जब पहली बार पंकज ने अंदर लिया मेरा लंड (Hindi Gay Sex Story)

राजन ने अपने दोस्त पंकज की मारी गांड। इस गे सेक्स कहानी में राजन बता रहा है उसके दोस्त पंकज का पहला गे सेक्स का अनुभव। अपनी असली पेहसह छुपाने के लिए इस कहानी के लेखक ने अपना नाम राजन और अपने दोस्त का नाम पंकज बताया है।
मेरा नाम राजन है और मैं पटना का रहने वाला हूँ। मैं जब 15 साल का था तभी से मुझे मालूम हुआ की मुझे लड़कियां नही लड़के पसंद है। मैं हर दूसरे लड़के को कामवासना की नज़रो से देखता था। मेरी मेरी नज़रे बस लड़को के होठो पर होती थी। स्कूल में मुझे कई लड़के पसंद थे जिनके साथ मैं सेक्स करना चाहता था।
पर गे होना आज की दुनिया में शर्मनाक होता है। मेने ये बात किसी को नही बताई यहाँ तक की मेरे घर वालो और मेरे करीबी दोस्तों को भी नही।
जब में कॉलेज में गया तो मेरी गे अन्तर्वासना और बढ़ गई। अब मैं अपनी तरह का कोई इंसान खोजने लगा।
इंटरनेट के ज़माने में अनजान और अलग अलग लोगो से बात करना और भी आसान हो गया है। इसलिए मेने अपनी Antarvasna शांत करने के लिया मेने अपने फ़ोन में एक गे चैट ऐप्प डाली। जिसकी मदत से मैं दुनिआ भर के गे लड़को से बात कर सकता था।
पर सिर्फ मैसेज पर बात करना और वीडियो कॉल पर एक दूसरे को देख लंड हिलाना मेरे लिए काफी नही था।
फिर कुछ दिन बाद मुझे पटना का ही रहने वाला एक गे लड़का मिला जिसका नाम था पंकज।
वो भी किसी लड़के के साथ चुदाई करना चाहता था। हम दोनों ने बोहोत साडी गन्दी बाते की  वीडियो कॉल पर सेक्स भी किया।
एक दूसरे पर भरोसा हो जाने पर हमने मिलकर एक साथ चुदाई करने का फैसला कर लिया।
हमने पटना में एक होटल बुक क्या और वह मिले। एक दूसरे को देख कर हमें ऐसा लगा की हम सालो पुराने प्रेमी है।
कमरे में जाते ही मेने पंकज को चूमना शुरू कर दिया। पंकज ने भी मुझे खूब चूमने लगा।
पंकज ने मेरा लंड पकड़ा और उसको हिलाते हिलाते मुझे चुम रहा था। फिर मेने भी उसका मुँह में लेना शुरू कर दिया।
मेने पंकज की पूरी पैंट उतरी तो पंकज बोला “मेने ऐसा आज से पहले नही किया क्या इसमें दर्द होता है ?”
मेने कहा – नही बस थोड़ा सा होगा फिर तुम्हे मज़ा आने लगेगा।
लंड आज से पहले मेने भी नही लिया था पर मुझे इच्छा तो बोहोत होती थी की कोई मेरे सारे छेदो को एक साथ चोदे।

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मेने पंकज को चूमा और अपना लिंग उसकी गांड में घुसा दिया। जब पहली बार पंकज ने अंदर लिया तो उसका चेहरा देखने वाला था।
पंकज – अहह…. राजन थोड़ा धिरे नही कर सकते।
मेने अपना लण्ड बाहर निकला और उसपे नारियाल तेल लगा कर फिर पंकज में घुसा दिया।
पंकज – अहहह अब थोड़ा सही है पर मुझे अभी भी दर्द हो रहा है।
पंकज की की मेने एक बात ना सुनी और मेने अपनी रफ़्तार एज करदी क्यों की मुझे मज़ा आने लगा था। पंकज की टाइट गांड चोदते हुए मेने देखा पंकज को भी मज़ा आने लगा।
ऐसा लग रहा था जैसे मैं उसे एक मीठा दर्द दे रहा हूँ। पंकज को मैं घोड़ा बना कर चोद रहा था।
पंकज – और तेज़ चोदो मुझे !! पूरा अंदर डाल कर चोदो !! FUCK ME HARD !!!
पंकज की अंग्रजी से मुझे और जोश चाड गया और मेने उसे जीभर चोदा।
कभी पंकज मेरा लंड चुस्त तो कभी गांड में लेता। फिर मेने पंकज को पीठ के बल बिस्तर पर लेटा दिया और उसका लंड हिलाते हिलाते उसे चोदने लगा।
पंकज का लंड काफी मोटा और सख्त हो गया था। उसके लंड पर बड़ी बड़ी नसे देख मेरी कामवासना बढ़ गई और मैं उसको जोर जोर से गिलानी लगा और उसके  गोटे भी हलके हाथ दबाने लगा।
एक घंटे पंकज को चोदने के बाद मेने उसकी गांड के छेद में अपना वीर्य भर दिया। और पंकज का लंड तब तक हिलता रहा जब तक उसको चरम सीमा की संतुस्टी ना मिल गई।
हिलाते हिलाते पंकज का लंड सख्त और लाल हो गया और उसका गाढ़ा सफ़ेद पानी निकलने लगा।
उसका पानी इतनी तेजी से निकला की कुछ छींटे उसके खुद  के चेहरे पर लग गई।
उस दिन के बाद हम हर महीने होटल के किसी कमरे में चुदाई करते है। अब हम दोनों की शादी भी हो चुकी है पर हम अपनी अपनी पत्नी से छुपकर मिलते है और मिलते रहेंगे।
अब मैं पंकज से अपनी गांड भी मरवाता हूँ। और हम दोनों को गांड में कुछ ना कुछ लेने की लत लग चुकी है।

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