हाय दोस्तो, मेरा नाम अजय है, और मैं मुंबई में रहता हूँ। मेरी उम्र 27 साल है, और मैं एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करता हूँ। ये कहानी मेरी और मेरी प्यारी भाभी सीमा की है, जो एकदम स्लिम, स्वीट और सेक्सी है। उनका फिगर 36-29-36 है, और वो 34 साल की हैं। उनकी गोरी चमड़ी, बड़े बड़े काले नैन, और हमेशा मुस्कुराता चेहरा किसी का भी दिल जीत सकता है। बात उन दिनों की है जब मैं 22 साल का था, और अपनी पढ़ाई खत्म करके मुंबई में जॉब की तलाश में आया था। मेरे बड़े भैया, जो एक बिजनेसमैन हैं, मुंबई में रहते हैं। उनका घर छोटा सा है, दो कमरे, एक किचन और बाथरूम। भैया सुबह अपने काम पर चले जाते थे और लंच टाइम पर ही घर वापस आते थे। भाभी को लो ब्लड प्रेशर की प्रॉब्लम रहती थी, जिसकी वजह से वो अक्सर थकान महसूस करती थीं।
मैं पाँच साल पहले मुंबई आया था। उस वक्त भाभी 29 साल की थीं, और उनके तीन बच्चे थे—दो बेटे, सूरज (13 साल) और चंदन (9 साल), और एक बेटी पिंकी (11 साल)। भाभी का मेरे साथ बहुत लगाव था। वो अपनी सारी बातें मेरे साथ शेयर करती थीं, और मुझे भी उनसे बहुत प्यार था। मैंने कभी भाभी को बुरी नजर से नहीं देखा था। मैं इंटरव्यू के लिए कभी-कभी बाहर जाता, बाकी दिन घर पर रहकर पढ़ाई करता। एक दिन भाभी बीमार पड़ गईं और उन्हें हॉस्पिटल में एडमिट करना पड़ा। दो दिन तक वो हॉस्पिटल में रहीं, और मैंने उनका पूरा ख्याल रखा। डॉक्टर ने बताया कि लो बीपी होने पर हाथ-पैर रब करने से आराम मिलता है। मैं ज्यादातर वक्त उनके साथ रहता और उनके हाथ-पैर रब करता। भाभी को ये बहुत अच्छा लगता था, और वो मुझे बार-बार अपने पास बुलाकर हाथ-पैर रब करने को कहतीं। मुझे भी उनका नरम नरम हाथ और पैर सहलाने में मजा आता था।
जब भाभी हॉस्पिटल से घर आईं, तो वो बहुत कमजोर हो गई थीं। वो मेरे पास आकर अपने हाथ रब करने को कहतीं, और मैं तुरंत तैयार हो जाता। कई बार हम दोनों लेटे-लेटे बातें करते, और मैं उनके हाथ-पैर सहलाता रहता। मैं आपको बता दूँ कि उस वक्त तक मैंने कभी सेक्स नहीं किया था। बस कभी कॉलेज की लड़कियों को सोचकर, कभी किसी हसीन लड़की या हीरोइन को सोचकर मुठ मारा करता था। बार-बार मुठ मारने की वजह से मेरा लंड 7 इंच से ज्यादा लंबा और काफी मोटा हो गया था। कुछ समय पहले मेरे दोस्त ने मुझे सेक्स स्टोरीज पढ़ने की सलाह दी थी, और तब से मैं देसी स्टोरीज पढ़ने लगा। खासकर देवर-भाभी की कहानियाँ मुझे बहुत पसंद थीं। इन कहानियों की वजह से मैं भाभी की हरकतों पर नजर रखने लगा।
कई बार भाभी सिर्फ पेटीकोट और ब्लाउज में बाथरूम से बाहर आतीं, और मैं चोर नजरों से उनके जिस्म को देखता। उनकी चूचियाँ एकदम कसी हुई, गोल-मटोल और तनी हुई थीं। ये देखकर मेरा लंड बेकाबू हो जाता। जब भाभी झुकतीं, तो उनकी चूचियों का उभार साफ दिखता, और मैं मस्त हो जाता। कई बार मैंने देखा कि जब मैं नहीं देख रहा होता, तो भाभी अपनी चूत खुजातीं, और मेरे देखते ही हाथ हटा लेतीं। मैं अनदेखा कर देता, लेकिन बाद में बाथरूम में जाकर मुठ मार लेता।
एक दिन मैं भाभी के पैर रब रहा था। मुझे लगा वो सो गई हैं। मैंने उनकी साड़ी घुटनों तक उठाकर उनके पैर सहलाने शुरू किए। उनके नरम, गोरे पैरों को प्यार से सहलाते हुए मैं मस्ती में डूब गया। अचानक मुझे एहसास हुआ कि भाभी सोई नहीं हैं। उनकी आँखें मस्ती में बंद थीं, और वो मेरे सहलाने का मजा ले रही थीं। मैं उनके बगल में लेट गया, और मेरा लंड टनटनाने लगा। भाभी सीधी लेटी थीं, और मैं उनके पैर सहलाते हुए उनकी गर्म साँसों को उनके पैरों पर महसूस कर रहा था। तभी भाभी ने अपना दूसरा पैर घुटना मोड़कर ऊपर उठा लिया। उनके पैरों के बीच अब एक फुट से ज्यादा की जगह बन गई थी। मैं रुक गया और उनकी तरफ देखा। वो आँखें बंद किए लेटी थीं, मानो सो रही हों। मैंने कार्गो पैंट और टी-शर्ट पहनी थी, और भाभी ने साड़ी। मेरा लंड खड़ा हो चुका था, तो मैंने उसे पैंट के ऊपर से दबाया। लंड और सख्त हो गया।
मैंने फिर से भाभी के पैर सहलाने शुरू किए और साड़ी को घुटनों तक खिसकाकर सहलाने लगा। मेरी नजर साड़ी के अंदर चली गई, और मैंने देखा कि भाभी ने पैंटी नहीं पहनी थी। उनकी गोरी, चिकनी, फूली हुई चूत साफ दिख रही थी, जैसे पावरोटी की तरह। बीच में एक कट था, मानो पाव को काटकर उसमें वड़ा भरकर बंद किया हो। ये देखकर मैं सिहर उठा। मैंने उनके पैर पर एक चुम्बन जड़ दिया। तभी भाभी का हाथ मेरे पैर पर महसूस हुआ। मैंने उनके चेहरे की तरफ देखा, तो वो मुझे देखकर मुस्कुरा रही थीं। उन्होंने एक आँख दबाकर इशारा किया। मैं भी मुस्कुराया और उसी पोजीशन में आ गया। मैं असमंजस में था कि अब क्या करूँ, लेकिन भाभी ने मेरे पैर को सहलाना जारी रखा और मुझे भी इशारा किया। मैंने उनके पैर सहलाने शुरू किए, लेकिन मेरा ध्यान उनकी चूत पर था।
कसम से, उस दिन से पहले मैंने किसी औरत की चूत रियल में नहीं देखी थी। बस छोटी बच्चियों की या ब्लू फिल्मों में देखी थी। मैं रोमांचित हो गया। मेरे शरीर में कंपकंपी सी हो रही थी, और डर भी लग रहा था कि अब क्या होगा। तभी भाभी का हाथ मेरी जांघों तक पहुँचा। मुझे लगा वो पूरी मस्ती में हैं। मैंने भी धीरे-धीरे अपना हाथ ऊपर बढ़ाया और उनकी जांघों को सहलाने लगा। उनकी चिकनी, नरम जांघों को छूकर मेरे अंदर सनसनाहट होने लगी। मैंने उनकी चूत पर नजर डाली, तो एक पानी की बूँद बाहर आती दिखी। मैं फिर सिहर उठा। भाभी का हाथ मेरी पैंट के ऊपर से मेरे लंड तक पहुँच गया। मैंने भी उनका इशारा समझा और अपना हाथ उनकी चूत के पास ले गया। मैंने चूत को छुआ नहीं, बस पास में सहलाता रहा। उनकी चूत की गर्माहट मेरे हाथों में महसूस हो रही थी।
अचानक भाभी ने अपनी हथेली मेरे लंड पर रखकर सहलाना शुरू किया। मैं भी मौके का इंतजार कर रहा था। मैंने अपनी हथेली सीधे उनकी चिकनी, नरम, गर्म चूत पर रख दी। उस गर्माहट को महसूस करके मैं जैसे स्वर्ग में पहुँच गया। मेरी साँसें तेज हो गईं। मैं उनकी चूत को सहलाने लगा, और ऐसा मजा आ रहा था कि बयान नहीं कर सकता। भाभी ने अचानक उठकर मेरी पैंट की चेन खोली और मेरा लंड बाहर निकाल लिया। उन्होंने मेरे लाल सुपाड़े को चूमा, और मैंने उनकी चूत को पूरी हथेली में भरकर दबा दिया। भाभी के मुँह से चीख निकल गई, “ओईईई… आह्ह्ह!” और उन्होंने मेरे लंड पर हल्का सा चपट मार दिया।
भाभी ने कहा, “अंदर वाले रूम में चलते हैं।” वो उठकर रूम में चली गईं। मैंने दरवाजा चेक किया। भैया काम पर गए थे, और बच्चे स्कूल में थे। घड़ी में 10:30 बजे थे। बच्चों का स्कूल 12:30 बजे छूटता था। मैं अंदर गया, तो भाभी आँखें बंद किए बेड पर लेटी थीं। मैं उनके पास गया, तो उन्होंने मेरा हाथ पकड़कर मुझे अपने ऊपर खींच लिया। मैं उनके ऊपर गिर गया। भाभी ने मुझे गाल, माथे और होंठों पर चूमना शुरू किया। मैंने भी जवाब दिया और उनके होंठ चूसने लगा। जैसे ही मैंने उनके होंठ चूमे, उन्होंने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी। पहले मुझे अजीब लगा, लेकिन फिर मैं उनकी जीभ को जोर-जोर से चूसने लगा। कभी उनका निचला होंठ, तो कभी ऊपरी होंठ चूसता। भाभी भी कमाल की थीं। उन्होंने मेरी जीभ और होंठों को इतने प्यार से चूसा कि मजा आ गया।
पाँच मिनट बाद भाभी का हाथ मेरे लंड पर गया। मेरी चेन खुली थी, तो उन्होंने लंड बाहर निकाला और चूमने लगीं। फिर मेरी पैंट और अंडरवेयर उतार दिया। मैंने भी पूरा नंगा हो गया। भाभी ने मेरा लंड मुँह में लेकर चूसना शुरू किया। कसम से, ऐसा मजा मैंने पहले कभी नहीं लिया था। मैं उनके सिर को पकड़कर आगे-पीछे करने लगा। भाभी ने मेरा एक हाथ उनकी चूची पर रखा और दबाने का इशारा किया। मैंने ब्लाउज के ऊपर से उनकी चूचियाँ दबाना शुरू किया। पहली बार मैंने उनकी चूचियों को छुआ था। वो इतनी नरम और मुलायम थीं कि मेरी हथेली में परफेक्ट फिट हो रही थीं। मैंने दूसरा हाथ भी उनकी चूचियों पर रखा और जोर-जोर से दबाने लगा। फिर मैंने उनके ब्लाउज के बटन खोले और ब्लाउज उतार दिया। भाभी ने लंड मुँह में लिए हुए ही मेरा साथ दिया।
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मैंने उनकी साड़ी कंधे से हटाई, तो उनकी काली ब्रा में कैद उनकी चूचियाँ बाहर आने को तड़प रही थीं। मैंने ब्रा के अंदर हाथ डालकर उनकी चूचियों को जोर से दबाया और बाहर निकाल लिया। वाह, क्या नजारा था! उनकी गोल-मटोल, तनी हुई चूचियाँ देखकर मेरी आँखें चमक उठीं। मैंने उनके निप्पल्स को उंगलियों में लेकर हल्के-हल्के मसला। भाभी के मुँह से “आह्ह्ह…” की आवाज निकलने लगी। उन्होंने अपनी ब्रा की स्ट्रिप्स नीचे की और ब्रा उतारकर साइड में रख दी। मैंने भी अपनी टी-शर्ट और बनियान उतार दी। अब मैं पूरा नंगा था, और भाभी कमर के ऊपर नंगी थीं। हमने एक-दूसरे को देखा, मुस्कुराए और एक-दूसरे से लिपट गए। मेरा लंड तो मानो पागल हो रहा था।
मैंने भाभी की चूचियों पर चुम्बन जड़ा और उन्हें निहारने लगा। फिर मैं एक चूची को मुँह में लेकर चूसने लगा और दूसरी को हाथ से सहलाने लगा। भाभी ने एक हाथ मेरे सिर पर रखा और दूसरा मेरे लंड को सहलाने लगीं। मैंने दूसरी चूची को मुँह में लिया और पहली को हाथ से मसलने लगा। इतना मजा आ रहा था कि बयान नहीं कर सकता। मैं उनके निप्पल्स को दाँतों के बीच हल्के से काट लेता, जिससे भाभी “स्स्स्स…” की आवाज निकालतीं। जब मैं उनके निप्पल्स पर जीभ फेरता, तो वो अपने होंठ दाँतों से काटकर “स्स्स… आह्ह…” करतीं।
अचानक भाभी ने मेरा सिर नीचे दबाया। मैं समझ गया और धीरे-धीरे चूमते हुए नीचे गया। उनकी नाभि के चारों ओर जीभ फेरते हुए मैंने उनका पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया। भाभी ने अपने चूतड़ उठाकर पेटीकोट उतारने में मदद की। मैं उनके पैरों के बीच बैठ गया और उनकी चूत को देखने लगा। एकदम चिकनी, नरम, गर्म चूत! मैंने उनकी चूत पर एक चुम्बन जड़ दिया। भाभी सिहर उठीं और अपने पैरों से मुझे जकड़ लिया। मैं चूत पर और उसके आसपास चुम्बन जड़ता रहा। भाभी की जकड़ मजबूत होती गई। मैं उठकर बैठ गया और उनकी चूत को सहलाने लगा। मैंने चूत की पंखुड़ियों को अलग किया, तो अंदर का गुलाबी नजारा देखकर मैं पागल हो गया। मैंने उनके भगनासे को उंगली से सहलाया और एक उंगली उनकी चूत में डाल दी। उनकी चूत पहले से ही गीली थी। उंगली आसानी से अंदर-बाहर होने लगी। भाभी “आह्ह्ह…” की आवाज निकालने लगीं।
मैंने उनके भगनासे को अंगूठे से रगड़ा, तो भाभी ने आपा खो दिया। वो तेज-तेज “आह्ह्ह… मेरे राजा… स्स्स्स… तुम तो तरपा कर मार डालोगे… आह्ह… डार्लिंग…” चिल्लाने लगीं। मैं उठा और उनकी चूचियों को दबाने लगा। उनके निप्पल्स को उंगलियों में लेकर मसला और चूत से लेकर गरदन तक हाथ फेरने लगा। भाभी का बदन ऐंठने लगा, और वो सेक्सी आवाजें निकालने लगीं, “स्स्स्स… ओह्ह्ह…” मैंने उनकी चूत की गर्मी को महसूस करते हुए कहा, “भाभी, तुम्हारी चूत तो कितनी गर्म है, अंदर से भट्टी की तरह तप रही है।” भाभी बोलीं, “मेरे राजा, इसलिए तो मैं कब से तरस रही हूँ कि तुम इस आग को अपने इस मोटे लौड़े से बुझा दो। जब से मैंने तुम्हारा लंड देखा, तब से इसे अपनी चूत में लेने को मरी जा रही हूँ।”
मैं चौंक गया और पूछा, “भाभी, तुमने मेरा लंड कब देख लिया?” भाभी हँसते हुए बोलीं, “कुछ 10 दिन पहले की बात है। तुम दोपहर में खाना खाकर सो रहे थे। तुमने बॉक्सर पहना था, और शायद तुम कोई सपना देख रहे थे। तुम्हारा लंड एकदम तनकर खड़ा था, और बॉक्सर में तंबू बना हुआ था। मैं कुछ काम से आई थी, तो मेरी नजर तुम्हारे लंड पर पड़ी। मैं देखती रह गई कि इतने बड़े तंबू के अंदर का बाँस कितना बड़ा होगा। मैं तुम्हारे पास बैठ गई। पहले तुम्हारे माथे पर हाथ फेरा, फिर कंधे को हिलाया, लेकिन तुम गहरी नींद में थे। मेरी हिम्मत बढ़ी, और मैंने बॉक्सर के ऊपर से तुम्हारे लंड को सहलाया। जब तुमने कोई हरकत नहीं की, तो मैंने उसे मुठ्ठी में लेकर हल्के-हल्के दबाया। फिर मैंने बॉक्सर को साइड से खींचकर तुम्हारा लंड बाहर निकाला। उसकी लंबाई देखकर मेरी आँखें फट गईं, और मेरी चूत में खलबली मच गई। मैंने तुम्हारे सुपाड़े पर एक चुम्बन जड़ दिया। तुम्हारा कोई रिएक्शन नहीं था। मैंने हिम्मत करके सुपाड़ा मुँह में लिया, लेकिन वो इतना बड़ा था कि मेरा पूरा मुँह भर गया। तभी दरवाजे की घंटी बजी। बच्चे स्कूल से आ गए थे। मैंने तुम्हारा बॉक्सर ऊपर खींचा और चादर डाल दी। उसी दिन मैंने ठान लिया था कि अपने प्यारे देवर राजा से किसी भी तरह चुदवाऊँगी।”
भाभी की बात सुनकर मैं जोश में आ गया। उन्होंने मेरे लंड को जोर से मसला, तो मेरे मुँह से “आह्ह…” निकल गया। मैंने उनकी चूची को जोर से दबा दिया। भाभी कराह उठीं, “उईई… माँ… ह्हा…” मैंने उनकी चूत में उंगली अंदर-बाहर करने लगा, और अंगूठे से उनके भगनासे को मसलने लगा। भाभी चूतड़ हिलाकर साथ देने लगीं। वो पूरी मस्ती में थीं और सिसकियाँ ले रही थीं, जैसे मिर्च खा लिया हो। तभी उन्होंने मुझे उल्टा होकर उनके ऊपर आने को कहा। मैं समझ गया कि वो 69 पोजीशन की बात कर रही हैं। मैंने स्टोरीज में पढ़ा था और बीएफ में देखा था, लेकिन पहली बार प्रैक्टिकली कर रहा था। मैं उनके ऊपर उल्टा लेट गया और उनकी चूत को सहलाने और चूमने लगा। एक उंगली अंदर-बाहर कर रहा था। भाभी ने मेरे लंड के सुपाड़े को मुँह में लिया और चूसने लगीं। वो मेरे लंड को हाथ से आगे-पीछे भी कर रही थीं। मैं तो सातवें आसमान पर था। मैंने उनकी चूत के भगनासे को जीभ से चाटना शुरू किया और उंगली चलाता रहा। फिर दूसरी उंगली भी डाल दी। उनकी चूत गीली थी, तो उंगलियाँ आसानी से अंदर-बाहर हो रही थीं।
भाभी चूतड़ नचाने लगीं और मेरे लंड को मुँह से निकालकर बोलीं, “अब बस करो मेरे राजा, डाल दो इस मुसल को मेरी चूत में और मेरी चूत की चटनी बना दो।” मैं उठा और उनके होंठों को चूसने लगा। भाभी ने भी दुगने जोश में मेरा साथ दिया और मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया। मैं उनके पैरों के बीच आया और उनकी जांघों को जितना हो सकता था, चौड़ा किया। एक हाथ से उनकी चूत को फैलाया, तो गुलाबी चेद साफ दिखने लगा। मैंने अपने लंड को चूत के चेद पर सेट किया। भाभी ने नीचे से धक्का लगाया, लेकिन लंड फिसल गया। उनकी चूत इतनी टाइट थी कि चेद दिखता ही नहीं था। भाभी ने मेरा लंड पकड़कर चूत के चेद पर सेट किया और नीचे से उछलकर धक्का दिया। मैंने भी मौका देखकर ऊपर से एक जोरदार धक्का मारा। लंड का सुपाड़ा चूत में घुस गया। भाभी चीख पड़ीं, “आह्ह्ह… मर गई… ओईई… माँ…” मैं उसी पोजीशन में रुक गया और पूछा, “भाभी, रोज तो चुदवाती हो, फिर भी तुम्हारी चूत इतनी कसी हुई कैसे है?”
भाभी बोलीं, “मेरे राजा, किसने कहा कि तुम्हारे भैया रोज चोदते हैं? वो तो हफ्ते में एक या दो बार करते हैं। उनका लौड़ा तुमसे पतला और सिर्फ 5 इंच का है। वो 10-15 धक्के मारकर झड़ जाते हैं और लुढ़क जाते हैं। जब मैं कहती हूँ कि मेरा अभी नहीं हुआ, तो कहते हैं कि तुम झड़ोगी तो कमजोरी आ जाएगी।” मैंने मौका देखकर एक और जोरदार धक्का मारा। आधा लंड उनकी चूत में समा गया। भाभी की चीख निकलने वाली थी, लेकिन मैंने उनके मुँह पर हथेली रख दी। वो तड़पने लगीं। मैं उनके ऊपर झुका और उनकी चूचियों को सहलाने लगा। मैंने उनके होंठ चूसे। भाभी ने होंठ छुड़ाकर कहा, “मैं भागी थोड़े जा रही हूँ जो इतने बेरहमी से धक्के मार रहे हो। आराम से चोदो, तो ज्यादा मजा आएगा। इस मुसल जैसे लौड़े को तो कोई भोसड़ीवाली रंडी ही एक बार में ले सकती है। मैं बीमार थी, तो एक महीने से चुदाई नहीं हुई। तुम जालिमों की तरह मेरी चूत फाड़ने पर लग गए हो।”
मैं उनके मुँह से चूत, चुदाई, भोसड़ीवाली जैसे शब्द सुनकर हैरान था, लेकिन मजा भी आ रहा था। भाभी ने नारियल के तेल की बोतल की तरफ इशारा किया और बोलीं, “पहले तेल लगा लो, फिर डालो इसे मेरी चूत में, आराम से मेरे राजा।” मैंने लंड बाहर निकाला, तो देखा उस पर थोड़ा सा खून लगा था। शायद मेरा पहला बार होने की वजह से सुपाड़े की चमड़ी छिल गई थी। मैंने भाभी को ये नहीं बताया। मैंने नारियल का तेल उनकी चूत पर ढेर सारा डाला और उंगली से अंदर तक लगाया। उनकी चूत तेल से लबालब हो गई। मैंने अपने लंड पर भी तेल लगाया और चूत के चेद पर सेट किया। भाभी मुस्कुराकर बोलीं, “अब पेलो मेरे राजा, लेकिन आराम से।”
भाभी ने नीचे से चूतड़ उछालकर लंड को अंदर लिया। इस बार सुपाड़ा आसानी से चूत में चला गया। मैं घुटनों के बल बैठा था और उनकी चूचियों की मालिश कर रहा था। भाभी “आह्ह्ह…” करती हुई 2-3 बार चूतड़ उछालकर आधा लंड अंदर ले चुकी थीं। लंड अब चूत की दीवारों में फंस गया था। गर्म, चिकनी चूत भट्टी की तरह तप रही थी। ऐसा लग रहा था मानो चूत की दीवारें लंड को सीक रही हों। मैंने जोश में आकर भाभी के कंधों को पकड़ा और उनके होंठों को चूसते हुए लिप लॉक किया। इससे पहले कि वो कुछ समझ पातीं, मैंने लंड को थोड़ा बाहर खींचा और पूरी ताकत से धक्का मारा। कमरे में “थप्प” की आवाज गूँजी। भाभी तड़पने लगीं और मुझे हटाने की कोशिश करने लगीं, लेकिन मैं टस से मस नहीं हुआ। मेरा पूरा लंड उनकी चूत में समा गया था। उनकी आँखों में आँसू आ गए। मैं उसी पोजीशन में रुक गया और उनकी चूचियों को सहलाने लगा। उनके बालों में हाथ फेरने लगा। जब मुझे लगा कि उन्होंने लंड को एडजस्ट कर लिया है, तो मैंने उनके होंठ छोड़े।
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भाभी ने गालियों की झड़ी लगा दी, “भोसड़ीवाले, बहनचोद, साले हरामी, बोला था ना आराम से करने को। गधे जैसा लौड़ा लेकर साले एक झटके में मेरी लालमुनिया के अंदर घुसेड़ दिया।” मैं गालियाँ सुनकर सन्न रह गया। मैंने पूछा, “ये लालमुनिया कौन है?” वो बोलीं, “बहनचोद, वही जिसमें तूने अपना लौड़ा घुसेड़ा है, उसी बेचारी को कहते हैं लालमुनिया।” गालियाँ सुनकर मुझे और जोश आ गया। मैंने कहा, “मदरचोद, तू तो तरस रही थी ना इसे अंदर लेने के लिए। अब क्या हुआ, गांड फट गई?” भाभी मुस्कुराते हुए बोलीं, “गांड नहीं फटी मेरे चोदू राजा, लेकिन इतने जोर से मत करो कि एकदम से फट ही जाए मेरी चुतरानी। चलो, अब आराम-आराम से धक्के लगाओ।”
मैंने कहा, “ओके मेरी जान,” और धीरे-धीरे आगे-पीछे होने लगा। 8-10 धक्कों के बाद भाभी भी रिस्पॉन्स करने लगीं। वो नीचे से कमर और चूतड़ हिलाकर उछलने लगीं और “आह्ह्ह… ऊम्म्ह्ह… स्स्स्स… आह्ह… जोर से मेरी जान… चोदो… और जोर से चोदो…” कहने लगीं। मैंने भी “थप थप” धक्के मारने शुरू किए। कमरे में “थप्प… पच… फच… फाच…” की आवाजें गूँजने लगीं। ऐसा नजारा था कि क्या बताऊँ! मैं सारा दर्द भूलकर सुख के सागर में गोते लगा रहा था। भाभी ने जैसे होश खो दिया था। वो चूतड़ इतने जोर से उछाल रही थीं कि अगर मैं धक्के ना भी लगाता, तो भी मेरा लंड उनकी चूत में पूरा घुस जाता। उनकी आवाजें, “स्स्स्स… आह्ह्ह… ओह्ह्ह… चोदो मेरी जान… और जोर से चोदो… आज चटनी बना दो मेरी चूत की… आज से ये चूत तुम्हारी हो गई… और जोर से… आह्ह्ह मेरे राजा… बहुत दमदार लौड़ा है तुम्हारा… इतने दिन कहाँ छुपा रखा था…” सुनकर मैंने कहा, “भाभी, तुम्हारी चूत भी बहुत मस्त है। एकदम चिकनी, गर्म… बस मजा आ गया मेरी जान… आह्ह्ह…”
मैं दम लगाकर धक्के मार रहा था। लगभग 10 मिनट की जोरदार चुदाई के बाद भाभी का जिस्म अकड़ने लगा। वो मुझे अपनी बाहों में जकड़ने लगीं और चूतड़ उछालकर लंड को पूरा अंदर ले रही थीं। वो “आह्ह… उह्ह… एह्ह… ऊऊ… स्स्स्स…” की आवाजें निकालते हुए चुदवा रही थीं। तभी मेरा भी जिस्म अकड़ने लगा। ऐसा लग रहा था जैसे सारा खून मेरे लंड की तरफ बह रहा हो। हमने कोई पोजीशन नहीं बदली थी, बस एक ही पोजीशन में नॉन-स्टॉप चुदाई कर रहे थे। भाभी चिल्लाईं, “चोदो मेरे राजा… और जोर से…” मैंने पूरा दम लगाया और उनकी कमर और कंधों को जकड़कर “थप थप” धक्के मारे। भाभी का पूरा जिस्म चरमराने लगा। वो कुछ बोल नहीं पाईं, बस “स्स्स्स… आर्रर्र… ओम्ह्ह… मेरे राजा… मैं तो गई… आह्ह… ओह्ह्ह…” कहते हुए मुझे दबोच लिया। उन्होंने अपनी टाँगें मेरी कमर पर लपेट लीं, जैसे लंड को अपनी चूत में हमेशा के लिए फिट कर देना चाहती हों। वो मेरे कानों को काटने और चाटने लगीं।
भाभी ने मुझे इतना जकड़ा कि मैं हिल भी ना सका। मैं भी चरम सीमा पर था। बस 8-10 धक्कों की कमी थी। मैंने कुत्ते की तरह धक्के मारे, लंड को एक इंच बाहर निकालकर पूरी ताकत से चूत में घुसेड़ दिया। भाभी चूत को कभी सिकोड़तीं, तो कभी ढीला छोड़ देतीं। मैंने कहा, “मेरी जान, मैं भी आया… कहाँ निकालूँ?” भाभी बोलीं, “बस धक्के बंद मत करो… चोदते रहो…” मैं धक्के लगाते हुए उनकी चूत में अपने गर्म वीर्य की धार छोड़ दी। जब तक लंड से आखिरी बूँद नहीं निकली, मैं धक्के मारता रहा। फिर निढाल होकर उनके ऊपर लुढ़क गया।
हम दोनों की साँसें इतनी तेज थीं कि कोई कुछ बोल नहीं पा रहा था। पसीने से लथपथ हमारे नंगे जिस्म एक-दूसरे से चिपके हुए थे। हम एक-दूसरे की धड़कन महसूस कर रहे थे। लगभग 5 मिनट तक हम ऐसे ही पड़े रहे। मेरा लंड अपने आप सिकुड़कर चूत से बाहर आ गया। जब थोड़ा सुकून मिला, तो हम एक-दूसरे को सहलाते हुए उठकर बैठे। मैंने देखा कि भाभी की चूत से उनका पानी और मेरा वीर्य मिलकर सफेद झाग के साथ बाहर आ रहा था। मेरा लंड भी झाग से सना हुआ था। भाभी “उईई… माँ…” कहते हुए बाथरूम की तरफ भागीं। जैसे ही कदम बढ़ाया, वो लड़खड़ा गईं। मैंने उन्हें पकड़ लिया। बीमारी की वजह से वो पहले ही कमजोर थीं, और ऊपर से ऐसी जोरदार चुदाई ने उन्हें थका दिया था।
मैं उन्हें पकड़कर बाथरूम ले गया। वहाँ भाभी बैठकर पेशाब करने लगीं। सूर्र-सूर्र की आवाज के साथ उनका पेशाब और मेरा वीर्य बाहर आने लगा। मैं पहली बार किसी औरत को नंगी पेशाब करते देख रहा था। भाभी ने मग से पानी अपनी चूत पर डाला, तो चिल्ला उठीं, “उईई… माँ… आह्ह…” मैंने पूछा, “क्या हुआ भाभी?” वो बोलीं, “कुछ नहीं राजा, ये तुम्हारे लंबे-चौड़े बबुराव की करतूत है। लगता है चूत थोड़ा छिल गई है। पानी डालने से जलन हो रही है।” मैं मुस्कुरा दिया। भाभी ने अपनी चूत साफ की और बोलीं, “आगे आओ, तुम्हारे बबुराव को भी नहला दूँ।” मैंने कहा, “मैं कर लूँगा भाभी।” लेकिन वो बैठे-बैठे मेरा लंड, जो अब सिकुड़कर 3 इंच का हो गया था, खींचकर अपने पास ले आईं। मेरे लंड को देखकर उनकी आँखें बड़ी हो गईं। वो बोलीं, “ये खून कैसे आ गया?” उन्होंने लंड को घुमाकर देखा, तो सुपाड़े के नीचे की चमड़ी छिली हुई थी। वो मुस्कुराकर बोलीं, “तो आज तुम्हारा पहला बार था? मैंने तो समझा तुम ना जाने कितनी लड़कियों को ठोक चुके हो। लेकिन लगता है तुम्हारे बबुराव का उद्घाटन मेरी चूत से ही होना था।”
वो खुश होकर मेरे लंड को धोने लगीं। मुझे जलन हो रही थी, तो मेरे मुँह से “आह्ह्ह…” निकल गया। भाभी ने शरारत से दो मग पानी और डाल दिया। मैंने भी मग छीनकर उनकी चूत और चूचियों पर पानी डाला। वो “ना… ना… मत डालो…” कहते हुए मुझसे चिपक गईं। मैंने मग रख दिया, और हम बाथरूम से बाहर आकर बेड पर बैठ गए। घड़ी में 12:30 बज रहे थे। बच्चों की स्कूल की छुट्टी हो चुकी थी, और वो 5-10 मिनट में आ जाते। भाभी ने अपने कपड़े पहने, और मैंने अपने। फिर हम दोनों पास में लेटकर एक-दूसरे से छेड़खानी करने लगे।
थोड़ी देर बाद बच्चे स्कूल से आ गए। भाभी उनमें बिजी हो गईं। जब भी वो मेरी तरफ देखतीं, तो मुस्कुरा देतीं। खाना देते वक्त वो डबल मीनिंग में बात करतीं, जैसे, “और क्या दूँ?” मैं कहता, “लालमुनिया की चटनी।” वो मुस्कुराकर कहतीं, “खुद बनाकर खा लेना।” उस दिन के बाद जब भी हमें मौका मिलता, हम शुरू हो जाते। लेकिन पूरे कपड़े तभी उतारते जब कोई आने का डर ना होता। सुबह जब बच्चे स्कूल में और भैया काम पर होते, तो हमारे पास 3 घंटे होते। हम जमकर चुदाई करते। मैं रोज दो बार भाभी को चोदता। इंटरव्यू के लिए जाता, तो भी एक बार चोदकर जाता। दो महीने बाद मेरी जॉब लग गई, तो चुदाई कम हो गई, लेकिन हम कोई मौका नहीं छोड़ते थे। ये सिलसिला आज तक चल रहा है।