Bus me Baap Beti ki chudai: मेरा नाम अनन्या है। मैं दिल्ली की रहने वाली हूँ, 23 साल की, गोरी, लंबे काले बालों वाली, और स्लिम फिगर की लड़की। मेरा फिगर 34-26-36 है, और मेरे टाइट कपड़े मेरे कर्व्स को और उभारते हैं। मैं एक प्राइवेट कंपनी में मार्केटिंग मैनेजर हूँ, और मेरा सपना है कि मैं एक दिन अपनी खुद की स्टार्टअप कंपनी शुरू करूँ। मेरी मम्मी, रेखा, 42 साल की हैं, एक सीनियर सरकारी ऑफिसर, जो अपने काम में इतनी डूबी रहती हैं कि उन्हें घर के लिए वक्त ही नहीं मिलता। मेरे असली पिता का देहांत मेरे 5 साल की उम्र में हो गया था। मम्मी ने 6 साल पहले दूसरी शादी की, और तब से मेरे सौतेले पिता, रवि, जिन्हें मैं पापा बुलाती हूँ, मेरे जीवन का हिस्सा हैं। पापा 45 साल के हैं, 6 फीट लंबे, मज़बूत कद-काठी, चौड़ी छाती, और भूरी आँखों वाले हैंडसम मर्द। वो एक बिजनेसमैन हैं, जो ज्यादातर समय घर पर या अपनी ट्रैवल्स कंपनी के ऑफिस में बिताते हैं। उनकी आवाज़ भारी और गहरी है, और जब वो बात करते हैं, तो लगता है जैसे हर शब्द में वजन है।
मेरा और पापा का रिश्ता हमेशा से खुला और दोस्ताना रहा है। वो मेरे साथ हँसी-मज़ाक करते, मेरे कॉलेज की बातें सुनते, और मेरी हर छोटी-बड़ी बात का ख्याल रखते। लेकिन पिछले कुछ महीनों से मैंने उनकी नज़रों में कुछ अलग देखा। जब मैं घर में टाइट टी-शर्ट और शॉर्ट्स में घूमती, तो उनकी आँखें मेरे शरीर पर रुक जातीं। मेरी जांघों, मेरे उभरे हुए बूब्स, या मेरी गांड पर उनकी नज़रें टिकतीं, और मेरे मन में एक अजीब सी हलचल होने लगती। मैं खुद को समझाती कि ये गलत है, लेकिन उनकी नज़रों की गर्मी मेरे शरीर में एक अनजानी उत्तेजना जगा देती। मैं इस बेचैनी को नजरअंदाज़ करने की कोशिश करती, लेकिन रात को अपने कमरे में लेटे हुए मैं कई बार उनकी उस नज़र को याद करके बेचैन हो उठती।
उस दिन हमें जयपुर में एक फैमिली फंक्शन में जाना था। मम्मी अपने ऑफिस के काम की वजह से पहले ही जयपुर चली गई थीं। मैं और पापा रात की स्लीपर बस से दिल्ली से जयपुर जा रहे थे। हमने एक डबल स्लीपर सीट बुक की थी, क्योंकि सिंगल सीट्स नहीं मिली थीं। मैंने एक टाइट ब्लैक टॉप पहना था, जिसकी नेकलाइन मेरी क्लीवेज को हल्का सा दिखा रही थी, और काली लेगिंग्स, जो मेरी जांघों और गांड को पूरी तरह से चिपककर उभार रही थी। मेरे बाल खुले थे, और मैंने हल्का मेकअप किया था – गुलाबी लिप्स्टिक और काजल। पापा ने एक ग्रे शर्ट और ब्लैक जींस पहनी थी, जो उनके मज़बूत शरीर को और आकर्षक बना रही थी। रात के 9:30 बजे हम बस में चढ़े। हमारी सीट ऊपर की साइड में थी। स्लीपर केबिन इतना छोटा था कि हम दोनों को एक-दूसरे से सटकर लेटना पड़ा। पापा ने मुझे पहले अंदर जाने दिया, और फिर वो मेरे बगल में लेट गए। बस चलने लगी, और खिड़की से ठंडी हवा अंदर आने लगी।
बस की लाइट्स धीमी हो गई थीं, और चारों तरफ सन्नाटा पसर गया था। सिर्फ बस के इंजन की हल्की आवाज़ और बाहर की हवा का सनसनाहट सुनाई दे रही थी। मैं पापा के बगल में लेटी थी, मेरी साँसें तेज थीं, और मेरा टॉप हल्का सा ऊपर खिसक गया था, जिससे मेरी कमर का कुछ हिस्सा दिख रहा था। “अनन्या, ठंड लग रही है?” पापा ने धीरे से पूछा, उनकी आवाज़ में एक गर्माहट थी जो मेरे रोंगटे खड़े कर रही थी। “हाँ, पापा… थोड़ी सी,” मैंने धीरे से जवाब दिया, मेरी आवाज़ में हल्की सी कांप थी। उन्होंने अपनी चादर मेरे ऊपर डाल दी और मेरे कंधे पर हाथ रखकर मुझे अपनी तरफ खींच लिया। उनकी उंगलियाँ मेरे नंगे कंधे पर गर्म थीं, और मेरे दिल की धड़कनें तेज हो गईं। “पापा, आप हमेशा मेरा इतना ख्याल रखते हो,” मैंने धीरे से कहा, उनकी आँखों में देखते हुए। “तू मेरे लिए बहुत कीमती है, अनन्या,” उन्होंने गहरी आवाज़ में कहा, और उनकी नज़रें मेरे चेहरे से मेरे टॉप की नेकलाइन तक खिसक गईं।
उनका हाथ मेरे कंधे से मेरी कमर की तरफ बढ़ा, और मेरे शरीर में एक करंट सा दौड़ गया। “पापा… ये… ठीक है ना?” मैंने हिचकिचाते हुए पूछा, मेरा मन डर और उत्तेजना के बीच झूल रहा था। “अनन्या, तू चिंता मत कर। बस अपने दिल की सुन,” उन्होंने मेरे कान के पास फुसफुसाया, उनकी गर्म साँसें मेरे कानों को छू रही थीं। मैंने कुछ नहीं कहा, बस उनकी बाहों में सट गई। उन्होंने मेरे गाल पर एक नरम, गीला चुम्बन दिया, और मेरा शरीर कांप उठा। “आह…” मेरे मुँह से हल्की सी सिसकारी निकली। फिर उन्होंने मेरे होंठों पर अपने होंठ रखे। उनका चुम्बन गहरा और भूखा था, जैसे वो मुझे पूरा महसूस करना चाहते हों। मैंने भी उनके होंठों का जवाब दिया, मेरी जीभ उनकी जीभ से लिपट गई। “उह… पापा…” मैंने सिसकते हुए कहा, मेरी साँसें तेज थीं। हम एक-दूसरे को बेतहाशा चूम रहे थे, और मेरे शरीर में गर्मी बढ़ रही थी।
पापा ने मेरे टॉप को धीरे से ऊपर सरकाया। मेरी गोरी, चिकनी कमर उनके सामने थी। उनकी उंगलियाँ मेरी त्वचा पर फिसलीं, और मेरे मुँह से सिसकारी निकली, “आह… पापा…” उन्होंने मेरी कमर पर गीले चुम्बन दिए, उनकी जीभ मेरी त्वचा पर हल्के से चाट रही थी। “अनन्या, तेरा शरीर इतना नरम है…” उन्होंने फुसफुसाया। मैंने अपने होंठ काटे, मेरी साँसें तेज हो रही थीं। फिर उन्होंने मेरा टॉप ऊपर खींचा और मेरी काली लेस वाली ब्रा दिखने लगी। मेरे 34C के बूब्स टाइट ब्रा में उभरे हुए थे, और मेरे निपल्स सख्त होकर ब्रा के ऊपर से दिख रहे थे। पापा ने मेरी ब्रा के हुक खोले, और मेरे बूब्स आजाद हो गए। “उफ… अनन्या, ये कितने खूबसूरत हैं…” उन्होंने मेरे निपल्स को अपनी उंगलियों से हल्के से दबाया। “आह… पापा… धीरे…” मैंने सिसकते हुए कहा। उनकी जीभ मेरे एक निपल पर फिसली, और वो उसे चूसने लगे। “उह… आह…” मेरी सिसकारियाँ अब तेज हो गई थीं। मैं उनके बालों में उंगलियाँ फिरा रही थी, और मेरा शरीर आनंद से कांप रहा था।
मैंने हिम्मत करके पापा की शर्ट के बटन खोले। उनकी चौड़ी, मज़बूत छाती पर हल्के काले बाल थे, जो उन्हें और मर्दाना बना रहे थे। मैंने उनके सीने पर चुम्बन दिए, मेरे होंठ उनकी गर्म त्वचा पर फिसल रहे थे। उनकी साँसें तेज हो गई थीं, और मैंने उनकी जींस का बटन खोला। उनकी जींस और अंडरवियर नीचे सरकते ही उनका 7 इंच का सख्त लंड मेरे सामने था। वो मोटा और गर्म था, और उसकी नसें उभरी हुई थीं। “पापा… ये तो… बहुत बड़ा है…” मैंने शर्माते हुए कहा, मेरी आँखें उसकी सख्ती पर टिकी थीं। “अनन्या, ये सिर्फ तुझसे प्यार करने के लिए है,” उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा। मैंने उनके लंड को हल्के से सहलाया, मेरी उंगलियाँ उसकी गर्मी को महसूस कर रही थीं। “आह… अनन्या…” उनकी सिसकारी निकली। मैंने हिम्मत करके उनके लंड के टोपे पर एक गीला चुम्बन दिया, और उनकी साँसें और तेज हो गईं। “उफ… मेरी जान…” उन्होंने मेरे बालों को सहलाते हुए कहा।
पापा ने मुझे स्लीपर सीट पर लिटाया और मेरे ऊपर आ गए। उन्होंने मेरी लेगिंग्स को धीरे-धीरे नीचे खींचा, मेरी काली पैंटी उनके सामने थी। मेरी चूत पहले से गीली थी, और पैंटी पर हल्का सा गीलापन दिख रहा था। “अनन्या, तू इतनी गीली हो चुकी है…” उन्होंने मेरी पैंटी को नीचे सरकाते हुए कहा। मेरी चिकनी, गुलाबी चूत उनके सामने थी। उन्होंने मेरी जांघों पर चुम्बन दिए, और मेरी टांगें कांपने लगीं। “आह… पापा…” मैं सिसक रही थी। उनकी जीभ मेरी चूत के होंठों पर फिसली, और वो मेरे क्लिट को हल्के से चूसने लगे। “उह… पापा… और… आह…” मेरी सिसकारियाँ केबिन में गूँज रही थीं। उनकी उंगलियाँ मेरी चूत के अंदर-बाहर हो रही थीं, और मेरी चूत पूरी तरह से गीली हो चुकी थी। “पापा… मुझे और चाहिए…” मैंने सिसकते हुए कहा।
पापा ने अपने लंड को मेरी चूत पर हल्के से रगड़ा। उसकी गर्मी और सख्ती मेरे शरीर में बिजली दौड़ा रही थी। “पापा… धीरे… मुझे डर लग रहा है…” मैंने हल्की सी हिचकिचाहट के साथ कहा। “अनन्या, मैं तुझे तकलीफ नहीं दूँगा,” उन्होंने मेरे माथे पर चुम्बन देते हुए कहा। उन्होंने अपने लंड को मेरी चूत में धीरे से प्रवेश करवाया। पहली बार में हल्का सा दर्द हुआ, और मैंने अपनी आँखें बंद कर लीं। “आह… पापा…” मैंने सिसकारी भरी। “बस, मेरी जान, थोड़ा सा… अब मज़ा आएगा,” उन्होंने मुझे शांत करते हुए कहा। उन्होंने धीरे-धीरे गति बढ़ाई, और मेरा दर्द आनंद में बदल गया। “फच-फच-फच…” की आवाज़ केबिन में गूँज रही थी। “उह… पापा… और तेज…” मैं चीख रही थी। उनका लंड मेरी चूत के अंदर गहराई तक जा रहा था, और मेरी चूत उसे टाइटली पकड़ रही थी। “अनन्या, तेरी चूत इतनी गर्म और टाइट है…” पापा ने सिसकते हुए कहा।
हमने कई पोजीशन आजमाए। पहले मैं उनके ऊपर चढ़ी। मैं उनके लंड पर ऊपर-नीचे हो रही थी, और मेरे बूब्स उनके सामने उछल रहे थे। “आह… पापा… कितना गहरा जा रहा है…” मैं चीख रही थी। “अनन्या, तू मुझे पागल कर देगी…” पापा ने मेरी गांड को सहलाते हुए कहा। फिर उन्होंने मुझे डॉगी स्टाइल में लिया। मैंने अपनी गांड ऊपर उठाई, और पापा ने पीछे से मेरा कमर पकड़कर अपना लंड मेरी चूत में डाला। “फच-फच-फच…” की आवाज़ तेज हो गई थी। “पापा, मेरी चूत को और जोर से चोदो…” मैं चीख रही थी। पापा ने मेरी गांड पर हल्का सा थप्पड़ मारा, और मेरी सिसकारियाँ और तेज हो गईं, “आह… उह… पापा…” हमारा ये प्रेम खेल घंटों तक चला, और बस की हल्की हलचल इसे और रोमांचक बना रही थी।
आखिरकार, जब हम थक गए, पापा ने मुझे अपनी बाहों में लिया। “अनन्या, तू मेरे लिए सबकुछ है,” उन्होंने मेरे माथे पर चुम्बन देते हुए कहा। मैंने उनकी छाती पर सिर रखा और कहा, “पापा, ये रात मेरे लिए सबसे खास है।” हम एक-दूसरे से लिपटकर सो गए। सुबह जयपुर पहुँचने पर हमने अपने कपड़े ठीक किए और सब सामान्य हो गया। फैमिली फंक्शन के बाद हम दिल्ली लौट आए। लेकिन जब भी हम अकेले होते हैं, पापा की नज़रें मुझे उस रात की याद दिलाती हैं। हमने फिर ऐसा कुछ नहीं किया, लेकिन हमारा रिश्ता अब पहले से कहीं ज्यादा गहरा है।
अब मैं अपनी जॉब में व्यस्त हूँ, लेकिन उस रात की यादें मेरे मन में ताज़ा हैं। पापा का वो गर्म स्पर्श, उनकी साँसें, और मेरी सिसकारियाँ मुझे बार-बार उत्तेजित करती हैं। वो रात मेरे लिए एक खूबसूरत सपना है, जो मेरे दिल में हमेशा रहेगा।
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Very nice, papa-beti ke bich itna pyar, wah kya baat hai , aisi samajhdar beti sabko mile ,