निकिता का चुदाई ट्राइएंगल 2 – मेरी मुस्लिम शादी

Muslim Sex Story: हैलो दोस्तों, मैं निकिता हूँ, और मैं आपका स्वागत करती हूँ मेरी नई कहानी में। मेरी पिछली कहानी(निकिता का चुदाई ट्राइएंगल – दो बॉयफ़्रेंड) में आपने पढ़ा कि कैसे समीर ने केशव को बॉक्सिंग में हराया था और मैं अब समीर की हो चुकी थी।

उस रात, मेरा प्यार केशव बेहोश पड़ा था, और उसके बगल में मैंने अपने नए मुस्लिम बॉयफ्रेंड समीर से रात भर चुदती रही । यह एक अनोखा और शानदार अनुभव था, जो इतना शानदार था कि मैं सब शर्म, हया और हिचकिचाहट भूलकर बस समीर के मुस्लिम लण्ङ का मज़ा लेना चाहती थी।

 

सुबह जब केशव ने मेरी चूत पर किस किया मुझे केशव के लिए बुरा लगा क्योंकि पूरी रात मेरी चूत में समीर का लण्ङ था । पर फिर मै सब भूल कर दोबारा सो गई ।

 

अब हमारा रिश्ता थोड़ा आगे बढ़ने लगा था।

 

समीर के साथ मुझे बहुत मजा आ रहा था। हमने कई बार कॉलेज में ही डेस्क पर सेक्स किया, जो हमारे रिश्ते को और भी गहरा और मजबूत बना दिया। हम डर्टी गेम्स खेलते थे, जैसे टीचर के सामने किस करना, या मेरा कॉलेज में बिना पैंटी पहने जाना ये सब चैलेंज देना समीर को बहुत पसंद था। समीर के साथ बिताए हर पल मुझे यादगार लगते थे, और मैं उनके साथ और भी समय बिताना चाहती थी।

समीर अब मेरे घर आने लगा था, और हम घर पर खूब मस्ती और सेक्स करते थे। केशव तो मेरी माँ की इज्जत करता था, पर समीर माँ के सामने भी मुझे नहीं छोड़ता था। वह क्योंकि ओपन माइंडेड था और थोड़ा बदतमीज़ भी, वह माँ के सामने भी डर्टी बातें कर लेता था। समीर मुझे चोदने के बाद भी मेरे घर में नंगा घूमता रहता था, जो माँ को बिल्कुल पसंद नहीं था।

 

मां को समीर का लण्ङ बहुत भद्दा लगता था जबकि मुझे वह बहुत अच्छा और यूनिक लगता था ।

 

माँ कई बार उसे इस बारे में टोकती थीं, लेकिन समीर हमेशा मुस्कराकर बोलता था, “अरे, माँ, आपको तो सब कुछ पता ही है तो क्यों छुपाना?” माँ को यह बातें पसंद नहीं थीं, लेकिन मैं जानती थी कि समीर मुझसे प्यार करता है और वह मुझे अपनी ज़िंदगी का सबसे अहम हिस्सा बनाना चाहता था।

समीर अब जब कॉलेज खत्म कर चुका था और अपनी नौकरी में व्यस्त हो गया था, तो हमारी ज़िंदगी में थोड़ा बदलाव आ गया था। पहले हम हमेशा एक-दूसरे के साथ होते थे, लेकिन अब समीर का समय कम हो गया था।

 

मुझे ऐसा लगता था कि वह मुझे पहले जैसा समय नहीं दे पा रहा था। हमारे बीच जो प्यार और नज़दीकी पहले थी, वह अब धीरे-धीरे कम हो रही थी। यह बदलाव मुझे बहुत परेशान कर रहा था, क्योंकि रिश्ता पहले जितना खास था, अब उतना नहीं लग रहा था।

हमारी सेक्स लाइफ भी अब वैसी नहीं रही थी। पहले जो रोमांस था, अब वह कुछ फीका सा लगने लगा था। हमारी रातों में अब वो मस्ती और जुनून नहीं था।

 

“एक दिन, मुझे लगा कि हमें पुराने दिनों की तरह समय बिताने के लिए कहीं बाहर जाना चाहिए। मैंने इस खास मौके के लिए एक खूबसूरत स्वीटहार्ट नेक बॉडीसूट पहना, जो मेरी फिगर को पूरी तरह से उभार रहा था। ड्रेस की हार्ट-शेप्ड नेकलाइन मेरी गर्दन के चारों ओर एक सॉफ़्ट और ग्रेसफुल आकार बना रही थी, जो बहुत ही आकर्षक लग रही थी।

इस ड्रेस में मेरे कूल्हे और बूब्स का आकार बेहद खूबसूरत तरीके से उभरा था और आधा हिस्सा तो दिख ही रहा था, जो मुझे एक सेक्सी लुक दे रहे थे। हर एक सिल्हूट, हर एक वक्र, मुझे और भी खूबसूरत और आकर्षक बना रहे थे। मैंने अपने बाल खुले रखे थे, जो मेरी पीठ पर लहरा रहे थे ।

मैं सच में खुद को बेहद खूबसूरत और आकर्षक महसूस कर रही थी, और इस दिन को समीर के साथ खास बनाने के लिए तैयार थी और सोच रही थी कि वो तुरंत ही मुझे चोदने लगेगा।”

लेकिन मुझे महसूस हुआ कि समीर पहले जैसा ध्यान नहीं दे रहा था। वह अपने फोन में खोया हुआ था और बस कुछ हल्की-फुल्की बातें करता जा रहा था। मुझे यह महसूस हुआ कि वह पहले जैसा उत्साहित और मेरे लिए खास नहीं था। मेरी सारी कोशिशों के बावजूद, उसने मेरी ओर ध्यान नहीं दिया।

तभी मैंने उसे कहा, “समीर, क्या हो गया है? तुम पहले जैसा ध्यान नहीं देते। मैंने तुम्हारे लिए खास ड्रेस पहनी थी, और तुम तो बस… बस काम में ही लगे हो।”

समीर ने मुझे देखा, और उसकी आँखों में थोड़ी सी शर्मिंदगी थी। फिर उसने मुझे अपनी ओर खींचा और और जोरदार किस किया और कहा, “निकिता, मुझे समझ में आ गया। मुझे पता है कि मैं तुम्हारे लिए उतना समय नहीं दे पा रहा, जितना तुम डिजर्व करती हो। लेकिन यकीन करो, मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ। काम के कारण थोड़ा व्यस्त हो गया हूँ, लेकिन मैं जल्दी ही सब कुछ ठीक करूंगा।”

उसकी आँखों में सचाई थी, और मुझे एहसास हुआ कि समीर की चिंता केवल काम को लेकर थी, और वह मुझसे अब भी उतना ही प्यार करता था। मुझे थोड़ा और समझदारी से काम लेना था, ताकि हम दोनों फिर से वह पुराना रिश्ता बना सकें जो हम चाहते थे।

 

कुछ दिन बाद, समीर ने मुझे इंडिया गेट ले जाकर अचानक मुझसे कहा, “निकिता, क्या तुम मुझसे शादी करोगी?” मैं पूरी तरह से चौंक गई और कुछ पल के लिए चुप रही, लेकिन फिर मैंने बिना सोचे-समझे हां कह दी।

घर लौटते ही, मैंने माँ को सब बताया। माँ का गुस्सा फूट पड़ा। वह चिल्लाते हुए बोलीं, “तू पागल हो गई है क्या? वह मुस्लिम है! तुझे पता भी है कि तुझे क्या सहना पड़ेगा? तुझे बुर्का पहनना पड़ेगा, 12 12 बच्चे पैदा करने पड़ेंगे और तेरे बच्चे भी मुस्लिम होंगे, और तुझे उनका हर नियम मानना पड़ेगा। तेरी पूरी ज़िंदगी बर्बाद हो जाएगी। तू यह सब कैसे सह पाएगी?” उनकी आवाज़ में गुस्सा और चिंता दोनों थे।

 

मैंने बहुत समझाने की कोशिश की, “माँ, मैं समीर से बहुत प्यार करती हूं, और मुझे यकीन है कि समीर अलग है, और ऐसा कुछ नहीं होगा । अगर आप मुझसे हां नहीं कहेंगी, तो मैं उसे छोड़ नहीं सकती।” लेकिन माँ की चिंता खत्म नहीं हुई, और उन्होंने मेरी बात सुनने से इंकार कर दिया।

मैंने माँ से कहा, “माँ, मेरी बात नहीं सुननी तो मत सुनो, लेकिन याद रखना मैं समीर को नहीं छोड़ने वाली हूँ।

हम दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं और सिर्फ फालतू के डर की वजह से मैं उसे छोड़ नहीं दूंगी।

तुम्हें लगता है कि मैं बुर्का पहनने के लिए मजबूर हो जाऊंगी? तो बुर्का तो छोड़ो, जब तक आप हमारे रिश्ते के लिए नहीं मान जाती मैं कुछ भी नहीं पहनूंगी।

मैं नंगी रहूंगी और घर से बाहर नहीं निकलूंगी। मैं अपने प्यार के लिए यह सब कर सकती हूँ।

आप मुझे समझा सकती हैं, डांट सकती हैं, मुझसे नाराज हो सकती हैं, लेकिन मैं समीर को नहीं छोड़ूंगी।

अगर आपको मेरी परवाह है, तो मेरे इस फैसले में मेरा साथ दीजिए, वरना मैं अपनी जिद पर अड़ी रहूंगी, चाहे कुछ भी हो जाए!”

 

माँ ने पूरे हफ्ते न तो हाँ कहा, न ही ना। मैं उनकी तरफ देखती रही, हर दिन उम्मीद करती कि वो मेरी बात समझेंगी, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। अब मुझे अपनी बात पर कायम रहना था, जैसा मैंने कहा था।

मैंने अपने कपड़े उतार दिए और नंगी ही घर में घूमने लगी। मैंने कोई कपड़ा नहीं पहना, बस नंगी ही रही। माँ ने जब मुझे इस हालत में देखा, तो वह सन्न रह गईं, उनकी नजर उस छल्ले पर गई जो मै अपनी चूत पर पहनती हु और वो सकपका गई। उनकी आँखें हैरानी से फैल गईं, और चेहरे पर गुस्सा और घबराहट एक साथ नजर आई।

“बेटी, ये क्या कर रही है तू?” उनकी आवाज में झुंझलाहट थी। मैंने कोई जवाब नहीं दिया, बस उनकी आँखों में देखती रही। उन्होंने एक शॉल से मेरे नंगे बदन को ढकने की कोशिश की, पर मैंने उसे फेक दिया।

 

“जब तक आप हाँ नहीं कहेंगी, मैं ऐसा ही रहूंगी।” मैंने कहा।

माँ का गुस्सा बढ़ता जा रहा था। उन्होंने मेरे एक चूचे को हाथ में लिया और बोली ये अब बड़े हो चुके है जवान हो गई है तू, कोई बच्ची नहीं है जो नंगी घूम सकती है, मुझे खूब समझाने की कोशिश की, डांटा, गुस्सा किया, यहाँ तक कि मुझसे बात करना भी बंद कर दिया। लेकिन मैं टस से मस नहीं हुई। दो-तीन दिन तक यही चलता रहा, मैं नंगी ही घर में घूमती रही, कोई कपड़ा नहीं पहना।

माँ हर बार मुझे देखतीं, तो मै आप जान कर थोड़ा जोर लगा कर चलती ताकि मेरे बूब्स उन्हें हिलते हुए दिखे, जब ये होता तो उनकी आँखों में गुस्से से ज्यादा चिंता होती। वह कुछ कहतीं, फिर चुप हो जातीं। शायद उन्हें लगने लगा था कि मैं अपनी जिद से पीछे नहीं हटूंगी। आखिरकार, चौथे दिन उन्होंने हार मान ली।

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उन्होंने गहरी सांस लेते हुए कहा, “ठीक है, निकिता, अगर तुझे इस रिश्ते में इतनी ही खुशी मिलती है, तो मैं तुझे रोकूंगी नहीं। पर याद रख, यह तेरा फैसला है, और इसकी जिम्मेदारी भी तुझे ही उठानी होगी।”

 

मैंने माँ को कसकर गले लगा लिया। मुझे पता था कि उन्होंने यह फैसला आसानी से नहीं लिया, लेकिन आखिरकार, मेरे प्यार की जीत हुई थी।

 

समीर के परिवार को मुझसे कोई दिक्कत नहीं थी। वो लोग बिना किसी परेशानी के हमारी शादी के लिए तैयार हो गए। लेकिन एक चीज़ ने मुझे थोड़ा परेशान कर दिया था—उनका रहन-सहन।

 

उनका परिवार बहुत गरीब था, और 18 लोग एक छोटे से 3BHK में रहते थे। मुझे अपनी प्राइवेसी को लेकर थोड़ी चिंता थी, लेकिन समीर ने मुझे भरोसा दिलाया, “तुम चिंता मत करो, निकिता। मेरी नौकरी अच्छी है, और हम शादी के बाद जल्दी ही एक बड़ा घर ले लेंगे।”

मैने इतनी मुश्किल से माँ को मनाया था, तो अब मैं पीछे नहीं हट सकती थी। अब मुझे ये समझ में आ गया था कि रिश्ते में प्यार और विश्वास ही सबसे ज़रूरी होते हैं। समीर का परिवार भले ही गरीब था, लेकिन वहां प्यार और एकता थी। वे सब एक साथ रहते थे, क्योंकि वे एक-दूसरे से बहुत प्यार करते थे और परिवार की तरह जुड़े हुए थे।

समीर के परिवार में तीन बड़े भाई थे, दो बहनें—जिनमें से एक अपने पति के साथ वहीं रह रही थी—और उनके माता-पिता। उनकी एक बहन तलाकशुदा थी, जो वापस घर आ गई थी। घर का बँटवारा भी अजीब था—एक कमरा माता-पिता का था, दूसरा कमरा एक भाई और बहन अपने परिवार के साथ शेयर कर रहे थे, और तीसरा कमरा दो भाइयों के हिस्से में था। और हॉल में? वहाँ समीर और उसकी तलाकशुदा बहन सोते थे।

यह सब सुनकर मुझे थोड़ा असहज लगा था। इतने लोगों के बीच नई ज़िंदगी शुरू करना इतना आसान नहीं था। ऊपर से समीर के भाइयों की दो-दो पत्नियाँ थीं, जो मुझे और भी असहज कर रही थीं। मैंने समीर से कह दिया, “देखो, समीर, मैं तुम्हारे परिवार को अपनाने के लिए तैयार हूं, लेकिन एक बात साफ़ समझ लो—मैं तुम्हें अपने भाइयों की तरह दूसरी शादी करने की इजाजत कभी नहीं दूँगी। अगर तुम मुझसे शादी कर रहे हो, तो पूरी ज़िंदगी सिर्फ मेरी होगी।”

समीर ने बिना एक पल सोचे कहा, “निकिता, तुमसे ज्यादा मेरे लिए कुछ नहीं है। मेरे लिए सिर्फ तुम हो, और कोई नहीं।”

 

इसके बाद समीर के पिता हमारे घर आए, ताकि हमारी शादी के बारे में फाइनल फैसला लिया जा सके। माँ को इस रिश्ते से पूरी तरह से सहमति नहीं थी, लेकिन मेरी ज़िद के कारण आखिरकार उन्हें मानना पड़ा।

जैसे-जैसे हमारी शादी का दिन नजदीक आ रहा था, समीर के परिवार के साथ हमारे रिश्ते अच्छे होते जा रहे थे। शादी की तैयारियों में सबकी मदद से, हम दोनों के परिवार एक-दूसरे के साथ अच्छी तरह से तालमेल बैठा रहे थे। हमारे परिवारों के बीच यह तय हुआ कि हमारी शादी हिन्दू रीति-रिवाजों के अनुसार होगी, और मैंने यह भी तय किया कि शादी के बाद मैं मंगलसूत्र पहनूंगी और मांग भरूंगी।

आखिरकार वह दिन आ ही गया, जब मैंने समीर से शादी कर ली। मैं बहुत खुश थी कि मैंने अपने प्यार से शादी की थी।

शादी के बाद हमने गोवा में एक शानदार हनीमून मनाया। गोवा के सुंदर बीच पर हमने समय बिताया, जहाँ मैंने अपनी छोटी और सुंदर बिकिनी पहनी थी। मेरी ज्यादातर बिकिनी काफी छोटी और सीसी थीं, जो मेरे आकर्षक शरीर को और भी आकर्षक बना रही थीं।

मेरी दो फेवरेट बिकिनी थीं – स्ट्रैपलेस और ट्राएंगल। स्ट्रैपलेस बिकिनी में कोई स्ट्रैप नहीं होता है, जो मेरे कंधों को पूरी तरह से खुला छोड़ देता था। इसमें मेरे बूब्स ऐसे दिखते हैं जैसे कोई गिफ्ट पैक किया हो। लेकिन इसकी पैंटी काफी छोटी थी, जो मेरे कूल्हों को पूरी तरह से ढक नहीं पाती थी। मेरे कूल्हे पैंटी से बाहर ही थे।

ट्राएंगल बिकिनी में त्रिभुज आकार के कपड़े होते हैं, जो मेरे स्तनों को और भी आकर्षक बना रहे थे। इस बिकिनी में मेरी पूरी क्लीवेज दिखती थी, और आधे बूब्स भी दिखते थे। मैंने सोचा कि जब बिकिनी ही पहननी है, तो वो पहनो जो मन भाए। इसलिए मैंने अपनी पसंदीदा बिकिनी पहनी, जो मुझे बहुत पसंद थी।

 

मैंने अपनी बिकिनी में समुद्र के किनारे चलने का आनंद लिया और पानी में मस्ती भी की, जहाँ सभी लड़कों की नजर मुझ पर थी। मुझे लगा समीर गुस्सा करेगा कि पब्लिक बीच पर ऐसी बिकिनी क्यों पहनी, पर उसे कोई फर्क नहीं पड़ता था। बल्कि उसे घमंड था कि उसकी बीवी को देखकर किसी का भी लण्ङ खड़ा हो जाए ।

अपने होटल के कमरे में घंटों तक खरगोशों की तरह चुदाई करते हुए हमने 3 दिन के हनीमून में 18 कंडोम इस्तेमाल किए।

 

मैंने अपनी माँ को शायद ही कभी फोन किया हो, क्योंकि मेरे फोन में तो समीर हमेशा हमारी चुदाई की वीडियो रिकॉर्ड करता रहता था ताकि ये हनीमून याद रहे कि हमने कैसे कैसे सेक्स किया था मुझे भी इसमें मजा आ रहा था।

 

साथ ही समीर ने मेरी बहुत सारी फोटोज खींची कभी बिकिनी में तो कभी जब मैं बिना कपड़ों के नहा कर निकलती थी या जब जब मैं नंगी ही सोई होती थी तो वो फोटो क्लिक कर लेता था, जो सब उसके मासूम प्यार का हिस्सा था।

 

आने से पहले मुझे एक मस्ती सूझी और बीच पर जहां कोई नहीं था बिकिनी उतार कर से अपनी चूत ढकते हुए समीर से फोटो खिंचवाई। ताकि मेरी सहेलियों को झूठ बोल सकू की हम न्यूड बीच पर गए थे ।

 

जब मैं ससुराल पहुंची, तो मेरी सास ने मेरी खातिर एक जगह बनाने की कोशिश की। उन्होंने अपनी बेटी नगमा और उसके परिवार को हॉल में समीर की तलाकशुदा बहन जन्नत के साथ शिफ्ट करने के लिए कहा। फिर हमें वो छोटा सा कमरा मिल गया, लेकिन कमरे में बिस्तर नहीं था, और हमें फर्श पर सोने के लिए जगह दी गई। यह सब देखकर मेरा दिमाग खराब हो रहा था ।

उसका भाई अपनी 2 पत्नियों और 2 बच्चों के साथ पहले से ही यहाँ बसा हुआ था… हमें सोने के लिए एक छोटा सा कोना मिला। मैं इतनी नाराज़ थी कि मैंने समीर  से पूछा कि क्या हम माँ के साथ तब तक रह सकते हैं जब तक वह नया घर नहीं खरीद लेता, लेकिन उसने मना कर दिया और बोला कि वह किसी के आगे हाथ नहीं फैलाएगा।

 

मुझे खाना बनाने के लिए नहीं कहा गया क्योंकि दूसरी महिलाएँ ऐसा करती थीं।

 

घर में मुझे वो सारी सुविधाएं नहीं मिल रही थीं, जिनकी मुझे आदत थी। ना तो मेरे पास कोई चेंजिंग रूम था और ना ही बाथरूम ठीक से इस्तेमाल करने के लायक था, क्योंकि वो गीला पड़ा था। मैं सोच रही थी कि मुझे शादी से पहले ये सब देख लेना चाहिए था, लेकिन अब तो देर हो चुकी थी।

मैं आमतौर पर शॉर्ट गाउन या स्लीप शर्ट/शॉर्ट्स पहनती हूं, लेकिन अब यहां इस माहौल में ऐसा करना नामुमकिन सा लग रहा था। समीर के भाई और उनकी फैमिली के बीच ऐसा करना मुझे बिल्कुल सही नहीं लग रहा था। मैंने समीर से पूछा कि मैं इस परेशानी से कैसे बच सकती हूं, तो उसने मुझसे कहा कि कमरे में सबसे आखिर में जाकर कपड़े बदल लेना। मैंने उसकी बात मानी और सोचा कि शायद यही सबसे अच्छा तरीका होगा।

मेरी नई भाभी ने अपने बच्चों को नंगा कर दिया और उन्हें सोने के लिए कहा… समीर के भाई अपने अंडरवियर में ही कमरे में आया, जो वी-शेप में था। मैं चौंक गई और मैंने अपना चेहरा समीर की ओर घुमाया, जो वापस मुस्कुरा रहा था।

 

मुझे बहुत हैरानी हुई क्योंकि बच्चे इतने छोटे भी नहीं थे कि नंगे होकर सोए। मुझे लगा कि कम से कम बेटी को तो कपड़ों में ही सुलाना चाहिए।

समीर की तरह समीर के भतीजे का लण्ङ भी कटा हुआ था और एकदम सीधा था मुझे लगा कि ये शायद इतना छोटा नहीं है कि नंगा सोए।

दोनों बच्चे प्यार से पापा के अगल-बगल सो गए, जो उन्हें प्यार से देख रहे थे। मुझे लगा कि यह एक सामान्य परिवारिक दृश्य है, लेकिन मेरे मन में अभी भी कुछ सवाल थे।

 

तभी मेरी पीठ पीछे कुछ हुआ और समीर ने मुझे पीछे देखने और जाकर कपड़े बदलने को कहा। मैंने पीछे देखा और देखा कि दोनों भाभियाँ अपने कपड़े उतार रही थीं। जब भाभी ने अपनी पैंटी उतारी, तो मुझे लगा कि उन्होंने गलती से उतार दी है। मैं बोलने वाली थी कि “भाभी, आपकी पैंटी उतर गई है”, इतने में दूसरी भाभी भी पूरी नंगी हो गई। दोनों भाभियाँ पूरी तरह से नंगी होकर सोने की तैयारी कर रही थीं। जब मैंने भाभी की ओर देखा तो उन्होंने मुझसे कहा कि चिंता मत करो निकिता, हम ऐसे ही सोते हैं।

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मैं हैरान थी कि जहां मेरी माँ को बुर्के का डर था, वहीं यह फैमिली इतनी ओपन-माइंडेड है। मुझे यह देखकर बहुत आश्चर्य हुआ और मैं समझ नहीं पाया कि यह परिवार कैसे इतनी आसानी से नग्नता के साथ रहता है।

मैं सब कुछ इग्नोर करके आगे बढ़ी, अपनी स्लीप शर्ट उठाई, बाथरूम में गई और वापस आई। जब मैं कमरे में आई, तो मैंने उनकी ओर देखा नहीं और शर्म से सिर झुका कर समीर की तरफ मुड़ गई। वह मेरी हालत समझता था और धीरे से मेरे कान में हंसा। हम एक-दूसरे के कानों में धीरे-धीरे बात कर रहे थे। ,तभी मैंने सुना कि मोम्स उफ़ और आहह … मेरी पीठ से ..

मैंने समीर को और कसकर गले लगाया और उसने कहा कि प्रतिक्रिया मत करो, बस आनंद लो। भाई मेरी पीठ के पीछे भाभी को चोद रहा था, वे मेरे इतने करीब थे कि भाभी का हाथ अक्सर मेरी पीठ को छूता था। इस बीच समीर ने अपना हाथ मेरी स्लीप शर्ट के नीचे डाल दिया था और मेरी चूत को रगड़ रहा था।

मैं बहुत शर्मिंदा थी क्योंकि मुझे पता था कि उसका भाई मेरी टांगों मेरी गांड़ और चूत का पूरा नज़ारा देखेगा। मैंने समीर से इस पर आपत्ति जताई लेकिन वह अलग मूड में था… पिछले 20 मिनट से चुदाई की आवाज़ ने मुझे भी गर्म कर दिया था और मैंने उसे छूने की अनुमति दे दी।

जब समीर का भाई एक राउंड सेक्स कम्प्लीट कर चुका था और मैं वापस सोने जा रही थी, तो समीर अचानक उठ खड़ा हुआ, उसका हाथ अभी भी मेरी चूत पर था और उसने अपने भाई से कंडोम देने को कहा। मैं समीर की बेशर्मी भरी बातें देखकर अवाक रह गई। उसके भाई ने भी जवाब दिया, “ऐसे ही कर ले ना, क्यों कंडोम मांगा?” लेकिन समीर ने कहा, “कंडोम सही रहता है मुझको।” जिस पर उसने भाभी से अलमारी से समीर को कंडोम देने को कहा।

भाभी ने पूछा, “कौन सा फ्लेवर लेना है?” तो समीर ने मुस्कराते हुए कहा, “निक्की से पूछ लो।” लेकिन समीर के भाई ने हस्तक्षेप किया और कहा, “वो थोड़ी बताएगी तू एक्स्ट्रा डॉटेड वाला कोई भी दे दे।”

 

मैं वाकई शर्मिंदा थी, मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं ऐसी स्थिति में आऊँगी जहाँ 3 लोग चर्चा कर रहे थे कि मुझे कंडोम से चोदना चाहिए या नहीं। वैसे भी, समीर ने कंडोम लिया और उसने मेरी शर्ट पूरी तरह से उतार दी और मैंने अपने हाथों से जितना हो सका छिपाने की पूरी कोशिश की … और अमीर ने मुझे बहुत ज़ोर से चोदना शुरू कर दिया, मैं भी अपना होश खो बैठी और अपने हाथ हटा लिए …

मैं सेक्स में नई नहीं थी, मेरे उफ्फ़ और आआहा पर थोड़ा नियंत्रण था और मुझे और चोदो… मैं सेक्स में बहुत ज्यादा मुखर थी, जब उसने अपनी चुदाई थोड़ी धीमी कर दी तो मुझे एहसास हुआ कि दोनों भाभियाँ और भाई हमारा चुदाई शो देख रहे थे और मुस्कुरा रहे थे, मैंने बस अपना सिर समीर की छाती में छिपा लिया क्योंकि उसने मुझे फिर से पूरी गति से चोदना जारी रखा, अंततः 20-25 मिनट के उच्च वोल्टेज सेक्स के बाद वह समाप्त हो गया और मैं बिना खुद को ढके लेट गई।

फिर भाभी ने मेरे कंधे पर थपथपाया और मुझे पानी का गिलास देने की कोशिश की जिसे मैंने खुशी से ले लिया। मैं भाई से नज़रें नहीं मिला पा रही थी, मैं नीचे देखती रही क्योंकि उसे पहली बार मुझे नंगी देखकर मज़ा आ रहा था। उसने मेरी उदासीनता के बावजूद समीर के साथ हमारे सेक्स पर भी चर्चा की… तुम्हें यह करना चाहिए था।

इससे लंबे समय तक सेक्स करने में मदद मिलती है। मैं खुश नहीं थी और मैंने आमिर से कहा कि यह आखिरी बार है जब उसने मेरे साथ सेक्स किया है और कोई देख रहा है, जिस पर उसने कोई जवाब नहीं दिया, बस मुझे गले लगाया मैने अपने कपड़े पहने और हम सो गए।

 

एक घटनापूर्ण शर्मनाक रात के बाद, मैं सुबह उठने वाली आखिरी व्यक्ति थी। भाभी का बेटा मेरे आस पास घूम रहा था, जिससे मैं जाग गई। वह अभी भी नंगा था और अपने नुनु के साथ खेल रहा था। मैंने कमरे में देखा और पाया कि सभी लोग पहले से ही उठकर जा चुके थे। रविवार होने के कारण मुझे उम्मीद थी कि सभी हॉल में होंगे, लेकिन ऐसा नहीं था। सुबह के 7:30 बज रहे थे और मैं उठने ही वाली थी कि भाभी कमरे में आईं। वे नाइटी की तरह एक बुर्का पहने हुए थीं, बुर्के का कपड़ा पतला होने की वजह से पता चल रहा था कि उन्होंने अंदर और कुछ नहीं पहना था।

मैं उन्हें देखकर थोड़ा आश्चर्यचकित हुई, लेकिन उन्होंने मुझे ऐसे देखा जैसे कि यह कोई बड़ी बात नहीं थी। उन्होंने मुझसे कहा, “गुड मॉर्निंग, निक्की। तुम्हारी रात कैसी रही?” मैं उनकी बातों को सुनकर थोड़ा शर्मिंदा हो गई और मैंने उनसे कहा कि ठीक थी।

 

समीर कमरे में आया और मेरी स्लीप शर्ट के ऊपर के बटन खोल दिए और तुरंत मुझे एक गर्म किस किया, पहले मेरे एक चूचे पर और फिर दूसरे चूचे पर, जिससे मेरे शरीर में एक अजीब सी गर्मी महसूस हुई। उसके बाद उसने मुझे कहा, “गुड मॉर्निंग, निक्की। बाहर आ जाओ।” मैंने उससे कहा कि पहले मुझे कुछ कपड़े पहनने दो लेकिन उसने कहा कि चिंता मत करो, जैसे हो वैसे ही बाहर आ जाओ। मैंने कहा कि मैं अधनंगी हूँ और हंस दी, लेकिन वह नहीं हंसा।

 

वह चाहता था कि मैं अधनंगी ही बाहर आ जाऊं, उसके हाथ खींचने के बावजूद मैंने अपनी स्लीप-शर्ट के बटन बंद किए, लेकिन मैं अभी भी नीचे से बॉटमलेस थी।

 

लेकिन जब मैं हॉल में पहुंची, तो मुझे एक बड़ा आश्चर्य हुआ। सभी बहनें शॉर्ट्स में थीं, जबकि भाभियाँ बिना ब्रा और पैंटी के बुर्का पहने थीं। बुर्के का कपड़ा बहुत पतला था, जिसके कारण सब कुछ दिखाई दे रहा था। सबसे बड़ी भाभी के निप्पल साफ़ दिख रहे थे, जो मुझे थोड़ा अजीब लगा। यह दृश्य मुझे थोड़ा अजीब लगा, लेकिन मैं कुछ नहीं कह पाई। मैं बस वहीं खड़ी रही, अपनी स्लीप-शर्ट को पकड़े हुए, और यह सोचते हुए कि मैं क्या करूँ।

 

मुझे अपनी नंगी जांघें और पैर सबको दिखाने में शर्म आ रही थी, लेकिन वे मेरे नीचे से ठीक थे। मेरी सास ही एकमात्र ऐसी थी जिसने ठीक से कपड़े पहने थे, क्योंकि उसे सभी दरवाज़ों की घंटियाँ बजानी थीं। मैंने अपनी चाय ली और उसके बगल में बैठ गई, उम्मीद करते हुए कि यह दिन जल्दी से जल्दी बीत जाएगा।

लेकिन मेरी उम्मीदें जल्दी ही टूट गईं जब भाभी ने बेशर्मी से बताना शुरू किया कि कैसे समीर और मैंने कल रात सेक्स किया और मैं सेक्स में कितनी मुखर हूँ। मैं शर्म से लाल हो गई और अपनी आँखें नीचे कर लीं, लेकिन सभी हँसे और मुझे और समीर को चिढ़ाया। यह एक बहुत ही अजीब और असहज स्थिति थी, और मैं बस यही सोच रही थी कि यह जल्दी से जल्दी खत्म हो।

 

सुबह की चाय खत्म होते ही सब धीरे-धीरे नहाने चले गए और अच्छे से तैयार हो गए। मैंने भी अपनी साड़ी पहनी और तैयार हो गई। अब मुझे थोड़ा समझ आने लगा था कि यहां का माहौल कैसा है—रात में लोग आराम से नंगे होकर सोते हैं, सुबह उठकर थोड़े मोडे कपड़ों में चाय पीते हैं, और फिर दिन में अच्छे कपड़े पहनते हैं।

अगले दिन रविवार था, घर के रोज़मर्रा के काम हो रहे थे। इसी दौरान कुछ लोग हमें शुभकामनाएं देने आए। घर में हलचल बढ़ गई, सभी उनसे मिलने में व्यस्त हो गए, यह रात में ख़त्म हो गया…

 

फिर से कल की तरह हमें उसी तरह सोना था लेकिन जो बच्चे सामने सोने वाले थे वे अपनी माँ के साथ मिलना चाहते थे और हमें उनसे एक जगह बनानी पड़ी जिससे हमें और अधिक तंग होना पड़ा, मेरा कंधा और भाभी जो मेरे बगल में सो रही थीं अब एक दूसरे से सट गए थे … भाई हमेशा की तरह उसके पास आया …

इस बार मैं उन्हें अपनी पीठ नहीं दिखा रही थी और मैं भी शो देखना चाहती थी… किसी को एक इंच की दूरी पर चोदते हुए देखना एक बहुत ही हॉट अनुभव है। हम सभी इस बार इतने करीब थे कि मैं भी भाभी के साथ उनकी चुदाई में आगे बढ़ी … उसने मेरा हाथ पकड़ लिया …

उसने अपनी चुदाई में मेरे बूब्स भी दबाए… भाई ने भी मेरे बूब्स के कमर के किनारे पर अपना हाथ रगड़ने में संकोच नहीं किया… वह इतना बहादुर था कि उसने मेरे पैर को भी पकड़ लिया… सहारे के लिए जांघ भी, इसने मुझे बहुत उत्तेजित कर दिया… समीर ने भी यह देखा… मैंने उसे बताया जब उसके भाई का हाथ मेरी चूत से थोड़ी दूरी पर था लेकिन उसने इसे नज़रअंदाज़ कर दिया।

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जब उनका काम खत्म हुआ तो भाई आज अपनि जगह पर वापस नहीं गया, उसने सभी को थोड़ा सा शिफ्ट कर दिया और मेरे बगल में एक जगह बना दी, इसने मुझे सच में उत्तेजित कर दिया … …

तभी समीर ने मुझसे कहा कि निकिता बेबी तुम भी अपने कपड़े निकाल दो, लेकिन मैंने साफ़ मना कर दिया। मैने उसे बोला कि मैने कल ही बोल दिया था कि मै अबसे ऐसा कुछ नहीं करने दूंगी । लेकिन उसने मेरी बातों पर ध्यान नहीं दिया और मेरे सारे कपड़े निकाल फेंके।

 

मैंने उसे कहा, “प्लीज समीर, सब देख रहे हैं, ऐसा मत करो पर उसको सेक्स का भूत सवार था।”

 

,मेरे बदन पर कोई कपड़ा नहीं बचा था। और शर्म से बेहाल थी तभी भाभी का बेटा बोला, “चाची, आप तो मम्मी जैसी लग रही हैं।”

 

मैं शर्मिंदा थी, अपने हाथों से अपने शरीर को ढकने की कोशिश कर रही थी मैने एक हाथ अपने बूब्स पर रखा और दूसरे हाथ से चूत छुपाने लगी।

 

तभी मेरी भाभी ने मुझे एक चादर दी और कहा, “निक्की, इसे ओढ़ ले, शर्म नहीं आएगी।”

 

पर समीर ने उसे भी उठा कर भाभी को वापस कर दिया और बोला जब तक शर्माती रहेगी मजे कैसे ले पाएगी, केशव के सामने भी तो चुदी थी तो अब क्या दिक्कत है ।

 

समीर उठ गया, कंडोम पहना और मेरे पैरों को अलग कर दिया, मेरे पास जाने के लिए कोई जगह नहीं थी, मेरे पैर भाई के पास चले गए, यहां तक कि मेरे घुटने ने एक बार उसके लण्ङ को भी छू लिया था।

हमारे सेक्स में समीर का भाई उसको इस तरह करो उस तरह करो के लिए गाइड करता रहा… बदले में समीर ने उससे कहा कि वह मेरा पैर पकड़ ले… मैं हैरान थी कि वह हमारे सेक्स में भाई को शामिल कर रहा है लेकिन मेरी चूत में 7 इंच की गर्म छड़ के साथ मेरे पास थोड़ा ही प्रतिरोध था।

भाई ने ख़ुशी से मेरे पैर पकड़ लिए जबकि समीर ने मुझे उसके सामने चोदा… उसने पैर के हर इंच को रगड़ा, उसने मेरे बूब्स को दबाया और उन्हें खूब मसला….अब मैं भी शर्म भूलने को मजबूर थी और चुदाई का मजा लेने लगी और हमने एक बारी पानी छोड़ दिया ।

 

हम दोनों लगभग 10-15 मिनट तक लेटे रहे और कुछ देर बाद हम दोनों में वासना की आग फिर से जाग उठी।

 

समीर सीधा लेट गया और मुझे अपने लंड के पास खींच लाया, मै उसका इशारा समझ चुकी थी ।

 

बिना कुछ बोले मैंने उसके लंड को अपने हाथ में लिया और  मेरे होंठों की कलियों का स्पर्श देते हुए लंड के टोपे को मुँह में लेकर चूसने लगी।

 

मैं उसका पूरा लंड अपने गले के आख़िरी छोर तक ले जाकर चूस रही थी और उसे मजे करवा रही थी।

 

10 मिनट लंड चुसवाने के बाद समीर खड़ा हो गया और मुझे उन्होंने घोड़ी बनने को कहा।

 

उसने अपना लंड मेरी चूत के छेद पर रखा और एक जोरदार धक्का लगाया और पूरा लंड एक ही धक्के में मेरी चूत के अंदर उतार दिया। मेरे हाथों का बैलेंस थोड़ा सा ख़राब हुआ क्योंकि मुझे नहीं पता था समीर इतनी तेज धक्का लगाएगा ।

 

अब उसने अपने लंड से धक्के लगाने शुरू कर दिए। मेरी चूत की दूसरे राउंड की चुदाई शुरू हो चुकी थी।

 

समीर धक्के लगा रहा था और मैं चीखे जा रही थी- आह … आह … आह … आह्ह।

 

वो मेरी चूत की धमाकेदार चुदाई कर रहा था और मेरी गांड पर एक हाथ से थप्पड़ भी मार रहा था जो मुझे बहुत पसंद है। दूसरे हाथ से उसने मेरे बाल पकड़े हुए थे। मेरे बदन और चूत दोनों की लगाम उसके हाथ में ही थी।

 

मैं इस वक़्त उसकी कुतिया बनी हुई थी और मजेदार चुदाई का मजा ले रही थी। उनके जोरदार धक्कों की वजह से मेरा मंगल सूत्र हवा में झूल रहा था। मैं उसे उतारना चाहती थी मगर इस वक़्त मैं अपने पति की कुतिया बनी हुई थी।

 

मेरे दोनों हाथों पर मेरे बदन का पूरा वजन था और पीछे से ताबड़तोड़ धक्के मेरी चूत में लग रहे थे इसलिए मैं उसे उतार नहीं सकती थी। मेरा मंगलसूत्र हवा में वैसे ही झूलता रहा और मैं समीर के लंड के झटकों में फिर से खो गई।

 

मैंने अपनी सारी शर्म उतार दी थी। अपनी शादी की निशानी को गले में डाले हुए अपने मुस्लिम पति से अपनी चूत की चुदाई करवा रही थी।

 

पीछे से लंड के धक्के मेरी चूत के अंदर तक पड़ते जा रहे थे।

 

मैं फिर से एक बार दोबारा से चूत रस त्यागने के लिए तैयार थी। कुछ ही झटके और झेलने के बाद मैं दोबारा से झड़ गई और निढाल होने लगी।

 

अब मैं पूरी तरह से थक चुकी थी और मेरा बदन भी पूरी तरह से काँप रहा था। मेरे हाथ भी काँप रहे थे।

 

समीर ने अपने दोनों हाथों से मेरी कमर पकड़ी और धक्के बरकरार रखे।

 

मस्ती में मैं चुदे जा रही थी। उसके मोटे लंड से ऐसा लग रहा था जैसे कि कोई खीरा अंदर बाहर हो रहा हो।

 

इस राउंड में भी मेरी लम्बी चुदाई हो चुकी थी और मैं दिल से खुश थी इस चुदाई के लिए!

 

समीर के झटके लगातार जारी थे और 2-3 मिनट बाद उनका जिस्म भी अकड़ने लगा था।

 

वो बोला- कहां निकालना है? मैंने कहा- कहीं भी निकाल दो अब तो ! समीर ने बोला- ठीक है।

 

फिर से वो मुझे चोदने लगा और बोला- बेबी, आज तो मैं तुम्हें अपनी सुहागन बना कर ही रहूँगा। मैंने कहा- जब आपका लंड मेरी चूत में पहली बार उतरा था मैं तो तभी आपको अपना सुहाग मान चुकी थी।

 

2-3 मिनट और चोदने के बाद उसने अपना लंड बाहर निकाल लिया और मेरे चेहरे के सामने आ गया। मैं अभी भी घोड़ी ही बनी हुई थी।

 

समीर अपना लंड अपने हाथों से हिलाने लगा और मैं भी अपनी जीभ निकाल कर तैयार थी। वो आहें भरते हुए झड़ने को तैयार हुआ और अपने लंड से एक बार दोबारा से अमृत से भरा हुआ जाम मेरी मांग में छलका दिया और मेरी मांग को अपने वीर्य की बूंदों से भर दिया।

 

मुझे ऐसा लग रहा था जैसे कि सच में मेरी मांग दोबारा से भरी गई हो। मैं भी नयी नवेली दुल्हन की तरह शर्मा रही थी। हम दोनों जमीन पर लेट गए।

 

फिर समीर ने मुझे लगभग हमारी पसंद की हर पोजीशन में चोदा और भाई ने इसका बराबर मजा लिया, उसने बारी बारी मेरे पैर बूब्स, गांड़, गर्दन को पकड़ा.. यह असल में दो लोगों के साथ सेक्स करने जैसा था, यह एक घंटे से अधिक समय तक चला…

हमने सेक्स खत्म किया, उन दोनों ने पानी पी लिया और मेरे लिए कुछ नहीं छोड़ा… इसलिए मुझे फिर से रसोई में जाना पड़ा… अपने रास्ते में मैं ससुरजी के कमरे के सामने से गुजरी जो शांत था… मैं दूसरे कमरे से सेक्स की आवाजें साफ सुन सकती थी जिसमें 2 भाई रह रहे थे… जैसे ही मैं रसोई में पहुंची और पानी लिया, मुझे महसूस हुआ कि हॉल में भी कोई सेक्स कर रहा है…

और मैने तो बस यही सोचा कि पूरा परिवार चुदाई करता है… और वापस आने लगी फिर भी उत्सुकता में मैंने झाँक कर देखा तो पाया कि तलाकशुदा बहन अपनी बहन के पति से चुदाई कर रही है…

मुझे आश्चर्य हुआ जब मैंने वापस आकर यह बात अमीर को बताई तो उसने मुझे मुस्कुराते हुए कहा …  चलता है .. कोई हैरानी नहीं कि उसने अपने भाई को हमारे सेक्स के दौरान मेरे बूब्स को इतने खुलेआम दबाने पर कोई आपत्ति नहीं जताई … और हम सो गए …

सुबह हमेशा की तरह सभी लोग हॉल में थे … इस बार किसी ने मेरा मजाक नहीं उड़ाया क्योंकि मैं भी अब उनके रंग में रंग चुकी थी ।

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