वासना के समुन्द्र में डूबी प्यासी औरत

यह कहानी दो साल पहले की है, जब मैं काम के सिलसिले में औरंगाबाद गया था। वहाँ एक रात अचानक मेरी तबीयत खराब हो गई। बुखार चढ़ गया और बदन टूट रहा था। मैंने होटल के रिसेप्शन पर फोन किया और पूछा कि आसपास कोई क्लिनिक है तो बताइए।

उन्होंने कहा कि पास में तो कोई क्लिनिक नहीं है, 4-5 किलोमीटर दूर एक है, लेकिन इतनी रात को वहाँ जाने का कोई साधन नहीं मिलेगा। यह सुनकर मैं मजबूर हो गया। नींद की कोशिश की, लेकिन बुखार की वजह से आँखें बंद ही नहीं हो रही थीं। आखिरकार मैंने सोचा कि चलो, बाहर निकलकर देखता हूँ, शायद कोई मेडिकल स्टोर खुला मिल जाए, वहाँ से दवा ले लूँगा।

मैं होटल से बाहर निकला, लेकिन देर रात होने की वजह से कोई दुकान खुली नहीं मिली। काफी भटकने के बाद थकान से चूर होकर मैं सड़क किनारे एक जगह बैठ गया। अभी दो मिनट भी नहीं हुए थे कि एक स्कूटर मेरे पास आकर रुका। मैंने देखा कि स्कूटर पर एक औरत थी। उसने मुझसे पूछा, “इतनी रात को यहाँ क्या कर रहे हो?”

मैंने बताया, “मुझे दवा चाहिए, लेकिन कोई दुकान खुली नहीं मिल रही।”

उसने मुझे घूरते हुए पूछा, “क्या हुआ है?”

मैंने कहा, “बुखार है।”

वो बोली, “तुम कहाँ रहते हो?”

मैंने बताया कि पास के एक होटल में ठहरा हूँ।

उसने कहा, “मेरा घर यहीं पास में है। तुम होटल जाओ, मैं दवा लेकर आती हूँ।”

मैं होटल लौट आया और रिसेप्शन पर उसका इंतज़ार करने लगा। दस-बारह मिनट बाद वो आ गई। उसने मुझे दवा दी, मैंने तुरंत खा ली। उसने एक और गोली दी और बोली, “सुबह नाश्ते के बाद ये खा लेना।” मैंने उसे धन्यवाद कहा और अपने कमरे में सोने चला गया।

आप यह Antarvasna Sex Stories हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।

सुबह जब उठा तो काफी ठीक महसूस हो रहा था। मैं नाश्ते के लिए नीचे गया। वहाँ रिसेप्शन पर एक लड़की खड़ी थी। मैंने उससे पूछा, “रात को एक औरत मुझे दवा देकर गई थी, क्या आपको पता है वो कौन थी और कहाँ रहती है?”

उसने बताया कि उस औरत की दूर एक मेडिकल दुकान है। मैंने कहा, “मैंने तो उसे ठीक से धन्यवाद भी नहीं किया। क्या आप उसका फोन नंबर दे सकती हैं?”

तभी पीछे से एक आवाज़ आई, “फोन नंबर का क्या करोगे?”

मैंने पलटकर देखा तो वही औरत मेरे पीछे खड़ी थी। मैंने माफी माँगी और रात की दवा के लिए धन्यवाद कहा। मैंने पूछा, “दवा के कितने पैसे हुए?”

वो बोली, “अब तबीयत कैसी है?”

मैंने कहा, “बहुत अच्छी।”

वो मुस्कुराई और बोली, “तो ठीक है, आज रात मुझे डिनर करवा देना।”

मैंने कहा, “जरूर, आप जहाँ बोलें।”

वो हँसकर चली गई, ना समय बताया, ना जगह। मैं अपने काम पर निकल गया। दोपहर में एक अनजान नंबर से फोन आया। एक औरत थी। उसने मेरा हाल पूछा और बोली, “कभी मिलो।”

मैं चौंक गया, “कौन?”

आप यह Antarvasna Sex Stories हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।

वो हँसने लगी, “अरे, डर गए? मैं वही दवा वाली हूँ।”

मैंने पूछा, “आपको मेरा नंबर कहाँ से मिला?”

वो बोली, “चाहो तो सब मिल जाता है।”

मैंने कहा, “बढ़िया, तो बताओ कब और कहाँ मिल रही हो?”

वो बोली, “वाह, सीधे मिलने की बात?”

मैंने भी मज़ाक में कहा, “तुमने ही तो बोला कि चाहो तो सब मिल जाता है। मैंने बस शब्द थोड़े इधर-उधर किए।”

वो हँसी और बोली, “तुम तो दिलचस्प आदमी हो। चलो, शाम 6 बजे, जहाँ कल रात मिले थे, वहीं मिलते हैं।”

हमने फोन काटा। शाम 6 बजे मैं उस जगह पहुँचा। वो पहले से वहाँ खड़ी थी। मुझे देखते ही मुस्कुराई और बोली, “चलें?”

मैंने कहा, “बिल्कुल, बन्दा हाज़िर है।”

उसने स्कूटर की चाबी दिखाते हुए पूछा, “तुम चलाओगे, या मैं?”

आप यह Antarvasna Sex Stories हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।

मैंने चाबी ली और स्कूटर स्टार्ट कर दिया। वो मेरे पीछे बैठी और मेरी कमर को कसकर पकड़ लिया। मैंने कहा, “रास्ता बताओ।”

वो रास्ता बताती गई, और मैं चलाता गया। पाँच मिनट बाद उसने एक बड़े से घर के सामने रुकने को कहा। घर एक मंज़िला था, चारों तरफ ऊँची दीवारें थीं। उसने गेट खोला, मैं स्कूटर अंदर ले गया। उसने गेट बंद किया और मेरे पीछे आई।

मैंने स्कूटर खड़ा किया, और उसने घर का दरवाज़ा खोला। मैं उसके पीछे अंदर गया। घर बहुत सजा हुआ था। उसने मुझे सोफे पर बैठने को कहा और अंदर चली गई। मैं घर देख रहा था कि वो पानी लेकर आई। पानी लेते हुए मैंने पूछा, “घर के बाकी लोग कहाँ हैं?”

वो बोली, “मैं अकेली रहती हूँ। मेरे पति दवा का बिज़नेस करते हैं। अलग-अलग शहरों में माल सप्लाई करने जाते हैं। 15 दिन में 2-3 दिन ही घर आते हैं। दो दिन पहले वो चेन्नई गए हैं।”

कुछ देर बातें हुईं, फिर वो बोली, “क्या खिलाओगे?”

मैंने हँसकर कहा, “जो तुम बोलो।”

वो बोली, “मुझे कुछ अलग खाना है।”

मैंने कहा, “चलो, मैं बनाकर खिलाता हूँ।”

वो चौंकी, “तुम्हें खाना बनाना आता है?”

मैंने कहा, “खाकर बताना।”

आप यह Antarvasna Sex Stories हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।

हमने मिलकर खाना बनाया। मैंने सब्ज़ी और दाल बनाई, उसने चावल। रोटी का मूड नहीं था। उसने पूछा, “क्या पियोगे?”

इसे भी पढ़ें   बॉय फ्रेंड के साथ सुहागदिन

मैंने कहा, “दूध।”

वो बोली, “उससे पहले?”

मैंने कहा, “व्हिस्की।”

वो खुश होकर मुझसे लिपट गई, “वाह, आज तो मज़ा आ जाएगा। मैं भी व्हिस्की ही पसंद करती हूँ।”

मैंने कहा, “चलो, लेकर आते हैं।”

वो मेरा हाथ पकड़कर दूसरे कमरे में ले गई। वहाँ एक अलमारी खोली, जिसमें कई तरह की शराब की बोतलें थीं। मैंने कहा, “लगता है तुम्हारे पति को बड़ा शौक है।”

वो बोली, “नहीं, वो सिर्फ़ बियर पीते हैं। ये सब मेरे लिए है। जब मैं उन्हें दूध नहीं पिलाती, तभी वो मेरे साथ पीते हैं। अगर तुम बियर बोलते, तो तुम्हें दूध नहीं मिलता।”

वो हँसने लगी। हमने एक बोतल निकाली, सोडा और पानी लिया, और हॉल में बैठ गए। उसने कहा, “पहली बार तुम बनाओ, ताकि मुझे पता चले तुम्हें कैसे पसंद है।”

मैंने अपने गिलास में थोड़ा सोडा और पानी डाला। उससे पूछा, “तुम्हें कैसे चाहिए?”

आप यह Antarvasna Sex Stories हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।

वो बोली, “तुमने मेरी पसंद पूछी, ये अच्छा लगा। मेरे पति तो अपने हिसाब से ज्यादा पानी मिलाकर दे देते हैं। मुझे पहला पैग नीट चाहिए।”

मैंने उसका गिलास आधा नीट व्हिस्की से भर दिया। हमने गिलास टकराए और पीने लगे। मैंने एक घूँट लिया, लेकिन उसने पूरा गिलास खाली कर दिया और “आह” करके आँखें बंद कर लीं। फिर उसने गिलास दोबारा नीट व्हिस्की से भर लिया। वो मेरे पास आकर बैठ गई और बोली, “चिंता मत करो, मैं तुम्हें ज़ोर नहीं दूँगी। अपने हिसाब से पी।”

मुझे अच्छा लगा। मैंने उसे बाँहों में लिया और गाल पर चूम लिया। वो जैसे इसी का इंतज़ार कर रही थी। उसने मुझे कसकर पकड़ा और मेरे होंठ चूसने लगी। बोली, “पिछले तीन घंटे से इसका इंतज़ार था, लेकिन तुम पास ही नहीं आए।”

मैंने कहा, “पहली मुलाकात है, तुम जैसी दोस्त को खोना नहीं चाहता।”

वो बोली, “तुम बहुत अच्छे इन्सान हो। वरना कोई और होता तो औरत को घर लाकर तुरंत नोचने लगता।”

कुछ देर हम एक-दूसरे की बाँहों में बैठे, धीरे-धीरे चूमते रहे। फिर वो बोली, “भूख लगी होगी। गिलास खाली करो, खाना खा लें। फिर महफ़िल जमाएँगे।”

मैं भी जोश में था। मैंने एक झटके में गिलास खाली किया। उसने भी पूरा गिलास खत्म किया। लेकिन जब उठने लगी तो लहरा गई। मैंने उसे संभाला और बोला, “तुम बैठो, मैं खाना यहीं लाता हूँ।”

वो सोफे पर बैठ गई। हमने खाना खाया। खाने के बाद वो थोड़ी ठीक हुई। उसने माफी माँगी, “इतनी जल्दी नहीं पीनी चाहिए थी।”

मैंने कहा, “ये तो मेरी किस्मत है कि तुम्हारी सेवा का मौका मिला। अब बताओ, ये सेवक तुम्हारी कैसे सेवा करे?”

वो बोली, “सेवक, हमें कमरे में ले चलो। कपड़े बदलने हैं।”

आप यह Antarvasna Sex Stories हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।

मैंने मज़ाक में कहा, “जो हुकुम, मेरे आका।”

वो हँस पड़ी, “दिन में ही बोला था, तुम दिलचस्प आदमी हो।”

वो बाँहें फैलाकर खड़ी हो गई। मैंने उसे गले लगाया, कमर पकड़कर उठाया। उसने अपने पैर मेरी कमर पर लपेट लिए और गाल पर चूम लिया। फिर मुझे अपने कमरे में ले गई और बोली, “सेवक, अब हमारे कपड़े बदलो।”

मैंने उसकी कमीज़ के बटन खोलने शुरू किए। वो मेरे बालों में उंगलियाँ फेरने लगी। मैंने पीछे हाथ ले जाकर उसकी ब्रा का हुक खोला। फिर कमर से कमीज़ और ब्रा एक साथ ऊपर करके निकाल दी। लेकिन वो तेज़ थी। उसने मेरी टी-शर्ट पकड़ ली और उसी वक्त मुझे भी ऊपर से नंगा कर दिया।

हमने हाथ नीचे किए तो वो मेरे गले में बाँहें डालकर चिपक गई। फिर एक लंबा चुम्बन शुरू हुआ। मैंने उसे नीचे से पकड़कर उछाला। वो मेरे गले में लटक गई और और ज़ोर से चूमने लगी। फिर मेरे कान चूसते हुए उसने गर्दन हिलाकर हाँ कहा। मैंने उसके होंठों पर चूम लिया।

वो बोली, “पार्टी के लिए मुझे उतारो।”

मैंने उसे धीरे से नीचे उतारा और गले लगाया। वो बोली, “फिर चढ़ जाऊँगी।”

हम हँस पड़े। मैंने उसे घुमाया और उसके 36 इंच के चूचों को धीरे से दबाया। उसने मेरे हाथों पर अपने हाथ रखे और चूचों को ज़ोर से दबवाया। मैंने उसकी आँखें चूमीं और उसकी पैंट का बटन खोलकर जींस नीचे कर दी, लेकिन पैंटी नहीं उतारी। उसने जींस पूरा निकाल दिया।

वो घूमकर बोली, “कपड़े उतार दिए, अब कुछ पहनाओगे?”

मैंने कहा, “नहीं।”

आप यह Antarvasna Sex Stories हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।

वो बच्चों सी सूरत बनाकर खड़ी हो गई। मैंने कहा, “मुझे क्या पता बच्ची को क्या पहनना है।”

वो इठलाते हुए बोली, “मुझे नहीं पता, तुम अपनी मर्ज़ी से पहनाओ।”

मैंने उसकी अलमारी से एक मुलायम गाउन निकाला और उसे पहना दिया। उसने पूछा, “तुम लुंगी पहनते हो?”

मैंने हाँ कहा। उसने उसी कपड़े की लुंगी दी। जब मैं निक्कर उतारने लगा, वो बोली, “सेवक, ये हमारा काम है।”

वो मेरे सामने घुटनों पर बैठी और मेरा निक्कर उतारने लगी। साथ में चड्डी भी निकाल दी। जैसे ही चड्डी नीचे हुई, उसने मेरे लंड को मुँह में ले लिया और चूसने लगी। दो मिनट बाद बोली, “वाह, मज़ा आ गया! मस्त लंड है।”

फिर मुझे लुंगी दी और बोली, “पहन लो, वरना अभी चोदन कर दूँगी।”

मैंने लुंगी पहनी और हम हॉल में आए। एक-एक पैग और लगाया। वो बोली, “चलो, छत पर चलते हैं।” रात के 10 बज चुके थे, आसपास कोई घर पास नहीं था, तो मैंने हाँ कर दी।

इसे भी पढ़ें   अस्पताल में मिली भाभी की होटल में चुदाई

हम बोतल और गिलास लेकर छत पर गए। वहाँ पत्थर की मेज़ और दो बेंच थीं। हम बैठे और एक-एक पैग बनाया। तभी मैंने देखा कि उसका गाउन फूल रहा था। मैंने पूछा तो बोली, “जब तुम्हारा निक्कर उतारा, तो उसमें सिगरेट दिखी। दारू के बाद ये तो चाहिए ही।”

मैंने कहा, “वाह, क्या सोचा है। चलो, एक-एक सिगरेट हो जाए।”

उसने दो सिगरेट जलाईं, एक मुझे दी। हम कश लगाकर दारू पीने लगे। पैग खत्म होने तक उसे नशा चढ़ गया, मुझे भी हल्का सुरूर था। मैंने इशारा किया, उसे मेज़ पर बैठाया और गाउन के ऊपर से उसकी जाँघें सहलाने लगा। धीरे-धीरे गाउन ऊपर किया और उसकी नंगी टाँगों को चाटने लगा। ऊपर पहुँचा तो उसकी पैंटी गीली थी।

आप यह Antarvasna Sex Stories हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।

मैंने पूछा तो बोली, “ये तो तब से गीली है, जब तुमने पहली पप्पी ली थी। मेरे पीरियड दो दिन पहले खत्म हुए, और पीरियड के बाद मैं बहुत चुदासी हो जाती हूँ। कल रात तुम्हें देखा तो रुक गई, सोचा शायद काम बन जाए। लेकिन तुम्हारी तबीयत देखकर कुछ नहीं बोली। आज सुबह होटल गई तो तुम्हें मेरे बारे में पूछते देखा, तब समझ गई कि तुम अच्छे आदमी हो। इसलिए बुलाया।”

मैंने कहा, “तो पहले बोलती क्यों नहीं? पहले तुम्हारी प्यास बुझाता, फिर खाना-पीना करते।”

वो बोली, “नहीं, मुझे जल्दबाज़ी पसंद नहीं। पूरे प्यार और टाइम के साथ करना अच्छा लगता है। तुम पिछले चार घंटे से इतने प्यार से पेश आए कि लगा ही नहीं मैं तुम्हें सिर्फ़ सेक्स के लिए लाई हूँ।”

बात करते-करते मैंने उसकी पैंटी उतार दी और उसे मेज़ पर लिटाकर उसकी चूत चाटने लगा। वो “उम्म्ह… अहह… हाय… याह…” करने लगी। कुछ देर बाद मैंने उसे उठाया और गाउन निकाल दिया। छत पर अँधेरा था, कोई देखने का डर नहीं था।

मैंने उसे फिर लिटाया और उसके बदन को नीचे से ऊपर तक चाटने लगा। वो वासना से तड़प रही थी। मेरे हाथ मेज़ पर थे, मैं उसे बिना छुए चाट रहा था। फिर उसकी आँखों में देखते हुए उसके निप्पल चूसने लगा। उसकी 36 इंच की चूचियाँ टाइट हो गई थीं, निप्पल खड़े थे।

उसने भी हाथ मेज़ पर रखे थे। जैसे ही मैंने एक निप्पल के साथ चूची को ज़ोर से चूसा, वो मेरे मुँह में 3-4 इंच तक समा गई। दो मिनट में वो चिल्लाई, “ये क्या किया यार, मैं तो बिना छुए झड़ गई!”

मैंने कुछ नहीं कहा, बस उसे प्यार करता रहा। अब मैं उसके होंठ चूस रहा था और एक हाथ से चूची सहला रहा था। जब वो नॉर्मल हुई, मैंने पूछा, “सब यहीं करना है, या बिस्तर पर चलें?”

वो मुस्कुराई, “अब क्या करना? मेरा तो हो गया।”

मैंने कहा, “तो ठीक, मैं जाता हूँ।”

वो बोली, “आज जाने की सोची तो कच्चा चबा जाऊँगी। इतना मज़ा तो मैं पूरे सेक्स में नहीं लेती, जितना तुमने बिना हाथ लगाए दिया। चलो, एक-एक पैग और सिगरेट हो जाए।”

आप यह Antarvasna Sex Stories हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।

हमने पैग और सिगरेट पी। फिर उसने मुझे मेज़ पर लिटाया और बोली, “आज पूरा बदला लूँगी।”

मैं सीधा लेट गया। वो मेरे ऊपर झुकी और मेरे होंठ चूसने लगी। मैंने कुछ नहीं किया तो बोली, “बहुत अच्छे, ऐसे ही शांत रहना, कोई गड़बड़ मत करना। अब मेरी बारी।”

मैंने सिर्फ़ हाँ में सिर हिलाया। वो अपनी 36 इंच की चूचियाँ मेरे मुँह पर रगड़ने लगी। मेरा लंड तनकर खड़ा हो गया। फिर वो नीचे गई, अपनी चूचियाँ मेरे बदन पर रगड़ने लगी। एक निप्पल मेरी नाभि में डालकर हिलाने लगी। ये नया एहसास था। साथ में वो मेरे निप्पल चूसने लगी।

मुझे समझ नहीं आ रहा था कि नाभि का मज़ा लूँ या निप्पल का। तभी उसने लुंगी खोल दी और मुझे पूरा नंगा कर दिया। मुझे लगा वो मेज़ पर चोदेगी, लेकिन नहीं। उसने मेरी टाँगों पर हाथ फेरना शुरू किया, निप्पल चाटते हुए मेरे बदन को चाटने लगी। बस मेरे लंड को छोड़कर हर जगह हाथ फेर रही थी।

फिर वो मेरे पेट से नीचे आई, उसका गाल मेरे लंड को छूने लगा। वो सिर्फ़ गाल छुआती रही। फिर जीभ से लंड के आसपास चाटने लगी, लेकिन लंड को नहीं छुआ। उसने मेरे आंड मसलने शुरू किए, लंड के पास चाटती रही, और दूसरे हाथ से मेरे निप्पल मसलने लगी।

दस मिनट तक मुझे तड़पाने के बाद वो मेरी तरफ़ गांड करके झुक गई। मेरे हाथ अपने पैरों के नीचे दबाए और अपनी चूचियों को मेरे लंड पर रगड़ने लगी। लंड को चूचियों के बीच लेकर ऊपर-नीचे होने लगी। लेकिन हाथ से लंड नहीं पकड़ा, जिससे लंड ठीक से दब नहीं रहा था। मेरी हालत खराब थी।

मैंने गांड उठाकर लंड को चूचियों में दबाने की कोशिश की, लेकिन उसने चूचियाँ ऊपर कर लीं और मेरी जाँघें दबाकर बोली, “बदमाशी नहीं, चीटिंग भी नहीं।”

मैंने कहा, “यार, मेरे लंड में दर्द हो रहा है, कुछ करो।”

वो हँसते हुए मेरे मुँह पर अपनी चूत रखकर दबाने लगी, “चुपचाप लेटे रहो।”

मैंने उसकी चूत को मुँह में लेकर ज़ोर से चूसना शुरू किया। अब वो तड़पने लगी। वो चूत को मेरे मुँह पर रगड़ने लगी। मेरा ध्यान उसकी चूत पर था, तो लंड की तड़प कम हुई। एक मिनट में वो गर्म हो गई और मेरे लंड को ज़ोर से पकड़कर चूसने लगी।

इसे भी पढ़ें   बहन के मुँह में अपना लंड डाला- Hot Sister Xxx Desi Kahani

आप यह Antarvasna Sex Stories हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।

दो मिनट बाद वो होश में आई, उठी और बोली, “बदमाशी कर दी ना? अब बताती हूँ।”

वो मेरे लंड के ऊपर बैठ गई और ज़ोर-ज़ोर से ऊपर-नीचे होने लगी। “पट-पट” की आवाज़ गूँज रही थी। लेकिन दो मिनट में वो फिर झड़ गई और मेरे ऊपर लेटकर हाँफने लगी।

वो बोली, “सारा पानी यहीं निकल जाएगा, तो नीचे क्या करोगे? मुठ मारोगे?”

मैंने कहा, “चलो, नीचे चलकर दिखाता हूँ।”

वो बोली, “जल्दी चलो, दारू के बाद मैं बहुत गर्म हो जाती हूँ। मुझे ज़ोर की चुदाई चाहिए।”

मैंने उसे बाँहों में उठाया और चूमने लगा। मेरा लंड उसकी चूत में था, मैं हिलकर अंदर-बाहर करने लगा। वो बोली, “प्लीज़, नीचे चलो, मुझे ज़ोर से चोदो।”

मैंने उसकी चूची दबाते हुए मेज़ से नीचे उतारा। वो मेरी कमर पर पैर लपेटकर लिपट गई। मैंने कहा, “ऐसे गए तो सीढ़ियों में ही चुदाई हो जाएगी।”

वो बोली, “मज़ा आ रहा है, छोड़ने का मन नहीं।”

मैंने उसकी गांड में उंगली डाली। वो उछलकर उतर गई और बच्चों सी सूरत बनाकर बोली, “हूँह, गंदे। चलो, जहाँ ले जाना है।”

मैंने उसे फिर बाँहों में लिया। वो बोली, “चलो, सेवक!”

आप यह Antarvasna Sex Stories हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।

हम हँसते हुए दारू का सामान लेकर नीचे आए। भूख लग रही थी, तो पहले खाना खाया। दारू उतर गई थी, तो फिर एक-एक पैग बनाकर कमरे में पलंग पर बैठ गए।

पैग पीने के बाद हमने एक-दूसरे को देखकर मुस्कुराया। दोनों ने गिलास नीचे रखा और एक-दूसरे पर कूद पड़े। अब होड़ थी कि कौन ज़ोर से चूमता है। हम एक-दूसरे के बदन से खेलने लगे।

मैंने उसे लिटाया और ऊपर चढ़ गया। उसकी चूचियों को ज़ोर से दबाने लगा। हमारे होंठ अलग ही नहीं हो रहे थे। मैंने नीचे से हिलकर लंड उसकी चूत में डाल दिया। “आआह…” के साथ उसकी पकड़ ढीली हुई। मैंने उसकी चूची मुँह में ली और ज़ोर से चूसने लगा, दूसरी को मसलने लगा।

वो बोली, “काटकर चूसो ना!”

मैंने कहा, “दर्द होगा।”

वो बोली, “जो़र से काटो।”

मैंने ज़ोर से काटकर चूची चूसी। उसने “आआआह…” भरा और चूत इतनी टाइट की कि मेरा लंड नपट गया। वो मेरे सिर को चूची पर दबाने लगी, “हाँ, ऐसे ही, और ज़ोर से!”

मैंने ज़ोर से चूचियाना शुरू कर दिया। वो मेरे हाथ ढीले पड़ते ही ज़ोर से दबवाती।। मुझे समझ आ गया कि उसे रफ़ सेक्स पसंद है। मैंने पूरे ज़ो से उसे चोदना शुरू किया। “पट्ट-पट्ट” की आवाज़ कमरे में गूँज रही थी। वो हर धक्के पर गांड उठाकर मेल खाती थी।

मैंने कहा, “पूरा मज़ा लेना है तो मुझे थोड़ा ऊपर उठने दे।”

वो बोली, “नहीं, अभी मेरी चूचियों का हलवा बनाओ। जब ये दुखने लगेंगी, तब मैं धक्के मारूँगी। अभी रगड़ो, मसिलो!”

आप यह Antarvasna Sex Stories हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।

मुझे चूचियों से खेलना पसंद था। मैं एक चूची चूसता, दूसरी मस Gता। दो मिनट में वो फिर झड़ गई।, “आआह… हाय…!” लेकिन इस बार और गर्म हो गई, नीचे से चूतड़ उड़ाने लगी।

अचानक उसने मेरी कमर से टाँगें निकालीं और मेरे पैरों में फंसा ली।। मुझे कसकर पकड़ा और पलटकर मेरे ऊपर आ गई।। फिर उसने ऐसे धक्के मारे कि मज़ा बिखर गया। हर सेकंड में तीन धक्के। पाँच मिनट तक वो बिना रुके धड़कती रही। मैं उसकी हिलती चूचियों से खेलता रहा।

वो फिर झड़ गई, “उम्म्ह… हा…!” लेकिन मैंने उसे रुकते ही पलटकर नीचे किया। उसकी टाँगें कंधों पर रखकर धक्के मारे। वो “हाँ, हाँ, यास, यास!” बोलकर गांड उठाती रही। पाँ। पाँच मिनट बाद मैंने झुककर उसके होंठ चूसे।

मेरा होने वाला था। मैंने कहा, “मेरा निकलने वाला है।।”

वो बोली, “टाँगें फैलाकर मेरी चूत का तूफान बनाओ। हर धक्के पर पट्ट-पट्ट की आवाज़ चाहिए।”

मैंने उसे पलंग के किनारे लाकर चूचियाँ पकड़कर धक्के मारे। “पट्टन-पट्टन” की आवाज़ गूँज रही थी। वो चिल्लाई, “जल्दी चोदो, मेरा भी हुआ… अंदर ही छोड़ दे!” हम दोनों एक साथ खाली हो गए।। “आआह… हाय… याह…!” मैं उसकी चूचियों पर मुँह रखकर लेट गया।

पता नहीं कब सो गए, कब लंड बाहर निकला। सुबा 7 बजे आँख खुली। हम नंगे लिपटे थे।। मैंने उसे चूमा, “सुबह हो गई।।” वो “ऊँह…” कर मुझसे चिपक गई।, “इतनी जल्दी सुबा क्यों हो गई?” पाँच मिनट बाद हम उठे, नहाए, और अपने काम पर गए।।

आपको ये कहानी Rough sex, hot wife Hindi sex story कैसी लगी? अपने विचार कमेंट में ज़रूर बताएँ।।।

Related Posts

Report this post

Leave a Comment