अंजाने में मॉम की चुदाई

हेलो, मैं सनी हूँ, वडोदरा, गुजरात से। मेरी उम्र 23 साल है। मुझे पोर्न देखने का बहुत शौक है, रोज़ रात को पोर्न देखकर मुठ मारता हूँ। सेक्स कहानियाँ पढ़ने में भी बड़ा मज़ा आता है, खासकर रिश्तों वाली कहानियाँ और सामूहिक चुदाई की स्टोरीज़ मुझे ज़्यादा भाती हैं। ये कहानी मेरी मॉम की चुदाई की है, जो एकदम अनजाने में हो गई, लेकिन इतनी हॉट और रियल है कि आप भी पढ़कर पागल हो जाएँगे।

मेरी मॉम का नाम नीता है, वो 45 साल की हैं और एक स्कूल टीचर हैं। वो दिखने में कोई बहुत खूबसूरत नहीं हैं, लेकिन औरत हैं और औरत में बस चूत और गांड ही चाहिए, जो उनकी बॉडी में बिल्कुल परफेक्ट है। उनका फिगर 34-30-36 है, आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि उनकी कर्वी बॉडी कितनी मादक होगी। वो हमेशा साड़ी पहनती हैं, क्योंकि हम गुजराती हैं। उनकी साड़ी का स्टाइल ऐसा होता है कि नाभि के नीचे बंधी होती है, जिससे उनकी कमर और पेट का उभरा हुआ हिस्सा पूरी तरह दिखता है। उनकी नाभि इतनी सेक्सी है कि देखकर किसी का भी मन डोल जाए।

मेरे डैड का ट्रांसफर दिल्ली हो गया है, इसलिए वो अब वहाँ रहते हैं। घर में अब सिर्फ़ मैं, मेरी मॉम और मेरी छोटी बहन रह गए हैं। मेरी बहन 19 साल की है, और कॉलेज में पढ़ती है। अब मैं सीधे कहानी पर आता हूँ।

ये बात पिछले साल की है, जब मेरे भुआ के घर उनके जेठ के लड़के की शादी थी। हमें भरूच जाना था। चूँकि मेरे डैड दिल्ली में थे, वो शादी में नहीं आ सकते थे। मेरी बहन की उस वक़्त एग्ज़ाम चल रही थी, तो वो भी नहीं जा सकती थी। हमने फैसला किया कि मेरी बहन मासी के घर रुकेगी, और मैं और मॉम शादी में जाएँगे। शादी के अगले दिन का प्रोग्राम था, क्योंकि रात को डीजे और डांस पार्टी होती है, तो हमने एक रात वहाँ रुकने का प्लान बनाया।

हम वडोदरा से भरूच ट्रेन से गए। उस दिन मॉम ने पीली साड़ी पहनी थी, जो उनकी नाभि के काफी नीचे बंधी थी। उनकी नाभि और पेट का हिस्सा पूरी तरह दिख रहा था, और उनकी कमर का कर्व इतना सेक्सी था कि ट्रेन में लोग उन्हें घूर रहे थे। साड़ी में उनकी गांड का उभार और सीना इतना मादक लग रहा था कि मैं भी सोच में पड़ गया कि मॉम इतनी हॉट कैसे लग सकती हैं। उनकी साड़ी का पल्लू बार-बार सरक रहा था, जिससे उनका पेट और नाभि और ज़्यादा नज़र आ रही थी।

हम शाम 6 बजे भरूच स्टेशन पहुँचे। वहाँ से ऑटो लेकर हम भुआ के घर गए। वहाँ ढेर सारे रिश्तेदार थे, सब मस्ती में थे। मॉम भी रिश्तेदारों से मिलकर बातें करने लगीं, क्योंकि शादी में ही ज़्यादातर रिश्तेदार मिलते हैं। मैं भुआ के लड़के, किरण, के साथ शादी के काम में हाथ बटाने चला गया। किरण मेरा कज़िन है, और उसका बड़ा भाई शादी कर रहा था।

रात को डिनर हुआ, और डिनर के बाद डीजे पार्टी शुरू हुई। सब नाच रहे थे, माहौल बड़ा मस्त था। किरण का दोस्त जतिन मुझे अपने साथ बीयर पीने ले गया। हमने कुछ देर बीयर पी, फिर वापस डीजे पार्टी में लौट आए। वहाँ मैंने देखा कि मॉम कहीं दिख नहीं रही थीं। मैंने भुआ से पूछा, तो उन्होंने बताया कि मॉम किसी रिश्तेदार के साथ घर की तरफ गई थीं। मैंने सोचा ठीक है, और फिर मैं भी डीजे में नाचने लगा।

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थोड़ी देर बाद मुझे पेशाब करने की ज़रूरत महसूस हुई, तो मैं भुआ के घर की तरफ चला गया। डीजे पार्टी जहाँ हो रही थी, वहाँ से घर 5-6 घर की दूरी पर था। मैं ऊपर की मंजिल पर गया, वहाँ कुछ लोग दारू पी रहे थे। मैंने पेशाब किया और वापस आने लगा, तभी मुझे मॉम दिखी नहीं। मैंने सोचा शायद वो टेरेस पर हों, तो मैं टेरेस की तरफ गया। टेरेस का दरवाज़ा लॉक था, लेकिन तभी मुझे जतिन मिला। उसने कहा, “भाई, चल ऊपर, हम सब वहाँ पी रहे हैं।” मैंने कहा, “भाई, दरवाज़ा तो बंद है।” उसने कहा, “चल, मैं खुलवाता हूँ।”

मैं उसके साथ टेरेस पर गया। वहाँ अंधेरा था, सिर्फ़ मोबाइल की टॉर्च की रोशनी में थोड़ा-थोड़ा दिख रहा था। किरण के दोस्त निकुल, सुनील, वैभव और अंकित वहाँ थे। मुझे देखते ही उन्होंने मुझे एक बीयर की बोतल थमा दी। मैं उनके साथ बैठ गया। तभी जतिन ने पूछा, “अंकित कहाँ गया?” बाकियों ने कहा, “वो टंकी के पीछे एक रंडी को चोद रहा है।” टंकी 2000 लीटर की थी, और वहाँ अंधेरा होने की वजह से कुछ दिख नहीं रहा था। डीजे की आवाज़ इतनी तेज़ थी कि कुछ सुनाई भी नहीं दे रहा था।

5 मिनट बाद अंकित आया और बोला, “यार, साली पक्की रंडी है, बड़ा मज़ा आया।” तभी उसकी बीवी का फोन आया, और वो चला गया। सुनील ने कहा, “मेरी बीवी का भी फोन आएगा, मैं पहले जाता हूँ।” वो भी टंकी के पीछे गया और 15 मिनट बाद चोदकर वापस आया, फिर नीचे चला गया। अब हम चार लोग बचे थे—मैं, निकुल, वैभव और जतिन। जतिन को किरण का फोन आया, तो वो बोला, “भाई, मैं पहले जाकर आता हूँ।” वो भी टंकी के पीछे गया, 10 मिनट बाद चोदकर वापस आया और नीचे चला गया।

अब मैं, निकुल और वैभव टंकी के पास खड़े होकर बीयर पी रहे थे। वैभव ने मुझसे कहा, “तू जा, शायद तुझे कोई बुला ले।” मैं उत्साहित था कि मुझे भी रंडी चोदने को मिलेगी। मैं टंकी के पीछे गया, वहाँ पीली साड़ी में एक औरत खड़ी थी। अंधेरा था, तो चेहरा नहीं दिख रहा था। मैंने जाते ही उसके बूब्स पकड़ लिए। उसकी ब्रा ऊपर थी, और बूब्स बाहर लटक रहे थे। ब्लाउज़ के बटन खुले थे। मैंने ज़ोर-ज़ोर से बूब्स दबाने शुरू किए। निकुल ने मुझे एक कंडोम दिया, मैंने उसे पहन लिया। मुझे नहीं पता था कि मैं अपनी मॉम को ही चोदने जा रहा हूँ।

मैंने उसकी साड़ी ऊपर उठाई और उसे टंकी पर दोनों हाथ रखवाकर खड़ा किया। मैंने पीछे से अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया। एक ज़ोर का झटका मारा, और पूरा लंड अंदर चला गया। उसके मुँह से मस्ती भरी सिसकारियाँ निकलने लगीं, “आह्ह्ह… म्म्म्ह्ह्ह… ऊईई…” मैं आसानी से लंड अंदर-बाहर करने लगा। मैंने अपने दोनों हाथ आगे ले जाकर उसके बूब्स पर रख दिए और ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने लगा। वो भी मज़े से अपनी कमर हिला रही थी, और “आह्ह्ह… ह्म्म्म… याह्ह्ह…” की आवाज़ें निकाल रही थी।

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तभी वैभव आया और उसने उसे किस करना शुरू कर दिया। उसने अपना लंड निकाला और उसका एक हाथ टंकी से हटाकर अपने लंड पर रख दिया। वो उसे हिलाने लगी। फिर वैभव ने पूछा, “बीयर पिएगी?” उसने कहा, “नहीं, मैं नहीं पीती।” उसकी आवाज़ सुनते ही मैं चौंक गया। अरे, ये तो मेरी मॉम की आवाज़ थी! लेकिन मेरा लंड उसकी चूत में था, मैं क्या करता? मैं चुपचाप चोदता रहा, और वो भी कमर हिलाकर चुदवाती रही। मैं कुछ बोल नहीं सकता था, वरना मॉम मुझे पहचान लेती। अब तक वो तीन लंड ले चुकी थी, और मैं ये सोचकर पागल हो रहा था कि मेरी मॉम रंडी की तरह चुद रही है।

मैं झड़ने वाला था, तो मैंने ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने शुरू किए। मॉम भी सिसकारियाँ निकाल रही थीं, “आह्ह्ह… ह्म्म्म… आह्ह्ह…” मैंने उनके कूल्हों को ज़ोर से पकड़ा और तेज़ी से चोदने लगा। फिर मैं झड़ गया। एक मिनट वैसे ही खड़ा रहा, फिर लंड निकाला और कंडोम उतारकर टंकी के पास खड़ा हो गया।

अब वैभव की बारी थी। उसने एक कुर्सी मँगवाई, मैं ले आया। उसने कंडोम पहना और मॉम को बोला, “मुँह में लो।” मॉम ने साफ़ मना कर दिया। वैभव ने कहा, “ठीक है, आ जा, मेरी गोद में बैठ जा।” मॉम ने साड़ी उठाई और उसकी गोद में बैठ गई। वैभव का लंड सीधे उनकी चूत में घुस गया। मैंने मोबाइल की टॉर्च चालू की, तो सब साफ़ दिख रहा था। मॉम वैभव के ऊपर बैठी थीं, उनका मुँह वैभव की तरफ था, और वो ऊपर-नीचे उछल रही थीं। वैभव के हाथ उनकी पीठ पर थे, और वो “आह्ह्ह… ह्म्म्म… आह्ह्ह…” कर रही थीं। वैभव भी मज़े से उन्हें किस कर रहा था। तभी वैभव का फोन बजा, और वो जल्दी-जल्दी चोदकर नीचे चला गया।

अब निकुल की बारी थी। मॉम कुर्सी पर बैठी थीं। मैंने मौका देखकर टॉर्च उनके मुँह पर मारी, और सचमुच वो मेरी मॉम ही थीं। मैंने धीरे-धीरे टॉर्च नीचे की, उनके बूब्स ब्रा के बाहर लटक रहे थे। उनकी ब्रा ऊपर थी, और बूब्स का उभार देखकर मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया। उनका पेट और नाभि इतनी सेक्सी थी कि मैं उसे चाटना चाहता था।

निकुल ने अपना लंड निकाला, जो बहुत बड़ा था। उसने कंडोम पहना और मॉम को खड़े होने को कहा। फिर वो कुर्सी पर बैठ गया और मॉम को सीधे अपनी गोद में बैठने को बोला। मॉम ने साड़ी उठाई और सीधे बैठ गईं। जैसे ही निकुल का लंड उनकी चूत में गया, मॉम के मुँह से “आह्ह्ह…” की तेज़ सिसकारी निकली, क्योंकि निकुल का लंड बहुत मोटा और बड़ा था। मॉम धीरे-धीरे ऊपर-नीचे होने लगीं। मैंने टॉर्च से देखा, उनकी आँखें बंद थीं।

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मैं पास गया और उनके बूब्स के निप्पल मुँह में लेकर चूसने लगा। मैं बारी-बारी दोनों निप्पल चूस रहा था। निकुल के हाथ मॉम के पेट पर थे, और मैं उनके बूब्स चूस रहा था। मॉम ऊपर-नीचे हो रही थीं और “आह्ह्ह… ह्म्म्म… याह्ह्ह…” की आवाज़ें निकाल रही थीं। फिर मैंने उनके पेटीकोट को थोड़ा नीचे किया और उनकी नाभि में जीभ डाल दी। मॉम ने मेरे बाल पकड़ लिए। मैं घबरा गया, लेकिन वो ऊपर-नीचे हो रही थीं और मेरे बालों में हाथ फेरने लगीं। मैं उनकी नाभि चाटता रहा।

फिर निकुल ने मॉम को खड़ा किया और नीचे चटाई बिछाई। उसने मॉम को घोड़ी बनने को कहा। मॉम घोड़ी बन गईं। निकुल ने उनकी साड़ी उठाई और पीछे से उन पर चढ़ गया, जैसे कुत्ता कुतिया पर चढ़ता है। वो ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने लगा। मॉम भी “आह्ह्ह… ह्म्म्म… याह्ह्ह…” की सिसकारियाँ निकाल रही थीं। मैं पास खड़ा सब देख रहा था। निकुल ने उनकी कमर पकड़कर तेज़ी से धक्के मारे और फिर झड़ गया। वो थोड़ी देर मॉम के ऊपर वैसे ही रहा, फिर उठ गया।

मॉम अभी भी उसी पोज़िशन में थीं। मेरा लंड फिर से खड़ा था। मैंने एक और कंडोम लिया, लंड पर चढ़ाया और पीछे जाकर मॉम की चूत में लंड डाल दिया। मैंने उनकी कमर पकड़कर ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने शुरू किए। मॉम भी मज़े से “आह्ह्ह… म्म्म… माँ… आह्ह्ह…” कर रही थीं। मैं 10 मिनट तक उन्हें चोदता रहा। वो भी सिसकारियाँ निकालकर मुझसे चुदवाती रहीं।

तभी निकुल ने कहा, “भाई, चल, बहुत टाइम हो गया।” मैंने इशारा किया कि ठीक है। वो समझकर चला गया। मैंने मॉम को और 5 मिनट चोदा, फिर झड़ गया। एक मिनट वैसे ही रहा, फिर लंड निकाला और नीचे चला गया। मैं डीजे पार्टी में जाकर फिर से नाचने लगा। मुझे बहुत थकान महसूस हो रही थी। 10 मिनट बाद मैंने देखा कि मॉम भी नीचे आ गईं और कुर्सी पर बैठकर रिश्तेदारों से बातें करने लगीं।

सुबह शादी खत्म होने के बाद हम शाम को घर वापस आ गए। वैभव, निकुल, जतिन, सुनील और अंकित को नहीं पता था कि वो मेरी मॉम थीं। वो सब किरण के दोस्त थे, और उन्हें लगा कि वो कोई रंडी थी।

तो दोस्तों, ये थी मेरी मॉम की चुदाई की कहानी। ये सब अनजाने में हुआ, लेकिन इतना मज़ा आया कि मैं आज भी सोचकर पागल हो जाता हूँ। उम्मीद है आपको ये कहानी पसंद आई होगी।

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