मेरा नाम बृजेश है। मैं झाँसी में रहता हूँ। मेरी उम्र कभी 19 साल की है। मैं देखने में बहुत ही हैंडसम लगता हूँ। मेरा लंड 8 इंच लम्बा है। मेरा लंड भी काफी गोरा है। मैंने दिन रात मेहनत करके अब अपने लंड को 8 इंच का बना पाया हूँ। मैंने अब तक कई लड़कियों के साथ सेक्स कर चुका हूँ।
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मेरी गर्लफ्रेंड से ब्रेक अप होने के बाद मैंने कई दिनों से चुदाई नहीं कर पा रहा था। मुझे लड़कियों की चूत चाटना और उन्हें अपना लंड चुसाना बहुत अच्छा लगता है। कई सारी लड़कियों के साथ मैंने उनकी चूंचियां भी दबाकर कर पी है। लड़कियों की चूंचियों को दबाने में मुझे बहुत मजा आता है।
हॉट और सेक्सी लड़कियों को देखते ही मन करने लगता है। इसे अभी ही चोद डालूँ। मै हमेशा किसी न किसी को चोदने के बारे में ही सोंचता रहता हूँ। लेकिन मेरी चोदने की प्यास कभी नहीं खत्म होती है। मेरा लंड हमेशा चोदने को तैयार रहता है। दोस्तों मैं अब अपनी कहानी पर आता हूँ।
दोस्तों मै एक मीडियम फैमिली से हूँ। मेरे पापा पुलिस है। वो हमेशा घर से बाहर ही रहते हैं। मेरे घर में मेरे अलावा मेरी एक साल की मुझसे छोटी बहन है। मेरी मम्मी हम लोगो के साथ घर पर ही रहती हैं। मेरी बहन का नाम संध्या है। संध्या देखने में बहुत ही अच्छी लगती है।
भाई होकर भी मेरा मन बहक गया। संध्या को चोदने के लिए। संध्या की चूंचियां बड़ी ही सॉलिड लगती हैं। संध्या का फिगर 34,30,36 का है। पहले तो नही लेकिन अब देखते ही संध्या को मेरा लंड खड़ा हो जाता है। संध्या को चोदने को मैं रोज तरकीब सोचता था।
मै और संध्या बचपन से ही साथ लेटते थे। आज भी हम दोनों एक ही बिस्तर पर लेटते है। संध्या की गांड में अपना रोज लंड लगाकर मुठ मारता था। संध्या जब सो जाती थी। मैं भी चिपक कर सो जाता था। संध्या का अब चिपकना मेरे लिए बहुत ही भारी पड़ रहा था।
पहले कभी कभी मुठ मारना पड़ता था। लेकिन अब हर रोज मुठ मार कर ही सों पाता था। मेरी बहन संध्या की उभरी गांड को देखकर मेरा लंड आपे से बाहर हो जाता था। मैं अपनी बहन संध्या को चोदना चाहता हूँ। मैंने बहन को चोदने का पूरा प्लान बना लिया।
एक दिन मम्मी मौसी के यहाँ चली गई। मैं और संध्या ही घर पर थे। संध्या ने शाम को खाना बनाया। हमे खाना खाया। आज संध्या बहुत ही गजब की माल लग रही थी। मेरा लंड आज तो बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था। रात के 8 बज रहे थे।
संध्या और हम दोनों एक दूसरे के ऊपर तकिया फेंक कर खेल रहे थे। मैंने संध्या के ऊपर तकिया फेंका। जब संध्या ने मेरे ऊपर फेंका तो मैंने संध्या को पकड़ लिया। संध्या ने आज स्कर्ट और टॉप पहना था। मैं संध्या के ऊपर लेट कर संध्या को पकड़ लिया।
संध्या और मै एक दूसरे के आँखों में देख रहे थे। मेरी नजर संध्या की चुच्चे पर थी। संध्या मेरी नियत को समझ रही थीं। मै संध्या को कस कर दबाये पकडे था। संध्या कोई भी प्रतिक्रिया नहीं व्यक्त कर रही थी।
संध्या- “भैया आप नीचे उतरो मुझे बहुत अजीब सा लग रहा है.”
मैं- “कैसा लग रहा है” मैंने संध्या से पूंछा।
संध्या- “पहली बार ऐसा लग रहा है.”
मै – “मुझे भी बड़ा अजीब लग रहा है.”
संध्या- “तुम्हारा मन भी कुछ करने को कह रहा है.”
मै- “हाँ लेकिन कैसे हो सकता है ये सब” इतना कहकर मै संध्या के ऊपर से हट गया।
संध्या को मेरा हटना बुरा लग रहा था। शायद अब संध्या का भी मन चुदने को कर रहा था। मैंने संध्या को छोड़कर बिस्तर पर जाकर बैठ गया। संध्या भी कुछ देर बाद बिस्तर पर आकर बैठ गई। हम एक दूसरे से कुछ बोल ही नहीं पा रहे थे। संध्या की आँखे बता रही थी। की वो भी आज चुदना चाहती है। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मैंने संध्या से कहा- “संध्या क्या मैं जो सोच रहा हूँ। वही तुम भी सोच रही हो.”
संध्या- “हाँ लेकिन आप करोगे.”
मै तो ख़ुशी से पागल हो गया।
मैंने संध्या के पास जाकर कान में बोला- “चलो फिर शुरू करते हैं” आज हम लोग दूसरा खेल खेलेंगे।
संध्या ने बहुत उत्तेजित होकर हाँ बोला।
मैंने संध्या से पूंछा- “तुमने कभी सेक्स किया है.”
संध्या ने कहा- “नहीं किया है कभी तक इसीलिए तो सीखना चाहती हूँ.”
मैंने कहा- “चलो आज मै तुम्हे सिखाता हूँ.”
इतना कहकर मैंने अपना फ़ोन निकाला और उसमें मैंने ब्लू फिल्म डाउनलोड की। हम दोनों लेट कर ब्लू फिल्म देखने लगे। संध्या ब्लू फिल्म देखकर गर्म हो रही थी। मैं भी संध्या की टांगों पर टांग रखकर ब्लू फिल्म देख रहा था। मै अपना लंड उसकी गांड में लगा रहा था।
संध्या- “भैया कुछ चुभ रहा है.”
मैंने कहा- “पगली वो मेरा लंड है जो अब खड़ा हो गया है। जिससे चोदा जाता है.”
संध्या और मैंने तीन चार ब्लू फिल्म देखी। संध्या की गांड में अपना लौड़ा मै चुभा रहा था।
संध्या- “भैया मुझे आपका लंड देखना है.”
मैंने कहा- “देखना क्या है ले लो जी भर कर खेल लो उसके साथ” मैंने इतना कहकर अपना कच्छा निकाल दिया।
मेरा बड़ा मोटा लंड देखकर संध्या न्र कहा- “भैया कितना बड़ा और मोटा लंड है आपका। मेरी चूत तो अभी छोटी है.”
मैंने कहा- “चूत छोटी है या बड़ी लंड घुसने के बाद पता चलता है। तू मुझसे एक ही साल तो छोटी है। तुम्हारी चूत भी अब बड़ी हो गई है।”
मैंने संध्या को अपने से चिपका लिया। चिपका कर संध्या को मैं किस करने लगा। मैंने संध्या की गुलाब जैसी होंठ को चूसने लगा। संध्या भी मेरे होंठ को चूसने लगी। मैंने संध्या की होंठ को बारी बारी से ऊपर नीचे चूस कर काट रहा था।
मैंने संध्या की होंठ को चूस कर और ज्यादा गुलाबी कर दिया। संध्या की सांस बढ़ने लगी। वो अपना गर्म गर्म सांस मेरे नाक के पास छोड़ रही थी। मैं संध्या को फ्रेंच किस सिखा रहा था। मैंने संध्या की होंठ को चूस कर अपनी जीभ अंदर उसके जीभ में लगा रहा था।
संध्या भी अपनी आँखे बंद करके होंठ चुसाई में मेरा साथ दे रही थी। मैंने होंठ को अंदर डाल कर संध्या की होंठ को चूस रहा था। संध्या के होंठो को चूंसने में मुझे बहुत मजा आ रहा था। संध्या को अपनी होंठ चुसवाने में भी बहुत मजा आ रहा था।
संध्या अभी पहली बार अपनी होंठ को किसी से चुसवा रही थी। मैंने अपना हाथ संध्या के बदन पर फेरते हुए। उसकी स्कर्ट में अपना हाथ घुसा दिया। उसकी स्कर्ट में घुसते ही मेरा हाथ उसकी पैंटी के अंदर उसकी झांटो के जंगल में चला गया। उसकी चूत के बाल काफी बड़ी हो गई थी।
अब तक उसने अपनी चूत के बालों को नहीं साफ़ किया था। मैंने बाथरूम में जाकर रेजर ले आया। मैंने संध्या की स्कर्ट को निकाल कर उसकी पैंटी को निकाल दिया। उसकी चूत के पास बालों का जंगल उगा हुआ था। मैंने संध्या के चूत के बालों को साफ़ किया। संध्या की चूत बहुत ही खूब सूरत लग रही थी। संध्या भी अपनी चूत को इतनी साफ़ और सुंदर देख कर चौक गई।
संध्या- “भैया मेरी चूत इतनी अच्छी होगी ये तो मुझे पता ही नहीं था। थैंक यू भैया मेरी चूत के बाल साफ़ करने के लिए.”
मै- “संध्या अपनी चूत को हमेशा मेनटेन करके रखा करो। साफ़ चिकनी चूत को चुदवाने और भी मजा आता है।”
मैंने संध्या की चूत को साफ़ किया। फिर अपने होंठ संध्या की चूत पर रख दिया।
संध्या- “भैया वहाँ मुँह ना लगाओ। वहां से मै पेशाब करती हूँ.”
मै- “चूत को चाटने में बहुत मजा आता है। तुम्हे भी मजा आएगा मेरा लंड चूसने में.”
मैंने अपना मुँह संध्या की चूत में सटा कर लगा दिया। संध्या की चूत को मैं जैसे ही पीने लगा। संध्या की मुँह से “उ उ उ उ उ…अअअअअ आआआआ….सी सी सी सी…ऊँ…ऊँ…ऊँ…” की आवाज निकलने लगी। मैंने संध्या की चूत की दोनों टुकड़ो को चूस रहा था।
मैंने संध्या की चूत को चूस चूस कर लाल लाल कर दिया। संध्या की चूत के अंदर तक अपनी जीभ डाल कर उसकी चूत को चाट रहा था। उसकी चूत के अंदर का माल चाट चाट कर साफ़ कर दिया। संध्या की चूत का दाना भी बहुत ही रोमांचक लग रहा था।
मैंने संध्या की चूत के दाने को अपने होंठ से पकड़ कर खींच रहा था। संध्या के चूत के दाने को काटते ही संध्या की सी…सी….सी…इस्स… इस्स…. इस्स्स…उफ्फ्फ….उफ्फ्फ…की आवाज को निकाल कर अपनी चूत को चुसवा रही थी। मैंने संध्या की चूत को चाटना बंद कर दिया।
संध्या बैठ गई। मै भी खड़ा होकर अपना लौड़ा उसके मुँह में रख दिया। संध्या ने मेरा लंड अपने मुँह में लेकर चूंसने लगी। मेरे लंड को आइस क्रीम की तरह से चूस चूस कर चाट रही थी। मेरा लंड चूसने में संध्या को बहुत मजा आ रहा था। संध्या मजे ले ले कर मेरा लंड चूस रही थी।
संध्या ने मेरे लंड को चूस चूस कर मेरे लंड का सुपारा लाल लाल कर दिया। मैंने अपना लौड़ा संध्या की मुँह से निकाल कर बाहर किया। संध्या की टॉप को निकाल कर मैंने संध्या को ब्रा में कर दिया। संध्या ने नीले रंग की ब्रा पहन रखी थी। मैंने संध्या की ब्रा को निकाल कर उसके मम्मो के दर्शन किया।
उसके मम्मे बहुत ही गोरे गोरे दूध की तरह दिखाई दे रहे थे। मैंने पहली बार संध्या के मम्मो को छुआ। संध्या के मम्मे बहुत हो सॉफ्ट थे। संध्या के मम्मे को दबाने में बहुत मजा आ रहा था। मैंने संध्या की दूध को पीना चाहता था। मैंने संध्या के चूंचियों को कुछ देर तक दबा कर।
मैंने संध्या का निप्पल अपने मुँह में रख कर पीने लगा। संध्या की चूंचियो को पीने में बहुत मजा आ रहा था। संध्या के मुँह से सिसकारियां निकल रही थी। मैंने संध्या की दूध के निप्पल को काट काट कर पीने लगा। संध्या भी सुसुक रही थी। संध्या अपनी चूत में ऊँगली डाल कर आगे पीछे कर रही थी।
मैं भी खूब दबा दबा कर चूंचियो को पी रहा था। मैं भी चूंचियो को पीते पीते मुठ मार रहा था। मैंने भी अब संध्या की चूंचियों को पीना बंद किया। मैंने संध्या को बिस्तर पर लिटा दिया। मैंने संध्या की दोनों टांगों को फैलाकर उसकी चूत के दर्शन अपने लौड़े को करवाया।
मैंने अपना लौड़ा संध्या की चूत पर रख कर रगड़ने लगा। मैंने अपना लंड संध्या की चूत के दोनों टुकड़ो के बीच में रगड़ कर ऊपर नीचे कर रहा था। संध्या चुदवाने को तड़प रही थी। मैंने भी उसे और तड़पा कर चोदने की सोच रहा था। मै कुछ देर तक अपना लौड़ा संध्या की चूत पर रगड़ ही रहा था।
मैंने अपना लौड़ा संध्या की चूत के छेद पर रखा ही था। कि संध्या ने मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत में डालने लगी। मैंने भी अपने लंड को संध्या की चूत में धक्का मारा। संध्या की चूत बहुत ही टाइट थी। मेरा लौड़ा अंदर घुस ही नहीं रहा था।
उधर संध्या की चूत में आग लगी हुई थी। मैंने अपना लौड़ा ज़बरदस्ती संध्या की चूत में डालने लगा। बहुत देर बाद मेरा लौड़ा संध्या की चूत में घुसा। संध्या बहुत जोर से “….मम्मी…मम्मी…सी सी सी सी…हा हा हा ….ऊऊऊ …ऊँ…ऊँ. .ऊँ…उनहूँ उनहूँ…” की आवाज के साथ चिल्लाने लगी। ये कहानी आप FREE SEX KAHANI पर पढ़ रहे है.
मैंने फिर से धक्का मारा। इस बार मेरा पूरा लंड उसकी चूत में घुस गया। मुझे अपना लंड भीगा भीगा लग रहा था। मैंने अपना लंड संध्या की चूत से निकाला। संध्या की चूत से खून निकल रहा था। मैंने संध्या की चूत में अपना लंड फिर से डाल दिया।
संध्या की चूत में अपना लौड़ा घुसाये ही मैंने संध्या को उठा कर नीचे लिटा दिया। संध्या दर्द के मारे तड़प रही थी। संध्या की चूत से अपना लौड़ा निकाला। संध्या की चूत से खून की बूँदे टप टप करके नीचे गिरने लगी। संध्या डर गई। मैंने उसे समझाया।
सील टूटने पर थोड़ा खून निकलता है। अभी तक तुम्हारी सील नहीं टूटी थी। आज मैंने तोड़ दी है। अब तुम्हे कभी न ही दर्द होगा न ही कभी अब खून निकलेगा। लेकिन संध्या तो खून को देख कर और ज्यादा डर रही थी। मैंने अपना लौड़ा फिर से उसकी चूत पर रख दिया।
मैंने संध्या की चूत को सहला सहला कर उसे आराम दिला रहा था। संध्या को आराम मिल रहा था। मैंने फिर से अपना लौड़ा संध्या की चूत में घुसाने को संध्या की चूत के छेद पर लगा दिया। संध्या बहुत डर रही थी। उसने कहा भैया अभी फिर खून निकलेगा। अब ना डालो अंदर नहीं तो बहुत दर्द होगा।
मैंने पास के कपडे से उसकी चूत पर लगा खून और अपने लौड़े पर लगा खून साफ़ किया। खून को साफ़ करते ही एक बार फिर से संध्या की चूत निखर कर सामने आ गई। मैंने अपना लौड़ा आराम से संध्या की चूत में घुसाने लगा। संध्या सी..सी..सी.कर रही थी।
मैंने फिर से जोर से धक्का मार कर अपने लौड़े को संध्या की चूत में घुसा दिया। संध्या की चूत फिर से फट गई। संध्या फिर से आआआअह्हह्हह…ईईईईईईई… ओह्ह्ह्हह्ह…. अई… अई.. अई… अई… मम्मी….” की आवाज निकाल दी। मैंने अब धीऱे धीऱे से संध्या को चोदना शुरू किया।
संध्या की आवाज धीऱे धीऱे कम हो गई। मैंने फिर से संध्या को जोर जोर से चोदने लगा। संध्या को भी अब चुदवाने में मजा आ रहा था। मैंने अपना लौड़ा जड़ तक संध्या की चूत में पेलने लगा। संध्या भी अब अपनी कमर उठा उठा कर चुदवाने लगी। संध्या अब मेरा साथ देने लगी।
मैंने संध्या को उठाया। संध्या को मैंने झुकाकर उसकी चूत में अपना लौड़ा घुसा दिया। संध्या को भी अब चुदवाने का आंनद प्राप्त हो रहा था। मैंने अपना लौड़ा संध्या की कमर पकड़ कर चोदने लगा। संध्या की कमर को पकड़ कर मेरे चोदने की स्पीड बढ़ गई।
मैं अपना लौड़ा गपा गप पेल रहा था। मैंने संध्या की चूत से अपना लौड़ा निकाला। मै नीचे ही लेट गया। संध्या को मैंने अपने लंड पर बैठने को कहा। संध्या ने ब्लू फिल्म देखी थी। उसी तरह से अपनी चूत में मेरा लौड़ा सेट करके चुदवाने लगी। संध्या अपनी कमर को उठा उठा कर चुदवा रही थी। मैं भी अपना लौड़ा ऊपर उठा उठा कर चोदने लगा। मेरा पूरा लौड़ा संध्या अपनी चूत में अंदर तक ले रही थी। मैंने संध्या को आज सिर्फ चोदने की सोची थी।
संध्या ने अपनी गांड को बाद में मरवाने को कहा। संध्या और हम दोनों झड़ने वाले हो गए। मैंने झट से अपना लौड़ा संध्या की चूत से अलग किया। मैंने अपना सारा माल संध्या की मुह में गिरा दिया। संध्या ने मेरा माल नाक दबाकर पी गई। मैंने भी उसकी चूत से निकला माल साफ़ कर दिया। मैंने बाद में संध्या की गांड भी मारी। अब हम दोनों नंगे ही सोते है। हर रोज चुदाई भी करते है। हम लोग खूब मस्ती पूरी रात करते है। हर रोज मै संध्या को नए स्टाइल में चोदता हूँ।