छोटे भाई से चूची मिसवाई मदहोशी में

स्मिता नाम की एक लड़की थी, जिसकी उम्र 22 साल थी। उसके घर में माता-पिता थे, उससे छोटी बहन अंकिता, जो 21 साल की थी, और उसका छोटा भाई अरुण था। अरुण उनकी फैमिली में सबसे छोटा था। उनकी फैमिली एक-दूसरे से बहुत प्यार से रहती थी। कभी किसी से झगड़ा नहीं होता था और सभी के बीच सिर्फ प्यार ही प्यार था। लेकिन एक दिन स्मिता से एक बहुत बड़ा पाप हो गया। उसे खुद को नहीं लगता था कि यह पाप था, लेकिन दुनिया की नजरों में यह पाप ही था। आज वह उस पाप की पूरी कहानी विस्तार से बता रही थी।

स्मिता के स्कूल में उसकी सभी सहेलियाँ बहुत शैतान और बिगड़ी हुई थीं। उस स्कूल का माहौल ही ऐसा था। वहाँ सीनियर्स और जूनियर्स, सबके बॉयफ्रेंड थे। लेकिन स्मिता का अभी तक कोई बॉयफ्रेंड नहीं था। वहाँ दिन भर लोग आपस में सेक्स से जुड़ी बातें करते रहते थे। धीरे-धीरे स्मिता की भी उन सबसे दोस्ती हो गई और वह भी उसी रंग में ढलने लगी।

कुछ दिनों बाद दो लड़कों ने स्मिता को प्रपोज किया, लेकिन उसने मना कर दिया। उसे ऐसा लड़का चाहिए था जो उसकी परवाह करे और उससे सच्चा प्यार करे। उसे लगता था कि अब इस दुनिया में परिवार के अलावा ऐसा कोई नहीं मिल सकता। दूसरों को जोड़ों में देखकर उसे जलन होती थी, क्योंकि वह भी चाहती थी कि उसका कोई ऐसा साथी हो। उसकी कुछ सहेलियाँ सेक्सी किताबें पढ़ती थीं और उनके पास सेक्स फिल्मों का बहुत बड़ा और शानदार कलेक्शन था।

धीरे-धीरे स्मिता भी सेक्स की आदी हो गई थी। सभी जानते हैं कि जिनके पास सेक्स करने के लिए कोई नहीं होता, वही ऐसी फिल्में देखते हैं। बाकी लोग जो सेक्स करते हैं, वे इन फिल्मों पर अपना समय बर्बाद नहीं करते। स्मिता को सेक्सी किताबों और फिल्मों की लत लग गई थी। वह अपनी चूत में उंगली भी करने लगी थी। अब उसे किसी भी तरह असली लंड चाहिए था, लेकिन साथ में सच्चा प्यार भी चाहिए था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे। वह अपने पापा और छोटे भाई को अब अलग नजरों से देखने लगी थी। उसे लगा कि वह कुछ ट्राई करे, लेकिन यह सब उसे मुमकिन नहीं लगता था।

स्मिता के पापा और छोटा भाई उससे बहुत अच्छे से पेश आते थे और उसे बहुत प्यार करते थे। उसे लगता था कि पापा के साथ यह सब बहुत मुश्किल और नामुमकिन था। इसलिए उसने सोचा कि क्यों न अपने छोटे भाई अरुण के साथ कुछ ट्राई किया जाए। उसके मन में बहुत घबराहट थी, लेकिन सेक्स की तड़प उससे कहीं ज्यादा थी। उसके दिमाग में अब सिर्फ सेक्स ही सेक्स था, और कुछ नहीं।

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रात को स्मिता, अंकिता और अरुण तीनों साथ सोते थे। अरुण सबसे छोटा था, इसलिए स्मिता को लगता था कि उसके साथ यह सब करना आसान होगा। उसने बहुत दिनों से अरुण का लंड नहीं देखा था। बचपन में तो उसने कई बार देखा था, लेकिन अब वह उसे अपनी चूत के अंदर चाहिए था। उसे नहीं पता था कि इस उम्र में उसका लंड खड़ा होता होगा या नहीं। वैसे आजकल लोग इस उम्र में मुठ मारना शुरू कर देते हैं, जैसा उसने एक कहानी में पढ़ा था। फिर एक रात को…

स्मिता ने अरुण से कहा, “अरुण, तुझे गणित में कुछ पूछना था न? तू आज मुझसे गणित की जो भी समस्या है, वो सब पूछ लेना। क्योंकि तीन दिन बाद तेरा एग्जाम है।”
अरुण ने जवाब दिया, “लेकिन दीदी, मुझे तो नींद आ रही है।”
स्मिता बोली, “नहीं अरुण, आज रात को दो चैप्टर खत्म करने पड़ेंगे।”
अरुण ने कहा, “ठीक है दीदी।”

स्मिता ने उसे बहुत देर रात तक पढ़ाया। अरुण पढ़ते-पढ़ते उसके बेड पर ही सो गया। उस समय बहुत गर्मी थी। अरुण ने बनियान और बरमूडा पहना हुआ था, और स्मिता ने टी-शर्ट और कैप्री। जब सबको नींद आ गई, तो स्मिता ने अरुण के लंड को देखकर अपनी चूत में उंगली करना शुरू कर दिया।

कुछ देर बाद स्मिता एक बार झड़ गई, लेकिन उसे अरुण के साथ कुछ करना था। उसे बहुत डर भी लग रहा था कि कहीं कुछ गलत हो गया तो क्या होगा। अगर अरुण ने माँ-पापा को बता दिया तो क्या होगा? फिर भी, वह हर रोज रात को अरुण के साथ देर तक पढ़ाई करती और वह उसके बेड पर ही सो जाता। स्मिता उसके लंड को देखकर अपनी चूत में उंगली करती थी।

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एक रात स्मिता ने थोड़ी हिम्मत जुटाई। उसने अरुण का एक हाथ पकड़ा और धीरे से उसे अपनी पेंटी के अंदर डाल दिया। फिर वह सोने का नाटक करने लगी। कुछ ही देर बाद उसने अरुण को जोर-जोर से हिलाना शुरू किया और उसे डाँटकर फटकारते हुए उठाया। स्मिता ने कहा, “अरुण, तेरा हाथ मेरी पेंटी में क्या कर रहा था? तुझे जरा सी भी शर्म नहीं आती? मैं तेरी बड़ी बहन हूँ और तू मेरे साथ यह सब कर रहा था!” अरुण उस समय गहरी नींद में था। वह बहुत डरकर धीरे से उठा और उसने अपना हाथ जल्दी से पेंटी से बाहर निकाल लिया। 

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अरुण ने कहा, “दीदी, यह मैंने नहीं डाला। मुझे माफ कर दो दीदी, अब ऐसा कभी नहीं होगा। मुझे नहीं पता यह कैसे हुआ। प्लीज आप किसी को मत बताना। माफ कर दो।”
स्मिता बोली, “अरुण, तू बहुत बिगड़ गया है। मैं सुबह होते ही माँ-पापा को सब बता दूँगी कि तू मेरे साथ क्या कर रहा था।”

अरुण यह सुनकर जोर-जोर से रोने लगा। स्मिता को उस पर दया आ गई। उसने अरुण को अपने गले से लगाकर चुप करवाया और कहा, “ठीक है, चल अब चुप हो। मैं किसी को नहीं बताऊँगी।” अरुण ने उसकी बात सुनकर एकदम चुप हो गया। फिर उसने कहा, “अब मैं आपके बेड पर कभी भी नहीं सोऊँगा।” स्मिता ने जवाब दिया, “तुझे यहीं सोना पड़ेगा, क्योंकि अगर तू नहीं सोया तो मैं माँ-पापा को सब कुछ बता दूँगी।” अगले दिन स्मिता ने उससे पूरे दिन पूछताछ की।

स्मिता ने पूछा, “अरुण, तू इतना बिगड़ कैसे गया? तुझे कौन बिगाड़ रहा है और तुझे यह सब कौन सिखाता है?”
अरुण ने जवाब दिया, “दीदी, मेरे दो-तीन फ्रेंड्स हैं। वो सब बहुत गंदी-गंदी बातें करते हैं। शायद उनके कारण मुझसे ऐसा हो गया। सॉरी दीदी।”
स्मिता बोली, “कोई बात नहीं।”
अरुण ने कहा, “लेकिन प्लीज आप किसी को मत बताना।”
स्मिता ने जवाब दिया, “ठीक है, लेकिन मेरी एक शर्त है कि तू मुझे वो सब बताएगा जो तेरे फ्रेंड्स तुझे बताते हैं।”
अरुण बोला, “दीदी, वो सब बहुत गंदी-गंदी बातें करते हैं। मुझे आपको बताने में भी शर्म आ रही है।”
स्मिता ने कहा, “तू नहीं बताएगा तो फिर तू जानता है कि मैं क्या कर सकती हूँ।”
अरुण ने हामी भरी, “ठीक है दीदी, मैं कल से आपको सब बातें बताऊँगा।”

धीरे-धीरे समय गुजरता गया। स्मिता और अरुण एक-दूसरे से बहुत खुल गए। अब अरुण स्मिता की हर बात मानने लगा था। स्मिता रात को उस पर पैर रखकर सोने लगी और अपने बड़े-बड़े बूब्स को उसके शरीर से छूने लगी। वह जानबूझकर कभी-कभी पेंटी और ब्रा भी नहीं पहनती थी। एक रात जब स्मिता अपनी चूत में उंगली कर रही थी, तभी अरुण जाग गया। स्मिता की आँखें बंद थीं। अरुण उसे देखकर बोला, “दीदी, यह क्या कर रही हो?”

स्मिता ने कहा, “अरुण, मुझे बहुत डर लग रहा है। प्लीज तू मुझे एक बार हग कर।” उस समय वह उंगली करते-करते झड़ने वाली थी, इसलिए उसकी स्पीड अपने आप बढ़ चुकी थी।
अरुण बोला, “क्या हुआ? ठीक है, मैं करता हूँ।”

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स्मिता ने भी उसे हग किया। वह भूल गई थी कि उसने पेंटी नहीं पहनी थी। वह अरुण पर ही झड़ गई और उसे मदहोशी में अपने दोनों पैरों के बीच दबा लिया। उसकी चूत का सारा पानी अरुण की अंडरवियर पर निकल गया।
अरुण ने कहा, “दीदी, आप पागल हो क्या? आपने यह क्या किया?”
स्मिता बोली, “चुपचाप रह। सब सो रहे हैं। थोड़ा धीरे बोल, वरना कोई उठ जाएगा।”
अरुण ने कहा, “दीदी, लेकिन यह सब गलत है।”
स्मिता ने जवाब दिया, “क्यों? तूने जो उस दिन किया था, क्या वो सही था?”
अरुण बोला, “दीदी, मैं उस दिन नींद में था, लेकिन आप तो जाग रही थीं।”
स्मिता ने पूछा, “क्या तुझे मेरे बूब्स देखने हैं?”
अरुण ने कहा, “दीदी, आप पागल हो क्या? आप मेरी बहन हो।”
स्मिता बोली, “लगता है तेरी शिकायत माँ-पापा से करनी पड़ेगी।”
अरुण ने शिकायत की, “यार दीदी, आप तो मुझे बहुत ब्लैकमेल कर रही हो।”

स्मिता उसके पास आई और उसने अरुण के हाथ अपने बूब्स पर लगवा दिए। अरुण को पहले बहुत अजीब लगा, लेकिन फिर उसने कहा, “दीदी, अंधेरा बहुत है। मुझे यह देखना है कि यह कैसे होते हैं, क्योंकि मैंने कभी नहीं देखे।” स्मिता ने जवाब दिया, “तू चिंता मत कर, मैं तुझे सुबह दिखा दूँगी। अभी तू इन्हें जोर से दबा।” अरुण ने वैसा ही किया। स्मिता को बहुत मजा आ रहा था।

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अरुण स्मिता के बूब्स को जोर-जोर से दबा रहा था। स्मिता अपनी चूत में उंगली करके झड़ गई। उस दिन स्मिता ने और कुछ नहीं किया। अगले दिन अरुण स्मिता के पास आया और बोला, “दीदी, प्लीज मुझे आपके बूब्स दिखा दो।” स्मिता ने कहा, “तू थोड़ा इंतजार कर। जिस दिन हम दोनों घर पर अकेले होंगे, तब मैं तुझे सब कुछ दिखा दूँगी।”

रात को अरुण ने खुद स्मिता की टी-शर्ट में हाथ डालकर उसके बूब्स को एक-एक करके जोश में आकर दबाने और मसलने लगा। स्मिता ने उससे पूछा, “क्या तू इन्हें टेस्ट करेगा?” अरुण ने साफ मना कर दिया। फिर स्मिता ने अपनी टी-शर्ट उतार दी और खुद ही उसे बारी-बारी से अपने बूब्स चूसाने शुरू कर दिए। अरुण बहुत अच्छी तरह से चूस रहा था। स्मिता को लग रहा था कि उसे बूब्स चूसना बहुत अच्छे से आता है। अब अरुण को भी बड़ा मजा आने लगा था।

स्मिता ने सोचा कि आज बहुत अच्छा मौका है। उसने अरुण से कहा, “अरुण, तू अपनी पैंट उतार दे।” अरुण ने मना किया, तो स्मिता ने जबरदस्ती उसकी पैंट उतार दी। उसकी अंडरवियर के ऊपर से ही स्मिता ने उसके लंड को हाथ लगाकर महसूस किया। अरुण का 4 इंच का लंड खड़ा हुआ था। उसे स्मिता से बहुत शर्म आ रही थी, लेकिन जोश भी चढ़ चुका था। फिर स्मिता ने सही मौका देखकर उसकी अंडरवियर भी उतार दी। वह भी पूरी नंगी हो गई। दोनों एक ही चादर के अंदर घुस गए। अरुण बहुत सोच रहा था कि अब वह क्या करे।

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स्मिता ने अरुण के लंड को अपने एक हाथ से छुआ और महसूस किया। दोस्तों, वह क्या अहसास था! स्मिता को बड़ा मजा आ रहा था। धीरे-धीरे अरुण को भी मजा आने लगा था। स्मिता ने अब उसके लंड को जोर-जोर से हिलाना शुरू किया। लेकिन उसने सिर्फ 3-4 मिनट तक हिलाया और अरुण उसके हाथ पर ही झड़ गया। उसे शर्मिंदगी महसूस हुई।

स्मिता ने अरुण का सारा वीर्य अपने हाथ से और उसके लंड से चाट लिया और उसे बहुत अच्छे से साफ कर दिया। अरुण ने कहा, “छी दीदी, यह तो मेरे लंड से निकला है।” स्मिता उसकी इस प्यारी बात से बहुत खुश हुई और उसने अरुण को चूम लिया। वह इतनी खुश थी कि बयान नहीं कर सकती थी।

स्मिता ने अपनी पूरी जीभ अरुण के मुँह में घुसा दी और उसकी जीभ को जमकर चूसा। इस जोश भरी चुम्मी के कारण अरुण का लंड फिर से तनकर खड़ा हो गया और स्मिता की चूत को सलामी देने लगा। लेकिन इस बार स्मिता ने कहा, “मैंने तेरा वीर्य चाटा है, अब तू अपनी जीभ से मेरी चूत चाटेगा।” अरुण ने साफ मना कर दिया।

स्मिता ने अरुण के मुँह को जबरदस्ती अपनी जाँघों से दबाकर उसका मुँह अपनी चूत पर धक्के मारने लगी। अरुण ने भी उसकी चूत में अपनी पूरी जीभ डालकर अंदर-बाहर करके चूसना शुरू कर दिया। स्मिता इतने ज्यादा जोश में थी कि बहुत जल्दी ही अरुण के मुँह में झड़ गई। अरुण ने उसका सारा रस चूस लिया और कहा, “दीदी, आपके पानी का स्वाद बहुत अच्छा लगा, लेकिन थोड़ा-थोड़ा नमकीन सा लगा।” स्मिता ने जवाब दिया, “रुक, मैं तुझे अभी और पिलाती हूँ।”

स्मिता को भी प्यास लगी थी। उसने अरुण का लंड अपने मुँह में लिया और चूसना शुरू किया। दोनों 69 पोजीशन में लेट गए। स्मिता ने उसका मुँह अपनी चूत से लगाकर जोर से दबा लिया। उसे 69 पोजीशन में बहुत मजा आया। कुछ देर बाद दोनों एक-दूसरे के मुँह में झड़ गए। फिर उन्होंने एक बहुत लंबा चुम्मा लिया और कपड़े पहनकर सो गए।

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स्मिता रात को अरुण की अंडरवियर में एक हाथ डालकर सोई थी। वह रात भर उसकी गांड की मालिश करती रही और उसके लंड की गर्माहट लेती रही। लेकिन अरुण थककर गहरी नींद में सो गया था। अगले दिन, जब पापा ऑफिस चले गए और मम्मी किसी काम से बाजार गईं, अंकिता स्कूल चली गई। स्मिता ने अरुण को रोक लिया। अरुण मान गया और समझ गया कि स्मिता ने उसे क्यों रोका है।

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स्मिता ने कहा, “अरुण, आज घर पर कोई नहीं है। हम दोनों अकेले हैं। आज तुझे जो करना है, वो कर। मैं मना नहीं करूँगी।”
अरुण स्मिता के पास आया और उसके बूब्स को कपड़ों के ऊपर से ही अपने दोनों हाथों से महसूस करने लगा। फिर उसने स्मिता की टी-शर्ट उतार दी। स्मिता ने टी-शर्ट के अंदर कुछ नहीं पहना था। जैसे ही टी-शर्ट खुली, उसके दोनों बूब्स अरुण की नजरों के सामने थे। अरुण ने उन्हें छूते ही उसका लंड खड़ा हो गया।

अरुण स्मिता के बूब्स को बहुत देर तक घूरकर देखता रहा। वह बहुत खुश था। फिर उसने अपने मुँह को आगे बढ़ाकर बूब्स को किसी छोटे बच्चे की तरह चूसना शुरू कर दिया। स्मिता ने कहा, “तू मेरे सामने पूरा नंगा हो जा।” अरुण को शर्म आ रही थी। स्मिता ने कहा, “जल्दी हो जा, नहीं तो कोई आ जाएगा।”

अरुण जल्दी से पूरा नंगा हो गया, लेकिन उसने अपने दोनों हाथों से अपना लंड छुपा लिया था। फिर स्मिता ने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए। अरुण उसकी चूत को एकटक नजर से देखने लगा। उसके खड़े लंड को देखकर स्मिता से रहा नहीं गया। उसने थोड़ा नीचे झुककर अरुण का तना हुआ लंड पूरा मुँह में लिया और लॉलीपॉप की तरह चूसा। लेकिन अरुण दो-तीन मिनट में ही झड़ गया।

स्मिता ने भी अरुण से अपनी चूत चटवाई। अरुण ने चूत चाटते हुए कहा, “कल तो आपकी चूत पर बहुत सारे बाल थे, लेकिन आज वो सब कहाँ गए?” स्मिता ने जवाब दिया, “आज मेरे भाई को दिखाने के लिए मैंने वो सब साफ कर दिए।” अरुण ने बहुत अच्छे से स्मिता की कामुक चूत को चाटा। फिर स्मिता ने उसे अपनी चूत का छेद दिखाया और कहा, “अब तेरा लंड इसमें जाएगा।” अरुण को कुछ समझ नहीं आया। स्मिता ने कहा, “तू थोड़ा रुक जा, अभी सब समझ में आ जाएगा।”

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स्मिता ने अपने बदन को अरुण के बदन से सटाकर उसे चूमना शुरू किया। अरुण भी जोश में था। वह बहुत ज्यादा गर्म था। उसका लंड फिर से खड़ा हो गया। स्मिता ने अरुण को बेड पर लिटा दिया और उसके पूरे शरीर को चूमते हुए उसके लंड को चूमा। अरुण के लंड से थोड़ा वीर्य निकल रहा था। स्मिता ने उसे चाटा। उसका स्वाद बड़ा नमकीन सा था। फिर स्मिता ने उसके लंड पर अपनी चूत का छेद रखा और एकदम सीधी लेट गई।
उसे और अरुण, दोनों को थोड़ा-थोड़ा दर्द हुआ। अरुण का लंड बार-बार फिसल रहा था। स्मिता ने कहा, “तू भी अब नीचे से धक्का मारना।” अरुण ने वैसा ही किया। फिर स्मिता की चूत में उसका लंड घुस गया। अरुण ने कहा, “दीदी, आपकी चूत अंदर से बहुत गर्म है।” उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। स्मिता ने जोश में बहुत जोर-जोर से अपनी चूत को धक्के मारे। अरुण ने भी अपनी तरफ से धक्के मारे। कुछ देर बाद दोनों एक-एक करके झड़ गए। अरुण को बहुत मजा आ रहा था।

यह उनका पहला सेक्स था। स्मिता के बिना यह सब कैसे होता? लेकिन अब अरुण उसके कंट्रोल से बाहर था। अब स्मिता रोज सुबह उसे अपने बूब्स चूसने देती थी। अरुण भी सेक्स के बारे में बहुत कुछ सीख चुका था। स्मिता उसकी दीवानी हो चुकी थी। उसे अरुण बहुत अच्छा लगता था। वह उसकी बहुत परवाह करती थी। अरुण रोज रात को स्मिता के बूब्स चूसते-चूसते सो जाता था। उसे स्मिता की चूत का पानी पिए बिना नींद नहीं आती थी। स्मिता को भी अरुण का वीर्य पीने की आदत लग चुकी थी।

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