पट्टी बांध कर मनाई बहन के साथ सुहागरात – भाग 2

हाय दोस्तों, मेरा नाम सैम है, उम्र 19 साल। मेरी पिछली कहानी(पट्टी बांध कर मनाई बहन के साथ सुहागरात – भाग 1) में तुमने पढ़ा कि कैसे मैंने अपनी बहन प्रिया की सुहागरात को चुराकर उसकी चूत और गांड मारी। अब आगे की देसी चुदाई की कहानी सुनो, जो गंदी और मसालेदार है।

मैं कार में होटल से घर जा रहा था, और मेरा दिमाग उस रात की चुदाई में अटका हुआ था। प्रिया की चूत की गर्मी, उसकी सिसकारियाँ, और मेरे लंड पर लगी चॉकलेट का स्वाद—सब कुछ मेरे दिमाग में घूम रहा था। लेकिन साथ ही डर भी लग रहा था। कहीं मैंने कोई सबूत तो नहीं छोड़ दिया? मुझे दो बातें सता रही थीं—पहली, अगर प्रिया ने अपने पति को चूमा और उसे मेरे चॉकलेटी लंड का स्वाद पता चला, तो वो शक कर सकती है। दूसरी, अगर मेरे जीजा का लौड़ा मुझसे छोटा हुआ, तो प्रिया को जरूर कुछ गड़बड़ लगेगा। मैं पसीने से तरबतर था, और मेरा दिल धक-धक कर रहा था।

खैर, मैं घर पहुँच गया। उस रात के बाद कई दिन गुजर गए। एक दिन प्रिया से फोन पर बात हुई। उसने वही पुरानी दोस्ती वाली आवाज में बात की, जैसे कुछ हुआ ही न हो। “क्या हाल है, सैम?” उसकी बात सुनकर मेरे दिल को थोड़ी राहत मिली। मैंने सोचा, शायद उसे कुछ पता नहीं चला।

तीन महीने बीत गए। एक दिन प्रिया घर आई। उसे देखकर मेरा लंड तन गया। वो पहले से भी ज्यादा माल लग रही थी। पीली साड़ी में उसका गोरा बदन चमक रहा था। उसके चूचे ब्लाउज में कसकर दबे हुए थे, और उसकी कमर की लचक मेरे लंड में आग लगा रही थी। मैंने उसके पैर छुए, और वो हँसकर बोली, “अरे, इतना फॉर्मल मत बन!” ऐसा लग रहा था कि उसका पति उसे रंडी की तरह चोदकर खुश रखता है। वो सबसे हँस-हँसकर बात कर रही थी, और मैं उसकी खुशी देखकर बाहर से खुश था। लेकिन अंदर से मैं उस रात को याद करके मजे ले रहा था, ये सोचकर कि किसी को मेरी हरकत का पता नहीं चला।

प्रिया मेरे पास आई, और हम बातें करने लगे। मैं उससे पर्सनल बातें नहीं पूछ रहा था, क्योंकि डर था कि कहीं सुहागरात की बात न छिड़ जाए। लेकिन उसे देखकर मेरा लंड बेकाबू हो रहा था। उसकी साड़ी में उसकी चूचियाँ इतनी टाइट थीं कि मेरा चोटा सैम (लंड) पैंट में उछलने लगा। मैं उससे आँखें नहीं मिला पा रहा था, क्योंकि आँखें मिलते ही मुझे हँसी आ रही थी कि कैसे मैंने उसकी चूत मारी, और उसे लगता है कि वो सब उसके पति ने किया।

तभी मैंने जेब से डेरी मिल्क चॉकलेट निकाली और खाने लगा। मैं चॉकलेट का भूत हूँ, और मेरा लंड भी चॉकलेटी स्वाद देता है। मैंने प्रिया को भी चॉकलेट दी, और हमने साथ में खाई। लेकिन गलती से थोड़ी चॉकलेट मेरे लंड के ऊपर पैंट पर गिर गई। मैंने ध्यान नहीं दिया, लेकिन प्रिया की नजर वहाँ चली गई। उसने फट से रूमाल निकाला और मेरी पैंट साफ करने लगी। उसका हाथ मेरे तने हुए लंड को छू गया। मैं सिहर उठा। उसने मेरा लंड महसूस किया, और एक पल के लिए उसकी आँखें चमक उठीं। मेरे लंड में करंट दौड़ गया, लेकिन उसने कुछ कहा नहीं।

फिर वो बोली, “सैम, मुझे मंदिर ले चल, यार।” मैं उसे मंदिर ले गया। मंदिर में गजब की भीड़ थी। लोग धक्का-मुक्की कर रहे थे। उसी धक्के में गलती से मेरे और प्रिया के होंठ टकरा गए। वो चॉकलेटी स्वाद मेरे मुँह में घुल गया, और मेरा लंड फिर से तन गया। प्रिया ने इसे नजरअंदाज किया और कुछ नहीं बोली। हम घर लौट आए। मैं अपने कमरे में चला गया, हेडफोन लगाए, और गाने सुनते हुए नाचने लगा। मैं उस चुम्बन को भूलने की कोशिश कर रहा था।

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तभी अचानक मेरे गाल पर एक जोरदार थप्पड़ पड़ा। इतना तेज कि मेरे हेडफोन उछलकर गिर गए। मैंने आँखें खोलीं तो सामने प्रिया खड़ी थी। उसकी आँखें लाल थीं, आँसुओं से भरी। वो गुस्से में काँप रही थी। उसने मुझे मारना शुरू कर दिया। पहले थप्पड़, फिर सैंडल निकालकर मेरी पिटाई करने लगी। मैं दर्द से चिल्ला रहा था, “आह… प्रिया, रुक!” लेकिन वो रुक नहीं रही थी। वो चिल्ला रही थी, “तूने ऐसा क्यों किया, बहनचोद, मादरचोद! मेरी जिंदगी बर्बाद कर दी!” मैं समझ गया कि उसे सब पता चल गया है।

मैं कमरे से भागने की कोशिश कर रहा था, लेकिन वो मुझे पीटती रही। मैं किसी तरह बाहर निकला, लेकिन वो पीछे-पीछे आई और चप्पलों से मेरी धुनाई करने लगी। भागते हुए मैं सीढ़ियों पर फिसल गया, और मेरा सिर सीढ़ी के कोने से टकरा गया। दर्द से मेरी चीख निकल गई। प्रिया मेरे पास आई। उसने देखा कि खून नहीं निकला, तो उसने फिर से मारना शुरू कर दिया। मैं अपनी भोली आँखों से उसकी आँखों में देख रहा था, लेकिन वो नहीं रुकी। आखिरकार उसकी सैंडल मेरे सिर पर लगी, और खून बहने लगा। उसने आँखें बंद कर लीं और मारती रही। जब उसने खून देखा, तो वो रुक गई।

मुझे कमजोरी महसूस हो रही थी, लेकिन मैं बेहोश होने का नाटक कर रहा था। आखिरकार उसे मुझ पर तरस आया। उसने मुझे सोफे पर बिठाया और अपनी साड़ी के पल्लू से मेरी चोट बाँधी। खून रुकने के बाद उसने सख्त आवाज में कहा, “सैम, तुझे मेरी कसम। सच बता, तूने मेरी सुहागरात मनाई थी? हाँ या ना।”

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मैं चुप रहा, लेकिन उसकी आँखों में देखकर मैं टूट गया। मैंने धीरे से कहा, “हाँ।” प्रिया फूट-फूटकर रोने लगी। वो मेरे सीने से लगकर चिपक गई और रोती रही। मैं बार-बार सॉरी बोल रहा था, लेकिन वो बस रो रही थी। थोड़ी देर बाद वो शांत हुई और मेरी आँखों में देखकर बोली, “तू मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकता है, सैम? तू मेरा भाई है, भोसड़ी के!” मैंने पूछा, “तुझे कैसे पता चला?”

प्रिया ने रोते हुए बताया, “आज जब तू चॉकलेट खा रहा था, और वो तेरे लंड पर गिरी, तो मैंने तेरा लौड़ा छुआ। वो बिल्कुल वैसा ही था—7 इंच लंबा, 4 इंच मोटा—जैसा मेरी सुहागरात वाले दिन था। मेरे पति का लौड़ा तो उसका आधा भी नहीं है। और जब मंदिर में गलती से हमारा चुम्बन हुआ, तो तेरा चॉकलेटी स्वाद वही था, जो उस रात था।” उसने आगे कहा, “जब मैं कमरे में ये सब सोच रही थी, तो मुझे सब समझ आ गया। उस रात मेरी आँखों पर पटी क्यों बाँधी गई? तूने ही मेरी चूत और गांड मारी थी, हरामी!”

ये सुनकर मेरी गांड फट गई। मैं डर रहा था कि अब क्या होगा। फिर प्रिया ने कहा, “मैं तुझे माफ कर दूँगी, लेकिन एक शर्त पर। तुझे मम्मी-पापा और मेरे पति को उस रात का सच बताना होगा।” मेरे तो पसीने छूट गए। मैं रोते हुए बोला, “प्रिया, प्लीज, ऐसा मत कर। मैं जो तू कहेगी, वो करूँगा, लेकिन ये मत कर। वो मुझे जेल में डाल देंगे।” लेकिन प्रिया टस से मस नहीं हुई। वो बोली, “मैं इस गुनाह के बोझ तले नहीं जी सकती कि मैंने अपने पति को चोदा नहीं, अपने भाई से चुदवाया।”

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वो सोफे से उठी और अपने कमरे से फोन लाने चली गई। मैं घबरा गया। मैंने सोचा कि प्रिया मेरे साथ ऐसा नहीं करेगी, लेकिन वो अपनी जिद पर अड़ी थी। उसने फोन उठाया और अपने पति का नंबर डायल करने लगी। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था। तभी मेरी नजर पास पड़े स्क्रूड्राइवर पर पड़ी। गुस्से और डर में मैंने वो स्क्रूड्राइवर उठाया और अपनी चोट में घोंप लिया। खून की धार बहने लगी। प्रिया चीख पड़ी। उसने मुझे पकड़ा, लेकिन मैं गुस्से में स्क्रूड्राइवर को और दबा रहा था। आखिरकार प्रिया ने हार मान ली और सॉरी बोलते हुए मुझे गले लगा लिया।

मैंने उसका फोन छीनकर पटक दिया। अब मुझ पर गुस्सा और हवस दोनों हावी हो गए। मैंने सोचा, अगर प्रिया मेरी जिंदगी बर्बाद करने पर तुली है, तो क्यों न एक बार फिर उसकी चूत और गांड का मजा लिया जाए? मैंने उसे जोर से पकड़ लिया और उसके रसीले होंठों को चूसने लगा। वो मना कर रही थी, “छोड़ दे, साले!” लेकिन मैंने उसकी साड़ी का पल्लू खींचकर फेंक दिया और उसके चूचों को मसलने लगा। वो चिल्ला रही थी, “बहनचोद, मुझे छोड़ दे! कोई बचाओ!” मैंने अपना रूमाल निकाला और उसके मुँह पर बाँध दिया, ताकि उसकी चीखें दब जाएँ।

मैंने उसका ब्लाउज फाड़ दिया और उसके भरे हुए चूचों को चूसने लगा। उसके निप्पल कड़क हो गए थे, और मैं उन्हें दाँतों से काट रहा था। वो दबी-दबी सिसकारियाँ ले रही थी, “उम्म… उम्म… श्ह्ह!” मैंने उसकी साड़ी और पेटीकोट उतार दिया। वो सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी। उसकी पैंटी गीली थी, मानो उसकी चूत भी चुदने को तैयार थी। मैंने उसकी ब्रा और पैंटी फाड़कर फेंक दी। उसकी चिकनी चूत देखकर मेरा लंड उछलने लगा।

मैंने उसकी चूत पर मुँह रखा और चूसना शुरू किया। उसकी चूत से मस्त देसी खुशबू आ रही थी। मैंने जीभ अंदर डाल दी, और वो तेजी से हिलने लगी। उसने अपने पैरों से मेरा मुँह दबा लिया और मेरे बाल पकड़कर अपनी चूत में रगड़ने लगी। वो झड़ गई, और मैंने उसका सारा पानी चाट लिया। मैंने अपना 7 इंच का लंड निकाला और उसकी चूत पर सेट किया। एक जोरदार धक्के में मेरा लंड उसकी चूत में जड़ तक उतर गया। वो दबी आवाज में सिसकारी, “उम्म… आह!” मैंने तेज-तेज धक्के मारना शुरू किया। उसकी चूत इतनी गर्म और टाइट थी कि मेरा लंड जन्नत में था।

मैंने उसे 30 मिनट तक चोदा, और आखिरकार उसकी चूत में झड़ गया। मेरा गर्म माल उसकी चूत में भर गया। हम दोनों थककर लिपट गए। तभी मेरी आँख खुली। मैंने देखा कि मेरे सामने पुलिस खड़ी है। मैं नंगा सोफे पर लेटा हूँ, और मेरे ऊपर चादर पड़ी है। प्रिया अपने पति से लिपटकर रो रही थी। पापा मुझे गुस्से से घूर रहे थे। पुलिसवाले ने मुझे कपड़े पहनने को कहा। मैंने कपड़े पहने, तभी पापा आए और मुझे थप्पड़ मारने लगे। वो चिल्ला रहे थे, “हरामी, तू मेरा बेटा नहीं!” पुलिसवालों ने मुझे हथकड़ी पहनाई और ले जाने लगे। मम्मी पत्थर की मूर्ति की तरह खड़ी थीं। उनकी आँखों में गहरा सदमा था। मैं रो रहा था, चिल्ला रहा था, “मम्मी, मुझे बचा लो!” लेकिन कोई नहीं सुना।

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पुलिस मुझे गाड़ी में ले जा रही थी। मैंने पुलिसवाले को धक्का दिया और भागने लगा। भागते-भागते मेरी टक्कर एक ट्रक से हो गई। अचानक मेरी आँखें खुलीं, और मैंने देखा कि प्रिया मेरे सीने पर सिर रखकर लेटी है। मुझे समझ आया कि ये सब एक गंदा सपना था। मेरी साँसें तेज चल रही थीं। मैं घबरा गया था। प्रिया भी उठ गई। मैंने उसे चूम लिया। इस बार उसने पूरा साथ दिया। हम 10 मिनट तक एक-दूसरे के होंठ चूसते रहे। उसका चॉकलेटी स्वाद मेरे मुँह में घुल गया।

प्रिया ने कहा, “तूने मेरी चूत चाटी, अब मैं तेरा लौड़ा चूसती हूँ।” उसने मेरा लंड मुँह में लिया और किसी रंडी की तरह चूसने लगी। वो मेरे लंड को गले तक ले रही थी। मैं उसके बाल पकड़कर उसके मुँह को चोदने लगा। मेरा सारा माल उसने पी लिया। फिर मैंने उसे सोफे पर लिटाया और उसकी चूत चाटने लगा। उसकी चूत का रस मेरे मुँह में घुल रहा था। वो झड़ गई और चिल्लाई, “अब और मत तड़पाओ, चोद दे अपनी बहन की चूत!” मैंने कहा, “पर तू तो गुस्सा थी।” वो बोली, “तेरी सजा ये है कि तू मुझे अभी चोदे, हरामी!”

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मैंने अपना लंड उसकी चूत में पेल दिया। वो मजे में चीखी, “आह… सैम, फाड़ दे!” मैंने तेज-तेज धक्के मारना शुरू किया। वो चिल्ला रही थी, “आह… उफ्फ… श्ह्ह… चोदो… फाड़ दो मेरी चूत… सैम… और जोर से… बहनचोद!” उसकी गंदी बातें मेरे लंड को और सख्त कर रही थीं। हम दोनों एक साथ झड़ गए। मैंने अपना लंड उसके मुँह पर रखा। उसने उसे चाटकर साफ कर दिया और फिर से खड़ा कर दिया। इस बार मैंने उसकी गांड मारी। उसकी टाइट गांड में लंड घुसाते ही वो चिल्लाई, “आह… धीरे… फट जाएगी, मादरचोद!” लेकिन मैंने तेज-तेज पेला और उसकी गांड में झड़ गया।

हम दोनों लिपटकर लेट गए। मैंने पूछा, “मजा आया?” वो बोली, “हाँ, भोसड़ी के, गजब का मजा आया।” मैंने पूछा, “अब किसी को बताएगी?” वो हँसकर बोली, “हाँ, सबको बताऊँगी कि मेरा भाई कितना मस्त चोदता है!” मैं भी हँस पड़ा और उसे खींचकर चूमने लगा। हमारी देसी चुदाई का सिलसिला यूं ही चलता रहा।

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