Desi Aunty Ki Xxx Chudai Kahani पढ़ें, जिसमें मैं एक कॉलेज विद्यार्थी और उसकी माँ से मिला। मैंने उन्हें एक कमरा उपलब्ध कराया। फिर रात को मैंने आंटी की गांड और चूत दोनों काट दी।
मित्रों, मैं विवेक हूँ। ये नाम बदल गया है।
मेरी उम्र 21 वर्ष है। 7.5 इंच लंबे और 3.4 इंच मोटे मेरे लंड हैं।
आपने मेरी पिछली पड़ोस वाली सुंदर आंटी को चोदा। Aunty Ki Chudai Hindi Me
पढ़ी थी।
मैं बीटेक की पढ़ाई करते हुए अपने घर से दूर एक अलग कमरे में रहता था। मेरा घर कॉलेज से दूर था, इसलिए आने-जाने में काफी समय लगता था।
ये Desi Aunty Ki Xxx Chudai Kahani हुई जब मेरा कॉलेज का दूसरा वर्ष खत्म हो गया और नया सेशन शुरू हुआ।
क्लास चल रही थी।
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क्लास में हर विद्यार्थी खुश था। शिक्षक ने मुझे क्लास से निकाल दिया।
कॉरीडोर में बैठकर मैं अपने फोन चलाने लगा।
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तभी एक महिला मेरे पास आई।
सरिता उनका नाम था।
उन्हें काफी जवान लग रहा था।
मैडम गोरा रंग की थीं और उनका वजन 34-30-36 था। उन्होंने जीन्स टॉप पहनकर बहुत सेक्सी लग रही थीं।
मेरा लौड़ा उन्हें देखकर खड़ा हो गया।
तब मैंने देखा कि मेरे पास एक और लड़का खड़ा था।
मैंने सोचा कि मैडम को मुझसे कुछ काम करना चाहिए था।
तो मैंने पूछा, मेम, क्या आप मुझसे कुछ काम करना चाहते थे?
हां में सरिता मेम ने सिर हिलाकर पूछा कि आसपास कोई हॉस्टल है क्या?
मैंने कहा कि कॉलेज का हॉस्टल है, लेकिन शायद सभी कमरे खाली हैं। यहाँ कुछ निजी स्कूल भी हैं, लेकिन वे कॉलेज से बहुत दूर हैं।
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मैडम कुछ विचार करने लगी।
उस लड़के को देखकर मैंने पूछा, क्या वह तुम्हारे साथ है?
सरिता मेम, ठीक है, यह मेरा बेटा है। नवीनतम प्रवेश है।
मैंने उसकी तरफ देखा और उसकी बात सुन ली।
वह सिविल ब्रांच था और उसका नाम हिमांशु मीना था।
सरिता मेम, हमें प्राइवेट हॉस्टल ही देखना होगा क्योंकि यहां कोई कमरा नहीं है। दूर है, लेकिन अब क्या कर सकते हैं?
मैंने कहा कि अलग कमरे लेकर रहो, पास में कमरे मिल जाएंगे। मैं भी कमरे लेकर रहता हूँ।
सरिता मेम, लेकिन फिर खाना बनाना और कुछ और करना चाहिए था..। ये सभी इसमें नहीं आते।
मैं आपको बताता हूँ कि मेस भी यहाँ है, आंटी। इसे खाना बनाने की कोई आवश्यकता नहीं है।
मेम से आंटी कहते सुनकर आंटी का चेहरा मुस्कुरा उठा।
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सरिता आंटी, हमारे पास बहुत सारा सामान है। अब आप सामान को कहां रखेंगे और कमरा देखेंगे?
मैं: आप चाहें तो मेरे पास एक अकेला कमरा खाली है।
सरिता आंटी, बहुत धन्यवाद बेटा।
कॉलेज खत्म हो गया था।
मैंने उन्हें मकान मलिक से मिलवाया और उन्हें अपने साथ ले गया।
उनका कमरा लेना पक्का था।
मैं भोजन करने चला गया।
मैं खाना खाने के बाद उनके लिए भी खाना ले आया।
वह दोनों एक साथ अपने सामान को सैट कर रहे थे।
मैंने उन्हें खाना खिलाकर अपने कमरे में चला गया।
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कुछ देर बाद मैं फोन पर गेम खेलने लगा और सो गया।
उठा और दोस्तों के साथ चाय पीने चला गया।
शाम के करीब आठ बजे मैं अपने कमरे में आया और आंटी से मिलने की इच्छा हुई।
मैंने उनके दरवाजे खोले।
हां बेटा, सरिता आंटी, क्या हुआ?
मैं खाना खाने जा रहा था, क्या आप साथ चलेंगे या मैं पैक करके लाऊँगा?
हां, सरिता आंटी, हम साथ चलेंगे। मेस भी देखेंगे और कुछ रुपए देंगे।
मैंने ओके कहा और हम सब खाने के लिए मेस में गए।
हम सब खाना खाकर कुछ देर बाद वापस आ गए।
मैं फिर से उनके कमरे में गया, लगभग 9:30 बजे।
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मैंने कहा कि आपको कोई समस्या तो नहीं है, आंटी!
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सरिता आंटी ने कहा कि बेटा, तुमने बस रहने की परेशानी को दूर कर दिया।
मैं—ठीक है। वैसे, क्या आप आज यहीं रुकेंगे या आज ही चले जाएंगे?
रुकने के लिए उन्होंने हां में सिर हिला दिया।
मैं: लेकिन एक बेड ही है, आप दोनों को कैसे संयोजित कर पाओगे?
सरिता आंटी ने कहा कि नहीं, हम ऐसा करेंगे।
मैं—मेरा साथी गांव चला गया है, इसलिए मेरे कमरे में एक बेड खाली है। आप यहाँ सो जाएंगे। हिमांशु और मैं अपने कमरे में सो जाते हैं।
हिमांशु ने कहा कि हाँ, मम्मी, भैया सही कह रहे हैं।
हम फिर मेरे कमरे में चले गए।
रात को बजा। उस समय मैं कमरे से बाहर निकला, तो मैंने देखा कि आंटी पेशाब कर रही थीं, हालांकि दरवाजा खुला था।
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काफी अंधेरा था, कुछ भी नहीं दिखाई देता था। सामने के घर की लाइट जल रही थी, इसलिए मुझे कुछ दिख रहा था।
आंटी ने अपनी चूत में उंगली डाली।
मैं उन्हें एकटक देख रहा था।
तब मैं नीचे देखने लगा जब उन्होंने मेरी तरफ देखा।
आंटी बाहर निकली।
वे एक काले रंग की नाइटी पहनते थे।
सरिता आंटी ने पूछा, “बेटा, अभी तक सो नहीं रहा है?”
मैं सोता हूँ आंटी।
उन्हें कुछ नहीं कहा गया।
फिर मैंने साहस करके पूछा: आंटी, वहाँ क्या कर रहे थे?
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नहीं, कुछ भी नहीं, सरिता आंटी शर्मा ने कहा।
मैंने पूछा कि क्या मैं कुछ पूछ सकता हूँ अगर आप बुरा नहीं मानते?
सरिता आंटी, ज़रूर पूछो।
मैं: क्या आपके हबी आपको खुश नहीं कर पाते?
थोड़ा दिखावटी गुस्सा करते हुए सरिता आंटी ने पूछा: ये क्या कह रहे हैं?
मैं—नहीं, मैंने ऐसा नहीं कहा। मैंने इसे देखकर पूछा। नमस्कार, आंटी।
सरिता आंटी: मेरे पति विदेश में काम करते हैं; वह एक वर्ष या दो बार आते हैं।
आंटी फिर चुप हो गई।
उनकी बात सुनकर मुझे लगता था कि सरिता आंटी बहुत हवस की भूख है।
मैंने सरिता आंटी के कंधे को सहलाने लगा।
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सरिता आंटी, आप ये कर रहे हैं क्या?
मैं उनकी बात सुनकर आंटी के गालों को सहलाने लगा।
तुम क्या कर रहे हो, सरिता आंटी ने पूछा।
मुझसे दूर होकर वो अपने कमरे में चली गईं।
मैं सरिता आंटी के पीछे भी उनके कमरे में गया।
मैंने खिड़की को बंद कर दिया।
क्या करना चाहते हो सरिता आंटी ने धीमी आवाज में पूछा।
मैं आपकी आवश्यकताओं को पूरा करना चाहता हूँ।
मैंने उन्हें पीछे से पकड़कर चूमने लगा।
“दूर हटो मुझसे,” वह झूठ बोलने लगी।
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मैंने सोचा कि कब तक आप उंगली का सहारा लेते रहेंगे?
मैं सरिता आंटी को प्यार करने लगा।
अब वह कुछ नहीं बोली।
बाद में सरिता आंटी ने कहा, “ये सब ठीक नहीं है, हिमांशु उठ गया तो मुझे दिक्कत हो जाएगी।”
मैंने झूठ बोला कि मैंने पहले से ही उसका इंतजाम कर लिया था। उसके जूस में मैंने नींद की गोली डाली।
सरिता आंटी, आप पहले से ही शादी की योजना बना चुके थे?
मैं कर चुका था, लेकिन साहस नहीं हो रहा था। जब उसने आपको चूत में उंगली डालते देखा, उसने साहस किया।
सरिता आंटी ने कहा कि मैं भी तुम्हें देखते ही मन बना चुकी थी, लेकिन मैं तुमसे कैसे कहूँ?
मैं अब सरिता आंटी के होंठ चूमने लगा।
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भी वह खुलकर मेरा साथ देती थीं।
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जब मैंने सरिता आंटी की नाइटी उठाई, तो मैंने पाया कि उसने नीचे कुछ नहीं पहन रखा था।
मैंने उनकी चूत सहलाना शुरू किया। मैंने नाइटी भी बाहर निकाली।
अब सरिता आंटी पूरी तरह से नंगी मेरे सामने खड़ी थीं।
उनका दूध उठा था। बदन पूरी तरह से गोरा था।
मैं सरिता आंटी के दूध को दबा रहा था और एक हाथ से उनकी चूत में उंगली कर रहा था।
तुरंत सरिता आंटी भी गर्म हो गई; मेरा अंडरवियर और पजामा सब निकाल दिए गए।
सरिता, आपका उपकरण बहुत बड़ा है।
मैं: क्या आपके पति का लिंग आपके लिंग से भी बड़ा है?
सरिता आंटी, उनका लंड बहुत छोटा नहीं है।
आंटी मेरा लिंग सहलाने लगी।
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मैंने अपनी टी-शर्ट भी उतारी।
अब हम दोनों पूरी तरह से नंगे थे।
फिर हम 69वें स्थान पर आ गए।
जब मैं उनकी चूत में अपनी जीभ फेरने लगा, वो रोने लगीं।
आंटी भी मेरा लंड चूसती थीं।
हम दोनों करीब पांच मिनट बाद अलग हो गए।
मैं अब सरिता आंटी के ऊपर चढ़ गया।
मैं उनकी चूत में हाथ डालने लगा।
उनकी चूत में पानी था।
मैंने सरिता आंटी के पैरों को ऊपर किया, उनकी टांगें फैला दीं और अपना लंड उनकी चूत में सटाकर एक जोरदार धक्का मारा।
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वह चिल्लाईं जैसे ही लंड अंदर घुसा।
आंटी की चूत में मेरा आधा लंड चला गया।
तभी मैंने एक बार फिर जोर से धक्का मारा।
अब मेरा पूरा लंड उनकी चूत में गया।
अब वह दर्द से चीखने लगीं: “हे बेटा, इतना दर्द है।” बाहर निकालो अपना लिंग।
आंटी, तुम्हारा पति छोटा नहीं है। इसलिए दर्द होगा ही। मज़ा आएगा जब आप कुछ देर सहेंगे।
धीरे-धीरे मैं धक्के देने लगा।
उसने मादक सिसकारियाँ भरने लगीं, कहते हुए, “आह मां, मैं मर गया।”
मैंने धक्का थोड़ा तेज किया।
सरिता आंटी: ओह..। धीरे-धीरे चोद, मम्मी, आह।
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थोड़ी देर बाद सरिता आंटी भी खुश हो गईं और मेरा साथ देने लगीं।
मैं अपने धक्के भी तेज कर दिया।
सरिता आंटी ने मादक आहें भरते हुए कहा, “राजा चोदो, आह, मज़ा आ रहा है।”
मैं-हां, जानवर..। मैं भी मज़ा ले रहा हूँ। मेरा लिंग मजेदार है!
सरिता: यह बहुत मनोरंजक है।
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मैं आंटी के होंठों को भी चूमने लगा।
मैं करीब दस मिनट की भयानक चुदाई के बाद झड़ गया।
मैंने सरिता आंटी के पेट पर अपना वीर्य फेंक दिया।
सरिता आंटी ने मेरे साथ दो बार चुदाई की।
हम दोनों बिखर गए।
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सरिता आंटी ने मेरा वीर्य चूसने लगा।
थोड़ी देर बाद मैं फिर से उठ गया।
मैं डॉगी शैली में करें?
सरिता आंटी, यह बहुत अच्छा होगा।
मैं कहता हूँ: “चलो, फिर घोड़ी बन जाओ।”
मेरा कमरा बगल में था, इसलिए मैं नंगा ही गया और तेल की शीशी ले आया क्योंकि सरिता आंटी घोड़ी बन गईं।
मैंने सरिता आंटी से कहा, “जानेमन, मेरे लंड पर तेल लगा दो।”
मेरा लंड सरिता आंटी ने तेल लगाकर घोड़ी बन गया।
मैं उनकी गांड में अपनी उंगली डालकर उन्हें हिलाने लगा।
उन्हें मादक सिसकारियाँ आती थीं।
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प्रिय सरिता, क्या तुम अब मेरी गांड मारोगे?
मैं – हां, मेरी जान!
सरिता आंटी, मैंने अपने पति को गांड मारने नहीं दिया क्योंकि वह बहुत दर्दनाक है।
मैं-बेबी, जब दर्द होगा, फिर खुशी होगी।
सरिता आंटी, यह गांड नहीं है।
मैं- नहीं, मैं गांड चाहता हूँ। वरना आपको आगे से अपनी चूत के लिए एक लंड फिर से खोजना पड़ेगा।
अब सरिता आंटी बोली नहीं।
मैंने सरिता आंटी की गांड पर तेल लगाकर लंड को गांड से सटाया।
मैं सरिता आंटी की गांड में अपना लंड डाल रहा था, लेकिन वह बहुत टाइट थी।
फिर मैंने लंड पर अधिक तेल डाला।
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मेरा लंड आधा अंदर था।
सरिता आंटी चीख रही थीं: निकालो इसे प्लीज़..। मुझे बहुत दर्द हो रहा है।
मैं एक और जोरदार झटका लगा जब मैंने एक ना सुनी।
अब सरिता आंटी की गांड में मेरा पूरा लंड था।
सरिता दुःख से रोने लगी।
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सरिता आंटी ने रोते हुए कहा, “प्लीज निकालो इसे।” मैं बहुत दुखी हूँ।
जानेमन, ये दर्द प्यार का है।
मैं आगे पीछे करने लगा।
सरिता रोती रही।
थोड़ी देर बाद दर्द कम हुआ, तो मैंने धक्के और तेज कर दिए, और सरिता आंटी चिल्लाने लगीं: “आईई… आआ अहह मरर गईइ।” अब क्या मार डालोगे?..। थोड़ा धीरे करो।
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मैं: धीरे-धीरे चलने में मज़ा आता है।
मैंने अपने धक्के अधिक तेज कर दिए।
थोड़ी देर बाद सरिता आंटी भी मेरा साथ देने लगीं।
दस मिनट की भयंकर गांड चुदाई के बाद मेरा वीर्य उनकी गांड में ही गिर पड़ा।
हम अलग हो गए और अलग-अलग कपड़े पहन लिए।
मैं-मजा आया ना आंटी?
सरिता आंटी, मुझे बहुत अच्छा लगा।
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फिर मैंने सरिता आंटी के होंठ चूम लिया और अपने कमरे में चला गया।
अब सरिता आंटी अक्सर वहां आती हैं और हमारा खेल शुरू हो जाता है।
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