Jawan Lund se chudai sex story – Young Boy Sex Story: मेरा नाम प्रीति है, मैं 28 साल की बिना बच्चे वाली औरत हूँ, या यूँ कहिए कि अभी भी एक जवान लड़की जैसी हूँ, शादी के सिर्फ एक साल ही हुए थे कि मेरा पति जेल चला गया, इसका कारण ये था कि जब वो मुझसे शादी किया था, तो उससे पहले भी वो एक लड़की के साथ रहता था और उस लड़की का एक बच्चा भी हो गया था, लेकिन मेरी शादी के सिर्फ चार दिन बाद ही वो लड़की ने मेरे पति पर केस कर दिया और वो जेल चला गया, मुझे अपने पति से बहुत घृणा होने लगी क्योंकि उसके संबंध कई अन्य महिलाओं से भी थे, वो रंगरेलियाँ मनाता था और उस लड़की को तो बच्चा भी पैदा कर दिया था
पर मैं प्यासी की प्यासी ही रह गई क्योंकि शादी के सिर्फ तीन दिन तक ही मैं चुद पाई थी, उसके बाद छह महीने तक लंड के दर्शन भी नहीं हुए, मैं रोजाना हॉट सेक्स कहानियाँ पढ़ती और अपनी चूत में उँगली डालकर अपनी जिस्म की गर्मी शांत कर लेती, फिर किसी खूबसूरत लड़के को याद करके सो जाती
लेकिन दोस्तों, ये कितने दिन चलता, इसलिए मैंने अपने ही देवर को, जो मात्र 21 साल का था, डोरे डालने शुरू कर दिए, मेरे घर में मेरे अलावा ससुर और देवर ही रहते हैं, सास नहीं है, पति जेल में है, भरपूर जवानी में कोई चोदने वाला नहीं, शादी के तीन दिन तक मेरी वासना शांत हुई लेकिन पति ने मुँह में खून लगा दिया यानी चुदाई का स्वाद चखा दिया
मैं परेशान रहने लगी कि अब मेरा क्या होगा, पति तो सीधे तीन साल के लिए अंदर हो गया, अब मैं अपने देवर को पटाने लगी, जब ससुर जी काम पर जाते, उस समय घर में सिर्फ मैं और देवर ही होते, तो मैं हमेशा उनके सामने झुकती, कभी नहाकर आती तो सिर्फ ब्रा पहनकर आ जाती, कभी मुझे पता होता कि वो कमरे में आने वाले हैं तो उस समय कपड़े बदलने लगती, धीरे-धीरे देवर का इंटरेस्ट जग गया
एक दिन उसने मुझे बोल दिया, भाभी क्या आपको भैया के बिना मन लगता है, ऐसा किसी के साथ नहीं होना चाहिए, शादी के बाद हर लड़की का अरमान होता है कि अपने पति के साथ रहे, मैं समझ गई कि जब कोई इमोशनल हो जाए तो उसे पटाना आसान होता है, क्योंकि उस समय देवर की आँखों में आँसू आ गए थे, गला भर आया था, मैंने इसी मौके का फायदा उठाया, अपने देवर को सांत्वना देने के बहाने गले लगा लिया, धीरे-धीरे उसकी पीठ सहलाने लगी, लेकिन मेरी बड़ी-बड़ी टाइट चूचियाँ जब किसी जवान लड़के की छाती से चिपकीं तो आग तो लगनी ही थी, सुलगी हुई आग, वो मेरी पीठ सहलाने लगा, फिर मुझे अपनी तरफ खींच लिया
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मैं खुद चिपक गई, घर में कोई नहीं था, लेकिन मेन दरवाजा खुला था इसलिए मैंने इशारा किया, वो भागकर दरवाजा बंद किया और लौटते ही मुझे में लिपट गया, मैंने खुद ही उसे बाहों में भर लिया, दोनों बैडरूम में आ गए, मैंने अपने देवर के होठों पर किस किया, ग्ग्ग्ग.. ग्ग्ग्ग.. जैसे आवाजें निकल रही थीं उसके मुँह से, वो मेरी चूचियों पर हाथ रख दिया, फिर दोनों पागल हो गए
मैंने अपनी साड़ी खोल दी, पेटीकोट और ब्लाउज पर ही लेट गई, उसने बनियान उतार दी, मेरे ऊपर चढ़ गया, मेरे ब्लाउज के हुक खोलते देर नहीं लगी, फिर मैंने खुद ही अपनी ब्रा खोल दी, गोल-गोल बड़ी-बड़ी चूचियाँ एक जवान लड़के के सामने थीं, जिसने शायद कभी किसी लड़की या औरत की चूचियाँ नहीं देखी होंगी, पागल हो गया देवर, साँसें तेज हो गईं, मेरी चूचियों को मसलने लगा, चूसने लगा, चप चप.. च्ल्ल्प.. जैसे आवाजें गूँज रही थीं, मैं पागल हो गई, उसके मजबूत छाती को सहलाने लगी, लेकिन मुझे लंड चाहिए था, वो मन में था
तो मैं बैठ गई और देवर को लिटा दिया, तुरंत उसका जांघिया खोल दिया, मोटा लंबा लंड पकड़ लिया, आइसक्रीम की तरह चाटने लगी, ग्ग्ग्ग.. गी.. गी.. गों.. गोग.. जैसे गहरे ब्लोजॉब की आवाजें निकल रही थीं उसके गले से, धीरे-धीरे उसका लंड और बड़ा होते गया, मैं चाट रही थी, वो मेरी चूचियों को छू रहा था, कभी गांड छूता, कभी पेट, रह-रहकर सिसकारियाँ ले रहा था, आह.. ह्ह्ह.. इह्ह..
अब मुझे अपनी चूत चटवानी थी, तो देर किए बिना मैं लेट गई, पेटीकोट उतार दिया, उसने खुद ही मेरी पेंटी उतार फेंकी, अब वो नीचे जाकर मेरे दोनों पैर अलग-अलग किए, बीच में बैठकर मेरी चूत को खूब निहारा, फिर चाटने लगा, च्ल्ल्प.. च्ल्ल्प.. चप चप.. जैसे जीभ की आवाजें, मैं उसके बाल पकड़कर अपनी चूत पर दबा रही थी, मेरी चूत ज्यादा गर्म हो गई थी, सफेद पानी निकलने लगा क्रीम के साथ, मेरा देवर चूत को चाट रहा था, मैं सिसकारियाँ ले रही थी, आह इह्ह ओह्ह ओह, आह.. ह्ह्ह.. इह्ह.. पागल हो रही थी, अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था
मैंने कहा अब मुझे मत सताओ, मुझे चोद दो, फिर मेरा देवर मेरी चूचियाँ मसलने लगा, मेरे होठ चूसने लगा, अपना लौड़ा पकड़कर मेरी चूत के मुँह पर लगाया, फिर पेल दिया, पहले ही मेरी चूत काफी गीली होने से चिकनी हो गई थी, मुझे आनंद की प्राप्ति हुई, आह ह ह ह ह्हीईई आअह्ह्ह्ह, फिर जोर-जोर से शुरू हो गई मेरी चुदाई, वो ऊपर से धक्के देता, मैं नीचे से देती, जोर-जोर से हम दोनों की चुदाई होने लगी, थप थप.. थप्पड़ जैसी आवाजें गूँज रही थीं कमरे में
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कभी नीचे से, कभी ऊपर से, कभी पीछे की तरफ से डॉगी स्टाइल में, मैं घोड़ी बनकर उछल रही थी, आह्ह.. ह्ह.. आऊ.. ऊऊ.. ऊउइ, कभी बैठकर काउगर्ल पोजिशन में मैं उसके लंड पर उछलती, उसके हाथ मेरी गांड मसल रहे थे, उस दिन करीब तीन घंटे तक चुदाई हुई, विभिन्न पोजिशनों में हमने एक-दूसरे को एक्सप्लोर किया, वो मेरी चूत में उँगलियाँ डालकर पहले और उत्तेजित करता, फिर लंड घुसेड़ता, पर फिर भी मेरा मन नहीं भरा, देवर का माल दो बार निकल चुका था, गाढ़ा वीर्य मेरी चूत में भर गया था, लेकिन मैं अभी तक शांत नहीं हुई, करती क्या, बार-बार देवर मुझे ऐसे ही ठंडा छोड़ दे रहा था, मुझे मेरी वासना पागल कर रही थी, मेरा मन नहीं भर रहा था, प्यासी की प्यासी ही रही थी
एक दिन की बात है, मैं अपने ससुर जी को पटाने में कामयाब हो गई, उनके सामने भी मैंने ऐसे ही हाव-भाव दिखाए, झुककर चूचियाँ दिखाई, नहाकर गीले बदन से लिपटी, धीरे-धीरे वो भी इमोशनल हुए, फिर गले लगाने के बहाने मैंने उन्हें किस किया, उनकी छाती पर हाथ फेरा, वो भी पागल हो गए, उनकी उम्र ज्यादा थी लेकिन लंड अभी भी मजबूत था, मैंने उन्हें लिटाया, उनका लंड चाटा, ग्ग्ग्ग.. गों.. गोग.. आवाजें उनके मुँह से, फिर वो मेरी चूत चाटने लगे, च्ल्ल्प.. चप.. मैं सिसक रही थी आह.. ओह्ह.. इह्ह, फिर उन्होंने मुझे चोदा, धीरे-धीरे लेकिन गहराई तक, मिशनरी में, फिर साइड से, उनका वीर्य भी मेरे अंदर गिरा, अब मैं चुदने लगी, दोनों से बारी-बारी, कभी देवर से जोरदार युवा धक्के, कभी ससुर से अनुभवी स्ट्रोक्स, मेरी प्यास अब शांत होने लगी