हेल्लो दोस्तों, मैं तुम्हारी रंडी रानो, अपनी चुदास भरी चूत से तुम्हारे तने हुए लंड को नमस्ते करती हूँ। उम्मीद है तुम सब चुदाई का मस्त मज़ा ले रहे हो। तुमने मेरी कहानी के पिछले भाग में पढ़ा कि कैसे मैंने लब्बू के गधे जैसे मोटे, काले लंड को अपनी चूत में लिया, और रंजीत ने उसकी मंगेतर मीनू की चूत खोलने का वादा किया, ताकि लब्बू का लंड उसमें जा सके। अब आगे की कहानी सुनो, जिसमें मीनू की कुंवारी चूत की पहली चुदाई की बात है।
कहानी का पिछला भाग: लम्बू नौकर का लम्बा लण्ड
अगली सुबह मैं जल्दी उठी। रंजीत खेतों में जा चुके थे। मैं बरामदे में गई, तो लब्बू अपने बिस्तर पर गहरी नींद में था। उसकी लूँगी थोड़ी खिसकी हुई थी, और उसका मोटा, काला लंड आधा बाहर झाँक रहा था, जैसे कोई सोया हुआ साँप। उसकी लंबाई और मोटाई देखकर मेरी चूत में फिर से आग लग गई। मैंने सोचा, “रात को रंजीत मीनू को चोदेंगे, पर उससे पहले मैं लब्बू के लंड का मज़ा ले लूँ।” लेकिन मैंने खुद को रोका। आज मीनू आने वाली थी, और उसकी कुंवारी चूत को तैयार करना था। मैंने लब्बू को जगाया, “उठ, लब्बू, काम पर जा। और हाँ, शाम को मीनू को ले आना। अंकल ने वादा किया है, उसकी चूत खोल देंगे।”
लब्बू शरमाते हुए बोला, “अंटीजी, सच में अंकल मीनू को चोद देंगे? वो मेरे लंड से बहुत डरती है। उसने कहा, इतना बड़ा लंड उसकी चूत फाड़ देगा।” मैंने हँसकर कहा, “तेरे अंकल का लंड भी तो लोहे जैसा सख्त है। वो मीनू की चूत को धीरे-धीरे खोल देंगे। तू फिक्र न कर, आज तेरा काम हो जाएगा।” लब्बू के चेहरे पर मुस्कान आ गई, और वो खेतों में चला गया। मैंने घर का काम निपटाया, टोमी को खाना खिलाया, और घोड़ी को बाजरा डाला। फिर मैं नहाने गई। गर्म पानी मेरे गोरे जिस्म पर गिर रहा था, मेरे मम्मे और झाँटों वाली चूत पर साबुन मलते हुए मैंने सोचा, “मीनू को देखकर जलन तो होगी, पर उसकी चुदाई देखने का मज़ा भी कुछ और होगा।”
मैंने लाल साड़ी पहनी, जिसमें मेरे बड़े-बड़े मम्मे और रसीली गाँड उभर रहे थे। नीचे मैंने काली पैंटी पहनी, जिसमें मेरी घनी झाँटें हल्की-सी दिख रही थीं। मैंने हल्का मेकअप किया, होंठों पर लाल लिपस्टिक लगाई, और बालों को खुला छोड़ा। मेरे जिस्म से पॉन्ड्स बॉडी लोशन की खुशबू फैल रही थी। मैं तैयार होकर रसोई में खाना बनाने लगी। शाम को लब्बू मीनू को लेकर आया। मीनू जवान थी, उम्र कोई 22 साल, रंग साँवला, कद मध्यम, और जिस्म भरा हुआ। उसके मम्मे मेरे जितने बड़े नहीं थे, पर गोल, टाइट, और उभरे हुए थे। उसकी गाँड गोल और रसीली थी, और उसने हरी सलवार-कुर्ता पहना था, जिसमें उसकी चूत का उभार साफ दिख रहा था। उसकी आँखों में शरम और डर दोनों थे, जैसे वो जानती हो कि आज कुछ बड़ा होने वाला है।
मैंने मीनू को गले लगाया, बोली, “आ, मीनू, हमारे घर में तेरा स्वागत है।” वो शरमाकर बोली, “अंटीजी, लब्बू ने आपके और अंकल की बहुत तारीफ की। आप लोग बहुत अच्छे हैं।” मैंने हँसकर कहा, “अरे, आज तुझे पता चलेगा, हम कितने अच्छे हैं। बैठ, खाना खाते हैं।” हम सबने खाना खाया। मीनू बार-बार लब्बू की तरफ देख रही थी, और लब्बू शरमाते हुए मेरी और रंजीत की तरफ। खाने के बाद रंजीत खेतों से लौटे। मीनू ने उनके पैर छुए। रंजीत ने उसे ऊपर से नीचे तक देखा, उसकी सलवार में उभरी चूत और मम्मों पर नज़र टिकाई, और बोले, “लब्बू, तूने तो मस्त माल पकड़ा है। मीनू, तू तो बिल्कुल जवान गाय जैसी है।” मीनू का चेहरा लाल हो गया।
रंजीत बोले, “चलो, आज फिर पार्टी करते हैं।” उन्होंने व्हिस्की की बोतल निकाली, चार गिलासों में पैग बनाए, और फ्रिज से ठंडा सोडा लिया। मीनू ने मना किया, “अंकल, मैं शराब नहीं पीती।” मैंने कहा, “मीनू, थोड़ा पी ले, मन हल्का हो जाएगा। आज तुझे मज़ा लेना है।” लब्बू ने भी कहा, “मीनू, अंटीजी ठीक कह रही हैं। पी ले।” मीनू ने डरते-डरते एक पैग पिया। हमने चिकन और सलाद खाते हुए बातें की। रंजीत ने दो पैग और ठोंके, मुझे भी हल्का नशा चढ़ गया। मीनू का चेहरा लाल हो गया, और वो हल्के-हल्के हँसने लगी। लब्बू ने सिर्फ़ दो पैग पिए, और तीसरे से मना कर दिया।
रंजीत ने टीवी ऑन किया, और वही ब्लू फिल्म लगाई, जिसमें नंगी लड़कियाँ मस्ती कर रही थीं। एक लड़की दूसरी के मम्मे चूस रही थी, कोई चूत में उंगली डाल रही थी, और कोई लंड को मुँह में लेकर चाट रही थी। मीनू शरमाकर नज़रें झुकाने लगी, उसका चेहरा और लाल हो गया। रंजीत बोले, “मीनू, शरमाओ मत। ये देख, औरतें कितने मज़े से चुदवाती हैं। तू भी आज ऐसा ही मज़ा लेगी।” मीनू बोली, “अंकल, मुझे बहुत शरम आ रही है। मैंने कभी ऐसा नहीं किया।” मैंने उसका हाथ पकड़ा, बोली, “मीनू, डर मत। हम सब यही चाहते हैं कि तू और लब्बू खुश रहो। तेरी चूत को आज अंकल तैयार करेंगे, ताकि लब्बू का लंड उसमें जा सके।”
रंजीत ने मेरी साड़ी का पल्लू खींचा। मेरा ब्लाउज़ मेरे मम्मों को मुश्किल से संभाल रहा था। वो बोले, “लब्बू, मीनू को सिखा, औरत का जिस्म कैसे सहलाते हैं।” लब्बू ने मीनू का हाथ पकड़ा, पर वो डर रही थी, बोली, “लब्बू, मुझे डर लग रहा है।” मैंने मीनू की सलवार का नाड़ा खोला, और उसका कुर्ता उतार दिया। उसकी काली ब्रा में उसके टाइट मम्मे चमक रहे थे, जैसे दो पके हुए आम। मैंने उसकी ब्रा खोली, और उसके गोल, सख्त मम्मे आज़ाद हो गए। उनके निप्पल गहरे भूरे और सख्त थे। रंजीत ने एक मम्मा पकड़ा, धीरे से दबाया, बोले, “क्या मस्त माल है, मीनू! तेरे मम्मे तो लब्बू को पागल कर देंगे।”
मीनू सिसकारी, “अंकल, क्या कर रहे हो? मुझे शरम आ रही है।” मैंने उसकी पैंटी उतारी। उसकी चूत पर हल्की-सी झाँटें थीं, और चूत का मुँह इतना टाइट कि एक उंगली भी मुश्किल से जाती। मैंने रंजीत से कहा, “अंकल, मीनू तो बिल्कुल कुंवारी है। इसका मुँह बहुत टाइट है।” रंजीत ने मीनू की चूत सहलाई, बोले, “हाँ, ये तो बिल्कुल नई है। मीनू, डर मत, मैं इसे धीरे-धीरे खोल दूँगा।” मीनू बोली, “अंकल, मुझे डर लग रहा है। लब्बू का लंड बहुत बड़ा है।” रंजीत हँसे, “पहले मेरा लंड ले ले, फिर लब्बू का भी जाएगा।”
रंजीत ने मीनू को सोफे पर लिटाया, उसकी टाँगें चौड़ी कीं, और उसकी चूत चाटने लगे। उनकी जीभ मीनू की चूत के दाने को छू रही थी। मीनू की सिसकारियाँ निकलने लगीं, “हाय… अंकल… ये क्या… आह…” उसकी चूत धीरे-धीरे गीली हो रही थी। मैंने लब्बू की लूँगी उतारी, उसका लंड गधे जैसा तना हुआ था। मैंने उसे मुठ मारना शुरू किया, और बोली, “लब्बू, देख, अंकल तेरी मीनू की चूत खोल रहे हैं।” लब्बू की साँसें तेज़ हो गईं, वो बोला, “अंटीजी, मेरा लंड फट जाएगा।” मैंने उसका सुपारा चाटा, उसकी गंध मेरे दिमाग में चढ़ गई। मैंने अपनी साड़ी और पेटीकोट उतार दिया, और नंगी होकर लब्बू के सामने घुटनों पर बैठ गई, बोली, “मेरी चूत चाट।”
लब्बू मेरी झाँटों वाली चूत चाटने लगा। उसकी जीभ मेरी चूत के अंदर तक जा रही थी, और मैं सिसकारियाँ भर रही थी, “हाय… लब्बू… और चाट…” तभी टोमी अंदर आया, और मेरी गाँड सूँघने लगा। मैंने टोमी को पास बुलाया, उसका पतला, गरम लंड पकड़ा, और हिलाने लगी। रंजीत मीनू की चूत चाट रहे थे, और अब उनकी उंगली धीरे-धीरे उसकी टाइट चूत में जा रही थी। मीनू बोली, “अंकल, दर्द हो रहा है।” रंजीत बोले, “बस थोड़ा सह ले, मज़ा आएगा।” उन्होंने पॉन्ड्स क्रीम ली, मीनू की चूत और अपनी उंगली पर लगाई, और धीरे-धीरे दो उंगलियाँ अंदर डालीं। मीनू की चीख निकली, पर वो अब मज़े में थी।
रंजीत ने अपनी पैंट उतारी, उनका लंड लोहे जैसा सख्त था। उन्होंने क्रीम अपने लंड पर लगाई, और मीनू की चूत के मुँह पर सेट किया। मीनू डर गई, “अंकल, ये बहुत बड़ा है।” रंजीत बोले, “मीनू, धीरे-धीरे डालूँगा।” उन्होंने धीरे से जोर लगाया, और उनका सुपारा मीनू की चूत में घुस गया। मीनू की चीख निकली, “हाय… अंकल… फट गई…” रंजीत रुके, उसे पुचकारा, और धीरे-धीरे आधा लंड डाला। मीनू की आँखों में आँसू थे, पर वो अब सिसकारियाँ भी भर रही थी। रंजीत ने धीरे-धीरे धक्के मारे, और मीनू की चूत गीली होकर खुलने लगी। वो बोली, “अंकल… अब मज़ा आ रहा है… और करो…”
मैंने लब्बू का लंड चूसना शुरू किया। उसका सुपारा मेरे मुँह में मुश्किल से आ रहा था। मैंने उसकी खाल पीछे खींची, और उसका काला, मोटा टोपा चाटा। लब्बू सिसकारी, “अंटीजी, आपका मुँह तो आग जैसा गर्म है।” मैंने टोमी का लnd अपनी चूत पर सेट किया, और वो मेरे ऊपर चढ़ गया। उसका लंड मेरी चूत में आसानी से घुस गया, और वो तेज़-तेज़ धक्के मारने लगा। मैं आहें भर रही थी, “हाय… टोमी… और तेज़…” रंजीत ने मीनू को चोदा, और वो झड़ गए। मीनू की चूत से पानी और हल्का खून टपक रहा था, क्योंकि वो कुंवारी थी। मैंने मीनू को गले लगाया, बोली, “मीनू, अब तू कुंवारी नहीं रही। अब लब्बू का लंड भी ले सकती है।”
रंजीत बोले, “लब्बू, अब तू ट्राई कर।” लब्बू ने मीनू की चूत पर अपना लंड रखा। मीनू डर गई, “नहीं, लब्बू, तेरा बहुत बड़ा है।” मैंने कहा, “मीनू, क्रीम लगाकर धीरे-धीरे ले।” मैंने ढेर सारी क्रीम लब्बू के लंड और मीनू की चूत पर लगाई। लब्बू ने धीरे से जोर लगाया, उसका सुपारा अंदर गया। मीनू की चीख निकली, “हाय… मर गई…” रंजीत ने उसकी पीठ सहलाई, बोले, “शाबाश, मीनू, थोड़ा सह ले।” लब्बू ने धीरे-धीरे आधा लंड डाला, और रुक गया। मीनू की साँसें तेज़ थीं, पर वो अब मज़े में थी। लब्बू ने धीरे-धीरे धक्के मारे, और मीनू बोली, “लब्बू… अब मज़ा आ रहा है… और कर…”
मैं टोमी की चुदाई का मज़ा ले रही थी। उसने मेरी चूत में पिचकारी मारी, और लंड निकालकर चाटने लगा। लब्बू ने मीनू की चूत में तेज़ धक्के मारे, और वो भी झड़ गया। मीनू की चूत से पानी और लब्बू का माल टपक रहा था। हम सब हाँफ रहे थे। मैंने मीनू को गले लगाया, बोली, “मीनू, अब तू लब्बू का लंड ले सकती है। तेरी शादी पक्की।” मीनू शरमाई, बोली, “अंटीजी, आप और अंकल ने मेरी ज़िंदगी बना दी।” रंजीत बोले, “लब्बू, मीनू को यहीं छोड़, कल फिर आना। हम रात को फिर मज़ा करेंगे।”
हमने खाना खाया। रात को रंजीत ने फिर ब्लू फिल्म लगाई। मीनू अब शरमाना छोड़ चुकी थी। रंजीत ने मुझे और मीनू को नंगा किया, और हम दोनों को बारी-बारी चोदा। लब्बू ने मीनू की चूत चाटी, और मैंने टोमी को फिर अपनी चूत पर बुलाया। घोड़ी बाहर बाजरा खा रही थी, और हम सब चुदाई के मज़े में डूब गए। सुबह लब्बू आया, और मीनू को लेकर चला गया। रंजीत बोले, “रानो, अब इनकी शादी में हम मज़े करेंगे।” और हमारी चुदाई की कहानी यहीं नहीं रुकी, बल्कि और रंगीन होती गई।