हेलो, मैं सनी, वडोदरा, गुजरात से। उम्र 22 साल। मुझे पोर्न देखने का जबरदस्त शौक है। रात को जब घर में सन्नाटा पसर जाता है, मैं अपने फोन पर गर्मागर्म वीडियो चलाता हूँ और लंड को मसलते हुए मुठ मारता हूँ। सेक्स कहानियाँ पढ़ना भी मेरा फेवरेट टाइमपास है, खासकर वो जो रिश्तों में थोड़ा तड़का लगाती हैं। लेकिन आज जो मैं बताने जा रहा हूँ, वो मेरी ज़िंदगी का सबसे हॉट अनुभव है, जो एक ट्रेन के स्लीपर कोच में हुआ।
ये कहानी मेरी माँ नीता और मेरी बहन जिया की है। माँ 44 साल की हैं, स्कूल में टीचर। उनका फिगर 34-28-36 है। खूबसूरत तो नहीं, लेकिन उनकी साड़ी में लिपटी भरी-पूरी बॉडी और गोरी कमर किसी का भी लंड खड़ा कर दे। उनकी चाल में एक अजीब-सी कशिश है, जैसे वो हर कदम पर ललचाती हों। उनकी साड़ी का पल्लू जब सरकता है, तो उनकी गहरी नाभि और मुलायम कमर की झलक दिल में आग लगा देती है। जिया 20 साल की है, कॉलेज में सेकंड ईयर की स्टूडेंट। उसका फिगर 34-30-36 है, माँ जैसा ही, बस कमर थोड़ी चौड़ी। जिया की हँसी और उसकी टाइट टी-शर्ट में उभरती छातियाँ किसी की भी नज़रें ठहरा दें। उसकी गांड स्लैक्स में इतनी टाइट दिखती है कि आँखें हटाना मुश्किल हो जाता है।
हम तीनों समर वेकेशन के लिए कन्याकुमारी जा रहे थे। मेरे पापा का ट्रांसफर दिल्ली हो गया है, तो वो वहाँ रहते हैं। घर में अब सिर्फ मैं, माँ और जिया हैं। हमने कन्याकुमारी का प्लान बनाया था, लेकिन जाने से एक दिन पहले पापा को ऑफिस के काम से दिल्ली जाना पड़ा। टूर कैंसिल होने वाला था, लेकिन पापा ने कहा कि वो दिल्ली से सीधे कन्याकुमारी आ जाएँगे। इस तरह हमारा टूर बच गया। हॉलिडे स्पेशल ट्रेन थी, लेकिन AC में टिकट नहीं मिली, तो स्लीपर कोच में जाना पड़ा।
वडोदरा स्टेशन पर हम ट्रेन में चढ़े। माँ ने हल्की नीली साड़ी पहनी थी, जो उनकी गोरी कमर को हल्का-सा दिखा रही थी। उनका पल्लू बार-बार सरक रहा था, और उनकी नाभि की झलक मेरे दिल को बेकरार कर रही थी। जिया ने काली टाइट टी-शर्ट और ग्रे स्लैक्स पहने थे, जो उसकी हर कर्व को उभार रहे थे। उसकी छातियाँ टी-शर्ट में ऐसे उभर रही थीं जैसे अभी बटन तोड़ देंगी। हम अपनी सीट पर जाकर बैठ गए। सीट डिब्बे के बीचों-बीच थी। हम तीनों मस्ती के मूड में थे। माँ ने हँसते हुए कहा, “सनी, कन्याकुमारी में समंदर के किनारे मज़ा आएगा। सूर्यास्त देखेंगे, ताज़ी हवा लेंगे।” जिया ने चिढ़ाया, “हाँ, और मम्मी, तू तो साड़ी में नहाकर सब मर्दों को ललचाएगी।” माँ ने हँसकर जवाब दिया, “चल, तू तो बस अपनी जवानी की आग बुझाने की फिराक में है।” मैं हँस पड़ा। माहौल गर्म और मज़ेदार था।
ट्रेन चल पड़ी। डिब्बे में भीड़ कम थी, जिससे माहौल हल्का था। माँ ने अपनी साड़ी का पल्लू ठीक किया और खिड़की से बाहर देखते हुए बोलीं, “सनी, देख, कितना सुकून है।” जिया ने अपने फोन में गाना चलाया और हल्के-हल्के गुनगुनाने लगी। थोड़ी देर बाद टीसी आया। करीब 55 साल का बूढ़ा, मोटी मूँछों वाला, सख्त मिजाज़। उसने टिकट माँगी। मैंने तीनों की टिकट निकालकर दिखा दी। फिर उसने ID कार्ड माँगा। मैंने अपना और माँ का ID दे दिया, लेकिन जिया का ID नहीं मिला। वो घबराकर अपने बैग में ढूँढने लगी। उसकी टी-शर्ट थोड़ी ऊपर उठ गई, और उसकी गोरी कमर और नाभि की हल्की झलक दिखी। टीसी की नज़रें वहाँ टिक गईं। जिया को ID नहीं मिला। टीसी ने सख्ती से कहा, “बिना ID के नहीं चलेगा। अगले स्टेशन पर उतरना पड़ेगा।”
मैंने कहा, “साहब, टिकट तो हैं, बस एक ID नहीं है।” माँ ने भी समझाया, “हाँ, साहब, वो कॉलेज गर्ल है, ID तो है, लेकिन शायद भूल गई।” लेकिन वो साला माने ही नहीं। बोला, “नियम तो नियम हैं।” तभी माँ के मुँह से निकल गया, “साहब, कुछ पैसे ले लीजिए, बात खत्म कीजिए।” बस, यहीं से हम फँस गए। टीसी गुस्से में बोला, “गवर्नमेंट सर्वेंट को रिश्वत? ठहरो, मैं पुलिस बुलाता हूँ।”
माँ डर गईं। उनकी साड़ी का पल्लू काँपते हाँथों से पकड़ा हुआ था। वो हाँथ जोड़कर बोलीं, “साहब, माफ कर दो, गलती हो गई।” लेकिन टीसी ने दो पुलिसवालों को बुला लिया। एक हट्टा-कट्टा, काला-कलूटा, मोटी मूँछों वाला। दूसरा थोड़ा पतला, लेकिन उसकी आँखों में चमक थी। उन्होंने टीसी से बात की और माँ से बोले, “मैडम, हमारे साथ चलिए। बात करते हैं।” माँ घबराई हुई थीं। मैंने कहा, “मैं भी चलूँगा।” वो बोले, “ठीक है, तीनों चलो। सामान यहीं रहने दो।”
हम तीन डिब्बे पार करके आखिरी डिब्बे में पहुँचे। वहाँ दो सीटें आमने-सामने थीं, और एक बाथरूम और टॉयलेट था। दो गार्ड भी थे, दोनों मज़बूत कद-काठी के, काले कुर्ते में। पुलिसवालों ने गार्ड्स को बताया कि माँ ने टीसी को रिश्वत देने की कोशिश की। गार्ड्स हँसने लगे, “क्या मैडम, इतने अच्छे घर की हो, और रिश्वत? ये तो गुनाह है।” माँ ने हाँथ जोड़कर कहा, “साहब, गलती हो गई, हमें माफ कर दो।” लेकिन वो माने नहीं।
पुलिसवाले माँ को डिब्बे के कोने में ले गए। जिया मेरे पास खड़ी थी, उसकी साँसें तेज़ थीं। मैंने पूछा, “जिया, क्या हो रहा है?” वो बोली, “पता नहीं, सनी, लेकिन कुछ गड़बड़ है।” माँ वहाँ से लौटीं और बोलीं, “सनी, तुम सीट पर जाओ। हम बाद में आते हैं।” मैंने कहा, “नहीं, माँ, मैं आपके बिना नहीं जाऊँगा।” माँ ने मेरी कसम दी, “सनी, मेरी बात मान, जाओ।” मैं मजबूर था। मन में बेचैनी लिए मैं सीट पर लौट गया।
सीट पर बैठा मैं सोच रहा था कि माँ ने मुझे क्यों भेज दिया? मन में खयाल आ रहे थे कि कुछ गलत होने वाला है। तभी टीसी आया। वो हँसते हुए बोला, “बेटा, मज़े करने हैं?” मैं चौंक गया। उसने मेरे लंड पर हाँथ रखा। मैं डर गया, सोचा ये साला गे है क्या? मैंने कहा, “नहीं, भाई।” वो हँसकर चला गया और थोड़ी देर बाद एक खूबसूरत औरत को लेकर आया। लंबे काले बाल, टाइट लाल ड्रेस, और आँखों में नशा। वो मेरे पास बैठ गई और मेरे लंड पर हाँथ फेरने लगी। मेरी पैंट ढीली थी, उसने मेरा लंड बाहर निकाला और चूसने लगी। उसका गर्म मुँह मेरे लंड को पूरा निगल रहा था। उसकी जीभ मेरे टोपे पर गोल-गोल घूम रही थी, और उसकी साँसें मेरे लंड पर गर्मी बिखेर रही थीं। मैं सिसकारियाँ लेने लगा, “आह्ह… उह्ह… और चूस… हाय… साली, कितना मज़ा दे रही है…” वो मेरे लंड को लॉलीपॉप की तरह चूस रही थी, कभी धीरे, कभी तेज़, और मेरे टट्टों को हल्के से मसल रही थी। उसने मेरे लंड के टोपे को चूसा, फिर पूरा लंड मुँह में लिया, और उसकी जीभ मेरे लंड की नसों पर फिसल रही थी। मैं पागल हो रहा था, “आह्ह… हाय… और तेज़… साली, तू तो जादू कर रही है…”
थोड़ी देर बाद मेरा वीर्य निकल गया। उसने सारा मुँह में लिया और निगल लिया। मैं हैरान था कि साली ने मेरा वीर्य पी लिया। वो उठकर चली गई, और टीसी ने उसे 500 का नोट दिया। फिर उसने मुझे मोबाइल में वीडियो दिखाया, जिसमें वो औरत मेरा लंड चूस रही थी। मैंने कहा, “प्लीज, अंकल, इसे डिलीट कर दो।” वो बोला, “हाँ, कर दूँगा, लेकिन पहले तुझे कुछ दिखाता हूँ।”
वो मुझे गार्ड वाले डिब्बे की ओर ले गया। उसने कहा, “यहाँ छुपकर देख, अंदर आया तो वीडियो वायरल कर दूँगा।” मैं डर गया और दो डिब्बों के बीच के सटल के पास झुककर देखने लगा। सटल आधा बंद था। जो मैंने देखा, उसने मेरे होश उड़ा दिए।
माँ एक सीट पर लेटी थीं। उनकी साड़ी कमर तक उठी हुई थी, और उनकी गोरी जाँघें पूरी खुली थीं। उनकी चूत साफ दिख रही थी, हल्के बालों वाली, गीली और चमकती हुई। एक हट्टा-कट्टा पुलिसवाला उनके ऊपर चढ़ा था, पूरा नंगा। उसका मोटा, काला लंड माँ की चूत में गहराई तक जा रहा था। माँ की चूत पूरी गीली थी, और हर धक्के के साथ “पच-पच-पच” की आवाज़ गूँज रही थी। माँ सिसकारियाँ ले रही थीं, “आह्ह… धीरे… उह्ह… हाय… मार डालोगे…” उनकी साड़ी का पल्लू नीचे गिरा हुआ था, और उनकी छातियाँ ब्लाउज़ में से उभर रही थीं। पुलिसवाला माँ की कमर पकड़कर ज़ोर-ज़ोर से धक्के मार रहा था। उसका पसीना माँ की गोरी त्वचा पर टपक रहा था। उसने माँ की साड़ी को और ऊपर खींचा, और उनकी नाभि के नीचे का हिस्सा साफ दिख रहा था। हर धक्के के साथ माँ की चूत में उसका लंड गहराई तक उतर रहा था, और माँ की सिसकारियाँ तेज़ हो रही थीं, “आह्ह… उह्ह… साहब… धीरे… मेरी चूत फट जाएगी…”
दूसरा पुलिसवाला माँ के मुँह के पास था। उसने अपना लंड माँ के मुँह में डाल रखा था। माँ “उम्म… उम्म…” की आवाज़ें निकाल रही थीं, क्योंकि उनका मुँह भरा था। पुलिसवाला माँ के बाल पकड़कर अपना लंड अंदर-बाहर कर रहा था। माँ की आँखों में नमी थी, लेकिन उनकी सिसकारियाँ बता रही थीं कि वो इस गर्मी में खो चुकी थीं। पुलिसवाले का लंड माँ के मुँह में गहराई तक जा रहा था, और माँ की जीभ उसके टोपे पर चक्कर काट रही थी।
मैंने जिया को देखा। वो ऊपर वाले बर्थ पर थी, घोड़ी बनी हुई। उसकी टी-शर्ट ऊपर उठी हुई थी, और उसकी गोरी कमर चमक रही थी। उसकी स्लैक्स घुटनों तक खिसकी हुई थी, और उसकी गोल, मुलायम गांड साफ दिख रही थी। एक गार्ड उसके पीछे घुटनों पर था, उसकी चूत में लंड पेल रहा था। जिया की चूत गीली थी, और गार्ड के हर धक्के के साथ “फच-फच” की आवाज़ आ रही थी। जिया चिल्ला रही थी, “आह्ह… उह्ह… धीरे… साहब… मार डालोगे… मेरी चूत… आह्ह…” गार्ड ने उसकी कमर पकड़ रखी थी, और उसकी गांड पर थप-थप की आवाज़ गूँज रही थी। गार्ड का लंड जिया की चूत में गहराई तक जा रहा था, और उसकी गीली चूत हर धक्के के साथ और चमक रही थी। जिया की सिसकारियाँ डिब्बे में गूँज रही थीं, “आह्ह… हाय… और धीरे… मेरी चूत जल रही है…”
थोड़ी देर बाद गार्ड झड़ गया। उसने जिया को नीचे उतारा। टीसी ने जिया की कमर पकड़ी और सटल के पास ले गया, बिल्कुल मेरे सामने। जिया ने सटल पकड़कर झुक लिया। उसकी स्लैक्स नीचे थी, और उसकी गीली चूत साफ दिख रही थी, जिसमें से गार्ड का वीर्य टपक रहा था। टीसी ने अपना मोटा लंड जिया की चूत में डाल दिया। चूत गीली थी, तो लंड आसानी से चला गया। वो “घच-घच” पेलने लगा। जिया सिसकारियाँ ले रही थी, “आह्ह… धीरे… उह्ह… नहीं… साहब… मेरी चूत… आह्ह…” टीसी ने जिया की गांड पर हल्के से थप्पड़ मारा, जिससे जिया और ज़ोर से सिसकारी, “आह्ह… हाय… मार डालोगे…” उसकी चूत से वीर्य और गीलापन टपक रहा था, जो सटल के नीचे फर्श पर गिर रहा था।
टीसी चोदते-चोदते रुक गया, शायद उसका निकल गया। फिर दूसरा गार्ड आया और उसने जिया की चूत में लंड डाल दिया। वो भी “घचा-घच” पेलने लगा। जिया की सिसकारियाँ तेज़ हो गईं, “आह्ह… उह्ह… धीरे… मार डालोगे… मेरी चूत फट जाएगी…” तभी वो पुलिसवाला, जो माँ के मुँह में लंड दे रहा था, माँ को सटल के पास लाया। उसने माँ को जिया के बगल में खड़ा कर दिया। अब मेरे सामने माँ और जिया की चूत थीं, जो मेरे मुँह से आधा फीट की दूरी पर थीं। माँ की चूत से वीर्य टपक रहा था, जो पहले पुलिसवाले ने छोड़ा था। पुलिसवाले ने माँ की साड़ी और ऊपर उठाई और उनकी चूत में लंड पेल दिया। वो खड़े-खड़े माँ को चोदने लगा।
माँ और जिया की चूत में लंड पिस्टन की तरह अंदर-बाहर हो रहा था। माँ “आह्ह… धीरे… उह्ह… मार गई… मेरी चूत…” चिल्ला रही थीं। जिया “आह्ह… हाय… धीरे… उह्ह… मेरी चूत जल रही है…” की आवाज़ें निकाल रही थी। उनकी गांड पर लंड की जाँघें टकरा रही थीं, “थप-थप-थप” की आवाज़ पूरे डिब्बे में गूँज रही थी। माँ की साड़ी पूरी तरह खुल चुकी थी, और उनकी छातियाँ ब्लाउज़ से बाहर झाँक रही थीं। जिया की टी-शर्ट भी ऊपर उठ चुकी थी, और उसकी गोरी कमर और नाभि साफ दिख रही थी। पुलिसवाला और गार्ड दोनों ज़ोर-ज़ोर से धक्के मार रहे थे। माँ और जिया की सिसकारियाँ एक साथ गूँज रही थीं, “आह्ह… उह्ह… धीरे… मार डालोगे… हाय…”
थोड़ी देर बाद दोनों एक साथ झड़ गए। पुलिसवाले और गार्ड ने माँ और जिया की चूत में वीर्य छोड़ दिया। दोनों चिल्लाईं, “आह्ह… उह्ह… बस करो…” और हट गईं। माँ की चूत से वीर्य टपक रहा था, जो उनकी जाँघों पर बह रहा था। जिया की चूत भी गीली थी, और उसकी स्लैक्स पूरी तरह नीचे खिसक चुकी थी। मैं खड़ा हुआ। टीसी बाहर आया और बोला, “बेटा, तेरी माँ और बहन अब आ जाएँगी। उनकी चूत में लंड आसानी से चला जाता है, लगता है रोज़ चुदती हैं।” मैं चुप रहा और सीट पर चला गया।
थोड़ी देर बाद माँ और जिया आईं। दोनों थकी हुई थीं, सीट पकड़कर चल रही थीं। माँ का चेहरा लाल था, और उनकी साड़ी ठीक करने की कोशिश कर रही थीं। जिया की टी-शर्ट गीली थी, और उसकी साँसें तेज़ थीं। माँ बोलीं, “सनी, हम सो जाते हैं।” मैंने कहा, “ठीक है।” दोनों अपनी-अपनी सीट पर लेट गईं। माँ की साड़ी अभी भी थोड़ी उलझी हुई थी, और जिया ने अपनी स्लैक्स ठीक की। मैं ऊपर वाले बर्थ पर चला गया और सो गया।
अगले दिन सुबह जब हम उठे, माँ और जिया चुप थीं। माँ ने मुझसे कहा, “सनी, जो हुआ, उसे भूल जा। हमारा टूर मज़ेदार होगा।” जिया ने हल्की मुस्कान दी, लेकिन उसकी आँखों में कुछ और था। हमने बाकी का सफर चुपचाप बिताया। कन्याकुमारी पहुँचकर हमने समंदर का मज़ा लिया, लेकिन मेरे दिमाग में वो रात बार-बार घूम रही थी।