रूचि मेरे दोस्त की सेक्सी पत्नी – भाग 2

पिछला भाग : रूचि मेरे दोस्त की सेक्सी पत्नी – भाग 1

शाम को मैं करीब 8:30 पर खाना खा करके फ़्री हुआ और रूचि के आने का इंतज़ार करने लगा। करीब 8:45 पर अनिल रूचि को लेकर आ गया और उसे छोड़कर चला गया और बोला मैं काम निबटाकर जल्दी से आता हूं। अगर देर हो जाये, तो मेरा इंतज़ार करना घबराना नहीं, राजू शरीफ़ आदमी है।

रूचि ने आज प्रिंटेड बलोउस, लाईट कलर की साड़ी और और अंदर गहरे रंग का ब्लाउज़ पहना था। उससे अंदर के कपड़े का आइडिया मुझे नहीं लग पाया।

रूचि और मैं फ़िर पेपर तैयार करने में लग गये, पर आज मैं थोड़ा मस्ती के मूड में था, तब भी हमारा काम एक घंटे में हो गया।

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मैं आज बीच में दो तीन बार रूचि की कभी जांघ पर तो कभी उसकी कमर पर और कभी उसके ब्लाउज़ के बाहर से उसके बूब्स पर छू रहा था।

रूचि मुझे रोक देती और कहती, अरे पहले काम पूरा करने दो। फ़िर अगर मौका मिला तो मैं मना थोड़े ही कर सकती हूं।

जब काम पूरा हो गया। तो मैं अब रूचि के साथ मस्ती के मूड में था पर कोई सिग्नल रूचि ने नहीं दिया। तो मैं उसे एम्ब्रस नहीं करना चाहता था।

रूचि से मैंने पूछा – आज जब अनिल तुमको छोड़ कर गये, तो उसने ये क्यों बोला की राजु शरीफ़ आदमी है।

तब रूचि बोली – कल अनिल मुझसे बोल रहे थे कि राजू बहुत ही बेवकूफ़ है। अगर उसे मौका मिलता (किसी की वाइफ़ के साथ अकेले रहने का) तो वह जरूर मौके का फ़ायदा उठाता।

फ़िर रूचि बोली – जब मैंने कहा कि अगर औरत ने गड़बड़ कर दी, तो वह बोल रहे थे कि अगर वह किसी औरत को एक्साइट करे, तो वह मना कर ही नहीं सकती है।

रूचि फ़िर बोली – इसीलिये मुझे भी उनकी बात सुनकर मरदों की मानसिकता के बारे में पता चल गया और वह कोई गलती नहीं कर रही है और मैं भी ऐसा न करूं।

अब मैंने कहा – ये बात तो ठीक है, पर आपको तो मालूम है न मैं भी बड़ा कमीना हूं और आज तो मैं अब तुमको इस समय नहीं छोड़ सकता हूं, जब दोनों फ़्री हैं।

रूचि कुछ ज्यादा नहीं बोली तो मैंने कहा – पर आज मैं तुमको पूरी तरह से प्यार करना चाहता हूं, क्योंकि आज हमारे पास टाइम काफ़ी है।

फ़िर मैं रूचि का हाथ पकड़ कर उसे बेड पर ले आया, और उसे आराम से चूमते हुए उसकी इच्छा जानने की कोशिश करने लगा।

रूचि बोली – हाँ राज, आज मैं चाहती हूं कि तुम मुझे ऐसे प्यार करो, जैसे अनिल पहले पहले किया करते थे।

मैं बोला – चलो पहले ऐसा करते हें, एक दूसरे के कपड़े उतारते हैं। मुझे महाभारत की दरौपदी की तरह अपनी पार्टनर के कपड़े उतारने में बड़ा मज़ा आता है और अगर वह विरोध करे तो और मज़ा आता है। क्या मैं स्टार्ट करूं?

रूचि बोली – नहीं पहले मैं तुम्हारे कपड़े उतारुंगी। अगर मेरे कपड़े पहले उतर गये, तो तुम मुझे मौका ही कहाँ दोगे! मैं मर्दों की आदत जानती हूँ।

मैंने कुरता पायजामा पहना था और रूचि ने एक झटके मेरे कुरता और बनियान खींचकर मेरे पायजामे का नाड़ा खोल दिया और तब तक मैंने भी अपना अंडरवियर नीचे कर दिया।

रूचि ने मेरे लंड को देखकर थोड़ा हैरान सी हुई। मैं जानता था कि उसे तो अनिल के लम्बे लंड की आदत थी न और फ़िर मेरा लंड उस समय खड़ा भी नहीं था।

फ़िर मैंने रूचि के साड़ी के पल्लू को खींचना शुरु किया और रूचि घूम घूम कर अपनी साड़ी उतारने लगी।

जब साड़ी उतर गयी, तो मैंने रूचि को पकड़ कर उसके ब्लाउज़ के हुक एक एक करके खोलकर उसका ब्लाउज़ भी उतार दिया।

उसी समय अनिल का फोन आया, तो मैं समझा कि आज तो काम का सत्यानाश हो गया। पर अनिल ने पूछा कितना काम बाकी है, तो मैंने कहा आधे से थोड़ा कम!

तो अनिल बोला – आराम से काम कर लो, मुझे अभी एक घंटा और लगेगा। मैं 11:00 बजे तक आऊँगा।

रूचि ने कहा – ठीक है, पर जल्दी की कोशिश करना, ज्यादा लेट से सभी परेशान होंगे।

अब तो हम और भी रिलेक्स हो गये। रूचि ने अंदर सफ़ेद ब्रा पहन रखी थी। उसकी ब्रा एकदम टाइट थी और उसके बूब्स उसके अंदर कैद हो गये थे।

मैंने एकदम से रूचि को पकड़ कर उसकी टांगों को पेटीकोट सहित अपनी टांगों के बीच फ़ंसाकर उसे जकड़ लिया और फ़िर उसकी ब्रा का हुक खोल दिया। जैसे ही उसकी ब्रा से उसके बूब्स आज़ाद हुए, ऐसा लगा जैसे कोई धमाका हुआ। उसके बूब उछलकर मेरे सामने आ गये।

क्या टाइट गोल एकदम क्रिकेट बाल की तरह ही लाल, मन तो कर रहा था कि एक झटके में दोनों को मसल दूं। पर मैं उसे पूरा नंगा करना चाहता था।

उसके बाद मैंने रूचि के पेटीकोट का नाड़ा भी खोल दिया, पर उसका पेटीकोट नीचे नहीं आया।

उसके पेटीकोट में इलास्टिक लगी हुई थी, इसलिये वो नीचे नहीं गिरा। तो मैंने उसके पेटीकोट को नीचे को जोर से खींचा, तो उसका काले रंग का पेटीकोट एकदम नीचे आ गया।

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जैसे ही रूचि का पेटीकोट नीचे हुआ, मेरी तो मस्ती का ठिकाना ही नहीं रहा। जब मैंने देखा कि रूचि ने तो पैंटी पहनी ही नहीं थी।

अब हम दोनों एकदम नंगे हो गये थे। रूचि ने आज शायद अपनी चूत साफ़ की थी, इसीलिये उसके पूरी बोडी पर सर के सिवा कहीं एक बाल भी नज़र नहीं आ रहा था।

जब तक मैं रूचि के बदन पर नज़रें फ़ेर पाता, रूचि मेरे लंड को देखकर बोली – अरे ये तो बहुत छोटा है। चलो मैं अभी इसे तैयार करती हूं।

और उन्होंने उसको धीरे से पकड़ा और उसके टोपे (टोप) पर अपनी जीभ से लिक करने लगी।

मुझे बड़ी सरसराहट सी होने लगी, रूचि बीच में मेरे लंड के टोपे को अपने लिप्स से भी दबा देती। इससे मेरे लंड का साइज़ अब बढ़ने लगा। तो रूचि ने भी उसे अपने मुंह के अंदर लेना शुरु कर दिया और मुझे ये बड़ा अजीब लग रहा था।

ऐसा मैंने केवल कुछ ब्लू फिल्म्स में ही देखा था और मैं ये नहीं सोच सकता था कि किसी दिन मेरे साथ भी ऐसा होगा।

मैं ये भी विश्वास नहीं कर पा रहा था कि एक सीधी साधी औरत रूचि ऐसा कर सकती है! पर उसका पति अनिल बड़ा स्मार्ट, हैंडसम और हरामी भी है, उसने उसको ट्रैंड कर रखा था।

मैं तो सेक्स का मतलब बस चुदायी तक ही समझता था और जब ऐसा सीन मैंने एक ब्लू फ़िल्म में देखा था तो मुझे उल्टी सी आने लगी थी। पर आज जब मेरे साथ ये हो रहा था, तो बड़ा मज़ा आ रहा था। यहाँ तक कि मुझे इस में अब रूचि की चुदायी से ज्यादा आनंद आ रहा था। बसौसे इसमे मुझे कोई ताकत नहीं लगानी पड़ रही थी।

जैसे जैसे मेरे लंड का साइज़ बढ़हा गया, रूचि ज्यादा मस्त होने लगी। अब जब मेरा लंड पूरा खड़ा हो गया, तो वह मेरे लंड को लेमन जूस वाली टोफ़ी की तरह से चूसने लगी।

दोस्तों जब वह मेरे लंड को मुंह में लेकर आगे पीछे करती, तो मुझे तो उसमें अब तक की गयी चुदायी से ज्यादा मज़ा आने लगा था। मैं जोश में कभी कभी रूचि के मुंह को उसकी चूत समझ कर चुदायी वाले एक्शन में अपना लंड उसके मुंह में डाल देता था।

रूचि मेरे लंड को पूरा खाने वाली स्टाइल में मुंह में लिये हुए थी और कभी मुंह से बाहर निकाल देती और फ़िर पूरा मुंह में ले लेती। मस्ती में वह कभी कभी मेरे लंड को दांतों से भी दबता देती, ऐसे में मेरी तो चीख ही निकल गयी, तो घबरा कर रूचि थोड़ा ढीली हो गयी।

फ़िर रूचि ने मेरे लंड को जड़ से पकड़ कर कभी चाटना और कभी मुंह के अंदर लेकर चूसना शुरु कर दिया।

थोड़ी देर में रूचि ने मेरे लंड को मुंह में लेकर उसको गुब्बारे की तरह से फुलाना शुरु कर दिया और कभी उसे अंदर को चूसने लगी।

कभी वह अपने मुंह से मेरा लंड निकाल कर मेरे लंड के टोपे पर लिप्स रखकर उसे चूसने लगी।

ऐसे में तो मुझे ऐसा लगता जैसे मेरी सांसें ही बंद हो जायेंगी। पर रूचि मेरे लंड को पूरा मुंह में लेकर चाटने और चूसने लगती।

मेरे लिये सेक्स का ये अलग एक्सपेरिएंस था, पर था बड़ा मज़ेदार एक्सपेरिएंस।

रूचि की मस्ती बढ़ती ही जा रही थी और वह मेरे लंड को कैंडी आइस क्रीम की तरह उसे कर रही थी। मुझे भी थोड़ा बहुत डर के बावजूद बड़ा मज़ा आ रहा था।

यारों, सेक्स में पता नहीं क्यों दर्द में ही मज़ा आता है! जैसे किसी कड़वी दवा से ही आराम मिलता है।

रूचि की मस्ती तो बढ़ रही थी पर अब मेरे लंड के अंदर से फ़्लो बाहर को होने का अहसास सा हुआ, तो मैंने चिल्लाकर कहा – रूचि अब नहीं रुका जरा है, रुको।

रूचि तो पुरूचि खिलाड़ी थी, उसने लंड से मुंह हटा लिया और मेरे लंड के टोपे को हाथ से दबाकर बोली – लल्ला चिंता न करिये, मैं तो तुम्हारा ये आइस क्रीम खाने के लिये पूरी तरह तैयार हूं और इसके बाद उसने मेरे लंड को पूरा मुंह के अंदर ले लिया।

इसके तुरंत बाद मेरे लंड से हुई सारी बरसात रूचि के मुंह के रास्ते उसके पेट में चली गयी।

जब मेरा पूरा क्रीम झड़ गया, तो रूचि फ़िर से मेरे लंड को अच्छी तरह से चूसने लगी।

रूचि ने मेरे लंड को सावधानी से चाटना शुरु कर दिया और मेरे लंड के माल का एक एक कतरा भी वह चूस लेना चाहती थी।

मेरा लंड दुबारा से सिकुड़ कर छोटा हो गया था, पर उतना नहीं जितना रूचि की चुदायी के बाद।

रूचि को जब ये लगा कि अब मेरे लंड का सरा माल वो चाट चुकी है, तो उसने अपना मुंह मेरे लंड से हटा लिया।

रूचि को शायद बड़ा मज़ा आया था, मेरी तरह से ही वह बड़ी खुश थी। जैसे कोई अच्छी चीज़ बहुत दिनो के बाद मिली हो।

रूचि बोली – लल्ला ये मेरा भी पहला तज़ुर्बा है। ऐसे केरने पर बड़ा मज़ा दिया राजु तूने। मैंने तो एक बार टीवी में तेरे भैया के साथ देखी थी, तो तेरे भैया मुझे छेड़ते हुए बोले थे कि उनका चूसेगी तो मैंने मना कर दिया था। पर आज तेरा लंड देखते ही, मैं मचल रही थी। एक बार ऐसा करके देखूं, आज़ राजु बड़ा मज़ा आया।

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मैं बोला – हाँ रूचि मुझे बड़ा अच्छा लगा पर अब बहुत देर हो गयी है, अब हमें चलना चाहिये।

फ़िर रूचि ने मेरे लंड को कभी चाटना और कभी मुंह के अंदर लेकर चूसना शुरु कर दिया और कभी रूचि मेरे लंड को मुंह में लेकर उसको गुब्बारे की तरह से फुलाना शुरु कर दिया और कभी उसे अंदर को चूसने लगी।

फ़िर वह अपने मुंह से मेरा लंड निकाल कर, मेरे लंड के ऊपर लिप्स रखकर उसे चाटने लगी।

ऐसे में तो मुझे ऐसा लगता, जैसे कोई मेरे लंड को सहला रहा हो और उसका साइज़ बढ़ने लगा। पर अगले पल रूचि मेरे लंड को पूरा मुंह में लेकर चाटने और चूसने लगती और मेरा लंड एकदम लोहे की तरह कड़ा और चुदायी के लिये तैयार होता चला गया।

रूचि ने मुझसे लंड को पकड़ कर लेट जाने को कहा। मैंने वैसा ही किया तो रूचि ने खड़े खड़े ही अपनी नंगी गोरी टांगें, चमकती हुई गोरी गुलाबी जांघें, मस्त चूतड़ और उनकी जांघों के बीच से झांकती हुइ उसकी मस्त गंजी चूत देखकर मैं तो पागल हो गया।

मेरा लंड तो और भी खींचा जा रहा था और मेरे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा था कि उसकी चूत का रस चूसते हुए, उसके जांघों को खा जाऊँ।

रूचि के गुलाबी बूब मुझको बेचैन कर रहे थे, इसी बीच उसने अपने दोनों हाथ ऊपर को कर दिये। तो उसके बूब्स और बगल मुझे और उत्तेजित करने लगे।

मुझसे कंट्रोल नहीं हुआ और उसके बूब्स देखकर, तो मैं एकदम बेचैन सा हो गया। और मैंने रूचि के बूब्स को मुंह में लेकर उनको चूमना और चाटना शुरु कर दिया। रूचि कभी अपने बूब्स को ज़ोर से दबाने को कहती और जब मैं ज़ोर से दबाता तो कहती, अरे धीरे से क्या मार डालोगे मुझे!

रूचि के चूचियों पर मालिश करने में बड़ा मज़ा आ रहा था। पर मैं आज उसे इतनी जल्दी छोड़ने वाला नहीं था। आज मैं उसके बदन का एक एक पुर्ज़ा पुर्ज़ा मसल देना चाहता था, जिससे साली रूचि मेरी चुदाई को याद रखे।

मैं साइए में उसकी बगल और कंधे पर भी मालिश कर रहा था।

फ़िर मेरा ध्यान रूचि की पतली कमर पर गया, वह इतनी पतली थी कि जितनी शायद 15 साल की कन्या की भी नहीं होगी। मैंने रूचि के नाभि के नीचे के हिस्से में मसाज करने लगा।

इस एरिआ में मासाज करने पर रूचि की उत्तेजना बढ़ गयी थी और वह जोर से अपने पैर पटकने लगी। तो मुझे अपने लंड को कंट्रोल करना पड़ रहा था, जो मेरे लिये थोड़ा मुश्किल हो रहा था।

मैंने उसकी चूत के आस पास अब्दोमेन का एरिया तक जब उसकी नंगी थाईस पर जोर से मसाज किया, तो उसने अपनी दोनों थाईज़ को बंद करके चिपका दिया।

मैंने भी जल्दी से उसकी चूत पर हाथ डालकर वहाँ पर ऊँगली करने लगा, तो रूचि का तो बुरा हाल हो गया था। वह मस्ती में छटपटाने लगी और उसने अपनी दोनों थाईज को खोल दिया। तो मेरे तो मज़े ही आ गये, अब मैं उसकी चूत, थाईज़ या अबदोमेन जहाँ चाहे वहाँ मसलने लगा।

मेरी ऊँगलियों के हमले से रूचि की हालत अब खराब हो गयी थी। वह अब मेरे एक्शन का विरोध नहीं कर पा रही थी।

मैं जैसे मर्जी आये उसके हर पार्ट को मसलता, रगड़ता और मसाज कर रहा था। जब मेरी मस्ती और बढ़ी, तो मैंने रूचि की चूत पर ऊँगली डालकर अंदर तक ऊँगली से उसकी चूत के छेद के अंदर तक मसाज करने लगा।

मेरे इस एक्शन से तो रूचि पूरी तरह से चित हो गयी और बोली, राजू प्लीज़ अब बस करो और एकदम से पलट गयी।

अब रूचि के नंगे चूतड़ मेरे सामने थे। जिसके बीच में उसकी गांड तो नज़र नहीं आ रहा था पर पीचे से भी रूचि की चूत मुझको फ़िर नज़र आने लगी। तो मैं फ़िर अपनी ऊँगली से उसकी चूत पर हमला कर दिया और दूसरे हाथ से उसकी जांघों को पीछे से मसलने लगा।

जब रूचि की चूत मेरी ऊँगलियों के हमले को नहीं बरदाश्त कर पायी तो रूचि बोली – राज प्लीज़ ऐसा मत करो, मुझे ऐसे ही गीली कर दोगे क्या?

मैं उसके बड़े बड़े चूतड़ और उसके नीचे मोटी मोटी जांघों को सारा का सारा एक बार में ही मसल देना चाहता था। पर मेरे दोनों हाथों में इनता एरिया एक बार में कवर नहीं हो रहा था।

रूचि एकदम नंगी थी, तो मेरे को अपने लंड पर कंट्रोल नहीं हो रहा था। मैंने अपना ध्यान रूचि के चूचियों पर दिया, पर वह उल्टी लेटी हुई थी और उसके बूब्स साइड से ही नज़र आ रहे थे।

फ़िर भी मैंने साइड से ही, उसके दोनों बूब्स को जोर से दबाया और सहलाना शुरु कर दिया। रूचि को तो मेरा हर एक्शन एंजोयमेंट दे रहा था और अब वह मेरे हर एक्शन पर बस आहें भर रही थी।

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मैं रूचि के चूतड़ पर मसाज करने लगा, तो उसके चूतड़ बहुत बड़े बड़े थे और उनको दबाने में बड़ा मज़ा आ रहा था।

पर मैं और मज़ा लेने के लिये, उसके चूतडों पर जोर से स्लाप भी कर देता जिससे चटाक! की आवाज आती और रूचि को बड़ा मज़ा आता था। वह अपने चूतड़ ऊपर उठा कर, जैसे और स्लाप करने को कहती।

रूचि की जांघें मुझे सबसे ज्यादा उत्तेजित कर रही थी। मैं वहाँ पर प्रेस, मसाज, किस, रब कर सकता था। और मैं ये सोच रहा था कि जब मैं उसकी चुदाई करुंगा, तो उसकी थाईज़ जब मेरी थाई के साथ रब होंगी तो कितना मज़ा आयेगा।

अगर रूचि की जैसी स्मूथ बॉडी हो तो ऐसा लगता है कि जैसे लिनेन पर स्लिप हो रहा हो। जब मैं उसके चूतडों पर मसाज कर रहा था, तो मुझे बिल्कुल ऐसा ही लग रहा था।

रूचि को डबल मज़ा आ रहा था, एक तो उसकी मसाज हो रही थी, दूसरा एक मर्द के हाथों उसके बॉडी के पार्ट्स का स्पर्श दे रहा था और जिसे वह फुल्ली एन्जॉय कर रही थी।

मैंने रूचि के दोनों चूतड़ को चोडा करके उसकी गांड को देखने लगा और मुझे रूचि की चूत पीछे से दिखायी देने लगी और मेरा लंड फ़िर जोर मारने लगा।

इधर मेरा लंड अब पूरी तरह बेकाबू हो गया था और उसको कंट्रोल करना मेरे लिये पोस्सिब्ल नहीं था। वह अब रूचि की चूत में जाये बगैर मानने वाला नहीं था।

रूचि की चूत का बुरा हाल हो गया था। मैंने अपने अंगूठे से को रूचि की चूत के आस पास रब करना शुरु कर दिया और मौका पाते ही उसकी चूत के अंदर पूरा अंगूठा डाल दिया। मेरा अंगूठा पूरा उसकी चूत में गया, तो रूचि की खुजली जरा कम हुई और वह अब थोड़ा मज़ा लेने लगी।

मेरा अंगूठा लंड की तरह रूचि की चूत में अंदर बाहर फ़िसलने लगा, रूचि को मज़ा तो आ रहा था। पर उसकी चूत की खुजली पूरी तरह से दूर नहीं हो रही थी। वह मस्ती मेरे से चिपट गयी, जैसे कहना चाहती हो कि कब चोदोगे! पर वह बोली कुछ नहीं।

पहले रूचि के नंगे बदन की गर्मी से मेरा लंड तो तना हुआ था। मैंने जल्दी से रूचि को दाब लिया। रूचि की चूत में तो पहले से ही खुजली थी, पर वह झूठा गुस्सा दिखा रही थी और मना कर रही थी।

मैंने उसको कमर से पकड़ा और उसके चूचियों को अपने लिप्स से किस करने लगा। जैसे ही रूचि ने मुंह खोला तो मैंने उसके लिप्स पर अपने लिप्स रख दिया और नीचे से दूसरे हाथ को उसकी थाईज़ पर मसाज करने लगा।

उसकी थाईज़ बड़ी टाइट थी, बच्चों वाली औरतों की तरह ढीली नहीं थी। मैं थाई पर हाथ फ़ेरते हुए, उसकी चूत की तरफ़ बढ़ना चाह रहा था। रूचि के बूब्स भी एकदम टाइट हो गये थे। जिसका मतलब था कि उसको पूरी उत्तेजना हो रही थी।

मैंने कइ बर रूचि के बूब्स के निप्पल को लिप्स में लेकर जोर से प्रेस किया जिससे दोनों को बड़ा मज़ा आया।

जब मुझे ज्यादा मज़ा आने लगा, तो मैंने एक दो बार रूचि के निप्पल को अपने दांत से हल्का सा काट भी दिया। जिससे रूचि चीख पड़ी और मुझे बड़ा मज़ा आया।

नीचे से मेरा हाथ रूचि की थाईज़ से होता हुआ, उसके चूतडों और रानो पर मसाज करने लगा।

ऊपर से मैंने रूचि की बैक, नेक, वेस्ट और नाभि के आस पास लिप्स और जीभ से किस और लिक करना चालु रखा था।

जब मेरा एक हाथ रूचि की रानो पर फ़िसल रहा था, तो रूचि की मस्ती कंट्रोल से बाहर हो गयी। तब मैंने रूचि को बेड पर लिटा दिया और अपने आप भी साइड बी साइड लेट गया।

मैं आराम से अपने दोनों हाथों और लिप्स से रूचि के पूरे बदन से खेलने लगा।

अब दोनों एकदम गर्म हो गये थे। रूचि की भी सारी शरम दूर हो गयी थी और उसका बदन की एक एक हरकत मुझे महसूस हो रही थी। उसकी गर्म सांसें मुझे बेचैन कर रही थी। आप यह बीवी की चुदाई कहानी Free Sex Kahani पर पढ़ रहे हे।

मैंने रूचि की चूत के ठीक पास अपनी ऊँगली से रब करना शुरु कर दिया, जिससे मस्ती के मारे रूचि ने अपनी दोनों टांगें फ़ैला दी और मुझे उसकी चूत पर अटैक का एक मौका मिल गया।

अगला भाग: रूचि मेरे दोस्त की सेक्सी पत्नी – भाग 3

 

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