मैडम लावण्या ने भाई बहन को सेक्स करना सिखाया

मैं एक स्कूल में अध्यापिका हूँ। ये मात्र 12वीं कक्षा तक का स्कूल है। शाम को अक्सर मैं नदी-तालाब के किनारे घूमने निकल जाती हूँ। ऐसे ही एक दिन मैं तालाब के किनारे घूम रही थी। 18 साल की 9वीं कक्षा की एक छात्रा और 18 साल का 11वीं का एक छात्र मिल गए। ये दूसरे सेक्शन में थे। मैंने उनसे उनका नाम पूछा तो उन्होंने अपने नाम मीना और राजू बताए।

मीना ने स्कूल ड्रेस यानी स्कर्ट और टॉप ही पहने थे, लेकिन उसकी स्कर्ट कुछ छोटी थी। इसलिए जब वो बैठी तो मुझे उसकी गोरी टाँगों के साथ-साथ उसकी जाँघें भी दिखाई दे रही थीं। जिसमें वो बहुत ही सुंदर और सेक्सी लग रही थी।

गदराया बदन, शोख, चंचल और कमसिन, कंधों तक कटे बाल, सुतवाँ नाक, पतले-पतले गुलाबी होंठ जैसे शहद से भरी दो पंखुड़ियाँ, सुरहीदार गर्दन, बिल्लोरी आँखें, छोटे-छोटे नींबू जो अब अमरूद बनते जा रहे हैं, पतली कमर, चिकनी-चिकनी बाहें और केले के पेड़ की तरह चिकनी जाँघें।

सबसे कमाल की चीज़ तो उसके गदराए, कहर बरपाने वाले नितंब थे। या अल्लाह, वह जवानी की देहलीज़ पर कदम रख चुकी थी। चूचियाँ एकदम गोल और बड़े नींबू के साइज़ की थीं, एकदम टाइट और कठोर थीं। नरम गद्देदार चूतड़ों पर भी मांस आ जाने से गदराने लगे थे।

मीना का चेहरा और होंठ तो इतने रसीले थे कि कोई भी देखे तो किस करने का मन करने लगे। बड़ी-बड़ी कजरारी आँखें, चिकनी जाँघें, संगमरमर सा बदन, कुल मिलाकर अल्हड़ जवानी में कदम रखने को बिल्कुल तैयार। उसने उस समय जो स्कर्ट पहन रखी थी, वो इतनी टाइट थी कि उसकी संतरे जैसी चूचियाँ और ठोस गदराए चूतड़ों को सेक्सी बना रही थी।

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पैंटी इतनी छोटी थी कि झुकने पर पूरे चूतड़ दिख जाते थे, जैसे चुदवाने के लिए ही बने हों। उसने मुझे कहा कि “मैडम, हम दोनों जीव विज्ञान विषय में आपसे ट्यूशन पढ़ना चाहते हैं।” मैंने उसे कहा कि कल घर आ जाना, मैं बता दूँगी। राजू और मीना दूसरे दिन घर पर आ गए।

मैं छुप गई और देखा कि दोनों एक-दूसरे की आँखों में आँखें डालकर प्यार से देख रहे थे। हँसी-मज़ाक भी कर रहे थे। लगता था कि वे बहुत क्लोज़ थे। राजू खेल-खेल में उसके बाल पीछे से पकड़ लेता, कभी कमर को पकड़कर भींच लेता। वो हँसती रहती। कभी राजू कहता कि “मीना, तुम आज बहुत सेक्सी लग रही हो।” वो शरम से लाल हो जाती, कहती, “बदमाश कहीं का, छोड़ मुझे, मैडम को पता चल गया तो?”

मौका मिलते ही राजू ने हौले से मीना के नितंबों पर चिकोटी काट ली और उसकी गोल छोटे-छोटे चूचियों को दबा दिया। मीना ने जीभ निकालकर उसे चिढ़ा दिया और उसे मारने को दौड़ी। उसने कहा, “चल बेशर्म, तू तो हर समय तैयार रहता है। मैडम ने देख लिया तो?” और उसने प्यार से उसकी नाक उमेठ दी और उसके गालों पर किस किया।

मुझे लगा कि दाल में कुछ काला है और इनकी प्रॉब्लम कुछ और है। मैंने बाहर आकर पूछा, “जीव विज्ञान के किस टॉपिक पर पढ़ना चाहते हो?” दरअसल, हमने जनन अंगों (जीव विज्ञान) के विषय में आपसे कुछ पूछना था।” “मीना, ये राजू तुम्हारा दोस्त है क्या?” “नहीं मैम… प्लीज़, आप नाराज़ ना होना।”

मैंने कहा, “मीना, डरो मत, सच-सच कह दो, मैं कुछ नहीं कहूँगी। या कुछ और बात है? कह दो… मैं भी तुम्हारी उम्र से गुज़री हूँ।” मैंने अंधेरे में तीर छोड़ा, पर सही लगा।

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“मैम, हम दोनों भाई-बहन हैं,” और कहा, “प्लीज़, आप हमारी माँ से मत कहना कि हम जनन अंगों के विषय में आपसे पूछ रहे थे।” वो कुछ शरमाती सी बोली। मैं एकदम भाँप गई कि मामला प्यार का है। मैंने राजू के गालों पर एक चिकोटी काटी और उसके चूतड़ों पर हल्की सी चपत जमाकर कहा, “शैतान कहीं का, छुप-छुपके फ्री मज़ा ले रहा है।” “सॉरी मैडम, मैं अपने पर काबू नहीं रख पाया।”

“हम… में वो… हम तो आपके पास इसलिए आए थे कि हम दोनों ज़्यादा से ज़्यादा समय साथ रहें! प्लीज़ मैम, नाराज़ मत होना…” उसके चेहरे से लगा कि वो मुझसे विनती कर रही हैं। “पर ये पढ़ने की जगह है, कोई मिलन की जगह नहीं है? मैम वो… घर में मम्मी-पापा को पता लग गया तो? मेरी सहेली निशा ने बताया था कि आप हमारी मदद कर देंगी…”

ओह तो ये बात है… लगता है कि तुम अपने भाई से बहुत प्यार करती हो, कोई बात नहीं। निशा का भी अपने भाई से एक बार यहीं मिलन हुआ था तो मैंने भी उसी के भाई से चुदवा लिया था। मेरे मन में भी एक हुक सी उठी… ये दोनों बहन-भाई अपनी जिस्म की प्यास बुझाने आए हैं, क्यों ना मैं भी इस बात का फ़ायदा उठाऊँ।

राजू एकदम ही डर गया। मैंने कहा, “डरो मत, देख मैं ये बात तुम्हारे मम्मी-पापा को नहीं बताऊँगी, पर एक शर्त है।” मीना ने कहा, “कौन सी शर्त?” “तुम्हारा तो मिलन हो जाएगा… पर मेरा क्या फ़ायदा होगा इसमें…” मैंने तिरछी निगाहों से उसे परखा।

मैंने कहा, “मेरी भी कुछ इच्छाएँ हैं, राजू को मेरी भी… लेनी होगी, यह बात हमारे बीच ही रहेगी… टॉप सीक्रेट।” राजू बोल पड़ा, “क्या लेनी होगी मैम?” मीना ने कहा, “बुद्धू, वही जो तू मेरी लेने को बेचैन रहता है और मौका मिलते ही चड्ढी के ऊपर से मुट्ठी में भर लेता है। मैडम, आपकी शर्त मुझे मालूम है। निशा ने मुझे सब बता दिया है… इसलिए तो मैंने आपसे सब कह दिया… आपकी सारी शर्तें हमें मंजूर हैं…” उसने अपना सर झुकाए सारी बातें मान ली।

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“तो ध्यान रहे… शर्त… कल दिन को स्कूल के बाद सीधे ही यहाँ आ जाना…” मैंने उसे मुस्कुराते हुए कहा। मीना खुशी से उछल पड़ी… मैंने मीना को चूम लिया… मैंने कहा, “राजू, तुम भी आओ ज़रा…” मैंने राजू के होंठों पर एक गहरा चुम्मा ले लिया… मेरे बदन में तरावट आने लगी…

राजू ने भी कहा, “मैडम, आप तो इतनी सुंदर हैं, बिल्कुल रीमा लागू जैसी परी।” और जोश में मुझे बाहों में लेकर किस कर लिया और मेरे चौड़े नितंबों पर दोनों हाथ रखकर ज़ोर से भींच दिया। मैं समझ गई कि लड़का काम का है। मैंने उनकी माँ से दोस्ती कर ली और मेरे से एक्स्ट्रा पढ़ाई करवाने की बात कर ली, बिना कोई ट्यूशन फीस के।

बस, उनकी माँ को क्या चाहिए था। “कितने बजे आना है मैडम?” वो मुस्कुराकर बोली, “स्कूल टाइम के बाद आना।” उनकी माँ ने मुझसे कहा कि मैम, दोनों के एग्ज़ाम शुरू होने वाले हैं, वो पढ़ाई में कमज़ोर हैं, उन्हें थोड़ा टाइम निकालकर पढ़ा दिया करो। उनकी माँ ने दोनों भाई-बहन को मेरे घर भेजना कबूल कर लिया और मैंने अकेले में उनको पढ़ने के लिए सहमति दे दी।

दूसरे दिन राजू और मीना स्कूल में मेरे चक्कर लगाते रहे… मैं उन्हें मीठी सी मुस्कान देकर उनका हौंसला बढ़ाती रही… सच तो ये था कि मेरी चूत में भी कुलबुलाहट मचने लग गई थी… सोच-सोचकर ही रोमांचित हो रही थी कि 18 साल के जवान लड़के के लंड से चुदवाने को मिलेगा।

मैंने स्कूल से आते ही एसी चला दिया। लंच करके मैं आराम करने लगी। मैं जाने कब सो गई। सपने में मीना ने मेरे हाथ पकड़ लिए और राजू ने मुझे उल्टी लेटाकर मेरे चौड़े नितंबों में अपना लंड डालकर मेरी गांड में घुसाने लगा। पर उसका लंड गांड के छेद में घुस ही नहीं रहा था।

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वो बहुत ज़ोर लगा रहा था… मेरी गांड में इस ज़ोर लगाने से गुदगुदी लगने लगी थी। मीना चीख उठी… “भैया! मार दे मैम की गांड… छोड़ना मत…” उसकी चीख से मैं अचानक उठ बैठी… ओह… मैं सपना देखने लगी थी। वास्तव में दरवाजे पर बेल बज रही थी… दिन को करीब 3 बजे थे…

वो दोनों आ गए थे। मैंने अपना मुँह धोया और हम तीनों कमरे में ही बैठकर थोड़ी देर तक बातें करते रहे। उन दोनों की बेचैनी देखते ही बनती थी। मैंने कहा, “मुझे राजू से कुछ बातें करनी हैं… हाँ हाँ… ज़रूर करो… पर फिज़ूल की बातें कम करना… और…” मैंने मज़ाक किया। और मीना को बेडरूम में ले गई और सब बता दिया। राजू को भी मैंने अंदर आने का इशारा किया।

मीना तो बेडरूम देखते ही खुश हो गई… बिल्कुल सुहागरात की सेज तरह सजा रखा था। मीना नई-नवेली दुल्हन की तरह बिस्तर पर बैठ गई। अब मैंने पढ़ाना शुरू कर दिया- “चलो अब ध्यान से सुनो…” और मैं उनको प्रजनन के बारे में समझाने लगी…

“देखो – जीव दो प्रकार के होते हैं- नर और मादा। मैं सबसे पहले नर के जनन अंगों के बारे में बताऊँगी। नर का जनन अंग 3 से 4 इंच लंबा तथा 1 से 2.5 इंच मोटा हो सकता है, जिसे लिंग, लंड, लौड़ा, मूसल, लोल्ला, पेल्ड आदि नामों से जानते हैं।”

मीना ने पूछा- “क्या इसकी कोई निश्चित लंबाई नहीं होती?” मैंने कहा, “नहीं! कई मर्दों के लंड तो एक-एक फुट तक लंबे और कलाई जितने मोटे हो जाते हैं।” मीना को प्रजनन सिखाते हुए मैंने ब्लैकबोर्ड पर पेनिस (लंड) का डायग्राम बनाया… नॉर्मल लंड का नहीं, बल्कि सीधे तने हुए मशरूम जैसे सुपड़े वाले मोटे लंड का… इसको बनाते हुए मैंने अपनी सीखी हुई तमाम चित्रकला ही प्रदर्शित कर दी…

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पर मीना का ध्यान उसकी कला पर नहीं… राजू की पैंट के उभार पर टिकी हुई थी… राजू ने भी कोई कोशिश नहीं की कि उसको छुपाने की… मैंने एक्सप्लेन करना शुरू किया, “तुमने तो अभी असली पेनिस देखा नहीं होगा… कुँवारी हो ना… और देखा होगा तो छोटे बच्चे का; छोटी-मोटी नूनी… पर बड़े होने पर जब ये खड़ा होता है… मादा की योनि में घुसने के लिए तो ऐसा हो जाता है…” उसके बाद मैंने पेनिस के मुंड के सामने वेजाइना (चूत) बना दी…

वैसी ही सुंदर… मोटी-मोटी फाँकें… बीच में पतली सी झिर्री… और ऊपर छोटा सा क्लाइटोरिस (दाना)। “नर लंड से इस तरह धक्के देता है कि जिससे मादा के दाने पर रगड़ पड़ सके। दाने पर मशरूम जैसे सुपड़े की रगड़ से इस दाने में इतना आनंद आता है कि मादा यानी लड़कियाँ सब शर्म छोड़कर मज़े लेती हैं, शादी से पहले ही… स्वर्ग का मज़ा लेती हैं…”

मीना ने पूछा- “मैम… स्वर्ग का मज़ा कैसा होता है? राजू नर है और मैं मादा, क्या राजू से भी मुझे वो आनंद मिल सकता है?” मैंने कहा- “हाँ हाँ… क्यों नहीं, राजू तुमको स्वर्ग की सैर करा देगा क्योंकि तुम दोनों के जनन अंगों को पता नहीं है कि तुम दोनों बहन-भाई हो। वैसे निशा की तरह तुम भी अपने भाई के साथ मज़े ले सकती हो। मैं ये बात तेरे मम्मी-पापा या किसी और को नहीं बताऊँगी, लेकिन राजू को मेरी भी लेनी होगी।”

“बोल दिया ना, आपकी सारी शर्तें हमें मंजूर हैं।” मीना ने पूछा- “नर का असली अंग देखने में कैसा होता है? मैंने छोटे बच्चों का और केवल तस्वीरों में ही देखा है।” यह सुन राजू हँस पड़ा। मैंने राजू की पैंट की ज़िप को नीचे करके उसका लिंग निकालकर मीना के हाथों में थमा दिया। मेरा दिल धक से रह गया।

इतना मोटा और लंबा लंड… जैसे लंड निकालकर घोड़ा खड़ा हो… मुझे यकीन नहीं हुआ… उसे देखकर मेरे दिल में सिरहन दौड़ गई। हे रे… इतना बड़ा लंड…! इतना मोटा लौड़ा! उसका सुपड़ा तो कुछ ज़्यादा ही मोटा था। मीना ने कहा, “ओई माँ, ये तो गधे का लौड़ा है, मैंने गधे का एक बार देखा था, गधी के पीछे निकालकर खड़ा था।”

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“ये तो मेरी चूत का तो बुरा हाल कर देगा- देखो मेरी हथेली इसके भार से नीचे को झुक रही है! और यह क्या? इसका आकार किसी दैत्य की तरह बढ़ता जा रहा है। सचमुच इस बेशर्म को पता नहीं है कि हम दोनों बहन-भाई हैं। कैसे मादा को देखकर तोप की तरह खड़ा हो गया है। नर के लंड को देखकर मेरी चूत का लहसुन भी तो मोटा होकर तन गया है और चूत के मुँह में पानी आ गया है- मुई जानती ही नहीं कि ये इसके भाई का लंड है!”

मीना ने पूछा- “मैं ये सुपड़ा ऐसा कटावदार और इतना मोटा क्यों है? मैं क्या ज़्यादा मोटाई से मादा को दर्द नहीं होता है?”

मैंने कहा- “नहीं, ये ही सुपड़ा तो मादा के लहसुन से लेकर चूत को अंदर तक रगड़ते हुए नाभि से यानी गर्भ की जड़ में टकराता है और स्वर्ग का मज़ा देता है। इसका एक मात्र कार्य सेक्स-आनंद देना है। सुपड़ा जितना मोटा और लंड जितना लंबा होगा, मादा को उतना ही जोरदार और ज़्यादा स्वाद आता है। छोटे लंड से उतना मज़ा नहीं आता है।”

फिर राजू को मैंने मेरे बेडरूम में बुलाकर मैंने राजू की कमर में हाथ डालकर उसके होंठों को चूमना चालू कर दिया। उसने भी मेरी कमर में अपना हाथ कस दिया। उसके लौड़े की चुभन मेरे चूत के आसपास होने लगी। मैंने धीरे से उसका लंड पकड़ लिया। उसके हाथ मेरे बोबे पर जम गए और उन्हें दबाने लगे।

मीना जल्दी से आई और राजू को खींचने लगी… मुझे बाद में पता चला कि वो अपने मम्मी-पापा को कई बार सेक्स करते और चुम्मा चुसाई करते देख चुकी है और सेक्स के बारे में अपनी सहेलियों से भी बहुत कुछ जानकारियाँ ले रखी है।

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उसने अपनी स्कर्ट उतारकर फेंकी। “राजू… आओ ना… आजा मेरे राजा।” राजू खिंचता हुआ चला गया… और मीना के गाल पर एक चुम्मा ले लिया और फिर पूरे गाल को ही मुँह में भरकर चूसने लगा। “आह आह मेरे राजा भैया, आइ लव यू।” मीना ने अपने होंठ राजू के होंठों पर रख दिए और होंठों से होंठ मिलाकर चूमना शुरू कर दिया।

चूमते-चूमते दोनों भाई-बहन होंठ ऐसे चूस रहे थे जैसे कोई फल खा रहे हों। राजू ऊपर से उसकी चूचियों को दबाने लगा, साथ अपनी जीभ उसके मुँह में डालकर चूसने लगा। मीना राजू के मुँह में अपनी जीभ देने लगी। “ओह माय भैया डार्लिंग! आइ लव यू!” बोल रही थी।

राजू ने उसके चूतड़ों को पकड़ा और अपने पास खींचकर उसकी जीभ को चूसने लगा। अब राजू उसकी जीभ को चूसते हुए एक हाथ से चूतड़ सहला रहा था, जबकि दूसरा हाथ उसकी चूचियों से खेल रहा था। मीना की गर्मी का अहसास राजू को मिल गया था। उसने राजू को अपने से लिपटा लिया।

“अरे… बदमाश, क्या ऐसे ही करोगे… कपड़े तो उतार दो… चुदाई का मज़ा नहीं लोगे क्या…” मैंने उन्हें कहा।

“नहीं… नहीं… चुदाई नहीं… बस ऐसे ही ऊपर से…” मीना ने कहा तो मुझे अचरज हुआ।

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मैंने कहा- “तब क्या मज़ा आएगा… मुझे पता है कि तुम दोनों ही नए हो इस खेल में! पर चिंता मत करो, मैं सिखा देती हूँ, क्यों राजू…”

राजू ने मेरा साथ दिया और हम दोनों ने मिलकर मीना को नंगी कर दिया। राजू ने भी अपने कपड़े उतार दिए। मेरा दिल फिर से धक-धक करने लगा। इतना मोटा और लंबा लंड… मुझे यकीन नहीं हो रहा था… मीना के मुँह से फिर निकला, “उउईई माँ… ये तो गधे का ही लौड़ा लगता है, मेरी चूत का तो बुरा हाल कर देगा।”

उसने लंड को दोनों हाथों से थामकर अपने कोमल तपते होंठ राजू के गरम सुपड़े पर रख दिए, बस फिर उसने आनन-फानन में राजू का कुँवारा लौड़ा मुँह में भर लिया। सुपड़ा मोटा होने की वजह से बड़ी मुश्किल से उसके मुँह में जा रहा था। मीना अपनी जीभ लपलपाकर राजू के लौड़े को चूसे जा रही थी।

उस समय उसका सुपड़ा बहुत फूला हुआ था और चमक रहा था। मीना ने झुककर पूरा मुँह खोलकर बड़ी मुश्किल से लौड़ा अपने मुँह में गले की गहराई तक ले लिया और मस्ती से चूसना शुरू कर दिया। मेरा जी धक से रह गया। मेरा मन वहाँ से हटने को नहीं कर रहा था।

उन्हें देखकर मैंने भी अपना गाउन उतार दिया और नंगी हो गई। मीना के होंठों की ‘पुच-पुच’ सुनकर और राजू का जवान लंड देखकर मेरी चूत में पानी उतरने लगा। मीना भी जवानी में कदम रख चुकी थी… क्या चूत थी, कसी हुई, उसकी उभरी हुई बुर किसी फरिश्ते का भी ईमान खराब कर दे।

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उसकी नाभि के नीचे का हिस्सा (पेडू) थोड़ा सा उभरा हुआ और उसके नीचे डबल रोटी की तरह गुलाबी रंग की रोम विहीन गुलाबी और सफेद पनीर जैसी फूली हुई चूत पर एक काला तिल। एकदम कोरी फ्रेश चूत। चूत पूरी तरह से कुँवारी थी, उसकी बिना बालों की एकदम चिकनी चूत थी।

उसकी चूत का लहसुन मोटा और राजू के लंड को देखकर तन गया था। लहसुन एक इंच लंबा होगा। मोटे क्लाइटोरिस का सुपड़ा चेरी जैसा था और कम रस से चमक रहा था। अब मैंने मीना के क्लिट पर उंगली रखकर फिर पढ़ाना शुरू कर दिया-

“यह महिला के लिए सेक्स के जादुई आनंद का बटन है। सिस्निका बेसिकली पुरुष के सिसिन की ही तरह है लेकिन आकार में काफी छोटी होती है। यदि इसे सही तरीके से सहलाया जाता है तो यह महिला को अत्यधिक आनंद व उत्तेजना प्रदान करती है।

महिला के शरीर में सिस्निका ही ऐसी इकलौती इंद्री है जिसका एक मात्र कार्य सेक्स-आनंद देना है। यह एक सेंटीमीटर से लेकर एक इंच तक लंबा हो सकता है। इसका हेड फूले हुए छोले की तरह होता है तथा योनि द्वार के ऊपर होता है।”

मीना के जवान जिस्म को देखकर कोई भी पागल हो सकता था। दोनों भाई-बहन एक-दूसरे की चूत और लंड को देख रहे थे! “प्लीज़ भैया, मुझे शर्म आ रही है।” दोनों भाई-बहन एक-दूसरे से लिपट गए और फिर से दोनों के होंठ एक-दूसरे से ऐसे चिपक गए मानो अब कभी भी अलग ना होने की कसम खा ली हो।

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फिर राजू ने उसे बिस्तर पर पटक दिया और उसके ऊपर चढ़कर बेतहाशा चूमने लगा। दोनों का जोश देखते ही बनता था। दोनों बहन-भाई एक-दूसरे में समाने की पूरी कोशिश कर रहे थे, पर मीना अपनी चूत से उसके लंड को दूर रख रही थी।

राजू ने उसकी टाँगों को अपने कंधों पर रख लिया और जैसे ही अपने लंड का सुपड़ा उसकी चूत पर दबाया तो उसने चूत को झटका देकर हटा दिया। राजू ने उसकी गांड के नीचे एक तकिया लगाया जिससे उसकी चूत ऊपर आ गई, उसकी टाँगें चौड़ी करके उसके ऊपर चढ़कर उसकी योनि पर अपने मुँह को रख दिया।

राजू ने अपनी जीभ उसकी चूत के अंदर कर दी और उसकी चूत को जीभ से चोदने लगा। चूत को जीभ से चाटने लगा, वो चूत को पूरी अंदर तक चट रहा था। कभी-कभी उसकी जीभ उसके चूत के मटर-दाने को भी चट लेती थी या फिर अपने दाँतों में लेकर धीरे-धीरे से काट लेता था।

फिर राजू ने उसकी एक इंच लंबी चूत की लहसुन को होंठों में ले लिया और मस्ती से चूसना शुरू कर दिया। अपनी चूत चटाई से मीना बिल्कुल पागल हो गई थी और पूरी तरह से मस्ती में आ गई थी। उसके मुँह से कामुक सिसकियाँ निकलने लगी। “आहह उईई मार गई आहह और थोड़ा और चटो।”

अपनी चूत चटवाते हुए वह खुद अपनी गांड उछाल-उछाल कर उसकी जीभ को अपने योनि रस का स्वाद देने लगी और बड़बड़ाने लगी, “आ आ आहा हहा हहा मेरे राजा भैया, बहुत मज़ा आ रहा है। चूसो, खूब ज़ोर से चूसो ओ यू ओ ओये ओये ओहा हहा यू उहा। कम ऑन और ज़ोर से।”

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मीना उसका सर पकड़कर उसके मुँह में अपनी चूत को चूतड़ उछाल-उछाल कर रगड़ रही थी। मीना चूत चटाई से बिल्कुल पागल हो गई और राजू के मुँह में ही झड़ गई। मीना बड़बड़ाने लगी- “और चूसो ओये ओये हाय और ज़ोर से, हाँ ऐसे ही एएए ही चूसो, बहुत मज़ा आ रहा है भैया! मेरा कम होने वाला है और और ज़ोर से यस्सा ओ यज़ ई ई ई आ उई माँ… मैं… गई… गई… उई मेरी माँ।”

मीना की चूत ने पानी छोड़ दिया, जिसे राजू अपनी जीभ से चाटने लगा। झड़ने के बाद चूत ऐसी लग रही थी जैसे ताज़ा गुलाब ओस में भीगा हो। चूत को पूरी तरह से चट कर राजू खड़ा हो गया और अपने कपड़े उतार दिए। राजू का जवान मोटा लंड तन कर फटने जैसा हो रहा था।

फिर अचानक 69 पोज़िशन में एक-दूसरे के साथ मुख मैथुन करने लगे। मीना ने राजू का लौड़ा अपने मुँह में ले लिया। थोड़ी देर बाद मैंने अपना लंड उसके मुँह में पेल दिया और उसे चूसने को बोला और वह ज़ोर-ज़ोर से राजू के लंड को मुँह में अंदर-बाहर कर रही थी। उसकी लंड-चुसाई से राजू पूरी तरह मस्त हो गया था।

और आगे-पीछे करते हुए उसके मुँह को चोदने लगा। उसके मुँह से घुटी-घुटी आवाज़ें आ रही थी। लेकिन लंड का आकार बड़ा होने के कारण उसको मुँह में लेने में कठिनाई हो रही थी। वो अपनी जीभ से राजू के जवान लंड का सुपड़ा रसगुल्ले की तरह चट रही थी। बीच-बीच में उसे हल्के से काट भी लेती थी।

“ये… ये… फड़क रहा है भैया, टाइट हो गया है… आपका माल आया… हया रे… ये आया!” उसे हाथ में लेकर जीभ से चाटने लगी। “मीना, मेरा निकला, आहा, ये उहा आया!” “निकाल दो भैया, निकालो हया रे… आ गया…” राजू की अमृत धारा छूट पड़ी, पिचकारी तेज़ी से बाहर आई और उसकी धार मीना के हलक में ही गिरने लगी।

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जिसे वह अमृत-रस समझकर सारा पी गई, और बड़े चाव से गटक लिया। पिचकारी तेज़ी से गिरी, और झटके मारके निकलती ही गई। इतना वीर्य निकला कि उसका पूरा हलक भर गया, जिसे वह पी गई। वो राजू के लंड को अब धीरे-धीरे निचोड़ रही थी। दूध दुहने की तरह उसका वीर्य निकाल रही थी, बूँद-बूँद करके सारा वीर्य बाहर निकाल लिया।

फिर जीभ निकालकर लंड का सारा वीर्य पूरी तरह से जीभ से चट लिया और जीभ निकालकर होंठों पर लगा वीर्य भी चट कर मुँह साफ कर लिया। ये सब देखकर मेरी वासना बढ़ती जा रही थी। मैंने अपनी चूत में दो अँगुलियाँ डाल ली और अपनी चूत चोदने लगी।

मेरे मुख से सिसकारी निकल पड़ी। अब मैंने सोचा कि पहले इन्हें निपटा दूँ। मैं उठी और दोनों को सहलाने लगी। फिर मैंने मीना के चूत का दाना धीरे-धीरे मलना शुरू किया। मीना को और मस्ती चढ़ने लगी। मैं घिसती रही… मलती रही… इतने में मीना झड़ने लगी… मैंने हाथ हटा लिया… उसकी चूत में से पानी आ रहा था…

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राजू ने मीना की दोनों टाँगों को अपने कंधों पर टिकाया और इसी दौरान राजू का लंड मैंने मीना की चूत पर रख दिया। उसने मीना की टाँगों को अपने कंधों पर रखा और केले के पेड़ की तरह चिकनी जाँघें चौड़ा करके पीछे की ओर कर दिया और अपने लंड का सुपड़ा मीना की चूत पर रखकर दबाव डाला।

पर वो तो बिल्कुल टाइट थी। राजू ने उसकी योनि रस के साथ ही अपना थूक लगाया और दोबारा ट्राई किया। मीना चिहुँक उठी। लंड को उसकी चूत के मुँह पर रखकर धक्का लगाया, सुपड़ा योनि के अंदर था। लोहे जैसा सख्त लौड़ा एक ही झटके में आधा धँस गया।

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मीना के मुँह से उफ की आवाज़ निकली, पर अपने होंठों को भींचकर नीचे से जवाबी धक्का दिया और राजू का आधा लंड उसकी बहन की चूत में जड़ तक समा गया। “धीरे, थोड़ा धीरे-धीरे आ आ अहहहहा उई माँ, मर जाऊँगी मैं, उई री मेरी माँ!”

राजू तो जोश में था ही… उसने एक जोरदार घस्सा मारा, चूत से चरड़-चरड़ की आवाज़ के बाद ठक की आवाज़ हुई और भाई के गधे जैसे लंड ने बहन की कुँवारी और फ्रेश चूत को फाड़ दिया और पूरा लंड मीना की चूत में उतर गया… बहुत अंदर, लंड का सुपड़ा कलेजे को गुदगुदा रहा था।

मीना तड़प उठी… “अरे आ आ आ… उ उई… प्लीज़ मुझे छोड़ दीजिए भैया। भैया ये क्या… हटो… हटो…” उसने जल्दी से उसका उफनता हुआ लंड चूत से निकाल दिया… मीना को ऐसे लगा जैसे उसकी चूत से बच्चा निकला हो। राजू भी तड़प उठा… उसे तो अब चूत चाहिए थी… मीना अलग हटकर उठ गई। “देखो… मैं… मैंने मना किया था… तब भी इसने क्या कर डाला… मेरी फाड़ दी, खून निकल रहा है।”

“कोई बात नहीं मीना… ये तो एक दिन फटनी ही थी… ला मैं इसे संभालती हूँ…” मैं जल्दी से सीधी लेट गई और टाँगें चौड़ी कर दी। मेरी गांड बहुत मोटी है, इसलिए मेरी चूत ऊपर उठ गई। राजू मेरी टाँगों के बीच आ गया। जैसे ही उसने अपना मोटा सुपड़ा मेरी चूत पर लगाया, मुझे लगा जैसे अंगारा रख दिया हो।

मैंने अपनी दोनों टाँगें उसकी कमर पर लपेट दी और ज़ोर से अपनी गांड ऊपर उठा दी, पूरा सुपड़ा अंदर चला गया। राजू ने 3-4 जोरदार झटके मारे, आधा लंड अंदर घुस गया। मैं बोली, “राजू, तुम्हारा लंड बहुत मोटा है, कसा-कसा सा लग रहा है। ऐसा लग रहा है जैसे मैं पहली बार चुद रही हूँ। बहुत मज़ा आ रहा है। हाय राजू, पूरा डाल के चोदो।”

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राजू ने ज़ोर से धक्का मारा, पूरे का पूरा 10 इंच का मोटा लंड मेरी चूत में समा गया। इतना टाइट कि लग रहा था कि ये बना ही मेरी चूत के लिए है। राजू का गधे जैसा लौड़ा वहाँ-वहाँ भी ठोकर मार रहा था, जहाँ आज तक कोई लौड़ा नहीं पहुँचा था। राजू धीरे-धीरे धक्के मारने लगा।

मैं स्वर्ग की सैर करने लगी। बहुत मज़ा आने लगा। “अहहहहा उयू अहहहहहहा ममममममा सीईयायेया चोदो अपने मोटे लंड से, मुझे बहुत मज़ा आ रहा है।” मैं अपनी गांड ऊपर उछालने लगी, जिससे कि हर बार पूरा 10 इंच का लंड अंदर जाए। राजू ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने लगा।

मैं पागल सी हो गई। एक-एक धक्के के साथ मैं जैसे जन्नत तक जाकर आ रही थी। जब बहुत मज़े आने लगे तो मैंने अपनी गांड को थोड़ा और चौड़ा करके पीछे की ओर कर लिया। राजू के टेस्ट्स मेरी गांड से टकरा रहे थे। मैं मुख से बक-बक करने लगी।

और सिसकियाँ ले रही थी, “और ज़ोर-ज़ोर से चोद, चोद, चोद, फक मी… उफ अफ, क्या लंड है। ज़ोर से अहहहहहा मममममा सी… ई… ई, यस, यस, चोद, चोद, ज़ोर लगा। तेरे मूसल जैसे लंड की अकड़ ढीली कर दूँगी। अहहहा यस अहहहा, बहुत मज़ा आ रहा है। ऐसा मज़ा तो मुझे मेरे पति ने कभी नहीं दिया। बस बस राजू, मैं जाने वाली हूँ। बस गई, बस बस उई मेयेया गई, मैं गई।”

कहते-कहते मेरा सारा शरीर अकड़ गया और वो भी मेरे साथ-साथ झड़ने लगा। राजू ने अपनी स्पीड बढ़ा दी। फुल स्पीड पर मुझे चोदने लगा। फिर उसने मुझे आधे घंटे तक जमके चोदा, फिर उसने गरमा-गरम ढेर सारा वीर्य मेरी चूत में उँड़ेल दिया। मेरी आँखें बंद हो गई। “अहहहा अहहहहा मामा सीईयाया अहहहहहहहा।” मैं उसकी छाती से ज़ोर से चिपक गई।

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मैंने दूसरी बार राजू को दबोच लिया और उसे अपने नीचे दबा लिया… उसके खड़े लंड पर मैंने अपनी चूत रखकर दबा दी… “आ अहहा…” लंड मेरी चिकनी चूत में धँसता चला गया… राजू ने भी अपने चूतड़ ऊपर की ओर उठा दिए… और उसका लंड पहले झटके में ही जड़ तक बैठ गया।

मेरे मुख से आनंद के मारे सिसकारी निकल पड़ी… ना जाने कब से मैं इस चुदाई का इंतज़ार कर रही थी। मैंने अपने चूतड़ थोड़े से ऊपर उठाए और दूसरा झटका दिया… फक की आवाज़ के साथ लंड गहराई तक चोद रहा था। राजू आनंद के मारे नीचे से झटके मार रहा था। दोनों ही हर झटके पर आहें भरते थे…

अब मीना भी हमारे स्वाद को देखकर उत्तेजित होने लगी थी… शायद उसने ऐसी चुदाई पहली बार देखी थी। मैं तो इस डबल चुदाई से मस्त होने लगी। दोनों तरफ से मज़ा आने लगा था। “मीना… मज़ा आ रहा है… क्या मस्त लंड है…” “मैम, आपकी चूत बड़ी प्यारी है… देखो ना लंड सटासट अंदर-बाहर जा रहा है…” “चोदे जा मेरे राजा… हाय… मैं तो मर जाऊँगी, हाय मेरी माँ…”

राजू ने मेरी चूचियाँ मसल-मसल कर बहाल कर दी थी… अब मैं अति उत्तेजना का शिकार होने लगी… मुझे लगा कि अब मैं झड़ जाऊँगी। मेरे धक्के अब ज़ोर से और अंदर तक दबकर जा रहे थे। और अचानक मेरा बदन लहरा उठा… और मेरा रस निकलने लगा। मैंने उसके लंड पर अपनी चूत गड़ा दी… और उस पर पूरी झुक गई।

इतना लंबा और मोटा लंड जब अंदर-बाहर जा रहा था तो मुझे नशा सा हो गया… “आ आ आ आया आयेया आहा हहा… फक मी! कम ऑन… चोद डालो आज मुझे, बना लो आज मुझे अपनी रानी… ओ यू ओयू उहा हहा।” “अहहहहा अहहहहा मम्मा स है है है, मैं गई, बस बस बस गई गई…” मैंने राजू से अपने बोबे ज़ोर लगाकर छुड़ा लिए।

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पर मुझे वो छोड़ने को तैयार नहीं था। फिर उसने 3-4 मिनट बाद 5 मिनट तक मुझे घोड़ी बनाकर चोदा। फिर उठ और तेल लेकर आया और मेरी गांड के छेद पर मला तो मैंने पूछा, “अब क्या करेंगे आप?” “अभी तो पीछे से भी लेनी है।” “प्लीज़ नहीं… पीछे से नहीं! बहुत तकलीफ होगी!”

फिर उसने मेरी एक ना सुनी और मुझे घोड़ी बना दिया। हम दोनों ज़मीन पर थे और मैं बेड पर अपने हाथ टिकाए हुई थी। मेरे चौड़े नितंबों पर उसने अपना लंड टिका दिया मेरी गांड के छेद पर और ज़ोर का झटका मारा। “आआयु उयू उहहा हहा… बहुत दर्द हो रहा है, प्लीज़ निकाल लो…!”

“आया हहा, अभी तो 1 इंच ही गांड के अंदर गया है, अभी तो पूरा… आहा हहा!” कहते हुए वो कसकर झटके मारने लगा। लंड कसा-कसा जा रहा था। “ओयू ओयू उहहा हहा, मेरा दम निकल जाएगा!” पर शायद मैं भी उसका साथ दे रही थी और मेरी सिसकियाँ कमरे में गूँज रही थी। “राजू… देख, मीना तेरा इंतज़ार कर रही है… अब छोड़ दे मुझे…” मीना के नाम ने उस पर जादू सा असर किया।

उसने मीना का नाम सुनते ही पूरा लंड मेरी गांड में ठोक दिया और तेज़-तेज़ चोदने लगा। जल्दी ही स्वाद से मेरी कमर अकड़ गई और मैं झड़ गई। मुझे सुस्त पड़ते देख राजू ने मुझे छोड़ दिया… और प्यार से वो दोनों भाई-बहन एक बार फिर से लिपट गए। पर मीना ये भूल गई थी कि राजू की चुदाई पूरी नहीं हुई थी।

राजू ने प्यार से मीना को चिपका लिया और पलटी मारकर अपने नीचे दबोच लिया… चिड़िया फड़फड़ाती रह गई… उसकी बिना बाल वाली चिकनी बुर को देखकर राजू बेकाबू हो गया। मीना जब तक कुछ समझती, तब तक मैंने राजू का लंड मीना की चूत के छेद पर रख दिया था।

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राजू ने धक्का मारा तो सीधा ताज़ी फटी हुई चूत की गहराइयों में उतरता चला गया। मीना के मुख से चीख निकली… “प्लीज़… भैया… तुम्हारा लंड तो सच्ची में बहुत ही लंबा और मोटा है। अहहहहा… प्लीज़ निकालो इसे, मैं मर जाऊँगी… प्लीज़। उ उई माँ री माँ… मा… री… मर गई… मार डाला रे आहह… मेरी चूत फट गई रे… कितना मोटा है…”

“उफफफ राजू, तुम्हारा लंड तो घोड़े जैसा लंबा और मोटा है…” जब उसका दर्द कुछ कम हुआ तो राजू ने एक और जोरदार शॉट मारा और पूरा का पूरा लंड उसकी चूत की गहराई में समा गया। दूसरे धक्के में लंड जड़ तक बैठ गया था। उसकी चूत के बचे-खुचे टाँके भी उधड़ गए। मीना को मालूम हो गया था कि उसका कौमार्य जाता रहा था।

मैंने अब उसके मुँह से तौलिया हटा लिया था। उसकी आँखों में आँसू आ गए थे। मैंने तौलिया अब मीना की चूत के नीचे रख दिया था। थोड़ा-थोड़ा खून अब भी बाहर आ रहा था। मैं उसे पोंछती जा रही थी। राजू इन सब बातों से बेखबर तेज़ी से चुदाई कर रहा था… राजू अब हाँफने भी लगा था…

मीना भी अब सामान्य होने लगी थी। उसे भी अब मज़ा आने लगा था। “आह आहह… ओह्ह… धीरे करो जान, अयाया मार डालो मुझे… आज कितने दिन बाद मेरी तमन्ना पूरी हो रही है… आहह… राजू… आइ लव यू… प्लीज़ भैया, आराम से करो… हाँ आहिस्ता-आहिस्ता प्यार से करो अंदर, हाँ थोड़ा और अंदर, अफ, बहुत मज़ा आ रहा है। हाँ थोड़ा और करो, हाँ आराम से… उई माँ…”

“ऊहह… ह… धीरे… मेरी जान… एयेए… अब ज़ोर से संजू… ऊवू ज़ोर से करो… लंड पूरा अंदर डालो… आआहह… राजू, मैं गई… रुको नहीं, बस आराम-आराम से अंदर करते जाओ, मज़ा आ रहा है मेरे भाई… या या ऐसे ही उयुयुयू… हाहहहहा… मेयेया आराम से, हाँ ऐसे ओयोयोयो… होहोहोहो… हाँ हाँ… ज़ोर से और तेज़ करो और अंदर करो उई माँ…”

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“प्लीज़ भैया, मुझे प्यार करो, हाँ ऐसे ही प्यार से करो, बहुत मज़ा आ रहा है।” मैंने देखा कि अब मीना के चूतड़ भी धीरे-धीरे उछलने लगे थे और चुदाई में साथ दे रहे थे… थोड़ी देर के बाद मीना जोश में आ गई और नीचे से चूतड़ उछालने लगी और खुद धक्के मारने लगी…

“आ आ आहा उयुयूहा फक मी भैया उयुयूहा… प्लीज़, और डाल दो वरना मैं मर जाऊँगी।” “प्लीज़ भैया, अपना पूरा लंड डालो, नहीं तो मैं मर जाऊँगी।” “प्लीज़ जल्दी करो। फाड़ दो मेरी चूत इस लंड से, प्लीज़ भैया।” अब वो भी चुदाई में साथ देने लगी।

और अपने चूतड़ों को उठा-उठाकर धक्के लगाने लगी। “और ज़ोर से चोदो… फाड़ डालो मेरी चूत को… और ज़ोर से आयेयहहहहा।” मैंने मीना की चूचियाँ मसलनी चालू कर दी… उसके निपल को भी घुमा-घुमा कर हल्के से खींच रही थी। मीना की सिसकारियाँ निकलने लगी थी।

उसकी आहें तेज़ हो गई थी। “आहा… मज़ा आ रहा है… भैया ज़रा ज़ोर से चोदो ना… लगा ना ज़ोर से धक्का… और ज़ोर से… अब मज़ा आ रहा है… अब रुकना नहीं… चोद दो मुझे…” नीचे से अपने चूतड़ों को उछाल-उछाल कर चुदवाने लगी। “हाय ज़ोर से… मज़ा आ रहा है… लगा… ज़ोर से लगा… ओई… ओई… यू उईय…”

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“खा ले मुझे। हाँ… मेरी रानी… ये ले… यस… यस… पूरा ले ले… सी… सी…” “राजू… मेरे भैया… मेरे राजा… हाय… फाड़ दे… मेरी चूत को… चोद दे, चोद… दे… सी… सी… अयैयेयीयियेयी… उयू उयू ओएई।” “कैसा मज़ा आ रहा है। टाँगें और ऊपर उठा लो, हाँ… ये ठीक है…”

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उसने अपने आप को और सही पोज़िशन में लाते हुए धक्के तेज़ कर दिए। तेज़ धक्कों से लंड का गधे जैसा मोटा सुपड़ा मीना के लहसुन से लेकर चूत को अंदर तक रगड़ता हुआ नाभि से टकराता तो नाभि ऊपर की ओर खींच जाती थी। मीना बुदबुदा रही थी, “हया मेरे राजा भैया, मैडम ने सही कहा था, अब मैं स्वर्ग में गोते लगा रही हूँ, ओई… ओई… ऐसे ही… और ज़ोर से।” लंड का मूल ज़्यादा मोटा होने के कारण चूत के लहसुन को हथौड़े की तरह कूट रहा था।

दाने पर लंड की रगड़ से आनंद के मारे मीना के चूतड़ अपने आप ही तेज़ी से उछाल-उछाल कर जवाब दे रहे थे। वो बार-बार राजू को अपनी ओर खींच रही थी और पूरा साथ दे रही थी और नीचे से गांड उठा-उठाकर झटके मार रही थी। वो कहने लगी- “ज़ोर से चोदो मेरे राजा! और ज़ोर से… भैया और ज़ोर से! आज मुझे चोदना नहीं मेरे राजा! मुझे आज से अपनी बीवी मानो, पेल दो आज… हाय… मेरे राजा… आ… आ… कभी मत निकालना लंड को।”

राजू भी उसके चूतड़ों को नीचे से अपने दोनों हाथों से पकड़कर धक्के लगा रहा था। “हाँ… मेरी रानी… ओह्ह… अब तो रोज़ ही लूँगा तेरी।” वह कुत्तों की तरह शॉट मारने लगा। उसने अब रेल इंजन के पिस्टन की तरह अपना लंड पेलना शुरू कर दिया।

सटासट… सटासट, लगा जैसे पलंग पर भूचाल आ गया हो। मीना को अब तेज़ गुदगुदी उठाने लगी… “हाय… हाय… मैं… मर गई… हाय… चुद गई… मेरे राजा… चोद दे… बार दे… सारा… लगा… ज़ोर से… मेरे राजा भैया… फाड़ डाल… भैया जड़ में प्रहार करो… हाँ… हाँ ओई… ओई… ऐसे ही… और ज़ोर से… देख… देख… ये… ये… आया… देख… ये… आया… आ आ आ… एएईएई… मैं गई…”

उसका शरीर अकड़ने लगा। मुझे पता चल गया कि इस दौरान वह 2 बार और झड़ चुकी है, लेकिन राजू लगातार तेज़ी से चुदाई कर रहा था। थोड़ी देर में मीना फिर चरम सुख पर पहुँचने लगी। वो प्यार के सागर में गोते लगा रही थी। उसके मुख से अस्पष्ट शब्द निकलने लगे थे।

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उसको काफी मज़ा आने लगा क्योंकि वो अब सिसकियाँ भरने लगी थी। “उ उई माँ री… मा मैं मर जाऊँगी… हाय चोद दे… थोड़ा और तेज़ करो राजा भैया अपनी बहन को… हाय… राम रे… फचक-फचक…” और वो झड़ने लगी… मैं उसकी चूचियों को और ज़ोर से मसलने लगी…

मीना के चेहरे का रंग बदलने लगा… अपने होंठ बार-बार काट रही थी… अचानक उसके शरीर ने एक ऐंठन ली, अब वो फिर झड़ने वाली थी। “आहा मैं गई… मैं गई…” “मैं गई… मेरा पानी फिर निकला… निकला… निकला… हाय भैया… यायेया… हाय राम… मैं स्वर्ग में हूँ…” करते हुए वो झड़ने लगी… उसकी चूत ने एक ज़ोर से पिचकारी राजू के लंड पर छोड़ दी।

राजू भी अब गया, तब गया, हो रहा था… इस दौरान वह 5 बार और झड़ चुकी थी। अचानक उसने भी अपने लंड का ज़ोर चूत पर लगाकर पिचकारी छोड़ दी… दोनों ही साथ-साथ झड़ रहे थे… राजू और मीना दोनों ने आपस में एक-दूसरे को जोरों से जकड़ लिया था। कुछ ही समय बाद दोनों ही भाई-बहन निढाल पड़ गए थे। और हाँफ रहे थे।

मीना की चूत में से अब धीरे-धीरे वीर्य निकलने लगा था… मैंने तौलिया उसकी चूत के नीचे घुसा दिया… राजू बिस्तर से नीचे उतर आया और अपने कपड़े पहनने लगा। मीना थोड़ी गंभीर लग रही थी। “मैम, मेरी तो योनि फट गई… अब क्या होगा…

“क्यों घबराती है… झिल्ली फटने के बहुत से कारण होते हैं…” मैंने उसे बताया… “खेलने से… साइकिल चलाने से… किसी एक्सिडेंट से झिल्ली फट सकती है… इसलिए डरने की कोई बात नहीं है। और फिर तुम्हारी उम्र अब चुदवाने की हो गई है… तो अब इसे फट जाने दो और ज़िंदगी का मज़ा लो…” अब वो राजू के लंड से खेलने लगी।

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मीना कह रही थी- “हाय, कितना प्यारा है, जी ही नहीं भरता।” उसने लंड अपने मुँह में ले लिया और उसे लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी। राजू का लंड फिर से खड़ा हो गया। वो राजू के लंड को अपने हाथों से आगे-पीछे करने लगी। “मैम… मीना की इतनी सेक्सी गांड है कि गोरी-गोरी, मोटी-मोटी गांड और बड़े-बड़े चूतड़ देखकर मेरा लंड टाइट हो जाता है।”

मैं मुस्कुराकर बोली, “आज अपनी बहन की गांड ले ले।” मीना बोली, “भैया… आ हहा… आइ लव यू, सब कुछ तुम्हारा है, ये गांड भी तुम्हारी है। जब बोलोगे, दे दूँगी।” राजू ने उसको उठाया और घोड़ी बना दिया। मीना सामने घुटने टेककर घोड़ी बन गई। मीना तकिए में मुँह दबाकर टाँगें और खोलकर भारी नितंबों को ऊँचा करके तैयार हो गई।

राजू ने उसकी तरफ देखा। फिर आँखों ही आँखों में इशारे हुए। उसकी मूक भाषा मीना समझ गई। उसका लंड मीना की गांड के छेद पर दबाव डालने लगा… मीना ख़ुशी में झूम उठी। उसकी गांड चुदने वाली थी। उसकी आँखें नशे में बंद हो गई थी। अब मीना ने अपने आप को उसके हवाले कर दिया।

वो मीना के बूब्स भींच रहा था। मीना मस्त हुए जा रही थी… मीना ने आँखें बंद कर ली और दूसरी दुनिया में आ गई। राजू अपनी जीभ से उसकी चूत और प्यारी गांड के छेद को चूमने, चाटने और जीभ से चोदने लगा। उसने अपने दोनों हाथों से राजू के सर को अपनी गांड में दबा दिया।

राजू ने अपनी जीभ से उसकी गांड को गीला कर दिया और लंड को गांड पर टिकाया। उसके गोल-गोल मसल चूतड़ की फाँकें लंड के दबाव से खुलने लगी। राजू का लंड उसकी गांड की सील से टकरा गया। उसने लंड के सुपड़े को गांड के सीधे पर टिकाकर एक धक्का दिया। राजू उसकी बहन के भारी चूतड़ों पर सवार हो गया।

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इतनी प्यारी गांड… उभरी हुई और इतनी गहरी… अपने लंड को उसकी गांड के सीधे पर लगाकर ज़ोर से धक्का दिया। राजू का आधा लंड उसकी गांड में घुस गया। उसने अपनी गांड को दबाकर कस लिया, जिससे राजू का लंड ना आगे हो रहा था और ना ही पीछे।

राजू ने उसकी गांड पर थोड़ा सा थूक लगाया और उस पर अपना लंड रखा और एक ज़ोर से धक्का मारा और दूसरे धक्के में पूरा लंड जड़ तक अंदर घुसेड़ दिया। उसकी गांड काफी टाइट थी। राजू ने धीरे-धीरे लंड को अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया।

मीना ने भी अपनी गांड पीछे उभारकर ढीली कर दी। शायद उसको भी गांड मराने में मज़ा रहा था। अब राजू ने ज़ोर से धक्का दिया, जिससे राजू का पूरा लंड उसकी गदराई गांड को चीरता हुआ अंदर घुस गया। अब राजू ने धक्के लगाने शुरू किए। घुटनों के बल वह कुतिया की मुद्रा में आ गई।

राजू ने उसके पाँव थोड़े से फैला दिए और पीछे से लंड उसकी गांड में डाल दिया और उसे कुत्तों की तरह शॉट मारने लगा। दोस्तों, अब मीना को भी मज़ा आने लगा और वो भी साथ देने लगी। वो भी अपने चूतड़ों को हिला-हिलाकर धक्के लगाने लगी। पूरा कमरा धप… धप… की आवाज़ों से भर गया था।

मीना के मुँह से भी सिसकारियाँ निकलने लगी। उसके मुँह से निकली सिसकारियों की आवाज़ से मेरे अंदर उत्तेजना भर गई और मैं और ज़ोर से धक्के लगाने लगी। उसके चूतड़ों से जब राजू के अंडे टकराते तो ऐसा लगता जैसे तबले पर ठप पड़ रही हो।

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अब राजू ने उसको बिस्तर पर सीधा लिटाया और उसके पैरों को अपने कंधों पर रखकर उसकी गांड में अपना लंड घुसा दिया। “ईइइइई… भैया… यह क्या किया, मरररर गई… उयियियी नययय… पूरा लौड़ा अंदर गया।” और फिर तेज़ धक्कों से दाने पर लंड की रगड़ से मीना को मज़ा आने लगा। “आहा… ओयोयोहा… माँ… माँ… मा… मा… ईसा… स… स… स…”

उसके मुँह से आवाज़ निकल रही थी। “अपनी बहन को चोद डाला मेरे भैया, आया आ सी ईइई ईइई ईईइ, चोदो राजा, चोदो मुझे, आययेयहहा राजा, और ज़ोर से फक मी, फक मी। शाययी रीईई, इसमें तो चूत से भी ज़्यादा मज़ा आता है। और कसके पेल मेरे राजा, शिययी री, बहुत मज़ा आ रहा है। सीईईईई हीईीईई चूऊद डूऊ सीईईईईईईई और कसके उईईईई माँ… मज्ज्ज्ज्ज्ज्जा मिल गया रे।”

और मीना नशे से गांड उठा-उठाकर चुदवाने लगी। राजू का लंड बिना किसी अड़चन के पूरा अंदर घुस गया और धक्के फिर से शुरू हो गए। अब राजू के धक्कों में तेज़ी आती जा रही थी। पूरे कमरे में पका-पका की आवाज़ गूँज रही थी।

ढक्का-ढक्का लंड घुसता रहा। मीना का सारा शरीर अकड़ने लगा। “आयीईई आययेयहा मैं मार, आज गांड को लंड का प्यारा-प्यारा मज़ा मिल गया था। अरे… मैं गई… निकला… निकला…” और वह बोली कि मैं दोबारा चूतने वाली हूँ। “आहा मेरी… रानी… मैं गया… मैं गया… हा स्सा निकला, आ आहा मम्मा हया राय…” राजू आनंद की चरम सीमा पर पहुँचकर उसकी गांड में ही झड़ गया।

राजू के लंड की बारिश से उसकी बहन की गांड भी तृप्त हो चुकी थी। और थोड़ी देर में दोनों शांत हो गए। राजू ने अपना लंड उसकी गांड में से निकाला तो पक की आवाज़ से राजू का लंड बाहर निकल गया और वीर्य की बूँदें बाहर निकलकर चादर पर गिरने लगी। मीना की गांड भी वीर्य से लथपथ थी… मीना को भी बहुत मज़ा आया गांड चुदवाकर। दोनों भाई-बहन ने फिर जमकर चुदाई की। मीना अपनी चुदाई से पूरी तरह संतुष्ट थी।

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“मैम, किसी से कहना नहीं, ये खेल हम रोज़ खेला करेंगे। क्या हम आपके पास रोज़ ट्यूशन पढ़ने आ सकते हैं…?” मीना ने घूमकर प्रसन्नता से पूछा। “हाँ… ज़रूर, अगर आज जैसी पढ़ाई करनी हो तो पढ़ने आ सकते हैं। घर में मम्मी-पापा को पता लग गया तो?” हम तीनों ही हँस पड़े… मीना किचन में जाकर चाय-नाश्ता ले आई… और आगे का कार्यक्रम बनाने लगे। इस जबरदस्त चुदाई के बाद हमने एक-दूसरे को प्यार किया और फिर दोनों अपने घर चले गए।

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