समधी जी से चुत मरवाकर अपने आप को ठंडा किया।

एक Desi Indian Chut Chudai Kahani में पढ़ें। मेरे पति मुझे बहुत कम चोदते थे इसलिए मेरी इच्छा पूरी नहीं हुई। तो मैं अपनी बेटी के ससुर से चुदवाई।

मेरा नाम मेघना है और मैं दिल्ली की रहने वाली 42 साल की प्यारी महिला हूँ। मैं बहुत सुंदर हूँ। मेरा शरीर मांसल गदराया हुआ है और मेरे दूध बड़े आकार के हैं।

मैंने पिछले साल मेरी बेटी की शादी की। मैं और मेरा पति अब मेरे घर में थे। वो मुझे चोदते थे लेकिन मेरी इच्छा नहीं पूरी होती थी।

मेरी पिछली कहानी

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बहन को सेक्सी फ़ोटो दिखकर उकसाया।

इसलिए मैं बहुत गर्म हो गई थी।

जीवन इसी तरह खत्म हो रहा था।

एक दिन मेरी बेटी ने फोन किया और बताया कि मेरे समधी, उसके ससुर, मेरे घर आ रहे हैं।

मैंने अपने पति को यह बताया। तो वे उनके स्वागत के लिए कुछ नाश्ता लेने के लिए बाजार गए।

मैं भी तुरंत तैयार हो गई। मैं पीली साड़ी और लाल ब्लाउज पहनकर तैयार हो गई।

समधी जी करीब दो घंटे बाद घर आए। उनका नाम राजकमल था और उम्र ४५ वर्ष थी। मैंने उन्हें भोजन दिया और कुछ नास्ता कराया। वह मेरे पति से बातचीत कर रहे थे।

कुछ देर बाद पति के कार्यालय से फोन आया।

मेघना समधी जी की देखभाल करो मुझे जरूरी काम से जाना है। मैं शाम तक आ सकता हूँ। मेरे पति मुझसे ये बात कहकर अपने कार्यालय निकल गए।

मैंने उत्तर दिया: ठीक है।

मैं समधी जी को खाना खिलाने लगी।

खाना परोसते समय मेरा पल्लू हट गया और समधीजी ने मेरी चुचियों पर नज़र डाली। मेरे रसीले मम्मों को उसने देखा।

मैंने अपना पल्लू तुरंत ठीक किया।

भी उन्होंने अपनी दृष्टि हटा दी।

किंतु अब उनकी दृष्टि मेरे मम्मों के उभारों पर स्थिर हो गई।

मैं भी इसे नोटिस कर रही थी। दशकों से दबी हुई मेरी आग फिर से भड़कने लगी। न चाहते हुए भी मेरे मन में चुदाई के विचार आने लगे।

खाना खत्म होने पर मैं और समधी जी बातें करने लगी। मेरे ब्लाउज पर उनका पूरा ध्यान था।

मैंने पूछा, “समधी जी, मेरी समधन कैसी है?”

उसने अपनी नजरें मेरे चूचों से हटाकर कहा, “हां, जी, वह ठीक है।”

मैंने इठलाकर कहा कि उनको भी ले आए होते!

हाँ श्रीमान, मैं अकेले में आपसे बात नहीं कर सकता था अगर वे आते।

मैं मुस्कुराने लगी।

फिर उसने कहा, “आप पर ये पीली साड़ी बहुत सुंदर लग रही है।”

मैं थोड़ा शर्मा गई।

फिर मेरे पति ऑफिस से वापस आ गए, बातें इसी तरह चलती रही।

रात को दोनों ने शराब पी। मेरे पति ने बहुत अधिक पेय पी लिया और नशे में धुत्त हो गये।

दारू पीने के बाद भी समधीजी की कामुक निगाहें मेरे मम्मों पर थीं।

मेरे पति से नजरें बचा कर मैंने एक बार फिर से समधी जी को अपने मम्मों की झलक दिखाई।

वह तुरंत गर्म हो गए और मौका मिलते ही मेरी गांड पर हाथ फेर दिया।

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उनकी इस कार्रवाई ने मुझे गर्म कर दिया। मैंने सिर्फ उन्हें देखकर मुस्कुराया, कुछ नहीं कहा।

फिर हम सब सो गए।

समधी जी को एक कमरे में लेटने के लिए मैंने कहा।

तब मेरे पति ने मेरी सलवार में हाथ डालकर मेरी चूत सहलाना शुरू कर दिया।

वह मेरी चुचियों को चूसने लगे, मैं सफेद कुर्ता पहनी थी। मजाक में मैं भी उनके लिंग को सहलाने लगी।

“रानी, लंड चूस दो।”

मैं अपने पति का लंड मुँह में लेकर चूसने लगी। लेकिन मेरे पति बहुत नशे में था, इसलिए वह बहुत देर नहीं टिक सका और उनका सामान मेरे मुंह में ही निकल गया।

मैंने मुँह में भरा माल थूका और अपना कुर्ता ठीक कर लिया। उनके हाथ से सहलाने से मेरी चुत मेरी सलवार में लग गई।

मुझे गर्म करके मेरे पति सो गए। मैं नहाने के लिए अपने कमरे से बाहर निकली। मैंने बाथरूम का दरवाजा खोलते ही हैरान हो गई। परमेश्वर अपने बड़े तलवार को हाथ में लेकर सहला रहे थे।

मुझे देखकर वे नेकर में अपना लंड डालकर मुझसे माफी मांगे।

मैंने उनके लंबे लंड की ओर देखा और कहा कि कोई बात नहीं।

मैं उनकी ओर देखता रही। फिर मेरी चूत की ओर भी देखने लगे। जहां मेरी चुत का माल मेरी सलवार पर था।

उसने मुस्कराते हुए कहा कि शायद समधी ने आपकी प्यास बुझा दी है।

हां, उन्होंने बुझा लिया, लेकिन मेरे अंदर आग लगा दी है, मैंने उनके फन उठाते हुए कहा।

उसने पूछा, “तो क्या इरादा है समधन जी?”

मैंने समधी जी के नेकर के ऊपर से लंड को पकड़कर कहा कि मेरा इरादा बिल्कुल स्पष्ट है; अब आप ही मेरी आग बुझा दो।

वह मुस्कुराते हुए मेरे कुर्ते के ऊपर से मेरे बूब्स मसलने लगे।

हम दोनों एक दूसरे को किस करने लगे। मैं सिर्फ सलवार में उनके सामने खड़ी थी तब उन्होंने मेरा कुर्ता उतार दिया। मैंने ब्रा नहीं पहनी थी, इसलिए मेरे दोनों स्तन नंगे थे, जो उनकी आंखों में वासना का संकेत दे रहे थे।

मुझे खींचकर एक बूब पीने लगे।

जब मैं समधी जी के होंठों पर हाथ डालने लगी, तो मैं सित्कार करने लगी, आह… आहहब्ब। पी लो समधीजी..। मेरा दूध चूस लो। क्या सुंदर दिखता है!

साथ ही, समधी जी अपने दांतों से मेरे चूचुकों को चूस रहे थे। जब मैं खुशी से बाहर निकल गया, तो वह और भी उत्तेजित हो गया और मेरे चूचे भींचने लगा।

फिर मैंने उनसे कहा कि पूरा मनोरंजन करने के लिए अपने कमरे में चलो।

मैं सिर्फ सलवार में उनके कमरे में आ गई और समधी जी ने मुझे अपनी बलिष्ठ भुजाओं से अपनी गोद में उठा लिया।

मेरे मम्मों को चूसा और मुझे अपनी गोद में लिए ही बहुत प्यार किया। फिर उन्होंने मुझे बिस्तर पर डालकर मेरे पूरे शरीर पर किस करने लगे।

परमेश्वर ने कहा, “तुम बहुत सुंदर हो।” काश मैं तुम्हारा पति होता तो तुम्हें चोदता।

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मैंने कहा कि आज से मैं तुम्हारी पत्नी हूँ..। इसे अपना समझिए।

मेरी सलवार उतारकर मुझे चूमा।

मैंने अपनी चुत छिपाते हुए कहा कि आप भी अपने कपड़े उतार दें।

एक मिनट से भी कम समय में श्रीमान ने अपने सारे कपड़े उतार दिए। उनका मोटा, लम्बा लंड एकदम तनतना रहा था।

आह, तुम्हारा लंड कितना मोटा है, मैं उठकर उसे हाथ में लिया।

कुछ नहीं कहते हुए उन्होंने मुँह मेरी चूत पर रखा और मेरी दोनों टांगों को फैला दिया। परमेश्वर ने मेरी भारतीय चुत चाटने लगे। मेरी चूत के छेद में अपनी जीभ डालने लगे।

मैं- आह… हां..। उह, समधी जी, चाटो मेरी चूत। मुझे अपनी रानी बनाओ…। आह।

मुझे मस्त करने के लिए परमेश्वर ने लगातार मेरी चुत चाट दी। मैं अपनी चुत में हूक सी उठ रहा था जब परमेश्वर ने अपना लंड डालकर मुझे ठंडा कर दिया।

मैंने कहा, “आह, अब मेरी देसी भारतीय चुत में भी लंड डाल दीजिए।”

उसने अपना सुपारा मेरी चुत पर रखकर एक जोरदार शॉट मारा। मैं उनके मोटे लंड से अकबका गई।

परमेश्वर का लंड बहुत मोटा और लम्बा था। मीठे दर्द से मैं चिल्लाने लगी: आह..। परमेश्वर मार डाला..। धीरे-धीरे कीजिए।

परमेश्वर मुझे चोदने लगे।

कुछ देर बाद, मैं भी उनके लंड से चुत चुदी करने के लिए उत्सुक हो गई। मैं उनके मूसल लंड से चुदने लगी। मेरी चुत उनके बड़े लंड से भर गई।

मैं वासना से चीख रही थी, आह, समधी जी..। राजा जी, आपने अपनी पत्नी को अपनी बीवी समझा…। आह और एक तीव्र आह और धक्का।

मेरी जान कितनी सुंदर चुत है, कहते हुए समधी जी मेरी चुत गपागप करते हुए आहें भर रहे थे।

मैं भी उनको अपने ऊपर खींचकर उनके दूध चुखवाते हुए चुदाई करवा रही था।

अब परमेश्वर ने मेरी बहुत जल्दी चुदाई करने लगे। पच पच की आवाज निकलने लगी।

थोड़ी देर बाद समधीजी ने पूछा, “आह जान, बताओ लंड का पानी कहां डालूँ?”

आह, मेरी जान, अपना बीज मेरी चुत में डाल दो। सूखी चुत से तराई निकलेगी।

जैसे ही उन्होंने यह सुना, उन्होंने दस बारह धक्के मारकर मेरी चुत भर दी। मैं भी उनके रस से पानी पिया। हम दोनों ठन्डे हो गए।

करीब पंद्रह मिनट बाद मैंने कपड़े पहनकर अपने कमरे में प्रवेश किया।

उधर मेरे पति सो रहे थे, अपनी गांड औंधी किए हुए..। उन्हें दीन दुनिया का कोई स्मरण ही नहीं था।

उन्हें तिरस्कृत करते हुए मैं भी बाजू में सो गई।

सुबह उठने पर मुझे चुत में दर्द हुआ। मैं उठकर खाना बनाया। समधी जी और पति को भोजन दिया गया। पति अपनी पर ऑफिस चले गए। मैं खाना बनाने लगी।

तभी परमेश्वर ने मुझे पीछे से पकड़ लिया और मेरे ब्लाउज के ऊपर से मेरे दूध को दबाने लगे।

“कल रात तुमने मुझे खुश कर दिया,” परमेश्वर ने कहा। आज भी मुझे खुश करो।

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मैं हंस पड़ी।

इसलिए उन्होंने मेरे ब्लाउज के हुक को खोला। मैं नग्न हो गयी और वे मेरी चुचियों को दबाने लगे।

मैंने कहा, समधी जी, छोड़ दो।

वह मुझे चुंबन दे रहे थे। मुझे किचन में ही नंगी करके मेरी साड़ी और पेटीकोट उतार दिया।

परमेश्वर मेरी गांड चूमने लगे। गर्म होकर मैं उनका लंड पकड़ने लगी।

मुझे किचन की स्लैब पर बिठाकर उन्होंने मेरी टांगों के बीच में हाथ डाला। मुझसे खेलने लगे।

मैं डर गया जब मेरे घर की डोर बेल बजी। मैं तुरंत कपड़े देखने लगी। किचन के फर्श पर पानी था, जिससे मेरी साड़ी खराब हो गई, लेकिन पेटीकोट गीला नहीं था।

मैंने उसे पहना और समधी जी ने शर्ट पहनी।

समधी जी फिर कमरे में चले गए। जब मैं दरवाजे खोलकर दरवाजे की झिरी से देखा, तो मैंने देखा कि पति महोदय आ चुके थे।

जब मैंने दरवाजा खोला, वे मुझे देखकर पूछा, “यह क्या पहन रखा है?”

मैंने कहा कि वह जल्दी में बाथरूम में पहन गई थी।

मैंने जल्दीबाजी में समधी जी की शर्ट पहनी हुई थी।

मेरे पति अपनी कार्यालय की एक फ़ाइल भूल गये गई थे। वे फ़ाइल लेकर चले गए। मैंने दरवाजा बंद करके फिर से समधी जी के कमरे में प्रवेश किया।मैं उनसे चिपक गयी और अपनी बांहें फैला दीं।

“आज मैं तुम्हारी गांड मारूंगा,” वे फिर से कहते हुए मुझे नंगा कर दिया।

मैंने कहा कि मैंने पहले कभी मरवाई नहीं है। फट तो नहीं जाएगी।

लेकिन उनके जोर से मैं उनसे गांड मरवाने के लिए मान गयी।

पहले उन्होंने तेल लगाया और फिर मुझे नीचे झुकाकर मेरी गांड में अपना लंड डाला। वह मेरी टांगों को फैलाकर कहा, “गांड ढीली रखना”।

जैसे ही मैं अपनी गांड को ढीला किया, उन्होंने एक तेज धक्का मारा। मेरी गांड उनके मोटे लंड से चीर गई।

मैं शोर मचाने लगी: आह..। समधी जी बहुत दर्द हो रहा है।

पर वह मेरी चीख पुकार को नजरअंदाज करते हुए मेरी गांड को धीरे-धीरे चोदते रहे।

मैं दर्द से “आह…” करती रही। मैं भी लंड का आनंद लेने लगी। दर्द कुछ देर बाद खत्म हो गया।

थोड़ी देर बाद उन्होंने मेरी गांड में अपना माल डाल दिया। उनके गर्म माल से मेरी गांड गर्म हो गई।

हम दोनों अलग हो गये। उन्होंने मेरी गांड पर घी लगाकर मुझे बहुत देर तक सहलाया। मैं इससे ठीक हो गयी।

कुछ देर बाद, उन्होंने मेरी चुत में भी लंड डाला और हम दोनों चुदाई करने लगे।

एक घंटे बाद परमेश्वर अपने घर चले गए। अब मुझे उनका बड़ा लंड मिलम गया था, तो मुझे आगे भी चुदाई करनी पड़ी।

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