विधवा चाची को चोदा बिना कंडोम के

Vidhwa chachi ki chai bhateeje ke mota lund se sex story: आज मै आप लोगो को अपनी कहानी सुनाने जा रहा हूँ। ये एक सच्ची कहानी है, जो मेरे साथ हुआ है। ये मेरी पहली कहानी है, मै लखनऊ की रहने वाली हूँ, मेरा नाम अमर है। मेरी उम्र लगभग 18 वर्ष है। मेरे पापा तीन भाई है, मेरे छोटे चाचा की मृत्यु हो चुकी है और उनके एक लड़की भी है। वो हम लोगो के साथ ही रहती है। मेरी छोटी विधवा चाची अभी एकदम जवान है, उनकी उम्र लगभग 24 वर्ष है । जब मै उनको देखता हूँ तो मेरे अंदर का सैतान जाग जाता है और बस यही मेरा दिल करता है की अभी बस पटक कर चाची को चोद लूँ। लेकिन मै कुछ कर भी नहीं सकता क्योंकि वो मेरी चाची जो है। चाची इतनी स्मार्ट की उनका कोई जवाब नही। उनका गला इतना गोरा है तो बाकी का जिस्म कितना गोरा होगा मैं रात दिन यही सोचता रहता हूँ। उनकी चूची इतनी सुडोल है देखकर यही लगता है की किसी ने अभी उसे न दबाया हो। मै तो उन्हें हमेसा ताड़ा करता हूँ, कभी कभी तो जब मै उनके कमरे चला जाता हूँ वो अपनी 5 साल की बेटी मुन्नी को अपना दूध पिलाया करती है तो उनकी चूची जो की गोरी गोरी दिखने लगती है उसे देखकर मेरा 8 इंची का लंड तनमना उठता है और यही मन करता है की उनको चोद लूँ ,लेकिन मै अपने लंड एवं इक्षाओ को दबा लेता हूँ। मै काफी स्मार्ट हूँ, कसरती ६ फुट का बदन है मेरा, ६ पैक ऐब्स है मेरे। कभी कभी तो वो भी मुझे देखने लगती है जब मै अच्छे कपडे पहन कर कही बाहर जाता हूँ तो मुझे ऐसा लगता है की कहीं ना कहीं चाची भी मुझसे चुदना चाहती ती है।

उस दिन चाची की लड़की मुन्नी का जन्म दिन था। अब वो 5 साल की हो गई थी। सब लोग जन्मदिन के तैयारी में लगे हुए थे। शाम हुई चाची अपनी बेटी को तैयार करने लगी इतने में मै वहां पहुच गया तो चाची ने कहा आओ मेरी मदद करो कपडे पहनाने में। मै उनकी मदद कर रहा था कपडे पहनाने में, तभी मेरा हाथ उनकी चूची में लग गया। उफ्फ्फफ्फ्फ़ …क्या मस्त मस्त गोल गोल दूध थे दोस्तों। मेरा तो लंड खड़ा हो गया, चाची भी देखने लगी थी तो मुझे शर्म सी आ गयी ,लेकिन मैंने उसपर ध्यान नहीं दिया और कपड़ा पहनाने लगा। रात हो गई केक कटा। सभी ने खाया ,बाद में चाची ने मुझे अलग से और केक दिया और कहा की तुमने मेरी बहुत मदद की है। उनकी नजरो में कुछ अलग ही दिख रहा था ,मुझे लगा की चाची मुझे अपनी ओर खीच रही है। मैंने सोचा हो सकता है कि वैसे ही आज रात वो इतनी गजब की लग रही थी कि मेरा मन कह रहा था कि आज ही चाची को चोद दूँ। सब लोग खाना खाके सोने चले गाये, लेकिन चाची अकेले बर्तन साफ कर रही थी। मै पानी लेने आया था किचेन में तो फिर मैंने देखा कि चाची अकेले बर्तन साफ कर रही है। मैंने सोचा कि चलो थोड़ी बात कर लेता हूँ। जब मै चाची के पास पंहुचा तो उन्होंने पूछा यहाँ क्या कर रहें हो, मैंने कहा पानी लेने आया था पर आप को देखा तो रुक गया। मै उनकी मदद करने लगा बर्तन साफ करने में कुछ देर बाद चाची ने पूछा कि क्या तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है, तो मैंने कहा की कोई नही है। हम लोग ऐसे बात करते रहे और बर्तन भी साफ हो गये। फिर हम लोग सोने चले गये।

मैंने देखा कि चाची मुझे अपने कमरे में बुला रही है, मै उनके कमरे में गया तो लग रहा था कि चाची बहुत गरमाई हुई है और चुदने के फुल मूड में है। जैसे ही मै उनके कमरे में पंहुचा तो उन्होंने जल्दी से दरवाजा बंद कर दिया। चाची की नीली साड़ी के भीतर से उनका बदन दिख रहा था। उसका ब्लाउस बहुत गहरा था और सफ़ेद चिकने चिकने दूध बिलकुल साफ़ साफ़ दिख रहे थे। मैं उनको चोदना चाहता था और वो चुदवाना चाहती थी। वो आज बहुत खूबसूरत लग रही थी। फिर उन्होंने मेरा हाथ पकड़ा ओर अपनी चिकनी कमर पर रख दिया, मेरा लंड तो खड़ा हो गया और लोहे जैसा सख्त हो गया कमर पर रख दिया।

“असर !! मेरे प्यारे भतीजे!! तुम्हारे चाचा तो मेरी रसीली चूत मारते ही नही है। वो हमेशा अपने काम में बिसी रहते है….इसलिए आज तुम अपनी चाची पर एक अहसान कर तो भतीजे। प्लीस….आज तुम मुझे चोद दो…..अच्छे से और कसकर चोद डालो भतीजे!!” चाची बोली

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उनके मुँह से ये शब्द सुनकर मैंने बिलकुल पागल हो गया था दोस्तों। मेरा हाथ उनकी रसीली मस्त मस्त बड़ी बड़ी चुच्ची की तरफ बढ़ने लगा और फिर मम्मों पर पहुच गया। मै अपने दोनो हाथो से उनकी दोनों रसीली चूची को दबाने लगा। इतने मस्त, मुलायम और सॉफ्ट दूध थे की मैं क्या बताऊँ। मैंने धीरे धीरे उनकी चूची को मसलना शुरू किया, कभी हल्के से दबाता तो कभी जोर से, चाची की सांसें तेज हो रही थीं, “उफ्फ… अमर… क्या कर रहे हो… आह…” मैंने एक चूची को मुँह के पास लाया और निप्पल को जीभ से छुआ, चाची सिहर गईं, “आह्ह… चूसो… धीरे…” मैंने निप्पल मुँह में लिया और चूसने लगा, जैसे बच्चा दूध पीता है, दूसरी चूची हाथ से मसलता रहा। चाची की कमर उचक रही थी, मैंने चूसते चूसते काट भी लिया हल्के से, चाची चीखीं, “आह्ह… दर्द… लेकिन मजा…” मैंने दोनों चूचियों को बारी बारी चूसा, जीभ से गोल गोल घुमाया, चाची तड़प रही थीं, “आह्ह… अमर… और चूस… पूरी चूची मुँह में ले…” मैंने कोशिश की लेकिन पूरी नहीं आई, फिर भी खूब चूसा। इसके बाद मेरे हाथ उनके नीले ब्लाउस की एक एक बटन खोलने लगे। मुझे काले रंग की चुस्त और बेहद सेक्सी ब्रा साफ दिख रही थी। मैंने जल्दी से ब्लाउज और ब्रा दोनों उतार दिया चाची के मम्मे ३४” के थे। ना बहुत जादा बड़े और ना बहुत जादा छोटे। फिर मैं चाची की बड़ी बड़ी नंगी चूचियों को दबाने लगा और मुँह में लेकर पीने लगा। चाची सिसकने लगी और तड़पने लगी, “आह्ह… आह्ह… भतीजे… मजा आ रहा है…” मेरा लंड खड़ा था मैंने अपने 8 इंच के लौड़ा निकाला ओर चाची की हाथो में पकड़ा दिया। वो मेरे लंड को हाथ में लेकर फेटने लगी, ऊपर नीचे करने लगी, “वाह… कितना मोटा है… चाचा का इससे छोटा था…” चाची बोलीं, मैंने उनका हाथ पकड़कर और तेज फटवाया।

जल्दी से मैंने चाची की साड़ी उठाई ओर उनकी लाल रंग की चड्ढी उतार दी। चाची की चूत पर हल्के बाल थे, गुलाबी और गीली। मैंने उँगलियाँ चूत पर फेरीं, चाची सिहर गईं, “उफ्फ… छूओ मत… आह…” लेकिन मैंने एक उंगली अंदर डाली, चूत टाइट और गर्म, “आह्ह… धीरे…” मैंने अंदर बाहर करना शुरू किया, चाची की कमर उछलने लगी। मैंने दूसरी उंगली डाली, तेज तेज करने लगा, चाची की सिसकारियाँ बढ़ गईं, “आह्ह… आह्ह… तेज… और तेज अमर…” मैंने दस मिनट तक उँगलियाँ चलाईं, चूत से पानी बह रहा था, चाची की आवाज तेज, “आह्ह… बस… आह्ह… मूत आ रहा…” और चाची ने मूत मार दिया, गीला मेरे हाथ पर, कुछ मेरे मुँह पर पड़ा। मै अपने लौड़े को चाची की चुत में डालने लगा। मैंने पहली बार डाला तो चाची पीछे पिछड़ गई, “आह्ह… दर्द… धीरे…” मैंने फिर से चाची की कमर पकड़ी ओर अपना लौड़ा उनकी चूत में डालने लगा, धीरे धीरे सिरा अंदर, फिर आधा, चाची की आँखें बंद, “ईईई… उह्ह…” पूरा 8 इंच अंदर गया तो चाची चीखीं, “आह्ह… फट गई चूत…” जब मेरा 8 इंच का लोडा चाची के चूत में गया तो बड़ा आनंद आया। चुत में लौडा जाते ही चाची के मुह से आह आह की आवाज निकलने लगी। मैं उनको चोदने लगा । उनके मुह से आह ,आह, आह, आह की आवाज निकाल रही थी। मैंने धीरे शुरू किया, पछ… पछ… की आवाज, चाची बोलीं, “जोर से… कसकर…” मेरी स्पीड बढ़ने लगी थी , मै अपने लंड को बहुत तेज चाची की चुत में डाल रहा था। उनके मुह से आह, आह, आह की आवाज निकाल रही थी, “आह्ह… भतीजे… चोद… अपनी चाची की चूत फाड़…” मैंने चूचियाँ दबाते हुए ठोका, चाची की गांड उछल रही थी। बहुत देर तक चाची की चुदाई चली, मैंने पोजीशन बदली, चाची को ऊपर किया, वो लंड पर बैठ गईं, खुद ऊपर नीचे होने लगीं, “आह्ह… मजा… गहरा जा रहा…” मैंने नीचे से धक्के मारे। फिर घोड़ी बनाई, गांड पर थूक लगाया, गांड में डालने लगा, चाची बोलीं, “नहीं… गांड में नहीं…” लेकिन मैंने जोर से ठूंसा, “आह्ह… फाड़ दी…” गांड में पेला, चाची तड़पीं, “आह्ह… गांड मारो… जोर से…” मैंने गांड पेलते हुए चूत में उंगली की। अंत में जब मेरा माल गिरने वाला था तब मैंने उनको बाँहों में भर लिया। मैं उनको बार बार किस कर रहा था। उनके गोरे गोरे गाल पर किस कर रहा था। मै और जोर से चुदाई करने लगा ओर अंत में मेरा माल गिर गया । मुझे गीला गीला लगने लगा, लंड बाहर निकालकर चूत पर गिराया।

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आज चाची की बुर चोदकर मुझे अच्छा लगा। मैंने चाची को बाहों में भर लिया और किस करने लगा।

“भतीजे!! तुम कितनी मस्त चुदाई करते हो, तुम्हारे चाचा भी इतनी मस्त चुदाई नही कर पाते है!!” चाची बोली

“चाची जी, अब से मेरा ये मोटा और रसीला लंड आपकी ही सेवा करेगा” मैंने कहा

हम दोनों चाची भतीजा बड़ी देर तक एक दूसरे को बाहों में भरके बिस्तर पर बैठे रहे और प्यार करते रहे। चाची मेरी चुदाई से पूरी तरह संतुस्ट थी। मैंने उनके फूले फूले और बेहद सेक्सी गाल को २ ३ बार और चूम लिया।

“बाय चाची !! गुड नाईट” मैंने कहा

“बाय बेटा!!” मेरी चुदक्कड़ चाची बोली

मैंने अपने घर चला गया।

सुबह हुई। मैने उठकर नास्ता किया। मेरी चाची की लड़की मुन्नी रो रही थी मैंने सोचा की ले लेता हू।

“लाओ चाची, मुन्नी को मुझे दे दो!!” मैंने कहा और लड़की को ले लिया

मै इतना कमीना था की जब मै लड़की को लेता तो अपना हाथ चाची की चूची में छुआ देता। एक बार तो मैंने हद ही कर दी, मै लड़की को चाची को दे रहा था, देते समय मैंने अपने हाथ में चाची की पूरी चूची पर ही रख लिया ओर दबा भी दिया लेकिन चाची कुछ ना बोली। मुझे लग रहा था कि कही ना कही चाची भी मुझसे चुदना चाहती है। एक दिन मै चाची के कमरे में गया तो मैंने देखा कि चाची अपनी बेटी मुन्नी को खिला रही थी और उनकी साड़ी का पल्लू नीचे गिरा था। उन्होंने ब्रा भी नहीं पहनी थी। ब्लाउस के सूती हल्के कपड़े से चाची के दूध मैं साफ़ साफ़ देख सकता था। कितने मस्त मस्त गोल गोल गेंद जैसे दूध थे उनके। मेरे आने पर भी उन्होंने अपना पल्लू ठीक नहीं किया। सायद वो मुझसे फिर से चुदवाने के मूड में थी। मै समझ गया कि ये मुझे अपनी ओर आकर्षित कर रही है। मै कुछ कहता या करता इतने में मुझे मामी ने बुला लिया। मै वहां से चला गया। मै कोई बहाना ही ढूंढता रहता कि कब मै चाची कि चुचियों को चुओं।

25 मार्च को मेरे छोटे मामा “राज” कि शादी होने वाली थी। मेरी बड़ी मामी को वहां जाना था, मेरे पापा तो शादी के दिन जाये गे क्योकि पापा को डिउटी जाना रहता है। मामी एक हफ्ते पहले ही मामा के घर चली गयी ,ओर पापा डिउटी चले जाते अब घर में मै ओर चाची ओर उनकी बच्ची मुन्नी बचे थे। बाकि लोग चले गाये। सुबह जल्दी से चाची ने खाना बना कर अपने कमरे में चली गयी। मुझे भूख लगी तो मै चाची के कमरे में चला गया। मैंने चाची से खाना माँगा तो चहकी ने कहा की मेरी बेटी को देखो मै ले आती हूँ। वो खाना लेन के लिए चली गयी। मै बैठा था ,चाची खाना लेकर आई ,उन्होंने खाने को मेरे पैरों पर रखा तो उनका हाथ मेरे लंड में छु गया। मैंने खाना खाया, मेरी नजर अचानक चाची पर पड़ी तो वो मुझे ही देख रही थी मेरे देखते ही उन्होंने नजर को झुका लिया। फिर चाची ने कहा की तुम यही आराम कर लो ओर मेरी लड़की को भी देखे रहना मै तब तक नहा लेती हू ,मैंने कहा ठीक है। चाची नहाने चली गयी, लगभग आधे घंटे बाद चाची आई। वो क्या लग रही थी ,काली रंग की साड़ी में। मै चाची को चोदा चाहता था ,इसलिए मैंने चाची से कहा की आप बहुत अच्छी लग रही है आज ,चाची खुस हो गयी क्योकि इतने सालो बाद किसीने उनकी तारीफ की।

मै बेड से उठा ओर चाची आईने के सामने बाल बना रही थी। मैंने पीछे से उनको पकड़ लिया ,चाची ने कहा ये क्या कर रहे हो तुम, तुम्हे पता भी है कि ये गलत है। मै कुछ ना बोला ओर उनकी कमर को अपने हाथो से सहलाने लगा ,चाची भी जोश में आने लगी थी। मै उनके कमर पर हाथ फेरता रहा ओर वो जोश में आ ही गयी। उन्होंने मुझे कसकर पकड़ लिया , मैंने उन्हें उठा कर बेड पर ले गया। मै उनके सिर को पकड़ कर उनके होठो को चूसने लगा। कभी मेरा होठ चाची के मुह के अंदर ओर कभी चाची का होठ मी मुह के अंदर मै बहुत देर तक किस करता रहा, जीभ से खेलता रहा, चाची की सांसें तेज, “उफ्फ… अमर… किस करो…” मैंने जल्दी से चाची की ब्लाउज को खोला ब्लाउज के अंदर काले रंग की ब्रा भी थी। मैंने अपने हाथो से काले काले करा को उतरा ,ओर उनकी गोरी गोरी चूचियों को चूसने लगा। चूची के बीच में काले धब्बे को अपनी जीभ से गोल गोल करने लगा। मैंने अपनी चाची की चूचियों को खूब चूसा, बारी बारी दोनों को, चाची सिसक रही थीं, “आह्ह… चूस… मजा…” मै चूची चूसते चूसते उनकी चुत की तरफ बढ़ने लगा। मैंने अपने हाथो से चाची की साड़ी उठा दी। साड़ी उठाते ही लाल रंग की चड्डी दिखने लगी मैंने चड्डी को उतार दिया ,ओर अपनी हाथो की उगालिओं से उनकी चुत में उंगली करने लगा। मेरे उंगली करते ही चाची को ओर भी मजा आने लगा, “आह्ह… उंगली… तेज…” मैंने बहुत बार सेक्सी वीडियो में देखा था की बहुत तेजी से उंगली करने से लड़कियां मूत मरती है , मैंने सोचा की चलो ये आजमाते है मै खूब तेज तेज से उँगलियों को चाची के चुत में डालने लगा। चाची के मुह से तो आह आह आह की आवाज भी आने लगी, “आह्ह… आह्ह… बस…”

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मेरे लगातार 10 मिनटों तक उंगली करने पर चाची की आवाज तेज हो गई ओर अंत में चाची ने मूत ही मारा। कुछ बूंद मूत की मेरे मुह पर पड़ी ओर चादर भी भीग गया। मैंने जल्दी से चादर हटाया ओर अपना अपनी 8 इंच का लोडा बहार निकाला , मेरे लंड को देख कर चाची ने कहा की तम्हारा लंड तो काफी मोटा है ,इतना तो तुम्हारे चाचा का भी नही था। अब माने अपने लंड चाची के चुत में डालने की कोसिस करने लगा। मैंने अपने लोड को हाथों से पकड़ा ओर चाची के चुत में पहली बार डाली तो चाची के मुह से तेज से आह अहह ….. इ ई ई ई …….उह उह … की आवाज आई,चाची थोड़ी सी पीछे हो गयी। मैंने अपने हाथो से चाची की कमर को पकड़ा ओर अपने लंड को चाची की चुत में घुसा दिया। चाची के मुह से तो चीख निकाल पड़ी, “आह्ह… दर्द…” मैंने अपने लोड को अप्कड़ कर चाची की चुत में डालने लगा ओर एक हाथ से चाची की चूचियों को दाबने लगा। मेरा लंड थोडा मोटा ओर थोडा टेढा था इसलिए चाची को तकलीफ हो रही थी, लेकिन मजा भी, “आह्ह… चोद… धीरे पहले…”

मै अपना लंड चाची के चुत में लगातार डालता रहा ,ओर चाची के मुह से तो आह,आह , आह ,आह , आह की आवाज आती रही। मै कुछ थक गया था इसलिए मैंने चाची पीछे होने को कहा चाची अपने गांड की तरफ हो गई। मैंने अपने लंड में थोडा सा थूक लगाया ओर चाची की गांड में पेलने लगा , मेरा लंड चाची के गांड में घुस ही नही रहा था ,लेकिन मैंने जोर लगा के अंदर कर दिया। मेरे लंड के अंदर जाते ही चाची ने अपने गांड को सुकोड़ लिया, “आह्ह… फट गई…” मैंने ओर जोर लगा के चाची के गांड में पेलने लगा। मैंने चाची के गांड में खूब पेला ओर मेरा मलंद अब ओर कड़ा होने लगा मुझे पता चल गया की अब जादा देर तक कम नहीं चलेगा। इसलिए मैंने अपना लंड निकाला ओर चाची को सीधा होने को कहा। चाची के सीधे होते ही मैंने अपना लंड उनकी चुत में जोर जोर से डालने लगा , मै जैसे जैसे झड़ने वाला था मेरी स्पीड ओर तेज होती गई। जितनी मेरी स्पीड तेज उतनी ही चाची की चीख तेज से निकाल रही थी, “आह्ह… आह्ह… चोद… फाड़…” मै झड़ने वाला था , जैसे ही मेरा माल निकलने लगा वाला था मैंने अपना लंड बाहार निकाल लिया | ओर अपने हाथों से आगे पीछे करने लगा। मेरी सांसे तेज होने लगी , ओर मेरा माल निलालने लगा मुझे बहुत अच्छा लग रहा था, चूत पर गिराया।

मै और मेरी विधवा चाची ने उस दिन चुदाई खूब किया। इसके बाद जब जब हमको टाइम मिलता तो मै अपनी चाची की गुलबी चुत की खूब चुदाई करता। इस तरह से मैंने अपने विधवा चाची की चुदाई की। अब तो मै कभी कभी चुपके से रात में भी चाची के कमरे चला जाता हूँ ,ओर रात भार चाची कि खूब चुदाई करता हूँ।

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