Muslim tailors sex मेरा नाम सुश्मित है और मेरी पत्नी का नाम सुदेशना। हम गुजराती हैं। पिछले नवरात्रि के ठीक तीन दिन पहले हम अहमदाबाद अपने माता-पिता से मिलने पहुंचे। सुदेशना को गरबा उत्सव में हिस्सा लेना था, और इसके लिए वह कुछ नए चनिया-चोली सेट्स चाहती थी। मैंने उसे सुझाव दिया कि रेडीमेड कपड़े खरीदने की बजाय, क्यों न कुछ सिलवा लिया जाए। वह मान गई। अगले दिन दोपहर हम एक ऐसे लेडीज़ टेलर की तलाश में निकले, जो दो दिनों में ड्रेस तैयार कर सके। हमारा घर स्टेडियम रोड पर है, लेकिन आसपास कोई ऐसा दर्जी नहीं मिला जो इतनी जल्दी कपड़े सिल दे। Garba festival sex
काफी खोजबीन के बाद, हमें एक छोटा-सा टेलरिंग शॉप मिला, जिसे एक बुजुर्ग, लगभग सत्तर साल का मुस्लिम दर्जी चला रहा था। उसका नाम था काशिम मुहम्मद। वह मध्यम कद का, सांवला, और थोड़ा कमजोर-सा दिखता था। उसका एक जवान सहायक था, सुल्तान, जो मुश्किल से 18-19 साल का होगा। उसने कहा कि वह दो दिनों में चोली सिल देगा। उस समय दोपहर के करीब चार बज रहे थे, और दुकान में हम दोनों के अलावा कोई और ग्राहक नहीं था।
काशिम ने सुदेशना को दुकान के अंदर बने छोटे-से ट्रायल रूम में जाने को कहा। सुदेशना साड़ी और ब्लाउज़ में थी, और उसकी खूबसूरती उस पारंपरिक परिधान में और निखर रही थी। वह ट्रायल रूम में चली गई, और मैं उनके पीछे-पीछे गया। काशिम और सुल्तान भी अंदर आए, लेकिन काशिम ने मुझे बाहर इंतज़ार करने को कहा, क्योंकि उसे सुदेशना के नाप लेने थे। मैंने उसकी बात मान ली। उसने दरवाजा बंद किया, लेकिन पूरी तरह नहीं; एक छोटी-सी झिरी खुली रह गई, जिससे मैं अंदर का सब कुछ देख सकता था।
सुदेशना खड़ी थी, और काशिम ने उसकी ओर देखा। उसकी नजरें सुदेशना के ब्लाउज़ से ढके स्तनों पर टिक गईं। वह थोड़ा रुका, फिर बोला, “मैडम, अगर आपको चोली में परफेक्ट फिटिंग चाहिए, तो मुझे नाप बहुत ध्यान से लेना होगा।” सुदेशना को उसका सवाल थोड़ा अटपटा लगा। उसने हल्के हैरानी भरे स्वर में कहा, “हां, बिल्कुल परफेक्ट फिटिंग चाहिए। लेकिन क्या बात है?”
काशिम ने मुस्कुराते हुए उसका पल्लू एक तरफ खींच दिया, जिससे सुदेशना का ब्लाउज़ साफ दिखने लगा। उसका चेहरा शर्म से लाल हो गया, लेकिन उसने कोई विरोध नहीं किया। काशिम ने फिर नाप लेना शुरू किया। उसने सुदेशना के कंधे, बाजू, और पीठ का नाप लिया, और सुल्तान को नाप की संख्या नोट करने को कहा। लेकिन जब वह सुदेशना के सीने का नाप लेने लगा, तो उसने फिर पूछा, “मैडम, आपके ब्रेस्ट-कप्स का सही नाप लेने के लिए मुझे थोड़ा अलग तरीके से नापना होगा। ठीक है ना?” सुदेशना थोड़ा हिचकिचाई, लेकिन कुछ बोली नहीं।
मैं बाहर खड़ा सब देख रहा था। मुझे अंदाज़ा हो गया था कि बात अब नाप से आगे बढ़ने वाली है। मेरे मन में एक अजीब-सी उत्तेजना जाग रही थी। मैंने मौके का फायदा उठाने का सोचा और चुपके से ट्रायल रूम में घुस गया। काशिम और सुल्तान मेरे अचानक आने से थोड़ा घबरा गए, लेकिन मैंने उन्हें शांत रहने को कहा। सुदेशना ने मेरी आँखों में देखा, और उसे मेरी मंजूरी का इशारा मिल गया। उसने मुस्कुराते हुए काशिम को आगे बढ़ने को कहा। Cuckold Husband ke samne biwi ki chudai
काशिम अब पूरी तरह आत्मविश्वास में था। उसने सुदेशना के ब्लाउज़ के हुक खोलने शुरू किए। एक-एक करके हुक खुलते गए, और फिर उसने ब्लाउज़ को पूरी तरह उतार दिया। सुदेशना की ब्रा में छिपे उसके भरे हुए स्तन अब सामने थे। काशिम की आँखों में चमक थी, और सुल्तान भी लालच भरी नजरों से देख रहा था। काशिम ने धीरे-से सुदेशना की ब्रा के ऊपर अपने हाथ रखे और उसके स्तनों को सहलाने लगा। सुदेशना ने आँखें बंद कर लीं, और उसके होंठों को दांतों से काट लिया। उसकी सांसें तेज़ हो रही थीं।
अचानक काशिम ने सुदेशना की ब्रा के अंदर अपना हाथ डाला। जैसे ही उसकी उंगलियों ने सुदेशना की नंगी त्वचा को छुआ, सुदेशना के मुंह से एक हल्की-सी सिसकारी निकली। काशिम ने उसके स्तनों को और जोर से दबाया, और फिर उसने अपना हाथ बाहर निकाला। उसका चेहरा आश्चर्य से भरा था। उसका हाथ दूध से भीगा हुआ था। उसने कहा, “अरे, ये तो लैक्टेटिंग है!” मैंने हंसते हुए कहा, “हां, चाचा, उसने कुछ हफ्ते पहले ही बच्चे को जन्म दिया है। उसके स्तन दूध से भरे हैं, और कभी-कभी उसे दर्द भी होता है।”
काशिम ने मुस्कुराते हुए कहा, “कोई बात नहीं, बेटा। इसका इलाज मेरे पास है।” यह कहते हुए उसने सुदेशना की ब्रा के हुक खोल दिए। अब सुदेशना टॉपलेस थी। उसके भरे हुए, दूध से लबालब स्तन, जिनके निपल्स गहरे भूरे रंग के थे, गर्व से तने हुए थे। काशिम ने सुल्तान को इशारा किया और कहा, “जा, दुकान का दरवाजा बंद कर और कुंडी लगा दे।” सुल्तान बाहर गया, और काशिम ने सुदेशना के पीछे खड़े होकर उसे अपनी बांहों में ले लिया। उसने दोनों हाथों से सुदेशना के एक स्तन को पकड़ा और धीरे-धीरे दबाने लगा।
सुल्तान वापस आ गया और पास खड़ा होकर यह सब देखने लगा। जैसे ही काशिम ने सुदेशना के स्तन को दबाया, निपल से दूध की बूंदें टपकने लगीं। अचानक एक तेज़ धार निकली और सुल्तान के चेहरे पर जा गिरी। सुल्तान ने अपनी जीभ बाहर निकाली और उस दूध को चाटने लगा। सुदेशना सिसकार रही थी, उसे मज़ा भी आ रहा था और दर्द से राहत भी मिल रही थी। मैंने काशिम से कहा, “चाचा, उसका दूध बर्बाद मत करो। सुल्तान को सीधे उसके स्तनों से दूध पीने दो।”
मेरे कहने पर काशिम ने सुदेशना को फर्श पर लिटा दिया। वह और सुल्तान सुदेशना के दोनों तरफ बैठ गए। दोनों ने सुदेशना के एक-एक स्तन को अपने मुंह में लिया और चूसने लगे। सुदेशना की सांसें और तेज़ हो गईं। वह “आह्ह… ओह्ह…” की आवाज़ें निकाल रही थी। उसे दो अनजान मर्दों द्वारा अपने दूध भरे स्तनों को चूसे जाने का अनुभव पहली बार मिल रहा था। एक उससे दोगुनी उम्र का था, दूसरा उससे दस साल छोटा। वह इस अनुभव में पूरी तरह डूब चुकी थी। उसका चेहरा पसीने से तर था, और मैं जानता था कि वह नीचे से भी पूरी तरह गीली हो चुकी थी। मेरा लंड मेरी पैंट में तनकर बेकाबू हो रहा था।
दोनों दर्जी सुदेशना के स्तनों को बारी-बारी से चूस रहे थे। उनके मुंह से चूसने की “चप-चप” और “स्लर्प-स्लर्प” की आवाज़ें आ रही थीं। सुदेशना की सिसकारियां और तेज़ हो गई थीं। वह बार-बार “आह्ह… हां… और चूसो…” कह रही थी। उसकी आवाज़ से साफ था कि वह अब ऑर्गेज्म के करीब थी। अचानक उसने चिल्लाकर कहा, “ओह्ह… ये जन्नत है… मेरी चूत भर दो… मुझे पूरा खा लो!”
यह सुनते ही मैंने अपनी पैंट उतार दी। मेरे तने हुए लंड को देखकर काशिम और सुल्तान भी अपने कपड़े उतारने लगे। सुदेशना के स्तन अब लाल हो चुके थे, क्योंकि दोनों ने उन्हें इतना चूसा था कि वे गीले और चमक रहे थे। यह नज़ारा देखकर मेरे शरीर में एक अजीब-सी उत्तेजना की लहर दौड़ गई। सुदेशना की आँखें उन दोनों के तने हुए लंडों को देखकर चमक उठीं। काशिम का लंड मेरे से भी बड़ा था, और सुल्तान का भी कम नहीं था।
काशिम ने मुझसे पूछा, “बेटा, तुम पहले करना चाहोगे?” मैंने मुस्कुराते हुए सुल्तान को पहले जाने का इशारा किया। सुदेशना ने अपनी जांघें फैला दीं, और सुल्तान ने अपना चेहरा उसकी चूत के पास ले गया। उसने सुदेशना की साड़ी और पेटीकोट को ऊपर उठाया, और उसकी पैंटी को नीचे खींच दिया। जैसे ही उसका मुंह सुदेशना की गीली चूत पर लगा, सुदेशना ने एक ज़ोरदार सिसकारी भरी, “आह्ह… हां… चाटो इसे…” सुल्तान ने उसकी चूत को चाटना शुरू किया, उसकी जीभ सुदेशना की चूत की दरारों में घूम रही थी। Threesome hindi story
इधर, काशिम सुदेशना के पास बैठ गया और उसके दोनों स्तनों को अपने हाथों में ले लिया। उसने सुदेशना के होंठों पर अपने होंठ रख दिए और उसे गहराई से चूमने लगा। सुदेशना भी उतनी ही जोश के साथ उसका साथ दे रही थी। उनकी जीभें एक-दूसरे से उलझ रही थीं। काशिम का चुम्बन इतना गहरा था कि सुदेशना पूरी तरह खो चुकी थी। कुछ देर बाद काशिम ने चुम्बन तोड़ा और मुझे थोड़ा हटने का इशारा किया।
सुल्तान अब सुदेशना की चूत को चूसने के बाद तैयार था। उसने अपना तना हुआ लंड सुदेशना की चूत के मुहाने पर रखा और धीरे-धीरे अंदर धकेलना शुरू किया। सुदेशना ने एक ज़ोरदार “आह्ह…” भरी, और उसकी आँखें आनंद से बंद हो गईं। सुल्तान ने धीरे-धीरे अपनी रफ्तार बढ़ाई, और हर धक्के के साथ “फच-फच” की आवाज़ कमरे में गूंजने लगी। सुदेशना की सिसकारियां अब चीखों में बदल रही थीं, “हां… और जोर से… मेरी चूत फाड़ दो…”
सुल्तान ने अपनी पूरी ताकत लगा दी। उसका लंड सुदेशना की चूत में बार-बार अंदर-बाहर हो रहा था, और हर धक्के के साथ सुदेशना का शरीर हिल रहा था। वह बार-बार ऑर्गेज्म के कगार पर पहुंच रही थी। अचानक सुल्तान ने एक ज़ोरदार चीख मारी और सुदेशना की चूत में अपना वीर्य छोड़ दिया। सुदेशना भी उसी वक्त एक तीव्र ऑर्गेज्म में डूब गई। उसने सुल्तान का चेहरा अपने पास खींचा और उसे एक गहरा चुम्बन दिया।
सुल्तान ने फिर से सुदेशना के स्तनों को अपने मुंह में लिया और दूध चूसने लगा। सुदेशना फिर से उत्तेजित हो गई। उसी वक्त काशिम ने सुदेशना की चूत में अपना लंड डाल दिया। उसने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए, और सुदेशना की सिसकारियां फिर से गूंजने लगीं, “आह्ह… चाचा… और गहरा… मेरी चूत को पूरा भर दो…” मैंने अपना लंड सुदेशना के हाथ में दे दिया, और उसने मेरे और सुल्तान के लंड को अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया। वह हमें जोर-जोर से हिलाने लगी।
पांच मिनट के अंदर ही मैं और सुल्तान दोनों ने सुदेशना के स्तनों पर अपना वीर्य छोड़ दिया। उसका सीना हमारे वीर्य से भीग गया, और यह देखकर सुदेशना को एक और ऑर्गेज्म मिला। उसी वक्त काशिम ने भी अपनी रफ्तार बढ़ाई और सुदेशना की चूत में अपना वीर्य छोड़ दिया। सुदेशना अब पूरी तरह संतुष्ट थी। उसने सुल्तान के लंड को अपने मुंह में लिया और उसे चूसने लगी। कुछ ही मिनटों में सुल्तान ने फिर से उसके मुंह में अपना वीर्य छोड़ दिया, जिसे सुदेशना ने पूरा निगल लिया।
इस तीव्र चुदाई के बाद हम सब थोड़ा आराम करने लगे। मैंने अपनी घड़ी देखी, रात के नौ बज चुके थे। यानी हमने वहां पूरे पांच घंटे बिताए थे। हमने काशिम और सुल्तान को धन्यवाद दिया। काशिम ने वादा किया कि अगली दोपहर तक चोली तैयार हो जाएगी। हम दोनों, एक संतुष्ट जोड़े की तरह, उस रात दुकान से बाहर निकले।
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