पापा के दोस्त ने मेरी बुर की सील तोड़ी

दोस्तो, मैं सरीना, जयपुर से, और आज मैं आपको अपनी ज़िंदगी का एक सच्चा और गर्मागर्म अनुभव सुनाने जा रही हूँ। ये कहानी मेरी पहली चुदाई की है, जब मेरे पापा के दोस्त ने मेरी कुंवारी चूत की सील तोड़ी और मुझे एक लड़की से औरत बना दिया। ये बात दिल से दिल तक जाती है, और मैं चाहती हूँ कि आप इसे पढ़कर उतना ही मज़ा लो जितना मैंने उस वक़्त लिया।

ये बात दो साल पहले की है जब मैं 19 साल की थी। मेरी फैमिली में सिर्फ मैं और मेरा छोटा भाई राहुल है। मेरी मम्मी की डेथ 4 साल पहले हो चुकी थी, और अब पापा भी इस दुनिया में नहीं हैं। उस वक़्त पापा ज़िंदा थे और उनकी जॉब की वजह से उन्हें 15 दिनों के लिए गोवा जाना था। गोवा में ऑफिस के कुछ क्लाइंट्स के साथ मीटिंग थी।

पापा को चिंता थी कि उनके जाने के बाद मैं और राहुल घर में अकेले रह जाएंगे। इसलिए उन्होंने अपने पुराने दोस्त, जिन्हें हम अंकल कहते थे, को फोन किया। अंकल की उम्र 50 साल थी, पापा से भी बड़े थे, लेकिन वो एकदम फिट और हैंडसम थे। उनकी हाइट 6 फीट थी, बॉडी गठीली, और चेहरा ऐसा कि कोई भी लड़की देखकर पिघल जाए। अंकल हमारे घर से 12 किलोमीटर दूर रहते थे। पापा ने उनसे कहा, “या तो तुम 15 दिनों के लिए इन बच्चों को अपने घर ले जाओ, या फिर तुम खुद यहीं आ जाओ।” अंकल ने बिना हिचक कहा, “अरे, तू टेंशन मत ले, मैं ऑफिस के बाद तेरे घर आ जाया करूँगा।”

अगले दिन पापा गोवा चले गए। उस दिन शाम को मैं किचन में चाय बना रही थी तभी अंकल आ गए। मैंने उन्हें थैंक्स कहा कि वो हमारे लिए आए। अंकल ने बड़े प्यार से कहा, “अरे बेटा, कोई बात नहीं, तुम लोग तो मेरे बच्चों जैसे हो।” उनकी बात सुनकर मुझे अच्छा लगा। मैंने चाय बनाई और हम सब बैठकर चाय पीने लगे। अंकल ने बताया कि वो अपने घर से हमारे लिए खाना बनवाकर लाए हैं। ये सुनकर मैं और खुश हो गई।

खाना खाने के बाद हम सब ड्राइंग रूम में टीवी देखने लगे। मैं आपको बता दूँ, अंकल को देखकर मेरा दिल हमेशा से धक-धक करता था। उनकी पर्सनालिटी, उनका स्टाइल, और उनकी गहरी आवाज़ मुझे हमेशा से आकर्षित करती थी। हाल ही में मेरी सहेली ने मुझे कुछ हिंदी सेक्स स्टोरी साइट्स के बारे में बताया था। मैंने जब वो कहानियाँ पढ़ीं, तो मेरा मन सेक्स के लिए और उत्तेजित होने लगा। अंकल को देखकर मेरे मन में गंदे-गंदे ख्याल आने लगे थे, और अब जब मौका मिला था, तो मेरे दिल में आग सी लग रही थी।

रात को कुछ देर टीवी देखने के बाद मैंने कहा, “अंकल, आप टीवी देखो, मैं सोने जा रही हूँ।” अंकल बोले, “हाँ बेटा, मैं भी चलता हूँ।” वो पापा के रूम में चले गए। तभी राहुल ज़िद करने लगा कि वो अंकल के साथ सोएगा। मैंने मना किया, “नहीं, तू अंकल के साथ नहीं सो सकता। मैं अकेली कैसे सोऊँगी?” मुझे अकेले सोने में डर लगता था, और नींद भी नहीं आती थी। तभी अंकल हमारे रूम में आए और बोले, “कोई बात नहीं, मैं यहीं तुम दोनों के साथ सो जाता हूँ।” मैं खुश हो गई और बोली, “हाँ, ये ठीक रहेगा।”

हम तीनों एक ही बेड पर लेट गए। बीच में अंकल, एक तरफ मैं, और दूसरी तरफ राहुल। अंकल के मुँह से हल्की शराब की महक आ रही थी। मुझे पता था कि उन्होंने ड्रिंक की थी, लेकिन मैंने कुछ नहीं कहा। कुछ देर बाद हम सब सो गए। रात को करीब 2 बजे मेरी नींद खुली। मैंने देखा कि अंकल का एक पैर मेरे पैर के ऊपर था और उनका हाथ मेरे सीने के पास। वो मुझे अपनी बाँहों में लिए हुए थे। पहले तो मुझे अजीब लगा, लेकिन फिर उनकी गर्म साँसें मेरे गले पर पड़ीं तो मेरे बदन में सिहरन सी दौड़ गई। मेरे मन में वही सेक्स कहानियों के सीन घूमने लगे, और मेरी चूत में गीलापन महसूस होने लगा।

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पता नहीं क्या हुआ, मैं और करीब चिपक गई। मेरी गांड अंकल के लंड से टच हो रही थी। उनका लंड खड़ा था, और मुझे अपनी गांड में उसकी गर्मी और सख्ती साफ महसूस हो रही थी। तभी अंकल ने धीरे-धीरे मेरी गांड पर धक्के देना शुरू किया और मेरे चुचे दबाने लगे। अब मुझे यकीन हो गया कि अंकल जानबूझकर ये सब कर रहे हैं। मेरे बदन में आग लग रही थी, लेकिन मैं समझ नहीं पा रही थी कि क्या करूँ।

अंकल ने मेरे कान में धीरे से पूछा, “कैसा लग रहा है, सरीना?” मैंने हल्के से कहा, “अंकल, ये गलत है। आप पापा के दोस्त हो, और आपकी उम्र 50 साल है, मैं तो सिर्फ 19 की हूँ।” वो बोले, “अरे बेटी, उम्र से क्या फर्क पड़ता है? मैं तुझे हमेशा खुश रखूँगा, तुझे किसी चीज़ की कमी नहीं होने दूँगा। मैं तुझे बहुत पसंद करता हूँ।” उनकी बातों से मेरा दिल पिघलने लगा। मैंने कहा, “अंकल, मैंने आज तक ऐसा कुछ नहीं किया। मैं वर्जिन हूँ।”

अंकल ने मुझे अपनी गोद में उठाया और बोले, “कोई बात नहीं, आज तेरा पहला दिन होगा। चल, पापा के रूम में चलते हैं, वरना राहुल जाग गया तो गड़बड़ हो जाएगी।” वो मुझे पापा के रूम में ले गए। मैं डर रही थी, लेकिन मेरी चूत में गीलापन और उत्तेजना मुझे रोक नहीं पा रहे थे। अंकल ने मुझे बेड पर लिटाया और मेरे होंठों पर किस करना शुरू कर दिया। उनकी गर्म साँसें और होंठों का दबाव मुझे मस्त कर रहा था। मैंने सोचा, आज चुद ही लेती हूँ। मैं खुद देखना चाहती थी कि चूत चुदवाने का मज़ा कैसा होता है।

अंकल मेरे होंठ चूमते हुए मेरी नाइटी ऊपर करने लगे। मैंने कोई विरोध नहीं किया। फिर उन्होंने मेरा टॉप उतार दिया और मेरी ब्रा भी खोल दी। मैं नंगी होने की वजह से शर्मा रही थी और अपने चुचे छुपाने की कोशिश कर रही थी। लेकिन अंकल ने मेरे हाथ हटाए और बोले, “सरीना बिटिया, शर्माओ मत। आज मैं तुझे इतना मज़ा दूँगा कि तू जिंदगी भर याद रखेगी। तू मेरी बीवी बन जा।” उनकी बातों से मैं और शर्मा गई, लेकिन मेरे बदन में उत्तेजना की लहरें दौड़ रही थीं।

अंकल मेरे चुचे चूसने लगे। उनके होंठ मेरे निप्पल्स पर लगे तो मुझे दर्द के साथ-साथ मज़ा भी आने लगा। फिर उन्होंने अपना पजामा और अंडरवियर उतार दिया। मैंने पहली बार उनका लंड देखा। वो इतना लंबा और मोटा था कि मैं डर गई। उनकी जांघें भी भारी और मज़बूत थीं। मैंने डरते हुए कहा, “अंकल, आपका तो बहुत बड़ा है। मेरी चूत में नहीं जाएगा।” वो हँसे और बोले, “बेटी, टेंशन मत ले। ये मेरा काम है। तुझे बस मज़ा लेना है।”

अंकल ने मेरी पैंटी उतार दी। मेरी चूत पर हल्की-हल्की झांटें थीं। वो मेरी चूत देखकर बोले, “क्या मस्त चूत है तेरी, सरीना। एकदम गोरी और फूली हुई। सच में तू वर्जिन है?” मैंने शर्माते हुए हाँ में सिर हिलाया। फिर अंकल मेरी टाँगें फैलाकर मेरी चूत चाटने लगे। उनकी गर्म जीभ मेरी चूत की फांकों पर फिसल रही थी, और मैं शर्म के मारे पिघल रही थी। मैंने कहा, “अंकल, मुझे शर्म आ रही है।” वो बोले, “अब क्या शर्म, बेटी? आज से तू मेरी रानी है। बस मज़ा ले।”

उनकी जीभ मेरी चूत के अंदर-बाहर हो रही थी, और मैं आँखें बंद करके उस सनसनी को महसूस कर रही थी। मेरी चूत गीली हो चुकी थी, और मैं अपनी गांड उठाकर उनकी जीभ को और गहराई में लेने की कोशिश कर रही थी। मेरी साँसें तेज हो रही थीं, और मेरे बदन में कामवासना की आग भड़क रही थी। अंकल ने मेरी चूत को चाट-चाटकर इतना गीला कर दिया कि मैं पागल सी हो गई।

फिर अंकल मेरे ऊपर चढ़ गए। उन्होंने अपना लंड मेरी चूत की फांकों पर रगड़ना शुरू किया। उनका गर्म और सख्त लंड मेरी चूत पर रगड़ रहा था, और मैं सिहर रही थी। अंकल ने पूछा, “बेटी, लंड डाल दूँ?” मैं डर रही थी, लेकिन मेरी चूत मज़े की चाह में तड़प रही थी। मैंने हल्के से कहा, “अंकल, मुझे डर लग रहा है। कहीं कुछ गलत ना हो जाए।” वो बोले, “कुछ नहीं होगा, सरीना। चूत लंड के लिए ही बनी है। तू बस मुझ पर भरोसा रख।”

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अंकल ने मेरी चूत पर थूक लगाया और उंगली से उसे गीला किया। फिर वो मेरे ऊपर चढ़े और धीरे से लंड अंदर डालने की कोशिश की। उनका लंड का सुपारा मेरी चूत में गया, और मेरी चीख निकल गई। ऐसा लगा जैसे मेरी जान निकल जाएगी। मेरी आँखों से आंसू बहने लगे। अंकल समझ गए कि मुझे दर्द हो रहा है। वो मेरे ऊपर वैसे ही लेटे रहे और मेरे होंठ चूमने लगे। उनकी साँसों से शराब की महक आ रही थी, जो अब मुझे और उत्तेजित कर रही थी।

कुछ देर बाद जब मेरा दर्द कम हुआ, अंकल ने एक और धक्का मारा। इस बार उनका पूरा लंड मेरी चूत में समा गया। मैं दर्द से चिल्ला उठी और रोने लगी। मैंने कहा, “अंकल, प्लीज़ निकाल लो, बहुत दर्द हो रहा है।” लेकिन वो बोले, “सरीना बिटिया, थोड़ा सा दर्द होगा, फिर मज़ा ही मज़ा है। तू बस मुझ पर भरोसा रख। कोई और होता तो तेरी चूत का भोसड़ा बना देता, मैं तो तुझे प्यार से चोद रहा हूँ।”

वो मुझे बातों में उलझाकर मेरा दर्द कम करने की कोशिश कर रहे थे। उनका एक हाथ मेरे चुचे सहला रहा था, जिससे मुझे थोड़ा सुकून मिल रहा था। कुछ मिनट बाद मेरा दर्द कम हुआ, और अंकल ने धीरे-धीरे अपनी गांड हिलानी शुरू की। उनका लंड मेरी चूत में अंदर-बाहर हो रहा था, और अब मुझे दर्द की जगह मज़ा आने लगा था। मैंने अपनी टाँगें और फैला दीं ताकि उनका लंड और गहराई में जाए।

अंकल मुझे चोदते हुए बोले, “सरीना, तेरी चूत बहुत टाइट और मस्त है। आज मैंने तुझे लड़की से औरत बना दिया।” मैं मज़े में डूब रही थी और उनकी हर बात मुझे और गर्म कर रही थी। करीब 10 मिनट की चुदाई के बाद अंकल ने अपनी गांड तेजी से हिलानी शुरू की और मेरी चूत में ही झड़ गए। उनका गर्म माल मेरी चूत में भर गया, और मैं सिहर उठी। वो मेरे ऊपर वैसे ही लेटे रहे और मुझे चूमते रहे। फिर वो उठे और बोले, “थैंक्स रानी, लव यू।”

मैं जब उठी तो देखा कि मेरी चूत से खून निकल रहा था। मैं डर गई और अंकल से पूछा, “ये खून क्यों निकला?” वो बोले, “बेटी, तेरी चूत की सील टूटी है, इसलिए खून निकला। पहली बार में ऐसा होता है।” मेरी कमर और चूत में दर्द हो रहा था। अंकल ने कहा, “जा, वॉशरूम में जाकर पेशाब कर ले।” मैं लंगड़ाते हुए वॉशरूम गई। पेशाब करने में भी दर्द हो रहा था, लेकिन खून और अंकल का माल बह गया।

वापस आकर मैं बेड पर लेट गई, और हम दोनों सो गए। अगले दिन सुबह जब मेरी आँख खुली, अंकल जा चुके थे। राहुल स्कूल के लिए तैयार हो रहा था। तभी अंकल का फोन आया। उन्होंने पूछा, “अब दर्द कैसा है?” मैंने कहा, “थोड़ा-थोड़ा बाकी है।” वो बोले, “कोई बात नहीं, आज रात फिर से लंड ले ले, बिल्कुल ठीक हो जाएगी।”

शाम को अंकल फिर आए। इस बार वो अपने साथ कोल्ड ड्रिंक लाए थे। हम सबने कोल्ड ड्रिंक पी, लेकिन इसका स्वाद कुछ अलग था। मुझे हल्का-हल्का नशा सा चढ़ने लगा। रात को खाना खाने के बाद हम फिर उसी बेड पर सोने चले गए। राहुल अपने फोन में गेम खेल रहा था, लेकिन जल्दी ही सो गया। अंकल और मैं सामान्य बातें कर रहे थे ताकि राहुल को शक न हो।

जब राहुल सो गया, अंकल ने मुझे चूमना शुरू किया और मेरे ऊपर चढ़ गए। मैंने कहा, “अंकल, राहुल जाग जाएगा।” वो बोले, “नहीं जागेगा, तू टेंशन मत ले।” मैं मस्ती में बोली, “चलो, पापा के रूम में चलते हैं।” लेकिन अंकल ने कहा, “नहीं, आज मैं तुझे यहीं चोदना चाहता हूँ।” उन्होंने मेरी नाइटी ऊपर की, अपनी पजामा और अंडरवियर नीचे की, और मेरी पैंटी भी उतार दी। फिर वो मेरे ऊपर चढ़े और अपना लंड मेरी चूत में पेल दिया।

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इस बार दर्द कम था, लेकिन फिर भी मैं सिहर उठी। अंकल धीरे-धीरे मुझे चोदने लगे ताकि बेड हिले नहीं और राहुल न जागे। मैंने उनके कूल्हों पर हाथ रखे और उनकी गांड सहलाने लगी। वो अपनी गांड हिलाकर मुझे चोद रहे थे, और मैं मज़े में डूब रही थी। तभी मैंने कहा, “अंकल, अब पापा के रूम में चलो।” वो बोले, “चल बेटी, अब तुझे वहाँ ले चलता हूँ।”

अंकल ने मुझे गोद में उठाया, उनका लंड मेरी चूत में ही था। वो मुझे चोदते हुए पापा के रूम में ले गए। वहाँ उन्होंने मुझे दीवार के सहारे खड़ा किया और स्टैंडिंग पोजीशन में ज़ोर-ज़ोर से चोदने लगे। उनकी हर धक्के में मेरी चूत में आग लग रही थी, और मैं मज़े में सिसकारियाँ ले रही थी। फिर अंकल ने मुझे डॉगी स्टाइल में किया और पीछे से मेरी चूत में लंड पेल दिया। उनकी गांड की रफ्तार इतनी तेज थी कि मैं बस “आह… ऊह…” कर रही थी।

जब अंकल झड़ने वाले थे, उन्होंने अपना लंड बाहर निकाला और सारा माल मेरी गांड पर छोड़ दिया। उनका गर्म माल मेरी गांड पर गिरा तो मैं सिहर उठी। फिर हम दोनों बेड पर लेट गए। अंकल मुझे चूमने लगे और मेरी चूत सहलाने लगे। तभी वो बोले, “सरीना, मुझे लैट्रिन जाना है। तू मेरे साथ चल।” मैं हँस पड़ी और बोली, “क्यों, आप जाओ ना!” लेकिन वो बोले, “मुझे तुझे वहाँ भी चोदने का मन है।”

उन्होंने मुझे फिर गोद में उठाया और टॉयलेट में ले गए। वहाँ वो कमोड पर बैठ गए और मुझे अपनी गोद में बिठा लिया। उनका लंड फिर से मेरी चूत में था, और वो लैट्रिन करते हुए मुझे चोद रहे थे। मुझे शर्म भी आ रही थी और मज़ा भी। उनकी हरकतें मुझे पागल कर रही थीं। लैट्रिन करने के बाद उन्होंने अपनी गांड धोई और मुझे फिर गोद में उठाकर रूम में ले आए।

वहाँ उन्होंने मुझे साइड में लिटाया और फिर से चोदना शुरू किया। करीब 20 मिनट की चुदाई के बाद वो मेरी चूत में ही झड़ गए। उनका गर्म माल मेरी चूत में भर गया, और मैं थककर उनके बगल में लेट गई। हम दोनों वैसे ही सो गए।

सुबह 4 बजे मेरी आँख खुली तो मैं जल्दी से अपने रूम में गई, कपड़े पहने, और वापस आकर अंकल को जगाया। उन्होंने भी कपड़े पहने, और हम फिर सो गए। राहुल अभी भी सो रहा था।

दोस्तो, अगले 15 दिन तक अंकल ने मुझे हर रात चोदा। हर बार वो नया मज़ा देते। कभी वो मुझे किचन में ले जाते और काउंटर पर चोदते, तो कभी बाथरूम में शावर के नीचे मुझे नंगा करके मेरी चूत चाटते और चोदते। एक रात तो उन्होंने मुझे छत पर ले जाकर चाँदनी रात में चोदा। उनकी हर धक्के में मुझे ऐसा लगता था जैसे मैं जन्नत में हूँ।

पापा जब गोवा से लौटे, तो अंकल फिर अपने घर चले गए। लेकिन मौका मिलते ही वो मुझे चोदने आते। पापा की डेथ के बाद अंकल हमारे साथ ही रहने लगे। मैं उनसे बहुत प्यार करने लगी। वो मुझे अपनी बीवी की तरह मानते हैं। मेरे पिछले बर्थडे पर उन्होंने मुझे आईफोन-12 गिफ्ट किया। मैंने आज तक किसी और मर्द से चुदवाया नहीं, क्योंकि अंकल मुझे हर तरह से खुश रखते हैं।

लव यू अंकल।

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