Stranger sex story : हेलो दोस्तों, मेरा नाम गीता है। मैं 26 साल की हूं और एक स्कूल के अकाउंट डिपार्टमेंट में काम करती हूं। हर दिन की तरह, उस दिन भी मैं अपने काम के लिए निकली थी, लेकिन मुझे नहीं पता था कि वो दिन मेरी जिंदगी को बदलने वाला था।
दोपहर का समय था। मुझे बैंक जाना था, और घड़ी चौक पर खड़ी थी। तभी एक बाइक धीमी गति से मेरे पास रुकी। लड़के ने लिफ्ट देने का इशारा किया। मैंने उसकी ओर देखा—उसकी मुस्कुराहट, उसकी आत्मविश्वास भरी आंखें, सबकुछ अलग था। मैंने दुपट्टे के अंदर से मुस्कुराते हुए हामी भर दी।
“कहां जाना है आपको?” उसने पूछा।
“मुझे एक्सिस बैंक जाना है, टाइम हो रहा है,” मैंने कहा।
उसने तुरंत कहा, “मैं भी उधर ही जा रहा हूं। चलिए।”
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मैं उसके पीछे बैठ गई, और बाइक धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगी। रास्ते में उसने बातों का सिलसिला शुरू किया।
“आपका नाम क्या है?” उसने पूछा।
“गीता,” मैंने जवाब दिया।
“और आपका?”
“मेरा नाम प्रेम है,” उसने कहा।
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बातों के दौरान मैंने उसे बताया कि मैं एक स्कूल में अकाउंट डिपार्टमेंट देखती हूं। उसने भी बताया कि वह हॉस्पिटल में मार्केटिंग की जॉब करता है। उसकी बातें मुझे काफी सहज महसूस करा रही थीं। कुछ ही देर में हम बैंक पहुंच गए।
बैंक के बाहर उतरते हुए मैंने कहा, “मुझे सिर्फ 10 मिनट का काम है। उसके बाद क्या आप मुझे स्टेशन तक छोड़ देंगे?”
उसने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “हां, क्यों नहीं। आप काम कर लीजिए। तब तक मैं कुछ खा आता हूं। मेरा घर यहीं पास में ही है।”
उसने अपना नंबर दिया और कहा, “जब आपका काम खत्म हो जाए, तो मुझे कॉल कर देना।”
बैंक के अंदर जाने के बाद मेरा काम जल्दी खत्म हो गया। मैंने उसे कॉल किया और कहा, “मैं फ्री हो गई हूं। आप आ सकते हैं।”
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कुछ देर में वह आ गया। मैंने उससे पूछा, “आपने कुछ खा लिया?”
उसने कहा, “नहीं। आपका कॉल आते ही मैं यहां आ गया।”
मैंने उससे कहा, “प्लीज मुझे जल्दी स्टेशन छोड़ दीजिए, वरना मेरी ट्रेन छूट जाएगी।”
वह बोला, “ट्रेन तो हर एक घंटे में आती है। अगर आप चाहें, तो आप मेरे साथ घर चल सकती हैं। मैं जल्दी खाना खाकर आपको स्टेशन छोड़ दूंगा।”
पहले तो मैं झिझकी। मैंने उससे कहा, “आपके घर वाले क्या सोचेंगे?”
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उसने तुरंत जवाब दिया, “चिंता मत कीजिए। मैं घर में अकेला रहता हूं। अगर आपको मुझ पर भरोसा हो, तो चलिए।”
उसकी बातों में सच्चाई और आत्मविश्वास था, और मुझे देर भी हो रही थी, इसलिए मैंने हामी भर दी। “ठीक है, पर जल्दी स्टेशन छोड़ दीजिएगा,” मैंने कहा।
घर पहुंचने के बाद उसने मुझे अंदर बैठने को कहा। उसने टीवी चालू कर दिया और कहा, “आप टीवी देखिए, मैं कुछ खाकर आता हूं।”
थोड़ी देर में वह मेरे पास पानी और केले लेकर आया। उसने मुस्कुराते हुए कहा, “ये लीजिए।”
मैंने मजाक में कहा, “क्या आप अकेले खाएंगे, या मुझे भी खिलाएंगे?”
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वह हंसते हुए बोला, “सब आपका ही है। जो दिल करे, करिए।”
टीवी पर सावधान इंडिया आ रहा था। हम दोनों ध्यान से देखने लगे। तभी मैंने घड़ी देखी और कहा, “मुझे अब स्टेशन ले चलिए। मुझे देर हो रही है।”
वह बोला, “अभी सिर्फ 4:30 बजे हैं। अगली ट्रेन 5:30 पर है। तब तक ये सीरियल खत्म हो जाएगा।”
मैं उसकी बात मान गई और फिर टीवी देखने लगी।
जैसे-जैसे समय बीत रहा था, मुझे महसूस हो रहा था कि प्रेम की नजरें मुझ पर टिकी हुई थीं। तभी उसने अचानक कहा, “गीता जी, आप बहुत खूबसूरत हैं।”
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मैं थोड़ा हंसी और जवाब दिया, “झूठ मत बोलो। आप मुझसे ज्यादा स्मार्ट हो।”
वह मजाकिया अंदाज में बोला, “वो तो मैं हूं।”
हम दोनों हंसने लगे। फिर उसने धीरे से कहा, “मुझे आपको ‘किस’ करने का मन कर रहा है।”
उसकी बात सुनकर मैं चौंक गई। मैंने तुरंत टीवी बंद किया और उसकी तरफ देखा। वह डर के मारे सर झुकाए बैठा था। उसकी घबराहट देखकर मैंने उसे कहा, “इधर देखो!”
जब उसने मेरी तरफ देखा, तो मैंने पूछा, “तुम्हारी उम्र कितनी है?”
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उसने जवाब दिया, “24 साल।”
मैंने मुस्कुराते हुए कहा, “और मैं तुमसे दो साल बड़ी हूं।”
उसने फौरन कहा, “आपको देखकर तो ऐसा नहीं लगता कि आप 26 की हैं।”
मैंने ठंडे स्वर में कहा, “जितना बताया, उतना ही जानो। ज्यादा जानने की जरूरत नहीं है।”
उसकी चुप्पी देखकर मैंने कहा, “क्या सोच रहे हो?”
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वह बोला, “कुछ नहीं। मुझे आपसे ऐसी बात नहीं करनी चाहिए थी। आप मेरे बारे में गलत सोच रही होंगी।”
मैंने उसकी बात काटते हुए कहा, “गलती कर ही दी है, तो सजा भी माननी पड़ेगी।”
वह हड़बड़ाते हुए बोला, “क्या सजा?”
मैंने उसकी आंखों में देखा और कहा, “मुझे तुम्हें गले लगाना है।”
उसकी मुस्कान और राहत देखकर मुझे अंदर से हंसी आ रही थी। मैंने उसे कसकर गले लगा लिया। उसके कंधे चौड़े और मजबूत थे। मैं महसूस कर सकती थी कि वह मुझसे चिपकने की कोशिश कर रहा था।
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हम दोनों बेड पर बैठ गए। उसके होठ अचानक मेरे होठों से मिल गए। मैं झिझक रही थी, लेकिन उसकी गर्मी और आत्मविश्वास ने मुझे रोक दिया। हम एक-दूसरे को चूमने लगे। उसकी छुअन में एक पागलपन था, और मेरे अंदर भी एक अजीब सी तड़प जाग रही थी।
वह धीरे-धीरे मेरे बदन को सहलाने लगा। उसका स्पर्श मेरे अंदर गहरी बेचैनी और खुशी जगा रहा था। उसने मेरे कुर्ते के नीचे हाथ डालकर मेरे पेट को सहलाया।
मैंने उसे रोका नहीं, क्योंकि मेरे अंदर का डर कहीं खत्म हो चुका था। मैं भी चाहती थी कि वह मुझे करीब से महसूस करे।
उसने धीरे-धीरे मेरी ब्रा के ऊपर से मेरे मम्मों को छुआ। मुझे पता था कि मेरा शरीर उसे उत्तेजित कर रहा है। उसने कुर्ता उतारने की कोशिश की, लेकिन मैं झिझक रही थी।
“मुझे मत रोकिए,” उसने धीरे से कहा।
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मैंने कुर्ता खुद उतार दिया और साइड में रख दिया। अब मैं सलवार और ब्रा में थी। उसकी नजरें मेरे ऊपर गड़ी हुई थीं।
मैंने देखा कि उसका लंड खड़ा हो चुका था। मैं उसके पास झुकी और उसने मेरी ब्रा खोल दी। मेरे मम्मे उसके सामने थे, और उसने बिना देरी किए अपने मुंह में मेरे निप्पल ले लिए।
मेरे मुँह से सिसकारियां निकलने लगीं। मुझे पहली बार ऐसा महसूस हो रहा था। वह मुझे दीवाना बना रहा था।
उसके होंठ मेरे निप्पलों को चूस रहे थे, और उसकी उंगलियां मेरे बदन को हर जगह छू रही थीं। मेरी सिसकारियां अब तेज़ हो चुकी थीं, और मेरा शरीर उसके स्पर्श के लिए पूरी तरह तैयार था। मैं खुद को रोकने की कोशिश कर रही थी, लेकिन उसके हाथों का जादू मुझे बेकाबू कर रहा था।
जब उसने मेरी सलवार का नाड़ा खोलना शुरू किया, तो मैंने झिझकते हुए उसकी मदद की। कुछ ही पल में मैं अपनी सलवार से भी आज़ाद हो चुकी थी। वह अब मेरे सामने पूरी तरह नंगी खड़ी थी, और उसकी आंखों में मेरे लिए एक अजीब सी चाहत साफ दिखाई दे रही थी।
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उसने मेरे बदन को देखते हुए कहा, “गीता, तुम्हारे मम्मे और चूत बिल्कुल अनछुए लगते हैं। क्या किसी ने पहले तुम्हें छुआ नहीं?”
मैंने मुस्कुराते हुए कहा, “नहीं, आज तुम ही पहले हो।”
उसके चेहरे पर एक जीत जैसी मुस्कान उभरी। उसने फिर से मुझे अपने पास खींचा और मेरे निप्पलों को चूसने लगा। मैं खुद को पूरी तरह उसके हवाले कर चुकी थी।
उसने धीरे-धीरे अपनी उंगलियां मेरी पैंटी के अंदर सरकाईं। उसकी उंगलियों का स्पर्श मेरे चूत पर ऐसा लग रहा था, जैसे मैं किसी और ही दुनिया में चली गई हूं। जब उसने मेरे चूत के दाने को सहलाना शुरू किया, तो मेरे मुंह से जोरदार सिसकारियां निकलने लगीं।
“तुम्हारी चूत तो पूरी गीली हो चुकी है,” उसने कहा।
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मैं उसकी बातों पर शर्माते हुए उसके और करीब आ गई। उसने मेरी पैंटी उतार दी और अपनी उंगलियों से मेरी चूत का जायज़ा लेने लगा। उसकी हर हरकत से मेरे शरीर में एक अजीब सी गर्मी फैल रही थी।
जैसे ही उसने मेरे चूत के दाने पर उंगली घुमाई, मैं उसकी बाहों में कसकर चिपक गई। मेरे पूरे बदन में जैसे बिजली दौड़ गई। मैंने अपनी आंखें बंद कर लीं, और कुछ ही पलों में मेरा पूरा शरीर कांप उठा।
“तुम झड़ गई हो,” उसने हंसते हुए कहा।
मैं शर्म से लाल हो गई, लेकिन अंदर से एक अजीब सी संतुष्टि महसूस हो रही थी।
उसने अब अपना अंडरवियर उतारा। उसका लंड देखकर मैं हैरान रह गई। “बाप रे, इतना बड़ा!” मैंने हंसते हुए कहा।
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उसने मजाक में पूछा, “पहली बार देख रही हो?”
“स्कूल के बच्चों का देखा है, लेकिन ऐसा नहीं।” मैंने शर्माते हुए जवाब दिया।
“तुमने ब्लू फिल्म तो देखी होगी?” उसने पूछा।
मैंने हां में सिर हिलाया और बताया, “हम अकाउंट डिपार्टमेंट में तीन लड़कियां हैं। जब बाकी टीचर्स क्लास ले रहे होते हैं, तो हम ब्लू फिल्म देखते हैं। आज भी बैंक निकलने से पहले देखी थी। शायद इसलिए आज तुम्हारे साथ ये सब हो रहा है। लेकिन प्लीज, ये बात किसी से मत कहना।”
मैंने उसका लंड हाथ में लिया और धीरे-धीरे सहलाने लगी। उसके छूने से मेरी चूत पहले से ही तैयार थी। उसने मुझे बेड पर लिटा दिया और मेरे दोनों पैर अपने कंधों पर रख लिए।
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जब उसने लंड मेरी चूत के पास रखा और हल्का धक्का दिया, तो मेरे मुंह से चीख निकल गई। “अरे धीरे!” मैंने कहा।
उसने मेरी निप्पलों को चूसते हुए कहा, “सिर्फ पहली बार में दर्द होता है। बाद में सब ठीक हो जाएगा।”
धीरे-धीरे उसने अपना लंड मेरी चूत के अंदर धकेला। दर्द और सुख का मिला-जुला एहसास हो रहा था। कुछ ही देर में उसका लंड पूरी तरह अंदर चला गया। उसने रुककर मुझे सामान्य होने का वक्त दिया।
फिर उसने धीरे-धीरे अंदर-बाहर करना शुरू किया। मेरे मुंह से सिसकारियां निकल रही थीं। मैंने कहा, “प्रेम, और तेज करो। मजा आ रहा है!”
वह और तेजी से धक्के मारने लगा। मेरे अंदर उसकी हर हरकत मुझे पागल कर रही थी। आखिरकार, उसने मेरे अंदर ही अपना पानी छोड़ दिया।
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जब सब खत्म हुआ, तो मैंने देखा कि उसके लंड से खून निकल रहा था। मैं डर गई। उसने मुझे समझाया, “ये पहली बार में होता है। अब सब ठीक रहेगा।”
थोड़ी देर आराम करने के बाद मैंने घड़ी देखी। “अरे, 5:45 हो गए! मुझे जल्दी स्टेशन छोड़ दो, वरना घर से फोन आ जाएगा।”
हम दोनों जल्दी से बाथरूम में फ्रेश हुए और वह मुझे बस स्टैंड छोड़ने गया।
घर लौटकर मैंने खुद को फिर से उसी दिन के ख्यालों में खो दिया। प्रेम से हुई इस मुलाकात ने मुझे एक नया अनुभव दिया था। उस रात हमने फोन पर भी लंबी बातें कीं।
अब यह किस्सा यहीं खत्म होता है, लेकिन प्रेम और मेरी कहानी अभी पूरी नहीं हुई। अगले दिन उसने जो कहा, वह मेरे लिए एक और नया अनुभव लेकर आया। उसकी बातें सुनकर मुझे समझ में आया कि यह सिर्फ हमारे बीच तक सीमित नहीं रहेगा। अगली बार, मैं आपको बताऊंगी कि कैसे हमारी मुलाकात मेरी सहेलियों के साथ एक और किस्से में बदल गई।
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