मैं, बलजीत, और मेरा जिगरी दोस्त सुजीत बचपन से एक-दूसरे के साथ हैं। हमारी दोस्ती की मिसाल लोग देते थे। पांचवीं कक्षा से हम साथ पढ़े, किताब-कॉपी शेयर की, और बड़े होने पर कपड़े तक आपस में बांटकर पहने। मैं 28 साल का हूँ, लंबा-चौड़ा, गठीला बदन, और चेहरे पर हल्की दाढ़ी। सुजीत 27 का है, पतला लेकिन चुस्त, और हमेशा मस्ती में रहने वाला। लेकिन दोस्तों, उस दिन हमने सपने में भी नहीं सोचा था कि एक दिन हम एक लड़की को आपस में बांटकर चोदेंगे। हम दोनों एक इंटरनेशनल कॉल सेंटर में काम करते थे, और वहां हमारी मुलाकात तृप्ति से हुई।
तृप्ति, 26 साल की, हमारे बैच की सबसे हॉट और बिंदास लड़की थी। उसका फिगर 34-28-36, गोरी चमड़ी, लंबे काले बाल, और आंखें ऐसी कि किसी को भी दीवाना बना दें। वो हमेशा टाइट टॉप और स्किनी जींस या शॉर्ट्स में रहती थी, जिससे उसकी भरी-भरी छातियां और गोल गांड उभरकर दिखती थीं। सुजीत को वो ट्रेनिंग के पहले दिन से पसंद थी। वो उसके पीछे-पीछे घूमता, और आखिरकार तृप्ति उसकी गर्लफ्रेंड बन गई। सुजीत ने पहले भी कई लड़कियों को पटाने की कोशिश की थी—एक ने सोने की अंगूठी लेकर दगा दिया, दूसरी महंगा फोन लेकर गायब हो गई। इस बार उसने ठान लिया कि कोई गिफ्ट नहीं, बस प्यार से बात बनाएगा। और वही हुआ।
हमारी कॉल सेंटर की जिंदगी बड़ी तेज थी। हफ्ते में पांच दिन काम, दो दिन का ऑफ, जो ज्यादातर सोने में निकल जाता था। सुजीत ने जब पहली बार तृप्ति की चूत मारी, तो उसने मुझे चिकन और बीयर की पार्टी दी। उसने तृप्ति को पिछले एक साल में सैकड़ों बार चोदा, हर बार रंडी की तरह खुलकर। लेकिन मेरी किस्मत खराब थी। मेरी गर्लफ्रेंड भावना, 25 साल की, पतली-दुबली और क्यूट सी लड़की, नौकरी छोड़कर चली गई। उसकी चूत भी गई, और मेरी जिंदगी का मज़ा भी। मैं उदास रहने लगा।
खाने-पीने की कोई कमी नहीं थी, लेकिन दोस्तों, वो चूत का सुख नहीं मिल रहा था। एक दिन मैंने सुजीत से कह ही दिया, “भाई, बड़े दिन हो गए। तू तो जानता है, भावना चली गई। कहीं चूत मिल जाए, तो जिंदगी में मज़ा आ जाए।”
सुजीत ने मुस्कुराते हुए कहा, “ठीक है, बलजीत। मैं तेरे लिए कुछ करता हूँ।”
एक हफ्ते बाद उसका फोन आया। उसने बताया कि तृप्ति मेरे साथ चुदने को तैयार है। मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था। तृप्ति जैसी माल रोज़ नहीं मिलती! मैंने कहा, “भाई, तूने तो मेरी जिंदगी बना दी!”
उस हफ्ते हमने कॉल सेंटर में जी-तोड़ काम किया। अमेरिका में किसी टेक्निकल खराबी की वजह से हर कॉल हमें आ रही थी। हम दिन में 250-300 कॉल्स लेते, उनकी अंग्रेजी एक्सेंट में जवाब देते। तृप्ति को चोदने का प्लान शनिवार की रात का था, लेकिन ज्यादा कॉल्स की वजह से हमें सुबह तक काम करना पड़ा। कैब ने हमें अपने-अपने घर छोड़ दिया, और शनिवार यूं ही निकल गया।
संडे की सुबह मैंने अपनी बुलेट निकाली, सुजीत को पीछे बिठाया, और तृप्ति के गुड़गांव वाले फ्लैट की ओर चल पड़ा। कॉल सेंटर की जिंदगी का प्रेशर इतना था कि हर कोई शराब, सिगरेट, और चुदाई के सहारे जीता था। मैं अपने साथ बीयर का कंटेनर, व्हिस्की, और रम की बोतलें ले गया। गुड़गांव में कोई रोक-टोक नहीं थी। किसी भी फ्लैट में चले जाओ, कोई कुछ नहीं कहता।
तृप्ति ने दरवाजा खोला। वो काले रंग की टाइट टी-शर्ट और नीली शॉर्ट्स में थी। उसकी छातियां टी-शर्ट को फाड़ने को तैयार थीं। हमने पेग बनाए और गटागट पी गए। तृप्ति को देखते ही मेरा 7 इंच का लंड जींस में तन गया। सुजीत ने मेरा इंट्रो करवाया, “तृप्ति, ये बलजीत है। इसकी गर्लफ्रेंड भावना नौकरी छोड़कर चली गई। अब तुझे ही इसे खुश करना है।”
तृप्ति मेरे पास आई, मेरी जींस के ऊपर से मेरे लंड को छूआ, और बोली, “बलजीत, ये तो पहले से ही रेडी है!” उसकी आवाज़ में शरारत थी।
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हम तीनों ने और पेग मारे। तृप्ति की आंखें नशे से चमक रही थीं। वो फर्श पर घुटनों के बल बैठ गई। उसने मेरी जींस की बटन खोली और जिप नीचे खींची। मेरा लंड बाहर निकला, 7 इंच का, मोटा, और सुपारा लाल। “बलजीत, ये तो पूरा खीरा है!” तृप्ति ने हंसते हुए कहा।
वो मेरे लंड को चूसने लगी। “आह्ह… उह्ह,” मैंने सिसकारी भरी। उसका गर्म मुंह मेरे लंड को लपेट रहा था। उसकी जीभ मेरे सुपारे पर गोल-गोल घूम रही थी, कभी सुपारे को चाटती, तो कभी पूरा लंड गले तक लेती। “म्म्म… तृप्ति, तू तो मास्टर है!” मैंने कहा। मैंने कभी नहीं सोचा था कि तृप्ति जैसी माल मुझे चूसने को मिलेगी। सुजीत जैसे दोस्त को पाकर मैं धन्य था।
मैंने उसकी टी-शर्ट उतारी। उसकी 34 इंच की छातियां नंगी हो गईं। गुलाबी निप्पल्स नुकीले, जैसे मेरे लंड को चैलेंज दे रहे हों। मैंने उसकी शॉर्ट्स भी उतार दी। अब वो सिर्फ काली पैंटी में थी। उसकी चूत के ठीक ऊपर तितली का टैटू था, और गांड के बीच में खरगोश का टैटू। “ये टैटू बनवाते वक्त कितना दर्द हुआ होगा!” मैंने कहा। तृप्ति ने हंसकर बताया, “हां, खून भी निकला था, लेकिन मजा आया।”
मैंने सोचा, “ऐसी मॉडर्न लौंडिया को चोदने का मजा ही अलग होगा।” वो मेरे लंड को चूस रही थी, “म्म्म… उह्ह” की आवाजें निकाल रही थी। सुजीत ने बैकग्राउंड में ढिशूम के गाने चला दिए। “अब तो ढिशूम-ढिशूम चुदाई होगी!” मैंने हंसते हुए कहा।
तृप्ति मेरे लंड को दोनों हाथों से पकड़कर फेट रही थी। कभी अपने गालों पर लंड से थपकी देती, तो मज़ा दोगुना हो जाता। “तृप्ति, तू तो रंडी से भी आगे है!” मैंने कहा। वो मेरे लंड को गहराई तक चूस रही थी, उसकी जीभ मेरे सुपारे को चाट रही थी। मैं उसके लंबे बालों से खेलने लगा, उन्हें उंगलियों में लपेटकर घुमाने लगा।
सुजीत अभी तक लैपटॉप पर था। मैंने उसे बुलाया, “भाई, आ ना! अकेले क्या मजा?” वो कपड़े उतारकर आ गया। तृप्ति ने मेरा लंड छोड़ा और सुजीत का 6 इंच का लंड मुंह में ले लिया। “आह्ह… तृप्ति!” सुजीत ने सिसकारी भरी। उसका एक हाथ मेरे लंड पर था, उसे सहलाती रही। वो एक लंड चूसती, फिर दूसरा लेती, जैसे कोई प्रोफेशनल काल गर्ल हो।
“ऐसी होशियार लड़की ही दो लंड संभाल सकती है,” मैंने सोचा। हमने एक मैट्रेस खींचा और तृप्ति को उस पर लिटा दिया। उसकी चूत पर हल्की-हल्की झांटें थीं। तितली का टैटू साफ दिख रहा था। सुजीत ने कहा, “देख, ये तितली तृप्ति ने कनॉट प्लेस से बनवाया था।”
“कमाल है!” मैंने कहा। लग रहा था तितली अभी उड़ जाएगी। मैंने सोचा, “जमाना कितना मॉडर्न हो गया है।” सुजीत ने बताया कि टैटू आर्टिस्ट ने तृप्ति को नंगी करके टैटू बनाया था। शायद तृप्ति ने उसे चोदने दिया, तभी फीस कम की थी। मैंने मन ही मन उस आर्टिस्ट को लकी माना।
मैंने सुजीत से कहा, “भाई, इसकी झांटें साफ करनी पड़ेंगी।” तृप्ति हंस पड़ी और अपनी शेविंग किट ले आई। मैंने बड़े प्यार से उसकी चूत पर शेवर चलाया। “आह्ह… बलजीत, धीरे!” वो बोली, लेकिन उसकी आंखों में शरारत थी। शेव करने के बाद उसकी चूत गोरी, चिकनी, और चमकदार हो गई। तितली का टैटू अब और साफ दिख रहा था।
मैंने सुजीत से कहा, “चल, तृप्ति को साथ में लेते हैं!” सुजीत बोला, “ठीक है, जैसा तू कहे!” हमने तृप्ति को मैट्रेस पर लिटाया। सुजीत उसके सिरहाने गया और अपना लंड उसके मुंह में दे दिया। तृप्ति “म्म्म… उह्ह” करते हुए चूसने लगी। मैंने उसकी चूत को छुआ, वो गीली और गर्म थी। मैंने उसकी तितली को चूमा, चाटा, और जीभ से उसकी चूत को चोदने लगा। “आह्ह… बलजीत, और चाट!” तृप्ति ने सिसकारी भरी।
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मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रखा और धीरे-धीरे अंदर डाला। “उह्ह… कितना टाइट है!” मैंने कहा। उसकी चूत मेरे लंड को जकड़ रही थी। मैंने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए। “आह्ह… उह्ह… बलजीत, और जोर से!” तृप्ति चिल्लाई। मैंने रफ्तार बढ़ाई, “थप-थप-थप” की आवाज़ कमरे में गूंजने लगी। उधर सुजीत उसके मुंह को चोद रहा था, “ग्लक-ग्लक” की आवाज़ें आ रही थीं।
तृप्ति के दोनों पैर हवा में थे। वो मेरे धक्कों से चुद रही थी और सुजीत का लंड चूस रही थी। मैंने उसकी चूत में गहरे धक्के मारे, “तृप्ति, तेरी चूत तो गजब है!” वो “उह्ह… हां… चोद मुझे!” चिल्ला रही थी। मैंने उसकी चूत की गुझिया खोली और उंगलियों से उसका दाना रगड़ा। “आह्ह… ओह्ह… बलजीत, बस कर!” वो चीखी, लेकिन मैं नहीं रुका। उसकी चूत गीली होकर चमक रही थी।
मैंने रफ्तार और बढ़ाई, “थप-थप-थप” की आवाज़ तेज हो गई। सुजीत भी उसके मुंह को तेजी से चोद रहा था। तृप्ति की 34 इंच की छातियां उछल रही थीं, जैसे समंदर में लहरें उठ रही हों। मैंने उसकी एक चूची पकड़ी और निप्पल को मसला। “आह्ह… बलजीत!” वो चीखी। मैंने उसकी चूत में और गहरे धक्के मारे, “फच-फच-फच” की आवाज़ गूंज रही थी।
काफी देर तक मैंने तृप्ति को चोदा। फिर सुजीत की बारी आई। उसने तृप्ति को उठाया और अपने कंप्यूटर चेयर पर बिठा दिया। ये चेयर पहियों वाली थी, जिधर मन करे घुमा लो। सुजीत ने तृप्ति के पैर खोले। उसकी चूत बिलकुल सुजीत के लंड के सामने थी। सुजीत ने अपना लंड उसकी चूत में डाला और चोदने लगा। “आह्ह… सुजीत, और गहरा!” तृप्ति बोली।
मैंने चेयर को गोल घुमाया। तृप्ति नंगी, चेयर पर बैठी, एक राउंड घूमकर फिर हमारे सामने आई। “ये तो मजा आ गया!” मैंने कहा। सुजीत ने तृप्ति को चोदा, फिर मैंने। हम दोनों बारी-बारी से उसकी चूत मार रहे थे। “फच-फच-फच” की आवाज़ कमरे में गूंज रही थी। तृप्ति “आह्ह… उह्ह… और जोर से!” चिल्ला रही थी।
मैंने तृप्ति की छातियों को जोर-जोर से दबाया। उसके निप्पल्स लाल हो गए। “बलजीत, थोड़ा धीरे!” वो बोली, लेकिन उसकी आंखों में मज़ा दिख रहा था। मैंने उसकी चूत में और तेज धक्के मारे। “आह्ह… ओह्ह… बलजीत, फाड़ दे मेरी चूत!” वो चीखी। मैंने उसकी चूत को और गहराई से चोदा, “थप-थप-थप” की आवाज़ तेज हो गई।
सुजीत ने तृप्ति को कुतिया बनाया और उसकी गांड में लंड डाला। “आह्ह… सुजीत, धीरे!” तृप्ति बोली, लेकिन वो मजे ले रही थी। मैं चेयर के दूसरी तरफ गया और अपना लंड उसके मुंह में दे दिया। वो “म्म्म… उह्ह” करते हुए चूसने लगी। सुजीत उसकी गांड मार रहा था, “थप-थप” की आवाज़ गूंज रही थी।
हमने तृप्ति को चेयर पर घुमाते हुए चोदा। कभी मैं उसकी चूत मारता, कभी सुजीत उसकी गांड। तृप्ति “आह्ह… उह्ह… और जोर से!” चिल्ला रही थी। मैंने उसकी छातियों को चांटे मारे, वो लाल हो गईं। “बलजीत, तू तो जंगली है!” तृप्ति ने हंसते हुए कहा।
काफी देर बाद मैंने अपना लंड निकाला और उसकी चूत पर माल छोड़ दिया। सुजीत ने भी उसकी गांड पर माल छोड़ा। तृप्ति हांफ रही थी, लेकिन उसकी आंखों में संतुष्टि थी। “तुम दोनों ने तो मेरी हालत खराब कर दी!” वो हंसते हुए बोली।
उस संडे हमने तृप्ति को चेयर पर, मैट्रेस पर, हर तरह से चोदा। उसकी चूत, गांड, और मुंह को बारी-बारी से ठोका।
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