बोल दी।
बस, फिर मामा ने मुझे पलटकर अपने ऊपर चढ़ा लिया और मेरे होंठ चूसने लगे। वो इतनी जोश में चूस रहे थे कि मुझे लगा मेरे होंठ खा जाएँगे। साथ ही वो मेरी चूत को भी उंगली से मसलने लगे। मेरी चूत छोटी थी, उनकी एक उंगली ही मुश्किल से अंदर जा रही थी। मैं बार-बार बोल रही थी, “मामा, और ज़ोर से चूत मसलो, मेरी चूत फाड़ दो!” मामा ने मेरा टॉप उतार दिया। अब मैं सिर्फ़ स्पोर्ट्स ब्रा और पैंटी में थी। मेरी चूचियाँ छोटी थीं, लेकिन नुकीली और सख्त। मामा को ये देखकर और जोश चढ़ गया।
मैंने मम्मी को नहाते वक़्त देखा था। उनकी चूचियाँ भी छोटी और खड़ी थीं, लेकिन उनकी चूत मेरी चूत से कहीं ज़्यादा मोटी थी। शायद मामा का लंड उनकी चूत में आसानी से घुस जाता। मामा ने मेरी स्पोर्ट्स ब्रा के ऊपर से चूचियाँ मसलीं, फिर बोले, “दीपशिखा, अपनी ब्रा और पैंटी उतार दो।” मैंने शर्माते हुए कहा, “मुझे शर्म आती है, पहले लाइट बंद करो।” लेकिन मामा नहीं माने। उन्होंने ज़बरदस्ती मेरी ब्रा और पैंटी उतार दी। अब मैं पूरी नंगी थी।
मामा मेरी चूचियाँ चूसने लगे। मेरी छोटी-छोटी चूचियाँ उनके मुँह में समा रही थीं। वो इतनी जोर से चूस रहे थे कि मुझे लगा वो मेरे नींबू जैसे निप्पल्स को खा जाएँगे। करीब दस मिनट तक वो मेरी चूचियाँ चूसते और मसलते रहे। मेरी चूत फिर से गीली हो गई थी। मामा ने मेरी गांड के नीचे तकिया रखा, मेरे पैर फैलाए और मेरी चूत चाटने लगे। उनकी जीभ मेरी चूत के दाने को चूस रही थी, और मैं सिसकारियाँ ले रही थी, “उम्म्ह… अहह… मामा, और चाटो!” मेरी चूत में छोटे-छोटे गोल्डन बाल थे, जिन्हें मामा अपने मुँह में लेकर खींचने लगे। मैं तड़प रही थी।
मेरी शर्म अब पूरी तरह खत्म हो चुकी थी। मैं बोल उठी, “मामा, आपने तो सब कुछ कर लिया, अब आप भी अपना लंड दिखाओ!” मामा हँसे और बोले, “क्या दिखाऊँ, दीपशिखा? साफ़-साफ़ बोल!” वो चाहते थे कि मैं लंड शब्द बोलूँ। मैंने हिम्मत करके कहा, “लंड दिखाओ!” मामा ने मेरा हाथ पकड़ा और अपने अंडरवियर पर रख दिया। मैंने अंडरवियर के ऊपर से उनके लंड को दबाया। वो इतना गर्म और सख्त था कि मुझे लगा वो फट जाएगा। मैंने धीरे से उनका अंडरवियर नीचे खींचा, और सामने मामा का विशाल लंड था।
मामा का लंड 8 इंच लंबा, खीरे जितना मोटा और काला था। उसका सुपारा गुलाबी और चमकदार था। मैं डर गई कि ये मेरी छोटी सी चूत में कैसे जाएगा। मामा ने मेरा हाथ पकड़ा और अपने लंड को आगे-पीछे करने को कहा। मैंने उनके लंड को सहलाया, लेकिन वो इतना मोटा था कि मेरे हाथ में नहीं आ रहा था। फिर मामा बोले, “इसे चूस, दीपशिखा!” मैंने मना किया, लेकिन उन्होंने ज़बरदस्ती मेरा मुँह खोलकर लंड डाल दिया। उनका सुपारा ही मेरे मुँह में जा पा रहा था। पहले मुझे अजीब सा नमकीन स्वाद लगा, लेकिन धीरे-धीरे मज़ा आने लगा। मैं जोर-जोर से उनका लंड चूसने लगी।
अचानक मामा ने लंड मेरे मुँह से खींच लिया और बोले, “बस, अब और मत चूस, नहीं तो मैं तेरे मुँह में ही झड़ जाऊँगा!” मैं चाहती थी कि वो मेरे मुँह में झड़ जाएँ, ताकि मेरी चूत को दर्द ना सहना पड़े। मैंने पढ़ा था कि पहली चुदाई में बहुत दर्द होता है, और मामा का लंड इतना बड़ा था कि मैं डर गई थी। लेकिन मामा कहाँ मानने वाले थे। उन्होंने मुझे मुँह के बल लिटाया और मेरे चूतड़ों के बीच में लंड रगड़ने लगे। वो मेरे गले पर चूम रहे थे, और उनका लंड मेरी गांड पर रगड़ खा रहा था। मुझे मज़ा आने लगा।
फिर मामा मेरे ऊपर चढ़ गए और अपने लंड को मेरी चूत पर सटाकर रगड़ने लगे। मेरी चूत फिर से पानी छोड़ने लगी थी। मैं सिसकारियाँ ले रही थी, “मामा, अब डाल दो!” मामा ने मेरी गांड के नीचे तकिया रखा और अपनी जीभ से मेरी चूत को और गीला किया। फिर उन्होंने अपनी पैंट से वैसलीन की डिब्बी निकाली और अपने लंड और मेरी चूत पर ढेर सारी वैसलीन लगा दी। उनका लंड चमक रहा था, और मैं उसे खा जाना चाहती थी। मामा ने लंड मेरी चूत के छेद पर रखा और सहलाने लगे। मैं डर और मज़े के बीच झूल रही थी।
मामा मेरी चूचियाँ और गांड की तारीफ़ कर रहे थे ताकि मेरा ध्यान बँट जाए। मैं आँखें बंद करके शर्मा रही थी। अचानक मामा ने ज़ोर का धक्का मारा। मैं चीख पड़ी, “हाय मम्मी, मैं मर गई! मेरी चूत फट गई!” दर्द इतना था कि मेरी आँखों से आँसू निकल आए। मामा ने मेरे होंठ चूमकर मेरी चीख दबा दी। उनके लंड पर मेरी चूत का खून लग गया था। मैंने पढ़ा था कि पहली बार खून निकलता है, लेकिन दर्द बर्दाश्त नहीं हो रहा था। मैंने मामा से कहा, “बस, मामा, अब नहीं! मैं बाद में चुदवाऊँगी, जब मेरी चूत ढीली हो जाएगी।”
मामा समझ गए कि मेरी चूत का छेद बहुत छोटा है। उन्होंने लंड निकाला और मेरी चूत को सहलाने लगे। मेरी चूत रस से भरी थी। थोड़ी देर बाद मेरी चूत से पानी निकला, और मामा ने भी अपने लंड को मसलकर मेरी चूत पर झड़ दिया। उनका गर्म माल मेरी चूत और जाँघों पर फैल गया। हम दोनों थक गए थे। मामा ने एक कपड़े से मेरी चूत साफ़ की, और मैं नंगी ही उनकी बाहों में लिपटकर सो गई।
सुबह जब नींद खुली, तो मैंने देखा कि मैं और मामा दोनों नंगे थे। मैं शर्मा गई और जल्दी से कपड़े पहन लिए। मामा अभी सो रहे थे। मैंने उनके लंड को देखा, जो अब सिकुड़कर छोटा हो गया था, जैसे किसी बच्चे की लुल्ली। मैं जानती थी कि मर्दों को सुबह चुदाई की बहुत इच्छा होती है, लेकिन मैंने पहले ही नहाकर कपड़े पहन लिए। मामा की नींद खुली, और वो भी फ्रेश होने चले गए। मैंने उनके लिए चाय बनाई, लेकिन उनसे नज़र नहीं मिला पाई।
मामा ने किचन में आकर मुझे पीछे से बाँहों में भर लिया और बोले, “सॉरी, दीपशिखा, कल रात के लिए। मैं तुमसे प्यार करने लगा हूँ। तू जब तक चाहे, मेरे साथ प्रेमिका की तरह रह सकती है। मैं कभी तेरी मर्ज़ी के खिलाफ़ नहीं जाऊँगा।” मैं उनकी बाँहों में समा गई और बोली, “आई लव यू, मामा!” मामा ने कहा, “अकेले में मुझे मामा मत बोल, रितेश बोल।” फिर उन्होंने मेरे होंठ चूमे और मेरी चूचियाँ मसलीं। मेरी चूत फिर गीली हो गई, लेकिन मैंने कहा, “अभी नहीं, रात में जो करना है, कर लेना।”
मामा नाश्ता करके कोचिंग चले गए और बोले, “शाम को मिलता हूँ। मैंने तेरे फोन में कुछ वीडियो भेजे हैं, देख लेना।” उनके जाने के बाद मैंने वीडियो देखे। एक वीडियो में एक लड़की अपनी चूत में बैंगन डाल रही थी। मैंने घर के पीछे से एक पतला बैंगन तोड़ा और वैसलीन लगाकर अपनी चूत में डालने की कोशिश की। पहले तो दर्द हुआ, लेकिन धीरे-धीरे बैंगन अंदर गया। मेरी चूत से खून निकला, लेकिन मुझे मज़ा भी आने लगा। मैंने सोचा कि आज रात मामा को अपनी चिकनी चूत से सरप्राइज़ दूँगी।
शाम को मैंने चूत को अच्छे से धोया और डिनर बनाकर मामा का इंतज़ार करने लगी। डोरबेल बजी, और मामा फिर से हाफ पैंट और टी-शर्ट में आए। मैंने छोटा शॉर्ट्स और टाइट टॉप पहना था। मामा ने दरवाज़ा बंद करते ही मुझे चूमना शुरू कर दिया। उनकी जीभ मेरे मुँह में थी, और उनका हाथ मेरे शॉर्ट्स में मेरी गांड सहला रहा था। मैंने कहा, “रितेश, खाना खाने के बाद, और एक सरप्राइज़ है तुम्हारे लिए।” मुझे पता था कि आज रात मामा मेरी चूत और गांड दोनों फाड़ देंगे। दोस्तों, आज के लिए इतना ही। आगे की कहानी में बताऊँगी कि मामा ने मेरी चूत में अपना लंड कैसे पेला और मैंने उनके लिए क्या सरप्राइज़ रखा था।
कहानी का अगला भाग: मामा ने प्रजनन का पाठ पढ़ा कर पेला मुझे 2