मेरा नाम काजल है। मैं पंजाब की रहने वाली हूँ। मेरी उम्र 30 साल की है, और शादी को सात साल बीत चुके हैं। लेकिन इन सात सालों में मैं माँ नहीं बन पाई। मेरे पति बिस्तर पर कुछ खास नहीं कर पाते। पाँच-सात मिनट में उनका काम तमाम हो जाता है, और मैं अधूरी चाहतों के साथ तड़पती रह जाती हूँ। मेरी चूत की आग बुझाए बिना ही वो सो जाते हैं, और मैं रात भर करवटें बदलती रहती हूँ। मेरा फिगर 34-32-36 का है, जो अभी भी किसी जवान लड़की जैसा है। गोरा रंग, भरी-पूरी चूचियाँ, और कसी हुई गांड—लोग मुझे देखकर आहें भरते हैं। मेरी खूबसूरती और जिस्म की तारीफ हर कोई करता है, लेकिन मेरे पति को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।
मैं एक बैंक में मैनेजर हूँ, और मेरे पति भी एक बैंक में मैनेजर हैं। हम दोनों सुबह अपने-अपने दफ्तर निकल जाते हैं और देर रात ही घर लौटते हैं। मेरे बैंक में कई कर्मचारी मुझे भूखी नजरों से घूरते रहते हैं। उनकी आँखों में वासना साफ दिखती है, और वो मुझसे बात करने का कोई ना कोई बहाना ढूंढते रहते हैं। लेकिन मैं ज्यादा घुलती-मिलती नहीं। मैं अपने काम में मस्त रहती हूँ और किसी को ज्यादा भाव नहीं देती।
एक दिन बैंक में काम का बोझ इतना था कि मैं देर तक रुक गई। सारे कर्मचारी जा चुके थे, और बैंक में सिर्फ मैं और चपरासी राजन बचे थे। मैं अपने केबिन में फाइलें निपटा रही थी। काम खत्म होने के बाद मैंने आसपास देखा, लेकिन राजन कहीं नजर नहीं आया। मैंने उसे ढूंढना शुरू किया। हर कोने में देखा, पर वो कहीं नहीं मिला। आखिरकार, मैं लेडीज़ बाथरूम की तरफ गई। दरवाजा खोला तो मेरी आँखें फटी की फटी रह गईं। राजन वहाँ अकेला बैठा था, फोन में कोई गंदी फिल्म देख रहा था, और अपना लंड ज़ोर-ज़ोर से हिला रहा था। उसका ध्यान पूरी तरह फोन पर था, और उसे बिल्कुल नहीं पता था कि मैं दरवाजे पर खड़ी हूँ।
राजन का लंड मेरे पति के लंड से कहीं ज्यादा लंबा और मोटा था। काला, सख्त, और नसों से भरा हुआ—उसे देखकर मेरी चूत में हलचल होने लगी। मेरी नजरें उस लंड से हट ही नहीं रही थीं। मैं भूल गई कि मैं कहाँ खड़ी हूँ, और बस राजन के लंड को एकटक देखती रही। मेरी चूत गीली होने लगी थी, और मेरे जिस्म में एक अजीब सी सिहरन दौड़ रही थी। मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं किसी पराए मर्द को इस तरह देखूँगी।
मैं कुछ समझ पाती, उससे पहले राजन की नजर मुझ पर पड़ी। वो एकदम से खड़ा हुआ और मेरे पास आ गया। उसने बिना कुछ कहे मेरा हाथ पकड़ा और अपने लंड पर रख दिया। मैं हड़बड़ा गई, लेकिन मेरे मुँह से कोई आवाज़ नहीं निकली। राजन ने मेरा हाथ पकड़कर अपने लंड को हिलाना शुरू किया। उसका लंड मेरे हाथ में गर्म और सख्त महसूस हो रहा था। मेरी साँसें तेज़ हो गई थीं, और मेरी चूत अब पूरी तरह गीली थी।
राजन ने धीमे से कहा, “मैम, मुझे पता है आपके पति आपको खुश नहीं कर पाते। आप बच्चे के लिए तरस रही हैं। मैं आपकी वो प्यास बुझा सकता हूँ।” उसकी बातें सुनकर मुझे गुस्सा तो आया, लेकिन कहीं ना कहीं उसने मेरे दिल की बात कह दी थी। मेरी चूत की आग और बच्चे की चाहत मुझे परेशान किए हुए थी। फिर भी, मैंने खुद को संभाला और वहाँ से बाहर निकल आई।
राजन मेरे पीछे आया और बोला, “मैम, अगर मेरी बात बुरी लगी हो तो माफ कर देना।” मैंने कुछ नहीं कहा, बस चुपचाप उसे देखा। फिर राजन ने फिर से कहा, “मैम, एक बार मेरा काम पूरा कर दो, प्लीज़।” उसकी आँखों में एक अजीब सी मासूमियत थी, और मैं ना चाहते हुए भी पिघल गई। मैंने हल्के से सिर हिलाया। उसने फिर से मेरा हाथ पकड़ा और अपने लंड पर रख दिया। इस बार मैंने खुद ही उसका लंड हिलाना शुरू कर दिया। उसका लंड मेरे हाथ में और सख्त हो गया। राजन सिसकारियाँ ले रहा था और बोल रहा था, “मैम, आपके हाथ में जादू है। कितने सालों बाद मेरा लंड इतना तन गया है।”
कुछ ही देर में राजन का लंड फट पड़ा। उसका गर्म माल मेरे हाथ पर गिर गया। मैंने जल्दी से हाथ छुड़ाया और बाथरूम में जाकर उसे साफ करने लगी। लेकिन जाने से पहले, मैंने चुपके से अपने उंगलियों पर लगे राजन के माल को चाट लिया। इसका स्वाद मेरे लिए नया था, और मेरे जिस्म में एक अजीब सी गर्मी फैल गई। मैंने जल्दी से हाथ धोया और बाहर निकल आई।
राजन बाहर खड़ा था और बोला, “मैम, ये बात किसी को मत बताना, वरना मेरी नौकरी चली जाएगी।” मैंने उसके सिर पर हाथ फेरा और बिना कुछ बोले बैंक से बाहर निकल गई। घर पहुँचकर मैं नहाने चली गई। नहाते वक्त मेरे दिमाग में बस राजन का लंड ही घूम रहा था। उसकी मोटाई, उसकी गर्मी—मैं बार-बार उसी के बारे में सोच रही थी। मैंने अपनी चूत में उंगली डाली और राजन के लंड को याद करते हुए खुद को शांत किया। फिर थककर सो गई।
अगले दिन मैंने जानबूझकर पैंटी नहीं पहनी। बैंक पहुँचते ही मैंने राजन को देखा। वो कोई काम कर रहा था। मैंने उसे देखकर एक हल्की सी स्माइल दी, और वो भी जवाब में मुस्कुराया। मैं अपने केबिन में चली गई। थोड़ी देर बाद राजन मेरे लिए पानी लेकर आया और फिर से माफी माँगने लगा। मैं उठकर उसके पास गई और धीमे से बोली, “राजन, तेरे लंड में तो जादू है।” ये कहते हुए मैंने उसकी पैंट के ऊपर से उसके लंड को पकड़ लिया। राजन चुपचाप खड़ा रहा, और मैं उसका लंड सहलाने लगी। तभी दरवाजे पर किसी के आने की आहट हुई। मैं जल्दी से अपनी सीट पर बैठ गई, और राजन बाहर चला गया।
लेकिन मेरा मन अब काम में नहीं लग रहा था। मेरी चूत बार-बार राजन के लंड की माँग कर रही थी। मैं बार-बार अपनी टाँगें रगड़ रही थी, ताकि चूत की गर्मी को थोड़ा शांत कर सकूँ। शाम को साढ़े चार बजे तक सारे कर्मचारी जा चुके थे। राजन मेरे केबिन में आया और मेरे पास आकर मेरे पाँव के पास नीचे बैठ गया। उसने मेरी टाँगों को सहलाना शुरू किया। मैंने पूछा, “क्या कर रहा है नीचे बैठकर?”
राजन बोला, “मैम, कल आपने मेरा लंड देखा था। आज मुझे भी आपकी चूत के दर्शन करवा दो।” मैंने मना किया, लेकिन राजन ने मेरी सलवार का नाड़ा खोल दिया। मैंने फिर कहा, “कोई आ गया तो मुसीबत हो जाएगी।” राजन ने मेरी कुर्सी को पीछे खींचा और खुद टेबल के नीचे घुस गया। फिर उसने कुर्सी को अपनी तरफ खींच लिया और बोला, “अब कोई नहीं देखेगा कि नीचे क्या हो रहा है।”
उसने मेरी सलवार नीचे कर दी। मेरी गोरी, चिकनी चूत उसके सामने थी। जैसे ही राजन ने अपनी जीभ मेरी चूत पर लगाई, मेरे जिस्म में करंट सा दौड़ गया। मैं सिहर उठी। मेरा एक हाथ अपने आप उसके सिर को सहलाने लगा। राजन मेरी चूत को चूस रहा था, उसकी जीभ मेरी चूत के दाने को छू रही थी। मेरे पति ने कभी मेरी चूत नहीं चाटी थी, लेकिन राजन उसे ऐसे चाट रहा था जैसे कोई भूखा शेर अपने शिकार पर टूट पड़ता है। मैंने अपनी टाँगें और चौड़ी कर दीं और राजन के सिर को अपनी चूत में दबाने लगी। मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया, और राजन उसे चाट-चाटकर पी गया।
जब राजन बाहर निकला, मैं वैसे ही कुर्सी पर बैठी रही, मेरी चूत अभी भी गीली थी। राजन ने केबिन के बाहर देखा, बैंक में कोई नहीं था। उसने बैंक का दरवाजा अंदर से बंद कर दिया और मेरे पास आकर अपने सारे कपड़े उतार दिए। उसका लंड तना हुआ था, और वो उसे मेरे मुँह के पास ले आया। मैंने बिना कुछ सोचे अपना मुँह खोल दिया। राजन ने अपना लंड मेरे मुँह में डाल दिया, और मैं उसे चूसने लगी। उसका लंड मेरे मुँह में इतना बड़ा लग रहा था कि मैं पूरा ले नहीं पा रही थी। राजन ने मेरे सिर को पकड़ा और अपना लंड मेरे मुँह में अंदर-बाहर करने लगा।
काफी देर तक मैं उसका लंड चूसती रही। फिर मैंने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए। राजन मेरी चूचियों को चूसने लगा, उन्हें मसलने लगा। मेरी चूचियाँ सख्त हो गई थीं, और मेरे निप्पल कड़क होकर बाहर की तरफ तन गए थे। राजन ने मुझे फर्श पर लिटा दिया और मेरी टाँगें चौड़ी करके अपनी कमर मेरी चूत के सामने सेट की। उसने अपने लंड को मेरी चूत के मुँह पर रगड़ा और फिर एक ज़ोर का धक्का मारा। उसका लंड मेरी चूत को चीरता हुआ अंदर चला गया। मैं दर्द से चीख पड़ी, लेकिन राजन ने मेरे होंठों को अपने होंठों से बंद कर दिया।
वो मेरी चूत को चोदने लगा। हर धक्के के साथ मेरा जिस्म हिल रहा था। राजन बोला, “मैम, आपकी चूत तो इतनी टाइट है, जैसे कुंवारी हो। साहब चोदते नहीं क्या?” मैंने सिसकारते हुए कहा, “चोदते तो मैं कब की माँ बन गई होती।” राजन हँसा और बोला, “मैम, अब मैं हूँ ना। मैं आपको अपने बच्चे की माँ बनाऊँगा।” उसकी बात सुनकर मेरी चूत और गीली हो गई। मैंने कहा, “हाँ राजन, मुझे अपने बच्चे की माँ बना दे।”
राजन ने मेरी टाँगें और ऊपर उठाईं और ज़ोर-ज़ोर से मेरी चुदाई करने लगा। मैं दो बार झड़ चुकी थी, लेकिन राजन रुका नहीं। उसने मेरी चूत में ही अपना माल छोड़ दिया। उसका गर्म माल मेरी चूत के अंदर महसूस हुआ, और मैं सुकून से भर गई। राजन मेरे ऊपर ही लेट गया। कुछ देर बाद हम अलग हुए। मैं बाथरूम में गई, अपनी चूत को साफ किया, और बाहर आ गई। राजन अभी भी नंगा लेटा था। मैंने उसे कहा, “राजन, अब उठ और बैंक बंद करके घर जा।” उसने हँसते हुए मेरे पास आकर मेरे होंठों पर एक चुम्मा लिया और फिर मैंने उसके लंड को चूमा। इसके बाद मैं बैंक से निकल गई।
उस दिन के बाद हमारा ये सिलसिला चल पड़ा। जब भी मौका मिलता, हम बैंक में चुदाई का मज़ा लेते। कभी केबिन में, कभी बाथरूम में, कभी स्टोर रूम में। राजन की चुदाई ने मेरी चूत की प्यास बुझा दी थी। कुछ महीनों बाद मुझे पता चला कि मैं प्रेगनेंट हूँ। मेरे पेट में राजन का बच्चा था। मैं खुशी से पागल हो गई। मेरे पति को लगा कि ये उनका बच्चा है, और वो भी बहुत खुश थे। लेकिन मेरे दिल में राजन के लिए एक अलग जगह बन गई थी।
तीन दिन बैंक की छुट्टी थी, और मैं राजन को ये खुशखबरी नहीं सुना पाई। मैंने अपने पति से कहा कि मुझे अपनी सहेली के घर जाना है। उन्होंने तुरंत हामी भर दी। मैं कार लेकर राजन के घर पहुँच गई। राजन मुझे देखकर हैरान हो गया। उसने कहा, “मैम, आप मेरे छोटे से घर में? कुछ काम था तो मुझे बुला लेतीं।” मैंने हँसते हुए दरवाजा बंद किया और उसे अपनी बाहों में भर लिया। मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए, और हम दोनों पागलों की तरह एक-दूसरे को चूमने लगे।
काफी देर तक हम चूमते रहे। फिर मैंने उसे बताया, “राजन, मैं तेरे बच्चे की माँ बनने वाली हूँ।” वो इतना खुश हुआ कि उसने मुझे फिर से चूमना शुरू कर दिया। मैंने उसकी लुंगी खींच दी, और उसका लंड मेरे सामने था। मैंने उसे हाथ में लिया और हिलाने लगी। राजन ने मेरी कमीज उतारी और मेरी ब्रा के ऊपर से मेरी चूचियों को चूसने लगा। फिर उसने मेरी ब्रा खोल दी और मेरी चूचियों को आज़ाद कर दिया। उसने मेरी सलवार का नाड़ा खोला, और मेरी चूत उसके सामने थी।
राजन ने मुझे बिस्तर पर लिटाया और मेरी चूत पर मुँह लगा दिया। वो मेरी चूत को चाटने लगा, और मैं उसके सिर को अपनी चूत में दबाने लगी। मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया, और राजन उसे पी गया। फिर मैंने उसका लंड मुँह में लिया और चूसने लगी। राजन मेरे मुँह को चोदने लगा। काफी देर बाद उसने मेरे मुँह में अपना माल छोड़ दिया। मैंने उसका सारा माल पी लिया और लंड को चाटकर साफ कर दिया।
राजन मेरे पास लेट गया और बोला, “मैम, मैंने आपको इतनी बड़ी खुशी दी। अब आप मुझे क्या दोगी?” मैंने कहा, “जो तू कहे, वो करूँगी।” राजन बोला, “मैं बहुत समय से आपकी गांड मारना चाहता था, लेकिन डरता था। आज आपने वादा किया है, तो अब मुझे आपकी गांड चाहिए।” मैं थोड़ा घबरा गई, लेकिन उसकी खुशी के लिए मना नहीं कर सकी।
राजन ने मुझे घोड़ी बनाया और रसोई से तेल की बोतल ले आया। उसने मेरी गांड के छेद पर तेल लगाया और अपनी उंगली अंदर-बाहर करने लगा। मुझे दर्द होने लगा, लेकिन मैं चुप रही। फिर राजन ने अपने लंड पर भी तेल लगाया और मेरी गांड के छेद पर सेट किया। उसने एक ज़ोर का धक्का मारा, और उसका लंड मेरी गांड में घुस गया। मैं दर्द से चीख पड़ी। राजन ने मेरे मुँह को अपने हाथ से बंद कर दिया। वो धीरे-धीरे मेरी गांड चोदने लगा। दर्द धीरे-धीरे कम हुआ, और मुझे भी मज़ा आने लगा। राजन मेरे बाल पकड़कर मुझे घोड़ी की तरह चोद रहा था।
काफी देर बाद उसने मेरी गांड में अपना माल छोड़ दिया। मैं थककर बिस्तर पर लेट गई। राजन ने मेरी गांड साफ की और मेरे साथ लेट गया। मैं इतनी थक गई थी कि मुझे नींद आ गई। सुबह मैं अपने घर लौट आई। मेरे पति ने मेरे लंगड़ाते हुए चलने को देखा और पूछा, “क्या हुआ?” मैंने कहा, “पाँव में मोच आ गई।” उन्होंने मुझे बिस्तर पर लिटाया और मेरे पाँव की मालिश की। फिर हमने खाना खाया और सो गए।
समय बीतता गया, और मेरा बेटा सात महीने का हो गया। मेरे पति उसे बहुत प्यार करते थे, लेकिन मुझे राजन की कमी खलती थी। जब भी मुझे उसकी याद आती, मैं उसकी चुदाई को याद करके अपनी चूत में उंगली डाल लेती। एक दिन मेरे पति बैंक की ट्रेनिंग के लिए तीन दिन के लिए बाहर गए। मैंने मौका देखा और अपने बेटे को लेकर राजन के घर चली गई।
राजन ने मुझे देखकर दरवाजा खोला और खुशी से मुझे गले लगा लिया। मैंने उसे चूमा, और वो भी मुझे चूमने लगा। मैंने अपने बेटे को उसकी गोद में दिया और कहा, “अपने बेटे से मिल।” राजन उसे प्यार करने लगा। मैं रसोई में गई और बेटे के लिए दूध और हमारे लिए खाना बनाया। बेटे को दूध पिलाते वक्त राजन बोला, “काजल, आज मैं भी अपने बेटे के साथ दूध पियूँगा।” उसने मेरी कमीज ऊपर की और मेरी ब्रा खोलकर मेरी चूची को मुँह में ले लिया। वो मेरी चूची से दूध पीने लगा, और दूसरी चूची से मेरा बेटा दूध पी रहा था।
बेटा दूध पीकर सो गया। मैंने उसे बिस्तर पर सुलाया और राजन को अपने ऊपर खींच लिया। वो मेरी चूचियों को चूसने लगा, और मैं उसका लंड सहलाने लगी। फिर हम दोनों नंगे हो गए। मैंने राजन का लंड मुँह में लिया और चूसने लगी। राजन ने मेरी चूत को चाटा, और हम 69 की पोजीशन में आ गए। हम एक-दूसरे को चाटते रहे, और फिर दोनों एक-दूसरे के मुँह में झड़ गए।
राजन ने मुझे लिटाया और मेरी चूत में लंड डाल दिया। वो धीरे-धीरे मेरी चुदाई करने लगा। मैंने उसका साथ दिया और अपनी गांड उठाकर उसके धक्कों का जवाब दिया। राजन मेरी चूचियों को चूस रहा था, और उसका लंड मेरी चूत को चोद रहा था। मैंने कहा, “राजन, मेरी चूत की प्यास बुझा दे।” वो और तेज़ी से मुझे चोदने लगा। मैं दो बार झड़ चुकी थी, लेकिन राजन रुका नहीं। आखिरकार, उसने मेरी चूत में अपना माल छोड़ दिया।
हमने रात भर चुदाई का मज़ा लिया। सुबह मैं अपने बेटे को लेकर घर लौट आई। राजन की चुदाई ने मेरी ज़िंदगी बदल दी थी। मैं अब एक माँ थी, और मेरे दिल में राजन के लिए एक खास जगह थी।