जिस्म की प्यासी भाभी ने देवर से चुदाई करवाई घर में

Bhabhi seduction sex story – Devar ka mast mota lund sex story:  मेरा नाम कल्पना है, मैं शादीशुदा हूँ, शादी के एक साल बाद की ये घटना आज आपको बताती हूँ, मैं अपने पति के साथ रहती थी, घर में हम दो ही रहते थे, वैसे मैं बहुत सेक्सी हूँ लेकिन अपने पति से खुश थी, वो भी सेक्स में अच्छे हैं

एक दिन एक पत्र पढ़कर वो बोले, कल्पना, मेरा एक कजिन जो नजदीक के छोटे गांव में रहता है, उसकी एसएससी की एग्जाम का सेंटर इस शहर में आया है, तो वो पढ़ने के लिए और एग्जाम देने के लिए इसी शहर में आ रहा है, कुछ दिन यहाँ रहे तो एतराज तो नहीं है, मैंने कहा, भला मुझे क्या एतराज होगा, आपका भाई है, तो मेरा तो देवर हुआ ना, देवर के आने से भाभी को क्या एतराज हो सकता है, और वो आ गया

प्रमोद नाम था उसका, करीब 18 साल का होगा, 5 फुट 8 इंच की ऊँचाई और मजबूत कद था, मोटा नहीं पर कसा हुआ बदन था, हल्की सी मूंछें भी थीं, सुबह का ब्रेकफास्ट हम सब, मैं पति और प्रमोद, साथ करते थे, उनके ऑफिस जाने के बाद मैं घर में पहले अकेली हुआ करती थी, अब प्रमोद भी था, वो दिनभर मन लगाकर पढ़ाई करता था, मैं भी उसे ज्यादा डिस्टर्ब नहीं करती थी, उसे पढ़ने देती थी, लेकिन लंच और दोपहर की चाय हम साथ पीते थे

दोपहर को जब मैं नींद से उठती तो उसके रूम की ओर चली जाती और पूछती पढ़ाई कैसी हो रही है, वो कहता ठीक हो रही है, और मैं पूछती, चाय पियोगे ना, वो कहता हाँ, और फिर मैं चाय बनाने चली जाती, चाय पीते समय हम दोनों बातें करते थे

लेकिन उस रोज जब मैं दोपहर की नींद के जल्दी ही पूरी हो गयी, जब मैं उसके रूम पर गई तो दरवाजा बंद था और कमरे से कुछ आवाज आ रही थी, मैं रुक गई और सुनने लगी, आ.. आ.. की आवाज आ रही थी, मुझे समझ में नहीं आया क्या हो रहा है, मैं दरवाजा नॉक करने वाली थी कि ख्याल आया खिड़की से देख लूँ

उस रूम की एक खिड़की हॉल में पड़ती थी, वो भी बंद थी पर पूरी लगी नहीं थी, मैंने हल्का सा धक्का दिया और थोड़ी सी खोल दी, रूम का नजारा देखा तो बस देखती ही रह गई, प्रमोद अपने सारे कपड़े उतारकर बिल्कुल नंगा खड़ा था, उसका लंड पूरा तना हुआ था, वो लंड हाथ में लिए हुए था और जोर जोर से उससे खेल रहा था, मेरी आँखें झपकना भूल गईं, सीने की धड़कन बढ़ गई, मेरे सामने एक 18 साल का जवान लड़का अपने हाथ में तना हुआ लंड लेकर हस्तमैथुन कर रहा था

मैंने मर्दों के हस्तमैथुन के बारे में सुन रखा था लेकिन आज मैं उसे अपनी आँखों से देख रही थी, ओह क्या सीन था, पूरी जवानी में आया हुआ कसरती बदन वाला नवयुवक मेरे सामने नंगा खड़ा था, उसका खुला सीना ही किसी लड़की को व्याकुल बनाने के लिए काफी था, यहाँ तो उसकी जांघें भी नजर के सामने थीं, वाउ, और उसके बीच में पूरे जोर से उठा हुआ उसका लंड, ओह मेरे सीने की धड़कनें तेज हो गईं

मेरे संस्कार कह रहे थे मुझे तुरंत वहाँ से हट जाना चाहिए लेकिन मन नहीं मानता था, मैं रुक ही गई और वो दिलकश नजारा देखती रही, खिड़की थोड़ी ही खुली थी इसलिए उसका ध्यान नहीं था, वो तो अपने काम में मग्न था और लगा हुआ था, उसका चेहरा भी देखने जैसा बना हुआ था, सेक्स की तड़प स्पष्ट रूप से छलक रही थी, उसका लंड और मोटा और कड़क होते जा रहा था, थोड़ी देर में उसके लंड से पानी छूट गया और वो ढीला हो गया, मैं वहाँ से चली गई तो मुझे ख्याल आया मेरी पैंटी भी गीली हो चुकी थी, मैंने जाकर बदल ली, वो नजारा मेरे दिमाग से उतरता ही नहीं था

रात को पतिदेव के साथ सोने गई तब भी दिमाग में यही मंडरा रहा था, उस रात मैं बहुत गर्म हो गई और पति के ऊपर हो गई, उनसे बहुत चुदवाया, वो भी बोल उठे आज तुझे क्या हुआ है, कोई ब्लू फिल्म तो नहीं देख ली, मैं क्या बोलूँ, इस से बड़ी ब्लू फिल्म क्या देखती, मैंने कह दिया नहीं ये तो आप कल से 10 दिन की दौरे पर जाने वाले हैं ना इसलिए, वो हंस पड़े

दूसरे दिन सुबह ही वो निकल गए, मेरा जी तो अब प्रमोद में अटका हुआ था, मेरा बदन उससे चुदवाने के लिए तड़प रहा था, लेकिन उसे कहूँ भी कैसे, उसमें खतरा था, वो सुशील लड़का था, मुझे ठुकरा देगा और मेरी इज्जत पर खतरा हो जाएगा, तो मैंने सोचा ऐसा कुछ करना होगा जिससे वो ही मुझे चोदने के लिए तरस जाए, मैंने धीरज से काम लेना उचित समझा

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मैं स्नान करके निकली तो मेरे दिमाग में योजना बन चुकी थी, मैंने अपने कपड़ों में परिवर्तन शुरू किया, एक लो कट वाली मेरी पुरानी शादी के समय की ब्लाउज निकाली, उस समय के अनुसार अब मेरे बूब्स बड़े हो चुके थे, रोज पतिदेव द्वारा मसले जो जाते थे, जैसे तैसे करके बूब्स को दबाकर मैंने वो ब्लाउज पहन ली, लो कट थी तो लाइन पूरी दिखाई दे रही थी और बूब्स दबा के डालने से वो भी उभर कर बाहर दिख रहे थे

साड़ी भी इस तरह पहनी थी कि ये सारा खुला ही रहे, आँचल के पीछे ना छुप जाए, मैंने आईने में अपने आप को देखा और संतुष्ट हुई, ब्रेकफास्ट की तैयारियाँ की, डाइनिंग टेबल पर सब चीजें प्लानिंग से रखीं, प्रमोद को बुला लिया नाश्ते के लिए, वो आकर बैठा लेकिन उसका ध्यान नहीं गया, वो तो अपनी पढ़ाई के ख्यालों में ही व्यस्त था

मैंने सब आइटम थोड़े ही दिए थे, उतना तो झट से खा गया और मांग लिया, अब मैं मन ही मन मुस्कुराई अपने प्लान पर और उठ खड़ी हुई, उसे परोसने के लिए उसके नजदीक गई, मैं उसके राइट साइड में थी और सारे आइटम्स उसके लेफ्ट साइड में थे, तो मैं वहीं खड़े होकर आगे झुककर आइटम्स उठाने लगी, स्वाभाविक है मेरे बूब्स उसके मुँह के एकदम नजदीक आ गए

अब उसकी नजर उन पर पड़ी और वो देखते ही रह गया, उभरे हुए गोरे गोरे बूब्स और लो कट से दिखती लाइन, उसकी नजर चिपकी ही रह गई, मैं ऐसे बिहेव कर रही थी जैसे मुझे पता ही नहीं, मैंने एक लंबी साँस भरी और हल्के से छोड़ी, छाती भर आई तो बूब्स की मूवमेंट भी हुई, उसे ध्यान ही नहीं रहा कि मैंने उसकी प्लेट परोस दी है, मैंने उसे कहा देवरजी नाश्ता कीजिए ना, वो चौंका और नजर हटा के खाने लगा, लेकिन मेरी नजर उस पर लगी हुई थी, वो बार बार मेरे स्तन को देख रहा था, मैं अपने प्लान में सफल रही, मैंने उसके मन में बीज बो दिया था

दूसरे दिन से मैं रोज अपने कपड़ों में एक कदम आगे जाने लगी, दूसरे दिन से मैंने ऐसा ही लो कट मगर स्लीवलेस ब्लाउज पहन लिया, अब उसे मेरी गोरी बाहें भी देखने को मिलती थीं, तीसरे दिन मैंने एकदम पारदर्शक ब्लाउज पहन ली जिस में से मेरी काली ब्रा साफ दिखाई देती थी, अब वो रोज चोरी छुपे मेरे स्तन को देखता था

चौथे दिन से मैंने ब्रा पहनना ही छोड़ दिया, ब्लाउज तो पारदर्शक और लो कट था ही, उस रात को मैंने ब्लाउज को साइड से भी शेप देकर ऐसा बना दिया कि लाइन के अलावा बूब्स की साइड के भी दर्शन होने लगे, पाँचवें दिन उसे पहना, अब जब मैं उसे परोसती थी तो दूसरी ओर रखी हुई आइटम्स उठाने के लिए इतना झुकती थी कि उसकी गर्म साँस मेरे स्तन को छूती थी, कभी कभी तो उसका चेहरा मेरे बूब्स को छू जाए इतना झुक लेती थी, अब उसकी आँखों में तरस नजर आती थी, मैं जानती थी कि मैं कामयाब हो रही हूँ

छठे दिन मैंने साड़ी भी एकदम नीचे पहन ली, मैं अच्छी तरह से तैयार भी हुई, रोज की तरह वो मेरे उभरे हुए दोनों बूब्स को देखता रहा, मैं उन्हें लंबी साँस लेकर ऊपर नीचे करती रही, मैंने ब्लाउज का हुक ढीला कर रखा था जो थोड़ी साँस लेने के बाद टूट गया, मेरे दबे हुए स्तन उछल कर सामने आ गए, मैंने शर्माने का ढोंग किया और अपने रूम में जाकर हुक को ठीक तरह से लगा कर वापस आ गई, उसकी हालत तो देखने जैसी हो गई थी

उसी दिन दोपहर को मैं हॉल में ही सो गई, एक किताब मैंने लाकर रखी थी जो देवर भाभी के नाजायज संबंध पर थी, उसमें जहाँ दोनों के सेक्स संबंध का खुला ब्योरा था वहाँ तक पेज खोलकर उल्टी करके रख दी, जैसे मैं वहाँ तक पढ़ते हुए सो गई हूँ, सोने का ढोंग करते मैं लेटी थी, साड़ी घुटनों तक सरका के रखी थी

रोज की चाय का समय हुआ लेकिन मैं जान बूझकर नहीं उठी, थोड़ी देर इंतजार करके प्रमोद चाय के लिए बताने बाहर आया, उसने आकर देखा कि मैं सोई हुई हूँ, वो नजदीक आया और किताब उठाई, जैसे पढ़ने लगा वो उत्तेजित होने लगा, उस किताब में देवर भाभी के बीच सेक्स का ही खुला खुला ब्योरा था, उसकी वासना भड़क उठी

उतने में मैंने करवट बदलने का बहाना किया, बदलते बदलते मैंने मेरा लेफ्ट पाँव भी घुटनों से ऊँचा किया, साड़ी जो घुटनों तक थी अब कमर तक गिर पड़ी, मेरी गोरी जांघ अब पूरी तरह दिख रही थी, मैंने हल्की सी आँखें खोली तो देखा कि उसका लंड एकदम खड़ा हो गया था, उसने चड्डी पहन रखी थी, एक हाथ में किताब पकड़ा हुआ था, दूसरा हाथ अब उसने अपने चड्डी में नीचे से डाल दिया और खड़े लंड को मजबूती से पकड़ लिया

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थोड़ी देर पढ़ता रहा और मेरी जांघ और बूब्स की ओर देखता रहा, फिर मैंने देखा कि उसने अपना दूसरा हाथ बाहर निकाल के मेरी ओर बढ़ाया, मैं खुश हो गई और आँखें बंद करके इंतजार करने लगी, लेकिन कुछ नहीं हुआ, फिर आँखें खोली तो वो वहाँ नहीं था, उसकी हिम्मत नहीं बनी, वो रूम पर चला गया था, किताब ले गया था

मैं उठी और उसके रूम की ओर गई, वो दरवाजा बंद करके फिर हस्तमैथुन कर रहा था, आज तो घोड़े जैसा लंड किया हुआ था, मुझे बहुत अफसोस हो रहा था, जिसे मेरी चूत में होना चाहिए था वो लंड उसके हाथों में था, लेकिन मुझे भी तो ओपन नहीं होना था, मजबूरी में उसे देखती रही, थोड़ी देर में उसके लंड से फव्वारा उड़ा और वो शांत हुआ, आह्ह उसकी सिसकारियाँ सुनकर मेरी चूत और गीली हो गई

उस रात मैंने सातवें दिन का प्लान बना लिया, उसके दिल में वासना तो मैं जगा ही चुकी थी, अब तो हिम्मत करवाना ही बाकी था, सातवें दिन सुबह मैंने अपने रूम का फ्यूज निकाल दिया और गीजर खराब है कह कर उसके बाथरूम में नहाने का प्लान बना लिया

मैं कपड़े लेकर अंदर चली गई, थोड़ी देर बाद नहाकर बाहर निकली तो बदन पर सिर्फ टावल लपेटा था, ऊपर मेरी निप्पल से शुरू करके चूत तक टावल से बदन ढका था, निप्पल से ऊपर के स्तन का भाग और चूत के नीचे की टांगें सब खुली थीं, सिर के बाल गीले थे और मेरे गोरे बदन पर पानी सरक रहा था, मैं काफी सेक्सी लग रही होगी

गर्मी बहुत थी तो वो सिर्फ चड्डी पहन के पंखे के नीचे खड़ा था, मुझे देखा तो बस देखता ही रह गया, इतना नंगा मुझे उसने आज ही देखा, मैं उधर ही खड़ी रही, वो भी सारी शर्म छोड़ कर मुझे देख रहा था, मैंने उसकी बेड पर वो किताब पड़ी देखी तो पूछ लिया कैसी लगी ये भाभी देवर की चुदाई कहानी, उसने कहा बड़ी रोचक है पर ऐसा तो कहानियों में ही होता है ना

मैंने कहा कहानियाँ भी तो समाज से मिलती हैं ना, और अमित ने हिम्मत की तो दिव्या को पाया, आखिर शुरुआत तो मर्द को ही करनी पड़ती है, दिव्या की भी वो ही इच्छा थी पर अमित ने शुरू किया तो उसने साथ दिया ना, वो बात को समझा और नजदीक आया, मैं समझ गई अब मेरा काम हो गया

नजदीक आकर उसने अपने दोनों हाथ उठाए और मेरे फैले हुए गीले बालों में पसारते हुए हाथों को दोनों कान पर रखा, और मेरा चेहरा ऊँचा किया, मैं भी वासना भरी नजर से उसको देख रही थी, वो झुका और मेरे होठों पर अपने होंठ रख दिए, मैं रोमांचित हो उठी, आह्ह प्रमोद, मैंने उसे अपने होठों को चूसने दिया, कोई विरोध नहीं किया

उसकी हिम्मत बढ़ी और मुझे करीब खींचा, मैं भी उसके नजदीक सरकी लेकिन सरकने से पहले एक हाथ से सफाई से टावल खोल डाला, खुलते ही टावल गिर पड़ा, अब मैं पूरी नंगी थी और वो सिर्फ चड्डी पहने हुए था, मैं नजदीक जाकर उससे चिपक गई, उसने किस थोड़ी तेज की लेकिन नया था तो बराबर आता नहीं था, इसलिए अब मैंने भी काम शुरू किया, अपने होंठ और जीभ से उसे रेस्पॉन्स दिया, वो सीखने में फास्ट था, तुरंत समझ लिया और दोनों एक लंबी अच्छी किस में खो गए

होंठ से होंठ और जीभ से जीभ मिल गए, हम रस पान करते रहे, मैंने अपनी बाहें उसके गले में डाल दी थीं, उसकी बाहें मेरी पीठ पर फिर रही थीं, मैंने उसे कहा दोनों हाथों को सिर्फ यूँ ही मत घुमाओ उनसे मुझे तुम्हारी ओर दबाओ, उसने जोर बढ़ाया, अब मेरे स्तन और निप्पल्स उसके सीने से चिपक गए, उसे भी मजा आया और उसने जोर बढ़ा दिया, मैं दब जाने लगी, उसे भी आनंद आने लगा

मैं बोल उठी मेरे प्रमोद मे, उसने एकदम जोर बढ़ा दिया, आह्ह्ह कल्पना भाभी, मेरे स्तन तो उसके सीने से दबके मानो चौपट ही हो गए, निप्पल भी अब पिंच कर रही थीं लेकिन बड़ा मजा आ रहा था, आहाहा ह्ह्ह इह्ह, वैसे भी मुझे ये बहुत पसंद है, किसी मर्द की बाहों में चूर चूर होने का नशा तो कोई औरत ही समझ सके, वो मुझे पिसता रहा और होंठ चूसता रहा, ओह्ह प्रमोद जोर से

फिर थोड़ी पकड़ ढीली कर के वो होठों को छोड़ के नीचे उतरने लगा, मेरी चूत पर किस करने लगा, अब उसे कुछ सीखने की जरूरत नहीं थी, उसके अंदर का मर्द जाग उठा था और वो अपना काम जानता था, वो नीचे उतरा और मेरे स्तनों को किस करना शुरू किया, उसे सहलाता था दबाता था मसलता था खेलता था चूसता था निप्पल्स को दबाता था, और अंत में एक निप्पल मुँह में लेकर जोर से चूसने लगा और दूसरे स्तन को बुरी तरह से मसलने लगा, आउच मुझे दर्द होने लगा और मैंने दर्द की सिसकारियाँ भी मारी, आह्ह्ह दर्द हो रहा है प्रमोद लेकिन मत रुक

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लेकिन वो अब कहा कुछ सुनने वाला था, रोकूँ तो भी रुके नहीं, बड़ी बेरहमी से उसने मेरे दोनों बूब्स मसल डाले, मेरे अंग अंग में आग लग गई, बदन गर्म हो उठा और उसे चाहने लगा, अब वो किस करते हुए और नीचे उतरने लगा पर हाथ तो बूब्स पर ही टीके रखे थे, मेरी कमर पर किस करते हुए जांघों को छूते हुए वो मेरी चूत के निकट जा पहुँचा, वहाँ जाकर थोड़ा उलझा और रुका, उसके लिए ये नई चीज थी

मैंने प्यार से उसके सिर पर हाथ घुमाया, अपनी टांगें फैलाई और उसके सर को पकड़ कर उसके होंठ को मेरी चूत पर जा ठहराया, वो किस करने लगा, थोड़ी देर किस की तो मैंने इशारा किया और हम दोनों बेड पर चले गए, अब मैं टांगें पूरी फैला सकी, वो फिर चूत पर गया, मैंने उसे कहा जीभ से काम लो होंठ से नहीं, इतना इशारा काफी था, वो शुरू हो गया, मेरी चूत चाटने लगा, मैंने अपने हाथ से मेरे चूत लिप्स थोड़े फैला के उसकी जीभ अंदर डलवाई, ग्ग्ग्ग गी गी गों गों

वो सीख गया और उसने मेरे हाथ हटाए और बागडोर फिर संभाल ली, अब वो चूत के अंदर बड़ी सफाई से चाटे जा रहा था, मैं तो पहले ही गर्म हो चुकी थी अब पूरी तरह हो गई, मेरा बदन अब उसके लिए तड़प रहा था, मुझे उसका लंड चाहिए था चूत के अंदर, एक करंट सा उठ रहा था बदन में, आह इह्ह ओह्ह प्रमोद चाट जोर से, ह्ह्ह आअह्ह्ह

मैंने एक कड़क अंगड़ाई ली और उसका मुँह वहाँ से हटाया, उसे कहा अब मेरी बारी है, और मैं जो अब तक लेटी थी उठ बैठी और उसकी चड्डी उतारी, और वाउ उसका पूरे कद का लंड स्प्रिंग की माफिक बाहर उछल आया, मैंने उसे किस करना शुरू किया फिर चारों ओर से किस किया, फिर उसके हेड के पास पहुँची, तब दोनों हथेलियों के बीच उसके लंड को लेकर उसे रगड़ डाला जैसे हम लस्सी बनाते समय घूमाते हैं, इससे लंड एकदम जल्दी से तैयार हो जाता है, और मुझे भी तो अब चुदवाने की जल्दी लगी हुई थी, नहीं तो मैं आराम से उसका लंड चूसती रहती

उसका लंड और बड़ा हो गया, मैंने टॉप स्किन हटाई और उसके पिंक हेड को मुँह में लिया, थोड़ी देर चूसा, ग्ग्ग्ग ग्ग्ग्ग गी गी गों गोग, और देखा कि इसे कोई जरूरत नहीं है तो उसे नीचे चूत की ओर धकेल दिया, मैं वापस लेट गई, उसे मेरे ऊपर खींच लिया, मैंने पाँव चौड़े किए और उसका लंड मेरी चूत पर रख दिया, उसने एक धक्का मारा और लंड अंदर चला गया, आह्ह्ह इसी के लिए तो ये सारा खेल था

उसने चोदना शुरू किया, लंड काफी बड़ा और गर्म था, मैं अंदर कुछ अलग ही महसूस कर रही थी, दर्द भी हो रहा था और मजा भी आ रहा था, उसकी स्पीड बढ़ी, मैं चिल्लाने लगी प्रमोद आज बुरी तरह चोद मुझे फाड़ डाल इस रंडी चूत को, चोद प्रमोद चोद, आह ह ह ह ह्हीईई आअह्ह्ह्ह ओह्ह इह्ह, मेरे मुँह से ऐसे शब्द सुन के वो ताज्जुब हो गया पर फिर मुस्कुराया और बोला चिंता मत करो आज नहीं छोड़ूगा, एक हफ्ते से मेरी नींद हराम कर रखी है आज तो चूत फाड़ कर ही रहूँगा

और फिर वो चोदता रहा चोदता रहा और चोदता ही रहा, बड़े जोर से चोदा, मैंने उसे घोड़ी बनने को कहा तो वो पीछे से घुसाया, मेरी कमर पकड़कर धक्के मारने लगा, आह्ह ऊऊ ऊउइ ऊई उईईई प्रमोद फाड़ दे, दोनों को बड़ा मजा आया, मैंने ऊपर चढ़कर भी झटके दिए उसके लंड पर उछल कूद की, आह्ह्ह कल्पना भाभी तेरी चूत कितनी टाइट है, और चुदाई के बाद लेट गए

उसके बाद तो तीन दिन और थे हमारे पास, और अब तो पटाने की बात नहीं थी, हमने सारा समय साथ ही गुजारा, ना जाने कितनी बार उसने मुझे चोदा, कभी किचन में झुकाकर, कभी सोफे पर पैर फैलाकर, हर बार नई पोजिशन में, उसका लंड मेरी चूत में घुसते ही मैं सिसकियां भरती, आह ओह्ह प्रमोद और जोर से, तो ये थी मेरी भाभी देवर की चुदाई कहानी

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