मेरा नाम आदित्य है और मैं 19 साल का हूँ। घर में मुझे सब प्यार से आदि कहकर बुलाते हैं। ये कहानी मेरे आदित्य से अदिति बनने की है। कैसे मुझे लड़कियों के कपड़े पहनने का शौक लगा। और कैसे ये मेरी आदत बन गई। मेरी हाइट 5’7″ है, रंग गोरा और बॉडी किसी लड़की जैसी है। मेरी बॉडी देखने में किसी 20-22 साल की लड़की जैसी है, बस बूब्स नहीं है।
बात कुछ हूँ शुरू होती है। मेरे पड़ोस में एक भाभी रहती हैं जो सिलाई का काम करती हैं। उनकी शादी को 2 साल हुए है और अभी कोई बच्चा नहीं है। उनके पति बाहर नौकरी करते हैं। उनके सास-ससुर पुराने घर में रहते हैं जो यहाँ से 4-5 किलोमीटर दूर है। इसलिए वो यहां पर अकेली ही रहती हैं।
भाभी देखने में बहुत सेक्सी हैं। उनका नाम स्नेहा है। उनकी उम्र 26 साल हैं। फिगर 34 26 24 होगा। मेरी भाभी से अच्छी बॉन्डिंग हैं। कभी उन्हें दुकान या बाजार से कोई सामान मंगवाना होता था, तो वे मुझे ही भेजती थी। वो घर में अकेली ही होती थी। तो अक्सर मैं कॉलेज से आने के बाद उनके घर चला जाया करता था। वहाँ हम इधर उधर की बातें भी करते रहते थे और भाभी अपना सिलाई का काम भी करती रहती थी। आसपास की लगभग सभी औरतें और लड़कियां भाभी से ही अपने कपड़े सिलवाने के लिए आती थी।
अक्सर जब मेरे घर वालों को कहीं बाहर जाना होता था और मुझे घर पर अकेला रुकना पड़ता था। तो मैं भाभी के यहाँ ही रुकता था। वहीं खाना खाता था। इसलिए मेरे घरवालों को भी फिकर नहीं होती थी।
हमेशा की तरह जब एक दिन मैं कॉलेज से आने के बाद भाभी के यहाँ गया। तो वह एक लाल रंग के सलवार सूट को प्रेस कर रही थी। जो शायद उन्होंने नया ही सिला था।
भाभी ने मुझे देखते ही बोला: अच्छा हुआ, तू आ गया। मेरा एक काम करेगा।
मैं: हां। क्यों नहीं भाभी। बताओ क्या करना है?
स्नेहा भाभी: यार ये सूट सरिता चाची ने अपनी भांजी के लिए सिलवाया है। उनकी भांजी की शादी है, उसके लिए। उन्होंने ये सीधा शादी में ही लेकर जाना है। तो फिटिंग वगैरा कहीं गड़बड़ हुई तो फिर उन्हें प्रॉब्लम हो जाएगी।
मैं: तो भाभी, मुझे क्या करना है। आप ये बताओ।
भाभी: उनकी भांजी का नाप लगभग तुम्हारे जितना ही है। अगर तू एक बार मेरे लिए सूट पहनकर दिखा दे। तो मुझे फिटिंग का आइडिया लग जाएगा।
मेरी भाभी से अच्छी बॉन्डिंग थी। और ये मुझे नॉर्मल लगा। तो मैंने भी भाभी को बोल दिया कि इससे अगर आपकी हेल्प होती है, तो पहन लेता हूँ। दो मिनट के लिए पहनने से क्या हो जायेगा। हालांकि उस टाइम ये सब बात नॉर्मल ही थी।
भाभी ने मुझे सलवार कमीज पकड़ाई और मैं अंदर वाले कमरे में पहनने के लिए चला गया। सॉफ्ट कपड़े से मुझे अच्छा एहसास हुआ। फिर मैंने बाहर आकर भाभी को दिखाया। और हो गया। 5 मिनट में मैंने सूट निकाल कर अपने कपड़े पहन लिए।
इसके बाद ये अक्सर होने लगा। जब भी भाभी के पास किसी मेरे साइज की लड़की या औरत के कपड़े सिलने के लिए आते तो भाभी वो मुझे पहनाकर चेक करती। धीरे-धीरे ये हमारी आदत बन गई। मुझे भी ये सब अच्छा लगने लगा था। हमें ऐसा करते हुए लगभग 4-5 महीने हो चुके थे। मैंने सलवार, कमीज, प्लाजो, शरारा, लहंगा, चोली यहाँ तक कि ब्लाउज भी पहनकर देख लिए थे।
फिर एक दिन मैं जब रोज़ की तरह ही भाभी के पास गया तो उन्होंने वहाँ एक ब्राउन कलर का ब्लाउज़ रखा था। मैं समझ गया कि आज मेरे ऊपर इसकी टेस्टिंग होने वाली है।
लेकिन मुझे क्या पता था उस दिन मेरे लिए एक अलग ही अनुभव होने वाला था। हमने थोड़ी देर नॉर्मल इधर-उधर की बातें की। फिर भाभी बोली : यार। आज से हमें ऊपर की फिटिंग का भी सही से पता लगा करेगा। नहीं तो ब्लाउज़ वगैरा में फिटिंग का ढंग से पता नहीं लग पाता था। चल आज इस ब्लाउज़ की टेस्टिंग अच्छे से करते हैं।
मैंने पूछा: भाभी! वो कैसे?
तो भाभी ने मुझे ब्लाउज पकड़ाया और कहा ये लेकर अंदर जा। और तब तक अपने कपड़े निकाल। मैं आती हूँ।
मैंने अंदर जाकर अपनी टीशर्ट निकाल दी। क्योंकि ब्लाउज़ ही तो पहनना था। तभी भाभी भी अंदर आ गई। उनके हाथ में एक थैला था।
मैंने पूछा: भाभी! इसमें क्या हैं?
भाभी: ब्लाउज़ का सही आइडिया तो साड़ी के साथ ही होगा। इसलिए इसमें साड़ी है।
मैं अब तक काफी कपड़े ट्राई कर चुका था। इसलिए मुझे इसमें भी कुछ अजीब नहीं लगा।
ये भाभी का बेडरूम था। उन्होंने अपनी अलमारी खोली। और उसमें से एक पिंक कलर की ब्रा-पैंटी निकाली। वो देखते ही मुझे समझ में आ गया कि आज मुझे ये भी पहननी पड़ेगी।
भाभी ने वो मुझे दी और बोली ये पहन ले पहले। मैंने ब्रा-पैंटी पकड़ी तो वो बिल्कुल नई जैसी लग रही थी।
मैने भाभी से पूछा: भाभी! ये तो एकदम नई लग रही है।
भाभी: हां। नई ही है। तेरे साइज की लाई हूँ। मेरी तो तुझे ढीली होगी।
चल अब फटाफट तू ये पैंटी पहन लें। ब्रा तो तुझसे पहनी नहीं जाएगी। वो मैं पहनाती हूँ फिर।
तो मैंने बोला: ठीक है भाभी। आप बाहर जाओ। मैं ये पहनता हूँ।
भाभी: हां, जाती हूँ। पर तू पैंटी के ऊपर से पैंट मत पहन लेना। पैंटी में ही रहना।
मैं: पर भाभी। पैंटी में कैसे। मुझे शर्म आती है। ऊपर से तो ठीक है। पर पैंटी में नहीं रह सकता मैं।
भाभी: चल ठीक है। पेटीकोट तो पहन लेगा न। (हंसते हुए) नाड़ा बांधना तो आता है ना।
मैं: हां भाभी। आता है।
फिर भाभी ने मुझे लिफाफे से निकाल कर भूरे रंग का पेटीकोट दिया और बोली: ये ले। पहन जल्दी और फिर मुझे आवाज लगा। मैं बाहर ही खड़ी हूँ।
भाभी बाहर चली गई। मैंने फटाफट अपनी पैंट और अंडरवियर उतारी और जल्दी से पैंटी और पेटीकोट पहन लिया। फिर भाभी को अंदर आने के लिए आवाज लगा दी।
फिर भाभी अंदर आई और मुझे पेटीकोट में देखकर बोली। अरे वाह। तू तो बड़ा मस्त लग रहा है पेटीकोट में।
वैसे मैं आपको बता दूं कि मेरी बॉडी में एक भी बाल नहीं है। पूरी बॉडी क्लीन है, किसी औरत जैसे। दाड़ी-मूछें भी बहुत हल्की आती हैं, इसलिए मैं चेहरा भी बिल्कुल क्लीन शेव ही रखता हूँ।
फिर भाभी ने मुझे ब्रा में दोनों बाजू डालने को बोला और पीछे से ब्रा के हुक लगा दिए। मैने पहली बार ब्रा पहनी थी इसलिए मुझे अलग सी फीलिंग आ रही थी। और अच्छा भी लग रहा था। फिर भाभी ने अलमारी खोली और उसमें से 2 पीले रंग के स्माइली बॉल निकाली। और उन्हें मेरी ब्रा में डाल दिया। अब मेरे बूब्स भी बन गए। मुझे शर्म आ रही थी।
तभी भाभी बोल पड़ी। शर्मा मत। अभी साड़ी भी पहननी है। फिर भाभी ने मुझे ब्लाउज पहनाया। ब्लाउज़ हर जगह से मेरी बॉडी पर चिपका हुआ था। मतलब फिटिंग एक दम परफेक्ट थी।
फिर भाभी ने साड़ी उठाई और मुझे पहनाने लगी। 4-5 मिनट में भाभी ने मुझे साड़ी पहना दी। मैंने पहली बार ये एक्सपीरियंस कर पा रहा था। मुझे मन ही मन बहुत अच्छा लग रहा था। मुझे खुद को आईने में देखने का मन कर रहा था।
मैंने भाभी से पूछा: भाभी। आपका हो गया हो। तो एक बार मैं भी खुद को देख लूं।
ये सुनकर भाभी खुद ही मुझे आईने के पास ले गई। मैने खुद को देखा तो मैं भी शॉक रह गया। गर्दन के नीचे से मैं पूरा किसी लड़की के जैसे दिख रहा था। पूरा फिगर, सब लड़की की तरह लग रहा था।
खुद को देखकर मेरे मुंह से निकल गया “aaawwww” भाभी आपने तो मुझे लड़की ही बना दिया।
ऐसे ही काफी देर मैं खुद को और भाभी मुझे देखती रही। फिर मैंने भाभी को बोला: भाभी! हो गया हो तो अब उतार दूं।
भाभी: नहीं यार। अभी नहीं। अभी तो कुछ और भी बाकी है।
मैं: अब क्या भाभी?
तो भाभी ने मुझे वहीं ड्रेसिंग टेबल के सामने चेयर पर बिठा दिया। अब जो मेरे साथ होने वाला था, मैंने ये नहीं सोचा था कभी।
भाभी: यार आदि। मेरा मन तुम्हें मेकअप में देखने का कर रहा है।
मैं: क्या भाभी, आप भी।
भाभी: हां यार। ज़्यादा नहीं, बस थोड़ा सा करूंगी। एक घण्टे की तो बात है। घर जाने से पहले सब साफ कर दूंगी।
मैं थोड़ा न नुकर करते हुए मान गया। क्योंकि साड़ी पहनकर मुझे अच्छा लग रहा था। इसलिए अंदर से मेरी इच्छा भी हो रही थी कि मेकअप में मैं कैसा दिखूंगा।
फिर भाभी ने मेरे चेहरे पर कुछ 1-2 क्रीम वगैरह लगाई। उसके बाद लिपस्टिक लगाई। और आंखों में काजल आईलाइनर वगैरह लगाए। फिर मेरे दोनों हाथों में अपनी कुछ कांच की चूड़ियां पहनाई। अब मेरे हाथ थोड़े भी हिल रहे थे, तो चूड़ियां खन खन की आवज कर रही थी।
फिर भाभी उठी और उन्होंने एक बॉक्स निकाला। मैं सोच ही रहा था कि इसमें क्या होगा। तभी भाभी ने बॉक्स खोला तो उसमें से एक विग निकली।
भाभी ने मुझे वो विग पहनाई और क्लिप्स से फिक्स भी कर दी। विग के बाल मेरी पीठ तक पहुंच रहे थे। मुझे मेरी नंगी पीठ पर टच हो रहे थे।
फिर भाभी बोली: लो अब हो गया। अब तुम आदि से अदिति बन गई। देख लो।
मुझे ये खुद को अदिति सुनकर थोड़ा अटपटा लगा। पर जैसे ही मैंने खुद को आईने में देखा तो समझ आया कि भाभी ठीक कह रही हैं। मैं पूरी औरत लग रहा था। अगर मेरी फैमिली में से भी कोई मुझे ऐसे देख ले तो पहचान नहीं पाए।
मैं: क्या भाभी। आपने तो मुझे औरत ही बना दिया।
भाभी: तभी तो तेरा नाम अदिति रखा।
मुझे शर्म आ गई। मैं शर्मा कर नीचे देखने लगी।
भाभी: अरे वाह। इतनी जल्दी औरतों की तरह शर्माना भी सीख गई।
फिर भाभी ने कहा- ला अपना फोन दे। तेरी फ़ोटो खींचती हूँ। मैने भाभी को फोन दे दिया। फिर भाभी ने मेरी काफी सारी फोटोज़ क्लिक की। अलग-अलग लड़कियों वाले पोज़ में। पोज भी मुझे भाभी ने ही बताए।
फिर हम दोनों फोटोज देखने लगे। उफ्फ! क्या सेक्सी लग रहा था मैं फोटो में।
फिर मैंने भाभी से पूछा: भाभी! वैसे ये साड़ी है किसकी?
भाभी: ये वो निशा की है। उसके कॉलेज में कोई फंक्शन है। उसके लिए ली है उसने।
(निशा हमारे गांव की एक लड़की थी। करीब 22 साल की।)
मुझे ये सब अब इतना पसंद आ रहा था कि मैंने भाभी को बोल दिया: भाभी! मेरा तो मन कर रहा है ये कभी उतारू ही न।
भाभी: (हंसते हुए) तो मत उतार। चली जा ऐसे ही घर।
मैं: क्या यार भाभी। आप भी मज़ाक कर रहे हो। मैं सीरियस हूँ।
भाभी: अगर तुझे साड़ी में इतना ही मज़ा आ रहा है तो अब से तू मेरी साड़ियां पहना करना। मैं तेरे लिए 2-3 ब्लाउज सिल दूंगी तेरे नाप के।
मैं: सच भाभी।
भाभी: हां। पर तुझे मेरे साथ अदिति बनकर रहना होगा।
मैं: भाभी। अदिति तो आपने बना ही दिया है और कितना बनूंगा।
हम दोनों हंस पड़े। फिर भाभी बोली अच्छा अदिति। जरा चाय तो बना दे। चाय पीने का मन कर कर रहा।
मैंने भी भाभी को लड़की की तरह ही जवाब दिया। ओके भाभी! अभी बनाकर लाती हूँ।
मैं किचन में चला गया। चूड़ियों की खन खन मुझे लड़की वाली फीलिंग दे रही थी। फिर मैं चाय बनाकर ले आया और भाभी को दी। और खुद भी साथ बैठकर पीने लगा।
अब भाभी मजाक के मूड में आ गई थी। बोली: अदिति! अगर तुझे अभी ऐसे कोई लड़का देख ले तो पागल ही हो जाएगा।
मैं कुछ नही बोल पा रहा था। चुपचाप चाय पी रहा था।
हमने चाय पी और फिर मुझे घर भी जाना था। तो मैंने भाभी को बोला कि भाभी चलो अब साड़ी उतार देते हैं। मुझे घर भी जाना है।
फिर भाभी ने मेरी साड़ी और ब्लाउज़ उतार दिया। मुझे लगा था भाभी पेटीकोट नहीं उतारेगी। पर उन्होंने पेटीकोट का नाड़ा भी खोल दिया। पेटीकोट नीचे सरक गया।
मैंने शर्म से अपने हाथ पैंटी के ऊपर रख दिये।
भाभी: अरे अदिति! शर्मा क्यों रही है। एक औरत दूसरी औरत के सामने शर्माती है क्या।
मैंने खुद को आईने में देखा तो सच में मैं अभी भी औरत ही लग रहा था। चेहरे पर मेकअप था, विग भी थी, चूड़ियां भी पहनी हुई थी। ब्रा-पैंटी तो थी ही।
फिर भाभी ने मेरे हाथ पैंटी के ऊपर से हटा दिए। अब वो हुआ जिसकी मैंने कल्पना भी नहीं की थी। भाभी पैंटी के ऊपर से मेरा लंड सहलाने लगी।
उफ्फ! लंड तो आखिर लंड है। मैं बाहर से ही औरत बना था। अंदर तो एक मर्द का लंड ही था। मुझे मज़ा आने लगा। मैंने भाभी को रोकने की जरा भी कोशिश नही की। आखिर इतनी सेक्सी भाभी को कौन नहीं पेलना चाहेगा।
भाभी ने मेरी पैंटी उतार कर मेरे लंड को अपने हाथ में ले लिया। और हिलाने लगी। फिर मैंने भाभी को पकड़कर उनके कपड़े उतारने शुरू किए। उन्होंने सूट पहन रखा था। थोड़ी देर में ही उनको पूरा नंगा कर दिया।
उफ्फ! भाभी मेरे सामने नंगी खड़ी थी। मैं भाभी के बूब्स चूसना चाहता था। मैं बूब्स की तरफ़ बढ़ ही रहा था कि भाभी ने मेरा मुँह पकड़ के अपने लिप्स मेरे होंठों पर रख दिये। और चूसने लगी। हम दोनों एक दूसरे के होंठो की पूरी लिपस्टिक चाट गए।
फिर भाभी ने मुझे अपनी चूत चाटने को बोला। मैं झुककर चूत चाटने लगा। उनकी चूत पर एक भी बाल नहीं था। एकदम साफ थी। मैं जीभ अंदर डालकर चाट रहा था।
भाभी बोल रही थी। आहह! अदिति! और जोर से चाट।
अब मुझे समझ आ गया कि भाभी लेस्बियन सेक्स करना चाहती थी। इसलिए मुझे औरत बनाया।
भाभी जैसे चाहती थी, मैं उनका साथ दे रहा था। मैं अदिति के जैसे ही बात कर रहा था। आखिर मुझे उन्हें चोदना जो मिल रहा था। भले ही औरत बनकर ही सही।
थोड़ी देर बाद मैंने भाभी के बूब्स चूसे। और फिर भाभी मेरे लंड को चूसने लगी। मैं अपने चूड़ियों वाले हाथों से भाभी का सर अपने लंड पर दबा रहा था। मुझे अलग ही मज़ा आ रहा था।
अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था। मैंने भाभी को घुमा कर घोड़ी बना दिया। मैंने लंड भाभी की चूत से सटाया और एक ही झटके में पूरा अंदर पेल दिया।
भाभी शादीशुदा होने की वजह से पहले से ही चुदी हुई थी, इसलिए लंड आसानी से अंदर घुस गया और उन्हें तकलीफ भी नहीं हुई। मैं भाभी को चोदने लगा। भाभी गांड हिला हिला कर चुद रही थी।
चुदते हुए भाभी मुझे अदिति अदिति करके पुकार रही थी। अदिति और जोर से। अंदर तक। आज मेरी चूत तेरे हवाले है अदिति। फाड़ से इसे। इस तरीके से भाभी चुद रही थी। मैं भी लगातार चोदे जा रहा था। पूरे कमरे में हम दोनों की चूड़ियों की आवाज गूंज रही थी।
10 मिनट बाद मेरा पानी निकलने वाला था। भाभी ने अंदर ही निकालने को बोला। मैं भाभी की चूत में ही झड़ गया।
फिर हम दोनों ने नहाकर खुद को साफ किया और मैं अपने कपड़े पहनकर घर चला गया।
इसके बाद ये हमारा लगभग रोज़ का काम हो गया। भाभी पहले मुझे अदिति बनाती लड़कियों के कपड़े पहनाकर और मेकअप करके। उसके बाद अपनी ताबड़तोड़ चुदाई करवाती। मैं भाभी की चूत और गांड दोनों पेलता।
बाद में भाभी ने भी कई बार डिल्डो पहनकर मेरी गांड भी मारी। और एक मर्द से भी मेरी गांड मरवाई। अगर आपको ये कहानी पढ़नी हो तो मुझे कमेंट और मेल करें। आपको ये कहानी कैसी लगी, फ़ीडबैक जरूर दें। धन्यवाद